Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti basu is DEAD

Jyoti Basu: The pragmatist

Dr.B.R. Ambedkar

Memories of Another Day

Memories of Another Day
While my Parents Pulin Babu and basanti Devi were living

"The Day India Burned"--A Documentary On Partition Part-1/9

Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Sunday, June 28, 2015

अनैतिकता के खेल में नैतिकता की खोज करना ही गलत

अनैतिकता के खेल में नैतिकता की खोज करना ही गलत
-------------------------------------------------------------------
इंडियन प्रीमियर लीग के अध्यक्ष/कमिश्नर, चैंपियंस लीग के अध्यक्ष,
बीसीसीआई के उपाध्यक्ष, पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष, मोदी
इंटरप्राइज़ेज़ के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक और गॉडफ्रे फिलिप्स इंडिया
के कार्यकारी निदेशक के रूप में दुनिया भर में अपनी योग्यता का झंडा गाड़
चुके ललित कुमार मोदी आज कल फिर न सिर्फ चर्चाओं में हैं, बल्कि भारत
सरकार के लिए बेवजह मुसीबत बने हुए हैं। विवाद की जड़ में क्रिकेट है,
इसलिए बात पहले क्रिकेट की ही करते हैं। क्रिकेट का विस्तार सट्टेबाजों
ने ही किया है। क्रिकेट का खेल अनैतिकता की गोद में ही फला-फूला है,
इसलिए क्रिकेट से जुड़े लोगों से नैतिकता की कल्पना भी नहीं करनी चाहिए।
अब बात करते हैं क्रिकेट संघों की, तो क्रिकेट संघ भी भारत सरकार के अंग
नहीं हैं। क्रिकेट का खेल धन का बहुत बड़ा स्रोत बन गया है। क्रिकेट धन का
स्रोत बना रहे, इसलिए आयोजकों ने क्रिकेट को राष्ट्रवाद से जोड़ दिया है,
जिससे आम आदमी को लगता है कि क्रिकेट देश का खेल है, जबकि खेल व प्रबंधन
में भारत सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है। जब क्रिकेट का भारत सरकार से
संबंध ही नहीं है, तो क्रिकेट से जुड़े संघों में हुईं घटनाओं को लेकर
भारत सरकार को कठघरे में कैसे खड़ा किया जा सकता है?
अब बात ललित कुमार मोदी की करते हैं। आम जनता के बीच हाल-फिलहाल ललित
कुमार मोदी कुख्यात नजर आ रहे हैं, पर वे बेहद लोकप्रिय भी रहे हैं।
दिल्ली के एक धनाढ्य मारवाड़ी कृष्ण कुमार मोदी के बेटे हैं एवं मोदीनगर
बसाने वाले राज बहादुर मोदी के पौत्र हैं। ललित कुमार मोदी ने नैनीताल के
प्रतिष्ठित सेंट जोसेफ कॉलेज में अध्ययन किया है और उन्होंने संयुक्त
राज्य के ड्यूक विश्वविद्यालय से मार्केटिंग में स्नातक की डिग्री हासिल
की है।
बीसीसीआई को देश की सर्वाधिक उन्नतिशील कंपनी बनाने के लिए ललित कुमार
मोदी को वर्ष- 2008 में "द बिज़नेस स्टैण्डर्ड अवार्ड" से पुरस्कृत किया
जा चुका है, इसी वर्ष उन्हें एशिया ब्रांड कांफ्रेंस द्वारा "ब्रांड
बिल्डर ऑफ़ द इयर" पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष- 2008 में ही
उन्हें सीएनबीसी आवाज़ द्वारा "द कंज्यूमर अवार्ड फॉर ट्रान्सफॉर्मिंग
क्रिकेट इन इंडिया" पुरस्कार से सम्मानित किया गया, इसी वर्ष उन्हें
एनडीटीवी प्रॉफिट द्वारा "द मोस्ट इनोवेटिव बिज़नेस लीडर इन इंडिया" के
