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Saturday, February 15, 2014

रिलायंस साम्राज्य की असलियत के खुलासे के लिए आप को बधाई। राजनीति है तो होगी,दूसरे भी कर रहे हैं। कारपोरेट राज के खिलाफ जिहाद की शुरुआत के लिए आभार।जिहाद असली है या नकली,साबित करें आप,लेकिन पर्दाफाश सौ टक्का सच है।हम इस सच के साथ है।जिहाद सच हुआ तो उसके साथ भी होंगे हम।

रिलायंस साम्राज्य की असलियत के खुलासे के लिए आप को बधाई। राजनीति है तो होगी,दूसरे भी कर रहे हैं। कारपोरेट राज के खिलाफ जिहाद की शुरुआत के लिए आभार।जिहाद असली है या नकली,साबित करें आप,लेकिन पर्दाफाश सौ टक्का सच है।हम इस सच के साथ है।जिहाद सच हुआ तो उसके साथ भी होंगे हम।


पलाश विश्वास


Bhaskar Upreti

"हर समय कुछ ऐसे लोग होते हैं जो शासक बनना नहीं चाहते. इनमें से कुछ लोग अपने समय के सर्वश्रेष्ठ लोग होते हैं और उन्हें शासन करना स्वीकार करना चाहिए. लेकिन वे अनिच्छुक होते हैं. ऐसे लोगों को शासक बनने के लिए मजबूर किया जाना चाहिए. अगर वे इंकार करें तो उन्हें सजा दी जानी चाहिए. जनता को शासक के तौर पर ऐसे ही लोगों की जरूरत होती है. ये लोग जनता के हितों की पूर्ति करेंगे, अपनी नहीं. दूसरी तरफ समझदार लोगों को चाहिए कि वे ऐसे लोगों द्वारा शासित होने को ही महत्व दें." (सुकरात)


Bhaskar Upreti "शासक एक गड़ेरिये की तरह होते हैं जो अपनी भेड़ों को इसलिए मोटा करते हैं ताकि उनसे लाभ कम सके. लोगों के साथ लेन-देन में एक न्यायप्रिय व्यक्ति अन्यायी व्यक्तियों की तुलना में फिसड्डी होता है. उदाहरण आप चोरी करते हुए पकडे जाएँ तो आपको सजा मिलेगी. लेकिन अगर आप पूरी जनता को लूट लें, जैसा की अनेक शासक करते हैं, तो आपको भाग्यशाली कहा जाता है." (थ्रासिमुकस, सुकरात का शिक्ष्य)

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रिलायंस साम्राज्य की असलियत के खुलासे के लिए आप को बधाई। राजनीति है तो होगी,दूसरे भी कर रहे हैं। कारपोरेट राज के खिलाफ जिहाद की शुरुआत के लिए आभार।जिहाद असली है या नकली,साबित करें आप,लेकिन पर्दाफाश सौ टक्का सच है।हम इस सच के साथ है।जिहाद सच हुआ तो उसके साथ भी होंगे हम।



हम अपने आदरीणीय मित्र राजीव नयन बहुगुणा से सहमत है कि  अगर आरोप के मुताबिक , केजरीवाल ने राष्ट्रीय राजनीति में आने के लिए इस्तीफा दिया है , तो और अच्छा । हमें मारुती ८०० में चलने वाला , हमारी ही तरह खांसने वाला और मफलर टांगने वाला और अपने आवागमन के वक्त रास्ते जाम न करवाने वाला , रेड लाईट पर वेट करने वाला प्रधान मंत्री चाहिए । हमें मनमोहन सिंह जैसा अर्थ नीति और शशि थरूर जैसा विदेश नीति का निपुण नहीं चाहिए।हम राजीवनयन जी से सहमत है कि जी हाँ , जनता संविधान से भी ऊपर है । वह संविधान , सरकार , इतिहास , भूगोल सब कुछ बदलने का अधिकार और हैसियत रखती है।


हम इस बेहद सत्य सामाजिक यथार्थ से मुंह मोड़ लेते हैं,तो रोज संविधान और कानून तोड़कर जलसंहार व्यवस्था के तहत देश बेचो जनता मारो परंपरागत राजनीति की संवैधानिक मिथ्या दुहाई की मृगमरीचिका में ही फंसे होंगे। अगर अरविंद राजनीति कर रहे हैं तो बाकी लोग धर्म कर्म नहीं कर रहे हैं।अगर सत्ता के लिए सिखों का संहार,गुजरात नरसंहार और बाबरी विध्वंस से लेकर मुजफ्परनगर दंगा,संसद में मिर्च मसाला जायज है तो जनलोकपाल विधेयक के लिए आप सरकार की खिल्ली उड़ाने की नैतिकता पाखंड के सिवाय कुछ भी नहीं है।


अग्निपरीक्षा तो आप की है।हम कांग्रेस,भाजपा और उनके पिछलग्गू क्षत्रपों की रंग बिरंगी राजनीति सन सैंतालीस से झेल रहे हैं,पूरे दो दशक से आर्थिक सुधारों के तहत नरमेध यज्ञ बर्दाश्त कर रहे हैं।देश अमेरिकी उपनिवेश है। नागरिकता अप्रासंगिक है।कृषि और उत्पादन प्रणाली मृत है। मनुष्यता और प्रकृति की कीमत पर देश बेचो ब्रिगेड की कारपोरेट सत्ता है।इसके खिलाफ जिहाद की पहल की है आपने।अब आप लड़ें या नहीं,आवाम की बंद आंखें खुल गयी तो यह जिहाद होकर रहेगा।आप पर हमला करने के बजाय धर्मोन्मादी कारपोरेट राज के खिलाफ निनानब्वे फीसद जनता की गोलबंदी के लिए अस्मिताओं के हर तिलिस्म को ध्वस्त करके आइये,हम भारत जोड़कर एक नयी शुरुआत करें।


आप को करने दीजिये राजनीति।यकीन मानिये, वे नरेंद्र मोदी,राहुल गांधी और ममता बनर्जी की तुलना में कम आरक्षण विरोधी हैं और उनसे खराब प्रधानमंत्री नहीं होंगे।होंगे तो जनता की गोलबंदी हो गयी तो उसको भी वैसे ही उखाड़ दिया जायेगा,जैसा कि जनता बार बार कांग्रेस और भाजपा के साथ साथ गैरकांग्रेसी प्रयोग और वामपंथी,अंबेडकरी छद्म क्रांति को खारिज करती रही है।


अगर यह जोखिम है तो जोखिम उटाने की जरुरत है।


अरविंद ने जो कहा है,उस पर जरुर गौर करना चाहिए और उनके उठाये सवालों के जवाब तलाशने चाहिए।


हम लोग जो ऐसा सोच रहे हैं,उनमें से ज्यादातर लोग आप के समर्थक नहीं हैं लेकिन कारपोरेट राज के खिलाफ है और देश को देशी विदेशी कंपनियों का साम्राज्य बनते देख नहीं सकते।


मणिपुर की इरोम शर्मिला ने आप के टिकट पर चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है।मेधा पाटेकर के साथ जुड़े पच्चीस तीस लोग आप के टिकट पर या आप के समर्थन से राजनीतिक हस्तक्षेप के लिए लड़ेंगे।लेकिन हम अपनी असली लौहमानवी इरोम के साथ खड़े हैं।हम सोनी सोरी के साथ खड़े हैं। हम पूर्वोत्तर,गोंडवाना,कश्मीर और दक्षिण बारत के साथ खड़े हैं।हम उत्तर भारतीय धर्मोन्माद के खिलाफ उत्तर भारत की ही समावेशी लोक परंपराओं और विरासत के सात खड़े हैं।हम इस महादेश की तमाम रक्तनदियों की महासुनामी और प्राकृतिक आपदाओं के मध्य खड़े हैं और बदलाव के हालात बनाने की जंग लड़ रहे हैं।बदलाव कहीं से हो,हाताल ये बदलने ही चाहिए।हमारा किसी के प्रति कोई पूर्वग्रह नहीं है।


आज अगर अरविंद,प्रशांत भूषण या योगेंद्र तो क्या किसी भी संसदीय क्षेत्र की बहुसंख्य जनता भी संसदीय लड़ाई के रास्ते इस राज्यतंत्र में शामिल होने के लिए हमारे दरवाजे पर दस्तक दें,तो हम जो बदलाव चाहते हैं,उनमें से ज्यादातर लोगों का इरोम का ना ही होगा।


अब अरविंद को सड़क पर ही साबित करने की मोहलत और मौका जरुर दें कि उसकी लड़ाई कितनी असली है।


इससे पहले गौर करें ,उसपर जो इस्तीफे के वक्त अरविंद ने कहा है।

इन्होंने जनलोकपाल बिल गिरा दिया. ऐसा क्यों हैं? क्योंकि अभी तीन दिन पहले हम लोगों ने मुकेश अंबानी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज़ की है. वीरप्पा मोइली के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज़ की है. मुकेश अंबानी वो सख़्श हैं जो इस देश की सरकार चलाते हैं. मकेश अंबानी ने कहा है कि कांग्रेस मेरी दुकान है मैं जब चाहूँ ख़रीद सकता हूँ. यूपीए की सरकार को पिछले दस साल से मुकेश अंबानी चला रहे थे और पिछले एक साल से मोदी जी को चला रहे हैं.


मोदी के पास इतना पैसा कहां से आता हैं. हेलीकॉप्टर से घूमते हैं, इतनी बड़ी बड़ी रैलियाँ करते हैं? पैसा आता है क्योंकि मुकेश अंबानी उनके पीछे हैं. जैसे ही हमने मुकेश अंबानी पर हाथ रखा ये दोनों एक हो गए. इन्होंने जनलोकपाल पास नहीं होने दिया क्योंकि इन्हें लगा कि अभी केजरीवाल के छोटी सी एसीबी है तो नाक में दम कर रखा है यदि जनलोकपाल आ गया तो आधे से ज़्यादा नेता जेल चले जाएंगे.


इसलिए दोनों पार्टियों ने मिलकर जनलोकपाल बिल गिरा दिया. इन्हें ये भी डर था कि यदि सरकार चलती रही तो अभी तो मुकेश अंबानी और मोइली को ही पकड़ा है थोड़े दिनों में शरद पवार की भी बारी आ सकती है. दोस्तों, मैं बहुत छोटा आदमी हूँ. मैं यहाँ कुर्सी के लिए नहीं आया हूँ. मैं यहाँ जनलोकपाल बिल के लिए आया हूँ. आज लोकपाल बिल गिर गया है और हमारी सरकार इस्तीफ़ा देती है.


मीडिया विशेषज्ञ जगदीश्वर चतुर्वेदी ने लिखा हैः

पूँजीपति को गाली देना या अपराधी ठहराने से मामला सिलट जाता और जनता नेता के पीछे उठ खड़ी होती तो कम्युनिस्टों की यह दुर्दशा न होती ।

अरविंद केजरीवाल जान लें वे पहले व्यक्ति नहीं हैं जो मुकेश अम्बानी पर हल्ला कर रहे हैं या आरोप लगा रहे हैं।

भाकपा सांसद गुरुद्वासदास गुप्त तो आम आदमी पार्टी के जन्म के पहले से मुकेश अम्बानी के ख़िलाफ़ आरोप लगा रहे हैं ।

क्या कभी आम आदमी पार्टी के किसी नेता ने उनके समर्थन में बयान दिया ?

क्यों नहीं बोले केजरीवाल पहले ? क्या पूँजीपतियों की लूट के ख़िलाफ़ अकेले जंग जीती जा सकती है ? मुकेश अम्बानी और गैस के दामों के मसले पर केजरीवाल को संयुक्त संघर्ष करने की बात ज़ेहन में क्यों नहींआती ? केजरीवाल को अकेले ही संघर्ष करेंगे की मानसिकता से बाहर निकलकर साझा दोस्तों का साझा मंच बनाकर साझा कार्यक्रम के आधार पर काम करना चाहिए । मुकेश अम्बानी को व्यक्तिवादी राजनीति से पछाड़ना संभव नहीं है ।

वह एक वर्ग है जिसकी सामूहिक वर्गीय शक्ति है । उसकी लूट तो वर्गीय लूट का हिस्सा है वह महज़ निजी लूट नहीं है । इसलिए मुकेश अम्बानी बनाम केजरीवाल की जंग बेमेल जंग है ।


हम जगदीश्वर जी से सहमत हैं।

हम अभिनव सिन्हा और सत्यनारायण जी के आकलन से भी सहमत है।

लेकिन वामपंथी राजनीति का पाखंड हम जान चुके हैं और वामपंथ के कायाकस्प बिना उसके नेतृत्व में भारत में अब बुनियादी किसी परिवर्तन की कोई गुंजाइश नहीं है।सच कहें तो हमें अरविंद केजरीवाल और आप से भी ज्यादा उम्मीद नहीं है।खास लोगों की पार्टी बनकर उभर रही आप की हमने जमकर आलोचना भी की है और दिल्ली में आप सरकार बनने पर हमने अरविंद को मोदी से ज्यादा खतरनाक माना था।लेकिन खुदरा कारोबार पर रोक कोई नारेबाजी नहीं और न रिलायंस और केंद्रीय मंत्री के खिलाफ एफआईआर सिर्फ राजनीतिक कवायद है। इसके जरिये अगर देश की बिखरी हुई जनपक्षधर ताकतों और सामाजिक शक्तियों की गोलबंदी होती है,तो बुरा क्या है।फिर जिस निर्लज्जता के साथ कांग्रेस भाजपा ने कारपोरेट का साथ दिया और रिलायंस पर चर्चा न हो,इसके लिए संसद को मिर्चमसाला बना दिया,जिस मुस्तैदी के साथ अमेरिका नरेंद्र मोदी के साथ है और जिसतरह अमेरिकी समर्थन से ममता दीदी को तीसरे मोर्चे को फेल करने के लिए मोदी के फेल होने के हालात में वैकल्पिक प्रधानमंत्री बतौर तैयार किया जा रहा है, अरविंद केजरीवाल को सिरे से खारिज करना नमोमय भारत निर्माण की पहल ही साबित होगी।

जगदीश्वर न जाने क्यों दिल्ली के उपराज्यपाल के मंतव्य को अहमियत दे रहे हैं,जो दिल्ली की कांग्रेस सरकार के प्रतिनिधि होने के साथ कारपोरेट संबंधों के लिए चरचित है और जगदीश्वर जी लिखत हैंः

केजरीवाल सरकार के औचक निरीक्षण और मंत्रियों के हस्तक्षेप के कारण अस्पतालों और शिक्षा संस्थानों में जो अराजकता पैदा हुई थी उसकी ओर दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने कल राज्यपाल सम्मेलन में सही ध्यान खींचा है । केजरीवाल के मंत्रियों ने औचक निरीक्षण को बिना किसी प्रक्रिया के हस्तक्षेप का औज़ार बनाकर प्रशासनिक अक्षमता का प्रदर्शन किया है ।इस अर्थ में उनके प्रशासन के ४८दिन बुरे रहे। डर के मारे घूसखोरी कम हुई यह अच्छी बात रही । आटो चालकों की मनमानी होती रही। कारपोरेट बिजली कम्पनियों को पेमेंट मिला। ६४हजार एडहाॅक कर्मियों को परमानेंट नहीं कर पाए।


कुल मिलाकर बिजली कंपनियों को सैंकडों करोड़ रुपये का पेमेंट सरकारी ख़ज़ाने से करके केजरीवाल चले गए और यह उनकी कारपोरेट जंग नहीं कारपोरेट भक्ति है।

उनको बिजली कंपनियों के खाते की जाँच होने तक सरकार में रहना चाहिए था लेकिन वे सिर्फ़ बिजली कंपनियों को तक़रीबन ३००करोड़ रुपये से ज़्यादा का पेमेंट दिलाकर निकल लिए । यह जनता के ख़ज़ाने की सीधे लूट है।अब बिजली बिलों का क्या होगा ?

हम तो अब भी सुरेंद्र ग्रोवर जी के सवालों का जवाब मांग रहें हैं।देश की सबसे बड़ी कंपनी के खिलाफ घनघोर अभियोग।जो लोग खुलासा,स्टिंग और पर्दाफास,पैनल विशेषज्ञ हैं,उनकी फटी क्यों पड़ी है,कुछ समझ में आने वाली बात नहीं है।नैतिकता और पवित्रता का स्वांग रचकर देश औरक समाज को धर्मोन्मादी बना रहे दंगाई खामोश क्यों है,भ्रष्ट तंत्र पर परदा डालने की संसदीय नूरा कुश्ती से जो न समझ पाया,उसे गदहा जनम का अभिननंदन।

बेगानी शादी में अब्दुल्ला दिवाना

नमोमय देश में हर शख्स दिवाना

खून चूं रहा है जिस्म से खूब

लहूलुहान है दिलोदिमाग भी

फिरभी हर शख्स दिवाना

भ्रष्टाचार विरोधी जंग हुई तीनफाड़

किरण हो गयी केशरिया देखो

आप की बहार भी देखो

गांधी जिसको मान रहा था देश

हुआ वह ममतामय,यह भी देखो


पहली से गैस होगी दोगुणी मंहगी

चाय पर चर्चा में उसकी गूंज नहीं कोई

रिलायंस के खिलाफ एफआईआफर से

विशुद्ध रक्त,नीला खून दोनों उबला खूब

संसद में नूरा कुश्ती का अखाड़ा देखो

हर शख्स इनदिनों बाजीगर देखो

अपनी डफली अपना राग जनता

का सफाया तय देखो,एसी हो गया

देश यह,वातानुकूलित नहीं है

जो जन गण उसका कत्लेआम देखो



सुरेंद्र जी के लिखे से मैं सहमत हूंः

मुझे भी लग रहा है कि जो नेतागण केजरीवाल को विधानसभा चुनावों से पहले कमतर आंक कर चल रहे थे, "आप" को अट्ठाईस सीटें मिलने पर हक्का बक्का रह गए.. अब कल केजरीवाल ने कांग्रेस और भाजपा को धोबी पछाड़ दाव से धरती पर सितारे दिखा दिए हैं, के चलते केजरीवाल की जान पर खतरा खड़ा हो गया है.. इन बेशर्म नेताओं और कॉरपोरेट्स का काकस किसी भी हद तक जा सकता है..

आप क्या कहते हैं?


