Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti basu is DEAD

Jyoti Basu: The pragmatist

Dr.B.R. Ambedkar

Memories of Another Day

Memories of Another Day
While my Parents Pulin Babu and basanti Devi were living

"The Day India Burned"--A Documentary On Partition Part-1/9

Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Friday, August 14, 2015

पुरोहित, सामन्त और सम्पन्न सदा से सत्ता और विधान पर हावी रहे हैं तो विधि सम्मत बलात्कारी भी. इनका पूरा इतिहास एक प्रकार से बलात्कार का इतिहास है. आल्ह खंड यदि ’जाकी लड़्की सुन्दर देखें ता पर जाय धरें हथियार’ कहता है तो हमारे कत्यूरियों के जागर किसी भी परिवार में युवा स्त्री को रहने न देने (अपहरण कर लेने) का वर्णन करते हैं. पुरोहितों ने भगवान की आड़ में देवदासी प्रथा चला दी. केरल के नंबूदरी पुरोहितों ने नव वधू की शुद्धि का विधान चला दिया. जहाँ वश नहीं चला तो शाप का हौवा खड़ा कर दिया.


प्रभात उप्रेती जी के आलेख पर टिप्पणी
पुरोहित, सामन्त और सम्पन्न सदा से सत्ता और विधान पर हावी रहे हैं तो विधि सम्मत बलात्कारी भी. इनका पूरा इतिहास एक प्रकार से बलात्कार का इतिहास है. आल्ह खंड यदि 'जाकी लड़्की सुन्दर देखें ता पर जाय धरें हथियार' कहता है तो हमारे कत्यूरियों के जागर किसी भी परिवार में युवा स्त्री को रहने न देने (अपहरण कर लेने) का वर्णन करते हैं. पुरोहितों ने भगवान की आड़ में देवदासी प्रथा चला दी. केरल के नंबूदरी पुरोहितों ने नव वधू की शुद्धि का विधान चला दिया. जहाँ वश नहीं चला तो शाप का हौवा खड़ा कर दिया. 
इस व्यवस्था से सामान्य जनता ही पीड़ित नहीं थी, प्रतिष्ठित परिवारों की महिलाएँ भी सुरक्षित नहीं थी. पुराणों में विष्णु-तुलसी , इन्द्र-अहल्या, दुष्यन्त-शकुन्तला जैसे हजारों ऐसे प्रकरण भरे पड़े हैं. महाभारत के अनुशा्सन पर्व के उन्नीसवें अध्याय में एक कथा है कि एक राजकुमार को शाप था कि यदि वह क्रोध करेगा तो उसका सिर फट जायेगा एक दिन राजकुमार घर के द्वार पर पहुँचता है तो पुरोहित एक राजकुमार को सूचित करता है कि वह उसकी पत्नी से समागम कर रहा है. राजकुमार सिर झुका कर अपनी नियति को स्वीकार कर लेता है. 
अतीत से ही बाबा लोग, माल उड़ाने, व्यायाम और दंड बैठक करने से मजबूत कद काठी वाले होते ही थे इसलिए नस्ल सुधार योजना से लाभान्वित होते थे.दशरथ की सन्तान नहीं हुई तो शृंगी रिषि बुलाये गये, कौरव वंश वृद्धि रुकी तो वेदव्यास बुलाये गये. पांडु की सन्तान नहीं हुई तो हाइ प्रोफाइल लोगों का सहारा लिया गया.
मैंने अनेक बार देखा है कि हमारे नैतिकता के ठेकेदार अवसर आने पर अपनी पुत्रियों या पत्नी को आगे करने में संकोच नहीं करते. एक बार मेरे परिचित एक बुजुर्ग ने बताया कि वे अपनी रूपसी पुत्री को इसलिए साथ ले जाते हैं कि उसकी उपस्थिति से मत्रियों के साथ बात करने में सुविधा होती है. 
भन्ते! सब संसार है. जब तक निभती है तभी तक सदाचार है.


--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

No comments:

Post a Comment