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Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Friday, December 13, 2013

हालात कुछ यूं हैं दोस्तों कलम ताबूत बंद है जुबान पर धरा वियाग्रा है उंगलियों ने पहन लिया कंडोम इस समलैंगिक समय में हर यक्ष प्रश्न अनुत्तरित है

हालात कुछ यूं हैं दोस्तों

कलम ताबूत बंद है

जुबान पर धरा वियाग्रा है

उंगलियों ने पहन लिया कंडोम

इस समलैंगिक समय में

हर यक्ष प्रश्न अनुत्तरित है


पलाश विश्वास

आज का संवाद फिर वही

रिलायंस क्यों गैरकानूनी असंवैधानिक निराधार आधार के तहत हमारी बायोमेट्रिक तबाही पर तुला है?

कृपया फेसबुक पर अपनी राय दें।


माफ करना दोस्तों

खंडित जनादेश

से आखिर कोई

दिशा नहीं खुली

नई दिल्ली में

फिरभी छात्र युवा

की परिवर्तन कामी

गोलबंदी को हम

अब भी मानते हैं

सकारात्मक,हमारी

राय अब भी बहाल

और हम इसी को

फौरी कार्यभार

भी मानते हैं कि

गोलबंद करें तमाम

सामाजिक शक्तियों को


कांग्रेस के खिलाफ है

जनादेश दिल्ली में

वैकल्पिक राजनीति

की जो बात कर रहे थे

बढ़चढ़ और

छात्र युवा समेत

सामाजिक शक्तियों

को जो लोग कर रहे थे

गोलबंद वे अब

विदेशी पूंजी,कालाधन

और भ्रष्टाचार के

साथ हुए हमबिस्तर

सत्ता में साझेदारी

का चरित्र ही

दुश्चरित्र है सिरे से

छिनाल सत्ता के साथ

रंगरेलियां मनाने में ही

हो जाता हर क्रांति का

पटाक्षेप, जैसा हमने

सत्तर की संपूर्ण क्रांति

को सत्ता भ्रांति और

मुक्त बाजार में बदलते देखा

जैसा हमने बंगाल में

जमीन आंदोलन के

गर्भ से निकले परिवर्तन का

हश्र देखा कि हूबहू

गुजरात माडल का

विकास कार्यक्रम है

पीपीपी माडल

मुकेश अंबानी का

वर्चस्व है

और निरंकुश प्रोमोटर

बिल्डर राज है

दिल्ली में हूबहू

वही दोहराया  जा

रहा है फिर


अब तक दिल्ली में सरकार बनाने को लेकर ना ना कर रही आम आदमी पार्टी (आप) के सुर बदले-बदले नजर आ रहे हैं. सूत्रों से मिली ताजा जानकारी के मुताबिक अगर उपराज्यपाल ने कहा तो 'आप' दिल्ली में सरकार बना लेगी. केजरीवाल सरकार बनाने के मुद्दे पर शनिवार सुबह साढ़े 10 बजे उपराज्यपाल नजीब जंग से मिलेंगे. उधर कांग्रेस ने भी 'आप' को बिना शर्त समर्थन देने की चिट्ठी उपराज्यपाल को भेज दी है. हालांकि पार्टी ने यह साफ कर दिया है कि वह बीजेपी और कांग्रेस से किसी कीमत पर समर्थन नहीं लेगी. ऐसे में पार्टी उपराज्यपाल से बात करके 28 विधायकों के साथ अल्पमत में ही सरकार बनाने पर विचार कर रही है.


इसी के मध्य दूसरा तमाशा जारी है

रालेगण सिद्धि: भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्षनाद बजाने वाले अन्ना हजारे का संसद में जनलोकपाल विधेयक पारित कराने की मांग पर अनिश्चितकालीन अनशन आज चौथे दिन प्रवेश कर गया, जबकि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने उनके आंदोलन का समर्थन किया। हजारे ने कहा है कि जब तक संसद में जन लोकपाल विधेयक पारित नहीं हो जाता वह अपना अनशन नहीं तोड़ेंगे। वह 'जनतंत्र मोर्चा' के बैनर तले महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के अपने गृहग्राम रालेगण सिद्धी में यादवबाबा मंदिर के निकट अनशन कर रहे हैं।


शुक्र मनायें कि पेट्रोलियम मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने शुक्रवार का संकेत दिया कि सरकार डीजल जैसे संवेदनशील पेट्रोलिमय उत्पादों की कीमतों में बढ़ाते समय संतुलित रुख अपनाया जाएगा।जबकि सरकार द्वारा सरकारी पन बिजली उत्पादक एनएचपीसी के विनिवेश से दो हजार करोड़ रुपए उगाहे जाने की संभावना है।इससे क्या,कमजोर वैश्विक रुख के बीच स्टाकिस्टों की भारी बिकवाली के चलते दिल्ली सर्राफा बाजार में शुक्रवार को सोने में लगातार दूसरे दिन गिरावट का रुख जारी रहा। आज इसके भाव 340 रुपए की गिरावट के साथ 30,700 रुपए प्रति दस ग्राम रह गए।


बहरहाल खुदरा मुद्रास्फीति के बढ़कर पिछले नौ महीनों के उच्चस्तर पर पहुंच जाने के मद्देनजर विश्लेषकों को लगता है कि रिजर्व बैंक आगामी मध्य तिमाही समीक्षा में फिर एक बार 0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है। हालांकि, इसके साथ ही आर्थिक वृद्धि को लेकर चिंता बढ़ी है।


रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स ने सॉफ्टवेयर कंपनी टीसीएस, इंफोसिस तथा विप्रो की दीर्घकालीन कंपनी रेटिंग एक से बढ़ाकर बीबीबी प्लस कर दिया है। हालांकि एजेंसी ने उनकी फोरेन करेंसी रेटिंग के मामले में परिदृश्य नकारात्मक रखा है। एजेंसी ने तीन कंपनियों की स्थानीय मुद्र रेटिंग बढ़ाकर स्थिर कर दिया है और उन्हें क्रेडिट निगरानी से बाहर कर दिया है।

बॉलिवुड किंग शाहरुख खान और क्रिकेट के भगवान सचिन तेंडुलकर का दबदबा अब भी बरकरार है। बिजनेस मैगजीन फोर्ब्स इंडिया ने कमाई और शोहरत के आधार पर 100 प्रभावशाली लोगों की लिस्ट जारी की है। इसमें शाहरुख सबसे ज्यादा कमाई करने वाले सिलेब्रिटी बन गए हैं, वहीं तेंडुलकर को सबसे ज्यादा शोहरत कमाने वाली शख्सियत बताया गया है। पिछली बार भी इस तरह की लिस्ट में शाहरुख टॉप पर थे। 100 प्रभावशाली लोगों की इस लिस्ट में कुछ नए नाम जुड़े हैं, जिनमें स्टैंड कमिडियन कपिल शर्मा भी हैं। 'कॉमेडी नाइट्स विद कपिल' के होस्ट कपिल को 93वीं पोजिशन मिली है। उनकी कमाई 4.5 करोड़ रुपये बताई गई है। इसी तरह नवजोत सिंह सिद्धू, कमल हासन, श्रीदेवी भी इस लिस्ट में शामिल किए गए नए नामों में से हैं।


शाहरुख की सबसे ज्यादा कमाई

साल 2013 में शाहरुख खान की कमाई 220 करोड़ 50 लाख रुपये रही। इस लिहाज से मैगजीन ने शाहरुख को कमाई में नंबर वन पर रखा। दूसरे पायदान पर हैं सलमान खान जिनकी सालाना कमाई 157 करोड़ 50 लाख रुपये रही। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी कमाई करने में तीसरे नंबर पर हैं। 2013 में उन्होंने 155 करोड़ 32 लाख रुपये कमाए। वहीं, अमिताभ बच्चन चौथे और अक्षय कुमार पांचवे नंबर पर रहे। इसके बाद सचिन तेंडुलकर, रणबीर कपूर, कटरीना कैफ, ऋतिक रोशन और विराट कोहली रहे।


शोहरत बटोरने में सबसे आगे सचिन

फोर्ब्स इंडिया मैगजीन ने उन भारतीयों की लिस्ट भी जारी की है, जिनकी साख में पिछले साल की तुलना में इजाफा हुआ है। इस लिस्ट में पहले पायदान पर हैं सचिन तेंडुलकर। सूची में महेंद्र सिंह धोनी दूसरे नंबर पर हैं। सलमान खान इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर हैं।


कमाई में टॉप-5 (अरब रु. में)


शाहरुख खान (2.20 अरब)

सलमान खान (1.57 अरब)

महेंद्र सिंह धोनी (1.55 अरब)

अमिताभ बच्चन (1.47 अरब)

अक्षय कुमार (1.18 अरब)