हम अरविंद के इन सवालों का जवाब खोज रहे हैं।आप भी खोजिये,यह गुजारिस हमारी है।सही गलत जो भी जवाब हो आपका,जो भी मतामत है आपकी हम उसका स्वागत करते हैं।


हमारी लड़ाई उस निर्मायक संस्थागत लोकतंत्र और धम्म के लिए है,जहां आखिरी आदमी की सुनवाई हो।न कहीं कोई मूर्ति हो न मूर्ति पूजा हो।न कोई देव देवी हो और न कोई असुर,दैत्य,दानव,राक्षस,अछूत।


हम उस विकेंद्रीकरण के पक्षधर हैं जहां हर फैसले में सबकी भागेदारी बिना जातीय वर्गीय नस्ली भेदभाव के सुनिश्चत हो।भाषणबाजी के बजाय अनंत संवाद हो।हर किसी के लिए अवसर हो और संसाधनों का न्यायोचित बंटवारा हो।


यह लड़ाई हजारों साल से जारी है।हजारों सालों तक जारी रहेगी।


लेकिन इसी के मध्य एकाधिकार विरोधी वर्चस्व विरोधी आक्रमम विरोदी देशभक्त देशजोड़ो हर सकारात्मक पहल को हमारा पुरजोर समर्थन है।


इसके लिए किसी पार्टी में शामिल होना और सक्रिय राजनीति कोई जरुरी नहीं है।


सबसे जरुरी लेकिन है जनपक्षधर मोर्चा और जनप्रतिबद्धता। जिसके सबूत अरविंद केजरीवाल से भी हम बार बार मांगते रहेंगे।


देश में लोकसभा चुनाव आसन्न है।हर नेता डींगें हांककर मतदाताओं को हांक लेने के फिराक में हैं और संसद नूराकुश्ती के अखाड़े में तब्दील है।प्रतिष्ठित अखबारों में सबसे बड़ी खबर है कि बॉलीवुड की 'हॉट' एक्ट्रेस सनी लियोन अपनी अपकमिंग फिल्म 'रागिनी एमएमएस-2' के एक गाने 'बेबी डॉल' के लिए केज में बंद नज़र आईं।किसी भी जरुरी मुद्दे पर कामेडी नाइट विद कपिल का माजरा है।सिरे से स्त्री विरोधी।सिरे से मनुष्य विरोधी।सिरे से जनपद विध्वंसक।सिरे से सत्यानाशी।सिरे से प्रकृति और पर्यावरण के विरुद्ध।


पेट्रोलियम मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने आज कहा कि सरकार गैस मूल्य वृद्धि के निर्णय को वापस नहीं लेगी। देश में गैस उत्पादक कंपनियों को 1 अप्रैल से 2014 से बढ़ाने की अनुमति दी गई है जो मौजूदा मूल्य का दोगुना हो जाएगा।


मोइली ने गैस मूल्य बढ़ाने को लेकर अपने एवं कुछ अन्य के खिलाफ दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा दर्ज प्राथमिकी को 'असंवैधानिक' बताते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तीखी आलोचना की। मुख्यमंत्री ने इस संबंध में कुछ सेवानिवृत्त अधिकारियों की शिकायत पर यह प्राथमिकी दायर करने का निर्देश दिया था।


मोइली ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं से कहा, 'इस पर (मूल्य बढ़ाने के निर्णय पर) रोक लगाने का सवाल ही कहां उठता है। यह (सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के उत्पादकों दोनों के लिए गैस मूल्य बढ़ाने की अनुमति देने का निर्णय) एक सरकारी प्रक्रिया के जरिए की गई है। इस पर मंत्रिमंडल द्वारा दो बार विचार किया गया और दोबारा इसे मंजूरी दी गई है।'


नई दरें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा गठित समिति की सिफारिशों पर आधारित है और इस समिति का गठन मोइली के पूर्ववर्ती एस. जयपाल रेड्डी के अनुरोध पर प्रधानमंत्री ने किया था। नई दरें प्रति इकाई (एमएमबीटीयू) 4.2 डॉलर से बढ़कर 8-8.4 डॉलर हो जाएंगी।


इस सप्ताह की शुरूआत में केजरीवाल ने देश में गैस की कृत्रिम कमी पैदा करने और दाम बढ़ाने के लिए मोइली, रिलायंस इंडस्ट्रीज और इसके चेयरमैन मुकेश अंबानी के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज कराने के आदेश दिए थे



बाबा मुक्तिबोध सच कह गये हैं


महान मृतात्माएं इस नगर की

हर रात जुलूस में चलतीं,

परन्तु, दिन में

बैठती हैं मिलकर करती हुई षडयन्त्र

विभिन्न दफ्तरों- कारायालयों,केन्द्रोंमें,घरों में।

हाय ,हाय! मैंने उन्हें देख लिया नंगा,

इसकी मुझे और सजा मिलेगी।


अब तो हर गली ,हर चौराहे, हर गांव, हर खेत,हर नदी किनारे,हर घाटी शिखर में,रण में,जंगल में,रेगिस्तान में हर कहीं कोई न कोई कबीर चाहिए जो सच को सच और झूठ को झूठ कहने का जिगर रखें।


केंद्र सरकार की बल्ले बल्ले है और राजनीति स्साली इतनी कमीनी है कि जनादेश हो न हो, सत्ता हो या न हो,चलती उन्हीं की है जिनके हवाले रिमोट कंट्रोल है।इस वातानुकूलित,डिजिटल,बायोमेट्रिक,रोबोटिक देश में नागरिकता निषिद्ध प्रदेश है और मृत्यु उपत्यका में हर षड्यन्त्रकारी महा मसीहा है और गली चोराहों पर उन्ही की मूर्तियां।तमाम कर्मकांड में हम अपनी अपनी मृतात्मा को पूर्णाहुति देने वाले अमानुष समाज के यंत्रमानव हैं।


देश की सबसे बड़ी कंपनी के खिलाफ घनघोर अभियोग।जो लोग खुलासा,स्टिंग और पर्दाफास,पैनल विशेषज्ञ हैं,उनकी फटी क्यों पड़ी है,कुछ समझ में आने वाली बात नहीं है।नैतिकता और पवित्रता का स्वांग रचकर देश औरक समाज को धर्मोन्मादी बना रहे दंगाई खामोश क्यों है,भ्रष्ट तंत्र पर परदा डालने की संसदीय नूरा कुश्ती से जो न समझ पाया,उसे गदहा जनम का अभिननंदन।


अरविंद केजरीवाल की सरकार 'आप' ने मुकेश अम्बानी से जुड़ाव का खुलासा नहीं करने के लिए नजीब जंग की आलोचना की है।मीडिया का फोकस इसीपर है। जनता के सर्वनाश के क्या क्या इंतजामात हैं,उनका खुलासा न संसद में हो रहा है और न संसद के बाहर और न मीडिया में। प्रीमियम ट्रेनों के बहाने भारतीय रेल से आम जनता को बेदखल करने का काम निर्विरोध हो गया।संसद में मारामारी जो तेलंगाना अलग राज्य के सवाल पर हुई,वहां आज भी भारतीय संविधान लागू नहीं हैं और तमाम आदिवासी इलाकों में अब भी निजाम जमाने के कायदे कानून चलते हैं।


मौजूदा तेलमंत्री और पूर्व तेलमंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई एक निर्वाचित राज्य सरकार की तरफ से। उस पर सन्नाटा है संसद में।देश की सबसे बड़ी कंपनी पर महासंगीन आरोप लगे हैं,उस पर खामोशी है संसद में। मीडिया को आर और अरविंद केजरीवाल का नमो परिप्रेक्षित भविष्य की चिंता है,लेकिन देश बेचो निरंकुश अभियान पर परदा डालने में कोई कोताही बरती नहीं जा रही   है और जनता की अदालत में जो महामहिम युद्ध अपराधी समुदाय का न्याय होना चाहिए,उनके महिमामंडन का कोई अवसर कोई छोड़ नहीं रहा है।


आईपीएल घोटाले के तहत कैसिनो अर्थव्यवस्था के कायदे कानून रस्मोरिवाज  को बेहतर तरीके से समझा जा रहा है।घोटाला और सट्टेबाजी के मुरजिम को आईसीसी चेयरमैन ही नहीं बनाया जा रहा है,खिलाड़ियों की नीलामी में भी खुल्ला घोटाला है। घोटालों पर फोकल न हो ,इसलिए आईपीएल विदेशी धरती पर खेला जायेगा जबकि भारत के क्रिकेट अपराध सरगना दुनियाभर के नस्लवादी जायनवादी तत्वों के साथ मिलकर क्रिकेट को ही बंधक बना रहे हैं।भारतीय राजनीति का प्रतीक इस देश के क्रिकेट प्रबंधन से कोई बेहतर नहीं है और हर राजनेता का चरित्रायन कोई न कोई सनी लियोन है।


गौरतलब है कि लोकसभा में तेलंगाना विधेयक का विरोध कर रहे कुछ सदस्यों ने भारी अफरातफरी की और एक सदस्य ने स्प्रे तक छोड़ा जिससे सदन में और उसकी दीर्घाओं में खांसी आना शुरू हो गई।संसद में बाहुबलियों और धनपशुओं को चुनकर भेजने का अंजाम इसके अलावा कोई और हो ही नहीं सकता।और यह सारा खेल संसद में जरुरी विधेयक बिना चर्चा पारित कराने और जनविरोधी अंतरिम रेल बजट के साथ जनसंहारक अंतरिम बजट पास की अश्लील आइटम संगीत है,जिसकी धुन पर पूरा देश लुंगी डांस करने लगा है। मुद्दे दरकिनार हो गये और जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही खत्म।


प्रीमियम ट्रेनों के शुरू होने से बहुत ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है। हो सकता है कि इन ट्रेनों के किराये को सुन कर आपके होश उड़ जाएं। क्योंकि इन ट्रेनों के किराये बाजार से तय होंगे। दिल्ली और मुंबई के बीच प्रीमियम एसी स्पेशल ट्रेन की सफलता से उत्साहित रेलवे ने व्यस्त रूटों पर 17 और ऐसी ट्रेनें चलाने का फैसला किया है।


आखिर भारतीय रेल चलती किसके लिए है,बताइये। जिस जन गण का देश है यह,उसके लिए अनारक्षित डब्बे किसी ट्रेन में दो से ज्यादा नहीं है।आधी आबादी के लिए हर ट्रेन में फकत एक ही डिब्बा।आधे से ज्यादा डब्बे पहले से वातानुकूलित हैं।शयन यान के लिए आरक्षण तीन महीन कराइये।तत्काल के लिए तमाम सबूत पेश कीजिये।लेकिन बेरोजगार,बीमार कमजोर तबके के सफर पर निषेध हैं।पीपीपी माडल की बुकिंग के कारण अलग से जुर्माना भरिये।ट्रेन में चढ़ भी लिये तो कब बेपटरी होकर जान गवांयें,कब आग में स्वाहा हो जाये,ठिकाना नहीं।सकुशल हुए तो निजी कंपनियों से महंगा खाना,पानी खरीदकर चलते रहिये।अब प्रीमियम बहाने पूरी की पूरी ट्रेन एसी है। बंगाल जैसे खस्ताहाल राज्य में ग्यारह ट्रेनों में पांच प्रीमियम,एक एसी।


खबर है कि गैस प्राइस के मुद्दे पर दिल्ली की केजरीवाल सरकार के एफआईआर दर्ज कराने के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज सभी कानूनी रास्तों पर गौर कर रही है। सरकार ने कंपनी के चेयरमैन मुकेश अंबानी पर नामजद मुकदमा दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि उन्होंने गैस की कीमतें बढ़वाने के लिए ऑइल मिनिस्टर से साठगांठ की। कंपनी मानहानि का मामला दर्ज कराने और क्षतिपूर्ति के रूप में भारी रकम का दावा ठोकने पर भी विचार कर रही है।


कानून का राज है और जाहिर है कि रिलायंस को भी आत्मपक्ष प्रस्तुत करने का हक है।लेकिन रिलायंस का बचाव करते हुए एक चुनी हुई सरकार के फैसले केखिलाफ खड़े लोग दरअसल किनका हित साध रहे हैं,समझने वाली बात है।


केंद्र और राज्य सरकारों के तमाम समामाजिक प्रकल्प एनजीओ के हवाले है।आपके सारे जनांदोलन एनजीओ के हवाले हैं।आप स्वयं एनजीओ हैं।ऐसे में आप के एनजीओकृत होने का आरोप लगाने के पाखंड का तात्पर्य भी समझिये।


कहा जा रहा है कि केजरीवाल का खेल खत्म है।दो चार घंटे का मेहमान हैं केजरीवाल। कहा जा रहा है कि सरकार न चला पाने की मजबूरी में शहादत का आयोजन में लगे हैं केजरीवाल। आज सुबह समयान्तर संपादक पंकज बिष्ट,जो संजोग से भारतीय भाषाओं के एक मूर्धन्य गद्यकार,उपन्यासकार और जनपक्षधर वैकल्पिक मीडिया के सिपाहसालार भी हैं, उस पंकजदा से आज सुबह फिर लंबी बातचीत हुई।दा को हमने बताया कि इकोनामिक टाइम्स में छपे ताजा सर्वे से साफ जाहिर है कि मोदी को दो सौ सीटों के आगे जाने के लिए अभी हिमालय लांघने और समुंदर छलांगने जैसे करिश्मे करने होंगे।अब सरकार रहे चाहे जाये,तयहै कि सामाजिक शक्तियों की गोलबंदी और छात्र युवाजनों की अभूतपूर्व हस्तक्षेपी सक्रियता से तय हो गया है कि यह देश हर्गिज नमोमय बनने नहीं जा रहा है।सीटें भले उतनी न मिलें,लेकिन हर सीट पर लाख,दो लाख संघी वोट जरुर कटेंगे। हमने दा को बताया कि अब जबकि तीसरे मोर्चे की सरकार ख्वाब से हकीकत में बदलने लगी है,तभी दूसरी संपूर्ण क्रांति के भीष्म पितामह अन्ना हजारे केजरीवाल और किरण वीके के भाजपाई ब्रिगेड से अलग मोदी के विक्लप बतौर पीपीपी सम्राज्ञी ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री बनाने की मुहिम में लग गयी है।ध्यान दें,राजनीति से अलग रहने की गरज से अपने गांव राले सिद्धि में मनुस्मृति व्यवस्था लागू करनेवाले अन्ना ने केजरीवाल के राजनीतिक हस्तक्षेप अभियान से पल्ला झाड़ लिया था।तो ममता को प्रधानमंत्री बनाने के इस महायज्ञ के पीछे कौन तत्व हैं,समझने वाली बात है।


पंकजदा ने कहा कि केजरीवाल का पतन तो तभी तय हो गया जब उसने दिल्ली में खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी विनिवेश पर रोक लगी दी थी।दादा से हम सहमत हैं।आपको समझ में नहीं आ रही यह दलील तो उस दिन के तमाम अंग्रेजी अखबारों का संपादकीय पढ़ लें।विडंबना यह है कि भ्कष्टाचार के खिलाफ,कालाधन और विदेशी पूंजी के खिलाफ सबसे ज्यादा मुखर  स्वयंभू आंखों में भर लो पानी वाला देशभक्त कारपोरेट चाय पार्टी के लोगों को भयनक पेटदर्द हो रहा है केजरीवाल के कारपोरेट विरोधी अभियान से। याद करे कि खुदरा कारोबार में विदेशी पूंजी निवेश की खिलाफत में व्यापारी वोटबैंक के खातिर भाजपाइयों ने क्या क्या हंगामा नहीं बरपाये।खुदरा कारोबार में अमेरिकी कंपनियों और अमेरिकी सरकार का सबसे बड़ा दांव है, यह समझने के लिए कोई अमर्त्य विशेषज्ञ होने की जरुरत है नहीं।अब देखिये,वीसा देने से इंकार करने वाले अमेरिका के राजदूत नैंसी कैसे दुम हिलाती हिलाती नमो से मिलकर आयी और अमेरिकी सरकार का बयान जारी किया।


मजा तो बहुजन राजनीति का असली है और उन्हें इस कारपोरेट विरोधी अभियान के ढोंग से ज्यादा तकलीफ है।बहुजनों को हिंदुत्व की पैदल सेना बना देने के अपने किये का कोई पाप बोध है नहीं और ओबीसी अछूत कहकर मोदी के वोटबटेरु वक्तव्य में उन्हें नौटंकी नजर नहीं आती।


हाल में इकोनामिक टाइम्स में पहला पेजी एक्सक्लुसिव छपा कि अंबेडकरी विरासत का बामसेफ अगले लोकसभा चुनाव में गजब ढाने वाला है।पहली बात तो यह है कि बामसेफ अंबेडकर की विरासत है नहीं,वह मान्यवर कांशीराम की संतान है।दूसरी महत्वपूर्ण बात बतौर पार्टी चुनाव आयोग में बामसेफ का पंजीकरण नहीं हुआ।जो संगठन चुनाव लड़ ही नहीं रहा है,उसको हैरतअंगेज खिलाड़ी बताने का तात्पर्य क्या है,समझने वाली बात है।कहा गया है कि उसके दस हजार होलटाइमर हैं।चुनाव युद्ध में अपनी पार्टी उतारने से पहले दो सौ होलटाइमर भी नहीं थे।राजनीतिक भविष्य के लिए अब होल टाइमर बनने का सिलसिला कुछ तेज जरुर है। अगर बामसेफ वाले अपने दस हजार होलटाइमरों की सूची सार्वजनिक कर दें तो बहुजनों को गोलबंद करने में भारी मदद मिलेगी।


बहुजन बुद्धिजीवियों को अंग्रेजी राज वरदान लगता है। ग्लोबीकरण डायवर्सिटी का स्वर्गराज्य लगता है और कारपोरेट राज समता और सामाजिक न्याय का स्वर्णकाल। उनको ऐतराज है कि कहीं आरक्षण विरोधी लोग सत्ता में न आये।1999 से आरक्षण शून्य हैं।कोई आनंद तेलतुंबड़े से बात करें तो पूरा ग्राफिक डीटेल के साथ खुलासा कर देंगे।अब बताइये कि वीपीसिंह ने जब मंडल लागू किया तो देश पर कमंडल से खून की गंगा किन लोगों ने बहा दी।कौन लोग थे आरक्षण विरोधी आंदोलन में और फिर हिंदू राष्ट्र का आखिर एजंडा क्या है। तो आप के उत्थान में फंसे नमोमय भारत के असंपूर्ण निर्माण में कारसेवा करनेवाले लोगों को पहचान लेना भी जरूरी है, जो मोदी के प्रधानमंत्रित्व के लिए सांसद कैप्टेन जयनारायण निसाद के दिल्ली स्थित संसदीय निवास पर वैदिकी यज्ञ के आयोजन के साथ ओबीसी गिनती के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान में तत्कालीन राजग संयोजक के साथ बवंडक खड़ा किये हुए थे। उन मूलनिवासियों को भी पहचान लेने की जरुरत है जो मायावती के किले ढहाने के अभियान में लगे हैं।


रिलायंस कंपनी के सूत्रों ने बताया कि रिलायंस की लीगल टीम तभी अपने काम में जुट गई थी, जब दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने आदेश दिया था कि अंबानी, ऑइल मिनिस्टर वीरप्पा मोइली और आरआईएल के संस्थापक धीरूभाई अंबानी के दोस्त पूर्व ऑइल मिनिस्टर मुरली देवड़ा के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए।


उधर, गवर्नमेंट ऑफिशल्स ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट सिविल केस की सुनवाई कर ही रहा है तो क्रिमिनल केस दर्ज करना कुछ अजीब है, जबकि दोनों ही मामलों में शिकायत करने वाले लोग एक ही हैं। ऑइल और लॉ मिनिस्ट्रीज के टॉप ऑफिशल्स के अलावा कांग्रेस के सीनियर लोगों के बीच इस मुद्दे पर चर्चा हुई। एक अधिकारी ने कहा कि सरकार कोशिश करेगी कि केजरीवाल को यह मामला फिर उछालने का मौका न मिले।


सूत्रों ने बताया कि जयपाल रेड्डी के ऑइल मिनिस्टर रहने के दौरान भी निशाने पर आई आरआईएल ताजा घटनाक्रम से काफी अपसेट है। कंपनी के करीबी एक सूत्र ने कहा कि गैस की प्राइस रंगराजन कमिटी की सिफारिशों पर आधारित है।


यह कमिटी जयपाल रेड्डी ने ऑइल मिनिस्टर रहते बनाई थी, लेकिन उनका नाम एफआईआर में नहीं है। मिनिस्ट्री से बातचीत कंपनी के अधिकारी करते हैं, न कि चेयरमैन। चेयरमैन का नाम इसमें कैसे आ गया?


