Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti basu is DEAD

Jyoti Basu: The pragmatist

Dr.B.R. Ambedkar

Memories of Another Day

Memories of Another Day
While my Parents Pulin Babu and basanti Devi were living

"The Day India Burned"--A Documentary On Partition Part-1/9

Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Wednesday, September 30, 2015

दुखवा मैं कासे कहुं? बहुत कठिन है डगर,बहुत कड़ी है धूप! साथी संभलकर चलना! साथी हाथ बढ़ाना! परमाणविक सैन्य राष्ट्र भी जनता को कुचलने में कम है क्योंकि जनता जब बगावत पर उतर जाती है तो किसी गैस चैंबर या किसी तिलिस्म की दीवारों में उन्हें मार देना मुश्किल ही नहीं,नामुमकिन है।इसी के मुकाबले हिंदू राष्ट्रवाद का यह आतंकवाद प्रलयंकर है,जिसे कोई लेकिन आतंकवाद कह नहीं रहा है। इसीलिए नये सिरे से आतंक से निबटने की यह सहमति है और यूं समझ लीजिये कि आगे फिर आतंक के खिलाफ युद्ध घनघोर है और अमेरिका को खुल्ला न्यौता है कि उनकी कंपनियां हम पर राज करें ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह और अपनी पूरी सैन्य शक्ति के साथ निर्ममता के साथ भारतीय जनता को उसी तरह मटियामेट कर दें जैसे मटियामेट यूरोप का आधा नक्शा है,मटियामेट लातिन अमेरिका है,मटियामेट नियतनाम है,मटियामेट इराक से सलेकर अफगानिस्तान है,सारा मध्यपूर्व है,अफ्रीका और एशिया है। पलाश विश्वास


दुखवा मैं कासे कहुं?

बहुत कठिन है डगर,बहुत कड़ी है धूप!

साथी संभलकर चलना!

साथी हाथ बढ़ाना!

परमाणविक सैन्य राष्ट्र भी जनता को कुचलने में कम है क्योंकि जनता जब बगावत पर उतर जाती है तो किसी गैस चैंबर या किसी तिलिस्म की दीवारों में उन्हें मार देना मुश्किल ही नहीं,नामुमकिन है।इसी के मुकाबले हिंदू राष्ट्रवाद का यह आतंकवाद प्रलयंकर है,जिसे कोई लेकिन आतंकवाद कह नहीं रहा है।


इसीलिए नये सिरे से आतंक से निबटने की यह सहमति है और यूं समझ लीजिये कि आगे फिर आतंक के खिलाफ युद्ध घनघोर है और अमेरिका को खुल्ला न्यौता है कि उनकी कंपनियां हम पर राज करें ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह और अपनी पूरी सैन्य शक्ति के साथ निर्ममता के साथ भारतीय जनता को उसी तरह मटियामेट कर दें जैसे मटियामेट यूरोप का आधा नक्शा है,मटियामेट लातिन अमेरिका है,मटियामेट नियतनाम है,मटियामेट इराक से सलेकर अफगानिस्तान है,सारा मध्यपूर्व है,अफ्रीका और एशिया है।



पलाश विश्वास

Many of my blogs removed.Speech recorded and missing!


बहुत कठिन है डगर,बहुत कड़ी है धूप!

साथी संभलकर चलना!

साथी हाथ बढ़ाना!


निजी दुःखों,तकलीफों,सदमों की हदबंदी को तोड़ने का वक्त यह है क्योंकि कयामतों से दसों दिशाओं से घिरे हुए हैं हम।


इस तिलिस्म में कैद हम छटफटा रहे हैं और देश न सिर्फ मृत्यु उपत्यका में तब्दील है,बल्कि वह अब मुकम्मल गैस चैंबर बना दिया गया है और सारी खिड़कियां,दरवाजे और यहांतक कि रोशनदान तक बंद हैं।


बेइतंहा तन्हाई है।

तन्हाई हजारों सालों की है।


यह तन्हाई हड़प्पा की है और मोहंजोदोड़ो की भी।

यह तन्हाई माया और इंका सभ्यताओं की भी है।


हम सिर्फ उस विरासत को ढो रहे हैं,तन्हाई की विरासत।


तन्हाई में गीत कोई गुनगुनाते हुए फसल काटने का समय भी यह नहीं है क्योंकि सारे खेत खलिहान घाटी में आग लगी है।


हमारी तन्हाई आग के हवाले हैं।

इस तन्हाई के महातिलिस्म को तोड़े बिना आजादी गुलामी और कयामतों के मंजर से मिलने के कोई आसार नहीं हैं।


आइये,सबसे पहले अस्मिताओं में कैद हमारे वजूद को आजाद करें।सबसे पहले रीढ़ को सीधी कर लें जो सुतल रही कहीं किसी कोने में या हालात ने उसे तोड़ मरोड़ कर कचरा पेटी में डाला हुआ है।हम तूफां के गुजर जाने का इंतजार चूंकि कर नहीं सकते और सफर के लिए कारवां शुरु करने से पहले शुतुरमुर्ग लबादा उतार फेंकने की जरुरत भी है बहुत।


बहुत कठिन है डगर,बहुत कड़ी है धूप!