टीवी से प्रसारित

खबर है यह

फिरभी खुदकशी

से बचेगी आप

लोकसभा चुनावों

में होने वाले

बदलाव की खातिर

यह उम्मीद भी है


लेकिन लोकसभा

चुनाव में भी हूबहू

वही नतीजा आना है

जैसा अब तक

होता रहा है

हर विकल्प का

रिमोट कंट्रोल

आखिरकार

रिलायंस मोड में

निलकणि राज

में तब्दील होना है

मोदी हो या ममता

या केजरीवाल

इसतरह तो

कोई परिवर्तन

कहीं नहीं

होना है

जनसंहार नीतियां

जारी रहेंगी

जस का तस

जारी रहना है

सामाजिक अन्याय

संसाधनों और अवसरों पर

एकाधिकारवादी

वर्चस्व फिरभी जारी

रहना है हर हाल में

जारी रहना है

ख्वाबों का कारोबार भी

अविराम प्रवचन

अविराम पैनल

लाइव विमर्श

की तरह हर कहीं


इसतरह बदलाव कोई

होता नहीं दरअसल

ऐसा हम समझा नहीं

पाये लोगों को

जनादेश कुछ भी हो

अभियुक्तों के हाथों

में ही होता रिमोट

कंट्रोल हमेशा

अल्पमत सरकारें भी

बदलाव के  बिना शर्त

समर्थन से बखूब

करता जनगण का सफाया

जैसे अबाध है विदेशी पूंजी

निरंकुश है कालाधन

आर्थिक सुधारों की निरंतरता है

और आम लोगों

का अनिवार्य मरण है

सिलसिला लेकिन टूट

नहीं रहा है


यह भी समझ लीजिये कि

जैसा हम बार बार कहते हैं

जनादेश दरअसल

इस संसदीय लोकतंत्र में

अब है ही नहीं किसी

चिड़िया का नाम इन दिनों

जैसे कोई संविधान कहीं

लागू है ही नहीं

न कहीं कानून का राज है

गणतंत्र नहीं सरासर लूटतंत्र है

सर्वदलीय यह

चुनावों में सत्ता के

भागीदार बदलते हैं सिर्फ हालात

यकीनन नहीं बदलते


यह भी समझ लीजिये

कि हर विकल्प कारपोरेट है

नंदन निलेकणि भी हैं

अब प्ऱधानमंत्रित्व के दावेदार

नमोमय हुआ भारत तो

क्या निलेकणि राज

हर हाल में बहाल है

नमो तूफान रोकने के

जो भी विकल्प हैं

वे भी अंततः आप हैं


यह इसीलिए हो रहा

क्योंकि मुक्ति कामी

जनगण को कोई

संबोधित कर ही नहीं रहा

न छात्र युवा स्त्रियां

किसान मजदूर

नौकरीपेशा पेशेवर को

कोई संबोधित कर रहा

न कोई चुनाव हो रहा

जनता के हक हकूक

की बहाली के लिए

कारपोरेट फंडिंग से

कारपोरेट राज खत्म

करने को वोट मांगते हैं

कारपोरेट के ही कारिंदे


हो सकें तो कुछ

मेरी मदद करना दोस्तों

मैं खोज रहा हूं

जापानी तेल सधे

बांस अनेक

मौखिक,लिखित,आनलाइन

लाइव प्रवचन के विरुद्ध

जो देश को दिग्भ्रमित

कर रहा है सबसे ज्यादा


हालात कुछ यूं है दोस्तों

कलम ताबूत बंद है

जुबान पर धरा वियाग्रा है

उंगलियों ने पहन लिया कंडोम

इस समलैंगिक समय में

हर यक्ष प्रश्न अनुत्तरित है

सुरक्षित यौन संसर्ग

के अभ्यस्त हैं लोग

न परिवार में हैं लोग

और न समाज में हैं लोग

देश उनका महज

रंग बिरंगा झंडा है

या फिर कोई डंडा है

झंडे से सधते हैं हित तमाम

डंडे से हांकते हैं प्रजाजन


इसी बीच लालू  को

भी हो गयी है बेल

जो होनी ही थी

आखिरकार

बदलाव  और

सत्ता में भागेदारी

का खेल चूंकि जारी

रहना है  हर हाल में

बुनियादी परिवर्तन

के गर्भपात के लिए

जाति विमर्श इसी तरह

जारी रहना है

जाति उन्मूलन के बिना


लालू यादव पटना में एक महीने के भीतर एक बड़ी रैली करेंगे. इस रैली के जरिये लालू का वापस लौटने और अपने खोये जनाधार को फिर से पाने का प्रयास होगा. हालांकि अभी तक उन्होंने इस रैली का कोई नामाकरण नहीं किया है, लेकिन उनकी पिछले रैलियों की तरह इस रैली का नाम भी खासा रोचक होने की उम्मीद है. चारा घोटाले में पांच साल की सजा काट रहे आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गयी. इसके साथ ही 30 सितंबर से रांची की सेंट्रल जेल में बंद लालू यादव अब कुछ समय के लिए ही सही, खुली हवा में सांस ले सकते हैं.


