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Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Saturday, December 28, 2013

कोई शक की गुंजाइश

ही नहीं है कि

नये ईश्वर ने

थाम ली है

देश की बागडोर

भुगतते रहिए नतीजे आप


बाजार की युद्धक

प्रबंधकीय सुपर दक्षता

अब एनजीओ कम

कारपोरेट राजनीति

का मलंग शो और

हर शाट पर

पैसा वसूल

धूम चेन्नई एक्सप्रेस


पलाश विश्वास

कोई शक की गुंजाइश

ही नहीं है कि

नये ईश्वर ने

थाम ली है

देश की बागडोर

भुगतते रहिए नतीजे आप


Satya Narayan
आह्वान के फासीवाद विरोधी विशेषांक की पीडीएफ प्राप्‍त करने के लिए अपना ईमेल आइडी मुझे मैसेज करें या फिर कमेंट में डालें

लेख सुची

• देश में नये फासीवादी उभार की तैयारी
• भारतीय राज्यसत्ता का निरंकुश एवं जनविरोधी चरित्र पूँजीवादी संकट का लक्षण है
• राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की असली जन्मकुण्डली
• चार राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे और भावी फासीवादी उभार की आहटें
• 'आप' के उभार के मायने
• नरेन्द्र मोदी, यानी झूठ बोलने की मशीन!
• रुपये के मूल्य में गिरावट के निहितार्थ
• अमृतानन्दमयी के कुत्तों, आधुनिक धर्मगुरुओं और विघटित-विरूपित मानवीय चेतना वाले उनके भक्तों के बारे में चलते-चलाते कुछ बातें---
• क्यों ज़रूरी है रूढ़िवादी कर्मकाण्डों और अन्धविश्वासी मान्यताओं के विरुद्ध समझौताहीन संघर्ष?
• ख़बरदार जो सच कहा!
• जर्मनी में फ़ासीवाद का उभार और भारत के लिए कुछ ज़रूरी सबक़
• इटली में फ़ासीवाद के उदय से हमारे लिए अहम सबक
• फ़ासीवाद का मुक़ाबला कैसे करें?
जाति प्रश्न और अम्बेडकर के विचारों पर एक अहम बहस
• खुद पर फिदा मार्क्सवादियों और छद्म अम्बेडकरवादियों के नाम - आनन्द तेलतुम्बडे
• आनन्द तेलतुम्बडे को जवाबः स्व-उद्घोषित शिक्षकों और उपदेशकों के नाम - अभिनव सिन्हा
• कहानी / ज़ख़्म - असग़र वजाहत
• लघुकथाएँ / सियाह हाशिये - सआदत हसन 'मंटो'
• कविताएँ / नागार्जुन, कात्यायनी

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आज का संवाद

कविता में संवाद


बाजार की युद्धक

प्रबंधकीय सुपर दक्षता

अब एनजीओ कम

कारपोरेट राजनीति

का मलंग शो और

हर शाट पर

पैसा वसूल

धूम चेन्नई एक्सप्रेस

आप के रंग में

रंगी राजनीति

और युद्ध अपराध

पर भी पश्चाताप

का तड़का

आदर्श के खिलाफ

मर्यादा पुरुषोत्तम

भ्रष्टाचार का झाड़ू

बन गया झंडा

धर्मोन्मादी

राष्ट्रवाद का

हो गया कायाकल्प

कारपोरेट राज के

संग संग

सुपर धूम 2014

सुपर चेन्नई एक्सप्रेस 2014

बाजार का भारत रत्न

तो बाजार का ही धर्म कर्म

और राजनीति भी बाजार का

मंलग का अमीरी शो

मक्खन कैट का करिश्मा

यह जश्न है नस्ली वर्चस्व का

सुधा की कविता

और अविनाश के दोहे

उदय प्रकाश भी कविता में

अब हो संवाद भी कविता में

कवि तमाम लिखे कविता

इसी विषय पर

और अपना कवित्व टांग दें

अपनी अपनी दीवाल पर


कृपया रोमियो राजकुमार

की तर्ज पर फेसबुक

और गुगल प्लस पर

राय देकर नये

वर्ष का संकल्प लें।


देर रात तक

बहुत किया

इंतजार कवि मित्रों का

युवाजनों का

कविता लेकिन

कोई मिली नहीं है

बहरहाल अब

संवाद समेटने की बारी है

टुकड़ा टुकड़ा मंतव्य

जोड़कर आज

का यह संवाद

अखबारी सूचनाएं

दे नहीं रहा आज


सचमुच, महातूफान है

धर्मनिरपेक्ष खेमा

का गुजरात नरसंहार मुद्दा

रोक नहीं सका मोदी सुनामी

अकेले भ्र्रष्टाचार विमर्श से

जवाबी सुनामी

दस्तक दे रही है

भारत के कोने कोने कोने में


आज के संवाद का

सार संक्षेप भी यही है

हिंदू राष्ट्र कारपोरेट राष्ट्र

की बेदखली कर नहीं सकता

मुक्त बाजार का जो

धर्मोन्मादी खेल है,

उसकी जो प्रबंधकीय दक्षता है

उसमें जो मलंग नाच है

वही सर चढ़कर बोल रहा

फिलहाल और मोदी लहर खत्म है


कोई शक की गुंजाइश

ही नहीं है कि

नये ईश्वर ने

थाम ली है

देश की बागडोर

भुगतते रहिए नतीजे आप


Durgesh Kothiyal
devbhomi. ki..ye... halat...

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उत्तराखंड न्यूज के स‌भी स‌हभागियों के लिए

अपने पहाड़,जनपदों और गांवों की जो खबरें आप स‌भी लोग पोस्ट कर रहें हैं,यह अद्भुत प्रयोग है।अगर स‌भी जनपदों में ऎसे ही स‌ाथी स‌क्रिय हों और देश भर में ऎसी मुहिम चला दी जाये तो कारपोरेट मीडिया का बैंड बाजा बजाते हुए हमें न स‌िर्फ अपने पहाड़ बल्कि बाकी देश को भी जोड़ने में कामयाबी मिलेगी।आप स‌बका स‌ादर अभिनंदन।मैं हमेशा आपके स‌ाथ रहूंगा।दूरी दिलों की नहीं ,बस,एक मजबूरी है।हम हिमालयी लोगों को हार मानने काअभ्यास नहीं है।हम पुरखों की पगडंडियों और अपनी नदियों,घाटियों और शिखरों की स्वतंत्रता का विस्तार बाकी देश में करें,जो पर्कृति और पर्यावरण की चेतना हिमालयी जनता की महान धरोहर है,उसका टीका हर देशवासी को लगाने की जरुरत है।केदार जलसुनामी भूल चुके डूब देश के वाशिंदों को चूंकि मालूम ही नहीं है कि प्रकृति और पर्यावरण का स‌त्यानाश करके कारपोरेट राज दरअसल मनुष्यता का ही नामोनिशान मिटाने वाला है।देश भर में आपके जैसे युवा,छात्रों,महिलाओं और स‌मामाजिक दूसरी शक्तियों के बरोसे अब हमारा मोर्चा है।

Desh Drohi Urf Ghulam

भारत निर्माण के साथ सरकारी कर्मचारियो के कर्मो का गुणगान...???

वाह रे..., पृथ्वीराज चौहान की महाराष्ट्र सरकार…???, आदर्श घोटाले के सूत्रधार...,...See More

वाह रे..., पृथ्वीराज चौहान की महाराष्ट्र सरकार…???, आदर्श घोटाले के सूत्रधार..., अब मोटी सरकारी वेतन लेने वाले मंत्रालय के कर्मचारियो को मजे का तोहफा , सरकारी समय मे फेस बुक देखो...? और जनता अपनी समस्याओ के लिये इन कर्मचारियो की फेस देखने मे अपने समय की बरबादी करे ..??? दोस्तो .. क्या यही है...काँग्रेस का...???, भारत निर्माण के साथ सरकारी कर्मचारियो के कर्मो का गुणगान...??? या मेरा देश डूबा..????, . कैलाश तिवारी Please, Visit: my, one man army websitehttp://meradeshdoooba.com//Please see on Laptop/Desktop.

By: Meradeshdoooba Bachao

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Palash Biswas महाराज,आप तो हमस‌े लाख दर्जा बेहतर लिख रहे हैं।हमारे वाल पर भी नियमित लिखें तो हम आपको देशव्यापी स‌ंवाद में अविराम शामिल कर स‌कते हैं।जो आप लिख रहे हैं,वह बेहद प्रासंगिक है और इन्ही स‌वालों स‌े हम लगातरा जूझ रहे हैं।अपने मित्र बल्ली स‌िंह चीमा ने जो लिखा है कि ले मशालें चल पढ़े हैं लोग मेरे गांव के,वह आप ही जैसे लोगों के लिए लिखागया है।

स‌त्यनारायण और टीम के लिए,बिगुल के नाम

भाई जी,अगर आप हम जैसे मित्रों को मेल पर अपनी स‌ामग्री स‌ाझा करें या हमारी टाइम लाइन पर या हमारे इसी ग्रुप में लिंक ही दे दें तो देश बदलने की मुक्ति कामी जनगण की लड़ाई को हम लोग और तेज कर स‌कते हैं।आपको ख्याल होगा कि हम इलीट स‌मुदायों के बजाय जो अपढ़ वंचित बहुसंख्य भारतीय मूक हैं,उनको ही स‌ंबोधित करने के अजीबोगरीब  प्रयोग कर रहे हैं।इसमें आप जैसे लोगों का और आपकी पूरी टीम का स‌हयोग अपेक्षित है। मैं जानता हूं कि आप,आनंद और अभिनव,आपकी टीम के तमाम साथी हमसे बेहतर अकादमिक विश्लेषण कर स‌कते हैं, लेकिन इस विश्लेषण को जमीनी स्तर पर स‌र्वहारा तबकों के दिलोदिमाग में बतौर दस्तक पहुंचाना भी हमारा कार्यभार होना चाहिए।बिगुल का अब विस्तार होना ही चाहिए।



Sushanta Kar

9:49pm Dec 28

আমি আপনার সঙ্গে একমত নই। হয়েই বা কী করব? আপনি এই প্রশ্নে প্রচণ্ড হতাশ অভিমত ব্যক্ত করেছেন, "जनादेश का नतीजा जो भी हो, हमेशा अल्पसंख्यकों और शरणार्थियों की गरदने या हलात होती रहेगी या जिबह। अखिलेश का समाजवादी राज और उत्तर प्रेदेश के बहुप्रचारित सामाजिक बदलाव के चुनावी समीकरण का नतीजा मुजफ्फरनगर है तो नमोमय भारत के बदले केजरीवाल भारत बनाकर भी हम लोग क्या इस हालात को बदल पायेंगे, बुनियादी मसला यही है। इस स‌िलसिले को तोड़ने के लिये हम शायद कुछ भी नहीं कर रहे हैं। गर्जना, हुंकार और शंखनाद के गगनभेदी महानाद में हमारी इंद्रियों ने काम करना बन्द कर दिया है।


" আপনার নিবন্ধের শুরু হয়েছে ফেসবুক আলোচনা দিয়ে। মনে হচ্ছে, আপনি ফেসবুককে বড় বেশি গুরুত্ব দিয়ে তার নিন্দে করছেন। আপ-এর উত্থান মোটেও ফেসবুকীয়দের উত্থান নয়। নিজের অভিমতের বাইরে অন্যের মধ্যে আশার আলোর সন্ধান না করলে আমরা কিছুতেইও কোথাও গিয়ে পৌঁছুতে পারব না। বিশেষ করে মোদীর থেকে ভয়ঙ্কর যদি অরবিন্দ বলে মেনে নিতে হয়, তবে আর এই দেশে ছেড়ে জাহান্নমেই যেতে হয়।


Pawan Mehta

9:00pm Dec 28

भारत नमोमय बने या न बने, केजरीवाल या नंदन निलेकणि प्रधानमंत्री बने या नहीं बने, अब कॉरपोरेट राज से मुक्ति असम्भव है और इस भय, आतंक, गृहयुद्ध और युद्ध से भी रिहाई असम्भव है। YHeh kori kalpna nahin lekin aisa nahin hoga


Vks Gautam सर, ये बाते मेंरे समझ में नहीं आ रही है. कि आदमी आदमखोर हुआ जा रहा है, ऐसा तो नहीं होना चाहिए था

7 minutes ago · Like



Yashwant Singh

केजरीवाल और 'आप' वालों को तो ठिकाने लगा दिया .... अब कहीं कोई नया लड़ता भिड़ता सितारा दिख रहा हो तो बताइए, उसके समर्थन में लग जाएं... कोई है... ????

Unlike ·  · Share · 6 hours ago ·

  • You, Surendra Grover, Pankaj Chaturvedi, राय संजय and 103 others like this.

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  • View 29 more comments

  • Amit Kumar Pandey yashwant SINGH

  • 3 hours ago · Like

  • Prem Prakash अभी काम ख़तम कहा हुआ महोदय..असली लड़ाई तो अब शुरू हुई है.इस नए अखाड़े में अरविन्द को संभालेगा कौन...आप जैसे साथियों का लगे रहना अभी जरूरी है.नया कोई सितारा होगा तो वो आपको खींच लेगा...जैसे 'आप' वालों ने खींच लिया था..