रूप में सम्मानित किया गया, इसी वर्ष उन्हें फ्रोस्ट एंड सुलिवान ग्रोथ
एक्सेलेंस अवार्ड्स फॉर "एक्सेलेन्स इन इनोवेशन" से सम्मानित किया गया,
इसी वर्ष उन्हें "टीचर्स अचीवमेंट ऑफ़ द इयर अवार्ड" से सम्मानित किया
गया, इसी वर्ष उन्हें "स्पोर्ट्स बिज़नेस-रशमैन्स अवार्ड फॉर स्पोर्टस
ईवेन्ट ईनोवेशन" पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष- 2009 में उन्हें
"सीएनबीसी बिज़नेस लीडर" पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा
इंडिया टुडे पत्रिका भारत के बीस सबसे शक्तिशाली लोगों में सूचीबद्ध कर
चुकी है। प्रमुख खेल पत्रिका स्पोर्ट्स प्रो खेल से जुड़े शक्तिशाली
लोगों की सूची में ललित कुमार मोदी को 17 नंबर पर रख चुकी है। टाइम
मैगजीन दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खेल कार्यकारी अधिकारियों की सूची में 16
नंबर पर रख चुकी है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पत्रिका बिज़नेस वीक ललित
कुमार मोदी को विश्व के 25 सबसे शक्तिशाली लोगों में 19 नंबर पर स्थान दे
चुकी है। भारत की अग्रणी बिज़नेस पत्रिका बिज़नेस टुडे अपने कवर पेज पर
स्थान दे चुकी है। डीएनए अखबार भारत के 50 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची
में उन्हें 17 नंबर पर रख चुका है।
इसके अलावा ललित कुमार मोदी आईपीएल- 2 में पाकिस्तानी क्रिकेटरों के
खेलने पर प्रतिबंध लगाने के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अपराधियों के
निशाने पर भी आ गये थे। छोटा शकील के शूटर रशीद को गिरफ्तार किया गया था,
जिसने खुलासा किया कि ललित कुमार मोदी,  उनकी पत्नी मीनल और बेटे रूचिर
की हत्या करने की योजना थी। छोटा शकील और दाऊद इब्राहिम के बीच फोन पर
हुई बातचीत में भी खुलासा हुआ था कि ललित कुमार मोदी और उनके परिवार की
हत्या भारत, या दक्षिण अफ्रीका कर दी जाये।
बात अब ललित कुमार मोदी के मैनेजमेंट की करते हैं, तो उन्हें एक समय पैसा
बनाने की मशीन कहा जाने लगा था। उन्होंने चार साल के लिए सहारा ग्रुप से
टीम स्पॉन्सरशिप डील की, जिससे 103 मिलियन डॉलर रूपये का लाभ हुआ। चार
वर्ष के लिए नाइक के साथ टीम भारत के लिए टीम के परिधान के प्रायोजन का
सौदा किया, जिससे 53 करोड़ डॉलर का लाभ हुआ। चार वर्ष के लिए निम्बस के
साथ मीडिया अधिकार का सौदा किया, जिससे 612 मिलियन डॉलर का लाभ हुआ। चार
वर्षों के लिए ज़ी के साथ विदेशों में मीडिया अधिकार देने का सौदा किया,
जिससे 219 मिलियन डॉलर का लाभ हुआ। डब्ल्यूएसजी के साथ बीसीसीआई के
प्रायोजन का सौदा किया, जिससे 46 मिलियन डॉलर का लाभ हुआ। सोनी के साथ
आईपीएल के मीडिया अधिकार का करार किया, जिससे 1.26 अरब डॉलर का लाभ हुआ।
विभिन्न दलों के साथ आईपीएल की टीमों की सेल करने से 723.6 मिलियन डॉलर
का लाभ हुआ। वेब मीडिया अधिकार बेचने से 50 मिलियन डॉलर का लाभ हुआ।
आईपीएल टाइटल प्रायोजन और ग्राउंड प्रायोजकों से 220 मिलियन डॉलर का लाभ
लिया। आईपीएल के मीडिया अधिकार को लेकर सोनी, डब्ल्यूएसजी से पुनः समझौता