बुरी खबर यह भी है कि कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने अपनी 3 वर्ष पुरानी नैशनल मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी के जरिए 2022 तक 10 करोड़ नौकरियां पैदा करने की योजना बनाई थी, जो अब नाकाम होती दिख रही है क्योंकि सरकार इसके तहत स्पेशल इनवेस्टमेंट जोन के अपने वादे को पूरा नहीं कर पाई है और न ही रोजगार बढ़ाने के प्रोत्साहन के लिए श्रम कानूनों में छूट दी गई है।


कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इंडस्ट्री, पार्टी के सहयोगियों और मतदाताओं के साथ हाल की मुलाकातों में मैन्युफैक्चरिंग को मजबूत करने और पुराने हो चुके श्रम कानूनों में संशोधन से रोजगार बढ़ाने पर जोर दिया है।


कैबिनेट ने 2011 में नेशनल मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी को मंजूरी दी थी। इसका लक्ष्य इकॉनमी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की हिस्सेदारी को 15 फीसदी से बढ़ाकर 2022 तक 25 फीसदी करने का था। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए लचीले श्रम कानूनों और आसान बिजनेस रेग्युलेशन्स के साथ नैशनल इनवेस्टमेंट ऐंड मैन्युफैक्चरिंग जोन (एनआईएमजेड) बनाने का प्रपोजल था।


कंपनियों का औपचारिक तौर पर कर्मचारियों को बहाल न करने का एक बड़ा कारण छंटनी की मुश्किल प्रक्रिया है। पॉलिसी में इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स ऐक्ट, 1947 में बदलाव कर जॉब लॉस इंश्योरेंस फ्रेमवर्क के साथ इन जोन में एंप्लॉयीज की छंटनी आसान बनाने की बात कही गई थी। इससे वर्कर्स को पर्याप्त मुआवजे या वैकल्पिक नौकरी की गारंटी मिलती।


इंडस्ट्री के एक प्रतिनिधि ने बताया, 'इंडस्ट्री और लेबर मिनिस्ट्री केवल एनआईएमजेड के लिए कानून में संशोधन करने के प्रस्ताव पर ट्रेड यूनियंस के साथ सहमति नहीं बना पाई। इसके लिए पिछले 2 वर्ष से बात हो रही है।' उनका कहना था कि इंडिया इंक को इस मोर्चे पर जल्द कोई कामयाबी मिलन की उम्मीद नहीं है।


कांग्रेस से जुड़ी इंडियन नैशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) सहित एंप्लॉयी यूनियंस ने इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स लॉ में प्रस्तावित संशोधनों को लेकर सवाल खड़े किए हैं। इनकी दलील है कि इससे कंपनियां अपनी मर्जी से जब चाहे 'हायर या फायर' कर सकेंगी।


एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को 70 कानूनों का पालन करने के साथ ही प्रतिवर्ष 100 रिटर्न भरनी होती हैं। पॉलिसी में कहा गया है कि इस बोझ को कम करने की जरूरत है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर नजर रखने वाले एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, 'अभी पॉलिसी को लेकर पूरा फोकस एनआईएनजेड पर है, जबकि देश भर में बिजनेस रेग्युलेशन्स को आसान बनाने और महत्वपूर्ण सेक्टर्स पर जोर देने के एजेंडे को अनदेखा किया गया है। अगर हम इन जोन में श्रम कानूनों में छूट देने को लेकर सहमति नहीं बना पाते और एनआईएमजेड के अलावा पॉलिसी के अन्य महत्वपूर्ण हिस्सों पर काम नहीं करते, तो 10 करोड़ नौकरियां पैदा करना मुश्किल है।' उनका कहना था कि इनमें से कोई भी जोन 2019 से पहले शुरू होने की संभावना नहीं है।


इंडस्ट्री मिनिस्ट्री ने पिछले महीने मौजूदा इंडस्ट्रियल कलस्टर्स को एनआईएमजेड का दर्जा देने के लिए गाइडलाइंस जारी की थी, लेकिन इनसे उम्मीद के मुताबिक बड़े स्तर पर नया इनवेस्टमेंट आना मुश्किल लग रहा है।


क्या है प्रीमियम ट्रेन : प्रीमियम ट्रेनें पूरी तरह से एसी होंगी और इनके कोच भी अपेक्षाकृत नए होंगे। प्रीमियम ट्रेनों में सामान्य ट्रेनों के मुकाबले ज्यादा किराया लिया जाता है और सीटें भरने के साथ ही इसके किराये में उसी तरह से इजाफा होता है, जिस तरह से हवाई जहाज के लिए किराया बढ़ता है।


नॉन स्टाप ट्रेन : प्रीमियम ट्रेनें नॉन स्टॉप होंगी यानी यह ट्रेन चालू होने के बाद आखिरी स्टेशन पर ही रुकेगी। इस तरह से यह ट्रेन उसी रूट पर चलने वाली दूसरी ट्रेनों के मुकाबले पैसेंजरों को उनके मुकाम तक जल्द पहुंचाएगी। हालांकि, रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अरुणेन्द्र कुमार का कहना है कि रेलवे इस बात पर भी विचार कर रही है कि क्या इन ट्रेनों के रूट में कोई ऐसा स्टॉपेज दिया जाए, जहां से रेलवे को और यात्री मिल सकें।


रूट का चयन : प्रीमियम ट्रेन के रूट तय करने से पहले रेलवे बोर्ड उस रूट पर पैसेंजरों की जरूरत को आंकता है। रेलवे का कहना है कि उसने उन रूटों पर प्रीमियम ट्रेनें चलाने का ऐलान किया है, जिन पर पूरे साल वेटिंग लिस्ट रहती है। इसके अलावा, प्रीमियम ट्रेन चलाने के लिए रेलवे बोर्ड ने दूसरी शर्त यह रखी है कि उस रूट पर दूसरी सामान्य ट्रेन जरूर होनी चाहिए ताकि अगर कोई पैसेंजर प्रीमियम ट्रेन का किराया नहीं दे सकता तो उसके लिए सामान्य श्रेणी की ट्रेन उपलब्ध रहे।


प्रीमियम ट्रेन में बुकिंग : प्रीमियम ट्रेन में सीटों की बुकिंग 15 दिन पहले शुरू होती है। रेलवे बोर्ड के अफसरों का कहना है कि यह सर्विस उन पैसेंजरों के लिए है, जिन्हें सफर के डेट से ऐन पहले अपनी यात्रा के बारे में योजना बनानी पड़ती है। ऐसे पैसेंजर ज्यादा किराया देकर इस ट्रेन में सफर कर सकते हैं। इस सिस्टम के तहत, शुरुआती किराया लगभग वही होगा, जो तत्काल का होता है। इसके बाद सीटें कम होती जाएंगी और डिमांड जिस रूप में बढ़ती जाएगी, उसी आधार पर इसका किराया बढ़ता जाएगा। हालांकि, प्रीमियम ट्रेन के लिए किराये की ऊपरी सीमा भी तय कर दी गई है, यानी एक सीमा से ज्यादा किराया नहीं बढ़ेगा।


वेटिंग लिस्ट नहीं : इस ट्रेन की खासियत यह होगी कि इसमें किसी तरह की वेटिंग लिस्ट नहीं होगी ,लेकिन आरएसी जरूर होगा। इसके अलावा , ट्रेन का टिकट बुक कराने के बाद उसे रद्द कराने की अनुमतिनहीं होगी। टिकट का रिफंड तभी मिलेगा , जब ट्रेन कैंसल होगी।

दूसरे पैसेंजरों को भी फायदा : रेलवे का कहना है कि प्रीमियम ट्रेनों की वजह से सामान्य श्रेणी की ट्रेनों केपैसेंजरों को भी फायदा होगा। दरअसल , प्रीमियम ट्रेन चलाने से सामान्य श्रेणी की ट्रेन पर भी लोड कमहोगा , क्योंकि जो पैसेंजर प्रीमियम ट्रेन का किराया दे सकते हैं , वे उसी में जाएंगे। इस तरह से सामान्यश्रेणी की ट्रेन के पैसेंजरों को ज्यादा सीटें मिलने की संभावना र हेगी।


साथ ही वह दिल्ली से चंडीगढ़ और आगरा के बीच 160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली 'सेमी हाई स्पीड' ट्रेनें चलाने की संभावनाएं तलाशेगा। मुंबई जाने वाली प्रीमियम ट्रेन क्रिसमस और नववर्ष के दौरान यात्रियों की अतिरिक्त भीड़ को ढोती है।


इससे मुंबई राजधानी की तुलना में लगभग 48 फीसदी अधिक आमदनी हुई। इस ट्रेन के लिए किराया डायनेमिक किराया तंत्र स्कीम के तहत लिया जाता है जो एयरलाइनों द्वारा लिए जाने वाले किराए की तर्ज पर है।


रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खडगे ने अपने अंतरिम बजट भाषण में कहा कि इस तरह की डायनेमिक किराया दर का यात्रियों और मीडिया ने काफी स्वागत किया है। इस स्कीम को बड़े पैमाने पर चलाने के बारे में विचार किया जा रहा है।


उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों के लिए 17 ऐसी प्रीमियम ट्रेनें चलाने का ऐलान किया। खडगे ने कहा कि किसी सीजन या विशेष मौके पर कुछ ट्रेनों में यात्रियों की संख्या बेतहाशा बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में यात्री अधिक किराया देने को भी तैयार रहते हैं।


अधिकांश प्रीमियम ट्रेनें साप्ताहिक या सप्ताह में दो बार चलाई जाएंगी। ये ट्रेनें हावड़ा-पुणे, हावड़ा-मुंबई, कामाख्या-चेन्नई, मुंबई-पटना, निजामुद्दीन-मडगांव, सियालदह-जोधपुर, अहमदाबाद-दिल्ली सराय रोहिल्ला, त्रिवेन्द्रम-बेंगलूर आदि रूटों पर चलेंगी।


कटरा के लिए भी कुछ प्रीमियम ट्रेनें शुरू की जाएंगी। इस पवित्र नगरी में रेल संपर्क जल्द ही शुरू होगा। मंत्री ने 39 नई एक्सप्रेस ट्रेनों, 10 सवारी गाडिय़ों, चार मेमू और तीन डेमू ट्रेनें चलाने का भी ऐलान किया।




लोकसभा के इतिहास में गुरुवार काले दिन के रूप में दर्ज हो गया। अलग तेलंगाना राज्य का बिल जैसे ही ससंद के निचले सदन में पेश हुआ सीमांध्र से जुड़े कांग्रेस, वाईएसआर कांग्रेस और टीडीपी के सांसदों ने जमकर उत्पात काटा। लोकसभा में अखाड़ा जैसा नजारा देखने को मिला। सांसदों के बीच जमकर लात-घूंसे चले, एक सांसद ने सदन में मिर्च पाउडर स्प्रे कर दिया तो एक पर चाकू निकालने का आरोप लगा। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि मार्शलों को बीच-बचाव के लिए सामने आना पड़ा और ऐंबुलेंस तक बुलानी पड़ी। हंगामा करने वाले वाईएसआर कांग्रेस के जगनमोहन, कांग्रेस से निकाले जा चुके लगदापति राजगोपाल और टीडीपी के वेणुगोपाल समेत 16 सांसदों को 5 दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया गया है।


सदन में विजयवाड़ा के सांसद लगदापति राजगोपाल ने सांसदों के ऊपर काली मिर्च का पाउडर स्प्रे कर दिया, जिससे कई सांसद खांसने लगे और उनकी हालत खराब हो गई। आरोप है कि हाथापाई के दौरान टीडीपी के सांसद वेणुगोपाल ने चाकू निकाल लिया, हालांकि वह इससे इनकार कर रहे हैं। उनका आरोप है कि कांग्रेस के सांसदों ने उनकी पिटाई की है और वह इसकी शिकायत लोकसाभा की स्पीकर मीरा कुमार से करेंगी। एक सदस्य ने स्पीकर मीरा कुमार के आसन पर रखे कागजों को छीनना शुरू किया और रिपोर्टर टेबल पर लगे माइक को तोड़ दिया। हंगामे और अव्यवस्था की स्थिति में स्पीकर ने सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी और सदन को खाली करा दिया गया।


सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होते ही तेदेपा के एक सदस्य ने अध्यक्ष के आसन पर रखे कागजो को छीनना शुरू किया और रिपोर्टर टेबल पर लगे माइक को तोड़ दिया।

तेदेपा सदस्य द्वारा कागज छीने जाने और माइक तोड़े जाने के बीच कांग्रेस के एल राजगोपाल ने पहले रिपोर्टर टेबल पर रखे बक्से को तोड़ दिया और उसके बाद जेब से स्प्रे निकालकर उसे चारों तरफ फेंकना शुरू कर दिया।

हंगामा कर रहे इन दोनों तेदेपा और कांग्रेस के सदस्यों को विभिन्न दलों के सदस्यों ने आकर रोकने का प्रयास किया लेकिन वह काबू में नहीं आ रहे थे। कई सदस्यों ने एल राजगोपाल के हाथ को कसकस के झटककर स्प्रे की बोतल छीनने का प्रयास किया और काफी देर बाद वह उनसे स्प्रे ले पाए।


स्प्रे छिड़कने से सदन में और दर्शक एवं पत्रकार दीर्घाओं में बैठे लोगों को खांसी आनी शुरू हो गई जिसके कारण एम्बुलेंस बुलानी पड़ी।

स्प्रे छिड़के जाने के बाद कई सदस्यों असहज महसूस करने लगे और सदन में तुरंत संसद के डाक्टर को बुलाया गया। स्प्रे से अधिक प्रभावित होने वाले कुछ सांसदों को एम्बुलेंस द्वारा राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया।


सत्ताधारी कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने मांग की है कि सदन के भीतर उत्पात मचाने वाले सांसदों की सदस्यता रद्द की जाए और इन्हें आपराधिक मामले के तहत गिरफ्तार किया जाए। संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि सरकार इन सांसदों की गिरफ्तारी और सदस्यता रद्द करने का प्रस्ताव लेकर आएगी, इस पर फैसला स्पीकर को करना है। सीसीटीवी फुटेज से उपद्रव मचाने वाले सांसदों की पहचान की जा रही है। गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि बिल पेश हो गया है और संसद को शर्मसार करने वाले सांसदों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मीरा कुमार ने कहा कि संसद में आज जो कुछ भी हुआ वह शर्मसार करने वाला है।


तेलंगाना बिल को लोकसभा पेश में किए जाने के मद्देनजर पहले से ही सदन के भीतर बवाल की आशंका थी। तेलंगाना समर्थन और विरोधी संसद के बाहर सुबह से जमा होने लगे थे। सदस्यों के भारी शोर-शराबे के कारण लोकसभा की कार्यवाही आज 11 बजे शुरू होने के कुछ ही देर बाद दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी गई। सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सीमांध्र क्षेत्र के कांग्रेस, टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य एकीकृत आंध्र प्रदेश की मांग करते हुए अध्यक्ष के आसन के समीप आ गए। उनके हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर लिखा था, 'आंध्र प्रदेश को एक रखें' और 'हम एकीकृत आंध्रा चाहते हैं।' स्पीकर ने सदस्यों से शांत रहने और प्रश्नकाल चलने देने की अपील की और एक प्रश्न को भी लिया, लेकिन सदस्यों का हंगामा जारी रहा। शोर-शराबा थमता नहीं देख अध्यक्ष ने कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।


दोपहर 12 बजे स्पीकर ने जैसे ही तेलंगाना बिल पेश करने के लिए गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे का नाम लिया। सीमांध्र से जुड़े सांसदों ने हंगामा करना शुरू कर दिया और शिंदे के हाथ से बिल फाड़ने की कोशिश की। भारी अफरातफरी में वेणुगोपाल द्वारा कागज छीने जाने और माइक तोड़े जाने के बीच कांग्रेस के राजगोपाल ने पहले रिपोर्टर टेबल पर रखे बक्से को तोड़ दिया और उसके बाद जेब से स्प्रे निकालकर उसे चारों तरफ छिड़कना शुरू कर दिया, जिससे सदन और उसकी दीर्घाओं में लोग खांसने लगे। हंगामा कर रहे सदस्यों को विभिन्न दलों के सदस्यों ने आकर रोकने का प्रयास किया, लेकिन वे काबू में नहीं आ रहे थे। कई सदस्यों ने राजगोपाल के हाथ को झटककर स्प्रे की बोतल छीनने का प्रयास किया और काफी देर बाद वह उनसे स्प्रे ले पाए।


स्प्रे छिड़कने से सदन में और दर्शक एवं पत्रकार दीर्घाओं में बैठे लोगों को खांसी आनी शुरू हो गई, जिसके कारण ऐंबुलेंस बुलानी पड़ी। स्प्रे से अधिक प्रभावित होने वाले कुछ सांसदों को ऐंबुलेंस द्वारा राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया। चाकू निकालने के आरोप का सामना कर रहे वेणुगोपाल ने कहा कि उन्होंने चाकू नहीं निकाला था, बल्कि सिर्फ माइक तोड़ी है। वेणुगोपाल ने कहा कि मैंने सेक्रेटरी जनरल के सामने वाली माइक तोड़ी थी, जिसे चाकू बताया जा रहा है।


गौरतलब है कि इस अभूतपूर्व ड्रामे के बीच कांग्रेस ने अमेरिकी राजदूत नैंसी पावेल के साथ प्रधानमंत्री पद के भाजपा के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी की मुलाकात को ज्यादा तरजीह नहीं दी और कहा कि अगर मोदी को अमेरिकी वीजा मिल गया तो उसे कोई दिक्कत नहीं होगी।

विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने सवाल किया, ''अगर उन्हें (मोदी को) वीजा नहीं मिला तो क्या हम जश्न मनाएं? अगर उन्हें वीजा मिल जाता है तो क्या हम अवसाद से ग्रस्त होने जा रहे हैं?''


नैंसी ने गांधीनगर में मोदी से मुलाकात की जिससे भाजपा नेता का अमेरिकी बहिष्कार समाप्त हो गया।


खुर्शीद ने कहा, ''जहां तक उनके :अमेरिका के: राजदूत या किसी अन्य राजनयिक का संबंध है, जैसा हम उनके देश में करते हैं, वे इस देश में गमन करने और सूचना जमा करने के लिए आजाद हैं जिससे उन्हें भारत को, भारतीय राजनीति की गत्यामकता को ज्यादा अच्छे से समझने में मदद मिले ।''


उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि यह अमेरिका पर है कि वह मोदी पर अपना रूख बदले या नहीं बदलें

अमेरिका ने इसपर जोर दिया है कि वीजा के मामले में मोदी पर उसकी नीति नहीं बदली है।

तेलंगाना विरोध के भारी हंगामे के बीच लोकसभा में बुधवार को पेश किए गए अंतरिम रेल बजट में यात्री किराए और माल भाड़े की दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। लेकिन 17 प्रीमियम गाड़ियों सहित 72 नई रेलगाड़ियां चलाने की घोषणा की गई। लोकसभा चुनाव में कुछ महीने ही शेष रह जाने के कारण इस बार सरकार ने पूर्ण बजट पेश नहीं किया है।

अलबत्ता चार महीने के लिए 2014-15 का अंतरिम रेल बजट पेश किया गया है। रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे पेश करते हुए कहा कि किराए को तर्कसंगत बनाने के लिए एक रेल भाड़ा प्राधिकरण का गठन किया गया है और एअरलाइन क्षेत्र की तर्ज पर टिकटों की गतिशील कीमतों के विस्तार संबंधी एक प्रस्ताव है। शेष साल का रेल बजट लोकसभा चुनाव के बाद नई सरकार लाएगी।

आने वाले साल में उन्होंने 17 नई प्रीमियम ट्रेनों, 39 एक्सप्रेस ट्रेनों और दस यात्री गाड़ियों को शुरू  करने व जम्मू कश्मीर में कटरा से वैष्णोदेवी तक और पूर्वोत्तर में अरुणाचल प्रदेश और मेघालय तक रेल संपर्क मुहैया कराने का भी एलान किया।    आंध्र प्रदेश के सांसदों व चार केंद्रीय मंत्रियों के तेलंगाना के मुद्दे पर किए गए हंगामे और नारेबाजी और अशोभनीय व्यवहार के कारण रेल मंत्री अपना बजट भाषण पूरा नहीं कर पाए और उन्हें शेष भाषण बिना पढ़े ही सदन के पटल पर रखना पड़ा।

अंतरिम बजट में देश के सबसे विशाल परिवहन तंत्र के आधुनिकीकरण के प्रयासों के तहत निजी सेक्टर की भागीदारी और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश संबंधी योजनाओं पर विशेष जोर दिया गया है। रेल मंत्री ने और अधिक संख्या में तेज रफ्तार ट्रेनों की भी घोषणा की और कहा कि मंत्रालय कम लागत वाली 160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार वाली कुछ सेमी तेज रफ्तार ट्रेनें चुनिंदा मार्गों पर चलाने की संभावनाएं भी तलाश रहा है। बजट भाषण में यात्री किराए और मालभाड़े में किसी तरह के बदलाव की कोई बात नहीं की गई। खड़गे ने बाद में कहा कि इस मद में किसी तरह की वृद्धि का प्रस्ताव नहीं था।