साथी संभलकर चलना!

साथी हाथ बढ़ाना!


जैसे कि मंगलेश डबराल ने लिखा है हमारे अपराजेय साथी का चले जाना,वह बेदह बड़ा सदमा है,हम तमाम लोगों के लिए।


हमारे प्रिय कवि वीरेन डंगवाल पूरे तीन साल कैंसर को हराते हुए चल दिये।तो अब 16 मई के बाद लिखी जा रही कविताओं की प्रासंगिकता और घनघोर है।


कोई लड़ाई कविता के बिना लड़ी नहीं जा सकती और उत्पादन कोई लोकगीत के बिना हो सकता नहीं है।


यह कविता को नींद से जगाने का वक्त है और दुनियाभर के कवियों के अंगड़ाई लेकर जागने का सही वक्त है।

तुनीर में वाण हैं तो निकालो भइये और फिर चूकना नहीं चौहान।


इस मृत्यु उपत्यका की दीवारों को ढहाने की जरुरत सबसे ज्यादा है। इस गैस चैंबर के सारे दरवाजे,सारी खिड़कियां और सारे रोशनदान खोलने की जरुरत है।


हम सबसे पहले अपने अखबारों और अपने साहित्य से बेदखल हो गये। क्योंकि बाजार ने दुनियाभर के मेहनतकशों के हाथ पांव काटने के लिए सबसे पहले साहित्य,संस्कृति और मीडिया पर कब्जा जमा लिया।


हमने फिर दुनियाभर में लघुपत्रिका और वैकल्पिक मीडिया का आंदोलन चलाया।


बिना संसाधन मुक्त बाजार में उस आंदोलन की सद्गति जनांदोलनों के अवसान के साथ साथ,विचारधारा और इतिहास की मृत्यु घोषणाओं के साथ साथ होती रही और हम इस आंदोलन के टिमटिमाते दिये से कटकटेला अंधियारा का मुकाबला कर रहे हैं।


फिर इंटरनेट और सोशल मीडिया से हमने देश दुनिया को जोड़ने की मुहिम चलायी।अब सोशल मीडिया भी बेदखल है।


बायोमेट्रिक,क्लोन,रोबोट नागरिकों का देश अब डिजिटल है।


अमेरिका और भारत में नये सिरे सहमति हो गयी है आतंक को खत्म करने के लिए।आतंक के विरुद्ध अमेरिका के युद्ध में इजराइल और ब्रिटेन के साथ भारत भी पार्टनर है,तो इस नयी सहमति का मतलब क्या है,यह समझना जरुरी है।


क्योंकि जर्मनी,जापान और ब्राजील के साथ भारत की खास भूमिका रही है संयुक्त राष्ट्र के नये सिरे से तय विकास,गरीबी उन्मूलन और आर्थिक सुधारों के सत्रहह सूत्री संपूर्ण निजीकरण,संपूर्ण विनिवेश का एजंडा पास कराने में।


गौरतलब है कि भारत की आजादी के लिए इऩ्हीं जर्मनी और जापान से मदद मांगने के अपराध में हमने अपने इतिहास में नेताजी को फासिस्ट बना दिया।और कोई सूरत बनी नहीं कि नेताजी फिर घर वापस होते।इतना पक्का इंतजाम हो गया।


टाइटैनिक बाबा भारत को और भारतीय अर्थव्यवस्था को टाइटैनिक में तब्दील करने लगे हैं।


जहाज में छेदा है और यहजहाज डूबने वाला है जैसे समूचा देश अब डूब में तब्दील है।


ऐसा इसलिए हो रहा है कि हम सही मायने में न मजहब समझ रहे हैं,न सियासत समझ रहे हैं औरन हुकूमत।

अर्थव्यवस्था हमारे लए सरदर्द का सबब भी नहीं है।


लोग जोड़ घटाव गुणा भाग भूल गये हैं और हम अस्मिताओं, जातियों और मजहबों के समीकरण सादने में लगे उन्माद हैं।


धर्मोन्माद धर्म नहीं होता और न धर्मोन्माद कोई राष्ट्रवाद होता है।नेतीजे बेहद भयंकर हैं कि मुहब्बत लापता है।लापता है सच।लापता है धर्म।लापता है आस्था।


उत्पादक समुदायों के नरसंहार के वास्ते,खेती,बिजनेस और इंडस्ट्री भी अमेरिकी प्राइवेट सेक्टर के हवाले करने का चाकचौबंद इंतजाम है।


शर्मनाक है कि हमारा प्रधानमंत्री राकस्टार जैसा आचरण कर रहे हैं और निजी कंपनियों के सीईओ को खींचकर सेल्फी निकाल रहे हैं और हम बल्ले बल्ले हैं।


शर्म किसी को आ नहीं रही है।


थोड़ी शर्म तो इस स्वतंत्र संप्रभु देश के नागरिकों को होनी चाहिए कि कैसे निजी क्षेत्र के प्रबंधकों के लिए हमारा प्रधानमंत्रित्व बिछा बिछा है रेड कार्पेट की तरह कि हमारे सारे संसाधन वे लूट लें,जलजंगल जमीन पहाड़ रण समुंदर औरमरुस्थल वे लूट लें औरमेहनतकश तबकों,किसानों,व्यापारियों और देशी उद्योगपतियों का वे सफाया कर दें।