शोर का जश्न है बहुत

बहुत ज्यादा है

हंगामा बरस रहा

हर शख्स एक दिशा है

हर कोई अलग विकल्प

देश का हर टुकड़ा

अब अलगाव में है

सारे लोग एक दूसरे के

खून के प्यासे हैं िइन दिनों

निशाने पर हैं सबसे पहले

अपने ही अंतरंग,आत्मीय

सब है जानी दुश्मन इन दिनों

कोई किसी का

दोस्त नहीं है इन दिनों


संसद के अंदर

बहुत होता बवाल

लाइव है आंखों देखा हाल

हर कोई चीख रहा पुरजोर

सुर्खियां तमाम खून सनी हैं

लेकिन हमारे मुद्दों पर

एकदम खालिस सन्नाटा है

न जाने वे लोग

किस किस मुद्दे पर

गरजते हैं बरसते हैं

फिर सबकुछ साझा

कर लेते हैं


सड़कों पर भी कबंधों का

जुलूस और हर दिशा में

ट्राफिक जाम

फर्जी विकल्प

और फर्जी बदलाव

फर्जी ख्वाब बहुत हैं

हकीकत लेकिन

सन्नाटा बटा दो

फिर वही ढाक के

तीन ही पात हुए


मुद्दे सारे अवसरवादी

मुद्दई मौकापरस्त

फरियादी की

सुनवाई कहीं हो

नहीं रही है

न्याय और कानून के घंटे

बजते रहते खूब इन दिनों

रंग बिरंगे अधिकार

मिल गये हैं अब बहुत

कारपोरेट भी जिम्मेदार

विकास घटा घनघोर

छन छन कर बरसा

रहा विध्वंस चहुं ओर


जिन सवालों पर

खामोश है

फेसबुक के सारे

धुरंधर,भूमंडलीय

स्वर्णयुग की संतानें

वे फिर फिर

दोहराया जाना है


डोनर देश में

पितृहीन हो रही हैं

पीढियां,क्योंकि

प्रजनन अक्षम

यह समय है

और प्रेम और दांपत्य

महज क्रयशक्ति समन्वय


मातृत्व महज देहमुक्ति है

पुरुषततंत्र नपुंसक

मगर जारी है

छूने दबाने और भेदने

की कला में दक्ष

हर विमर्श नीली फिल्मों में

निष्णात है इन दिनों

सारे जनसरोकार है

रियेलिटी शो

वेल स्क्रिप्टेड

और प्रतिबद्धता

क्रेडिट कार्ड है

मुक्त बाजार से खेलने

के लिए आखिरकार


हमारे गुरुजी

ताराचंद्र त्रिपाठी

सत्तर के दशक में

कहते थे कि

हर माल की तरह

हर शख्स भी

बिकाऊ है

बाजार में खड़ा

हर कोई नहीं कबीरा

जो घर अपना

फूंककर देखें तमाशा

सिर्फ सौदेबाजी है

सत्ता में समाहित होने का

उसीकी दक्षता प्रबल है

सारी मेधा सत्ता हित में

सामाहित है इन दिनों


बहुजन इस देश के

अजब अंध भक्त हैं

ज्ञान विज्ञान तकनीक

की जाति देखकर

बिदक जाते तुरंत

मसीहा अवतार के

मुताबिक शत्रुपक्ष

का ज्ञान है नरकद्वार

लेकिन कारपोरेट राज

कारपोरेट फंडिंग

की कोई जात होती नहीं

मुक्त बाजार में

मिलती हर चीज

सही गलत

उसकी भी जात

नहीं पूछता कोई


वैसे पूरे वैदिकी

सारे कर्मकांड अक्षत

दसों उंगलियों में

ग्रहशांति रत्न बहुमूल्य

तंत्र मंत्र टोटम

ताबीज यंत्र धागा

यज्ञ हवन सब होता है

विचार लेकिन प्रगतिशील

बच्चों के व्याह में

जात से ही होता तय

सबकुछ,दहेज भी अनिवार्य

गोत्र का ख्याल भी बहुत है


जाति अस्मिता से बाहर

कोई विमर्श नहीं है

न संवाद है कहीं

एकतफा फतवेबाजी है

अलग अलग खेमों में

भेड़ धंसान है

प्रवचन समय है यह

अंधभक्ति का प्रबल

पांचों इंद्रियां महज

भोग के लिए है

जिनका कोई

इस्तेमाल नहीं है दूसरा


जिन्हें औकात से बढ़कर

बेहिसाब मिला है

भय ती जंजीरों में

सबसे ज्यादा वे ही बंधे हैं

फिरभी खुजली से

मुक्त नहीं हो सके

और मौकारस्त

सुरक्षित मुद्दों को

उछालकर मसीहा

भी बने हुए हैं वही लोग

मजा यह है कि

अपने मुद्दे भूलकर

हमारे लोग

उन्हीं को सुन रहे हैं

उन्हीं को पढ़ रहे हैं

असली मुद्दों पर

बात करने की हिम्मत

न कामयाब लोगों में हैं

और न पीड़ितों में

सुनने पढ़ने की

कोई तहजीब है

तहजीब है भी तो

मुद्दे चुनने के हक

से भी वंचित है लोग

अपनो ंके ही फतवों

से उलझे हुए हैं सारे


एयर इंडिया 'स्टार अलायंस' में शामिल होगी

नई दिल्ली सिविल एविएशन कंपनी एयर इंडिया ग्लोबल इंटर एविएशन अलायंस 'स्टार अलायंस' में शामिल होने जा रही है। यह जानकारी शुक्रवार को एक सीनियर अधिकारी ने दी।


एयर इंडिया के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, ''एयर इंडिया का निलंबन खत्म कर दिया गया है और प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। स्टार अलायंस के बोर्ड ने शुक्रवार यह फैसला किया है।''


अलायंस में एयर इंडिया के प्रवेश की प्रक्रिया को फाइनैंशल, लेबर और सिक्यॉरिटी जैसे कई कारणों से 2011 में सस्पेंड कर दिया गया था।


चूंकि जवाब आया

नहीं हैं अभीतक

इसीलिए फिर वही

पुराने सवाल

जिनपर बोलने

लिखने से

कतरा रहे हैं

तमाम लोग


Vidya Bhushan Rawat

क्या भ्रस्टाचार के विरूद्ध कोई आंदोलन शरद पवार, नरेद्र मोदी , राजीव शुक्ला, जगन रेड्डी, जयललिथा, अरुण जैटली, मुकेश अम्बानी, आदित्य बिरला आदि महान हस्तियों के विरुद्ध भी होगा या केवल राजनीती करने के वास्ते कुछ विशेष लोगो को ही निशाना बनाता रहेगा।

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विद्यासागर जी, आपसे सहमत हूं। भारतीय भाषाओं में इतने कालजयी रचनाकार, पत्रकार, बुद्धिजीवी, रंगकर्मी, कलाकार व जन प्रतिबद्ध सामाजिक कार्यकर्ता हैं। एक गली में जितने कुत्ते मिलेंगे,उनसे कहीं ज्यादा रंग बिरंगे क्रांतिवीर के दर्शन हो जायेंगे।


फिरभी सवाल है कि सत्ता वर्ग के हितों की हिफाजत के लिए फर्जी मुद्दों को लेकर लोग इतना फंलागते क्यों हैं और सिरे से जनसरोकार के बुनियादी मुद्दे लापता क्यों हैं।इतने समर्थ लोगों की मेधा क्या नपुंसक हो गयी है जो कारपोरेट राज में अभिव्यक्ति का जोखिम कोई उठाना ही नहीं चाहता,विवेचनीय यह है।


आधार कार्ड कारपोरेट राज में जनसंहार और महाविध्वंस का ब्रह्मास्त्र है। अब हमारे पत्रकारों,रचनाकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आम जनता को कब कितनी बार इस सिलसिले में संबोधित किया है,बतायें। आम जनता को कारपोरेट नीति निर्धारण के बारे में कानोंकान सूचना महाविस्फोट,सोशल नेटवर्किंग और सूचना के अधिकार के बावजूद खबर नहीं होती।राजकाज के बहाने भारतीय लोक गणराज्य,भारतीय जन गण, भारतीय संविधान, कानून के राज और हर लोकतांत्रिक संस्थान के सफाये के मध्य जो एकाधिकारवादी जायनवादी कारपोरेट अश्वमेध अभियान जारी है,उसके रंग बिरंगे पुरोहित बनने में ही इहलोक परलोक सुधारने में लगे हैं अति सतर्क अति चेतस लोग।



अब सवाल है,

रिलायंस क्यों गैरकानूनी असंवैधानिक निराधार आधार के तहत हमारी बायोमेट्रिक तबाही पर तुला है?

सुबह जागते ही फेसबुक वाल पर यह विषय टांग दिया था,किसी लाइक वीर या शेयर शेर या क्रांतिध्वज ने अब तक कोई मंतव्य ही नहीं किया।


जबकि यह कोई भारतीय प्रशासनिक सेवा का प्रश्न नहीं है कि जवाब देने पर नियुक्ति की संभावना खत्म हो जाये।


यह भौतिकी और अंकगणित का कोई सवाल नहीं है,जिसे हल करने के लिए एढ़ी चोटी का जोर लगाना पड़े।


सीधा सा समाधान है त्रिकोणमिति या रेखागणितकी प्रमिति की तरह स्वयंसिद्ध।


भारत सरकार असल में चला कौन रहे हैं और भारत सरकार किसके हित के मुताबिक तलाये जाते हैं,विवेचना करें।


भारत का पेट्रोलियम मंत्रालय संभालने वाला आखिर किसके प्रति जवाबदेह है और किसकी मर्जी पर मंत्रालय में उनकी आवाजाही है?


ओएनजीसी जैसे सार्वजनिक क्षेत्र की नवरत्न कंपनी को चूना किसके हितों को साधने के लिए लगाया जा रहा है?


किसके हित साधने के लिए,किसके एकाधिकार के लिए सारी तेल कंपनियों का विनिवेश हो रहा है?


भारत का प्रधानमंत्रित्व के लिए जनादेश निर्माण में भारतीय जनगण के मतामत के बजाय किसका मत मंतव्य ज्यादा निर्णायक है?


रायसीना हिल्स से जनपथ और संसद तक दरअसल किसका साम्राज्य  है?


आधार योजना को नकद सब्सिडी से जोड़ने में आखिर किसके हित सधते हैं?


किसके हित में आखिर तेल और रसोई गैस की सब्सिडी खत्म  की जा रही है?


विनियंत्रित तेल बाजार से किसके शेयर सबसे उछाल पर हैं?


नंदन निलेकणि आखिर किसके हित में काम कर रहे हैं?


गैस की कीमतों में पहली अप्रैल से जो दोगुणा वृद्धि हो रही है,उसका लाभ आखिर किस कंपनी को मिलने वाला है?


नकद सब्सिडी या सब्सिडी खत्म या विनियंत्रित तेल बाजार से भारत का सबसे धनी कौन बना है?


और किसका आवास संप्रभु राष्ट्र बना हुआ है बाकी देश के लिए?


किनका कारोबार और मुनाफा कानून के दायरे से बाहर है?


सत्ता बदलते रहने पर भी किसका विकास अबाधित है?


आर्थिक मंदी का फायदा किसे सबसे ज्यादा हुआ है?


इन सवालों का जवाब पहले जान लें। बहुत कठिन भी नहीं हैं ये सवालात।


थोड़ा दिमाग लगाये और सोचें कि आधार कार्ड क्यों जरुरी है आपके लिए!


बंगाल विधान सभा में पारित सर्वदलीय प्रस्ताव पर राजनीति में सन्नाटा क्यों है?


मीडिया पर इस वक्त आखिर किसका राजकाज है?


मजीठिया पर खोमोश मीडिया क्यों बाकी सारे गैरजरुरी मुद्दों पर तूफान खड़ा किये हुए हैं


और स्टिंग एक्सक्लुसिव विशेषज्ञ की दक्ष कलाकार तमाम टीवी स्क्रीन पर और अखबारों के मुखपन्ने पर रंग बिरंगे सुनामी आयोजन में जुटे हैं


दिनरात सोशल मीडिया पर जो लोग स्टेटस अपडेट किये जा रहे हैं


वे सारे समर्थ बुद्दिमान मेधासंपन्न लोग क्यों खामोश हैं?


सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना के विरुद्ध नागरिक समाज की मोमबत्तियां कहां लापता हैं?


असंवैधानिक गैरकानूनी सीआईए नाटो की कारपोरेट जायनवादी जनसंहारी इस परियोजना को गौरवान्वित करने वाले लोग आखिर कौन हैं?


