From: Amalendu Upadhyaya <amalendu.upadhyay@gmail.com>
Date: 2011/8/4
Subject: हस्तक्षेप.कॉम अन्ना जी ज़रा धीरे चलो, ये पब्लिक है सब जानती है
To: hastakshep@googlegroups.com
अन्ना जी ज़रा धीरे चलो, ये पब्लिक है सब जानती है
आधुनिक भारत के तथाकथित दूसरे महात्मा गांधी की जिद है कि वो तो चांद खिलौना लेकर ही मानेंगे नहीं तो भूखे ही मर जाएंगे। उनके आमरण अनशन को दम दे रही मंडली भी यह सिद्ध करने पर आमादा है कि सवा अरब भारतीयों में से अक्ल केवल अन्ना, भूषण द्वय, केजरीवाल, संतोष हेगड़े [...].........
यह कौन सी दुनिया बना रहे हो साहब!
August 4, 2011 at 6:55 pm
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50 लाख पन्नों पर लिखी दोस्ती
August 4, 2011 at 3:52 pm
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चैनलों में हावी होता 'कम लोग, कम वेतन और अधिक काम' का माडल
August 4, 2011 at 2:19 pm
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बामुलाहिजा :दिल्ली वाली तकनीक
August 4, 2011 at 1:33 pm
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व्यंग्य – अनजाने चेहरों की दोस्ती
August 4, 2011 at 1:26 pm
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भू अधिग्रहण के खिलाफ जंतर मंतर पर किसानों का धरना
August 4, 2011 at 8:14 am
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समाजवादी आन्दोलन व चिंतन की पाठशाला है छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र
August 4, 2011 at 8:03 am
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क्या येदुरप्पा की कुर्बानी से भाजपा के पाप धुल जायेंगे?
August 4, 2011 at 7:44 am
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२०११ का भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार
August 4, 2011 at 7:28 am
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अन्ना जी ज़रा धीरे चलो, ये पब्लिक है सब जानती है
August 3, 2011 at 9:57 pm
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राजनैतिक, आर्थिक, संस्कृतिक मुद्दो और आम आदमी के सवालो पर सार्थक हस्तक्षेप Hastakshep.com |
- २०११ का भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार
- अन्ना जी ज़रा धीरे चलो, ये पब्लिक है सब जानती है
- नवउदारवाद की प्रयोगशाला में भ्रष्टाचार–3
- किस करवट बैठेगा 'भ्रष्टाचार का ऊंट
- भगत सिंह को फाँसी शोभा सिंह का सच, क्योंकि ठेकेदार कभी सच के सिवा कुछ बोलता ही नहीं है
- धन्ना सेठों की चाकरी का एक और हथियार है केंद्र की प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण नीति
- बामुलाहिजा :बेचारे कलमाड़ी ने क्या किया है?