देश अब मुकम्मल मुक्त बाजार है और डजिटल देश है तो पूंजी अबाध है।संपूर्ण निजीकरण है और संपूर्ण विनिवेश है।


एफडीआई में भारतवर्ष ने चीन और अमेरिका को पछाड़ दिया है।

दरअसल यही है हिंदू राष्ट्र का एजंडा।


प्रधानमंत्री विदेशयात्रा पर है और अमेरिकी प्राइवेट सेक्टर के हवाले हमारे तमाम संसाधन कर रहे हैं तो इस देश के सबसे बड़े दिवालिये प्राइवेटाइज्ड रिजर्व बैंक के राजपाट खोये राजन ने त्योहारी मौसम के मुताबिक ब्याज दरों में कटौती कर दी और डाउ कैमिकल्स के वकील घोषणा कर रहे हैं कि अर्थव्यवस्था में तेजी आयेगी।


अर्थव्यवस्था तेज नहीं होती।

अर्थव्यवस्था या तो कमजोर होती है या मजबूत होती है।


तेज शेयर बाजार होता है।

तेज भाव होते हैं।

तेज बाजार के सांढ़ और अस्वमेध के घोड़े होते हैं।


वे सही कह भी रहे हैं।बिहार में फिर कुरुक्षेत्र सजा है और कुरुवंश में महाभारत जातियों का है।


लोकतंत्र का कोई उत्सव नहीं हो रहा है कहीं,सर्वत्र बाजार का कार्निवाल है प्रलयंकर।


सारे के सारे लोग कबंध हैं और चेहरे सिरे से गायब हैं।


अश्वमेध के घोड़े दौड़ रहें हैं तेज तो बहुत तेज दौड़ रहे हैं मुक्त बाजार के सारे साँढ़।कयामतें रची जा रही हैं और कयामते ढहाई जा रही हैं।ढाये जा रहे हैं जुल्मोसितम।हम फिर भी सन्नाटा के कारीगर।


मेहनतकशों के हकहकूक की चर्चा देश द्रोह है।

धर्मोन्मादी बाजार का विरोध भी देशद्रोह है।


जनांदोलन जब तेज होता है तब वह या तो उग्रवाद है या फिर आतंकवाद है।


परमाणविक सैन्य राष्ट्र भी जनता को कुचलने में कम है क्योंकि जनता जब बगावत पर उतर जाती है तो किसी गैस चैंबर या किसी तिलिस्म की दीवारों में उन्हें मार देना मुश्किल ही नहीं,नामुमकिन है।इसी के मुकाबले हिंदू राष्ट्रवाद का यह आतंकवाद प्रलयंकर है,जिसे कोई लेकिन आतंकवाद कह नहीं रहा है।


इसीलिए नये सिरे से आतंक से निबटने की यह सहमति है और यूं समझ लीजिये कि आगे फिर आतंक के खिलाफ युद्ध घनघोर है और अमेरिका को खुल्ला न्यौता है कि उनकी कंपनियां हम पर राज करें ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह और अपनी पूरी सैन्य शक्ति के साथ निर्ममता के साथ भारतीय जनता को उसी तरह मटियामेट कर दें जैसे मटियामेट यूरोप का आधा नक्शा है,मटियामेट लातिन अमेरिका है,मटियामेट नियतनाम है,मटियामेट इराक से सलेकर अफगानिस्तान है,सारा मध्यपूर्व है,अफ्रीका और एशिया है।


जनता लामबंद हो अस्वमेधी फौजों के लिए ,इसलिए बहुत जरुरी है कि सारे शंबूक फिर जाग जायें।


कलबुर्गी ,दाभोलकर और पानसारे की तरह सारे शंबूक फिर सर कटाने  के लिए फिर हो जाये तैयार क्योंकि स्त्री अब भी दासी है।द्रोपदी को निर्वस्त्र करने का सिलसिला जारी है और गांधारी के सारे बेटे खेत हैं।


मनुसमृति अनुशासन के मुताबिक सबकुछ हो रहा है।

क्योंकि मनुस्मृति धर्मग्रंथ नहीं है कोई ,वह तो मुकम्मल अर्थशास्त्र है,वर्चस्व,आधिपात्य और नस्ली हुकूमत,सियासत और मजहब का जो अब मुक्त बाजार का अंध धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद है।


हम ममता बनर्जी के आभारी हैं कि सत्तर साल से तहखानों में रखे हुए नेताजी से जुड़े दस्तावेज सारे वे सार्वजनिक करने लगी हैं।


नेताजी जिंदा हैं या मुर्दा,यह अब बेमतलब बहस है। कातिलों ने जाहिर है कि कोई सुराग नहीं छोडा़ तो जिंदा नेताजी को दफन करनेवालों के खिलाफ कोई सबूत भी नहीं होंगे।


