जनजाति, भटक्या जमाती, अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति,
अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग से धर्मान्तरित अल्पसंख्यक
लोगों को शोषित, शाषित, वंचित अधिकारहीन गुलाम बनाया उस
अमानवीय समाज व्यवस्था - वर्ण व्यवस्था को नष्ट करने का
प्रयास करना हमारा सामाजिक और नैतिक कर्तव्य है.
डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने अमानवीय वर्ण व्यवस्था में संवैधानिक व्यवस्था की
स्थापना 26 जनवरी 1950 के दिन पर कर के मूलनिवासी बहुजनों को संवैधानिक
मूलभूत अधिकार यह शस्त्र अमानवीय समाज व्यवस्था -वर्ण व्यवस्था को नष्ट
करने के लिए बहाल किये.
भारत का संविधान बनाम वर्ण व्यवस्था के बीच युद्ध आज भी चल रहा है।
The Battle between Constitution of India (Protector of बहुजन मूलनिवासी, Constitutional Fundamental Rights) versus Varna System (Destroyer of बहुजन मूलनिवासी, Constitutional Fundamental Rights)
is going on even today .
We must take part in this Battle of Humanity against Inhumanity System to save our Children and next incoming Generation from the anti-Humanity effects of Varna System | |
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