  • about an hour ago · Like

  • Asit Kr Gupta Kaam to bas shuru hua hai dilli mein abhi UP baaki hai!!! Itni jaldi thak gaye kya Yashwant bhai

  • 52 minutes ago · Like

  • Vikrama Singh आरे खैरू, खैरलाल तेरा रास्ता मोदी

  • लेकिन आप, नही करती बक्क चोदी ।।

  • ...See More

  • 36 minutes ago · Like · 1

  • Palash Biswas खोज लेकिन जारी रहेगी।साठ के दशक में पहले मोहभंग के दौर से ,हिंदी वालों के लिए नई कहानी के दौर स‌े भाई यशवंत,यह खोज जारी है।लेकिन जनता नहीं स‌मझती और शायद हम आप जैसे पढ़े लिखे लोग भी नहीं स‌मझते कि दरअसल कोई मसीहा किसी क्रांति का जनक होता ही नहीं है।जिस गौतम बुद्ध को हम पहली रक्तहीन क्रांति का जनक मानते हुए ईश्वरत्व में उनकी तलाश करते हैं,वह भी मुक्तिकामी जनसंघर्षके प्रतीक और निजी तौरपर हद स‌े हद एक स‌ामाजिक कार्यकर्ता थे।जाहिर है कि मृगतृष्णा खत्म होती नहीं है और न मृग मरीचिका का कोई अंत है।एक स‌ुपरहिट फिल्म स‌े अघाकर लोग तुरंत ही दूसरी स‌ुपरहिट फिल्म में निष्णात है।राजनीति की धूम या चेन्नई एक्सप्रेस स‌े कुछ बदलने वाला नहीं है लेकिन।देश बदलने की कवायद मीडिया ब्लिट्ड नहीं है ,जमीन पर देशव्यापी जनसंघर्ष की स‌ंगीन चुनौती है।

  • a few seconds ago · Like

जनज्वार डॉटकॉम

हाँ मैं दलित स्त्री हूँ

पर लाचार नहीं

भर सकती हूँ पेट

तुम्हारे बिना

अपना और बच्चों का

अब मेरे घर चूल्हा भी जलेगा

और रोटी भी पकेगी

मेरे बच्चे भूखे नहीं सोयेंगे।

तुम्हारे कंगूरे, तुम्हारी वासना

तुम्हारी रोटियों, तुम्हारी निगाहों

सबको छोड‌ आई हूँ मैं...http://www.janjwar.com/society/1-society/4646-han-main-dalit-stri-hoon-by-dipti-sharma-for-janjwar

हाँ मैं दलित स्त्री हूँ

janjwar.com

Janjwar

Like ·  · Share · 4 hours ago near New Delhi ·


Dalit Mat

केजरीवाल द्वारा सुबह से दोपहर तक जिस तरह की 'आम आदमियत' दिखाई जाती रही, वह कई बार खीज पैदा करने वाली थी.

Like ·  · Share · 2 hours ago · Edited ·



Sudha Raje

दो साल पहले हमने यहीं इसी रामलीला मैदान से ज्यादा कुछ नहीं माँगा था सिवा एक भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन के ।

हमने भूख हङतालें की धरने दिये ।

अन्नाजी ने तेरह दिन तक अनशन किया ।

कुछ नहीं हुआ

अन्नाजी कहते कि राजनीति में जाना ठीक बात नहीं राजनीति कीचङ है ।

लेकिन हमने सोचा कीचङ है तो साफ भी करना ही पङेगा ।

‪#‎Arvindkejariwal‬

Like ·  · Share · 53 minutes ago · Edited ·

Sudha Raje

हम दिल्ली के डेढ़ करोड़ लोग अफसर और नेता मिलकर पूरे भारत के सामने एक भ्रष्टाचार मुक्त सरकार चला कर एक उदाहरण रख सकते है जिसमें आम आदमी सरकार है डेढ़ करोङ लोग सरकार हैं ‪#‎अरविन्दकेजरीवाल‬

Like ·  · Share · about an hour ago ·

Sudha Raje

,,,,,,,,"कई लोग मुझसे कल के शपथ ग्रहण

समारोह के लिए पास मांग रहे हैं।

किसी पास की जरूरत नहीं है।

सभी का स्वागत है। यह

आपका कार्यक्रम है।मेरा परिवार खुद

जनता के बीच बैठेगा।",,,, अरविंद

केजरीवाल

Like ·  · Share · about an hour ago ·

Sudha Raje

हम थोङे से लोग मिलकर कोई चमत्कार नहीं कर सकते अरविन्द केजरीवाल कोई चमत्कार नहीं कर सकता मेरे पास कोई जादू की छङी नहीं है। लेकिन दिल्ली के डेढ़ करोङ लोग एकजुट हो जाये सारे अफसर एकजुट हो जायें सब आम आदमी एकजुट हो जायें तो ऐसा कोई असंभव कार्य नहीं जो हम सब मिलकर नहीं कर सकते ।

‪#‎Arvindkejariwal‬

Sudha Raje

मैं मानता हूँ कि बहुत भ्रष्टाचार है लेकिन बहुत से अफसरों से मिला मिला हूँ और ईमानदारी से काम करने की इच्छा रखने वाले अफसरों की संख्या ज़्यादा है और भ्रष्ट लोग कम हैं । लोग ईमानदारी से काम करना चाहते हैं ।

‪#‎Arvindkejariwal‬

Like ·  · Share · about an hour ago ·

Navbharat Times Online

अनशन से कुछ नहीं होता, पार्टी बना कर दिखाओ...पार्टी बना ली.


पार्टी बनाने से कुछ नहीं होता, चुनाव जीत कर दिखाओ!...चुनाव जीत लिया.


चुनाव जीतने से कुछ नहीं होता, सरकार बना कर दिखाओ...सरकार बना ली.


सरकार बनाने से कुछ नहीं होता, वादे पूर करके दिखाओ!


आगे-आगे देखें होता है क्या!  Good Morning.

Like ·  · Share · 6,135375650 · 5 hours ago ·

  • Rahul Patel True Indian भगवान ने पहले गधे को बनाया – और कहा तुम गधे होगे | तुम सुबह से शाम तक बिना थके काम करोगे | तुम घास खाओगे और तुम्हारे पास अक्ल नहीं होगी और तुम 50 साल जियोगे |" गधा बोला – मै 50 साल नहीं जीना चाहता | ये बहुत ज्यादा है | आप मुझे 20 साल ही दे...See More

  • Like · Reply · 254 · 5 hours ago via mobile

  • Manan Odh हम राजनीती में नहीं आएँगे -।

  • हम चुनाव नहीं लड़ेगे-लड़ लिए।

  • मुख्यमंत्री आम आदमी होगा।...See More

  • Like · Reply · 16 · 5 hours ago via mobile

Nityanand Gayen

बिजली ,पानी देते रहियेगा साहब ..पहले सोसल साईट के लिए हाजमोला भेजिए ..

Like ·  · Share · about an hour ago near Hyderabad ·

Yashwant Singh

केजरीवाल और 'आप' वालों को तो ठिकाने लगा दिया .... अब कहीं कोई नया लड़ता भिड़ता सितारा दिख रहा हो तो बताइए, उसके समर्थन में लग जाएं... कोई है... ????

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अति प्रिय रचनाकार उदय प्रकाश जी, तमाम समर्थ प्रतिबद्ध रचनाकरों और खासतौर पर उन कवि मित्रों ने जिन्होंने अमेरिका से सावधान के दौर में संवाद में हमेसा हमारे साथ ते,उनके लिए


उदय जी,देश का विभाजन कोई 1947 में ही नहीं हुआ है।रोज रोज हम देश का विभाजन कर रहे हैं।उस विभाजन के चाहे जो जिम्मेवार रहे हों,इस विभाजन की जिम्मेवारी और जवाबदेही स‌े हममें स‌े कोई बच ही नहीं स‌कता।आज आप की रामलीला भी देख ली।धर्मोन्माद का राजनीतिकरण हुआ है बहुत पहले।कारपोरेटीकरण भी हो गया है बाइस स‌ाल पहले।आज एनजीओकरण भी हो गया।इस मायने में आज का दिन ऎतिहासिक है।इसलिए स‌ामाजिक बदलाव की हलचल जिस गायपट्टी में स‌बसे ज्यादा है,वहां फर्जी मुद्दों फर्जी आंदोलन और फर्जी विमर्श स‌े रोज नये नये मोर्चे के स‌ाथ जो गृहयुद्ध का एनजीओ करिश्मा है,उसके नतीजे बाबरी विध्वंस,गुजरात नरसंहार,भोपाल गैस‌ त्रासदी और स‌िख स‌ंहार जैसी कारपोरेटीकरण की चार बड़ी घटनाओं स‌े ज्यादा भयंकर होगा,ऐसा हम मानते हैं।माननीय गोपाल कृष्ण गांधी ने स‌ही स‌ही चित्र उकेरा है।समाज अगर इस तरह बंटा है तो इस देश को टूटने स‌े कैसे और कौन बचा स‌कता है।आपने गोपाल जी को उद्धृत किया है ।धन्यवाद।लेकिन प्रश्न यह है कि भाषिक कौशल और शिल्पी चमत्कारों में  ही रचनाधर्मिता का उत्कर्ष है क्या।अगर स‌ामाजिक यथार्थ को स‌ंबोधित करने की पहल हम नहीं करते तो मिलियन टकिया लेखन भारत देश के लिए और भारतीय जनगण के लिए कूड़े के अलावा कुछ भी नहीं है।होंगे आप नोबेल जयी किसी दिन,लेकिन हमारे लिए आपकी प्रासंगिकता तभी है जब आप जैसे तमाम स‌मर्थ कुशल भाषावित रचनाकार जनपक्षधरता को एक स‌ूत्र में पिरोने के लिए कल म उठाये।वैसे अब भारत रत्न भी बाजार का सर्वश्रेष्ठ माडल है और बहुराष्ट्रीय कंपनियों का जहर जनता को पिला रहे हैं।उनके रन और रिकार्ड होंगे अरबी अमूल्य,लेकिन वे हमारे लिए जनसंहार अश्वमेध के महारथी के अलावा और कुछ भी नहीं है।हम जो रचनाकार पत्रकार बनकर फूले नहीं समाते और अपने को हमेशा देश की जमीन से हवा हवाई समझते हैं,हमारी औकात असल में क्या है,अब सीधे तौर पर यह सवाल पूछने का वक्त है।जाहिर है कि कोई संपादक आलोचक और खेमामुखिया ऐसा बेहूदा सवाल करेगा नहीं।लेकिन हम कर रहे हैं।आपमें से जो भी चाहे बशौक मुझे अपनी मित्र मंडली से बाहर फेंक दें।लेकिन अब मैं यह सवाल बार बार करता रहूंगा और आप जबतक मेरी पहुंच में हैं तबतक आपकी नींद में खलल डालता रहूंगा,जबतक न कि आपकी कलम मोर्चाबंद न हो जाये।


H L Dusadh Dusadh

मित्रों!मैने बहुजन नज़रिए से ७ दिसंबर से ही कई बार केजरीवाल एंड क.को मोदी से भी ज्यादा खतरनाक बताते रहा हूँ.आज केजरीवाल और उनके साथियों का आगाज़ देखने के बाद मेरी धारणा और पुख्ता हुई.क्रिकेटीय भाषा में कहा जाय तो आप वालों की राजनीति की स्टाइल अन ऑर्थोडॉक्स बैटिंग जैसी है,जिसका मुकाबला ट्रेडिशनल स्टाइल में नहीं किया जा सकता .आज आप की शुरुआत देखते हुए मैं फिर और जोरदार दावे के साथ कह सकता हूँ कि आज भारतीय राजनीति एक नए दौर में प्रवेश की है.इसका मुकाबला करने के लिए ट्रेडिशनल दलों को अप ने लेवल को बहुत ऊँचा उठाना होगा जो बहुत आसान नहीं होगा .खास कर आपके सामने बाबा आदम के ज़माने की राजनीति कर रहे बहुजनवादी दलों को तो अपना वजूद बचाने के लिए अपने में कई गुणा सुधार लाना होगा.बहरहाल आज के दिन भारतीय डेमोक्रेसी की नवीनतम चुनौती आप वालों को बहुत-बहुत बधाई.आपने आधुनिक भारत की राजनीति में सचमुच अभिनव शुरुआत की है.अब आपके मुकाबले के लिए बाकि दलों को और लम्बी लकीर खींचनी होगी,जो भारतीय राजनीति के लिए बुरा तो नहीं होगा.

Like ·  · Share · 10 minutes ago · Edited ·

  • Ashok Dusadh, Dinesh Kumar and 4 others like this.

  • 2 shares

  • Amrendra Kumar AAP AACHA PARTY HAI,

  • 6 minutes ago via mobile · Like

  • Palash Biswas स‌हमत।दुसाध जी,आपको ैसे मंतव्य और तेज करने चाहिए।हमारी नजर में युवाजनों स‌े ज्यादा जवान अब भी आप हैं।आपको स‌त्ता स‌मीकरण की परवाह भी नहीं करनी है।

  • a few seconds ago · Like

Surendra Grover

देश भर के मित्रों से जैसी खबरें मिल रही हैं उनसे लगता है कि देश भर में "आप" नामक "महातूफ़ान" उठ खड़ा हुआ है.. क्या होगा नमो के सपने का..? कॉरपोरेट्स ने जो हजारों करोड़ का दांव लगाया है मोदी पर, डूबने के पूरे पूरे आसार नज़र आ रहे हैं...

Like ·  · Share · about an hour ago near Ghaziabad ·

  • Michael Rajat Maine kab kaha mangadhant hai ,,,,bengal assam bihar jharkhand me aisi koi baat nahi.,,dusri baat ki ak sir ko bahari dusamano se allert rahana chahiye ,,,cong bjp ke sata sukhi neta join karke iska beda gart na kar de

  • 53 minutes ago via mobile · Like · 1

  • Pk Shrivastava नमो को बहुत बड़े पैमाने पर प्रोजेक्ट किया जा रहा है कॉर्पोरेट द्वारा किन्तु अभी लहर आप पार्टी की है ! delhi में से सारी मीडिया का फोकस , सोशल मीडिया का फोकस और दुसरे तमाम तरीके के तौर तरीकों ने आप पार्टी के छवि बहुत तेजी से चमकाई है !!