इन दस्तावेजों से जो साबित हुआ है वह बहुत खास है।गांधी जिसे पागलदौड़ कहते थे,विकास और तकनीक के सफेद झूठ का प्रदाफास होने लगा है।


साबित हुआ है कि नेताजी कोई ङिजलन न थे,न मुसोलिनी थे नेताजी और न तेजो से उनकी कोई रिश्तेदारी थी।


वे बाबासाहेब डा,अबेडकर की तरह हर कीमत पर हिंदू राष्ट्र के खिलाफ थे और हिंदुत्व के पुनरूत्थान को नेताजी मुल्क और इंसानियत के खिलाफ मान रहे थे।


दोनों को लेकिन हिंदुत्व ने अवतार हिंदुत्वका बना दिया है और इन झूठी मूर्तियों को गिराने और ढहाने की जरुरत सबसे ज्यादा है।


हम इस कदर बूतपरस्त हैं कि हमें रब से कोई मुहब्बत नहीं है और हमारी रूह में नफरत का लावा दहक रहा है।


हमें बूत से मुहब्बत है जीते जागते इंसान या इंसानियत से कोई मुहब्बत नहीं है।


हम बूत जिसका बनाते हैं,वह रब हो या इंसान,उसको हमारे धंधे के सांचे में गढ़ते हैं कि मह रब को कातिल बना देते हैं और कातिल को पिर रब बना देते हैं।बाकी कटकटेला अंधियारा है।


1938 से लेकर 1947 के जो दस्तावेज ममता दीदी ने सार्वजनिक किये हैं,उनसे साबित फिर हुआ कि हिंदुत्ववादी ताकतें बंगाल का विभाजन पर आमादा थीं ,इसीलिए कोलकाता में निर्णायक डायरेक्ट एक्शन हुआ,जिसके लिए अबतक मुसलमानों.मुस्लिम लीग और सुहारावर्दी को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है।


इन दस्तावेजों से भारतीय बहुजन समाज, दलितों, मुसलमानों, आदिवासियों,पिछड़ों के रहनुमा बंगाल के भुला दिये गये पहले प्रधानमंत्री फजलुल हक और उनकी कृषक प्रजा पार्टी के इतिहास का पता चलता है।


कृषक प्रजा पार्टी  हिंदुत्व और इस्लाम के झंडेवरदारों के मुकाबले जमींदारों और रियासतों के खिलाफ रैयतों और प्रजाजनों के हकहकूक की लड़ाई लड़ रही थी।जो भूमि सुधार के लिए लगातार जारी किसान आदिवासी विद्रोह की विरासत थी।


नेताजी ने जोगेंद्रनाथ मंडल को बरिशाल से बुलाकर कोलकाता नरग निगम का मेयर पार्षद बनाया था,जिनने बाद में मुकद बिहारी मल्लिक के साथ मिलकर बाबासाहेब को संविधान सभा में पहुंचाया था।बहुलता और विविधता और लोकतंत्र के कितने हक में थे नेताजी, आजाद हिंद फौज के इतिहास भूगोल की तरह यह वाकया भी काबिलेगौर है।


इन दस्तावेजों से साबित है कि नेताजी किसानों और आदिवासियों और मेहनतकशों के हकहकूक के लिए प्रजा कृषक पार्टी और फजलुल हक को समर्थन देने की पेशकश लगातार कांग्रेस नेतृत्व से कर रहे थे।


सारी हिंदुत्ववादी ताकतें जमींदारों और रियासतों के हित में रैयतों और बहुजनों के खिलाफ,फजलुल हक के खिलाफ लामबंद थी।


प्रजाजनों और किसानों और बहुजनों की बंगाल की उस पहली सरकार को समर्थन देने से कांग्रेस ने सिरे से इंकार कर दिया और फिर फजलुल हक की सरकार भी गिरवा दी।


1901 में ठाका में ही मुस्लिम लीग का गठन हुआ था और न बंगाल में और न बाकी देश में कोई उसे हवा पानी दे रहा था और पाकिस्तान के जनक मुहम्मद अली जिन्ना ने भी उसे खास तरजीह नहीं दी क्योंकि उसे आम मुसलमानों का कोई समर्थन उसी तरह न था जैसे हिंदू महासभा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कट्टर हिंदुत्व को हिंदुओं ने कोई समर्थन नहीं दिय।


तब नेताजी वामपंथियों समेत तमाम लोगों को जोड़कर भारत को आजाद करने का ख्वाब जी रहे थे।


जबकि कांग्रेस का नेतृत्व एक तरफ हिंदू महासभा तो दूसरी तरफ मुस्लिम लीग को तरजीह देकर दो राष्ट्र के सिद्धांत के तहत सत्ता और जनसंख्या के हस्तातंरणकी तैयारी कर रही थी।


इस एजंडा के तहत भारतीय राजनीति में वध सिर्फ नेताजी का नहीं हुआ,पहला महिषासुर ते फजलुल हक खेत रहे जिनका नामलेवा आजद भारत में कोई नहीं है।


दूसरे वध हुए बलुचिस्तान के सीमांत गांधी और आदिवासियों, दलितों और मुसलमानों,सिखों और मेहनतकशों के वध का अनंत सिलसिला अब हिंदू राष्ट्रवाद है और हिंदुत्व का एंजडा है।