कौन लोग हैं वे जो रोजाना मुहिम चला कर आम जनता को बता रहे हैं कि आधार नंबर न हुआ तो सत्यानाश हो जायेगा जबकि भारत सरकार ने संसद में बता दिया है कि आधार नंबर अनिवार्य नहीं है और न आधार नंबर नागरिक सेवाओं से नत्थी है?


बिना संसदीय अनुमति के इंफोसिस और दूसरी आईटी कंपनियों के फायदे के लिए डिजिटलाइजेशन मुहिम के लिए हमारे समलैंगिक जनप्रतिनिधि क्यों खामोश हैं


बिना संसदीय अनुमति के आधार परियोजना पर निजी कंपनियों को जो लाखों करोड़ का न्यारा वारा हुा है,इस आर्थिक घोटाले पर क्यों कोई स्टिंग नहीं हो रहा है?


फिर नागरिकों की निजता और नागरिक अधिकारों,मौलिक अधिकारों को लेकर तूफान खड़ा कर देने वाले आधार बजरिये नाटो और सीआईए के गाइडेड मिसाइलों का निशाना बना देने वाले प्रत्येक भारतीय नागरिक के अस्त्तित्व को ही तहसनहस करने के इस महाआयोजन पर देश में रचनाधर्मित,कला क्षेत्र,मीडिया और राजनीति में अखंड सन्नाटा है?


मित्रों,आपकी मदद के लिए ये तमाम सहायक प्रश्न हैं जिनसे इस विषय पर आप बोल लिख सकते हैं।


इसके साथ आपकी मदद के लिए उपलब्ध सामग्री भी है।


सारे प्रश्न ऐच्छिक हैं।


आप अगर देश प्रेमी हैं,जनता के हक हकूक की हिफाजत में मोर्चाबंद हैं तो अवश्य जवाब दें।


मुक्त बाजार के उपभोक्ताओं और मुक्त बाजार को स्वर्ण युग बताने से न अघाने वालों,


छनछनाते विकास के प्रवक्ताओं,


और रंग बिरंगे मसीहा अवतार संप्रदायों के अंध भक्तों के लिए,


कारपोरेट राजनीति और धर्मांध

जायनवादी विध्वंसक राष्ट्रीयता की पैदल सेनाओं


के लिए भी ये सवाल हरगिज नहीं हैं।


अगर सुनामी, प्राकृतिक आपदाओं और डूब में बंदी हैं आप कहीं,


अगर अनंत वधस्थल में अपने आत्मीय जनों के वध से

खौलता हो आपका दिलोदिमाग,


अगर जलजंगल जमीन नागरिकता आजीविका से बेदखली का

हो रहा है आप पर असर,


अगर आपके युवा हाथ बेरोजगार है और भविष्य अंधकारमय है,


अगर आप महज स्त्री देह हैं

और आपके शोषण के लिए कहीं सजा है मुक्त बाजार,


अगर विनिवेश के तंत्र में ,


इंफ्रा के यंत्र में,


एफडीआई के  षड्यंत्र में


आपका अस्त्तित्व कहीं विपन्न है,


अगर आप मलाईदार संप्रदाय में नही ंहैं क हीं तो


आपके लिए ये प्रश्न अनिवार्य हैं।


हम इस पर आगे लिखेंगे आपके जवाब के बाद।


आपकी खामोशी से जाहिर हो रहा है कि रिलायंस के हित में या तो आपके भी हित निष्णात हैं


या रिलायंस के सर्वव्यापी सर्वज्ञ सर्वशक्तिमान देश में आप अपने वजूद और अपने विकास के लिए रिलायंस पर निर्भर हैं


या आप डरते हैं कि कहीं आप पर कहीं से गिरे नहीं गाज


या आप शाकाहारी शुतुरमुर्ग हैं और बालू में सर गढ़ाये आंधी के गुजर जाने का इंतजार कर रहे हैं


ऐसे लोगों के लिए ये सवाल यकीनन नहीं है।


जो देश बेचो अभियान के कारिंदे हैं,जैसे हमारे तमाम अर्थशास्त्री

या तमाम राजनेता


या जिनका कारोबार ही

कालाधन और विदेशी प्रवाह से चलता हो


आधार कार्ड से शॉपिंग कराना चाहती है सरकार, बैंक हुए नाराज

इकनॉमिक टाइम्स | Dec 12, 2013, 01.44PM IST


POS मशीनों और एटीएम को आधार से ट्रांजैक्शन लायक बनाया जाएगा।


सुगाता घोष, मुंबई

आरबीआई ने पिछले दिनों बैंकों से कहा कि बैंक 26 नवंबर के बाद जो भी एटीएम या पीओएस मशीन लगाएंगे, उसमें बायोमीट्रिक रीडर लगे होने चाहिए ताकि कंज्यूमर्स आधार कार्ड के जरिए भी वहां से ट्रांजैक्शन कर सकें। पेमेंट के लिए क्रेडिट या डेबिट कार्ड पीओएस मशीन में स्वाइप किया जाता है। अब बैंक इस कदम पर सरकार से तीखा विरोध जताने का मन बना रहे हैं।


माना जा रहा है कि सरकार एटीएम से पैसे निकालने, बैंक अकाउंट्स में सब्सिडी के डायरेक्ट ट्रांसफर और अपने फिंगर प्रिंट्स देकर खरीदारी में आधार कार्ड के इस्तेमाल की सहूलियत लोगों को देने के अपने महत्वाकांक्षी अजेंडा पर काम कर रही है और आरबीआई का निर्देश इसे देखते हुए जारी हुआ है। इसके लिए लोगों को अपने 12 अंकों वाले आधार नंबर को बैंक अकाउंट से लिंक कराना होगा।


बैंकों को यह बात बेतुकी लग रही है। एक सीनियर बैंकर ने कहा कि जब यही काम मौजूदा टेक्नॉलॉजी से हो सकता है तो नेटवर्क चेंज करने में हम करोड़ों रुपए क्यों खर्च करें। इंडियन बैंक्स असोसिएशन की पेमेंट्स कमिटी ने 3 दिसंबर को इस मामले पर चर्चा के लिए बैठक की थी। इस बैठक से निकले नतीजों की जानकारी आरबीआई को जल्द दी जाएगी।

कमिटी के एक मेंबर ने कहा कि आरबीआई ने कहा है कि बैंक चाहें तो ऐसे कार्ड जारी कर सकते हैं, जिनमें आधार वाले फीचर न हों, लेकिन पीओएस मशीनों और एटीएम को अनिवार्य रूप से ऐसा बनाना है कि आधार कार्ड से वहां ट्रांजैक्शन हो सके। अब अगर बैंक आधार की एक्सेप्टेंस वाले क्रेडिट या डेबिट कार्ड जारी न करें तो हम बायोमीट्रिक रीडर्स के जरिए लेनदेन कर सकने वाले थोड़े से ऐसे कस्टमर्स के लिए नए एटीएम और पीओएस मशीनें क्यों खरीदें।


ऐसा कम ही होता है कि बैंक आरबीआई के निर्देश न मानें। हालांकि इस बार उन्होंने ताजा निर्देश के पालन में आने वाली मुश्कलों की जानकारी बैंकिंग रेग्युलेटर को देने का मन बनाया है। पेमेंट्स कमिटी की बैठक का ब्यौरा अधिकतर बैंकों को भेजा गया है और असोसिएशन इस संबंध में आरबीआई को जल्द लेटर भेजेगी। कुछ बैंकों ने यह मसला हल होने तक नए एटीएम और पीओएस मशीनें नहीं लगाने का फैसला किया है।


जिन बैंकरों और सर्विस प्रोवाइडर्स से इकनॉमिक टाइम्स ने बात की, उन्होंने कहा कि इसके लिए समूचा नेटवर्क ही बदलना पड़ेगा। एक सर्विस प्रोवाइडर ने कहा कि क्रेडिट या डेबिट कार्ड के मैग्नेटिक स्वाइप का डेटा टेलीफोन लाइंस से ट्रांसमिट होता है। बायोमीट्रिक डेटा के लिए हाई स्पीड कनेक्शन चाहिए। इसके लिए बैंडविड्थ और कपैबिलटी बढ़ानी होगी। इसके अलावा बायोमीट्रिक मोड में रिस्पॉन्स टाइम और रिजेक्शन ज्यादा होंगे। इसके चलते ट्रांजैक्शन में ज्यादा वक्त लगेगा।




केजरीवाल से काफी उम्मीदें पर वोट निलेकणि को: नारायण मूर्ति

इकनॉमिक टाइम्स | Dec 12, 2013, 11.29AM IST


कार्तिक सुब्रमण्यम/ इंदु नंदकुमार, बेंगलुरु

इंफोसिस के चेयरमैन एन. आर. नारायण मूर्ति ने कहा है कि उनके पुराने साथी और कांग्रेस के नंदन निलेकणि को उनका पूरा सपोर्ट है और आम आदमी पार्टी (आप) के अरविंद केजरीवाल को भी वह बहुत पसंद करते हैं। इस साल जून में इंफोसिस के फिर से चेयरमैन बने मूर्ति ने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में पहली बार उतरी आप का प्रदर्शन 'शानदार उपलब्धि' है।