वार्षिक रेल योजना 64,305 करोड़ रुपए की है जिसमें 30,223 करोड़ रुपए का बजटीय समर्थन है। अग्रिम अल्पावधि आरक्षण के साथ दिल्ली-मुंबई सेक्टर पर चालू की गई प्रीमियम एसी स्पेशल कोच का जिक्र करते हुए खड़गे ने कहा कि राजधानी सेवाओं के तत्काल किराए में ऊपर से अलग-अलग प्रीमियम शामिल हैं। उन्होंने कहा कि रेल सेक्टर में घरेलू निवेशकों से निजी निवेश को आकर्षित करने के अलावा, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश संबंधी एक प्रस्ताव पर सरकार विचार कर रही है ताकि विश्व स्तरीय रेल ढांचा बनाया जा सके।

खड़गे ने बताया कि अभी निजी भागीदारी (पीपीपी) से जिन परियोजनाओं पर रेलवे में काम चल रहा है उनमें रोलिंग स्टॉक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट, रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण, मल्टी फंक्शनल काम्प्लेक्स, लोजिस्टिक पार्क, प्राइवेट फ्रेट टर्मिनल, मालवाहक ट्रेनों का संचालन, उदारीकृत वैगन निवेश योजना और डेडिकेटिड फ्रेट कोरिडोर शामिल हैं। रेल मंत्री ने बताया कि मुंबई-अमदाबाद तेज रफ्तार कोरिडोर का पिछले साल दिसंबर में शुरू  किया गया संयुक्त व्यवहार्यता अध्ययन 18 महीने में पूरा हो जाएगा। इसका वित्त पोषण रेलवे और जापान इंटरनेशनल कोरपोरेशन एजंसी करेगी।

उन्होंने बताया कि इसी कोरिडोर के लिए फ्रांसीसी रेलवे का शुरू  किया गया कारोबार विकास अध्ययन इस साल अप्रैल में पूरा हो जाएगा। किराए और मालभाड़े की दरों को तय करने के लिए सरकार को सलाह देने के मकसद से रेल किराया प्राधिकरण का गठन किए जाने की जानकारी देते हुए खड़गे ने कहा कि किराया दरें अब पर्दे के पीछे की प्रक्रिया नहीं रहेगी। जहां रेलवे और अन्य इस्तेमालकर्ता गुपचुप तरीके से ही झांक सकते थे कि दूसरी ओर क्या हो रहा है।

उन्होंने कहा कि प्राधिकरण न केवल रेलवे की जरूरतों पर विचार करेगा बल्कि नए कीमत निर्धारण की पारदर्शी प्रक्रिया में सभी स्टेक होल्डर को भी शामिल करेगा। रेल बजट प्रस्तावों में पूर्वोत्तर को रेल संपर्क से जोड़े जाने की भी बात की गई है। इसमें चालू वित्त वर्ष में अरुणाचल प्रदेश को भी रेल मानचित्र पर लाया जाएगा और जल्द ही हरमती-नहारलागुन नई रेल लाइन शुरू  की जाएगी। जो इसकी राजधानी इटानगर के करीब है। अगले महीने पूरी होने जा रही दुधनोई-मेहंदीपथार रेल लाइन के साथ ही मेघालय भी देश के रेल नक्शे में शामिल हो जाएगा।



It was a game changer for the Aam Aadmi Party (AAP) in Uttarakhand on Friday, when activists of the Chipko Andolan and the Uttarakhand Andolan and many prominent people joined hands with it.

AAP spokesperson Anand Kumar said: "We have been able to win the confidence of mass leaders and social activists. With all these prominent people on our side, a new chapter begins for the AAP, which will be a game changer [in the Lok Sabha elections in the State]."

At a press conference here earlier this year, the party's executive members announced that the AAP would contest all five Lok Sabha seats in the State.

Professor Kumar said the mass leaders would be requested to contest the polls from their respective regions. Within two weeks, the party would declare the names of the candidates.

Shamsher Singh Bisht, an active member of the Chipko Andolan and the Uttarakhand Andolan, said: "The AAP has come to the State as an element of alternative politics. We are people who have been a part of public movements like the Chipko Andolan. We believe that the AAP will grow like a public movement, and so it has our support."

At present, many projects were being built without the consent of gram sabhas, in violation of their powers to protect the rights of the people to forestland.

Rajiv Lochan Sah, a member of the Chipko Andolan and the Uttarakhand Andolan, said: "We have been fighting to make the government realise that it must respect the powers of gram sabhas and local bodies under the 73rd and 74th Amendments. Through the AAP, we will be able to bring this issue into the limelight."

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  • Gangadin Lohar सवाल सत्ता के सदुपयोग या दुरूपयोग का नहीं है । सवाल सत्ता के उन्मूलन का है।

  • 3 hours ago · Like

  • Akhilesh Pratap Singh बिजली बिल तो कंपनियों को उसी हिसाब से मिलना है, जैसा टैरिफ डीईआरसी ने तय किया है....लोगों के लिए बिजली बिल फिलहाल सब्सिडी से ही कम हो सकता था...बाकी पैसा सरकार ने दिया......जांच अब अगर कांग्रेस और बीजेपी के ईमानदार नेता करा ले जाएं तो बिजली कंपनियों केखेल से परदा हटे.....वैसे बिजली उपकरणों की खरीद में जो खेल है, उसकी जांच के घेरे में एस्सार और अडानी की कंपनियां भी हैं...और यह जांच डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस कर रहा है...

  • 2 hours ago · Like

  • Akhilesh Pratap Singh डर के मारे घूसखोरी कम रही....

  • 2 hours ago · Like

  • Vivek Dutt Mathuria जो बात अब तक छुपी हुई थी कि देश के असली मालिक कौन है...जनता के सामने अब यह स्पष्ट हो चुका है...वोट जनता का और व्यवस्था के मालिक पूंजीपति...वर्तमान मालिक मुकेश अंबानी है....भाजपा और कांग्रेस उसके एजेंट के रूप में जन प्रतिरोध को रोकने का काम कर रही है...केजरीवाल की सरकार तो गई पर सत्य से सामना हो गया....अंबानी के हितों पर किसी तरह की आंच नहीं आने दी जाएगी चाहे जो कुछ करना पडे....कल भाजपा ने अपने वैचारिक मतभेदों को भुलाकर अंबानी के हितों की रक्षा के लिए कांग्रेस से हाथ मिला लिया...और यह भी तय है कि दोनों पार्टी देश को पूंजीपतियों के हाथ लुटवाने के लिए प्रतिबद्ध है....जागो जनता जागो....लोकतंत्र के इस स्याह सच को समझो...

  • about an hour ago · Like

Yashwant Singh

अच्छा किया केजरीवाल. देश टकटकी लगाए तुम्हारी तरफ देख रहा है. मैं भी. अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा छोड़ दो. सौ दिनों में सौ इलाके फतह करके लौट आएगा. इतने से तो संसद की सूरत बदल जाएगी, और सीरत भी.

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  • Hareprakash Upadhyay and 21 others like this.

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  • Laxmi Narayan congress bhee yahi soch rahi hai, lekin mujhe lag raha hai congress ki tarah aap bhee nirash honge.

  • 23 minutes ago · Edited · Like

  • Mitra Ranjan बहुत सही कहे गुरु,,, फिर भी थोडा धीरज रख के चलल ठीक रही मने कि एनालिसिस करे में, क्रांति में नाही

  • 21 minutes ago · Like

  • Mitra Ranjan पर ये सही है कि अब राजनीति हो रही है कम से कम. नहीं तो सब सुन्न पड़ गया था जैसे और मजा ये कि ये राजनीति तथाकथित अराजनीतिक लोगों ने शुरू की

  • 19 minutes ago · Like · 1

  • Sanjaya Kumar Singh वो हो सकता है। कहीं बिन्नी जैसे दो-चार विरोधियों ने कांग्रेस का समर्थन कर दिया तो ... संभावना है।

  • 15 minutes ago · Like · 1

Aam Aadmi Party

BJP and Congress leaders' double-speak on corruption was exposed yesterday in Delhi assembly! These leaders speak against corruption in meetings and paid advertisements but in reality, join hands to kill the most progressive anti-corruption legislation in the nation: Jan Lokpal.

Like ·  · Share · 8,2759952,724 · 3 hours ago ·

Bhaskar Upreti

अस्सी के दशक में डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट को कांग्रेस ने लोक सभा सीट अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ ऑफर की थी, तब स्वामी अग्निवेश के सुझाव पर उन्होंने यह ऑफर ठुकरा दिया था. यह मौका फिर हरीश रावत को मिला जिन्होंने डॉ. मुरली मनोहर जोशी को हराकर लोक सभा में प्रवेश किया. उस दौर की राजनीति को समझने वाले बताते हैं कि उस समय शमशेर सिंह बिष्ट बड़े नेता थे-हरीश रावत भी उनके कैडर थे. खैर डॉ. बिष्ट उसके बाद लगातार सड़कों पर राजनीति करते रहे. आज तक भी कर ही रहे हैं. उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय का मास्टरी का प्रस्ताव भी ठुकराया और जेएनयू में मिल रहा प्रवेश भी. लोकवाहिनी जुझारू नेताओं को ट्रेनिंग देती रही. इनमें से कई भाजपा-कांग्रेस में एंट्री लेकर विधान सभा-लोक सभा पहुँचते रहे. उत्तराखंड राज्य निर्माण आन्दोलन के दौर में वह उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति के केन्द्रीय अध्यक्ष भी थे. जब राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखंड के जन संघर्षों को सामने लाने की बात आती है तो डॉ. बिष्ट ही उसका प्रतिनिधि चेहरा होते हैं. देश भर में वे उत्तराखंड के जल, जंगल, जमीन की हिफाज़त की वकालत करने जाते हैं. चार दशक लगातार संघर्ष के बाद अब डॉ. बिष्ट ने नयी नवेली आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया है. इसका प्रतीकात्मक महत्व है. उनके इस पार्टी का दामन थाम लेने के दो निष्कर्ष हो सकते हैं. एक, वह संघर्षों से थक गए हैं और इस नए उभार के साथ खड़े होकर आत्मसंतुष्टि चाहते हैं. दो, यह सार्वभौमिक उभार है जो देश भर के ऐसे संघर्षों को एकजुट होने की अपील कर रहा है जो भाजपा-कांग्रेस की राजनीति का विकल्प सीरिसली देना चाहते हैं. ऐसे लोगों की संख्या न उत्तराखंड और न ही देश में कम हैं. देखना यही होगा कि ऐसे लोग और संघर्ष कब और कैसे साथ आते हैं, आते हैं भी कि नहीं !

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  • Rajiv Nayan Bahuguna, Rajiv Lochan Sah, चन्द्रशेखर करगेती and 44 otherslike this.

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  • Bhaskar Upreti आप से जुड़े युवा भार्गव चंदोला ने लिखा है- "शुभप्रभात मित्रों, आम आदमी पार्टी उत्तराखंड को मिले आज माँ-बाप के रूप में शमशेर बिष्ट, कमला पन्त, कंचन चौधरी, पवन गुप्ता, गीत सम्राट नरेन्द्र सिंह नेगी, नन्द नन्दन पांडे, शेखर पाठक, रवि चोपड़ा, डॉ. एस.पी. सति, ...See More

  • 5 hours ago · Like · 5

  • Chandra Shekhar Joshi bade logun ki badi bat. ab mahnatkasun kee sangharun ki dar ko kund krange..

  • 3 hours ago · Like

  • Chandan Singh Bhskar bhai ye kisne ghosit kiya kee apke dwara likhe gaye ye log uttrakhand ko maa baap ke roop main mile...........bhai shab ye 21 century yaha log apne maa baap ko yad rakhne ke jrarurat nahi karte to ................maera manna hai aap apna prakash...See More

  • about an hour ago · Like

  • Purushottam Asnora dr bisht, p c tiwari ya us pidhi k kisi sanghrshshil vyatitw k thakne ya nirash hone ki bat hamai apman sa lagata hai.jiwan bhar sangharshou ke pratik in vyaktritiwou ko hamane kya diya,is or kabhi nahi sicha gya.pura jiwan sangharshou ko dene k bad bhi khali hath ye log nirash nahi hai our uttrakhand our desh duniyan ki behtari k liye pure dam kham se prayasrat hai.yaise vyktitwou ko ham salam karte hain.

  • 19 minutes ago · Like · 1



The Economic Times

Arvind Kejriwal resigns over Janlokpal bill; sets stage for national role. Do you think this was the only way out for AAP to free its central leadership for Lok Sabha polls? Read more at - http://ow.ly/tD5rd

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Arvind Kejriwal with Akanksha Goswami and 47 others

BJP & Congress united to prevent the Janlokpal from being tabled. What happened in the Delhi assembly was there for the nation to see. The Delhi cabinet has decided to resign.


दोस्तों आज से दो महीने पहले हम ऐसे ही इकट्ठा हुए थे. आठ दिसंबर को जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीज़ों की घोषणा हुई थी तब हम लोग यहीं इकट्ठा हुए थे. इसी खिड़की से मैंने सबको संबोधित किया था. हमने 28 सीटें जीती थी और हमें भरोसा नहीं था कि हमारी सरकार बनेगी.


हमने कसम खाई थी कि हम कांग्रेस और बीजेपी का समर्थन नहीं लेंगे. लेकिन कांग्रेस ने जबरदस्ती समर्थन दिया. हमने जनता से पूछकर सरकार बनाई. 28 दिसंबर को हमने सरकार बनाई और शपथ ली. हमारा सबसे बड़ा वादा था कि हम जनलोकपाल बिल पास करेंगे. भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ सख़्त क़ानून बनाएंगे.


लेकिन आज विधानसभा में जनलोकपाल बिल पेश करने की कोशिश की गई तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियाँ मिल गईं. आज तक भारत के इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ. सभी को यह तो पता है कि बीजेपी और कांग्रेस पर्दे के पीछे मिलते हैं और देश को मिलकर लूट रहे हैं लेकिन पिछले दो दिन में ये खेल भी सबके सामने आ गया. आज दोनों पार्टियों ने जनलोकपाल बिल विधानसभा में पेश ही नहीं होने दिया.


इन्होंने जनलोकपाल बिल गिरा दिया. ऐसा क्यों हैं? क्योंकि अभी तीन दिन पहले हम लोगों ने मुकेश अंबानी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज़ की है. वीरप्पा मोइली के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज़ की है. मुकेश अंबानी वो सख़्श हैं जो इस देश की सरकार चलाते हैं. मकेश अंबानी ने कहा है कि कांग्रेस मेरी दुकान है मैं जब चाहूँ ख़रीद सकता हूँ. यूपीए की सरकार को पिछले दस साल से मुकेश अंबानी चला रहे थे और पिछले एक साल से मोदी जी को चला रहे हैं.


मोदी के पास इतना पैसा कहां से आता हैं. हेलीकॉप्टर से घूमते हैं, इतनी बड़ी बड़ी रैलियाँ करते हैं? पैसा आता है क्योंकि मुकेश अंबानी उनके पीछे हैं. जैसे ही हमने मुकेश अंबानी पर हाथ रखा ये दोनों एक हो गए. इन्होंने जनलोकपाल पास नहीं होने दिया क्योंकि इन्हें लगा कि अभी केजरीवाल के छोटी सी एसीबी है तो नाक में दम कर रखा है यदि जनलोकपाल आ गया तो आधे से ज़्यादा नेता जेल चले जाएंगे.


इसलिए दोनों पार्टियों ने मिलकर जनलोकपाल बिल गिरा दिया. इन्हें ये भी डर था कि यदि सरकार चलती रही तो अभी तो मुकेश अंबानी और मोइली को ही पकड़ा है थोड़े दिनों में शरद पवार की भी बारी आ सकती है. दोस्तों, मैं बहुत छोटा आदमी हूँ. मैं यहाँ कुर्सी के लिए नहीं आया हूँ. मैं यहाँ जनलोकपाल बिल के लिए आया हूँ. आज लोकपाल बिल गिर गया है और हमारी सरकार इस्तीफ़ा देती है.


मैं मांग करता हूँ कि दिल्ली विधानसभा को बर्खास्त किया जाए और दिल्ली में तुरंत चुनाव करवाए जाएं. लोकपाल बिल के लिए सौ बार मुख्यमंत्री की कुर्सी न्यौछावर करने के लिए तैयार हैं. मैं इस बिल के लिए जान भी देने के लिए तैयार हूँ. अभी अभी हमारी कैबिनेट मीटिंग हुई थी और हमारी कैबिनेट ने मिलकर यह निर्णय लिया है कि हमारी सरकार आज इस्तीफ़ा देती है.


28 दिसंबर और उसके बाद से हमारे सात के सात मंत्री आज तक ठीक से सोए नहीं हैं. हम रात दिन काम कर रहे थे. हमने दिल्ली वालों के लिए काम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. हमने पूरी साफ़ नियत और ईमानदारी से काम करने की कोशिश की. हो सकता है हमसे ग़लतियाँ हुई हों. हम भी इंसान हैं. लेकिन हमने पूरी ईमानदारी से कोशिश की.


ये लोग कहते हैं कि हमसे गवर्नेस करनी नहीं आती. पाँच साल में बीजेपी और कांग्रेस वाले बिजली कंपनियों का ऑडिट नहीं करवा पाए हमने पाँच दिन में करवा दिया. हमने शीला दीक्षित के भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज़ की. हमने मुकेश अंबानी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज़ की. हम भी अगर करोड़ों रुपए खा लेते और थोड़े से बीजेपी और कांग्रेस वालों के फेंक देते तो ये कहते कि बड़ा अच्छा काम चल रहा है. दोस्तों कल जो कुछ संसद और विधानसभा के अंदर हुआ है उससे मन बहुत खट्टा हो गया.


कल संसद में इन्होंने मिर्ची पाउडर फेंका, विधानसभा में मेरा माइक तोड़ दिया. हमारे एक मंत्री को चूड़ियाँ दी. हमारे काग़ज़ फेंक दिया. चूड़ियाँ देने का मतलब क्या है? क्या ये बीजेपी वाले महिलाओं की इज्ज़त नहीं करते. बड़ी बड़ी बातें करते हैं. विधानसभा को मंदिर बताते हैं लेकिन मैं पूछता हूँ कि मंदिर में मूर्तियाँ तोड़ते हो क्या, मस्जिद में कुरान फ़ाड़ते हो क्या? शर्म आती है मुझे.


बीजेपी वालों ने विधानसभा और संसद दोनों को शर्मसार कर दिया. हम जो भी काम करते हैं ये उसे असंवैधानिक बताते हैं. मुकेश अंबानी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर की तो मोइली ने असंवैधानिक बता दिया. हम जनलोकपाल लाए तो बिल को असंवैधानिक बता दिया. मैंने भी संवीधान पढ़ा हैं. कहीं नहीं लिखा कि हमें विधानसभा में बिल प्रस्तुत करने से पहले केंद्र सरकार की अनुमति चाहिए.


क्या केंद्र सरकार अंग्रेज़ों की सरकार है और दिल्ली के उपराज्यपाल उनके वॉयसराय हैं? हम नहीं बात मानते केंद्र सरकार की. हम संविधान की बात मानेंगे और उसके लिए अपनी जान तक देने के लिए तैयार हैं. इस देश की जनता ने अब आज़ादी की खुशबू लेनी है और अब जनता चुप नहीं बैठेगी. मैं अब यहाँ से सीधा उपराज्यपाल के पास जा रहा हूँ और भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि हम बहुत छोटे लोग हैं. भगवान हमें सद्बुद्धि दे और देश के लिए जान कुर्बान करने का मौक़ा दे.

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  • CA Satyendra Hemanti क्रांति का सही अर्थ सिस्टम को उखाड़ फेंकना है. अपने हक़ के लिए लड़ना या सिस्टम के अन्दर न्याय की मांग करना सुधार है. क्रांति रूस या फ्रांस में हुई. 1857 में असफल क्रांति हुई. अगर अन्ना का आन्दोलन क्रांति है तब मैं आप से सहमत हूँ.