  • 49 minutes ago · Like · 1

  • Narendra Tomar कोरपोरेटो को ज्‍यादा फर्क नहीं पडता वे उसका एक हिस्‍सा 'आप' पर भी लगा सकते हें ;बस यह इत्‍मीनान हो जाए कि 'नई पीढी के आर्थिक सुधारों ' को लागू करन में केजरीवाल पूरी मदद करेंगे ....आखिर वह तो भारतीय राजस्‍व सेचा के पूर्व वरिष्‍ट अधिकार भी है।

  • 35 minutes ago · Like · 1

  • Amiita Agarwal Mujhe to Ye soch soch k dar lag raha h , kahin Kuch ulta ho gaya to

  • 8 minutes ago via mobile · Like

  • Palash Biswas सुरेंद्र जी,मैं राजनीति के एनजीओकरण और बाजार के प्रबंधकीय स‌मन्वय स‌े हुए राजनीतिक कायाकल्प की ओर आप स‌बका ध्यान खींचने की कोशिश कर रहा हूं।हम पहले ही लिख चुके हैं कि अब मुकाबला मोदी और राहुल का कतई नहीं है।बाजार ने अपनी कोख स‌े फिर नये ईश्वर को जन्म दे दिया है।रास्ते के पत्थर को भगवान बनाकर पूजने वाले देश को इसमें कारपोरेटराज का कायाल्प नहीं दीख रहा ।मोदी तो खत्म है। लेकिन मोदी स‌े बड़ा खतरा और कांग्रेस स‌े भी बड़ा खतरा स‌ामने है जो अंततः बहुजनवादी और वामपंथी और स‌माजवादी यानी तमाम बदलाव की राजनीति को हाशिये पर धकेलने की युद्धक रणनीति है।मोदी फिर भी रहेंगे।कांग्रेस भी फिर लौटेगी।सारा खेल दूसरे चरण के स‌ुधारों और दूसरी हरित क्रांति का है।

  • a few seconds ago · Like

बहिष्कृत भारत
आम आदमी पार्टी ने कॉंग्रेसचा पाठिंबा का घेतला ?

पाठिंबा देणार नाही, पाठिंबा घेणार नाही म्हणत म्हणत, माठिंबा घेऊ पण आमच्या अटींवर हा प्रवास नेहमीच्या राजकारणासारखाच झाला. भारतीय जनता पक्ष जेव्हां पहिल्यांदा सत्तेवर आला तेव्हांही सुरुवातीला अगदी हीच वक्तव्यं केली जात होती. वाजपेयी म्हणायचे "हम किसी को समर्थन नही करेंगे, ना ही किसीका लेंगे "

मग अडवाणी हळूच म्हणाले " जिसे भारतीय जनता पार्टी में आना है उसके लिए हमारे दरवाजे खुले है "

तेव्हां पत्रकारांनी प्रश्न विचारला कि तुम्ही घोडेबाजाराला निमंत्रण देताय ? अडवाणी म्हणाले " हम पॉलिटिक्स को नया आयाम देना चाहते है. हमे विश्वास है कि सभी पार्टीयों मे अच्छे लोग है. वह हमारे समर्थन मे आगे आयें ताकि एक नयी सुबह होगी "

दरम्यान एक पिढी लहानाची मोठी झाली. त्यांना हा इतिहास आठवायचं काहीच कारण नव्हतं.

परवा केजरीवाल म्हणाले " सभी दलों के लोगों का आप में स्वागत है "
आणि मग अगदी तशीच प्रश्नोत्तरं झाली.

काय वाटतं ?

'AAP-Congress deal to stop BJP'

Nitin Gadkari alleges AAP and Cong conspired to stop BJP from coming to power in Delhi


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Langda Dancer

Added on 12 September 2013

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देश घोंघा से भी बदतर… हो गया है, भ्रष्टाचार , सुपर सोनिक, ध्वनि

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जरूर पढ़े , दोस्तों…??? यह वोट बैंक के असुरों का, यह राष्ट्र का भक्षण है…?????? देश घोंघा से भी बदतर… हो गया है, भ्रष्टाचार , सुपर सोनिक, ध्वनि से देश घोंघा से भी बदतर… हो हो गया है, भ्रष्टाचार , सुपर सोनिक, ध्वनि से भी तेज उड़ने वाले विमानों को मात दे रहा है…(मेरी वेबसाईट में,शिक्षक दिवस पर Posted on 05 September...See More

By: Meradeshdoooba Bachao

Desh Drohi Urf Ghulam

आज खुफिया विभाग (खुब + पीया ) के नशे से खा-पीकर देश की बत्ती बुझ

जश्न - ए – लूट – ए से Z तक के राजाओं का जलसा ...., खुफिया विभाग के लिए - देश का ...See More

जश्न - ए – लूट – ए से Z तक के राजाओं का जलसा ...., खुफिया विभाग के लिए - देश का धन डकारो - मौज करो सी.बी.आई. को बोफोर्स के 60 करोड के घोटाले से 400 करोड के ऐश की छूट. आज अमेरिका को, हमारे खुफिया विभाग से ज्यादा जानकारी है, आज खुफिया विभाग (खुब + पीया ) के नशे से खा-पीकर देश की बत्ती बुझा रहा है..., वही हाल सरकारी क...See More

By: Meradeshdoooba Bachao

Desh Drohi Urf Ghulam

कांग्रेस को दो मुंहा सांप कहकर.. "आप" पार्टी ने अपने राजनैतिक शिख

कांग्रेस को दो मुंहा सांप कहकर.. "आप" पार्टी ने अपने राजनैतिक शिखियापन का प्रणाम...See More

कांग्रेस को दो मुंहा सांप कहकर.. "आप" पार्टी ने अपने राजनैतिक शिखियापन का प्रणाम दिया है, सांप के काटने से, इलाज करने पर.. बचने की संभावना रहती है ... इस दो मुंहा अजगर ने तो देश को भ्रष्टाचार से निगल दिया है वास्तविकता जाने "आप" पार्टी ..ये "दो मुंहा अजगर की कांग्रेस पार्टी" ..,कब "आप" को भी निगल जायेगी..???, इसका "...See More

By: Meradeshdoooba Bachao

Desh Drohi Urf Ghulam

नेता अब वतन के धरती जल आकाश पाताल तक बेच कर , "भारत निर्माण" का न

क्या... आपको मालूम है...???, दुनिया में हिन्दुस्थान ही एकमात्र देश है , जहां भ्...See More

क्या... आपको मालूम है...???, दुनिया में हिन्दुस्थान ही एकमात्र देश है , जहां भ्रष्टाचारी नेता अपना चरित्र गिराकर, भिखारीयों से भी निम्नतर स्तर मे गिरकर , देश के भिखारीओ का भोजन ड्कार जाता है, न कोई जेल, हाँ... जरूर..,,,,,. आज ऐसे भ्रष्टाचारी नेताओ को गले मे फूलों की बेल (जमानत) की माला डाली जाती है..?? क्या इन भ्रष्ट...See More

By: Meradeshdoooba Bachao

Nath Bisht
दन्या हनुमान मंदिर से मेरे गांव गल्ली जाने वाली रोड मैं कल रात एक गाड़ी खाई में गिर गई जिसमैं अभी तक दो लोगों कि मरने कि खबर है और ज्यादा घायल है मरने वालों मैं एक लड़का मेरे गॉंव गल्ली का है और दूसरा लड़का सिरोला गॉंव का है..जिसमैं ड्राइवर राजन सिंह परगाई था जो रोल गॉंव का है..

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Himanshu Kumar added 2 new photos from December 28, 2013 to his timeline.

राहुल गांधी मुज़फ्फर नगर दौरे पर आये . लोई के शरणार्थी शिविर में दौरा किया . कांग्रेसियों ने पूरे शिविर को अपना शिविर घोषित करने के लिए बैनर लगा दिया . मुलायम ने गुस्से में कहा कि कैम्पों में तो कांग्रेसी रह रहे हैं . इसके बाद मुलायम साहब के कठोर आदेश पर डीएम् साहब ने कैम्प पर बुलडोज़र चला दिया .


आज सुबह देख कर लौटा हूँ . जिन मुसलमानों की झोपडियां कल तोडी गयी हैं वो गाँव वालों द्वारा ताज़ी हगी हुई टट्टियों के बीच में , गंदे पानी के तालाब के किनारे अपने छोटे छोटे बच्चों के लिए रोटियां बना रहे थे.


ये लोग गाँव वापिस लौट नहीं सकते . कातिल गिरफ्तार नहीं किये गए हैं . यहाँ राहत शिविर में सरकार नहीं रहने दे रही है .


समझ नहीं आ रहा हम इनके साथ क्या करना चाहते हैं .


ये करीब छब्बीस हज़ार दंगा पीडित लोग हैं जो अभी भी कैम्पों में रहने को मजबूर हैं .

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Dalit Mat shared Anil Kumar's photo.

अरविन्द केजरीवाल 2 अगरस्त 2008 को "यूथ फॉर इक्वालिटी" के तरफ से आरक्षण के खिलाफ JNU में बोलने आये थे. उनके विषय का हिंदी में अनुवाद होगा "भारत में लोकतंत्र टूटने के कगार पर" अर्थात आरक्षण से भारत में लोकतंत्र टूट जायगा. इनके खतरनाक मनसूबे को पहचानिए.

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Harnot Sr Harnot also commented on his status.

Harnot wrote: "क्‍यों न हिमाचल में भी शुरूआत हो। चार बढिया प्रतिनिधि 'आप' के लिए। यहां भाजपा और कांग्रेस तो 'पुत्र मोह' में ही डूबी रहेगी।"


Aman Badoni (friends with Rajiv Nayan Bahuguna) also commented on चन्द्रशेखर करगेती's status.

Aman wrote: "आज लोकतंत्र का चेहरा कुछ निखरा सा दिख रहा है"


Amaldar Neehar (friends with Lalit Surjan) also commented on Harnot Sr Harnot's status.


Mohan Shrotriya also commented on his status.









Mohan wrote: "कुंभ-स्नान करने वाले भी किसी से पूछकर या किसी के आह्वान पर थोड़े ही जाते हैं."



चन्द्रशेखर करगेती mentioned you in a comment.

चन्द्रशेखर wrote: "Palash Biswas दादा अभी १४ जनवरी तक वेट कर रहा हूँ, इस विषय पर अभी कुछ कहना जल्दीबाजी होगी...."


Rajendra Badhani (friends with Jagmohan Chopta) also commented on चन्द्रशेखर करगेती's status.

H L Dusadh Dusadh also commented on his status.

Ashok Dogra (friends with Dinesh Kumar) also commented on H L Dusadh Dusadh's status.

Rakesh Yadav (friends with H L Dusadh Dusadh) also commented on H L Dusadh Dusadh's status.

Sushanta Kar commented on your post in Conscious Bengal সচেতন বাংলা.



Sushanta Kar

9:49pm Dec 28

আমি আপনার সঙ্গে একমত নই। হয়েই বা কী করব? আপনি এই প্রশ্নে প্রচণ্ড হতাশ অভিমত ব্যক্ত করেছেন, "जनादेश का नतीजा जो भी हो, हमेशा अल्पसंख्यकों और शरणार्थियों की गरदने या हलात होती रहेगी या जिबह। अखिलेश का समाजवादी राज और उत्तर प्रेदेश के बहुप्रचारित सामाजिक बदलाव के चुनावी समीकरण का नतीजा मुजफ्फरनगर है तो नमोमय भारत के बदले केजरीवाल भारत बनाकर भी हम लोग क्या इस हालात को बदल पायेंगे, बुनियादी मसला यही है। इस स‌िलसिले को तोड़ने के लिये हम शायद कुछ भी नहीं कर रहे हैं। गर्जना, हुंकार और शंखनाद के गगनभेदी महानाद में हमारी इंद्रियों ने काम करना बन्द कर दिया है।


" আপনার নিবন্ধের শুরু হয়েছে ফেসবুক আলোচনা দিয়ে। মনে হচ্ছে, আপনি ফেসবুককে বড় বেশি গুরুত্ব দিয়ে তার নিন্দে করছেন। আপ-এর উত্থান মোটেও ফেসবুকীয়দের উত্থান নয়। নিজের অভিমতের বাইরে অন্যের মধ্যে আশার আলোর সন্ধান না করলে আমরা কিছুতেইও কোথাও গিয়ে পৌঁছুতে পারব না। বিশেষ করে মোদীর থেকে ভয়ঙ্কর যদি অরবিন্দ বলে মেনে নিতে হয়, তবে আর এই দেশে ছেড়ে জাহান্নমেই যেতে হয়।



Amrendra Kumar (friends with H L Dusadh Dusadh) also commented on H L Dusadh Dusadh's status.

Amrendra wrote: "DALIT NETA DALIT KE LIYE KYA KIYA,SIRF VOTE SE MATLAB HAI.SIRF BHIM RAO DALIT KE REAL HERO TAI,"


Ravindra K Das also commented on Mohan Shrotriya's status.

Ravindra K wrote: "इसमें सबसे महत्त्वपूर्ण ये है कि #आप राजनीतिक दल बनती जा रही है. उसके वैकल्पिक राजनीति का रास्ता भटकेगा"

Desh Drohi Urf Ghulam धन्यवाद मेरे मित्र ... आप मेरे वेबसाईट की यात्रा करे, उसमे ९० से ज्यादा पोस्ट है... आप को बताना चाहता हूँ मैं उत्तराखंडी हूँ, मुम्बई में पैदा व पला हूँ, मूल गाँव पिथौरागढ़ के शहर में है - कैलाश तिवारीhttp://meradeshdoooba.com// या आप गूगल सर्चwww.meradeshdoooba.com

भ्रष्टाचारीयों के महाकुंभ की महान-डायरी ।

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कांग्रेस को दो मुंहा सांप कहकर.. "आप" पार्टी ने अपने राजनैतिक शिखियापन का प्रणाम...See More


Ashok Chaudhary ये आम आदमी पार्टी की जीत नहीं दलित पिॆछड़ों की राजनीति करने वालों के नकारापन की हार है। क्योंकि जब 85% की बात छोड़ सर्वजन की अभियांत्रिकी करेंगे तो 14.1 से 5 प्रतिशत में आ ही जाएंगे।

H L Dusadh Dusadh पलाश दा हमें केजरीवाल के आरक्षण विरोधी चरित्र को दाद देनी चाहिए.यह शख्स आरक्षण के मुद्दे पर बार-बार साहस का परिचय दिया है.चाहे प्रमोशन में आरक्षण हो यूपीएससी में त्रि-स्तरीय आरक्षण का मामला केजरीवाल का आरक्षण विरोध का स्टैंड क्लियर रहा


Palash Biswas

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कांग्रेस को दो मुंहा सांप कहकर.. "आप" पार्टी ने अपने राजनैतिक शिखियापन का प्रणाम दिया है, सांप के काटने से, इलाज करने पर.. बचने की संभावना रहती है … इस दो मुंहा अजगर ने तो देश को भ्रष्टाचार से निगल दिया है कांग्रेस को दो मुंहा सांप कहकर.. "आप" पार्टी ने अपने राजनैतिक […]

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अभिनव आलोक (friends with Jagadishwar Chaturvedi) also commented onAshok Dusadh's status.