केजरीवाल की पार्टी ने दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों में से 28 पर जीत हासिल की है। मूर्ति ने इकनॉमिक टाइम्स से कहा कि अरविंद ने संभावनाओं की नई परिभाषा गढ़ी है। 67 साल के मूर्ति ने केजरीवाल के 'राइट टु इंफर्मेशन' अवॉर्ड्स इनिशिएटिव की आर्थिक मदद की थी। उन्होंने कहा कि आप ने दिखा दिया है कि बहुत ज्यादा पैसे के बगैर भी राजनीतिक पार्टी चुनाव जीत सकती है। उन्होंने कहा, 'मैं इस बात से खुश हूं कि बगैर ज्यादा पैसे, लेकिन नेक मकसद वाली पार्टी चुनाव जीती।'


राजनीतिक हलकों में इन दिनों चर्चा गर्म है कि निलेकणि बेंगलुरु साउथ संसदीय सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं। मूर्ति इसी एरिया में रहते हैं। 1981 में इंफोसिस को शुरू करने में मूर्ति के साथ निलेकणि भी शामिल थे। मूर्ति ने कहा कि अगर निलेकणि चुनाव लड़ते हैं, तो वह उनको वोट देंगे। मूर्ति ने कहा कि निलेकणि स्मार्ट हैं और उन्होंने यूनीक आईडी अथॉरिटी में अच्छा काम किया है। इसलिए वह उन्हें वोट देंगे।


मूर्ति ने इंफोसिस या सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री के बारे में सवालों का जवाब देने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि कंपनी जनवरी में दिसंबर क्वॉर्टर के रिजल्ट का ऐलान करेगी, जिसका 'साइलेंट पीरियड' शुरू हो चुका है। इसलिए वह कंपनी या इंडस्ट्री के बारे में कुछ नहीं कह सकते। दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी के बाद दूसरे नंबर पर रहकर आप ने एक्सपर्ट्स को हैरान कर दिया है। अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं।


आप आम चुनावों में क्या करती है, इसमें लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है। मूर्ति ने कहा कि लोकसभा चुनाव में वह आप के परफॉर्मेंस के बारे में कुछ नहीं कह सकते, क्योंकि दिल्ली में उसके प्रदर्शन से वह हैरान हैं। मूर्ति ने कहा, 'इसलिए मैं यह कहने की हिम्मत नहीं करूंगा कि राष्ट्रीय स्तर पर भी ऐसा संभव नहीं है।' इंफोसिस में लौटने के बाद मूर्ति ने कई बदलाव किए हैं। वह कंपनी को 2 साल बाद इंडस्ट्री में सबसे तेज ग्रोथ की राह पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। वॉल्यूम बढ़ाने में उन्हें कामयाबी मिली है और वह मार्जिन बढ़ाने के लिए कॉस्ट कम कर रहे हैं।


अब इसका क्या कीजै कि


कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को समर्थन की चिट्ठी दिल्ली के उपराज्यपाल को सौंप दी है। कांग्रेस के पास आठ विधायक हैं और आम आदमी पार्टी के पास 28 विधायक हैं। दोनों को मिलाकर 36 विधायक यानि बहुमत का आंकड़ा पूरा हो जाता है। कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को बिना शर्त समर्थन दिया है। कांग्रेस का कहना है कि वो आम आदमी पार्टी की सरकार में शामिल नहीं होगी। उसका समर्थन बाहर से होगा। अब आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल को शनिवार सुबह साढ़े 10 बजे उपराज्यपाल नजीब जंग से मिलने जाना है। सवाल ये है कि क्या आम आदमी पार्टी अब सरकार बनाने के लिए तैयार हो जाएगी। क्या उसे कांग्रेस का समर्थन स्वीकार होगा। या फिर कोई और रास्ता अख्तियार करेगी। फिलहाल पार्टी का कहना है कि वो सिद्धांतों पर अडिग है और अपने पत्ते उप-राज्यपाल से मुलाकात के बाद खोलेगी।


बड़ी जटिल स्थिति है, दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को बहुमत से आठ सीट कम यानी 28 सीटें दी हैं।


उप-राज्यपाल नजीब जंग ने बीजेपी के इंकार करने के बाद आम आदमी पार्टी को बातचीत का न्योता दिया। ऐसे में सवाल ये है कि अब क्या करेगी आम आदमी पार्टी उसका ऐलान है कि वो ना किसी से समर्थन लेगी, ना किसी को समर्थन देगी। लेकिन शुक्रवार को पार्टी के नेता कुमार विश्वास के एक बयान से ऐसा लगा कि वो कुछ विकल्पों पर विचार कर रही है।


कांग्रेस पहले ही आम आदमी पार्टी को बिना शर्त अपने आठ विधायकों के समर्थन का ऐलान कर चुकी है। ऐसे में 28 और 8 मिलाकर उसके पास बहुमत की 36 सीटें हो जाती हैं। सियासी हलकों में ये बात भी जोर-शोर से उठाई जाने लगी है कि अरविंद केजरीवाल को जनता ने वोट दिया है और अब वो अपने जिम्मेदारी से क्यों भाग रहे हैं। तो क्या कुमार विश्वास ने इसी दबाव के चलते विकल्पों का शिगूफा छोड़ा। शुक्रवार तकरीबन पौने एक बजे आम आदमी पार्टी के विधायक दल के नेता अरविंद केजरीवाल के पास उप-राज्यपाल नजीब जंग का पत्र पहुंचा।


चिट्ठी में उप-राज्यपाल ने शनिवार साढ़े दस बजे अरविंद केजरीवाल को मिलने के लिए बुलाया है। कुमार विश्वास के विकल्प वाले बयान के साए में उनके घर पर पाटच् दिग्गजों की बैठक शुरू हुई। बैठक में तय हुआ कि आम आदमी पार्टी ना तो कांग्रेस और ना ही बीजेपी से समर्थन लेगी। वो अपने पुराने रुख पर कायम रहेगी। हालांकि ये भी साफ किया कि वो अपने पत्ते राज्यपाल से मुलाकात के बाद ही खोलेगी।


सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध पर नरमी का संकेत देने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) ने अब कहा है कि उसके रुख में कोई बदलाव नहीं आया है दिल्ली में विधानसभा चुनाव के बाद । साफ-साफ कुछ भी कहने से इनकार करते हुए 'आप' के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि हमारे पास बहुमत नहीं है और हमें लेन-देन की राजनीति में विश्वास नहीं है। ऐसे में हमारी स्थिति पहले से ही स्पष्ट है।'


हालांकि, इससे पहले कुमार विश्वास ने कहा था कि हमें उप राज्यपाल से न्योता मिला है और स्थिति को देखते हुए सभी विकल्पों पर पुनर्विचार होगा। इसके बाद कयास लगाए जाने लगे थे कि शनिवार को उप राज्यपाल नजीब जंग से मुलाकात में 'आप' के नेता अरविंद केजरीवाल दिल्ली में सरकार बनाने के न्योते को स्वीकार कर सकते हैं।


अरविंद केजरीवाल के घर पर पार्टी नेताओं की चर्चा के बाद योगेंद्र यादव ने कहा, 'हमें उप राज्यपाल का न्योता मिला है, लेकिन हम अपने पुराने रुख पर कायम हैं। कल अरविंद केजरीवाल उप राज्यपाल से मिलेंगे और अपनी बात लिखित में देंगे।' उन्होंने इसके बाद मीडिया के सवालों का जवाब देने से इनकार करते हुए कहा कि उप राज्यपाल से मुलाकात के बाद मीडिया के सामने सारी बात रखी जाएगी।


सभी विकल्प खुले रखने का बयान देने के बाद कुमार विश्वास ने सफाई देते हुए कहा कि हम अभी भी बीजेपी और कांग्रेस से समर्थन लेने या देने के खिलाफ हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा था कि बिना कांग्रेस और बिना बीजेपी के 'आप' सरकार कैसे बनाएगी। संभावना जताई जा रही थी कि 'आप' अल्पमत सरकार बनाए और फ्लोर टेस्ट के लिए जाए। ऐसे में जैसा कि कांग्रेस कह रही थी, समर्थन या सदन में गैरमौजूद रहकर सरकार बचा सकती है। अल्पमत सरकार का फॉर्म्युला केंद्र सरकार में पहले लागू हो चुका है। कांग्रेस नेता नरसिम्हा राव ने इसी फॉर्म्युले के आधार पर केंद्र में सरकार बनाई थी और वह पूरे पांच साल तक चली थी।