  • 3 hours ago · Edited · Like · 1

  • Sobhan Singh सिस्टम को उखाड़ने की कोई जरुरत नहीं ,हाँ भ्रष्टसिस्टम को जरूर ,

  • 3 hours ago · Like · 2

  • Vipin Joshi good rajuvi ji

  • 2 hours ago · Like · 2

  • Harsh Vardhan Uniyal सँविधान मेँ तो यह भी लिखा है कि जनता सर्वोपरि है और अपने हक के लिए खुद कानून बना सकती है।लोकतंत्र=जनता का,जनता के लिए शासन। तो दिल्ली का सिस्टम आज दिल्ली की जनता से कैसे ऊपर हो गया? बीजेपी और काँग्रेस दोनो ने कहा कि जनलोकपाल बिल आना चाहिए,दिल्ली की जनता भी चाहती थी,तो दिक्कत क्योँ आ गयी।क्या सभी लोकतंत्र की असली परिभाषा नहीँ गढ़ सकते थे।


Rajiv Lochan Sah

केजरीवाल के इस्तीफे का जश्न मानो प्रकृति भी मना रही हो...राजनीति में आयी मूल्यहीनता की गन्दगी को लोकतंत्र की शुचिता से स्वच्छ करने के रूप में। मुझे 'आप' में शामिल होकर वापस नैनीताल लौटने पर ऐसा ही लगा।

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  • Surendra Grover, Priyankar Paliwal, Umesh Tiwari and 98 others like this.

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  • View 22 more comments

  • Rajendra Negi Kuch log itne jada Ati Viswasniyta ka sikar ho jate hain ki jinko pasand karte hai unki Buraiyan unhe dikti hi nahi hain islea man ke ankhoo se dekhna band karo aur Manavta ki ankhno se Dekhne ki kosis karo Sathiyno.

  • 2 hours ago · Edited · Like

  • DrLalit Joshi waah hmara nainital....

  • 29 minutes ago · Like

  • Dabal Singh Sir u have done nice job.

  • 26 minutes ago · Like

  • Rajeshwar Uniyal पूर्नमूषक भव

  • प्राचीनकाल में एक बार एक साधु की कुटिया में एक चुहिया आ गई । साधु ने उस चुहिया को लड़की बना दिया । जब वह लडकी विवाह योग्य हो गई तो साधु ने उसके लिए एक सुंदर सा वर चुना । परन्तु लड़की नहीं मानी, उसने कहा कि मुझे नर से भी सुंदर वर चाहिए तो स...See More

  • 6 minutes ago · Like


Ashutosh Kumar

किन्तु -परन्तु लगे रहेंगे , लेकिन अरविन्द ने आज देश का दिल जीत लिया . अब यह चुनाव ''अम्बानी बनाम आम हिन्दुस्तानी '' बन चुका है .

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  • Rajiv Lochan Sah, Priyankar Paliwal, Kiran Tripathi and 183 others like this.

  • 14 shares

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  • Raj Shekhar Sharma कई बार आश्चर्य होता है कि हर गलत कदम या फिर हर हार को सही ठहराने की कोशिश में पूरे देश और 120 करोड़ लोगों से जोड़ने की कोशिश की जाती है । देल्ही में भी 70 में से 28 सीटें मिली थी जिनमे से कुछ बीजेपी/कांग्रेस से अलग हुये नेतओ के कारण । कौन से मापदण्ड के आधार पर आप सारे देश की जनता को अरविन्द के पक्ष में बता रहे है ? कुछ प्रतिशत लोग हो सकते है लेकिन पूरा देश तो कतई नहीं है !

  • 5 hours ago · Like · 3

  • Vijay Pal Singh Ye kaisi jeet? Palaayanwaad ko jeet ka naam diya jaa raha hai. Kya Kejariwal ko nahi chaahiye tha ki wo apni prathamikata mai jansuvidhaon ka khayaal pahale rakhte. Janlokpal ki ladai to satta mai rahkar bhi ladi jaa sakti thi.

  • 3 hours ago · Like · 2

  • Rajesh Kumar Ashu bhaiya aaphi kaa koment padh padh kar keju bhasiya kar aisa waisa karta tha aur aaj to gajabe kar diya istifa de kar sahid ho gaya . Kej ke liye .... ram nam satya hai keju ka yahi gat hai

  • 3 hours ago · Like · 1

Faisal Anurag

AGALA LOKSABH CHUNAAV AB CORPORATE AMABANI ADANI TATA BANAAV AAM AAWAAM HOGA. YAH TAHY HAI.

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Mohan Shrotriya

कांग्रेस-भाजपा का ‪#‎बहनापा‬ देखने लायक़ रहा, पूरे दिन !


अंबानी वह ‪#‎गोंद‬ है जो दोनों को ‪#‎चिपकाता‬ है ! यानी ‪#‎भ्रष्टाचार‬ के अलावा !

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सुनीता भास्कर

कानून मंत्री सोमनाथ भारती के आगे सदन में चूड़ी, लिपस्टिक व सिंदूर रखा गया...क्या मानी हुवे इसके...सदन में मौजूद क्या कोइ महिला विधायक ने इस कृत्य पर जरा सा भी विरोध दर्ज न किया...जो पार्टियाँ महिलाओं के लिए चूड़ी व सिन्दूर की अनिवार्यता की वाहक हैं वही इस कदर इन प्रतीकों से उसे अपमानित कर रही हैं..क्या हमारी महिला विरादरी अब भी मुगालते में है...

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जनज्वार डॉटकॉम

जनलोकपाल पर अपने सरकार की बलि चढ़ाने से अरविंद केजरीवाल सड़क की राजनीति के जरिये कांग्रेस और भाजपा के लिए भारी सरदर्द का सबब बन गये हैं. देशभर में तेजी से फैलते नेटवर्क के प्रचार प्रसार के चलते 'आप' को कितनी सीटें मिलेंगी, इसके लिए तो कयास ही लगाये जा सकते हैं, मगर हर सीट पर भारी मात्रा में वोट काटकर कांग्रेस और भाजपा के मंसूबों पर पानी फेरने का चाकचौबंद इंतजाम केजरीवाल जरूर कर चुके हैं...http://www.janjwar.com/2011-05-27-09-00-20/25-politics/4784-kaun-banega-pradhanmantri-for-janjwar-by-vishvas

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Amitabh Thakur

Wonderful, Mr Arvind Kejriwal. I salute u.

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Chandra Shekhar Joshi

कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी मिलकर दिल्‍ली में सरकार बनाने की चुनौती क्‍यों नही स्‍वीकार करते- वही आम जन में यह भी चर्चा है कि यह बात भी साफ हो गयी कि भाजपा को रोकने के लिए बाकी सारे दल क्‍यों एक हो जाते हैं- भाजपा ने जिस तरह पानी पी पी कर केजरीवाल को कोसा है, लोकसभा चुनाव के बाद मोदी जी को थोडी बहुत समर्थन की जरूरत पडी तो तब क्‍या होगा- वही सत्‍ता में आने दीजिये- भाजपा को- इनका व्‍यवहार- किस तरह बदल जाता है- यह भी इतिहास के प़ष्‍ठों में दर्ज है- क्‍यों मुरली मनोहर जोशी - पहाड से कभी नही जीते- केन्‍द्रीय मंत्री के रूप में अभी सीधे मुह किसी से बात नही की- वही आडवाणी जी- क्‍या वह बता पाएंगे कि क्‍या भाजपा के किसी साधारण कार्यकर्ता को अपने सामने कुर्सी पर बैठाकर उसे चाय पिलाते हुए कभी उन्‍होंने बात की- खैर इन सबके बावजूद भी जनता चाहती है कि मोदी जी पीएम बने- परन्‍तु उसके लिए सिर्फ केजरीवाल को कोसने से काम नही चलने वाला-

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The Economic Times

BJP and Congress hit back at AAP, call CM's resignation a drama. Read reactions of the top two political parties:


Arvind Kejriwal was never serious to govern: Congresshttp://ow.ly/tDycf | Arvind Kejriwal quit to cover up his failures: BJPhttp://ow.ly/tDyeE

Like ·  · Share · 2348017 · 3 hours ago ·


Nityanand Gayen

कांग्रेस और भाजपा ....आज साथ डिनर करेंगे

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Abhishek Srivastava

"We are now in the midst of revolution and the National Assembly is a counter-revolutionary fortress erected against the revolutionary proletariat. Our task is thus to take this fortress by storm and raze it to the ground. In order to mobilise the masses against the National Assembly…we must utilise the elections and the platform of the National Assembly itself… To denounce…all the wily tricks of this worthy assembly, to expose its counter-revolutionary work step by step, and to appeal to the masses to intervene and force a decision—these are the tasks of participation in the National Assembly".


(Rosa Luxemburg at the German Communist Party KPD's founding conference, 1918)

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जनज्वार डॉटकॉम

जिसे आप पार्लियामेंटों की माता कहते हैं, वह पार्लियामेंट तो बाँझ और बेसवा (वेश्या) है. ये दोनों शब्द बहुत कड़े हैं, तो भी उसे अच्छी तरह लागू होते हैं. मैंने उसे बाँझ कहा, क्योंकि अब तक उस पार्लियामेंट ने अपने आप एक भी अच्छा काम नहीं किया है. अगर उस पर जोर-दबाव डालने वाला कोई न हो तो वह कुछ भी न करे, ऐसी उसकी कुदरती हालत है...http://www.janjwar.com/2011-06-03-11-27-26/78-literature/4782-hindi-kavita-men-sansad-for-janjwar-by-manoj-pandey

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Seema Mustafa

Kejriwal has sounded the bugle for the Lok Sabha polls. And for the first time we have Ambani and congress n Bjp in the pot together! Good tactics , me thinks it's going to work well for AAP

Anyways to know more read The Citizen tomorrow ... !!

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Aam Aadmi Party

India Today captures mood of Delhi on AAP government's decision to resign: "We are with him in his resignation also. There should be a re-election as we are sure that next time he will win more than 50 seats and get the bills passed without support," Radha Sharma, a resident of Burari in outer Delhi, told IANS. "He will come back to power. Today, on the day he resigned, I can even assure you that," she added.

Kejriwal remains people's hero after resignation : Delhi, News - India Today

indiatoday.intoday.in

Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal's resignation has only raised his stock among the common people of Delhi, the 'aam aadmi', who form his core support base and who believe he will come back to power with a more emphatic majority and play a larger national...

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Ashutosh Kumar

ये दोस्ती बहुत पुरानी और गहरी है . बीजेपी -कांग्रेस की इसी मिलीभगत से 'रामराज्य लाने के लिए'(?) बाबरी मस्जिद मिस्मार की गयी थी .आज उसी 'एकात्मता ' से 'संविधान बचाने के लिए'(?) जनलोकपाल गिरा दिया गया . आप सरकार की सब से बड़ी कामयाबी इस नापाक गंठबंधन का भंडाफोड़ करना है . अगला मोड़ -- भाजपा-कांग्रेस-मुक्त भारत की ओर .

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Xavier Dias

Arvind Kejriwal is a come back kid. He wants re-elections and will come back with a majority. Watch the new kid on the block. He will drive all those fossilised political leaders crazy!

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Kiran Tripathi shared a link.

अरविंद केजरीवाल ने की इस्तीफ़े की घोषणा - BBC Hindi - भारत

bbc.co.uk

अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने का ऐलान कर दिया है. दिल्ली स्थित आम आदमी पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं के बीच उन्होंने इस्तीफ़ा देने का ऐलान किया और एलजी से विधानसभा भंग किए जाने की मांग की.

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The Economic Times

Jan Lokpal Bill Fiasco: Arvind Kejriwal may resign; says this could be AAP government's last session. Harsh Vardhan of BJP lashes out at Arvind Kejriwal and says he needs to stop making false allegations. What do you think - Did AAP create a crisis to get a way out of the govt or did opposition gang up to stonewall Jan Lokpal? Read more here -http://ow.ly/tCQj0

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CORRECT AND COURAGEOUS STEP IS TAKEN BY THE KEJRIWAL AND HIS CABINET

ये है भ्रष्टाचार के खिलाफ एक कानून के लिए देश में पहली बार किसी मुख्यमंत्री द्वारा अपनी कुर्सी का लात मार देने वाला कागज़..।


सबको शेयर करिए..।

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Gopal Rathi added a new photo.

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Shamshad Elahee Shams

How fascinating is to watch the struggle of ruling class? One has the Gujrat model,other has a long history to implement the agenda of international capital since 1991 and last one is beating the bush around its byproduct e.i corruption. Stakes are high for this 400 million plus strong emerging middle class of the world. Wolves are getting desperate...just watch the game Election2014.

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  • Satya Narayan, Shamshad Elahee Shams, Musafir D. Baitha and 10 otherslike this.

  • Swayam Sarvahara That is an excellent prespective!

  • 3 hours ago · Like · 1

  • Satya Narayan पूँजीपति वर्ग की मैनेजिंग कमेटी के लिए सबसे बेहतर सीईओ की तलाश में नित नयी नौटंकी। कोई देश की जनता को लूटने में महारत हासिल होने का दावा कर रहा है, कोई मज़दूरों के ऊपर अपने राज्‍य में चला डण्‍डा दिखा रहा है, तीसरा भ्रष्‍टाचार मुक्‍त पूँजीवाद (मज़दूरों को तब भी लूटा जायेगा ) के ख्‍वाब दिखा रहा है।

  • 3 hours ago · Like · 4

  • Narendra Tomar Most appropriate comment on the present situation ''...... Wolves are getting desperate...just watch the game Election2014.''

  • 2 hours ago · Like · 2

Jagadishwar Chaturvedi

केजरीवाल का इस्तीफ़ा लोकतंत्र की सामान्य घटना है ।यह तो होना था ।क्योंकि उनके पास बहुमत न था ।और संविधान पर सवारी का हुनर न था ।

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  • 19 people like this.

  • Chandra Prakash Jha क़त्ल की रात है देहली में

  • शायर चले गए मयखाने से

  • 3 hours ago · Like · 1

  • Sushil Chaturvedy Jagadishwar Chaturvedi: हुनर और शऊर दोनों ही था, ज़म्हुरियत ही कमबख्त कमज़र्फ़ और बेगैरत हो चली है...रक्क्कासा नाचना तो चाहती है पर रंगमहल बेनूर हो गया है...और उसके पाओं के घुँघरू कभी क़द्रदान रहे हरजाइयों ने नोच लिये हैं, फोड़ दिए हैं!

  • 3 hours ago · Edited · Like

  • Rajesh Kumar Dubey जब बहुमत नहीं था तों मुख्यमंत्री बनने का फैसला क्यों किया गया ...अरविंद केजरीवाल जी ने चाहें जों किया हों पीठ दिखा कर भागना कहा की बुद्दिमानी है साहब ...यह तों कायरतापूर्ण कदम है ...हर राजसिंहासन फूलोंवाली सेज नहीं होती केजरी साहब ...मैं तों इसे कायरता कहूँगा ....

  • 3 hours ago · Like

  • Ish Mishra कांग्रेसी भाजपाई भाई भाई

  • 27 minutes ago · Like


Anand Patwardhan via Rizvi Amir Abbas Syed

Narendra Modi plans for India

narendramodiplans.com

Narendra Modi's plans to run India

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  • Javed Usmani, Ajay Prakash and 9 others like this.

  • Manoj Kumarjha धनपिचाश की चक्र-चेतना घूम रही है, शासन की गति किस पीनक में झूम रही है, क्रियाहीन चिंतन का कैसा अनाचार है, दस प्रतिशत आलोक और बस अंधकार है - नागार्जुन

  • 2 hours ago · Like

Rajiv Nayan Bahuguna
जैसे आत्मा देह को , नदी अपने तट को और सन्यासी संसार को त्याग देता है , उसी निस्पृह भाव से अरविन्द केजरीवाल ने सत्ता की चादर उतार फेंकी . उनकी क्या राजनीति है और क्या नहीं , मैं नहीं जानता , लेकिन जो किसी अंधे के सिवा हर किसी को दिख रहा है , वह यह है की केजरीवाल मारुती में सवारी करते थे , और उन्होंने सत्ता की बजाय सिद्धांत को महत्ता दी
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Surendra Grover
कोई कुछ भी कहे पर केजरीवाल ने साबित कर ही दिया कि बन्दे में दम है..
Like ·  · Share · 5 hours ago ·
+-Satya Narayan
अपने मुख्य मुद्दे भ्रष्टाचार के सवाल पर ये केवल जनलोकपाल की बात करते हैं, जन पहल की नहीं। ये जनता पर नहीं नौकरशाही पर भरोसा करते हैं। जिस पूँजीवादी व्यवस्था में उत्पादन सामाजिक उपभोग को केन्द्र में रखकर नहीं बल्कि मुनाफ़े को केन्द्र में रखकर होता है, वह यदि एकदम क़ानूनी ढंग से काम करे तो भी अपनेआप में ही वह भ्रष्टाचार और अनाचार है। जो पूँजीवाद अपनी स्वतन्त्र आन्तरिक गति से धनी-ग़रीब की खाई बढ़ाता रहता है, जिसमें समाज की समस्त सम्पदा पैदा करने वाली बहुसंख्यक श्रमिक आबादी की न्यूनतम ज़रूरतें भी पूरी नहीं हो पातीं, वह स्वयं एक भ्रष्टाचार है। जिस पूँजीवादी लोकतन्त्र में उत्पादन, राजकाज और समाज के ढाँचे को चलाने में सामूहिक उत्पादकों की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं होती और निर्णय की ताक़त वस्तुतः उनके हाथों में अंशमात्र भी नहीं होती, वह एक 'धोखाधड़ी' है। भ्रष्टाचार की मात्र घटती-बढ़ती रह सकती है, लेकिन पूँजीवाद कभी भ्रष्टाचार-मुक्त नहीं हो सकता! भ्रष्टाचार-मुक्त पूँजीवाद एक मिथक है, एक मध्यवर्गीय आदर्शवादी यूटोपिया है। भ्रष्टाचार पूँजीवादी समाज की सार्विक परिघटना है। जहाँ लोभ-लाभ की संस्कृति होगी, वहाँ मुनाफ़ा निचोड़ने की हवस क़ानूनी दायरों को लाँघकर खुली लूटपाट और दलाली को जन्म देती ही रहेगी। जनता को भ्रष्टाचार-मुक्त पूँजीवाद नहीं चाहिए बल्कि पूँजीवाद से ही मुक्ति चाहिए। जहाँ क़ानूनी शोषण और लूट होगी, वहाँ गै़रक़ानूनी शोषण और लूट भी होगी ही। काला धन सफेद धन का ही सगा भाई होता है।
Like ·  · Share · 6 hours ago ·
  • Lalit Kumar and 14 others like this.
  • 4 shares
  • Dp Sharma bahut sahi likha ha mere dost - pl - dekhie -www.jjjkpanchayat.org
  • JJJK
  • jjjkpanchayat.org
  • मुख्य पृष्ठतलाश किए गए रास्ते के बारे में कुछ मुख्य-मुख्य अंश वैबसाइट में दिए गए...See More
  • 6 hours ago · Like · 1
  • Akhilesh Pratap Singh बात आपकी बिल्कुल वाजिब है...लेकिन दिल्ली में अभी इनके बजाय क्या कांग्रेस और बीजेपी पर दांव लगाया जाए...?
  • 6 hours ago · Like
TaraChandra Tripathi
दिल्ली का उप राज्यपाल दशरथ है और मुख्यमंत्री केवल सुमन्त . जब यही करना था तो दिल्ली राज्य बनाने का औचित्य ही क्या था?
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Surendra Grover
अरविन्द केजरीवाल ने जन लोकपाल के मुद्दे पर दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दिया..
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  • You, Faisal Anurag, Vikram Singh Chauhan, Ravindra Ranjan and 28 otherslike this.
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  • Ashok Sachan सलूट केजरीवाल जी को !
  • 4 hours ago · Like · 1
  • Ashish Sagar Dixit सलाम आम आदमी
  • 4 hours ago · Like · 1
  • Narendra Tomar वैसे केजरीवाल अपनी सरकार का इस्‍तीफा अगरयह ऐलान करते हुए देते कि वे तो मंहगाई ,बेरोजगाारी औरगरीबी को पूरीतरहसेखत्‍म करने के लिए काम रहे थे पर यह काम विरोधी करने नहीं देना चाहतेथे इसलिए इस्‍तीफा दे दिया तो उनको शायद आगे ज्‍यादा फायदा होता।
  • 4 hours ago · Like
  • Ramesh Yadav Arciya Azamgarh इस्तीफे की लहर चलेगी>>>>>>>>>>>>>>>>
  • सभी पार्टियाँ भ्रस्टाचार से नहीं , केवल अरविंद - अन्ना और आप से लड़ रही थी .....See More
  • 4 hours ago · Like
Umesh Tiwari
हमारे गुरु भूगर्भशास्त्री प्रो॰ के एस वाल्दिया का एक लेख 'The tragedy of being a geologist' पढ़ रहा था। गैस, कोयला, पेट्रोलियम जैसे बहुमूल्य संसाधनों को खोज निकालने में भूविज्ञानियों की अनथक मेहनत का भान हुआ और साथ ही प्रतिफल के रूप में देश को समृद्धि के बजाय बेशर्म दलालों की जमात हासिल होने का अवसाद सा पैदा हुआ। देश के लिए किये गए शोध और खोज (Exploration) का फ़ायदा मुरली देवड़ा, वी के सिब्बल, विरप्पा मोइली, जैसे दलाल और मुकेश अंबानी और उनके राजनीतिज्ञ साझीदार उठाएँ तो सिर्फ़ एक पस्त कौम ही चुप बैठ सकती है। डा॰वल्दिया लिखते हैं,
"...In the matter of giving leases to private players, the powers-that-be do not feel the need to seek the views of those geologists who toiled hard to search, survey, discover, explore, assess the extent, quality and potential of the earth's assets. When ONGC has been doing excellent work for decades in the Sabarmati–Cambay and Offshore Bombay basins, and has the requisite capability and competence of mining oil and gas in more than two dozen countries all over the world, one fails to understand the logic of handing over producing fields (such as Panna–Mukta and Tapti in Rajasthan, and the Offshore Krishna–Godavari Basin) on the platter to private players and multinational corporate companies without single-penny compensation to ONGC (which discovered them at an enormous cost), on the pretext of inviting foreign players with money.