किया, जिससे लगभग दो अरब डॉलर का लाभ हुआ। कुल मिला कर अपने दिमाग के
सहारे ललित कुमार मोदी स्वयं लोकप्रियता के शिखर पर जाकर बैठ गये, साथ ही
आईपीएल की शुरुआत कर क्रिकेट को भी ग्लैमर का शहंशाह बना दिया और जमकर
पैसा कमाया, ऐसी जगह धन की गड़बड़ी होना स्वाभाविक ही है।
ललित कुमार मोदी पर आईपीएल संचालन में धन की गड़बड़ी का आरोप लगा है।
उन्होंने कोच्चि और पुणे की टीमों की नीलामी के दौरान नियमों का पालन
नहीं किया, जिसको लेकर ईडी ने उन पर दो केस दर्ज कर रखे हैं। पहले मॉरीशस
की कंपनी वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप को आईपीएल ने सवा चार सौ करोड़ का ठेका
दिया था। बाद में यही ठेका वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप से एमएसएम कंपनी को
ट्रांसफर किया गया। आरोप है कि इसी में ललित मोदी ने 125 करोड़ रुपये
कमीशन लिए और दूसरा आरोप है कि वर्ष- 2009 में दक्षिण अफ्रीका में हुए
आईपीएल के पेमेंट में गड़बड़ी की, जिसके बाद वर्ष- 2010 में आईपीएल के
बाद ललित कुमार मोदी को आईपीएल कमिश्नर के पद से और बीसीसीआई से निलंबित
कर दिया गया, तभी से वे लंदन में रह रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने मोदी
के विरुद्ध ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी कर रखा है, इसके बाद सब कुछ शांत सा
हो गया, इससे स्पष्ट है कि मुख्य लड़ाई क्रिकेट के संघों पर कब्जे को लेकर
थी।
असलियत में क्रिकेट के खेल में अपार धन के चलते राजनेताओं, अभिनेताओं और
अपराधियों का प्रभावशाली दखल है। सबके अपने-अपने चहेते हैं, जिन्हें वे
शीर्ष पर बैठाना चाहते हैं। कुछ लोग स्वयं बैठने के लिए राजनेताओं और
अपराधियों का सहारा लेते हैं। यूपीए के शासन में दूसरा गुट प्रभावशाली
हुआ, तो ललित कुमार मोदी पर गड़बड़ी सिद्ध कर उन्हें देश से बाहर खदेड़ने
में विरोधी गुट कामयाब हो गया। भारत में हुए राजनैतिक परिवर्तन के बाद
इंग्लैंड में बैठे ललित कुमार मोदी पुनः सक्रीय हुए, तो विरोधी गुट ने
इंग्लैंड के अखबार में सुषमा स्वराज से संबंधित खबर प्रकाशित करा दी,
ताकि भाजपा सरकार ललित कुमार मोदी से न सिर्फ दूर हट जाये, बल्कि एक बड़ी
कार्रवाई कर के ललित कुमार मोदी का भविष्य पूरी तरह बर्बाद कर दे। कुल
मिला कर समूचे विवाद के पीछे क्रिकेट संघों पर काबिज पदाधिकारियों और
बुकी का शातिर दिमाग ही है, जो मीडिया का सहारा लेकर राजनेताओं और सरकार
पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहा है। हालांकि अनैतिक कार्य राजनेताओं और
सरकार की मदद के बिना कर पाना संभव ही नहीं हैं, उतने संबंध ललित कुमार
मोदी के भी यूपीए सरकार में रहे, तभी आसानी से इंग्लैंड जा बसे, लेकिन
यूपीए सरकार में वे प्रभावशाली नहीं थे। कांग्रेस में उनके संबंध तो हैं,
लेकिन विरोधियों की तुलना में वे कमजोर साबित हुए हैं। भारतीय क्रिकेट
कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के उपाध्यक्ष और इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल)