अभिनव wrote: "बहुजन राजनीति को भी उन मुद्दों को एड्रेस करना होगा जो 'आप ' जैसी पार्टी उठा रही है। । बहुजन राजनीति एक तरह की आत्म मुग्धता की शिकार रही है। । ' आप ' ने राजनीति में कुछ मध्यवर्गीय सरोकारों से जुड़े मुद्दों को जोर शोर से उठाया है … बहुजन ही नहीं तमाम अन्य दल भी अब इन मुद्दों को दरकिनार करने का साहस नहीं कर सकते। ।"





Palash Biswas shared Abhishek Srivastava's photo.

31 minutes ago

सीने में जलन... फारुख़ शेख़ का ''गमन''... RIP

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Farook Shah बेहद दुखद... उनको अभी कई सारे काम के परिणाम लाने बाकी थे... दो वर्ष पहले यहाँ महुवा (गुज.) में उनका प्रेजेंटेशन देखा था - समाज के रचनात्मक परिवर्तन के बारे में. बहुत सारी बातें भी. वे सामाजिक प्रतिबद्धता के साथ पूरे समर्पित रूप से काफी चिंतित और सक्रीय थे. उनका जाना कला और कर्मठता के मिलेजुले क्षेत्र में एक बड़ा अवकाश पैदा कर जाता है.

Subeer Goswamin shared 100 years of Indian Cinema - 2013'sphoto.

तुम चले जाओगे तो सोचेंगे

हमने क्या खोया हमने क्या पाया........


फारूख को विशेष रूप से भारतीय समांतर सिनेमा में यथार्थवादी और विनम्र अभिनेता के रूप में उनके योगदान के लिए के लिए जाना जायेगा। दुर्लभ बहुमुखी प्रतिभा से धनी फारूख भिन्‍न विषयों और वर्णों की फिल्‍मों में काम करते थे। उन्होनें हर प्रकार के किरदार के साथ इंसाफ किया। चाहे वो गंभीरता से भरा हो या कॉमेडी से। अभिनय के प्रति अपने अनुराग को बग़ैर किसी श्रेणी में बांटे वो रंगमंच, सिनेमा और टी०वी० पर ताउम्र सामान रूप से सक्रिय रहे। सत्‍यजीत रे, मुजफ्फर अली, केतन मेहता और ऋषिकेश मुखर्जी जैसे निर्देशकों के साथ काम करना उनकी काबिलियत बतलाता है और एक प्रतिबद्ध कलाकार के लिए शायद

'जीना इसी का नाम है।'

-विनम्र श्रद्धांजली

RIP Farooq Sheikh (25 March 1948 - 28 December 2013)


Neelabh Ashk

इस साल की जाने क्या फ़ितरत है, इधर जब-जब फ़ेसबुक पर आया, कुछ-न-कुछ बुरा ही सुना. अभी विजय सोनी और ख़ुरशीद अनवर के जाने का सदमा हलका नहीं पड़ा था कि आज फ़ेसबुक पर आते ही फ़ारूख़ शेख़ के इन्तक़ाल की ख़बर मिली. बरसों पहले देखी "चश्मे-बद्दूर:" के दृश्य आंखों के सामने से गुज़र गये, फिर उमराव जान के, फिर जीना इसी का नाम है के. लाजवाब अभिनेता थे और उतने ही अच्छे शख़्स जो फ़िल्मी दुनिया में कम ही होता है. इस सदाबहार अभिनेता को सलाम, सलाम, सलाम.....

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Palash Biswas स‌त्तर के दशक में हमारे कैशोर्ट पर उनकी फिल्में घन घटाएं थीष वे फारुक भी कुहासा के स‌ाथ विलीन हुए।उन्होंने हमें जो कुछ दिया,उसका आभार।

Ak Pankaj shared Artist Against All Odd (AAAO)'s photo.

भारतीय कला जगत के लिए यह बड़ा नुकसान है. अभिनेता के रूप में उनकी अभिनय शैली एक अलग ही किस्म की रही. इसीलिए चाहे वे थिएटर में रहे या फिल्म-टीवी में, हर मंच पर उन्होंने अपनी अभिनेयता से सबको कायल किया. तारीखें हमेशा बहुत कुछ जोड़ती-घटाती हैं इंसानी यात्रा के इतिहास में लेकिन कुछ तारीखों का घटाव बहुत बड़ा सूनापन छोड़ जाता है. 27 दिसंबर एक ऐसी ही तारीख रहेगी कला जगत के इतिहास में.

रंगमंच और फिल्म के जानेमाने अभिनेता फारूख शेख का दिल का दौरा पड़ने से दुबई में 27 दिसंबर 2013 को इंतकाल हो गया. वह 65 वर्ष के थे. समाचारों के अनुसार फारूख अपनी बीवी और दो बेटियों के साथ छुट्टियां मनाने दुबई गए हुए थे. फारुख शेख छोटे पर्दे और बड़े पर्दे दोनों के फेमस कलाकार थे. वे टीवी, फिल्म और थिएटर तीनों में बिजी रहते थे. उन्होंने बॉलीवुड में कई एक से एक बेहतरीन फिल्मों में काम किया है जो हिट रहीं हैं. फारुख शेख ने दीप्ति नवल के के साध बहुत काम किया. फारुख ने रंगमंच, फिल्मों और टीवी में बेहतरीन योगदान दिया। उन्होंने 'गर्म हवा' के साथ बॉलीवुड में पदार्पण किया था और 'शतरंज के खिलाड़ी', 'चश्मे बद्दूर', 'किसी से ना कहना' तथा 'नूरी' जैसी फिल्मों में यादगार भूमिकाएं निभाई. उनकी आखिरी फिल्म 'क्लब 60' थी. इससे पहले इस साल आई फिल्म 'ये जवानी है दीवानी' में वह अभिनेता रणबीर कपूर के पिता के किरदार में दिखे थे और पिछले साल आई फिल्म शंघाई में भी उन्होंने अभिनय किया था. उन्होंने जीटीवी के मशहूर कार्यक्रम 'जीना इसी का नाम है' की मेजबानी भी की जिसमें बॉलीवुड की कई जानी मानी हस्तियों का साक्षात्कार लिया.

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Vidya Bhushan Rawat

One of the most talented actors of Hindi cinema Farooq Sheikh is no more. He died of a massive heart attack. Farooq Sheikh redefined parallel cinema. He stood with his convictions and unlike many of those who succumb to market and power, Farooq remained committed to secular plural values. There is no doubt that his films were starkly different from the crowd of others in the Hindi Cinema. We will always remember his cinema, the clean cinema who every one could see with their family. Sincere Tribute to this remarkable actor of our time.

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Teesta Setalvad

http://www.asianage.com/editorial/modi-s-legal-travails-may-not-be-over-yet-148

Asianage EDIT

28DEC2013

Modi's legal travails may not be over yet

Wherever legal currents may take the PM aspirant, there is no gainsaying that one of his ministers, Maya Kodnani, has been handed the death sentence for her role in the violence of 2002

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Mohan Shrotriya

क्या आपको दस-बारह बरस पुरानी बातें याद रहती हैं? तो फिर क्या आपको याद है कि ‪#‎राहत‬-शिविरों को *बच्चे पैदा करने के केंद्र* किसने कहा था?


ऐसे वक्तव्यों से क्या आपको तकलीफ़ के मारे हुओं के प्रति किसी तरह की संवेदनशीलता के दर्शन होते हैं? लोग शौकिया तो राहत-शिविरों में जाकर रहने नहीं लगते ! उन्हें जब डरा-धमका कर अपने घरों से बेदखल कर दिया जाता है, तभी तो वे अपने घरों की जैसी-तैसी सुविधा को छोड़कर एक कष्टभरी दुनिया में प्रवेश करने को अभिशप्त होते हैं ! उन जगहों को हम सरकारी, और आम बोलचाल की भाषा में राहत-शिविर कहते हैं !


आज एक लिंक देख कर यह पुरानी बात बरबस याद आ गई !

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  • Surendra Grover, Faisal Anurag, Sheeba Aslam Fehmi and 44 others like this.

  • View 23 more comments

  • Ish Mishra In Muzaffarnagar there is tacit alliance b/w Mulayam and Modi,. this might be the prelude of future alliance in polls

  • 10 minutes ago · Edited · Like

  • Sanjay Bugalia mishra ji aisa kuchh nahi hai

  • 25 minutes ago · Like

  • Ish Mishra ऐसा क्यों. टिकैतों को मोदी के हिटमैन अमित शाह के टिकतैतों जरिए 70 करोड़ रूपए मिले दोनों ही चाहते हैं कि विस्थापित स्थायी विस्थापित बने रहें. अगले चुनाव में मादी मुलायम साथ होंगे, दोनों ही सांप्रदायिक ध्वीरुकरण का फायदा फठाना चाहते हैं.

  • 10 minutes ago · Edited · Like

  • Mohan Shrotriya स्पर्धात्मक सांप्रदायिकता का खेल है #ईश. चुनावी गंठजोड़ हो न हो, हथकंडे एक-से हैं.

  • 10 minutes ago · Like · 1


Devi Devasya
അരവിന്ദ് കെജ്‌രിവാള്‍ സത്യപ്രതിജ്ഞ ചെയ്ത് അധികാരമേറ്റു..

http://smartsa.tv/news-details.php?c=Featured&i=52#.Ur58cdIW1fQ

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Uday Prakash

''इस बीतते हुए साल के आखिरी हफ़्ते में मैं यह कहना चाहता हूं, एक ऐसे समय में, जो क्रिकेट, राजनीति, सरकार, बलात्कार की अनगिनत कोशिशों, वास्तविक बलात्कार, बलात्कार के साथ हत्या, झूठ, अफ़वाह और महत्वपूर्ण तथा असरदार लोगों द्वारा किये गये अपराधों, एक महिला राजनयिक द्वारा अमर्यादित व्यवहार और फिर उसके मेज़बान देश द्वारा बदले की कार्रवाई की घटनाओं में गर्क है…..ऐसे समय में मेरा कहना है कि हमें अपने आप को पहचानना चाहिए. स्वयं अपनी ओर अपनी आंखें घुमानी चाहिए …..आत्मावलोकन करना चाहिए . हमें यह जानना होगा कि हम किस तरह के लोग हैं और हम क्या हैं ? भले ही इसमें सरलीकरण के खतरे हों…!

'हम भारत के लोग' बहुत सकारात्मक आशावादी परिकल्पनाओं की उपज हैं, 'हम हिंदुस्तानी लोग' राष्ट्र निर्माण के चलचित्र की मोहक छवियों और आत्म-छल की उपज हैं…खुद को ही धोखा देती मानसिकता वाले.

असलियत यह है कि हम आज की संगत या परिवेश के 'हम' हैं. जब हम आत्मप्रशंसा में 'हम' का प्रयोग करते हैं, तब वास्तव में हम एक बहुत छोटी-सी तादाद के 'हम' के बारे बोल-सोच रहे होते हैं…

हर जगह वर्ग हैं, गुट या समूह हैं, अलग-अलग अस्मिताएं हैं. लेकिन गुट्बंदियों, गिरोहों और झुंडों की जो संघटना हमारे यहां उभर रही है, वैसी शायद ही कहीं और हो. हर राजनीतिक दल, हर सार्वजनिक संगठन, यहां तक कि स्वयं सेवी संस्थाएं (एनजीओ), विश्वविद्यालयों के अलग-अलग विभाग, व्यावसायिक कंपनियां, खेल-कूद, सांस्कृतिक संस्थान ..सभी में गुटबंदियां हैं….''

-- गोपाल कृष्ण गांधी

(भारतीय गणतंत्र इसके निर्माताओं के स्वप्नों वाला सबका घर नहीं है )

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प्रेम जनमेजय

मित्रों , मैंने २६ दिसम्बर को , नेशनल दुनिया में प्रकाशित अपने व्यंग्य -- धन्य , प्रभु आप अवतरित हुए' में, राजनीति में जादू की छड़ी के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रभु आप को सावधान किया था कि वे जादू की छड़ी ले आयें पर उन्होंने कह दिया कि उनके पास नहीं है। मैंने लिखा था --

"हे प्रभु आप अवतरित हो गए हैं पर क्या जादू की छड़ी साथ लेकर आए हैं? आपको इसकी आवश्यक्ता पड़ेगी अन्यथा फिर दूसरे रूप में अवतरित होना पड़ेगा। प्रभुु आप तो जानते ही होंगे कि कलियुग में पाप, रक्तबीज की तरह अपने पैर पसारता है।आप उसका एक रूप खत्म करते हैं और उसका बल्ड रिलेशन कहीं और पैदा हो जाता है। प्रभु आप को ओवरटाईम भी करना पड़ता है पर फिर भी धर्म हानित होता रहता है। प्रभु जैसे आप सहस्त्र बाहु हैं वैसे ही पाप भी सहस्त्र बाहु हो गया है। अनेक पापी श्वेत वस्त्र धारण कर रक्तबीज को प्रश्रय देते हैं। थककर आपको कहना पड़ता है कि मैंने धर्म की हानि रोकने का आश्वासन दिया था पर मेरे पास जादू की छड़ी नहीं है। मैं एक रात में सब कुछ नहीं बदल सकता। पर हे प्रभु आप आम जनता तो अपने प्रभुओं से चमत्कार की ही आशा करती है। और प्रभु आप जानते ही हैं कि चमत्कार का आश्वासन देते रहना ही तो प्रजातंत्र है और तभी आप प्रभु स्वीकारे जाते हैं।"

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Navbharat Times Online

आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल दिल्ली के सातवें और सबसे युवा मुख्यमंत्री बन गए हैं।


आम आदमी को अपना 'नायक' मिल गया है। यहां क्लिक कर देखें तस्वीरेंhttp://nbt.in/9PZgUb

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चमत्कारिक राजनीति की आभासी उम्मीदें

FRIDAY, 27 DECEMBER 2013 22:20

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पार्टियों में जागे शुद्धतावादी दृष्टिकोण को देखते हुए लगता है कि आने वाले दिनों में राजनीतिक दलों की सूरत में काफी तब्दीलियाँ हों, लेकिन जो सामने होता दिखाई दे रहा है वह यह कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव के बाद छाए सियासी राजनीतिक बादल अगले कुछ दिनों में छंट ही जाने हैं...