This is quite contrary to the worldwide trend of increasing resource nationalization of strategic minerals like petroleum. Even smaller countries in Africa are set-ting strict terms to outsiders, and are promoting larger and more active roles for national companies. Here in India, we are not only doling out precious assets to outsiders, but also providing (to private players) all the classified information that earth scientists have gathered through their painstaking work for over four decades, without even seeking their viewpoints. The private players quite often hire, on fabulous terms of contracts, experts from government organizations who have retired or are persuaded to take premature retirement. Those who know too much reveal to the private players all the data that our government keeps under wraps to Indian academics and researchers – this discrimination is in the face of the so-called liberalization and open-door policy!

इस पैमाने की लूट की ओर जनता का ध्यान खींचना और उसका सशक्त प्रतिरोध करना AAP और अरविंद केजरीवाल के बूते की ही बात है। ये FIR ऐतिहासिक है, ये ऐलान है आम आदमी का हर बेईमान के खिलाफ़ कि तुमको ललकारने वाले आ गए हैं ! एक पद बहुत मामूली कीमत है, इसके लिए तो कोई देशभक्त जान पर खेल जाए !

जागो रे जिन जागणा जब जागण की बार, फिर क्या जागे नानका जब सोवे पाँव पसार !
Like ·  · Share · February 13 at 10:08pm ·
  • Govind Raju, Mahesh Joshi, Devki Nandan Bhatt and 29 others like this.
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  • Umesh Tiwari .. also had a long chat with him at his Bangalore residence...it was fascinating to learn about Gas Hydrate, solid form of Natural Gas and generally, mineral rich India.
  • February 13 at 10:48pm · Like · 1
  • Ashish Garg Sirf Jan jagran se hi kaam chal sakta hai, pichli sari sakare sirf desh bechne par utaru hain. Bharat ka gan jaroor jagega.
  • 19 hours ago · Like
  • रक्षित वर्मा Its true ... india dont need tea to jjaago te jaago...but time to awake..
  • 17 hours ago · Like
  • Umesh Tiwari मुझे संदेह है कि इस सम्पदा का सौदा करने वालों को इसकी पूरी कीमत का अनुमान भी हो...लूटा हुआ खज़ाना ठहरा, जाने किस राशि का क्या प्रतिशत कमीशन लेते होंगे ? ये सवाल अब पूछा ज़रूर जाएगा, देश वसूलेगा भी।
  • 16 hours ago · Like · 1
Aam Aadmi Party Kerala ആം ആദ്മി പാര്ട്ടി കേരളം
ഇതാ സത്യങ്ങള്‍ ഓരോന്നായി പുറത്തു വരുന്നു. |കേന്ദ്ര അനുമതി: കെജ്രിവാളിന് എതിരായ ആരോപണം പൊളിച്ച് തെളിവുകള്‍ | കോണ്‍ഗ്രസ് നേതാവ് ഷീലാ ദീക്ഷിത് മുഖ്യമന്ത്രിയായിരിക്കെ കേന്ദ്രത്തിന്റെ മുന്‍കൂര്‍ അനുമതിയില്ലാതെ അവതരിപ്പിച്ചത് 13 ധനകാര്യ ബില്ലുകള്‍.

ദില്ലി: കേന്ദ്ര അനുമതിയില്ലാതെ ജന്‍ലോക് പാല്‍ ബില്‍ അവതരിപ്പിക്കുന്നു എന്നാരോപിച്ച് കെജ്രിവാള്‍ സര്‍ക്കാറിനെതിരെ ബി.ജെ.പിക്കൊപ്പം രംഗത്തുവന്ന കോണ്‍ഗ്രസിനെ വെട്ടിലാക്കി തെളിവുകള്‍. കോണ്‍ഗ്രസ് നേതാവ് ഷീലാ ദീക്ഷിത് മുഖ്യമന്ത്രിയായിരിക്കെ ...See More
Like ·  · Share · 1,7621281,435 · 4 hours ago ·
Surendra Grover
संसद में पेपर स्प्रे के सहारे गैस मामले में अम्बानी के खिलाफ हुई एफआईआर से ध्यान हटाने की साजिश को समझने की ज़रुरत है..
Like ·  · Share · 17 hours ago · Edited ·
S.r. Darapuri
जंतर मंतर पर आइपीएफ के धरने के आठवें दिन धरने को संबोधित करते हुए आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस. आर. दारापुरी
Like ·  · Share · 2 hours ago ·
Surendra Grover
कोंग्रेसियों के तो मिर्ची लगी ही है पर भाजपाइयों के तो कुछ ज्यादा ही लग गई क्योंकि दिल्ली और दूर हो गई.. हाय, इस नमो के सपने को ऐसे ही धुल धूसरित होना है क्या..
Like ·  · Share · 3 hours ago ·
Satya Narayan
"भ्रष्टाचार मुक्त" पूँजीवाद भी सामाजिक असमानता मिटा नहीं सकता और सबको समान अवसर नहीं दे सकता। दूसरी बात यह कि पूँजीवाद कभी भ्रष्टाचारमुक्त हो ही नहीं सकता। जब भ्रष्टाचार का रोग नियन्त्रण से बाहर होकर पूँजीवादी शोषण-शासन की आर्थिक प्रणाली के लिए और पूँजीवादी जनवाद की राजनीतिक प्रणाली के लिए सिरदर्द बन जाता है, तो स्वयं पूँजीपति और पूँजीवादी नीति निर्माता ही इसपर नियन्त्रण के उपाय करते हैं। तमाम किस्म के राजनीतिक सुधारवादियों की जमातें बिना क्रान्तिकारी बदलाव के, व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए "भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन" करने लगती हैं। यह पूँजीवादी व्यवस्था की 'नियन्त्रण एवं सन्तुलन' की आन्तरिक यान्त्रिकी है। सुधारवादी सिद्धान्तकारों का शीर्षस्थ हिस्सा तो पूँजीवादी व्यवस्था के घाघ संरक्षकों का गिरोह होता है। उनके नीचे एक बहुत बड़ी नीमहकीमी जमात होती है जो पूरी सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था की कार्यप्रणाली का अध्ययन किये बिना कुछ यूटोपियाई हवाई नुस्ख़े सुझाती रहती है और जनता को दिग्भ्रमित करती रहती है। ऐसे लोगों की नीयत चाहे जो हो, वे पूँजीवाद के फटे चोंगे को रफू करने, उसके पुराने जूते की मरम्मत करने और उसके घोड़े की नाल ठोंकने का ही काम करते रहते हैं।
Like ·  · Share · 6 hours ago ·

Aam Aadmi Party Kerala ആം ആദ്മി പാര്ട്ടി കേരളം
ഇത് അവസാന സഭാ സമ്മേളനമെന്ന് തോന്നുന്നു- അരവിന്ദ് കെജ്റിവാള്‍
ദില്ലി: ഇത് നമ്മുടെ അവസാനത്തെ സഭാ സമ്മേളനമായിരിക്കുമെന്ന് തോന്നുന്നതായി ദില്ലി മുഖ്യമന്ത്രി അരവിന്ദ് കെജ്രിവാള്‍. ജന്‍ലോക് പാല്‍ ബില്‍ സഭയില്‍ അവതരിപ്പിക്കാനുള്ള ശ്രമം കോണ്‍ഗ്രസും ബി.ജെ.പിയും ഒന്നിച്ച് പരാജയപ്പെടുത്തിയതിനെ തുടര്‍ന്ന് സഭയെ അഭിസംബോധന ചെയ്തു സംസാരിക്കുകയായിരുന്നു അദ്ദേഹം.

കെജ്രിവാള്‍ നടത്തിയ പ്രസംഗത്തിന്റെ പ്രസക്ത ഭാഗങ്ങള്‍:
യാതൊരു അനുഭവ സമ്പത്തുമില്ലാതെയാണ് ഞങ്ങള്‍ ഈ സഭയില്‍ എത്തിയത്. അനുഭവ സമ്പത്തു...See More
Like ·  · Share · 3,2393762,300 · 7 hours ago ·
Satya Narayan
किसी भी तरह की नौकरशाही संरचना, चाहे वह जितनी भी "स्‍वायत्त या स्वतन्त्र" हो, पूँजीवादी व्यवस्था में ईमानदारी और भ्रष्टाचार मुक्ति की गारण्टी नहीं दे सकती। कहने को तो, उच्चतम न्यायालय बहुत स्वायत्त है मगर उसमें भी भ्रष्टाचार है। चुनाव आयोग एक स्वायत्त संवैधानिक संस्था है मगर उसी के द्वारा कराये जाने वाले चुनावों में सारे भ्रष्ट और अपराधी जीतकर संसद में पहुँचते हैं। लोकपाल भी कोई स्वर्गलोक से अवतरित व्यक्ति नहीं होगा और न ही उसके अफ़सर तथा कर्मचारी देवदूत या फरिश्ते होंगे। वे भी इसी समाज से भरती किये जायेंगे। इस बात की कोई भी गारण्टी नहीं हो सकती कि वे भी भ्रष्टाचार न करने लगें। विधेयक के अनुसार बनने वाले लोकपाल कार्यालय का स्वरूप एक भारी-भरकम नौकरशाहाना ढाँचे का होगा, जिसमें हज़ारों कर्मचारी और सैकड़ों अफसर होंगे। इसके पास जाँच करने और कई मामलों में सज़ा देने का भी अधिकार होगा। यह एक भीषण निरंकुश किस्म का ढाँचा होगा। अकसर कुछ पढ़े-लिखे मगर ग़ैर-जनवादी प्रवृत्ति के लोग कहा करते हैं कि भारत जैसे देश में एक प्रबुद्ध निरंकुश सत्ता की ज़रूरत है जो डण्डे मार-मारकर सब ठीक कर देगी। (ज़ाहिर है कि ऐसे लोग इस खुशफ़हमी के शिकार होते हैं कि जब यह डण्डा चलेगा, तो उनका सिर बच जायेगा!)
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S.r. Darapuri
दिनांकः 14.02.2014

अखिलेन्द्र के उपवास के आठवें दिन उमड़ा जनसैलाब
भारतीय किसान यूनियन (अम्बावता) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ऋषिपाल अम्बावता, राज्यसभा सदस्य मो0 अदीब, कर्नाटक के जन नेता राधवेन्द्र कुस्तगी, हिन्दुस्तान पीपुल्स पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजपाल ने किया समर्थन
कृषि योग्य उपजाऊ भूमि की कारपोरेट खरीद पर लगे रोक - अखिलेन्द्र
आइपीएफ ने भेजा गृह मंत्री को पत्र आतंकवाद के नाम पर बंद मुस्लिम नौजवानों के मामलों की हो न्यायिक जांच

नई दिल्ली, 14 फरवरी 2014, अखिलेन्द्र के उपवास के आठवें दिन आज भारी बारिश और खराब मौसम के बावजूद जनसैलाब उमड़ पड़ा हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड़, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, दिल्ली आदि राज्यों से हजारों की संख्या में किसानों ने हिस्सा लिया। भारतीय किसान यूनियन (अम्बावता) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ऋषिपाल अम्बावता, राज्य सभा सदस्य मो0 अदीब, कर्नाटक के जन नेता राधवेन्द्र कुस्तगी, हिन्दुस्तान पीपुल्स पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजपाल समेत जनांदोलन के तमाम नेताओं ने उपवासस्थल पर पहुंचकर अखिलेन्द्र के उपवास का समर्थन किया। इस अवसर पर आयोजित सभा को सम्बोधित करते हुए आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने सरकार से मांग की कि कृषि योग्य उपजाऊ भूमि की कारपोरेट खरीद पर रोक लगायी जाए, देश में भूमि उपयोग नीति तत्काल बनायी जाए और तत्काल प्रभाव से कृषि लागत मूल्य आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया जाए। उन्होंने कहा कि आज देश के कारपोरेट घरानों के हितों के लिए बन रही नीतियों ने किसानों की जिदंगी को तबाह कर दिया। लाखों किसान और गरीब आत्महत्या कर चुके है और रोज ब रोज हो रही आत्महत्याओं का कोई आकंडा नहीं है। रियल स्टेट में लग रही पूंजी ने किसानों को उपजाऊ जमीनों से बेदखल कर हमारी किसान पट्टी को बर्बाद कर दिया है और देश की आर्थिक सम्प्रभुता गहरा नुकसान पहंुचाया है। इन नीतियों के खिलाफ बड़ा जन आंदोलन आज वक्त की जरूरत है।
भारतीय किसान यूनियन (अम्बावता) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ऋषिपाल अम्बावता ने अखिलेन्द्र के उपवास का समर्थन करते हुए कहा कि अखिलेन्द्र के इस उपवास से कारपोरेट राजनीति और अर्थनीति के खिलाफ देश में बड़े किसान आंदोलन की शुरूवात होगी। उन्होंने कहा कि हालत इतनी बुरी है कि किसानों के लाभकारी मूल्य की बात तो छोड़ दीजिए जो उन्होंने पैदा किया है वह भी खरीदा नहीं जा रहा है और जो कुछ खरीदा गया है उसका न्यायालयों के आदेश के बाद भी भुगतान नहीं किया गया। सरकार से मांग करते हुए उन्होंने कहा कि कृषि के कारपोरेटकरण की जगह सहकारी खेती को आर्थिक व प्रशासनिक मदद दे।
राज्यसभा सदस्य मो0 अदीब ने सांप्रदायिक हिंसा निरोधक विधेयक को इसी सत्र में पारित कराने समेत जनता के जीवन के लिए जरूरी तमाम सवालात को लेकर उपवास पर बैठे अखिलेन्द्र के उपवास का समर्थन करते हुए कहा कि देश में साम्प्रदायिक शक्तियों का उत्थान हो रहा है जो हमारे देश की धर्मनिरपेक्षता व लोकतांत्रिक ढांचें के लिए गम्भीर खतरा पैदा कर रही है। इसलिए सांप्रदायिक हिंसा निरोधक विधेयक में तत्काल ऐसे आवश्यक संशोधन कर जो देश के संधीय ढांचे की भावना के प्रतिकूल न हो इसे संसद के मौजूदा सत्र में ही पारित कर देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को मजबूत किया जाए।
आज आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आईजी उ0 प्र0 पुलिस एस0 आर0 दारापुरी ने गृहमंत्री को पत्र भेजा जिसमें कहा कि पुलिस की विभिन्न जांच एजेन्सियों के गोपनीय दस्तावेज में आए अंर्तविरोधी तथ्योंके बाद नैसर्गिक न्याय के लिए यह जरूरी हो जाता है कि उ0 प्र0 और महाराष्ट्र में आतंकवाद के नाम पर गिरफ्तार मुस्लिम नौजवानों के मामलों की न्यायिक जांच करायी जाए। पत्र में उन्होंने कहा कि आतंकवाद के नाम पर गिरफ्तार बेकसूर अल्पसंख्यक युवकों के मुकदमों के निस्तारण के लिए विशेष अदालतों का गठन हो और जितनी जल्दी हो सके जो निर्दोष हो, उनकी रिहाई हो और जो लोग अदालत द्वारा निर्दोष करार देकर छूट गये हैं, उन सबके पुनर्वास की गारंटी की जाए और उन्हें क्षतिपूर्ति दी जाए।
आज आयोजित आमसभा को कर्नाटक आइपीएफ के नेता राधवेन्द्र कुस्तगी, भारतीय किसान यूनियन (अम्बावता) के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष शमशेर सिंह दहिया, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गंगा प्रसाद यादव, राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेश दहिया, पंजाब के किसान नेता व राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो0 अजीत सिंह कोहलान, उत्राखण्ड़ के प्रदेश अध्यक्ष राव इरशाद खान, राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष चै0 बनये सिंह, दिल्ली के अध्यक्ष चै0 राजरूप राणा, बिहार के लक्ष्मीनारायण तिवारी, भानु प्रताप सिंह, तेज सिंह, रमाशंकर चैधरी आदि लोगों ने सम्बोधित किया। सभा का संचालन भाकियू के उ0 प्र0 के अध्यक्ष शिव प्रताप सिंह ने किया।
(एस. आर. दारापुरी)
पूर्व आई.जी. उ0 प्र0 व राष्ट्रीय प्रवक्ता,
आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट द्वारा जारी
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Satya Narayan
'आप' पूरी पूँजीवादी व्यवस्था को कभी कठघरे में खड़ा नहीं करती। उल्टे पूँजीपति वर्ग को भी वह 'विक्टिम' और पीड़ित के रूप में दिखलाते हैं! अपने घोषणापत्र में केजरीवाल लिखते हैं कि कांग्रेस और भाजपा जैसी भ्रष्ट पार्टियों के कारण मजबूर होकर पूँजीपतियों को भ्रष्टाचार करना पड़ता है! यह दोगलेपन की इन्तहाँ नहीं तो क्या है? आप देख सकते हैं कि भ्रष्टाचार के मुद्दे को किस प्रकार नंगी और बर्बर पूँजीवादी लूट को छिपाने के लिए इस्तेमाल किया गया है। पूँजीपति जो श्रम कानूनों का उल्लंघन करते हैं क्या वह मजबूरी के कारण करते हैं? ठेकाकरण क्या वह भ्रष्टाचार से मजबूर होकर करते हैं? यह तो पूरी तस्वीर को ही सिर के बल खड़ा करना है। वास्तव में, सरकार (चाहे किसी की भी हो!) और पूँजीपति वर्ग मिलकर मज़दूरों के विरुद्ध लूट और हिंसा को अंजाम देते हैं!
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Aam Aadmi Party Kerala ആം ആദ്മി പാര്ട്ടി കേരളം

റിലയന്‍സിനെതിരെ നടപടി എടുത്തപ്പോള്‍ കോണ്‍ഗ്രസും ബിജെപിയും ഒത്തുകളിച്ചു, ജനലോക്പാല്‍ ബില്‍ പാസ്സായില്ല; വാക്കു പാലിച്ച് കെജ്‌രിവാള്‍ രാജിവെച്ചു