के अध्यक्ष रहते हुए ललित कुमार मोदी राजस्थान क्रिकेट संघ (आरसीए) के
अध्यक्ष पद का चुनाव मार्च 2009 में हार गए थे। वो चुनाव मोदी बनाम
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के रूप में हुआ था। उस वक्त संजय दीक्षित ने ललित
कुमार मोदी के विरुद्ध जान से मारने की धमकी देने की एफआईआर तक दर्ज कराई
थी। यह सब इसीलिए हुआ था कि ललित कुमार मोदी बसुंधरा राजे के करीबी थे,
ऐसे में मुख्यमंत्री बसुंधरा राजे का ललित कुमार मोदी के लिए ब्रिटेन में
आव्रजन अपील में सहयोग करना बड़ी बात नहीं है।
इंग्लैंड के अखबार संडे टाइम्स अखबार ने खबर छापी कि भारत की विदेश
मंत्री सुषमा स्वराज ने ललित कुमार मोदी की पत्नी के इलाज के लिए
डेनमार्क भेजने के लिए सांसद कीथ वाज से सिफारिश की थी और सांसद कीथ वाज
ने वीजा-इमिग्रेशन विभाग की चीफ सारा रैप्सन को पत्र लिखकर ललित कुमार
मोदी के प्रकरण को शीघ्र निपटाने को कहा था, इससे सिर्फ संबंध के ही
खुलासे होते हैं। कोई अपराध नहीं बनता। अपराध होता, तो इंग्लैंड के सांसद
कीथ वाज पत्र क्यूं लिखते? और इंग्लैंड में सवाल उन पर भी उठ रहे होते।
बात सिर्फ संबंधों की ही है, जिसे कोई नहीं नकार रहा। हाईकोर्ट में ललित
कुमार मोदी पासपोर्ट का केस जीते, तो उन्होंने स्वयं ट्वीटर पर लिखा था
कि आज का मेरा आखिरी ट्वीट दुनिया की सबसे महान लीगल टीम को समर्पित,
उसके बिना मैं आज यहां नहीं होता। महमूद अब्दी, बांसुरी स्वराज, रोजर
घेरसन, डॉरटसेल मार्था, बियांका हेलमिरिक, वेंकटेश ढोंड, अभिषेक सिंह,
अंकुर चावला शुक्रिया। इसके अलावा ललित कुमार मोदी ने एक इंटरव्यू में भी
कहा कि सुषमा के पति स्वराज कौशल और उनकी बेटी बांसुरी उनका केस सालों से
लड़ते रहे हैं।
समूचे विवाद से सिर्फ यह सिद्ध हुआ है कि सुषमा स्वराज और बसुंधरा राजे
के ललित कुमार मोदी से संबंध है और संबंध उजागर होने भर से बसुंधरा राजे
व सुषमा स्वराज दोषी सिद्ध नहीं हो जाते। रही बात मदद करने की, तो उसमें
यह देखना चाहिए कि बसुंधरा राजे और सुषमा स्वराज द्वारा की गई मदद से
ललित कुमार मोदी को उन आरोपों में कोई राहत मिल रही है, जिसमें वे फंसे
हुए हैं। संबंध और व्यक्तिगत मदद के आधार पर ही शोर मचाना उचित नहीं है,
ऐसे तो ललित कुमार मोदी से उनकी पत्नी, बच्चे, परिवार, उनके रिश्तेदारों,
उनके मित्रों और परिचितों के भी संबंध गलत हैं, इस सिद्धांत से चला जाये,
तो किसी अपराधी की पैरवी करने वाले भी अपराधी हुए, ऐसा नहीं किया जा
सकता, यह उनके साथ अन्याय ही कहा जायेगा।
खैर, क्रिकेट का खेल ही ईमानदारी का नहीं है, ऐसे में क्रिकेट के खेल के
आयोजक ईमानदार कैसे हो सकते हैं? ललित कुमार मोदी को सज़ा देने भर से सब
ठीक नहीं हो जायेगा। अनैतिकता की जड़ क्रिकेट के खेल को ही खत्म करना
होगा। क्रिकेट का खेल चलता रहा, तो एक-दो नहीं, बल्कि हजारों ललित कुमार
मोदी पैदा होते रहेंगे, इस क्रम को यहीं रोकने की दिशा में प्रयास होने
चाहिए।
बी. पी. गौतम
स्वतंत्र पत्रकार
8979019871

No comments:

Post a Comment