यह निर्लज्ज एजंडा हिंदू बहुल नेपाल की आर्थिक नाकेबंदी कर रहा है और नेपाल के लोकतांत्रिक नया संविधान रद्द करवाकर एकमुश्त हिंदू राष्ट्र और राजतंत्र की वापसी के लिए नेपाल में लगातार लगातार हस्तक्षेप कर रहा है।


भारत के इस सामंती साम्राज्यवादी हिंदुत्व के खिलाफ नेपाल में भारतीय मीडिया का बहिष्कार है और वहां भारतीय सारे चैनलों का प्रसारण बंद है।


शर्मिंद हम फिर भी नहीं हो रहे और न विरोध हम जता रहे हैं कि नेपाल में भारत के प्रधानमंत्री का पुतला और भारतीय झंडा दोनों जल रहे हैं।हम बिना वजह बेगुनाहों को मौत के घाट उतार रहे हैं।


हिंदुत्व का यही एजंडा है विभाजन का जो अब कश्मीर को अलग करने पर आमादा है क्योंकि कश्मीर घाटी के मुसलमानों को पाकिस्तान हांके बिना कोई सूरत नहीं है कि भारत हिंदू राष्ट्र बन सके।यह हम बार बार लिख बोल रहे हैं।


हिंदुत्व का यही एजंडा था कि बंगाल में मुस्लिम बहुमत और पंजाब की मुसलमान आबादी को अलग किये बिना हिंदू राष्ट्र अंसभव था।वैसा ही हुआ और इसीलिए भारत का विभाजन हो गया।


आजाद हिंद फौज भारत में दाखिल होते या फजलुल हक,सीमांत गांधी और नेताजी एक साथ होते या गांधी और अंबेडकर आदिवासियों को तरजीह दिये रहते तो बंटवारा इतना आसान भी नहीं होता और न किसी हत्यारे की गोली से गांधी का सीना छलनी हुआ रहता और न आज भी रोजाना गांधी का सीना लहूलुहान हो रहा है और उसपर गोलियों की बौछार हो रही है।


नेतीजी नहीं लौटे तो भारत की किस्मत बदल गयी और नेताजी भारत में कतई दाखिल न हो,इसके लिए नेताजी के मणिपुर के मोइरांग में तिरंगा फहराने के तुरंत बाद भारतीय राष्ट्रीय नेतृत्व और हिंदुत्ववादी ताकतों की आपातकालीन बैठक भी कोलकाता में हुई और भारत के बंटवाकरे  का चाकचौबंद इंतजाम हो गया।बांटवारे का सिलसिला लेकिन थमा नहीं है।यही हिंदुत्व का पुनरूत्थान है।


दुखवा मैं कासे कहुं?

बहुत कठिन है डगर,बहुत कड़ी है धूप!

साथी संभलकर चलना!

साथी हाथ बढ़ाना!

परमाणविक सैन्य राष्ट्र भी जनता को कुचलने में कम है क्योंकि जनता जब बगावत पर उतर जाती है तो किसी गैस चैंबर या किसी तिलिस्म की दीवारों में उन्हें मार देना मुश्किल ही नहीं,नामुमकिन है।इसी के मुकाबले हिंदू राष्ट्रवाद का यह आतंकवाद प्रलयंकर है,जिसे कोई लेकिन आतंकवाद कह नहीं रहा है।


इसीलिए नये सिरे से आतंक से निबटने की यह सहमति है और यूं समझ लीजिये कि आगे फिर आतंक के खिलाफ युद्ध घनघोर है और अमेरिका को खुल्ला न्यौता है कि उनकी कंपनियां हम पर राज करें ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह और अपनी पूरी सैन्य शक्ति के साथ निर्ममता के साथ भारतीय जनता को उसी तरह मटियामेट कर दें जैसे मटियामेट यूरोप का आधा नक्शा है,मटियामेट लातिन अमेरिका है,मटियामेट नियतनाम है,मटियामेट इराक से सलेकर अफगानिस्तान है,सारा मध्यपूर्व है,अफ्रीका और एशिया है।



[Sign Petition] Dear India, stop interfereing in Nepal. Thanks!

Please sign and circulate widely. Endorsements can also be sent directly to Anand Swaroop Verma

[Sign Petition] Dear India, stop interfereing in Nepal. Thanks!

We, the undersigned extend full support to the people of Nepal on the occasion of the promulgation of their Constitution. We oppose the interference of the Indian…

ASIAPROGRESSIVE.COM



--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

Modi “removed” name of author Mahadev Desai, “changed” title of Bhagwad Gita presented to Obama..


Modi "removed" name of author Mahadev Desai, "changed" title of Bhagwad Gita presented to Obama...

By Our Representative Just one day ahead of Prime Minister Narendra Modi's second meeting with President Barack Obama in US, Mahatma Gandhi's secretary Mahadevbhai Desai's grandso…
--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

Facebook is now an open capital entity. All members are invited to publish a notice of this kind, or if they prefer, you can copy and paste this version.