ന്യൂഡല്‍ഹി: നിയമസഭയില്‍ ജന്‍ലോക്പാല്‍ ബില്‍ അവതരിപ്പിക്കുന്നത് പരാജയപ്പെട്ടതിനെ തുടര്‍ന്ന് ഡല്‍ഹി മുഖ്യമന്ത്രി അരവിന്ദ് കെജ്‌രിവാള്‍ രാജിവെച്ചു. ബില്‍ അവതരിപ്പിക്കുന്നതുമായി ബന്ധപ്പെട്ട് ഡല്‍ഹി നിയമസഭയില്‍ നടന്ന നാടകീയ നീക്കങ്ങള്‍ക്കൊടുവിലാണ് കെജ്‌രിവാള്‍ രാജി പ്രഖ്യാപിച്ചത്. ബില്ലിനെതിരെ കോണ്‍ഗ്രസും ബിജെപിയും ഒത്തുകളിച്ചെന്ന് രാജി പ...See More

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Dilip Khan
कल संसद में नमक-मिर्च हुआ, आज दिल्ली विधानसभा में अचार डल रहा है।
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Aam Aadmi Party Kerala ആം ആദ്മി പാര്ട്ടി കേരളം
പ്രകൃതി വാതക വില നിര്‍ണ്ണയ ക്രമക്കേടില്‍ മുരളി ദേവ്റ, വീരപ്പ മോയിലി, വി.കെ സിബല്‍, മുകേഷ് അംബാനി, റിലയന്‍സ് ഇന്‍ടുസ്ട്രീസ്‌ ലിമിറ്റഡ്, മറ്റു ബന്ധപ്പെട്ടവര്‍ തുടങ്ങിയവര്‍ക്കെതിരെ FIR രജിസ്റ്റര്‍ ചെയ്തു.
ഡല്‍ഹി സര്‍ക്കാറിനുകീഴിലുള്ള അഴിമതിവിരുദ്ധ ബ്യൂറോയ്ക്കാണ്, ഗോദാവരി വാതകപ്പാടത്തിന് (കെ.ജി.ബേസിന്‍) വില നിശ്ചയിച്ചതിലെ ക്രമക്കേട് സംബന്ധിച്ച പരാതിയില്‍ കേന്ദ്ര പെട്രോളിയംമന്ത്രി എം.വീരപ്പമൊയ്‌ലിക്കും റിലയന്‍സ് മേധാവി മുകേഷ് അംബാനിക്കുമെതിരെ കേസെടുക്കാന്‍ ഡല്‍ഹിയിലെ ആം ആദ്മി...Continue Reading
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Faisal Anurag
आज कल भाजना नेताओं को दिल्ली में संविधान की कुछ ज्यादा ही याद आ रही है. वे तब कहां थें जब कल्याएा सिंह बाबरी मसजिद तोडवा रहे थे और बाजपेयी संविधान बदलाव के लिए आयोग बना रहे थे. गुजरात में 2002 में संविधान तो सबका संरक्षण करने में कामयाब रहा या नहीं दुनिया ने देखा है. स्वीकार कीजिए न अपना असली एजेंडा जो अडानी अंबानी टाटा और अन्य कारपोरेट आपके लिए निर्धारित कर चुके हैं और अब तो अमरीका ने आपकी की भकित का पुरस्कार भी दे दिया है न ! कांग्रेस की आप बी टीम हैं और यही रहेगें.
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Kiran Tripathi
मिर्च का स्प्रे महिलाओं को बलात्कारियों और छेड़.छाड़ करने वालों के खिलाफ प्रयोग करने की सलाह दी जा रही थी। क्या पता था कि संसद में इसका प्रयोग प्रदेश के साथ छेड़छाड़ करने वालों के खिलाफ इस तरह से हो जायेगा।
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Faisal Anurag via Anuj Lugun
Anuj Lugun likes a link.
समाजवाद के खिलाफ मिली उसकी फौरी कामयाबी एक दशक भी नहीं टिक सकी। शीतयुद्ध की समपित विश्वशांति के लिये धोखा ही प्रमाणित हुआ, उसने ऐसी सिथतियों की रचना की, कि युद्ध का खतरा बढ़ता ही चला गया। इराक के बाद अफगानिस्तान और फिर लीबिया का पतन हुआ। सीरिया के संकट को विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ा कर दिया गया। ऐसी सिथतियां बन गयीं कि मुक्त बाजारवादी शकितयां आज दो खेमों में विभाजित है।
मुक्त बाजारवाद के विरूद्ध निष्कासित समाजवाद की वापसी | E-News
e-news.in
मुक्त बाजारवाद के विरूद्ध निष्कासित समाजवाद की वापसीPosted by: admin in सोच की जमीनDecember 11, 2013072 Viewsरूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोवियत संघ के कोमसोमोल जैसे संगठन की बात की है, जिसने...
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The Economic Times
Will UPA Hit A Six On The Last Ball? Read A Comprehensive View On Budget Before Elections… Only On economictimes.com!
Vote On Account-Interim Budget 2014
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Arvind Kejriwal

Delhi assembly, for the first time, in its history, saw the BJP & Congress MLAs united in action & intention. They tore papers, broke mikes and disrupted the proceeding of the assembly to prevent the Janlokpal bill from being tabled. This, inspite of telling the people that they support the Janlokpal bill. Today their doublespeak and hypocrisy stands exposed.

Unlike ·  · Share · 45,7894,5815,311 · 21 hours ago ·

Aam Aadmi Party
The Delhi assembly again saw unruly scenes from the opposition BJP and Congress. Members of both the parties kept coming in the well again and again and raised non issues to keep on disrupting the proceedings.

Now the house has been adjourned and an all party meeting has been called by the speaker.
||
दिल्ली विधानसभा में कल की तरह आज भी कांग्रेस और भाजपा द्वारा हंगामा किया गया. दोनों ही पार्टियों के सदस्य बार बार सदन की कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न करते रहे.

अब सदन को बीस मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया है और स्पीकर ने सभी पार्टियों के MLA को आल पार्टी मीटिंग के लिए बुलाया है.
Like ·  · Share · 3,317583407 · 3 hours ago ·
Aam Aadmi Party Kerala ആം ആദ്മി പാര്ട്ടി കേരളം
എന്താണ് രാഷ്ട്രീയത? എന്താണ് അരാഷ്ട്രീയത?
അവനവന്‍റെ ലാഭനഷ്ടങ്ങള്‍ ആലോചിക്കാതെ മനോഭാവം, വാക്ക്, പ്രവൃത്തി എന്നിവയില്‍ ഒന്ന് കൊണ്ടോ എല്ലാം കൊണ്ടുമോ അനീതിയെ പ്രതിരോധിക്കലാണ് രാഷ്ട്രീയത, അവനവന്‍റെ ലാഭങ്ങള്‍ക്കു വേണ്ടി മനോഭാവം, മൌനം, വാക്ക്, പ്രവൃത്തി എന്നിവയില്‍ ഒന്നു കൊണ്ടോ എല്ലാം കൊണ്ടുമോ അനീതിയെ അനുകൂലിക്കലാണ് അരാഷ്ട്രീയത.
Unlike ·  · Share · 189869 · 17 minutes ago ·
Aam Aadmi Party Kerala ആം ആദ്മി പാര്ട്ടി കേരളം
ഒടുവില്‍ കോണ്‍ഗ്രസ്സും ബിജെപിയും ഒന്നിച്ചു. ജന്‍ ലോക്പാല്‍ ബില്‍ പാസ്‌ ആയില്ല.

ദില്ലി: അഴിമതിയ്ക്കെതിരായ ജന്‍ ലോക്പാല്‍ ബില്‍ ദില്ലി നിയമസഭയില്‍ അവതരിപ്പിച്ചു. ഏറെ അനിശ്ചിതത്വങ്ങള്‍ക്ക് ഒടുവില്‍ ദില്ലി മുഖ്യമന്ത്രി അരവിന്ദ് കെജ്രിവാളാണ് ബില്‍ അവതരിപ്പിച്ചത്.പക്ഷെ
കോണ്‍ഗ്രസും ബിജെപിയും എതിര്‍ത്ത് വോട്ട് ചെയ്തു . 42 പേര്‍ ബില്‍ അവതരിപ്പിക്കുന്നതിനെ എതിര്‍ത്തു . 27 പേര്‍ ബില്‍ അവതരിപ്പിക്കുന്നതിനെ അനുകൂലിച്ചു .

ഇപ്പോള്‍ നമുക്ക് വ്യക്തമായി ഈ രണ്ടു പാര്‍ട്ടികളും ജനലോക്പാല്‍ ബില്‍ പാസ്‌ ആക്കുവാന്‍ സമ്മതിക്കുകയില്ല. ഇനി നമ്മള്‍ ആണ് തീരുമാനിക്കേണ്ടത്. അഴിമതി നമ്മുടെ രാജ്യത്ത് നിന്ന് തുടച്ചു നീക്കണമോ വേണ്ടയോ ....???
Aam Aadmi Party
Congress-BJP get together to force vote on Janlokpal - Bill rolled back and announced as not tabled || कांग्रेस भाजपा ने दिल्ली विधानसभा में एक होकर जनलोकपाल की नहीं प्रस्तुत होने दिया

Aam Aadmi Party introduced the Delhi Janlokpal Bill 2014 in the Delhi Assembly but BJP and Congress jointly conspired to withdraw the bill from the assembly and 42 MLAs voted against introduction of the Delhi Janlokpal Bill.
Considering the advantage of number they have, once the introduction...See More
Like ·  · Share · 761192135 · 11 minutes ago ·
Aam Aadmi Party
The Delhi assembly again saw unruly scenes from the opposition BJP and Congress. Members of both the parties kept coming in the well again and again and raised non issues to keep on disrupting the proceedings.

Now the house has been adjourned and an all party meeting has been called by the speaker.
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दिल्ली विधानसभा में कल की तरह आज भी कांग्रेस और भाजपा द्वारा हंगामा किया गया. दोनों ही पार्टियों के सदस्य बार बार सदन की कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न करते रहे.

अब सदन को बीस मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया है और स्पीकर ने सभी पार्टियों के MLA को आल पार्टी मीटिंग के लिए बुलाया है.
Unlike ·  · Share · 3,338583407 · 3 hours ago ·

Aam Aadmi Party Kerala ആം ആദ്മി പാര്ട്ടി കേരളം
ജന്‍ലോക്പാല്‍ ബില്‍ നിയമസഭയില്‍ വയ്ക്കാതിരിക്കാന്‍ കോണ്‍ഗ്രസ്സും ബിജെപിയും ഒത്തുചേര്‍ന്ന് ഡല്‍ഹി നിയമസഭയില്‍ അരാജകത്വം അഴിച്ചു വിട്ടു സ്തംഭിപ്പിച്ചു.

ന്യൂഡൽഹി: പാർലമെന്റിലെ അക്രമത്തെ അപലപിക്കുന്പോൾ ഡൽഹി നിയമസഭയിൽ കോൺഗ്രസ് അംഗങ്ങൾ മൈക്ക് വലിച്ചൊടിക്കുകയും പ്രക്ഷുബ്‌ധമായ അന്തരീക്ഷം സൃഷ്ടിക്കുകയും ചെയ്തു. ഡൽഹിയിൽ സ്ത്രീകളുടെ താമസസ്ഥലത്ത് അർദ്ധരാത്രി റെയ്ഡ് നടത്തിയ മന്ത്രി സോംനാഥ് ഭാരതിയെ പുറത്താക്കണമെന്നാവശ്യപ്പെട്ട് എ.എ.പി സർക്കാരിനെതിരെ കോൺഗ്രസ്-ബിജെപി അംഗങ്ങൾ ഒന്നിച്ചുചേർന...See More
Like ·  · Share · 1,7381261,165 · 19 hours ago ·
Aam Aadmi Party Kerala ആം ആദ്മി പാര്ട്ടി കേരളം
റിലയന്‍സ് ഇടപാടിലെ ക്രമക്കേട്സി.എ.ജി ചൂണ്ടിക്കാട്ടിയത്
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ഇദ്ദേഹത്തിന് മുന്‍പ് പെട്രോളിയം മന്ത്രി ആയിരുന്ന ജയ്പാല്‍ റെഡ്ഡി റിലയന്‍സിന് എതിരെ നിലപാട്‌ എടുത്തപ്പോള്‍ അടുത്ത ദിവസത്തിനുള്ളില്‍ അദ്ധേഹത്തിന്‍റെ വകുപ്പ് പോയി. ഞങ്ങള്‍ക്കറിയാം സര്‍ നിങ്ങള്‍ ആര്‍ക്കുവേണ്ടി ആണ് ഭരിക്കുന്നതെന്ന്. ഒന്നോര്‍ത്തോളൂ... ഈ രാജ്യത്തെ ജനങ്ങള്‍ ആണ് നിങ്ങളെ ജയിപ്പിച്ചു വിട്ടത് നാളെ നിങ്ങള്‍ ഈ ജനങ്ങളുടെ അടു...See More
Unlike ·  · Share · 1,031132967 · 4 hours ago ·
Aam Aadmi Party Kerala ആം ആദ്മി പാര്ട്ടി കേരളം
അഴിമതിക്കെതിരായ ജന്‍ലോക്പാല്‍ ബില്‍ ഡല്‍ഹി നിയമസഭയില്‍ അവതരിപ്പിക്കരുത് എന്ന് ലെഫ്റ്റനെന്‍റ് ഗവര്‍ണ്ണര്‍ നജീബ് ജംഗ്. ഇക്കാര്യം ഉന്നയിച്ച് നജീബ് ജംഗ്‍ നിയമസഭാ സ്പീക്കര്‍ക്ക് കത്തയച്ചിട്ടുണ്ട്.ബില്‍ അവതരിപ്പിക്കാനുള്ള നീക്കം ഭരണഘടനാവിരുദ്ധമാണെന്ന് ലഫ്റ്റനന്റ് ഗവര്‍ണ്ണര്‍ കത്തില്‍ ചൂണ്ടിക്കാട്ടി.ദല്‍ഹി പൊലീസിനെയും ഡി.ഡി.എയെയും ബില്ലിന്റെ പരിധിയില്‍ കൊണ്ടുവരുന്നത് കേന്ദ്രസര്‍ക്കാര്‍ തള്ളിയിട്ടുണ്ട്. ഇതേ സമയം ബില്‍ അവതരിപ്പിക്കനായില്ലെന്കില്‍ ജന്‍ലോക്‍പാല്‍ ബില്‍ പാസ്സാക്കാനായില്ലെങ്കില്‍ രാജി വെയ്ക്കും എന്ന നിലപാടില്‍ വിട്ടു വീഴ്ച്ചയില്ലെന്നു ഡല്‍ഹി മുഖ്യമന്ത്രി അരവിന്ദ്‌ കേജ്രിവാള്‍ ആവര്‍ത്തിച്ചു.

കൂടതല്‍ വായിക്കൂ :http://www.indiavisiontv.com/2014/02/14/307413.html
Aam Aadmi Party Kerala ആം ആദ്മി പാര്ട്ടി കേരളം
ഡല്‍ഹി നിയമസഭയില്‍, ചരിത്രത്തില്‍ ആദ്യമായി, കോണ്‍ഗ്രസ്സ് - ബിജെപി എംഎല്‍എമാര്‍ ഉദ്ദേശത്തിലും പ്രവര്‍ത്തിയിലും ഒരുമിക്കുന്നത് കാണുവാന്‍ കഴിഞ്ഞു. ജന്‍ലോക്പാല്‍ ബില്‍ സഭയില്‍ വയ്ക്കുന്നത് തടയുവാന്‍ വേണ്ടി ഇവര്‍ പേപ്പറുകള്‍ കീറി കളഞ്ഞു, മൈക്കുകള്‍ തകര്‍ത്തു. ജന്‍ലോക്പാലിനെ ഇവര്‍ പിന്തുണയ്ക്കുന്നു എന്ന് ജനങ്ങളോട് പറഞ്ഞിട്ടാണ് ഇതൊക്കെ ഇവര്‍ ചെയ്യുന്നത്. ഇവരുടെ ഇരട്ടത്താപ്പും കാപട്യവും ഇന്ന്‍ എല്ലാവര്‍ക്കും വെളിവായി.

അരവിന്ദ് കേജ്രിവാളിന്റെ പത്രസമ്മേളനത്തിന്‍റെ വീഡിയോ കാണുവാന്‍ ഈ ലിങ്ക് സന്ദര്‍ശിക്കുക: http://on.fb.me/1oqfBVP
Like ·  · Share · 2,040961,401 · 6 hours ago ·
Aam Aadmi Party Kerala ആം ആദ്മി പാര്ട്ടി കേരളം
ആം ആദ്മി പാര്‍ട്ടിയുടെ അഴിമതിക്കെതിരെയുള്ള യുദ്ധം ശരിക്കും "അഴിമതിക്കെതിരെ ഉള്ള യുദ്ധം തന്നെ ആണ്" അതിന് "എങ്കില്‍" എന്നോ "പക്ഷെ" എന്നോ ഉള്ള നിബന്ധനകള്‍ ഒന്നും ഇല്ല.

റിലയൻസ് കുടുംബവും കേന്ദ്ര സർക്കാരും തമ്മിൽ വർഷങ്ങളായി നടന്നുവരുന്ന 'ബിസിനസ് പങ്കാളിത്തം" രഹസ്യമൊന്നുമല്ല. രാഷ്ട്രത്തിന്റെയും ജനങ്ങളുടെയും താത്പര്യം പാടേ ബലികഴിച്ചുകൊണ്ട് റിലയൻസിന് വഴിവിട്ട അനവധി ആനുകൂല്യങ്ങൾ വാരിച്ചൊരിയുന്നതിൽ കേന്ദ്രം യാതൊരു ഉപേക്ഷയും കാണിക്കാറില്ല. ഇപ്പോഴത്തെ പ്രകൃതിവാതക ഇടപാടിലും അതുതന്നെ...See More
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Afroz Alam Sahil
मोदी हिटलर के तर्ज पर सत्ता में आने की कोशिश कर रहे हैं. मोदी सिर्फ मुसलमानों के लिए ही नहीं देश के दलितों, आदिवासियों और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरा हैं. गुजरात में आतंकवाद के नाम पर फर्जी गिरफ्तारियों और फर्जी मुठभेड़ों का खेल कारपोरेट पूंजी की लूट व शोषण के खिलाफ कोई जनांदोलन और मजदूर आंदलोलन न खड़ा हो इसका खेल है. यूपी, झारखंड और बिहार हिंदी भाषी क्षेत्रों के 76 नौजवान जो हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदायों से आते हैं, बकाया मजदूरी मांगने के चलते आतंकी होने के आरोप में मोदी के गुजरात में जेलों में सड़ रहे हैं...http://beyondheadlines.in/2014/02/anniversary-of-shahid-azmi/
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Lalajee Nirmal

मोदी जी खूब बोल रहे है ,दलित और पिछड़े भी उन्हें बहुत याद आ रहे है ,अपने आप को अछूत कहने से भी उन्हें कोई गुरेज नही है, फिर बहुजनो की संजीवनी, आरक्षण पर बोलने से परहेज क्यों कर रहे हैं |आरक्षण का आधार सामाजिक पिछड़ापन होगा या आर्थिक पिछड़ापन ,आप क्या सोचते है मोदी जी |प्रोन्नति में आरक्षण जायज है या नही ,न्यायपालिका में आरक्षण होना चाहिए या नही ,सत्ता और संसाधनों के समस्त श्रोतो में बहुजनो की भागीदारी के सवाल पर आप क्या सोचते हो नमो |

Unlike ·  · Share · 7 hours ago near Lucknow ·

S.r. Darapuri

साथियो!

जंतर मंतर पर आईपीएफ के राष्ट्रीय संयोजक अखलेंद्र प्रताप सिंह का दस दिवसीय अनशान और धरना कार्पोरेट को लोकपाल के दायरे में लाने, रोज़गार को मौलिक अधिकार बनाने, आतंकवाद के मामलों में फर्जी तौर पर फंसाए गए मुसलमानों के मामलों की न्यायिक जांच करवाने आदि मुद्दों को लेकर 2 फरवरी से चल रहा है. इस धरने को जनवादी और जन आन्दोलन की तमाम ताकतों का भारी समर्थन मिल रहा है. अखलेन्द्र प्रताप सिंह 16 फरवरी को अपना अनशन तोड़ेंगे.