राज्यसभा में लोकपाल बिल पेश, हंगामे की वजह से राज्यसभा स्थगित

नई दिल्ली : बहुचर्चित लोकपाल एवं लोकायुक्त विधेयक को आज सरकार ने राज्यसभा में चर्चा के लिए रख दिया लेकिन महंगाई के मुद्दे पर सपा के सदस्यों के हंगामे के कारण उच्च सदन में भोजनावकाश के पहले इस पर चर्चा शुरू नहीं हो सकी।


सभापति हामिद अंसारी ने लोकपाल विधेयक पर चर्चा के लिए सदन में दोपहर ढाई बजे से होने वाले गैर सरकारी कामकाज को स्थगित करने की घोषणा की। सपा नेता नरेश अग्रवाल ने व्यवस्था के सवाल के नाम पर गैर सरकारी कामकाज को स्थगित करने की सभापति की घोषणा का विरोध किया। हालांकि उपसभापति ने उनकी इस आपत्ति को नकार दिया।


सपा सदस्यों के महंगाई के मुद्दे तथा विभिन्न दलों के अन्य मुद्दों पर हंगामे के कारण आज भोजनावकाश से पहले सदन की बैठक दो बार स्थगित की गयी। एक बार के स्थगन के बाद दोपहर बारह बजे बैठक फिर शुरू होने पर प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी नारायणसामी ने लोकपाल एवं लोकायुक्त विधेयक को चर्चा के लिए सदन के पटल पर रखा।


उन्होंने जैसे ही इस विधेयक के बारे में बोलना शुरू किया, सपा सदस्यों ने महंगाई के मुद्दे पर आसन के समक्ष आकर नारेबाजी शुरू कर दी। हंगामे के कारण नारायणसामी की बात सुनी नहीं जा सकी। हंगामे के बीच ही भाजपा के उपनेता रविशंकर प्रसाद ने भी अपने स्थान से उठकर कुछ कहना चाहा लेकिन वह भी अपनी बात नहीं कह पाये। हंगामा थमते न देख उपसभापति ने बैठक को दोपहर ढाई बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। (एजेंसी)


करोड़ों का कर्ज लेकिन बेटी की शादी में 500 करोड़ उड़ाए

नवभारतटाइम्स.कॉम | Dec 13, 2013, 01.46PM IST


प्रमोद मित्तल की बेटी की शाही शादी।


नई दिल्ली

जाने-माने धनकुबेर और दुनिया भर में फेमस स्टील टाइकून प्रवासी भारतीय लक्ष्मीनिवास मित्तल के छोटे भाई प्रमोद मित्तल की बेटी की शादी में धन पानी की तरह बहाए गए। प्रमोद मित्तल भले धनकुबेर के छोटे भाई हैं लेकिन इन पर कई भारतीय बैंकों के करोड़ों रुपए कर्ज हैं। प्रमोद और इनके भाई विनोद मित्तल कॉर्पोरेट कर्ज रीस्ट्रक्चरिंग के सहारे खुद को बैंकों के लोन से बचाते रहे हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि इन्होंने डिफॉल्टर होने के बावजूद खबरों के मुताबिक बर्सिलोना में अपनी बेटी सृष्टि की शादी में 60 मिलियन यूरो (करीब 505 करोड़ रुपए) पानी की तरह बहाए।


स्पैनिश न्यूज पोर्टल के मुताबिक इन्वेस्टमेंट बैंकर गुलराज बहल और प्रमोद मित्तल की 26 साल की बेटी सृष्टि मित्तल की शादी दुनिया की पांच महंगी शादियों में से एक है। इस हाई प्रोफाइल शादी में शामिल म्यूनिसपैलटी के एक ऐंप्लॉयी के मुताबिक शादी के दौरान हुए सभी खर्चों को मिला दिया जाए तो करीब 60 यूरो मिलियन खर्च हुए होंगे। फोर्ब्स के मुताबिक इससे पहले अरब के शहजादे मोहम्मद बिन जाएद अल नाहयान और राजकुमारी सलमा ने 1981 में अपनी शादी पर 604 करोड़ खर्च किए थे। 2004 में लक्ष्मी मित्तल ने भी अपनी बेटी की शादी जब भारतीय अरबपति अमित भाटिया से की थी तो 46 मिलियन यूरो चंद दिनों में खर्च किए थे।


जब प्रमोद मित्तल बड़े डिफॉल्टर हैं ऐसे में अपनी बेटी की शादी में धन के अश्लील प्रदर्शन का क्या मतलब हो सकता है? 2010 के अंत में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने प्रमोद को इस्पात इंडस्ट्रीज के लिए 130 करोड़ का लोन दिया था। इस लोन का समायोजन 30 करोड़ में हुआ। ऐसे में बैंकों पर सवाल उठते हैं कि यदि प्रमोद ने पहले के ही लोन नहीं अदा किए हैं तो फ्रेश लोन क्यों दिए गए?


एसबीआई ने इस मामले में आरबीआई के नियमों का भी उल्लंघन किया है। जब इस मामले में मित्तल के इस्पात इंडस्ट्रीज और एसबीआई से कुछ पूछा जाता है तो वे चुप्पी साध लेते हैं। प्रमोद पर कई और बैंकों को करोड़ों बकाए हैं। इसमें आईसीआईसीआई से लेकर कई छोटे बैंक भी हैं। आईसीआईसीआई ने प्रमोद की कंपनी इस्पात इंडस्ट्रीज को जिंदल स्टील में मर्ज कराने की भी कोशिश की ताकि लोन की रकम निकाली जा सके।


बैंकों के 7.25 लाख करोड़ रुपए डूबे!

नवभारत टाइम्स | Dec 5, 2013, 10.12AM IST

नंदकिशोर भारतीय मुंबई: आम आदमी को कई औपचारिकताएं पूरी करने के बाद भी मामूली रकम का लोन मुश्किल से ही मिलता है और कुछ हजार रुपये का लोन न चुका पाने के कारण मजदूर और किसान आत्महत्या कर लेते हैं, लेकिन कॉर्पोरेट सेक्टर देश में 7.25 लाख करोड़ रुपये का लोन चुका नहीं रहा और उसमें से एक बड़ा हिस्सा न चुकाकर हजम कर गया है। सरकार यह जांच तक नहीं कर रही कि इसके लिए कौन दोषी है।


महाराष्ट्र स्टेट बैंक एंप्लॉयीज फेडरेशन (MSBEF) के महासचिव विश्वास उत्गी के अनुसार, इतने सारे लोन का न चुकाने का कारण बैंक के टॉप ऑफिसर्स, कॉर्पोरेट सेक्टर और पॉलिटिशंस का इस गोरखधंधे में शामिल होना है। उन्होंने इस कार्टेल की जांच कराने और दोषियों को सजा देने की मांग की है। इसके लिए देशभर में गुरुवार को 'ऑल इंडिया डे' मनाने की घोषणा की गई है।

फेडरेशन का कहना है कि सरकार को नए बैंक लाइसेंस जारी नहीं करने चाहिए, क्योंकि इनमें से अधिकांश के आवेदन इन्हीं डिफाल्टरों ने किए हैं। फेडरेशन ने इस मामले में उन 5000 बॉरोअर्स की जानकारी छापी है, जिन्होंने 1 करोड़ रुपये से ऊपर का लोन नहीं चुकाया है।


फेडरेशन का कहना है कि सरकार को नए बैंक लाइसेंस जारी नहीं करने चाहिए। क्योंकि, इनमें से अधिकांश के आवेदन इन्हीं डिफॉल्टरों ने किए हैं। फेडरेशन ने इस मामले में उन 5000 बॉरोअर्स की जानकारी छापी है, जिन्होंने 1 करोड़ रुपए से ऊपर का लोन नहीं चुकाया है।


क्या हो रही हैं कोशिशें?