- जेएनयू में ७ अगस्त को मंडल कमीशन के २१ साल पूरा होने पर सेमिनार
२०११ का भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार Posted: 03 Aug 2011 06:58 PM PDT समकालीन युवा कविता का सर्वाधिक प्रतिष्ठित सम्मान, भारत भूषण अग्रवाल कविता पुरस्कार श्री अनुज लुगुन को उनकी कविता 'अघोषित उलगुलान' के लिए दिया जाएगा. इस वर्ष के निर्णायक श्री उदय प्रकाश ने इसका चयन किया है. यह कविता 'प्रगतिशील वसुधा' के अप्रैल -जून २०१० के अंक में प्रकाशित हुई थी. भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार हर [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
अन्ना जी ज़रा धीरे चलो, ये पब्लिक है सब जानती है Posted: 03 Aug 2011 09:27 AM PDT अमलेन्दु उपाध्याय आधुनिक भारत के तथाकथित दूसरे महात्मा गांधी की जिद है कि वो तो चांद खिलौना लेकर ही मानेंगे नहीं तो भूखे ही मर जाएंगे। उनके आमरण अनशन को दम दे रही मंडली भी यह सिद्ध करने पर आमादा है कि सवा अरब भारतीयों में से अक्ल केवल अन्ना, भूषण द्वय, केजरीवाल, संतोष हेगड़े [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
नवउदारवाद की प्रयोगशाला में भ्रष्टाचार–3 Posted: 03 Aug 2011 09:03 AM PDT डॉ प्रेम सिंह तीसरी किस्त सभी जानते हैं राजनीति या जीवन का कोई भी सिद्धांत अथवा अभ्यास निगुर्ण-निराकार नहीं होता है। कोई सिद्धांत अथवा अभ्यास एकमात्र नियामक भी नहीं होता। हालांकि इतिहास के हर दौर का एक युग-धर्म भी होता है, जो आधुनिक काल में राजनीति है। सब सिद्धांतों और अभ्यासों की कसौटी मनुष्य होता [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
किस करवट बैठेगा 'भ्रष्टाचार का ऊंट Posted: 03 Aug 2011 08:48 AM PDT निर्मल रानी वरिष्ठ गांधीवादी एवं समाजसेवी अन्ना हज़ारे द्वारा भ्रष्टाचार के मुद्दे को प्रबलता से उठाए जाने के बाद निश्चित रूप से देश में भ्रष्टाचार विरोधी वातावरण बहुत तेज़ी से बनता दिखाई दे रहा है। भले ही केंद्र सरकार द्वारा कथित 'सिविल सोसायटी का प्रतिनिधित्व करने वाली,टीम अन्ना द्वारा सुझाए गए जनलोकपाल विधेयक के [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
भगत सिंह को फाँसी शोभा सिंह का सच, क्योंकि ठेकेदार कभी सच के सिवा कुछ बोलता ही नहीं है Posted: 03 Aug 2011 08:41 AM PDT रणधीर सिंह सुमन सुप्रसिद्ध पत्रकार, स्तंभकार, 97 वर्षीय ख़ुशवंत सिंह ने अपने कालम "बुरा मानो या भला" में बड़ी मासूमियत से लिखा है कि भगत सिंह वा उनके साथी संसद में चल रही बहस के दरमियाँ उनके पिता शोभा सिंह दर्शक दीर्घा में बैठे थे. बहस बहुत उबोउ थी इसलिए मेरे पिता ने दर्शक दीघा [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
धन्ना सेठों की चाकरी का एक और हथियार है केंद्र की प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण नीति Posted: 03 Aug 2011 04:02 AM PDT शेष नारायण सिंह केंद्र सरकार का प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण कानून अगर पास हो गया तो देश में लगभग पूरी तरह से पूंजीवादी अर्थव्यवस्था लागू हो जायेगी. और आर्थिक विकास की प्रक्रिया में सरकारों की भूमिका बहुत ही कम हो जायेगी.मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े नेता, सीताराम येचुरी का कहना है कि यह बिल , भूमि [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
बामुलाहिजा :बेचारे कलमाड़ी ने क्या किया है? Posted: 02 Aug 2011 11:35 PM PDT |
जेएनयू में ७ अगस्त को मंडल कमीशन के २१ साल पूरा होने पर सेमिनार Posted: 02 Aug 2011 08:47 PM PDT विषय:- 'मंडल कमीशन के २१ वर्ष और सामाजिक न्याय' वक्ता: श्री शरद यादव, श्री रामविलास पासवान, डॉ. अम्बुमणि रामदास, श्री सुब्बा राव (अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया), श्री रवि वर्मा कुमार (अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता), प्रो. डी. के. लोबियाल (अध्यक्ष, जेएनयू शिक्षक संघ) श्री मसूद आलम ( मौलाना आजाद नेशनल उर्दू विश्वविधायालय) और भी कई गणमान्य [...] पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/ |
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Palash Biswas
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