आप सब से अनुरोध है कि 16 फरवरी को जंतर मंतर पर 11 बजे उपस्थित होकर अख्लेंद्र प्रताप सिंह के अनशन और धरने को समर्थन दें तथा हमारा मनोबल बढाएं.

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Aam Aadmi Party

Aam Aadmi Party introduced the Delhi Janlokpal Bill 2014 in the Delhi Assembly but BJP and Congress jointly conspired to withdraw the bill from the assembly and 42 MLAs voted against introduction of the Delhi Janlokpal Bill. And, considering the advantage of number they have, once the introduction was withdrawn there were wild celebrations. The real stand on corruption has finally come out. This proves, how worried they are at the prospect of a strong Janlokpal bill.


आज विधान सभा में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली जनलोकपाल बिल 2014 पेश किया लेकिन भाजपा और कांग्रेस ने एक साथ इस बिल के पेश होने का विरोध किया और इसको वापस लेने की साजिश रची। 69 में से 42 विधायकों ने इस बिल के पेशकश का विरोध किया। और जब बिल वापस ले लिया गया तोह भाजपा और कांग्रेस ने जिस तरह साथ जश्न किया उससे पता चलता है की एक मजबूत जनलोकपाल बिल से उनको कितना डर है और वो ऐसे मजबूत बिल को रोकने के लिए कुछ भी कर सकते हैं।

Like ·  · Share · 1,508428473 · 28 minutes ago ·

Reyazul Haque

The day is abuzz with the talk of love; And

Where are the days for our Afzals and Tabasums

Where are the days for our Showkats and Nilofars

Where are the days for our Tariqs and Yasmeenas

Where are the days for our Aeshas and Muneeras

where are the days for our hundreds and thousands...

Gazala Sopore

The day is abuzz with the talk of love; And

Where are the days for our Afzals and Tabasums

Where are the days for our Shakeels and Nilofars

Where are the days...See More

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Lalajee Nirmal

तब कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री थे |डा. अम्बेडकर जयंती के अवसर पर अम्बेडकर महासभा में आये हुए थे |आरक्षण पर बहस छिड़ी तो वे बोले थे, इस देश में जब तक जाति रहेगी तब तक आरक्षण रहेगा |मोदीजी आप भी कुछ बोलो |

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Lalajee Nirmal

आरक्षित वर्ग से होने का अर्थ यह नही कि आप सामान्य रिक्तियो पर चयन के लायक नही है |सामान्य रिक्तिया तो सबकी है, फिर, वह कौन सा रहस्य है जिसके कारण सामान्य निर्वाचन क्षेत्रो से प्रतिस्थापित राजनैतिक दल अनुसूचित जातियो को अपना उम्मीदवार नही बनाते |क्या इस रहस्य पर से कोई सोनिया कोई राजनाथ कोई करात पर्दा उठाएगा |

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  • You, Pramod Ranjan, Ashok Dusadh, Sudhir Ambedkar and 64 others like this.

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  • Sushil Kumar genral ko galat fahmi ha ki 50% per unka haq ha is galat fahmi ko door karne ke lie SC/ST/OBC ko jagna hoga

  • 6 hours ago · Like

  • Siddharth Kalhans अफलू जी कांशीराम साहेब कही आरक्षित सीट से नही लड़े वो हमेशा अनारक्षित सीट से ही लड़ते रहे।

  • 5 hours ago · Like

  • Siddharth Kalhans लालजी भाई जुलाई में मैने पोस्ट लिख कर जानकारी दी थी कि विश्वविद्यालय में प्रवेश की सूची में पहले 10 स्थान में से 7 पर गैर सामान्य बच्चे ही काबिज थे। मेडिकल प्रवेश में पहले 10 में 3 दलित थे

  • 5 hours ago · Like

  • Neeraj Bauddh मध्य प्रदेश में विधान सभा चुनाव में पन्ना जिले से अनारक्षित सीट आदिवासी को ही बी एस पी ने प्रत्यासी बनाया था । साथ ही विन्ध्य क्षेत्र से बी एस पी के रामगरीब कोल जी आदिवासी अनारक्षित सीट से विधायक भी रहे है ।

  • 2 hours ago · Edited · Like

Ashok Dusadh

एक दिन जय मंडल और जय भीम में तकरार हो गया मुद्दा था ओबीसी का आरक्षण १९५० में लागू हो जाता तो क्या हो जाता ! सच में अपना ही कपार धुनने वाला सवाल था - प्रश्न तो यह होना चाहिए की १९५० से ही अगर ओबीसी शिड्यूल कास्ट को अछूत मानना छोड़ देता तो क्या हो जाता ?

Unlike ·  · Share · 19 hours ago · Edited ·

  • You, अंबेडकर स्टूडेंट्स फोरम, Jayantibhai Manani, Sudhir Ambedkar and 46 others like this.

  • View 7 more comments

  • Shrawan Kumar Paswan मैंने भाई अरुण कुमार से बात कर गलत फहमी दूर करने की बात की।

  • 18 hours ago · Like

  • Jayantibhai Manani -

  • भाई Ashok Dusadh बात अज्ञानता की और जानकारी नहीं होने की है. क्या आज के ओबीसी और एसटी के 100 ग्रेज्युएट में से 1 भी इस बात को जानते है की 1300 साल पहेले देश में अछूत नहीं थे और एससी और ओबीसी हिलमिल कर रहेते थे.? जब पत्ता ही नहीं मानसिकता कैसे बदलेगी...?

  • 9 hours ago · Like · 2

  • Upendra Prasad मुलायम और माया की लड़ाई के कारण कुछ बेवकूफ टाइप के यादव बन्धु भीम राव अम्बेडकर के लिए अपमानजनक शब्दों को इस्तेमाल करते हैं. वैसे ओबीसी के आम लोग अम्बेडकर को अपना मसीहा समझते हैं. अब चूंकि मायावती पेरियार को भी गौरवांवित करती हैं. इसलिए ये लोग पेरियार को...See More

  • 32 minutes ago · Like · 1

  • Upendra Prasad ओबीसी को आरक्षण वीपी मंडल के

  • कारण नहीं मिली है. मंडल आयोग का गठन ओबीसी के आरक्षण की मांग को लटकाने के लिए किया गया था. 1978 में बिहार में कर्पूरी ठाकुर और उत्तर प्रदेश में रामनरेश यादव की सरकारों ने राज्य स्तर पर ओबीसी को आरक्षण दिया था और उनकी मांग थ...See More

  • 24 minutes ago · Edited · Like · 1

Ashok Dusadh

खाप पंचायतों को एक कानूनी अधिकार दे देना चाहिए , जो सांसद/विधायक सदन के अन्दर माइक तोड़े ,मिर्ची झोंके ,कागज का लड्डू बनाकर एक दुसरे पर फेंके ,पीछे से दुर्गन्ध फैलाये ....उसे खाप के हवाले कर सार्वजानिक रूप से सौ जूते मारने का अधिकार हो गिन कर एक भी कम न पड़े ,गिनती में भूल हो जाए तो फिर दुबारा सौ गिने .आखिर खापों का सकारात्मक उपयोग भी किया जा सकता है .

Like ·  · Share · 22 hours ago · Edited ·

The Economic Times

"He does not know how to speak" | Admitting that there was a "serious problem" with Delhi Law Minister Somnath Bharti's attitude, AAP leader Ashutosh today defended him, saying he has been told about it, and maintained that it would be wrong to call him racist. Read more here -http://ow.ly/tAQzO

Unlike ·  · Share · 3962742 · 20 hours ago · Edited ·



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जनज्वार डॉटकॉम

आस्तिकता और नास्तिकता के इस द्वंद्व में कभी धर्म की आड़ लेकर मनुष्य ने बड़े ही क्रूर तरीके से अपने विरोधियों का सफाया किया, तो कभी धर्म का विरोध करने के नाम पर बेरहम हत्यायें कीं. लिहाजा चाहे आस्तिकता रही हो या नास्तिकता, अपने लाभ के लिए हत्यारे दोनों रहे. दूसरी तरफ आस्तिकता और नास्तिकता मानव इतिहास में सृजनात्मक ताकतों के भी प्रेरणास्रोत बनते रहे...http://www.janjwar.com/janjwar-special/27-janjwar-special/4783-hatyare-badal-lete-hain-mukhaute-dharm-for-janjwar-by-kashyap-kishore-mishra

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खोज परिणाम

  1. ग़ैर-संवैधानिक आदेश नहीं मानूंगा: केजरीवाल

    बीबीसी हिन्दी-19 घंटे पहले
    दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि वो केंद्र सरकार के ग़ैर-संवैधानिक आदेश को नहीं मानेंगे. दिल्ली विधानसभा में जनलोकपाल बिल पेश नहीं हो पाने के बाद वो सदन को संबोधित कर रहे थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि ...
  2. भाजपा और कांग्रेस ने केजरीवाल को ही इस्तीफा के ...

    एनडीटीवी खबर-15 घंटे पहले
    नई दिल्ली: अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। अरविंदकेजरीवाल ने जहां पार्टी समर्थकों के सामने दिए अपने भाषण में कांग्रेस और बीजेपी को निशाने पर लिया, तो वहीं इन दोनों ही पार्टियों ने ...
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    नवभारत टाइम्स-30 मिनट पहले
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  4. केजरीवाल के इस्तीफे के बाद यह है आप का ऐक्शन प्लान

    Oneindia Hindi-Ajay Mohan द्वारा-53 मिनट पहले
    नई दिल्ली। अरविंद केजरीवाल का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के पीछे क्या मकसद है? यह सवाल हमने जनता से पूछा और तीन विकल्प दिये, जिसमें सबसे ज्यादा 40 फीसदी लोगों ने कहा लोकसभा में पीएम की कुर्सी उनका मकसद है। वहीं 28 प्रतिशत ...
  5. आंदोलन से लेकर इस्तीफे तक, केजरीवाल के सफर की एक ...

    ABP News-46 मिनट पहले
    जब जनलोकपाल का मजाक बना तो सरकारी लोकपाल का का ये हश्र बनाते अरविंद केजरीवाल का ये रुप भी सबने देखा. जब लगा कि ... असंभव को आजमाने निकले अरविंद केजरीवाल को जिन्होनें नाकरा उन्होंने ही बाद में स्वीकारा भी! आजादी के 66 ...
  6. केजरीवाल के घर के बाहर लगा समर्थकों का तांता

    Live हिन्दुस्तान-1 घंटे पहले
    त्यागपत्र के बाद आज पहली सुबह केजरीवाल के पटियाला हाउस अदालत के नजदीक स्थित सरकारी आवास के बाहर कुछ वैसा ही नजारा था जैसे उनके मुख्यमंत्री बनने से पहले उनके कौशाम्बी स्थित आवास पर नजर आता था। उनके घर के बार मिलने वालों ...
  7. केजरीवाल समर्थकों का नारा : पहले शीला हारी है, अब ...

    एनडीटीवी खबर-17 घंटे पहले
    आप कार्यालय के बाहर एकत्र कई समर्थकों ने कहा कि केजरीवाल को इस्तीफा देकर इस साल मई में होने वाले आम चुनाव में लड़ना चाहिए। एक समर्थक ने कहा, 'उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। वह लोकसभा चुनाव जीतेंगे और प्रधानमंत्री के रूप में ...
  8. हरियाणा और यूपी से चुनावी बिगुल फूंकेगी 'आप'

    दैनिक भास्कर-1 घंटे पहले
    बस 49 दिन में ही सीएम की कुर्सी से अरविंद केजरीवाल के इस्‍तीफा देने पर 'आप' के संस्‍थापक सदस्‍यों में से एक, प्रशांत भूषण ने कहा है कि वह नहीं चाहते थे किकेजरीवाल सरकार गिर जाए। लेकिन, कांग्रेस-भाजपा ने मिल कर ऐसे हालात बना दिए ...
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  9. केजरीवाल की सियासी 'शहादत', एक तीर से कई निशाने

    नवभारत टाइम्स-10 घंटे पहले
    जन लोकपाल बिल को पेश न कर पाने के कारण अरविंद केजरीवाल 'शहीद' हो गए। उनके सामने दो विकल्प थे- सड़क पर उतरने के लिए विधानसभा में 'शहीद' हो जाएं या फिर विधानसभा में बने रहकर वह जनता से किए गए अपने वादे को पूरा न करने का जोखिम लें।
  10. केजरीवाल का इस्तीफा, विधानसभा भंग करने, चुनाव ...

    Live हिन्दुस्तान-18 घंटे पहले
    दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में जन लोकपाल विधेयक पेश नहीं हो पाने के बाद शुक्रवार की रात अपने पद से इस्तीफा दे दिया और राजनीतिक दांव खेलते हुए विधानसभा को भंग करने तथा नये सिरे से चुनाव कराने की ...

    1. इस्तीफा देने का जनमत संग्रह हुआ था?: लालू

      बीबीसी हिन्दी-17 घंटे पहले
      दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने पर कई प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. भाजपा और कांग्रेस जैसे राजनीतिक दलों ने जहां उन पर ज़िम्मेदारी से भागने का आरोप लगाया है, वहीं सोशल मीडिया पर भी ...
    2. केजरीवाल का इस्तीफा, विधानसभा भंग करने, चुनाव ...

      Live हिन्दुस्तान-18 घंटे पहले
      दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में जन लोकपाल विधेयक पेश नहीं हो पाने के बाद शुक्रवार की रात अपने पद से इस्तीफा दे दिया और राजनीतिक दांव खेलते हुए विधानसभा को भंग करने तथा नये सिरे से चुनाव कराने की ...
    3. अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा दुर्भाग्यपूर्णः ...

      नवभारत टाइम्स-10 घंटे पहले
      अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक गुरु और हाल ही में सख्त आलोचक रहे अन्ना हजारे ने अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने रालेगण सिद्धि में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अरविंद केजरीवाल के लिए ...
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    4. दिल्ली विधानसभा में जनलोकपाल बिल के पेश न हो ...

      एनडीटीवी खबर-6 घंटे पहले
      नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में जनलोकपाल बिल पेश करने की अपनी कोशिशों में विफल होने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने उपराज्यपाल नजीब जंग को अपने इस्तीफे की चिट्ठी सौंप दी है।
    5. केजरीवाल से 5 सवाल: सरकार जनता से पूछकर बनाई ...

      दैनिक भास्कर-4 घंटे पहले
      नई दिल्ली. 49 दिनों की सरकार चलाने के बाद आखिरकार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उसी जन लोकपाल के मुद्दे पर अपनी सरकार को 'शहीद' कर दिया जिसके बूते वे सत्ता में आए थे। लेकिन केजरीवाल के इस्तीफे से कई सवाल खड़े ...
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    6. AAP को क्या हो सकता है नफा-नुकसान

      दैनिक भास्कर-6 घंटे पहले
      नई दिल्‍ली. जनलोकपाल बिल पास करा पाने में असफल रहने के बाद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा देने के बाद केजरीवाल ने हनुमान रोड स्थित कार्यालय की उसी खिड़की से पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित ...
    7. केजरीवाल का मन खट्टा हुआ

      नवभारत टाइम्स-19 घंटे पहले
      विशेष प्रतिनिधि, नई दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में अपने अंतिम भाषण में ही यह संकेत दे दिया था कि वह इस्तीफा देने वाले हैं। इसीलिए जब वह भाषण देने के लिए खड़े हुए तो मान लिया कि विधानसभा में हुई घटनाओं से उनका ...
    8. केजरीवाल का इस्‍तीफा देना दुर्भाग्‍यपूर्ण: अन्‍ना ...

      Oneindia Hindi-15 घंटे पहले
      रालेगण सिद्धि। दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्‍तीफा देने पर समाजसेवी अन्‍ना हजारे ने कहा है कि केजरीवाल का इस्‍तीफा देना दुर्भाग्‍यपूर्ण हैं। उसने जनलोकपाल के मुद्दे पर इस्‍तीफा दिया है। ऐसा नहीं होना चाहिए था, ...
    9. केजरीवाल का इस्तीफा सुनियोजित नाटक : कांग्रेस

      Webdunia Hindi-4 घंटे पहले
      कांग्रेस ने शुक्रवार रात कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा पूरी तरह से सुनियोजित नाटक है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने शुक्रवार रात कहा कि जहां तक केजरीवाल के ...
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    10. केजरीवाल समर्थकों का नारा : पहले शीला हारी है, अब ...

      एनडीटीवी खबर-17 घंटे पहले
      आप कार्यालय के बाहर एकत्र कई समर्थकों ने कहा कि केजरीवाल को इस्तीफा देकर इस साल मई में होने वाले आम चुनाव में लड़ना चाहिए। एक समर्थक ने कहा, 'उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। वह लोकसभा चुनाव जीतेंगे और प्रधानमंत्री के रूप में ...
      1. केजरीवाल के लिए समाचार

        1. Zee News हिन्दी ‎- 15 घंटे पहले
          दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने केजरीवाल के इस्तीफे की पुष्टि की है।
      2. ट्विटर पर अरविंद केजरीवाल 'भगोड़ा' करार! - Navbharat ...

        7 घंटे पहले - जनलोकपाल के मुद्दे पर दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले अरविंद केजरीवालकी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर खूब खिंचाई हो रही है। माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर केजरीवालको 'भगोड़ा' करार दिया गया है। उन पर #BhagodaKejri ...
      3. अरविंद केजरीवाल का इस्तीफ़ा - BBC Hindi - भारत

        18 घंटे पहले - अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया है. दिल्ली में आम आदमी पार्टी के कार्यालय में कार्यकर्ताओं के बीच उन्होंने इस्तीफ़ा देने का ऐलान किया और उप राज्यपाल से विधानसभा भंग किए जाने की मांग ...
      4. केजरीवाल का इस्तीफ़ा देना कितना सही? - BBC Hindi ...

        10 घंटे पहले - दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है. शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा से जनलोकपाल बिल प्रस्तुत करवाने में असमर्थ रहने के बाद उन्होंने अपना इस्तीफ़ा देने का ऐलान किया.
      5. अरविंद केजरीवाल - विकिपीडिया

        hi.wikipedia.org/wiki/अरविंद_केजरीवाल
        अरविंद केजरीवाल (जन्म: १६ अगस्त १९६८) भारत के दिल्ली राज्य के भूतपूर्व मुख्यमंत्री हैं। 28 दिसंबर 2013 से 14 फरवरी 2014 तक वे इस पद पर रहे। वे एक सामाजिक कार्यकर्ता रहे हैं और सरकार में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए संघर्ष करते रहे हैं। उन्हें २००६ ...
      6. इस्तीफे से पहले केजरीवाल ने किया समर्थकों को ...

        16 घंटे पहले
        अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफे के ऐलान के बाद पार्टी दफ्तर पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा ...
      7. अरविंद केजरीवाल: 'आम आदमी' की ताकत...: AAJ TAK: Popular

        अरविंद केजरीवाल का जन्‍म 16 अगस्त 1968 में हरियाणा के हिसार जिले में हुआ.
      8. उपराज्यपाल के ऐतराज के बावजूद जनलोकपाल बिल पेश ...

        1 दिन पहले - नई दिल्ली: दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार जनलोकपाल बिल को उपराज्यपाल के ऐतराज के बावजूद आज विधानसभा में पेश करने पर अड़ी हुई है। सरकार अगर विधानसभा में बिल को पास नहीं करा सकी, तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने पद से ...
      9. अरविंद केजरीवाल - अन्य हिन्दी ख़बरें

        अरविंद केजरीवाल homepage on NDTVKhabar.com Find Hindi News articles about अरविंद केजरीवाल. अरविंद केजरीवाल News, Photos, Video & More न्यूज़, ताज़ा ख़बर on NDTV India, NDTVKhabar.com.
      10. अरविंद केजरीवाल : प्रोफाइल

        केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 को हरियाणा राज्य के हिसार जिले के सिवानी गांव में हुआ था। गोविंद और गीता केजरीवाल उनके पिता और माता हैं। केजरीवाल ने आईआईटी खड़गपुर से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली और वे 1992 में भारतीय राजस्व ...

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