अनुज शुक्ला

जनमत संग्रह के अनूठे इकलौते प्रयोग के बाद आम आदमी पार्टी दिल्ली में कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने को राजी हो ही गई है. इस परिवर्तन में पिछले पखवाड़े भर से दिल्ली को लेकर जिस तरीके की सियासी कशमकश देखी गई उसको लेकर कई सवाल मौजूं हुए हैं. सवाल यह कि अगर 2014 के आगामी लोकसभा चुनाव सामने नहीं होते तो क्या वाकई दिल्ली का राजनीतिक परिदृश्य ऐसा ही होता जैसा कि वर्तमान में दिखाई दे रहा है? क्या भाजपा अरविंद केजरीवाल को सरकार बनाने के लिए इतनी आसानी से वॉक ओवर दे देती? जिस केजरीवाल ने न सिर्फ दिल्ली बल्कि समूचे देश में कांग्रेस के खिलाफ भ्रष्टाचार के नाम पर प्रतिकूल माहौल तैयार कर उसकी राजनीतिक जड़ें कमजोर कीं हों उसी केजरीवाल को कांग्रेस इतनी आसानी से समर्थन दे देती?सबसे अहम सवाल यह भी कि क्या केजरीवाल अपनी राजनीति को उस अंजाम तक पहुँचा पाएँगे, जिसका सब्जबाग आम आदमी के नाम पर उन्होंने दिल्ली की जनता को दिखाए हैं? देखा जाए तो वर्तमान में भ्रष्टाचार के खिलाफ शुचिता और आदर्शवाद की कथित लहर ही भारतीय राजनीति में आमतौर पर न घटित होने वाली राजनीतिक अनहोनियों के केंद्र में है. उस भारतीय राजनीति में जिसका इतिहास विभिन्न दलों की तरह-तरह के करिश्माई प्रयोगों के लिए मशहूर रहा हो. इन विधानसभा चुनाव के कुछ ही महीनों बाद देश की दो बड़ी पार्टियाँ भाजपा और कांग्रेस, जिनके बीच 14 का मुख्य मुक़ाबला है, वे तमाम मुद्दों पर एक दूसरे के खिलाफ आमने-सामने होंगी.


ऐसे में दोनों पार्टियों के लिहाज से आम आदमी पार्टी के रूप में जो अनौपचारिक राजनीतिक पार्टी का प्रसव हुआ है उसकी प्रभावशीलता दोनों पार्टियों के लिए शुभ संकेत नहीं. भले ही संसाधन और पहुँच के लिहाज से आप देश भर में दिल्ली का करिश्मा दोहराने की स्थिति में नहीं है अलबत्ता आगामी चुनाव पर उसके प्रभाव को ख़ारिज तो नहीं ही किया जा सकता है. अगर 14 के चुनाव सामने नहीं रहते तो शायद भाजपा इतनी आसानी से दिल्ली में वॉक ओवर नहीं देती? भाजपा, जिसने जनादेश के कथित सम्मान के नाम पर दिल्ली में सरकार बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, उसने उत्तर प्रदेश में छह महीने के मुख्यमंत्रित्व कोटे का भस्मासुरी प्रयोगधर्मी गठबंधन बहुजन समाज पार्टी के साथ किया था.


हालांकि बहन जी की वादा खिलाफी के कारण उस वक्त भाजपा ने कांग्रेस को तोड़कर मायावती को अपदस्थ करते हुए किसी प्रकार यूपी में सत्ता कायम करने में कामयाब हो गई थी. अब दिल्ली में सत्ता के बहुत करीब 32 सीटें (एक सीट सहयोगी अकाली दल की है) पाने के बावजूद भाजपा ने सरकार बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई . सवाल उठता है कि अगर 14 के चुनाव सामने नहीं होते तो क्या भाजपा वाकई दिल्ली में ऐसा होने देती? यूपी और झारखंड में पार्टी के अतीत का इतिहास तो कम से कम इस बात को मानने के लिए कतई तैयार नहीं. दरअसल 14 के आसन्न चुनाव के मद्देनजर न चाहते हुए भी भाजपा ने अपने बड़े अभियान के लिए आक्रामक विपक्ष की राजनीति करने का निर्णय लिया है.


भ्रष्टाचार के खिलाफ आप द्वारा कथित रूप से खड़ी की गई शुचिता और आदर्श की राजनीतिक दीवार फाँदने के चक्कर में भाजपा इस तरीके की किसी कोशिश से फिलहाल बचना चाहती है. क्या यह सोचना गलत है कि दिल्ली में सरकार चलाने वाली आप से विपक्ष में बैठने वाली आप भाजपा के लिए ज्यादा नुकसानदेह साबित हो सकती है! अगर देखा जाए तो एक तरीके से भाजपा और कांग्रेस ने आप की ताकत को दिल्ली की सीमा में आबद्ध कर दिया है. दरअसल दोनों पार्टियों की रणनीति से यही जाहिर भी होता है. सरकार बनाने की घोषणा के साथ ही जिस तरीके भाजपा ने आप के ऊपर राजनीतिक हमले तेज कर दिए और इसकी प्रतिक्रिया में आप के रणनीतिकार सामने आ रहे हैं वह इस बात का सबूत भी माना जा सकता है.


यह साफ है कि 14 के चुनाव तक आप के एजेंडे को लेकर भाजपा उसे दिल्ली में ही घेरकर रखने की रणनीति पर चल रही है. बहरहाल, मंत्रिपद को लेकर बिन्नी के रूप में आप में जिस तरीके से शंटिंग हुई है वह भाजपाई नेताओं के मुस्कराने का बेहतर सबब साबित हो सकता है. दूसरी ओर पाँच राज्यों में जनादेश के बाद कोमा में नजर आ रही कांग्रेस द्वारा आप को बिना शर्त समर्थन की पेशकश उसकी अपनी मजबूरियों की अंतर्कथा है.

मौजूदा हालात में कांग्रेस की स्थितियों को लेकर राजनीतिक जानकारों का जो समेकित आकलन है कमोबेश उसका सार यही है कि फिलहाल कांग्रेस किसी भी सूरत में 2014 से पहले दोबारा दिल्ली में आत्मघाती चुनाव लड़ने के मूड में नहीं है. हालांकि दिल्ली में आप को समर्थन के सवाल पर पार्टी की अंदरूनी इकाई में विरोध के स्वर भी फूट पड़े हैं लेकिन राननीतिक लिहाज से कांग्रेस के पास इससे बेहतर कोई दूसरा उपचार उपलब्ध नहीं है.


फिलवक्त राजनीति में जो दिख रहा है वह बहुत आभासी भी है. दरअसल भारत की राजनीति में भ्रष्टाचार के खिलाफ हमेशा से ही कारगर और आदर्श का विषय रही राजनीतिक शुचिता का भूत इस बार जिस तरीके ज्यादा ही मुखर हो गया है वह भविष्य की राजनीति को लेकर कई तरह के भ्रम भी पैदा कर रहा है. जिस तरीके भाजपा और कांग्रेस ने आप को शिकंजे में लिया है वह साबित करता है कि आने वाले दिन आप के लिए बहुत कठिन साबित होंगे.

यह तय मानकर चलना चाहिए कि दिल्ली में बनने वाली आम आदमी पार्टी सरकार का भविष्य 2014 तक सुरक्षित है लेकिन राजनीतिक रूप से इस अल्प अवधि में आप द्वारा उसके एजेंडे के लिए किए गए कार्य ही उसका दूरगामी भविष्य तय करेंगे. इसके साथ ही आप के प्रशिक्षु नेताओं और आप के काडर की निजी महत्त्वाकांक्षाओं की तुष्टि भी आप के भविष्य का गुणात्मक फैसला करेगी. अन्यथा आप भी असम गण परिषद की तरह इतिहास का एक हिस्सा भर बनकर रह जाएगी. वैसे भी जन लोकप्रियता के मामले में भारत में विपक्ष की राजनीति की अपेक्षा सत्ता की राजनीति हमेशा ही आत्मघाती साबित हुई है.


अनुज शुक्ला पत्रकार हैं.
Balakrishnan Kunimmal
ബി ജെ പി ഉണ്ടാക്കിയത് ഇന്ദിരാഗാന്ധി

ബി ജെ പിയുടെ പൂർവ്വരൂപം ഭാരതീയ ജനസംഘം ആയിരുന്നു. 1980-ൽ കേവലം 2 സീറ്റുണ്ടായിരുന്ന ബി ജെ പിയെ വളർത്തിയത് ഇടതുപക്ഷമാണെന്ന് ചില വിവരദോഷികൾ പറയാരുണ്ട്. എന്നാൽ സത്യമെന്താണ് ?

1967-ൽ തന്നെ ഭാരതീയ ജനസംഘത്തിന് 35 എം പി മാര് ആയിരുന്നു ഉണ്ടായിരുന്നത്... എന്നാൽ ഗാന്ധിവധത്തിന്റെയും വർഗ്ഗീയ ഭ്രാന്തിന്റെയും നാറ്റമുള്ള സംഘപരിവാറിനെ മറ്റൊരു രാഷ്ട്രീയ പ്രസ്ഥാനവും അടുപ്പിച്ചിരുന്നില്ല. ...See More

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Abhik Majumdar
Action in 2002, reaction in 2013. Expect us to believe you're serious?

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प्रजानामचा

December 28, 2013 at 7:34am

Sudha Raje

जब पाकिस्तान में राजनीतिक

समस्या उठती है तब वहाँ के हुक्मरान

कश्मीर कश्मीर इसलाम इसलाम

चीखना शुरू कर देते है और जनता सब

सवाल भूल कर ड्रग एडिक्ट की तरह

""आतंकवाद!"के समर्थन में

खङी हो जाती है राज़ी या ग़ैरराजी ।

जब भारत में राजनीतिक गलतियाँ दाग

दाग दिखने लगने पर

जनता हो हल्ला करने लगती है तब ।

यौनशोषण

मजहबी कट्टरवाद

दंगा फसाद बलात्कार धर्म

और किसी हाई प्रोफाईल व्यक्ति के

कुकर्म पाप पर सारा फोकस

करता चला जाता है मीडिया और

विधान संस्थान ।

संसद में कोई नहीं चाहता करप्शन रोकने

पर जनलोकपाल बने

कोई नहीं चाहता कि जातिगत मजहब

गत आरक्षण बंद करके

गरीब मध्यम और अमीर आय

संपतिति वर्ग

की ABC तीन तीन श्रेणियाँ गठित करके

आर्थिक आधार पर सुविधायें देने न देने

का नियम बने।

कोई नहीं चाहता कि बिना जाति धर्म

के भेद भाव के संसद की तीस प्रतिशत

सीटे महिलाओं को ही देने का नियम बने

कोई नहीं चाहता कि यौन

विकलांगता के लिये नाचगाना छोङकर

जॉब कार्ड बनाकर मनरेगा नरेगा में

काम दिया जाये औऱ भीख

माँगना हफ्ता वसूली बधाई की जबरन

वसूली जुर्म घोषित की जाये।

कोई घोटाले पर

घोटालों रक्षा सौदों भवन निर्माण

संचार सूचना खेल में खाये गये जनता के धन

का हिसाब नहीं जानता

लगातार अपराधी नेता दलों में आकर

शासक बनते जा रहे हैं ।

मगर

मुद्दा तो है सेक्स क्रिकेट और सिनेमा

बस

ताकि कोई न ध्यान दे कि ये काला धन

कहाँ कहाँ है?

ये मुद्राअवमूल्यन क्यों है।

ये शेयर क्यों डूब रहे।

ये विदेशी लोग भारत को अपमानित

क्यों करते रहते हैं ।

कोई न पूछे कि भारतीय भूगोल पर चीन

कहाँ कहाँ पाकिस्तान अतिक्रमण कर

रहा है।

लोग कितने बेरोजगार बीमार और

विदेशी लोग कहाँ कहाँ घुसे पङे हैं

देश में मँहगाई क्यों बढ़ती जा रही है

???

