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Saturday, March 29, 2014

विभिन्न राजनैतिक दलों के घोषणा पत्र विश्लेषण पर संवाद
By PVCHR
मानवाधिकार जननिगरानी समिति एवं जल-जन जोड़ो अभियान के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 28 मार्च 2014 को वाराणसी के होटल कामेश हट में अन्तर्राष्ट्रीय जल पुरुष एवं रेमन मैग्सेसे अवार्ड विजेता श्री राजेन्द्र सिंह जी द्रारा एक दिवसीय बौद्धिक संवाद “विभिन्न राजनैतिक दलों के घोषणापत्र पर विश्लेषण पर संवाद” कार्यक्रम का आयोजन किया गया| जिसके अंतर्गत उन्होंने कहा कि भारत में दिन प्रति दिन बढ़ते जल संकट एवं अपूर्ण जल प्रबंधन व संरक्षण के कारण पानी का स्तर लगातार कम होता जा रहा है| भारत में सूखा का प्रकोप गाँव से लेकर शहरों तक बढ़ता जा रहा है| इसी प्रमुख मुददे व विषय पर वर्तमान समय में आगामी लोकसभा चुनाव एवं राजनैतिक दलों के घोषणा पत्र में आमजन व समाज के अंतिम व्यक्ति के “मानवाधिकार सुरक्षा, लोकतंत्र एवं जल” के मूल्य को स्थापित करने, इन मूल्यों को प्रोत्साहित व संरक्षित करने के लिये उनके घोषणा पत्र में शामिल करने के लिये एक जन दबाव व सामूहिक आन्दोलन किया जा रहा है| जिसके अंतर्गत भारत के 11 राज्यों में जल-जन जोड़ो अभियान चलाया जा रहा है| उन्होंने कहा कि यह आन्दोलन सभी साधारण व ग़रीब लोगों को जोड़ते हुए एक संगठनात्मक रूप से जल के अति महत्वपूर्ण मुददे पर सरकार को और अधिक जवाबदेह बनाने का प्रयास है| जिसका नेतृत्व डा० संजय सिंह,(परमार्थ, उरई) राष्ट्रीय संयोजक– जल-जन जोड़ो अभियान द्रारा किया जा रहा है| डा० संजय सिंह जी ने कहा कि भारत में बढ़ते जल संकट को लेकर अब हमें अधिक से अधिक लोगों को जागरूक व ज़िम्मेदार बनाना होगा| इसलिए अब यह आन्दोलन जनसाधारण मुहिम के एक बड़े आन्दोलन के रूप में बदल चुका है| उन्होंने कहा कि हम लोग गाँव से लेकर शहरों तक आमजन को जोड़ते हुए परंपरागत जल संरक्षण व प्रबंधन की अपनी पुरानी एवं आधुनिक प्रणालियों, शैलियों के माध्यम से नदियों, कुओं, तालाबों, कुण्डों, झीलों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं| 

मानवाधिकार जननिगरानी समिति के महासचिव डा० लेनिन रघुवंशी जी ने कहा कि बनारस जैसे सांस्कृतिक व धार्मिक नगर में आज पवित्र गंगा की दयनीय हालात किसी से छुपी नहीं है| गंगा निर्मलीकरण के नाम पर सरकार द्रारा विभिन्न समिति व आयोग बनाकर 36,448 करोड़ रूपया पानी की तरह बहा दिया गया| लेकिन गंगा आज भी गंदी व मैली बनी हुई है| इसकी पवित्रता व अस्तित्व ही ख़तरे में पड़ गई है| लेकिन गंगा व उसकी पवित्रता का झूठा बखान करने वाले कुछ अतिवादी व सांप्रदायिक राजनैतिक दलों व उनके नेताओं को तो केवल चुनाव के समय ही माँ गंगा व काशी की याद आती है| इसलिये अब हमें उन चाटुकारों व झूठे नेताओं के बकवासों से बचना चाहिये और जल संरक्षण व उसके प्रबंधन के लिये एकजुट होकर इस आन्दोलन को और आगे पूरे देश में फ़ैलाना होगा| बनारस में जल-जन जोड़ो अभियान को समाज के हर वर्ग, तबके व आमजन में फ़ैलाने, लोकप्रिय बनाने तथा लोगों को जागरूक करते हुए उन्हें ज़िम्मेदार बनाने के लिये बनारस शहर का हर बंदा इसके लिये अपना योगदान अदा करेगा| 

कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन देते हुए मानवाधिकार जननिगरानी समिति/जनमित्र न्यास की मैनेजिंग ट्रस्टी श्रीमती श्रुति नागवंशी जी ने कहा कि गंगा में दिन प्रति दिन बढ़ते जल प्रदूषण व संकट की समस्या पर टाइम्स ऑफ इंडिया के खबर को अपने संज्ञान में लेते हुए विगत नवम्बर 2013 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बनारस में सुनवाई के दौरान गंगा तथा जल को मानवाधिकार परिपेक्ष्य में अति महत्वपूर्ण मानते हुए इसे गंभीर मामला माना व इसपर पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार व प्रदेश सरकार को भी अविलंब कार्यवाही करने का निर्देश भी दिया| जल हमारे जीवन के लिये वैसे ही है, जैसे की हवा और यदि यह दोनों प्रदूषित हो जाते हैं तो हम लोगों या मानव जीवन का अस्तित्व ही ख़तरें में पड़ जाएगा| कार्यक्रम का संचालन मानवाधिकार जननिगरानी समिति के कार्यकर्ता श्री इरशाद अहमद द्रारा किया गया|
मानवाधिकार जननिगरानी समिति एवं जल-जन जोड़ो अभियान के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 28 मार्च 2014 को वाराणसी के होटल कामेश हट में अन्तर्राष्ट्रीय जल पुरुष एवं रेमन मैग्सेसे अवार्ड विजेता श्री राजेन्द्र सिंह जी द्रारा एक दिवसीय बौद्धिक संवाद “विभिन्न राजनैतिक दलों के घोषणापत्र पर विश्लेषण पर संवाद” कार्यक्रम का आयोजन किया गया| जिसके अंतर्गत उन्होंने कहा कि भारत में दिन प्रति दिन बढ़ते जल संकट एवं अपूर्ण जल प्रबंधन व संरक्षण के कारण पानी का स्तर लगातार कम होता जा रहा है| भारत में सूखा का प्रकोप गाँव से लेकर शहरों तक बढ़ता जा रहा है| इसी प्रमुख मुददे व विषय पर वर्तमान समय में आगामी लोकसभा चुनाव एवं राजनैतिक दलों के घोषणा पत्र में आमजन व समाज के अंतिम व्यक्ति के “मानवाधिकार सुरक्षा, लोकतंत्र एवं जल” के मूल्य को स्थापित करने, इन मूल्यों को प्रोत्साहित व संरक्षित करने के लिये उनके घोषणा पत्र में शामिल करने के लिये एक जन दबाव व सामूहिक आन्दोलन किया जा रहा है| जिसके अंतर्गत भारत के 11 राज्यों में जल-जन जोड़ो अभियान चलाया जा रहा है| उन्होंने कहा कि यह आन्दोलन सभी साधारण व ग़रीब लोगों को जोड़ते हुए एक संगठनात्मक रूप से जल के अति महत्वपूर्ण मुददे पर सरकार को और अधिक जवाबदेह बनाने का प्रयास है| जिसका नेतृत्व डा० संजय सिंह,(परमार्थ, उरई) राष्ट्रीय संयोजक– जल-जन जोड़ो अभियान द्रारा किया जा रहा है| डा० संजय सिंह जी ने कहा कि भारत में बढ़ते जल संकट को लेकर अब हमें अधिक से अधिक लोगों को जागरूक व ज़िम्मेदार बनाना होगा| इसलिए अब यह आन्दोलन जनसाधारण मुहिम के एक बड़े आन्दोलन के रूप में बदल चुका है| उन्होंने कहा कि हम लोग गाँव से लेकर शहरों तक आमजन को जोड़ते हुए परंपरागत जल संरक्षण व प्रबंधन की अपनी पुरानी एवं आधुनिक प्रणालियों, शैलियों के माध्यम से नदियों, कुओं, तालाबों, कुण्डों, झीलों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं|

मानवाधिकार जननिगरानी समिति के महासचिव डा० लेनिन रघुवंशी जी ने कहा कि बनारस जैसे सांस्कृतिक व धार्मिक नगर में आज पवित्र गंगा की दयनीय हालात किसी से छुपी नहीं है| गंगा निर्मलीकरण के नाम पर सरकार द्रारा विभिन्न समिति व आयोग बनाकर 36,448 करोड़ रूपया पानी की तरह बहा दिया गया| लेकिन गंगा आज भी गंदी व मैली बनी हुई है| इसकी पवित्रता व अस्तित्व ही ख़तरे में पड़ गई है| लेकिन गंगा व उसकी पवित्रता का झूठा बखान करने वाले कुछ अतिवादी व सांप्रदायिक राजनैतिक दलों व उनके नेताओं को तो केवल चुनाव के समय ही माँ गंगा व काशी की याद आती है| इसलिये अब हमें उन चाटुकारों व झूठे नेताओं के बकवासों से बचना चाहिये और जल संरक्षण व उसके प्रबंधन के लिये एकजुट होकर इस आन्दोलन को और आगे पूरे देश में फ़ैलाना होगा| बनारस में जल-जन जोड़ो अभियान को समाज के हर वर्ग, तबके व आमजन में फ़ैलाने, लोकप्रिय बनाने तथा लोगों को जागरूक करते हुए उन्हें ज़िम्मेदार बनाने के लिये बनारस शहर का हर बंदा इसके लिये अपना योगदान अदा करेगा|

कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन देते हुए मानवाधिकार जननिगरानी समिति/जनमित्र न्यास की मैनेजिंग ट्रस्टी श्रीमती श्रुति नागवंशी जी ने कहा कि गंगा में दिन प्रति दिन बढ़ते जल प्रदूषण व संकट की समस्या पर टाइम्स ऑफ इंडिया के खबर को अपने संज्ञान में लेते हुए विगत नवम्बर 2013 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बनारस में सुनवाई के दौरान गंगा तथा जल को मानवाधिकार परिपेक्ष्य में अति महत्वपूर्ण मानते हुए इसे गंभीर मामला माना व इसपर पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार व प्रदेश सरकार को भी अविलंब कार्यवाही करने का निर्देश भी दिया| जल हमारे जीवन के लिये वैसे ही है, जैसे की हवा और यदि यह दोनों प्रदूषित हो जाते हैं तो हम लोगों या मानव जीवन का अस्तित्व ही ख़तरें में पड़ जाएगा| कार्यक्रम का संचालन मानवाधिकार जननिगरानी समिति के कार्यकर्ता श्री इरशाद अहमद द्रारा किया गया|


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