बैड लोंस की रिकवरी के लिए मिलकर कोशिशें की जा रही हैं। रेग्युलेटर, पॉलिसी मेकर्स, बैंक और बॉरोअर्स को एक साथ काम करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। लोन प्रपोजलों की सख्ती से जांच की जा रही है, ताकि उनकी वसूली हो सके। उनका इवैल्युएशन एक्सपर्ट्स करते हैं। सभी स्तर पर अकाउंटेबिलिटी तय की जा रही है। -के.सी. चक्रवर्ती, डेप्युटी गवर्नर, भारतीय रिजर्व बैंक


बैंक बढ़ते हुए एनपीए से काफी चिंतित हैं। इसकी वसूली के लिए वे भरसक प्रयास कर रहे हैं। लेकिन हर बैंक के लिए एनपीए की समस्या अलग-अलग है और इसके लिए उपाय भी अलग हैं। डिफॉल्टरों के फोटो पब्लिश कराने का कदम काफी कारगर हो रहा है। हालांकि बॉरोअर्स ने इसका काफी विरोध किया। -के.आर. कामथ, सीएमडी, पंजाब नैशनल बैंक


NPA अब बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपए

मुंबई प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विश्वास उत्गी ने बताया कि बैंकों द्वारा अनेक उपाय करने के बावजूद डूबते कर्जों (NPA) का साइज बढ़ा है। 2008 में NPA केवल 39,000 करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपये हो गया है। उनका कहना था कि लोन या डेट रिस्ट्रक्चरिंग भी एक तरह से एनपीए ही है।


उसे भी जोड़कर यह रकम 5.25 लाख करोड़ रुपये हो जाती है। रिस्ट्रक्चरिंग में बॉरोअर को ब्याज की अदायगी से पूरी छूट या रियायत, लोन चुकाने की मोहलत में छूट दी जाती है और कई बार कर्ज की मूल रकम को ही कम कर दिया जाता है। यह हाल केवल सरकारी बैंकों का है।


विदेशी बैंक, सहकारी और प्राइवेट बैंक भी करतूत में पीछे नहीं है। इसमें उनका हिस्सा करीब 2.50 लाख करोड़ रुपये का है। इस तरह कुल 7.25,000 करोड़ रुपये एनपीए है।


बढ़ती महंगाई के लिए राज्य सरकारें जिम्मेदारः चिदंबरम

चिदंबरम ने कहा, महंगाई के लिए राज्य सरकारें जिम्मेदार।


इकनॉमिक टाइम्स | Dec 12, 2013, 12.56PM IST

ईटी ब्यूरो, नई दिल्ली फाइनैंस मिनिस्टर पी. चिदंबरम ने अब बढ़ते इन्फ्लेशन के लिए राज्य सरकारों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों ने महंगाई को काबू में करने के लिए कदम नहीं उठाए। चिदंबरम का कहना था कि राजनीतिक अवसरवाद की वजह से केंद्र सरकार रिफॉर्म अजेंडे पर आगे नहीं बढ़ पाई। आसमान छूती कीमतों के कारण कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को हालिया विधानसभा चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा है।


साथ ही, अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले चीजें दुरुस्त करने के लिए भी सरकार के पास काफी कम वक्त बचा है। चिदंबरम ने कहा कि राज्य सरकारों ने मुनाफाखोरों और जमाखोरों पर सख्त कार्रवाई नहीं की, जिससे महंगाई पर काबू पाना मुश्किल हो गया। उन्होंने बताया, 'मुझे लगता है कि इस मामले में राज्य सरकारों की ढिलाई के बारे में बताना जरूरी है। साथ ही केंद्र सरकार को महंगाई रोकने के लिए अपने अधिकारों के भीतर हरसंभव कदम उठाने पड़ेंगे। यह बात सबको पता है कि मौजूदा सरकार को ऊंची महंगाई दर की कीमत चुकानी पड़ेगी।'


अक्टूबर में कंज्यूमर प्राइस इन्फ्लेशन 10.09 फीसदी रहा, जबकि होलसेल इन्फ्लेशन 8 महीने के हाई लेवल यानी 7 फीसदी पर पहुंच गया। प्याज समेत तमाम सब्जियों की कीमत में तेजी के कारण अक्टूबर में फूड इन्फ्लेशन बढ़कर 12.56 फीसदी पर पहुंच गया। हालांकि, फाइनैंस मिनिस्टर ने इन्फ्लेशन को रोकने के लिए अनाजों के सपोर्ट प्राइस या यूपीए की फ्लैगशिप ग्रामीण रोजगार स्कीमों में कमी से इनकार किया।


उन्होंने कहा कि इन चीजों में कटौती करना सही नहीं है। फाइनैंस मिनिस्टर ने कहा कि महंगाई रोकने के लिए सरकार हरसंभव कोशिश करेगी। उनके मुताबिक, फूड प्राइस को काबू में करने में आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कारगर नहीं है। चिदंबरम का कहना था कि सरकार फिस्कल कंसॉलिडेशन से पीछे नहीं हट सकती। उन्होंने कहा, 'फिस्कल कंसॉलिडेशन मामले में कोई समझौता नहीं किया जाएगा। जब तक हम फाइनैंशल ईयर 2016-17 में 3 फीसदी फिस्कल डेफिसिट (जीडीपी का) के टारगेट पर पहुंच नहीं जाते, तब तक हर साल इसमें धीरे-धीरे कटौती करेंगे।'


उन्होंने कहा कि राजनीतिक अवसरवादिता के कारण फाइनैंशल सेक्टर रिफॉर्म को गहरा झटका लगा है। इस वजह से गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स, डायरेक्ट टैक्स कोड, इंश्योरेंस लॉज संशोधन बिल और यूनिफॉर्म फाइनैंशल कोड जैसे बिल अटके पड़े हैं। उन्होंने कहा, 'इन सब मामलों में आम सहमति बनाने की जरूरत है। मेरा अनुभव रहा है कि कई महीने की कड़ी मेहनत के बाद सहमति बनती है और राजनीतिक अवसरवादिता का मामला सामने आता ही यह सहमति खत्म हो जाती है।' फाइनैंस मिनिस्टर ने कहा कि अगले 5 साल के लिए तेज और इनक्लूसिव ग्रोथ का अजेंडा बना रहेगा। उनके मुताबिक, इस स्ट्रैटिजी से देश में गरीबों की संख्या कम करने में काफी मदद मिली।


Sundeep Nayyar via जनचेतना Janchetna

क्यों माओवाद?

janchetnabooks.org

माओवाद संज्ञा पर विचार का प्रश्न मूलतः इस बिन्दु पर विचार का प्रश्न है कि माओ के मार्गदर्शन व नेतृत्व में सर्वहारा क्रान्ति का जो अग्रतम मील का पत्थर महान सर्वहारा सांस्कृतिक क्रान्ति के रूप में क़ायम हुआ, क्या उसकी शिक्षाओं को नकारकर भी कोई पार्टी समाजवादी क्रान्ति को आगे बढ़ा सकती है और पूँजीवादी प...

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Bharatmuktimorcha Bhiwandi shared Rajesh Rathi Hisar's photo.

टॉयलेट क्लीनर पेप्सी और कोका-कोला विक्रेता, बूस्ट विक्रेता, एडीडस जूते विक्रेता, Fiat Palio विक्रेता, Canon कैमरा विक्रेता, Reynolds पेन विक्रेता, Toshiba के उत्पाद विक्रेता और कोलगेट विक्रेता को खान्ग्रेस ने "भारतरत्न" से सम्मानित करने का फैसला किया है ... कहीं यह देश के सर्वोच्च पुरष्कार का बाजारीकरण तो नही है जो इस कॉर्पोरेटरत्न / विज्ञापनरत्न को ये दिया जा रहा है ??????????????? सचिन द्वारा विदेशी कंपनियों का विज्ञापन करने की वजह से करोड़ो हातों से रोजगार छिन गया और वे भिखारी हो गए | इसकी वजह से स्वदेशी शरबत, फलो का रस, जूते चप्पल, कपड़े, खाद्य पदार्थ आदि बनाने वाले गृह उद्योग नष्ट हो गए | इसके विज्ञापनों से युवाओं में स्वदेशी प्रेम नष्ट हो गया और वे इसको देख कर विदेशी वस्तुओं का उपभोग करने वाले काले अंग्रेज बन गए |

Himanshu Kumar

आज सोनी सोरी और लिंगा कोडोपी की ज़मानत याचिका पर सुनवाई का दिन था . सोनी सोरी और लिंगा कोडोपी स्वयम सर्वोच्च न्यायालय पहुंचे थे .


सुनवाई परसों यानि बृहस्पतिवार तक के लिए बढ़ा दी गयी है . लिंगा कोडोपी और सोनी सोरी की अंतरिम ज़मानत इस सुनवाई के दौरान स्वयम आगे बढ़ती जायेगी .


ज़मानत की इस याचिका पर अंतिम फैसला आने के बाद इन्हें विधिवत ज़मानत प्राप्त हो जायेगी जिसके बाद सोनी सोरी और लिंगा कोडोपी छत्तीसगढ़ जाने के लिए स्वतंत्र होंगे .


सोनी सोरी और लिंगा कोडोपी अपने अधिवक्ता प्रशांत भूषण के साथ .

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Dalits Media Watch

News Updates 13.12.13

Manifesto: Rahul Gandhi to meet Dalit organisations, NGOs for Lok Sabha elections-Daily Bhaskar

http://daily.bhaskar.com/article/DEL-manifesto-rahul-gandhi-to-meet-dalit-organisations-ngos-for-lok-sabha-elections-4462782-NOR.html

Industry steps to employ SC/ST candidates- Daiji World

http://www.daijiworld.com/news/news_disp.asp?n_id=206788

Two persons arrested- The Hindu

http://www.thehindu.com/todays-paper/tp-national/tp-tamilnadu/two-persons-arrested/article5454262.ece

Mandela likened to Ambedkar- The Hindu

http://www.thehindu.com/todays-paper/tp-national/tp-karnataka/mandela-likened-to-ambedkar/article5450000.ece

Daily Bhaskar

Manifesto: Rahul Gandhi to meet Dalit organisations, NGOs for Lok Sabha elections

http://daily.bhaskar.com/article/DEL-manifesto-rahul-gandhi-to-meet-dalit-organisations-ngos-for-lok-sabha-elections-4462782-NOR.html

New Delhi:  With a motive to ncorporate the aspirations of Dalits in the Congress manifesto for next general elections, Rahul Gandhi is going to meet representatives of over 100 Scheduled Caste organisations and NGOs from all over the country here on Friday.