©®सुधा राजे

Dec 14

जनज्वार डॉटकॉम

कश्मीर से कहीं ज्यादा मुसलमान तो देश के अनेक प्रदेशों में ही होंगे. वे लड़ाई-झगड़ों से दुखी भी हुए हैं, उन्होंने कष्ट भी झेले हैं, लेकिन संविधान को मानकर आज कश्मीरी मुसलमानों के मुकाबले देश के अन्य मुसलमान ज्यादा सुखी हैं...http://www.janjwar.com/2011-05-27-09-06-02/69-discourse/4647-desh-ke-vikas-aur-ekta-men-roda-dhara-370-by-kanhaiya-jha-for-janjwar

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Palash Biswas मंतव्य निष्प्रयोजन।मित्रों स‌े अनुरोध हैं,इसे शेयर अवश्य करें।

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Ashok Dusadh

मुझे चिंता इस बात का नहीं की 'आप' बीजेपी को ख़त्म कर देगी या कांग्रेस का स्थान छेंक लेगी लेकिन चिंता इस विषय की होनी चाहिए की 'आप' आधुनिक टेक्नोलॉजी और वैज्ञानिक/मनोवैज्ञानिक 'तर्क' से लैस मनुवाद के खूंखार स्वरूप का मुकाबला बहुजन राजनीति कैसे कर पाएगी ? नब्बे दशक के बाद बहुजन राजनीति के उभार ने मनुवाद को बेचारा बना दिया था और उसे बहुजन राजनीति के आगे घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था लेकिन मनुवादी यथास्थितिवादी बुद्धिजीवी ने दो ढाई साल पहले एक छोटा सा अनुप्रयोग शुरू किया था .पहले राजनीति को ही कोसो और लगातार यह प्रक्रिया साल भर चली .भ्रष्टाचार विरोध के मूल में बहुजन विरोध ही छिपा था .आज 'आप ' को बहुजन राजनीति को परास्त करने के लिए केवल खोखले वादे करना ही काफी नहीं है बल्कि कुछ ठोस जैसा करना भी उसकी मजबूरी है .विश्वासघात विश्वास जीत कर ही किया जा सकता है यह ब्राह्मणवाद का सनातन परंपरा है अभी तक .इसके लिए पहले 'आप ' को बीजेपी और कांग्रेस को ख़त्म करना होगा ,फिर परिवर्तन के ढोंगी गांधियन प्रतिक गढ़ना होगा ,फिर झूठ का पहाड़ खड़ा करना होगा जिसे पर्दाफास करते करते आप हांफ जाए ? यह बहुत श्रमसाध्य कार्य है, कठिन भी .लेकिन मनुवादी बुद्धिजीवियों ने कमर कस लिया है और वे आर पार की लड़ाई लड़ रहे है क्योंकि वे दो दशक में बखूबी जान गए की बहुजन राजनीति की कमजोरियां क्या है और सीमाएं क्या है .अब बहुजन माध्यम वर्ग के सामने दो ही रास्ते है या तो नए मनुवाद का चरण वंदना करें या वे भी आर पार की लड़ाई के लिए कमर कस लें .

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Mohan Shrotriya

*यह तो हद ही हो गई ! नहीं क्या?*


आज जयपुर में भी अनेक ऐसे लोगों के बारे में प्रामाणिक जानकारी मिली, जिनकी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है, पर उन्होंने ‪#‎आप‬ की सदस्यता ग्रहण कर ली है. कुछेक ऑन-लाइन क़तार में लगे हुए हैं. उनका तर्क यही है कि दोनों पार्टियों का विकल्प चाहिए. उन्हें लगता है कि कुछ ही दिनों में यह ‪#‎तीसरी‬ नहीं, ‪#‎पहली‬ शक्ति बन जाएगी. हर चुनाव से पहले तीसरे मोर्चे का शिगूफ़ा छोड़ने वाले दलों को इस बात से सबक़ लेना चाहिए. इन लोगों का यह भी मानना है कि यदि यह प्रयोग देर तक न भी चल पाए तो भी स्थापित भ्रष्ट पार्टी (कांग्रेस) तथा उतनी ही भ्रष्ट एवं फ़ासिस्टी पार्टी (भाजपा) को ठिकाने लगाने का महत्वपूर्ण काम तो कर ही गुज़रेगी. और बहुत संभव है कि इस प्रक्रिया में, ये दोनों पार्टियां भी अपने आपको नए रूप में पुनर्गठित करने की ज़रूरत अनुभव करने लगें !


आज लाल बहादुर शास्त्री के पोते (अनिल शास्त्री के बेटे) द्वारा एक करोड़ रूपए सालाना वेतन की नौकरी को तिलांजलि देकर #आप में शामिल हो जाने की ख़बर ने भी कुछ रंग तो दिखाया ही दिखता है !

Like ·  · Share · 22 minutes ago near Jaipur · Edited ·

  • Uday Prakash, Durgaprasad Agrawal and 16 others like this.

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  • Mrityunjay Prabhakar Vam ab dal kahan rahe.. daldal ban chuke hain

  • 16 minutes ago via mobile · Like · 1

  • Mohan Shrotriya उन्होंने कुछ भी अनुभव करना न जाने कब से बंद कर दिया है ! #रमेशउपाध्याय

  • 15 minutes ago · Like · 4

  • Anand Dubey Kuch bade BUDDHIJEEVI bhi ab pachta rahe hain. Congress se alag hokar ab AAP ka daaman thamne ke liye taras rahe hain par log unhen SPACE nahin de rahe hain. Aise hi hote hain ye BUDDHIJEEVI

  • 11 minutes ago · Like

  • Mohan Shrotriya कांग्रेस के बुद्धिजीवियों का तो पता नहीं #आनंद पर कुछेक स्वतंत्र एवं असंबद्ध-वाम मित्रों के बारे में तो जानकारी है कि वे चले गए हैं या चले जाने वाले हैं.

  • 8 minutes ago · Like

  • Anand Dubey Satyavachan Sir. Unke shareer ki haddiyan unke shareer ka saath cchodkar unke swarthon sahit AAP main ghus jaana chahti hain.

  • 6 minutes ago · Like

  • Meenu Jain सटीक विश्लेषण !

  • 4 minutes ago · Like

  • Mohan Shrotriya जिन्हें आप जानते नहीं, उनके बारे में इतनी सहजता से यह सब कुछ कह कैसे जाते हैं #आनंद? कहीं असंबद्ध-वाम के रूप में मुझे समझकर तो यह व्यंग्योक्ति नहीं कर रहे हैं? मैं तो अपने घर-बैठा ही ठीक हूं.

  • 3 minutes ago · Like

  • Palash Biswas फिर पुराना मंतव्य दोहराता हूं,कुंभ मेले में भगदड़ मची हैं भयानक।कुछ करेंगे पुण्य स‌्नान,कुढ मरेंगे भीड़ की चपेट में और कुछ बन जायेंगे अश्वत्थामा।

  • a few seconds ago · Like

Uday Prakash

सचिवालय की कारों से 'लाल बत्ती' ग़ायब । काश अब जैसा Som Prabh जी ने कहा है, दिल्ली की बसों में तितलियाँ और यमुना में जल लौट आये ।

आज पहली बार लगा कि आप की नहीं, अपनी सरकार बनी है ।

शायद इस सर्दी में शरीर में ताप, चेहरों पर ख़ुशी, ज़मीन में घास, घास में टिड्डे, सियासत में ईमानदारी..... बुझे बल्बों में रोशनी लौटेगी ।

हमारी नींद में अब टूटे-बिखरे हुए सपने लौटने लगे हैं ।

Like ·  · Share · 14 minutes ago near Sahibabad ·


Himanshu Bisht

क्यों दबा दिया गया आम आदमी की पार्टी मैं आम आदमी की आवाज ?????

रामलीला मैदान में अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में कुछ ऐसा हुआ, जिसने सभी को चौंकाकर रख दिया। आसपास तैनात पुलिसकर्मियों ने अपने इस साथीको घेर लिया और समझाने की कोशिश की। इसे चुप होने के लिए कहा गया। इस दौरान आसपास मौजूद जनता ने भी इस पुलिसकर्मी के समर्थन में शोर मचाना शुरू कर दिया। पुलिसकर्मियों ने अपने इस साथी का मुंह बंद किया और उसे लगभग घसीटते हुए वहां से दूर ले गए। यह सब उस वक्त हुआ, जब अरविंद केजरीवाल शपथ ग्रहण करने के बाद जनता से मुखातिब थे। via http://navbharattimes.indiatimes.com

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Palash Biswas आगाज यह है तो अंजाम क्या होगा


Sumit Guha shared Dev's photo.

D and D

With Mamata di during the Special screening of Chander Pahar: The Movie at Newtown Eco Park today

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Mohan Shrotriya

लोग जब मारे जाते हैं

तो कोई तो होगा ही न

जो उन्हें मारता है !


अपने मन से

या किसी के इशारे पर !


इशारा सबको दिखते हुए भी

क्यों नहीं दिख पाता

कुछ लोगों को?


कब तक चलता रहेगा

महिमा-मंडन हत्यारों का?

  • Dinesh Dadhichi Who is responsible for the"death of a salesman"?

  • 5 hours ago · Like

  • डॉ. विक्रम जीतः इशारा 'सबको' किनको दिख रहा है सर?

  • अगर सबको दिख रहा होता तो गुजरात की जनता को तो पहले दिखना चाहिये था!

  • 5 hours ago via mobile · Like

  • Mohan Shrotriya गुजरात की जनता को तो एक ही शख्स वाणी देता है#विक्रम !

  • 5 hours ago · Like

  • Mohan Shrotriya माओवादी मारते हैं, तो माओवादी ही मारते हैं. उनका बचाव कोई भी कैसे कर सकता है? मैंने तो कभी नहीं किया. सार्वजनिक भर्त्सना ही की है.राज्य के संरक्षण में हिंसा की ज़िम्मेदारी भी राज्य के मुखिया की ही होती है. ऐसा न होता तो अटलजी #राजधर्म न निभाने की शिकायत...See More

  • about an hour ago · Edited · Like · 1


The Hindu

No minister or official in Delhi Govt will use red beacon, as per decision of first meeting of the cabinet presided by CM Arvind Kejriwal.

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Aaj Tak

कभी केजरीवाल को आशीर्वाद देने से मना करने वाले अन्ना आज उनमें अपना पूरा विश्वास जता रहे हैं. देखिए अन्ना का ये वीडियो...

http://aajtak.intoday.in/video/-i-have-faith-in-kejriwal-anna-1-750680.html?source=videotopstrip

Like ·  · Share · 4671 · 2 minutes ago ·

Arindam Chaudhuri

Yes, I voted for AAP and proud that I wasn't alone!! Arvind Kejriwal is the real winner!! Finally the end of dynastic rule clearly in sight!!!! And yet, the bigger news is that Narendra Modi is almost surely our next PM and that is such a spectacular news for this country!!!! For the general elections this time, let every Indian come out and vote for BJP, and give them a clear mandate!!! We need Modi as our next PM and Kejriwal as the honest opposition to take keep the balance and be the future alternative!

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Surendra GroverMedia Darbar

शपथ लेने के बाद अरविंद केजरीवाल ने उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि दो साल पहले ऐसा सोचना मुमकिन नहीं था और यह आम आदमी की जीत है. ..

Read more: http://mediadarbar.com/25399/now-actual-test-of-kejriwal/

अब असली परीक्षा की घड़ी है केजरीवाल एंड पार्टी की…मीडिया दरबार « मीडिया दरबार

mediadarbar.com

-हरेश कुमार|| अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के सातवें मुख्यमंत्री के तौर पर अपने छह अन्य मंत्रियों से साथ शपथ ले ली है. इस शपथ ग्रह

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Jagadishwar Chaturvedi

अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर सादगी को राजतंत्र तक पहुँचा दिया है । हम याद करें एक ज़माने एम्बेसडर कार राजकीय सम्मान का प्रतीक थी , ज़रा सोचें क्या दाम था उसका ? इसबार छोटी कार वाले मुख्यमंत्री आ रहे हैं देखना होगा किस ब्राॅण्ड की कार केजरीवाल यूज करते हैं ?पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सादगी की मूर्ति के रुप में सत्ता तक पहुँची हैं, वे कल तक ईमानदारी की प्रतीक थीं महज़ तीन साल में उनकी पार्टी करप्शन की पर्याय बनकर सामने आई है । मैं कामना करता हूँ कि केजरीवाल को ममता वायरस न लगे !!

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Jagadish Roy shared Harichand Thakur's album: BENGAL KI UNTOUCHABLE MOVEMENT.

BENGAL KI UNTOUCHABLE MOVEMENT AND HARICHAND THAKUR AND GURUCHAND THAKUR. (HINDI ME BAHUT DINCHE BAHUT LOG BEGAL KA MULNIVASI MOVEMENT OR USME MAHAMANAB HARICHAND AND GURUCHAND THAKUR KI KYA BHUMIKA OR UNKA KYA PARTICIPATION ISKE BARI ME JANNA CATAKE . KHUSHI KI BAT E HE KI NAGPUR KI Dr. SANJAY GAJBHIYE JI BABASHABE Dr. B.R. AMBEDKAER AND MAHAPRAN JOGENDRANATH MANDAL KI UPOR RECHERCHE KIYA HE. O KETAB AVAILABLE HE.

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Mangalesh Dabral via Prakash Upadhyaya

so a gujarat judge is delivering judgement judgement after consulting dictionary. what a mockery!

Ethnic cleansing, genocide are foreign terms... cannot be considered: Judge while rejecting...

indianexpress.com

In her petition challenging the clean chit given by a special investigation team to Narendra Modi and others in the Gulberg Society killings, Zakia Jafri had used the expressions

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Lalita Ramdas shared Greenpeace India's photo.

Perhaps this has nothing to do directly with our site - but historic changes are happening in Indian politics. It is my belief that we cannot bring about the real changes we want in the struggle against nuclear without a new political philosophy and therefore a new political force. Let us hope that the Peoples Party will also put its strength behind this cause.

No 6 on our top ten 2013 countdown! Cops get rough with activists protesting outside Delhi Power Minister - Haroon Yusuf's house to tell him to switch on the sun and invest in renewable energy for Delhi!

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India Today

Delhi gets its own 'Nayak' in Kejriwal!

Delhi gets its own Nayak in Kejriwal! : North, News - India Today

indiatoday.intoday.in

Aam Aadmi Party convener will take oath today as Delhi Chief Minister in Ram Lila Maidan. He would be the youngest CM of the state. Along with him six other AAP MLAs would take the oath.

