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Monday, June 1, 2015

जनकृति अंतरराष्ट्रीय पत्रिका का नया अंक (अंक-3, मई 2015)

जनकृति अंतरराष्ट्रीय पत्रिका का नया अंक (अंक-3, मई 2015)

जनकृति पत्रिका का मई अंक आप सभी के समक्ष प्रस्तुत है..पढ़ने के लिए पत्रिका की वेबसाईट पर विजिट करें (www.jankritipatrika.com) एवं वर्तमान अंक को अपने फेसबुक इत्यादि पर साझा करें..विषय सूची नीचे दी गई है 

 

                                      अंक-3, मई -2015

                                              विषय- सूची

 

साहित्यिक विमर्श  (कविता, नवगीत, कहानी, लघु-कथा, व्यंग्य, काव्य विमर्श)

 

कविता

डॉ. ईश मिश्रा, डॉ. छवि निगम, डॉ. मनोहर अभय, डॉ. प्रमोद पाण्डेय, अरुण शीतांश, राजेश्वरी जोशी, बी. शिवानी, मंजू गुप्ता, मोहिंदर कुमार, प्रज्ञा शालिनी, सचिन कुमार दीक्षित, सीमा आरिफ़, श्वेता मिश्रा

 

नवगीत

नवगीत : संजय वर्मा

 

कहानी

रामजी महाराज या आज की सीता : डॉ. सरस्वती जोशी (फ्रांस)

तक्सीम: प्रज्ञा

ह्त्या-आत्महत्या: पवन कुमार

ओवरकोट: विनीता शुक्ला

 

लघु कथा

आत्मबलिदान: आनंद

मजहब: मधुदीप

 

व्यंग्य

'एक बुद्ध' और 'खरीदने जाना पामेरियन का : डॉ. हरिश नवल

बरसात ने दिल तोड़ दिया: प्रेम जनमेजय

पद-पुराण: राजेन्द्र वर्मा

बच्चे सीख ...तू सीख: शंकर


शोध विमर्श

सेंट- पीटर्सबर्ग विश्वविद्यालय में भारत संबंधी शोध परंपरा: येकतिरिना कोस्तिना, आन्ना चेल्नाकवा (रूस)

 

नव लेखन

अयं निजपरो वेनि गणिा लघुचेतसाम्: साशा (रूस)

जनता को प्रबुद्ध करने वाली कला के योद्धा: 'लू शुन': मुकेश चंद्रा (समीक्षा)

 

स्त्री विमर्श

हिंदी कवि अनामिका की कविता में स्त्री विमर्श: क्सेनिया लेसिक (मास्को)

दायरों के बरक्स: मनीषा (समीक्षा)

 

दलित एवं आदिवासी विमर्श

समकालीन हिंदी उपन्यास में आदिवासी विमर्श की दशा-दिशा: रवि शंकर शुक्ल

भारत का राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम और आदिवासियों की भूमिका: उमेश चंद्र

हिंदी साहित्य में आदिवासी विमर्श: सुरिय्या शेख

दलित आत्मकथाओं में स्त्री: आशीष कुमार, राजेश कुमारी

 

बाल विमर्श

बाल साहित्य: उपेक्षा और अपेक्षा: दिविक रमेश

बचपन में ही नर्क की दस्तक: डॉ. लोकेंद्र सिंह कोट

 

 

रंग विमर्श

PRACTICING SCENOGRAPHY IN INDIADr. Satyabrata Rout

 

सिने विमर्श

रंग रसिया:  फ़िल्मी पर्दे को कैनवास में बदलता सिनेमा: मृत्युंजय प्रभाकर

फिल्मों की जुबां पर लागा नमक आईटम सॉंग का: डॉ. नीतू परिहार

Comedy sequence in Hindi Film: Garima

 

शोध आलेख

बस्तर का लोक पर्व 'कोड़तापंडूम' (नवाखानी): डॉ. रूपेंद्र कवि (लोक विमर्श)

भारत का सामाजिक परिवर्तन और स्वामी विवेकानंद: प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा

सभ्यता का संकट और उसका समाधान: डॉ. देवानंद कुंभारे, रजनीश कुमार अम्बेडकर

मुस्लिम बहुल इंडोनेशिया में विश्व संस्कृति मंच: डॉ. गौतम कुमार झा

राजनीति के संदर्भ में आधुनिकता एवं उत्तराधुनिकता: डॉ. मो. मजीद मिया

हिंदी में सामाजिक अस्मिता की अवधारणा: अजय कुमार यादव

प्रगतिशील- काव्य में प्रेम की प्रगतिशीलता पर एक बहस: अनूप बाली

पर्यावरण की चुनोतियाँ: बाल मुकुंद ओझा

भारतेंदु और उनका नाटक 'अंधेर नगरी': नरेंद्र कुमार

वारेन हेस्टिंग्स का सांड: एक उत्तर औपनिवेशिक गाथा: राहुल शर्मा

साहित्य और चरित्र का प्रश्न: शशांक शुक्ला

भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र: तरुण वत्स


साक्षात्कार

डॉ. श्याम सुंदर दुबे से जयप्रकाश मानस जी की बातचीत

उद्भ्रांत जी से अविनाश मिश्रा की बातचीत

  

मीडिया विमर्श

सडकों पर फैसले नहीं होते : पंकज चतुर्वेदी

अच्छे दिनों के इंतजार में हिंदी विज्ञान पत्रकारिता: बृजेश कुमार त्रिपाठी

Literature, Society and Media: Rakesh Kumar

Stylistic approach to Media Language: Neha Maurya

 

युवा विमर्श

लोकतंत्र में युवाओं की भूमिका: आशुतोष कुमार झा

 

भाषिक विमर्श

हिंदी भाषा व साहित्य तथा शिक्षण-प्रणाली के समुचित विकास व संवर्धन में सुझाव: आचार्य रामदत्त मिश्र 'अनमोल'

 

हिंदी विश्व

यूरेशिया के देशों में हिंदी का विकास: चुनौतियां और संभावनाएं: डॉ. संतोष कुमारी अरोड़ा (आर्मेनिया)

उज़्बेकिस्तान में हिंदी भाषा और साहित्य: डॉ. उल्फ़त मुहीबोवा (उज़्बेकिस्तान)

80 करोड़ लोगों के बीच सुरक्षित है हिंदी का भविष्य: बालेंदु शर्मा दाधीच

समय की धारा में हिंदी का बहाव: अरविंद कुमार रावत

 

अनुवाद

अन्तोन चेख़व की कहानी- ग्रीसा (मूल रूसी से अनुवाद): अनिल जनविजय (मास्को)

 

(नोट: जून अंक हेतु आपकी रचनाएँ एवं आलेख आमंत्रित है. आप अपने सुझाव हमें jankritipatrika@gmail.com पर भेज सकते हैं)

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