"The entire exercise is to get an insight of what should go into our manifesto from people who are really working at the grassroot level. There are representatives from more than 100 organisations," Chairman of AICC SC department K Raju said.

Gandhi is seeking to reach out to diverse sections of the society to incorporate their views and demands in the party's manifesto for the Lok Sabha polls.

The party's manifesto website says, "We invite every citizen of India to give us your ideas and suggestions for the 2014 Lok Sabha Election Manifesto of the Congress Party. The Congress is the first party to open up its national manifesto building process to the general public.

It also assures people that all the ideas and suggestions provided will be presented to the national leadership of Congress and duly considered for inclusion in the manifesto and it is their voice that will build the poll document.

In the second meeting of Congress' manifesto committee, headed by Union Minister A K Antony in October, Gandhi had told the leaders that suggestions from the people should be incorporated and there is a need to look at the issues seriously.

(With inputs from PTI)

Daiji World

Industry steps to employ SC/ST candidates

http://www.daijiworld.com/news/news_disp.asp?n_id=206788

New Delhi, Dec 12 (IANS): Industry bodies have taken a slew of steps to provide Scheduled Caste (SC) and Scheduled Tribe (ST) candidates job opportunities in the private sector, the Rajya Sabha was informedThursday.

The steps taken by the Confederation of Indian Industries (CII) include setting up an affirmative action council which has identified employability, entrepreneurship, education and employment as its core areas of work, Minister of State for Social Justice and Empowerment Manikrao Hodlya Gavit said in a written reply.

The CII has also trained 1,26,032 candidates from Scheduled Castes and Scheduled Tribes in various vocational skills and begun midday meal programmes for them in backward districts of the country.

The Associated Chamber of Commerce and Industries has imparted skill upgradation training to 1,519 SC, ST students and provided 100 scholarships to them for studying in premier institutions.

The government had set up a coordination committee under the chairmanship of the principal secretary to the prime minister in 2006 to carry forward the dialogue with industry on affirmative action, including reservation for SC/STs in the private sector, the minister said.

The coordination committee is serviced by the department of industrial policy and promotion. It has been holding meetings with the chambers from time to time.

The Hindu

Two persons arrested

http://www.thehindu.com/todays-paper/tp-national/tp-tamilnadu/two-persons-arrested/article5454262.ece

The Coimbatore District Rural Police have booked four persons under the Scheduled Castes and Scheduled Tribes Prevention of Atrocities (POA) Act, 1989.

According to the police, Murugan (40), who belongs to a Scheduled Caste community, was allegedly abused by Nagamani, Vinoth Kumar (23), A. Palanisamy (50) and P. Ponnusamy (24), on Tuesday at a tea shop.

The Annur Police invoked Sections 294 (b) (uttering obscene words, in public places) and 323 (voluntarily causing hurt) of the Indian Penal Code read with Section 3 (1)(X) of the SC/ST Act against them.

Vinoth Kumar and Ponnusamy were arrested.

The Hindu

Mandela likened to Ambedkar

http://www.thehindu.com/todays-paper/tp-national/tp-karnataka/mandela-likened-to-ambedkar/article5450000.ece

Likening Nelson Mandela to Ambedkar, Social Welfare Minister H. Anjaneya has said that they should both be seen as role models for bringing about social justice.

If one fought against racial discrimination, the other battled against caste oppression he said, at a condolence meeting for Nelson Mandela organised by the Social Welfare Department, Dalit organisations and the Gandhi Bhavan here on Wednesday.

While the South African anti-apartheid icon was a "fighter", and spent 27 years in prison, he also realised that it wasn't the struggle alone, but the ability to negotiate, that won the war. Mandela symbolises both struggle and reconciliation, Mr. Anjaneya said.

India needs "a second freedom movement" to fight against inequalities in several forms, he said. The Karnataka Scheduled Castes Sub-Plan and Tribal Sub-Plan (Planning, allocation and utilisation of Financial Resources) Bill 2013 was a "great opportunity" to address some of these inequalities, he added.

Chairman of Gandhi Bhavan H. Srinivasaiah said that Mandela came out a "Gandhian" after 27 years of imprisonment. "He saw Gandhi as the father of the nation and also as a world leader."

Chief Minister Siddaramaiah paid his tribute.

News Monitor by Girish Pant


.Arun Khote

On behalf of

Dalits Media Watch Team

(An initiative of "Peoples Media Advocacy & Resource Centre-PMARC")


Pl visit on FACEBOOK : https://www.facebook.com/DalitsMediaWatch

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Peoples Media Advocacy & Resource Centre- PMARC has been initiated with the support from group of senior journalists, social activists, academics and  intellectuals from Dalit and civil society to advocate and facilitate Dalits issues in the mainstream media. To create proper & adequate space with the Dalit perspective in the mainstream media national/ International on Dalit issues is primary objective of the PMARC.



Global Day of Rage: NO GOING BACK!


Sunday 15th December | 3 pm onwards | Jantar Mantar, New Delhi

For all events please click herehttp://orinam.net/377/377-events/

On December 11th, 2013, The Supreme Court of India reinstated the Criminality of Homosexuality in India. This Judgment has inspired anger across different sections of society around the world. While the legal battle continues, it is important that we make our voices heard. Loud and Clear.


This Judgment is not about any one community in any one country but about the hegemonic structures that oppress many across the world. It is a blow to the various other LGBTIQ communities across the world who might have ...taken strength from the Indian story to challenge laws/social norms/prejudices that criminalise homosexuality in their own countries. It is time we begin to heal this lasting scar of colonialism. It is time we are given the space and freedom to pursue the work of fundamental social change which is made impossible with a law such as Sec. 377 of the Indian Penal Code choking us.


Gather your friends, lovers and anyone else who is enraged by this injustice. Make your voices heard.

Events are happening in many cities across the world! Organise one in yours or join one that is happening!

For more details:

Global Day of Rage, Delhi: www.facebook.com/events/168797849996585

Global Day of Rage, World-wide: www.facebook.com/events/168797849996585


Two -day National Consultation

on " Agrarian  Reforms And Land Rights"

December 16-17, New Delhi

Land rights and agrarian reform are two fundamental issues that have been at the centre of peoples' struggles working for safeguarding peoples' livelihood and self-governance over livelihood resources. The concept of access and ownership of people over natural resources has been fundamentally and constitutionally challenged under the neo-liberal trend by replacing the notion of 'common goods' such as land and other natural resources fauna, flora, water, air into 'private goods'. Important to mention that conversion of a virtuous source as 'land' into freely tradable commodity is not only against nature but also against natural justice and natural rights of the toiling people and specially of the landless and poor cultivator peasants and primary producers. Further, it has also negatively affect the labour rights of the labour force engaged in the agrarian sector. This has not only negated peoples' natural and inalienable rights over natural resources but also increased the concerns over critical agrarian issues and precisely on the issue of self reliance on food sovereignty. The process of mass-conversion of agricultural land for non-agricultural purposes and massive land acquisition for PPPs under speedy national investment board is one such example of states' responses to the issue. There is also a new Act which facilitates the corporate to control the natural resources even after the years of struggles to repeal the Land Acquisition Act 1894. While there has been a clear negation of demands by various peoples' movements struggling at various fronts and even parliamentary standing committee recommendations probing a more vetoed power under the concept of eminent domain.

Furthermore, there has been obvious change in the 'rationale of production' in agrarian sector that has also determined the land use policy, alienating 'commons' from the 'right to grow' and converting them in a form of producers for  markets as modeled under neo-liberal policies.

Therefore, a concrete and collective addressal of land rights and agrarian reform is important to emphasis the rights of 'commons' on natural resources and 'rationale of rights of primary produces'.

Under this background, we invite you to a two-day national consultation 16-17th Dec. 2013 on 'Land Rights and Agrarian reform' to share and discuss the thoughts, understandings and strategize for the way ahead on the issue. Details of the two-day consultation are as given below:

Date & venue of the consultation:

16th Dec at Constitution Club; Rafi Marg, New Delhi

Time: 9:30 am to 6:00 pm

17th Dec at Indian Social Institute (ISI); Lodi Road, New Delhi

Time: 9:30 am to 6:00 pm

Looking forward to your participation & support!

Pl find the attached concept note.

Organized by:

National Alliance of People's Movement (NAPM), Society for Rural Urban and Tribal Initiative (SRUTI), Delhi Solidarity Group, INSAF and All India Union of Forest Working People (AIUFWP)


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