Due to the fact that Facebook has chosen to involve software that will allow the theft of my personal information, I state: at this date of September 29th 2015, in response to the new guidelines of Facebook, pursuant to articles L.111, 112 and 113 of the code of intellectual property, I declare that my rights are attached to all my personal data drawings, paintings, photos, video, texts etc. published on my profile and my page. For commercial use of the foregoing my written consent is required at all times.
Those who read this text can do a copy/paste on their Facebook wall. This will allow them to place themselves under the protection of copyright. By this statement, I tell Facebook that it is strictly forbidden to disclose, copy, distribute, broadcast, or take any other action against me on the basis of this profile and or its content. The actions mentioned above also apply to employees, students, agents and or other personnel under the direction of Facebook.
The content of my profile contains private information. The violation of my privacy is punishable by law (UCC 1-308 1-308 1-103 and the Rome Statute).
Facebook is now an open capital entity. All members are invited to publish a notice of this kind, or if they prefer, you can copy and paste this version.
If you have not published this statement at least once, you tacitly allow the use of elements such as your photos as well as the information contained in the profile update.

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

THE RSS/BJP MESSAGE TO MUSLIMS IN INDIA TODAY

NEW DELHI: It was a systematic communal campaign in Dadri, that precedes acts of violence always. First a calf was reported missing, and a campaign un

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

भागवत के आरक्षण वाले बयान पर जेठमलनी ने कहा, ये अगड़ी जाति के वोटरों को 'चुनावी रिश्‍वत'

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण वाले बयान पर भाजपा से निष्कासित सांसद राम जेठमलानी ने सवाल खड़े किए है. ...

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

African-American Felt Segregated for Protesting Indian PM Modi in California #ModiFail


"I've never been treated like an Untouchable – not until yesterday," says Modi…
--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

Mohan Shrotriya - "अफ़वाह फैलाओ! क़त्ल करो! डरा दो उन लोगों को जो तुम्हारी मूर्खताओं में ज्ञान का आलोक नहीं खोजते! गाय-गोबर-मूत्र को पवित्रतम शब्दों के रूप में मान्यता दे दो। देश को जितना पीछे ले जा सकते हो, ले जाओ! पांच सौ साल, हज़ार साल, या जितना भी चाहो! तुम्हे यह बर्दाश्त नहीं हो सकता कि देश की पहचान एक आधुनिक विकासमान देश के रूप में होती रहे! अपराधियों, गुंडों, क़ातिलों को ही अपनी शक्ति मानो, जनता को हिंद महासागर में डुबो दो! और फिर अट्टहास करो!"


Mohan Shrotriya - "अफ़वाह फैलाओ! क़त्ल करो!
डरा दो उन लोगों को जो तुम्हारी मूर्खताओं में ज्ञान का आलोक नहीं खोजते!
गाय-गोबर-मूत्र को पवित्रतम शब्दों के रूप में मान्यता दे दो।
देश को जितना पीछे ले जा सकते हो, ले जाओ! पांच सौ साल, हज़ार साल, या जितना भी चाहो!
तुम्हे यह बर्दाश्त नहीं हो सकता कि देश की पहचान एक आधुनिक विकासमान देश के रूप में होती रहे!
अपराधियों, गुंडों, क़ातिलों को ही अपनी शक्ति मानो, जनता को हिंद महासागर में डुबो दो!
और फिर अट्टहास करो!"

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

Israel Prepares Ground Invasion of Syria Cites presence of ISIS and Hezbollah as pretext for possible invasion.

Cites presence of ISIS and Hezbollah as pretext for possible invasion.

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

Anand Patwardhan:If u marry Facebook with Feku u get? Fake book ! So here we go again:


Whether the statement has legal validity of effectiveness or not one can question. But how can an individual statement like the one below be a hoax?

Ever since i saw zuck hugging it up with with muck, i have decided to be wary.

If u marry Facebook with Feku u get? Fake book !

So here we go again:

As of September 29th , 2015 at 11 AM Eastern standard time, I do not give Facebook or any entities associated with Facebook permission to use my pictures, information, or posts, both past and future. By this statement, I give notice to Facebook it is strictly forbidden to disclose, copy, distribute, or take any other action against me based on this profile and/or its contents. The content of this profile is private and confidential information. The violation of privacy can be punished by law (UCC 1-308- 1 1 308-103 and the Rome Statute). NOTE: Facebook is now a public entity. All members must post a note like this. If you prefer, you can copy and paste this version. If you do not publish a statement at least once it will be tactically allowing the use of your photos, as well as the information contained in the profile status updates.

DO NOT SHARE. You MUST copy and paste.

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

काठमांडू एयरपोर्ट से इंटरनेशनल उड़ानें बंद, एक लाख करोड़ की पर्यटन इंडस्ट्री को झटका


नजीर मलिक नेपाल में हालात बिगड़ गये हैं। नाकेबंदी की वजह से काठमांडू के त्रिभुवन एयरपोर्ट से अगले आदेश तक विदेशी उड़ानें बंद कर दी गई हैं। काठमांडू से 14 देशों की 26 विमान कंपनियों…
--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

These are the communal achievements of the guru Modi wants to commemorate with a stamp


Avaidyanath, the mahant of Gorakhnath temple, was one of the key figures in the Ayodhya movement that led to the demolition of Babri Masjid in 1992.
SCROLL.IN|BY DHIRENDRA K JHA
--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

Bush & Blair Manipulated 9/11 To Invade Afghanistan Says Jeremy...