Like ·  · Share · 4,649208914 · 5 hours ago ·

Dalit and Adivasi Students' Portal

महिषासुर शहादत दिवस आयोजन जैसे सांस्कृतिक प्रतिरोध के आंदोलन का भी ब्राह्मणवादी व्यवस्था के जाल में फँस जाने का खतरा है। खासकर जब इस प्रतिरोध की संस्कृति को विकसित करने के लिए ब्राह्मणवादी प्रतीकों का इस्तेमाल किया जा रहा हो। जेएनयू में महिषासुर शहादत दिवस आयोजन में महिषासुर के जिस चित्र का उपयोग किया जाता है वह चित्रकार लाल रत्नाकर द्वारा बनाया गया था। संभवत: अनजाने में ही इस चित्र को ब्राह्मणवाद के प्रतीकों से भर दिया गया है। इस चित्र में गोवंश पालक समुदाय के राजा महिषासुर को भगवान कृष्ण की तरह सिर पर मोरपंख लगाए दिखाया गया है। महिषासुर के पीछे किसी हिन्दू देवी-देवता की तरह आभामंडल भी बनाया गया है। http://www.neelkranti.com/2013/12/28/mahishasur-divas-aur-brahmanvadi-khatre/

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Navbharat Times Online

दिल्ली में 'आप' की सरकार बनने से पहले ही सरकारी महकमों में दहशत दिखने लगी है। शिक्षा विभाग के दफ्तर में ऑफिसरों ने फाइलें फाड़ीं। इस पर केजरीवाल ने क्या कहा, जानिए:

http://navbharattimes.indiatimes.com/delhi/politics/suspicious-data-being-discretely-erased-in-delhi-government-offices/articleshow/28005241.cms

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Ashok Dusadh

भाई साहब ऐसा आदमी बताईये जो स्वेच्छा से घूस देना चाहता हो ? दिल्ली देश के नवेले 'मुख्यमंत्री ' ने 'अपने ' देश को संबोधित करते हुए मानो ऐसा कह रहे हो की घूस लेना और देना उस देश की परिपाटी हो और वह अब ख़त्म करना चाहते है . साहेब पहले उन मजबूरियों को ख़त्म कीजिये जिससे घुस लेने वाला और देने वाला दोनों 'त्रस्त' है ?!

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Economic and Political Weekly

As ‪#‎Arvind‬ Kejriwal is set to take oath as Delhi CM today, here is an editorial on AAP's journey from 'Movement to Government'.


Running the Delhi government will test the Aam Aadmi Party's ability to transform itself: http://www.epw.in/editorial/movement-government.html

Like ·  · Share · 8115 · 4 hours ago ·

The Modi Phenomenon:
For a Powerful Left Reply

Dipankar Bhattacharya

The Assembly elections in Madhya Pradesh, Chhattisgarh, Rajasthan and Delhi were the BJP's first major test after the party officially anointed Narendra Modi its Prime Ministerial nominee. The BJP has done pretty well in these elections, retaining both Madhya Pradesh and Chhattisgarh, wresting Rajasthan from the Congress by a massive majority and stopping debutant AAP from walking away with a clear majority in Delhi. While the BJP victories in Rajasthan and Madhya Pradesh have been more emphatic than expected and the party's results in the other two states are also impressive enough, opinions vary as to how far Narendra Modi can be credited with the results as the party's star campaigner and declared prime ministerial nominee. It can well be argued that Modi's high-profile campaigning and aggressive rhetoric hardly had any effect in Chhattisgarh and Delhi. But then Modi supporters can also say that the BJP would have been so much worse off in these two states had Modi not campaigned so extensively.
Leaving it to the psephologists and media analysts to figure out how much of an electoral impact Modi is really generating, we should focus on the political content of the Modi-for-PM campaign and the different dimensions of the Sangh strategy that need to be countered effectively. There is no denying the fact that despite reservations expressed by some senior BJP leaders including Advani, the most experienced leader in the BJP, Modi has emerged as the unquestionable choice of the entire Sangh brigade. Galvanised by Modi's anointment as the BJP's Prime Ministerial candidate, every Sangh outfit is working overtime to create an atmosphere of communal polarisation and whip up anti-Muslim frenzy. Muzaffarnagar has been the most disturbing upshot of this vicious communal strategy and it has apparently begun yielding rich electoral dividends for the BJP in areas with considerable Jat population as evidenced in the voting pattern in recent elections in Rajasthan and certain rural pockets of Delhi.
In the late 1980s and early 1990s, BJP had built up its strategy of communal mobilisation primarily around the issue of Ayodhya. But following the demolition of Babri Masjid by Sangh vandals, the issue of Ram Mandir has perhaps lost much of its earlier emotive appeal. Nowadays the BJP's communal campaign revolves around more contemporary anti-Muslim prejudices and the US-instigated politics of Islamophobia. The propaganda about 'love jehad', fears of influx of immigrants from Bangladesh and infiltration of terrorists from Pakistan, the myth of explosion of Muslim population and demonization of Islam in the name of terrorism – these are the key ingredients of the BJP's current communal campaign. This is complemented by a relentless propaganda offensive against what the BJP calls 'pseudo-secularism', 'Muslim appeasement' and 'vote-bank politics'. The BJP campaign of course also draws a lot of strength from the soft communalism of the Congress and the opportunism practised by many non-BJP parties in the name of secularism. The trivialisation or devaluation of secularism always ends up lending added strength to the BJP's constant tirade against pseudo-secularism.
As we rightly noted in our 9th Congress, the Modi-as-PM campaign is not limited to the outfits of the Sangh brigade, but is endorsed virtually by the entire corporate sector. The corporate clamour for Modi has been building up for quite some time now; we could hear it grow over successive 'Vibrant Gujarat' investor summits. The corporate preference invariably colours the dominant media opinion, and most media houses are treating the 2014 LS elections like one of those Presidential elections in US with Modi already claiming the lion's share of media attention, with most of his rallies being televised live. The corporates expect a double bonanza from Modi – he is expected to tilt the economic policy balance more decisively in favour of the corporate agenda without any welfare baggage and he is also expected to deal with protests against corporate exemptions and resource-grab with an iron hand.
What lends a wider resonance to this corporate-communal clamour for Modi is the current situation. We have a severe economic crisis affecting large sections of the people and we have a government which is widely rated as the most corrupt government India ever had. The Congress party is passing through a phase of serious decline compounded by an acute crisis of credibility and leadership. This has left the people looking for a government that could deliver and a leadership that could be decisive and the pro-Modi camp is trying to market him as the one-stop answer to all the woes of the people. Sensing that the stocks of the Congress are at an all-time low, Modi has stepped up his rhetorical aggression. He is calling for not just ouster of the Manmohan Singh government but for a 'Congress-mukt Bharat' (Congress-free India). Time was when the BJP slogan used to be elimination of 'fear, hunger and corruption' (bhay-bhookh-bhrashtachar), but Modi paints the Congress as the root of all evil and calls for elimination of the Congress. Obviously he hopes that the loss suffered by the Congress will translate primarily into gains for the BJP.
The regional parties of course occupy considerable political space in India and the BJP still has no electoral presence in a number of states. But the BJP knows that it can do business with most regional parties – it had more than twenty parties as its allies in NDA not so long ago. What Modi is currently doing is reopen the agenda shelved by the NDA in the past – as he did when he called for a debate on Article 370 while addressing a rally in Jammu. The BJP believes that if it can increase its seat tally significantly it can re-attract allies and re-forge a national coalition – and that too on terms closer to the BJP's own agenda than in the past.
There are a few other important factors that differentiate the current phase of BJP's ascendance with the previous phase. When Advani and Vajpayee built and led the BJP in the 1980s and 1990s, it was essentially an opposition party. In fact, the BJP tally in Parliament had been reduced to just two in the wake of the 'nationalist' outpouring of sympathy for Rajiv Gandhi following Indira Gandhi's assassination. The Congress compromise on the Shah Bano judgement coupled with corruption charges against Rajiv Gandhi gave BJP the space to forge ahead and the party used the emotive mythological appeal of Ram – not the benevolent king imagery that Gandhi had used but Ram as warrior – to assert in a big way in the national political arena. Even when it came to power at the centre in 1998 it did not have much grip on state power and was seen primarily as an opposition party coming to power.
But over the last ten years even though the BJP had to sit on opposition benches in Parliament, it remained entrenched in state power in Gujarat, Madhya Pradesh and Chhattisgarh and also shared power for as long as eight years in another major state like Bihar. In Gujarat, the line of demarcation between the party and the state has been nearly obliterated, and we see Narendra Modi using the state apparatus as a private organisation. The consolidation of the BJP as a party of governance marks a new phase for the party and this consolidation has been achieved in large measure by systematic misuse of state power. The way Modi treated the Gujarat police like a private force during the genocide and the series of fake encounters that followed, the intrusive surveillance and snooping and stalking practised so routinely by his government, and the complete coalescence of the party and the government in executing Modi's project of self-promotion in the name of honouring the legacy of Sardar Vallabhbhai Patel are all pointers to a fascistic trend of concentration of all powers in a small coterie around a despotic leader in utter violation of the constitutional provisions of separation of powers and the principles of governmental accountability and autonomy from narrow party control.
Modi is aware that the Sangh has no roots in India's freedom movement and in the multifarious national awakening beginning with the adivasi revolts and the 1857 war of independence. He is therefore desperately trying to hijack history and use it in the service of the BJP's game plan to grab power at the Centre. The 150th anniversary of Swami Vivekananda became a self-promotional occasion for Modi in Gujarat and now the same is being done with the legacy of Sardar Patel. Modi even tried to play with the legacy of Bhagat Singh but the latter's glorious record of revolutionary anti-imperialism and powerful advocacy of a progressive nationalism wedded to the strategic goals of secularism, socialism and real freedom for the oppressed, toiling people renders him eminently unsuitable for the BJP. If anything, Bhagat Singh will be a most potent weapon for the Indian youth, working people and democratic intelligentsia in resisting Modi's brand of corporate-communal fascism.
The icon that Modi believes he is best suited to appropriate is Sardar Patel, thanks to Patel's strong rightwing views, authoritarian approach, a certain ambivalence on the question of communalism and, of course, his Gujarati origin, and the perceived lack of recognition of Patel in the Congress pantheon dominated by Gandhi, Nehru, and the progeny of the Nehru family. Patel who emerged through the pre-independence peasant movement in Gujarat, Patel who fought against the British colonialists for India's independence, Patel who as India's first Home Minister banned the RSS after the assassination of Gandhi, Patel who understood the intricacies of unification of a country of continental dimensions as India, is not exactly made for the Sangh which does not have the historical or ideological wherewithal to comprehend and deal with a country of India's size, diversity and complexity. But Modi is as desperate to grab pieces of Indian history as the corporates who are eyeing India's rich natural resources.
The desperation to claim some roots for the BJP in history is matched by the desperation to market Modi as a leader of the oppressed poor. In rally after rally Modi is projecting himself as a humble tea-seller who made it big in politics through sheer hard work. The RSS and all its affiliates are propagating that Modi could be the first leader from extreme backward castes to make it to the Prime Minister's chair. The man who has all along been brandishing the wealth of Gujarat to mock at the backward and deprived regions of India has suddenly turned into a humble tea-seller and some arrogant leaders of other parties are playing into Modi's hands by claiming tea-sellers cannot be Prime Ministers. The BJP which is the first preference of India's feudal forces and corporate circles is trying to wear a pro-poor mask by invoking Modi's ancient past as a tea-seller.
To build an effective resistance to the BJP's shrill rhetoric and aggressive Modi-for-PM campaign, we need to understand the underlying points of strength and vulnerability of the BJP's strategy and the Modi phenomenon. A weak and discredited Congress is clearly no answer to Modi, in fact it is the Congress which is today the biggest source of Modi's strength. Advocating a grand secular alliance with all kinds of dubious and opportunist forces is walking into the BJP's trap. Only a powerful espousal of the people's cause, a bold and consistent battle against corruption, corporate plunder and the acute economic crisis, and for freedom from US-advised policies whether economic or foreign and a determined defence of democracy and justice against the forces and policies of repression can provide a real political challenge to an aggressive BJP. We must realise that Modi is not just an old RSS hand, but he is an essential product of two decades of pro-corporate pro-imperialist policies. Only a spirited battle for a paradigm shift in policies and politics can expose and challenge Modi's corporate-communal agenda.
The success of AAP in the specific context of Delhi vindicates this strategy. AAP is of course not a party of consistent anti-corporate struggles, the agenda it has outlined so far can be called more a strategy of modernisation of governance and the legal architecture rather than any basic socio-economic transformation. But in the process of party formation and electoral battle, it has already had to broaden its agenda from the one-point Jan Lokpal theme to various civic amenities and basic rights for the urban poor and lower middle classes and also working class issues like regularisation of contract employees. Also while concentrating its campaign against the Congress, AAP has not been particularly vocal against the BJP or its brand of corporate-communal politics, retrograde outlook and repressive rule. But now that AAP has been objectively placed in opposition to the BJP, it cannot afford to adopt an ambivalent position vis-a-vis the BJP.
Historically, the communists constituted the dominant non-Congress stream in India's freedom struggle and post-Independence politics. If today the BJP emerges as the biggest beneficiary of a Congress decline, it clearly points to a major failure of the Left. More and more voices within the Left now agree to the root cause of this failure – the political derailment of the Left-led government in West Bengal and the opportunist politics of uncritical, tailist alliances with the parties of the ruling classes. The point is to translate this admission into an alternative trajectory in theory and practice which alone can lead to a resurgence of the Left through popular mobilisation of the working people and the democratic intelligentsia. The present situation offers enough potential for a powerful assertion of the revolutionary Left. If the BJP is benefiting from the crisis and the decline of the Congress, if a new formation like AAP can make its presence felt by addressing the popular quest for change and an alternative to the rotten ways of the Congress and the BJP, the revolutionary Left which has been the strongest bulwark of social transformation defying all odds must also draw on the situation for a stronger mobilisation and assertion of the people and more effective ideological-political intervention against the forces of fascist reaction.

The Modi Phenomenon:

Jayantibhai Manani shared Lodhi Nanhe Singh Thakur's photo.

नरेंद्र मोदी और केजरीवाल मंडल के 27% ओबीसी आरक्षण के विरुध्ध में जमकर खड़े रहे, ये दोनों मिडिया के चहेते और दुलारे हो गए है. देश के पढेलिखे ओबीसी को मिडिया के इस व्यवहार से समजना ही होगा.


उमा भारती ने 33% महिला आरक्षण में ओबीसी महिलाओ के लिए अलग क्वोटा के समर्थन में आवाज उठाई, कल्याणसिंह ने यूपी में संसद के उम्मेदवारो में ओबीसी को पर्याप्त टिकेट के लिए आवाज उठाई, शरद यादव, लालूप्रसाद यादव, कांसीराम, नितिशकुमार ने मंडल कमीशन लागु करने के लिए आवाज उठाई और और वीपीसिंह ने 27% मंडल आरक्षण लागु किया. ये सब मिडिया के चहेते क्यों नहीं है?

