| बल्ली भाई की गजल में नैनीताल ...... बड़े पर्वत पे पानी से भरा इक थाल रक्खा है । बड़ा -सा फ़रिज बना कर नाम नैनीताल रक्खा है । बड़े सुंदर हैं ये बाजार नैनीताल के दोनों , इधर तल्ली उधर का नाम मल्लीताल रक्खा है । गुलामों की तरह निचली सडक भी साथ है चलती , मगर ऊँची सडक का नाम उसने "माल " रक्खा है । अमीरी - शौक है ये मयकशी और वो भी किश्ती में , मेरे जैसे फकीरों ने भी इसको पाल रक्खा है । उधर वो सब नशीली घूप का आनन्द लेते हैं , इधर ठंडी सडक की ठंड ने कर बेहाल रक्खा है । डिनर या लंच कह कर जाने क्या - क्या खाते रहते हो , मगर " बल्ली " ने इनका नाम रोटी - दाल रक्खा है । - बल्ली सिंह चीमा |
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