Jeremy Corbyn claimed that the 9/11 attacks were manipulated by the West to…

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

गोमांस खाने के शक में पीट-पीटकर हत्या की


उत्तर प्रदेश के दादरी के एक गांव में गोमांस की अफवाह फैली, इसका ऐलान मंदिर पर किया गया और फिर भीड़ ने एक मुस्लिम परिवार के घर पर हमला कर दिया...

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

[Sign Petition] Dear India, stop interfereing in Nepal. Thanks!

Please sign and circulate widely. Endorsements can also be sent directly to Anand Swaroop Verma

We, the undersigned extend full support to the people of Nepal on the occasion of the promulgation of their Constitution. We oppose the interference of the Indian…

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

Digital India!Many of my blogs removed.Speech recorded and missing!

Many of my blogs removed.Speech recorded and missing!

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

‪#‎ओवैसी‬ का प्रश्न जिन्दा है और उसका जवाब ‪#‎SP‬ ‪#‎BSP‬ या ‪#‎RJD‬ को नहीं बल्कि इन दलों के मुस्लिम कार्यकर्ताओ को देना है।


‪#‎ओवैसी‬ का प्रश्न जिन्दा है और उसका जवाब ‪#‎SP‬ ‪#‎BSP‬ या ‪#‎RJD‬ को नहीं बल्कि इन दलों के मुस्लिम कार्यकर्ताओ को देना है।

फिलहाल ओवैसी का प्रश्न जिन्दा है और उसका जवाब सपा, बसपा या राजद को नहीं बल्कि इन दलों के मुस्लिम कार्यकर्ताओ को देना है।
--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

एक अपराजेय का जाना : मंगलेश डबराल


एक अपराजेय का जाना : मंगलेश डबराल


अस्सी के दशक के बेहद महत्त्वपूर्ण कवि वीरेंद्र डंगवाल का जाना हिन्दी साहित्य ही नहीं हिन्दी समाज की भी एक बड़ी क्षति है। कैंसर जैसी मुश्किल बीमारी से संघर्ष करते हुए भी उनकी सक्रियता उस जीजिविषा का पता देती है जो उन्हें उजले दिनों के आने को लेकर इस कदर आश्वस्त भी करती थी और बेचैन भी। उनकी स्मृति में लिखा वरिष्ठ कवि और उनके अभिन्न मित्र मंगलेश डबराल जी का अमर उजाला में छपा लेख साभार। 



अब ऐसे लोगों का होना बहुत कम हो गया है, जिनसे, बकौल शमशेर बहादुर सिंह, 'जिंदगी में मानी पैदा होते हों।' वीरेन डंगवाल ऐसा ही इंसान था, जिससे मिलना जीवन को अर्थ दे जाता था। वीरेन पहली भेंट में अपनी नेकदिली की छाप मिलने वाले के दिल में छोड़ देता था। वह प्रसन्नता की प्रतिमूर्ति था-दोस्तों की संवेदना को सहलाता हुआ, उन्हें धीरज बंधाता हुआ। यह उसकी जीवनोन्मुखता ही थी कि तीन साल तक वह कैंसर से बहादुरी के साथ लड़ता रहा। बीमारी के दिनों में उसे देख हेमिंग्वे के उपन्यास द ओल्ड मैन ऐंड द सी का यह वाक्य याद आता था कि 'मनुष्य को नष्ट किया जा सकता है, पर उसे पराजित नहीं किया जा सकता।' वीरेन चला गया, पर यह जाना एक अपराजेय व्यक्ति का जाना है।


वीरेन के जीवन पर यह बात पूरी तरह लागू होती थी कि एक अच्छा कवि पहले एक अच्छा मनुष्य होता है। कविता वीरेन की पहली प्राथमिकता भी नहीं थी, बल्कि उसकी संवेदनशीलता और इंसानियत के भविष्य के प्रति अटूट आस्था का ही एक विस्तार, एक आयाम थी, उसकी अच्छाई की महज एक अभिव्यक्ति और एक पगचिह्न थी। तीन संग्रहों में प्रकाशित उसकी कविताएं अनोखी विषयवस्तु और शिल्प के प्रयोगों के कारण महत्वपूर्ण हैं, जिनमें से कई जन आंदोलनों का हिस्सा बनीं। उनकी रचना एक ऐसे कवि ने की है, जो कवि-कर्म के प्रति बहुत संजीदा नहीं रहा। यह कविता मामूली कही जाने वाली चीजों और लोगों को प्रतिष्ठित करती है, और इसी के जरिये जनपक्षधर राजनीति भी निर्मित करती है।