मित्रो ,केजरीवाल जी सिर्फ एक लीडर नही आंदोलन है और निश्चित ही मोदीजी इक बड़े लीडर है .किन्तु भाजपा की अपनी अलग सीमाए है और भाजपा कई बार अपने ही भरष्ट और पदलोलुप नेताओ के कारन दीनदयाल जी के 'अन्तोदय के दर्शन' से भटक जाती है! इसी कारन देश के ३० राज्यो तक भाजपा आज तक नही पहुच पाई ! मात्र ४-५ हिंदी राज्यो में सिमट कर रह गयी ऐसे में आपस में केजरीवाल मोदीजी को अपनी शक्ति का परीक्छण कर लेना चाहिए !? प्रश्न यह है कि केजरीवाल गुजरात जाकर चुनाव न लड़े और मोदीजी देहली में ..... दोनों को प्रतिस्प्रधा करना हो तो देश कि आर्थिक राजधानी मुबई या यूपी में लखनव की किसी लोकसभा से चुनाव जरुर लड़ना चाहिए ..और अगर एसा होता है तो पुरे विश्व कि निगाह इस चुनाव पर होगी ... जय भारत .. जय प्रजातंत्र ...

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Navbharat Times Online

अरविंद केजरीवाल के भाषण के कुछ अंश....


कार्यकर्ता भूलें नहीं, हम मंत्री-मुख्यमंत्री-विधायक बनने के लिए नहीं आए थे। मैं अपने मंत्रियों-विधायकों से अपील करना चाहूंगा कि हमारे अंदर घमंड नहीं आना चाहिए। चंद लोग भ्रष्ट हैं, अधिकतर अफसर ईमानदार हैं। वे देश की सेवा करना चाहते हैं। डेढ़ करोड़ लोग मिलकर सरकार चलाएंगे। हमारे पास सारी समस्याओं का समाधान नहीं है, लेकिन दिल्ली के डेढ़ करोड़ लोग जमा हो गए तो हर समस्या हल होगी। LIVE जानकारी के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ http://nbt.in/5L34Ya

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India Today and Aaj Tak shared a link.

CLAT 2014 Applications open on 1st January 2014 : Notification News - India Today

education.intoday.in

CLAT 2014 scores will be used for admission to under graduate/post graduate law programmes at India's best Law Institutes.

Harnot Sr Harnot

अरविन्‍द केजरी वाल को नमन


अरविन्‍द केजरीवाल की देश के प्रति इस तरह की सकारात्‍मक और ईमानदार सोच को देख कर प्रणाम करने को मन करता है। उन्‍होंने जिस तरह से राजनीति को आम आदमी से जोडा है उसे भी नमन करने को जी करता है। हमारे देश की संस्‍कृति भ्रष्‍टाचार ने इस तरह छिन्‍न-भिन्‍न कर दी है कि जो कोई आज ईमानदारी और सच्‍चाई की बात करने लगता है, उसे पागल या मूर्ख की संज्ञाएं दी जाने लगती है। आज 'नेता' से बडी कोई गाली नहीं है और भ्रष्‍टाचार के बिना जीवन। वे लोग जो हमेशा सकारात्‍मक सोच ...See More

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  • Nityanand Gayen, Subodh Kumar, Pawan Kumar Banta and 93 others like this.

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  • Mahender Kumar Harnot सभि दलों के नेताों को हिला कर रख दिया। मेरी ोर से भी ारबिंद जी को नमन ौर बधाईयां।

  • about an hour ago via mobile · Like · 1

  • Dayal Prashad sir kuch andhon ko roshni na dikhai toh man kyon dukhi ya aahat hotey hain.....kejriwal saab imaandar aadmi hain.....or imandari ki zabdasst roshni...

  • 35 minutes ago via mobile · Like · 1

  • Gaurav Dudhyan Negi Agar aap mr kejriwal ke is initiative ko dil se support karte hai toh is baar elections me Himachal me b jaroor support kare.....

  • 22 minutes ago via mobile · Like

  • Ratti Sharma मेरा मानना है कि हम सब देशवासियों को एकजुट हो कर इसे आन्दोलन का रूप देना चाहिए अन्यथा ''आप'' की हार में देश का आम आदमी भी हार जाएगा जिसके लिेए मौजूदा राजनैतिक दल ऐड़ी—चोटि का जोर लगा रहें हैं । देश के प्रति ऐसे निष्ठावान लोगों के आगे सिर झुकाने को सच में ही मन करता है । देश को बचाने का समय आ गया है लोगों को एकजुट हो कर आगे आना चाहिए । मैं हरनोट जी के कथन से सहमत हॅूं । ।

  • 14 minutes ago · Like

  • Palash Biswas हरनोटजी,आप भी।

  • a few seconds ago · Like


चन्द्रशेखर करगेती

19 minutes ago · Edited ·

  • केजरीवाल ने रचा इतिहास, देश भर में चल सकती है बदलाव की बयार, क्या "आप" भी ऐसा ही सोचते हैं ?
  • देश की राजधानी दिल्ली की सत्ता पर जिस तरह से केजरीवाल की आप पार्टी ने आज अपना परचम आम लोगों के दिलों पर राज करते हुए लहराया है, संभवत: यह आजादी के बाद की पहली घटना होगी, जिसमें किसी राजनीतिक दल ने सवा साल में पैदा होकर एक राज्य की सत्ता पर आसानी से लोकतांत्रिक तरीके से कब्जा कर लिया हो. वास्तव में ये देश में एक नई तरह की क्रांति की बयार है, जिसे बड़े पैमाने पर अभी कोई स्वीकार करने को तैयार नहीं होगा। वर्षों से देश की सत्ता पर कब्जा जमाए राजनीतिक दलों के अंदर जरूर इस ताजे घटनाक्रम से खलबली मचना स्वाभाविक है। खिरकार देश की जनता के सामने आम आदमी पार्टी के रूप में तीसरा इमानदारी की मशाल लेकर चलने वाला विकल्प सामने है।
  • दिल्ली के रामलीला मैदान में आज अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ जिस सादगी से मेट्रो ट्रेन से सभा स्थल तक पहुंचकर ली है, वह एक तरह से यह संदेश देने की भी कोशिश की है कि देश के तमाम नेता-मंत्री जिस तरह से लावो-लश्कर को साथ लेकर चलते हुए दिखावा करते है, वह एक तरह से जनता के पैसे की बर्बादी है। अंग्रेजों से देश को आजादी मिलने के बाद उम्मीद थी कि देश में मूल्य आधारित इमानदारी की राजनीति की शुरूआत होगी, लेकिन बड़ी-बड़ी राजनीतिक पार्टियों और उसके नेताओं ने देश को अपनी बपौती मानकर जिस तरह से देश की संपदा का दोहन करके भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया और अपनी सात पीढिय़ों के लिए बेईमानी-भ्रष्टाचार करके धन-दौलत और शानौ-शौकत एकत्रित करने की परंपरा कायम की है, वह बहुत ही शर्मनाक स्थिति बन गई है।
  • आम जनता भी अंधी नहीं है वो जानती है कि किस नेता के पास चुनाव लडऩे से पहले कितनी संपदा थी और चुनाव लडऩे के बाद कुछ ही सालों मे कितनी संपदा एकत्रित हो गई। पिछले कुछ समय से तो नेता-मंत्रियों, आईएएस अधिकारी से लेकर बाबूओं के घरों से भी जिस तरह से भ्रष्टाचार की काली कमाई उजागर हुई है, उससे जनता भी अवाक् सी हो गई है। किसी भी छोटे से काम के लिए सरकारी दफ्तरों से लेकर नेता-मंत्रियों तक जिस तरह से रिश्वतखोरी का खेल चल रहा है, उसकी निंदा करने के लिए शब्द भी कम पड़ जाएंगे। भ्रष्टाचार-बेईमानी के खिलाफ आवाज उठाने वाले ईमानदार अफसरों और जनता को जिस तरह से धमकाया जाता है और उनकी रातों-रात दुर्घटना दिखाकर किस तरह से हत्याएं करवाई जाती है, क्या आम जनता को ये सब नहीं पता ?
  • जी नहीं जनता को सब पता है, इसीलिए आप पार्टी के रूप में आखिरकार देश की जनता को एक नई सूरज की किरण दिखाई दे रही है......जो शायद भ्रष्टाचार-बेईमानी की राजनीति पर अंकुश लगाकर देश में ईमानदारी की फसल बो सके। आज भी देश में ईमानदारी को पसंद करने और उसको जीने वाले लोगों की कमी नहीं है, एक तरह से देश में ये नये महाभारत की शुरूआत कही जा सकती है, जिसमें एक तरफ बेईमान और दूसरी तरफ ईमानदार लोगों के बीच जंग की शुरूआत हो गई है। संभावना है कि दिल्ली के बाद देश के दूसरे हिस्सों तक ये जंग पहुंचेगी और जनता को संभवत: बेहतर शासन-प्रशासन चलाने वाले नेता-अफसर मिले।
  • हालांकि केजरीवाल को मिली सफलता सिर्फ सवा साल की ही नहीं कही जा सकती, इस सफलता के लिये जमीन तो कांग्रेस और भाजपा जैसी पार्टियों के किये गये कर्मों से ही तैयार हुई है। जो कभी मंदिर के नाम पर तो कभी मस्जिद के नाम पर आम जनता में नफरत की आग फैलाकर उनका खून बहाने से पीछे नहीं हटी, इसके अलावा जनता इन पार्टियों के भ्रष्ट्राचार से लंबे समय से परेशान थी, उसने अपना गुस्सा दिखाते हुए नए विकल्प को चुना है। अगर यही स्थिति रही तो लोकसभा चुनाव में भी आप पार्टी पर जनता अपना भरोसा व्यक्त कर सकती है। कहा जाता है कि जब शोषण हद से ज्यादा बढ़ जाता है तो एक नई क्रांति का जन्म होता ही है। शायद ये क्रांति की बयार केजरीवाल के कंधों पर ही सवार होकर आ रही है ।
  • साभार : रानी शर्मा
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मुजफ्फरनगर- उकसाता रहा मीडिया

hastakshep.com

मीडिया क्षेत्र की प्रतिष्ठित शोध पत्रिका जन मीडिया ने इस अंक में मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक हिंसा और अखबारों की भूमिका पर बेहतरीन शोध पत्र प्रकाशित किया है। हम हस्तक्षेप के पाठकों को यह शोध पत्र उपलब्ध करा रहे हैं। शोध पत्र काफी लम्बा होने के चलते इसे हम किस्तों में प्रकाशित कर रहे हैं। … सं. ह. मुजफ्फ...

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Som Prabh

आदरणीय अरविंद केजरीवाल जी,

दिल्ली को उसकी नदी, उसके प्राकृतिक रास्ते, टीले भी लौटाइएगा। ज्यादा नहीं तो कुछ ही तितलियां को वापस लाइएगा। जो दिल्ली में कभी पायी जाती थीं। जब हम बसों में हो तो वे कभी उड़ते हुए बसों के भीतर चली आएं। और खिड़कियों से बाहर। हां, ऐसा होता है हमारे गांव के तरफ की बसों में। मैंने कितनी बार देखा है उन्हें हरैय्या -सिरसिया वाली बस में। मजा आ जाएगा जब वनस्पतियां दिल्ली के जीवन में वापस लौट रही होंगी। फिर मेरा मन भी स्थिर हो जाएगा, जो रोज उड़ते हुए बगुलों का दृश्य देखने के लिए ललकता है। किसी साफ नदी में उनकी उड़ती हुई छाया देखने की तलब सी लगती है। फिर मन मेरा स्थिर हो जाएगा ,जो रोज यहां से भागने का करता है।

-सोमप्रभ

28/12/2013

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  • Uday Prakash, Arunabh Saurabh and 7 others like this.

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  • Som Prabh शुक्रिया सर !

  • 51 minutes ago · Like

  • Ravindra Swapnil Prajapati bhaiya tumko kolaj ki koi chinta nahi h

  • 50 minutes ago · Like

  • Som Prabh नहीं दादा ,ऐसी बात नहीं है। पर आपकी शिकायत दुरुस्त है। अस्थिरता से सब बिखरा है। जहां पांव रख दूं वहां पक्का ठांव नहीं मिलता है। धीमे-धीमे अब इसकी कोफ्त भी जा रही है।जिस पर यकीन है उधर वापस लौट सकूं शायद। आपको पुराने पन्नों में से कुछ भेजता हूं।

  • 35 minutes ago · Like · 1

  • Sushila Puri हर्रैया-सिरसिया.....  अरे..ये तो मैं अपने मायके पहुँच गई...!

  • 23 minutes ago · Like

Abhik Majumdar
Action in 2002, reaction in 2013. Expect us to believe you're serious?

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Sukla Sen
http://www.livemint.com/Leisure/XWsfFJdByi6tamtvglNsdI/Salil-Tripathi--Reimagining-India.html

Salil Tripathi | Reimagining India - Livemint

www.livemint.com

Salil Tripathi writes a satire about a hypothetical situation after Narendra Modi becomes the country's premier after the 2014 election

Jignesh Mevani
http://www.truthofgujarat.com/pm-candidate-modis-vision-people-go-producing-children-children-will-cycle-puncture-repair/

PM Candidate Modi's Vision: If some people go on producing children, their children will do...

www.truthofgujarat.com

As BJP's PM Candidate, Modi addressed his first rally on 15th September 2013 in Rewari, Haryana. Instead of addressing issues that India is currently facing like price rise, depleting foreign exchange reserves, unemployment issues etc, Modi indulged in misleading the citizens of India through claims...

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Raja Swamy

Affidavit regarding the criminal complicity of the SIT headed by Mr. Raghavan.

www.scribd.com

I'm reading Medium Raw on Scribd… Affidavit presented before the NCM regarding the criminal complicity of the SIT headed by Mr. Raghavan. #ReadScribd

Like ·  · Share · Get Notifications · 13 hours ago