वीरेन की कविता एक अजन्मे बच्चे को भी मां की कोख में फुदकते रंगीन गुब्बारे की तरह फूलते-पिचकते, कोई शरारत भरा करतब सोचते हुए महसूस करती है, दोस्तों की गेंद जैसी बेटियों को अच्छे भविष्य का भरोसा दिलाती है और उसका यह प्रेम मनुष्यों, पशुओं, पक्षियों, वनस्पतियों, फेरीवालों, नींबू, इमली, चूने, पाइप के पानी, पोदीने, पोस्टकार्ड, चप्पल और भात तक को समेट लेता है। वीरेन की संवेदना के एक सिरे पर शमशेर जैसे क्लासिकी 'सौंदर्य के कवि' हैं, तो दूसरा सिरा नागार्जुन की देशज, यथार्थपरक कविता से जुड़ता है। दोनों के बीच निराला हैं, जिनसे वीरेन अंधेरे से लड़ने की ताकत हासिल करता रहा। उसकी कविता पूरे संसार को ढोनेवाली/नगण्यता की विनम्र गर्वीली ताकत की पहचान करती हुई कविता है, जिसके विषय वीरेन से पहले हिंदी में नहीं आए। वह हमारी पीढ़ी का सबसे चहेता कवि था, जिसके भीतर पी टी उषा के लिए जितना लगाव था, उतना ही स्याही की दावात में गिरी हुई मक्खी और बारिश में नहाए सूअर के बच्चे के लिए था। एक पेड़ पर पीले-हरे चमकते हुए पत्तों को देखकर वह कहता है, पेड़ों के पास यही एक तरीका है/यह बताने का कि वे भी दुनिया से प्यार करते हैं। मीर तकी मीर ने एक रुबाई में ऐसे व्यक्ति से मिलने की ख्वाहिश जाहिर की है, जो 'सचमुच मनुष्य हो, जिसे अपने हुनर का अहंकार न हो, जो कुछ बोले, तो पूरी दुनिया सुनने को इकट्ठा हो जाए और जब वह खामोश हो, तो लगे कि दुनिया खामोश हो गई है।' वीरेन की शख्सियत कुछ ऐसी ही थी, जिसके खामोश होने से जैसे एक दुनिया खामोश हो गई है।
--

(अमर उजाला से साभार)
--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

मुस्लिम आबादी रोकने के लिए 'BJP सांसद आदित्यनाथ' वेबसाइट पर चला रहा है ओपिनियन पोल

लखनऊ।बीजेपी एमपी आदित्यनाथ ने मुस्लिमों की बढ़ती आबादी को देश के लिए खतरा बताया है।उनका कहना है कि मुस्लिमों की जनसंख्या को रोकने के लिए सख्त कानून बनाया जाना…

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

अब भी दिमागे रफ्ता हमारा है अर्श पर गो आसमां ने ख़ाक में हमको मिला दिया


इसी सितम्बर की दो तारीख थी. वीरेन दा के साथ गप्पें चल रही थीं . कहीं से ज़िक्रे मीर आ गया . वीरेन दा ने दो शे'र सुनाए . कहा, ये शे'र उनके दिल के सबसे करीब रहते हैं . दोनों शे'रों में वीरेन मौजूदा हैं .
१ .
आगे किसू के क्या करें दस्तेतमअ़ दराज़
ये हाथ सो गया है सिरहाने धरे-धरे
२.
अब भी दिमागे रफ्ता हमारा है अर्श पर
गो आसमां ने ख़ाक में हमको मिला दिया

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

Stop Interfering in Nepal

Palash Biswas strongly endorse and appeal every Indian citizen to sign it as it is our shame that India behaves like a fascist imperialist hegemony and we refuse to be the part of this military hindutva!

Dear friends,
We want to issue a statement on Nepal. If you agree with the content of the statement, please endorse it and send your consent so that we release it at the earliest.

Anand Swaroop Verma,
Samkaleen Teesari Duniya.

Statement

Stop Interfering in Nepal

After seven tumultuous years following the overthrow of the more than two century old monarchy which led to elections to form a Constituent Assembly, and many governments failing to fulfill the task of finalizing a Constitution, at last on 20th September the president of Nepal has promulgated the new Constitution amidst support from overwhelming majority of the CA and people. The Constitution creates seven states in a secular, federal system.

At the same time it is opposed on the one hand by the religious fundamentalists who want to make Nepal a Hindu state and on the other hand by the leaders of Madhes and Tharu sections in the Terai region bordering India, who demand recognition of more rights and representation in the Constitution.

Nepal is a small country of 29 million people sandwiched between its two bigger neighbours, China and India. While China has welcomed the Constitution, India has expressed unhappiness that it does not fulfill the aspirations of the Terai people. This has further embittered the relation between the two which is already not satisfactory due to the big-brotherly attitude of the consecutive Indian governments which the Nepalese people see as an expansionist policy. It is the right of the sovereign people of Nepal to elect their representatives, to decide what ruling system they should have, to frame the Constitution and to make any changes in it. The Indian government has violated this principle of peaceful co-existence between neighbouring countries.

We, the undersigned extend full support to the people of Nepal on the occasion of the promulgation of their Constitution. We oppose the interference of the Indian government in the internal affairs of Nepal. It is the right of Nepalese people including the people of Terai region to make any changes in the Constitution promulgated on 20th September. We extend warm greetings to the people of Nepal in this important phase in their struggle.

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!