मैं बिजनेसमैन नहीं : आमिर खान
: नाकामयाबी से निराश हो जाता हूं, लेकिन जल्दी हार नहीं मानता : सबसे बड़ा आयकरदाता बनने की दौड़ में शामिल नहीं : बॉलीवुड सुपर स्टार आमिर खान की यह ख्वाहिश नहीं कि वे हिन्दी फिल्म उद्दोग के सबसे बड़े करदाता बने। 'मेरा यह लक्ष्य ही नहीं है। मैं जो कुछ कमाता हूं, उस पर टैक्स अदा करता हूं। अगर मैं सबसे अधिक टैक्स देने की दौड़ में शामिल हो जाऊं तो फिर मुझे फिल्में भी अलग मिजाज की बनानी होंगी'। आमिर खान ने न्यूज 24 चैनल के लोकप्रिय कार्यक्रम आमने-सामने में अनुराधा प्रसाद से रू ब रू होते हुए बात कही।
एक से बढ़कर एक सफल फिल्में बना रहे आमिर खान ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका अपनी आमिर खान प्रोड्क्शन का आईपीओ लाने का मन नहीं है। उन्होंने कहा- ' मेरे कई मित्र मुझे सलाह देते हैं कि अगर मैं अपनी कंपनी का आईपी ले लाऊं तो हजार करोड़ रुपये कमा सकता हूं। पर मैं इस तरह से नहीं सोचता।' आमिर ने कहा- 'मैं क्रिएटिव व्यकित हूं। हमारी फिल्मों दर्शकों ने खूब सराहा है। अब मुझे उम्मीद है कि पीपली लाइव भी कामयाब होगी। पर मैं व्यापारी की तरह से नहीं सोच सकता। अगर सोचता तो फिर सम्भव इन फिल्मों को बनाता ही नहीं।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि वे असफलता से बहुत हताश हो जाते हैं। पर जल्दी हार नहीं मानते। अपनी आगामी फिल्म पीपली लाइव के बेहद लोकप्रिय हो गए गीत- 'महंगाई डायन खाए जात' से गदगद आमिर खान ने कहा, यह मात्र संयोग है कि जिस समय देश में महंगाई एक बड़ा मुद्दा बनी हुई है, उस समय महंगाई डायन ... जैसा बढि़या गीत आ गया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि महंगाई फिल्म के फोकस में नहीं है। दरअसल फिल्म ग्रामीणों की जिंदगी और उनके संघर्षों को अभिव्यक्त करने को कोशिश करती है।
तो क्या पीपली लाइव 70 के दशक की चर्चित फिल्म 'जाने भी दो यारों' से कहीं न कहीं प्रभावित है? कुछ खीजते से हुए वे बताने लगे, 'पीपली लाइव किसी भी तरह से 'जाने भी दो यारों' से प्रभावित नहीं है। हमारी फिल्म में दिखाया व्यंग्य सच्चाई से बहुत करीब है। इसके अलावा पीपली में भरत के गांवों के रंगीन जीवन को भी दिखाने की चेष्टा करती है'।
महंगाई डायन खाए... गीत व्यवस्था पर करारा प्रहार तो करता है? आमिर ने स्वीकार किया- कि इस गीत को बनाने और फिल्म में शामिल करने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। इसे गाया गांव के लोगों ने। उन्होंने ही इसे तैयार किया। फिल्म की निर्देशक अनषा ने इसे शूटिंग के दौरान देखने के बाद इसे फिल्म में शामिल कर लिया।
क्या बीजेपी ने महंगाई डायन.... का कॉपीराइट आपसे मांगा था? उन्होंन स्पष्ट किया कि उनके दफ्तर में कई दलों के फोन आए कॉपीराइट के लिए। उन्हें मालूम नहीं कि किस दल ने कॉपीराइट मांगा। पर किसी को कॉपीराइट देने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
महंगाई का मसला लगता है कि आमिर खान को भी कहीं न कहीं विचलित कर रहा है। 'मैं महंगाई के मसले को पिछले 30 साल से सुन रहा हूं। मुझे नहीं लगता कि कोई सरकार महंगाई को रोकने में कामयाब रही। मैं मानता हूं कि कोई भी सरकार महंगाई को बढ़ाने की कोशिश करती है। अगर नहीं करेगी तो उसे सत्ता से बेदखल कर दिया जाएगा।'
बॉलीवुड का सबसे सफल हीरो यह नहीं मानता कि स्टार पावर किसी फिल्म की सफलता की गारंटी है। उन्होंने कहा कि स्टार पावर किसी फिल्म को बेहतर ओपनिंग तो दिलवा सकते हैं, पर सफल नहीं। सफल तो वही होगी जिसमें कुछ दम होगा।
अब आगे क्या? आमिर ने बताया-- 'मैं बहुत आगे के बारे में नहीं सोचता। आजकल पीपली में पूरी तरह से व्यस्त हूं। फिर धोभी घाट में और उसके एक और फि ल्म कर रहा हूं जसमें इमरान हैं'।
आखिर आपकी जावेद साहब से कॉपीराइट के मसले पर विवाद की वजह क्या थी? "मैं इसका सार्वजनिक रूप से खुलासा नहीं सकता। मैं जावेद साहब का बहुत सम्मान करता हूं। मैं मानता हूं कि कॉपीराइट के मसले पर बनी सरकारी कमेटी में बहुत से लोग हैं। अगर एक आवाज कम हो जाएगी तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा,' उन्होंने कहा। क्या आप बहुत जिद्दी है? "हां मैं जिद्दी तो हूं। मेरी अम्मी भी कहती कि आमिर तुम बहुत जिद्दी हो। मैं हार जल्दी नहीं मानता।" प्रेस विज्ञप्ति
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: Rally to denounce the murder of RTI Activist Amit Jethwa : One more dead. Yet another pers...
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- Role of Journalists in Undeclared Emergency
- व्याख्यान बनाम मुकुल शिवपुत्र
- बौनों के दौर में बहुत बड़े आदमी थे प्रभाषजी
'हिंदुस्तान' में ऐसी गल्ती! 'नवज्योति' भी कम नहीं!!
गल्तियां सबसे होती हैं. वेब वालों से भी होती हैं. पर कुछ ऐसी गल्तियां, जो हजम न हों, दुख द...
- सरोगेट मदर की कहानी है 'लाइफ एक्सप्रेस'
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- अक्षय कुमार का आरके लक्ष्मण से मिलना....
- जरूरी फांट नि:शुल्क डाउनलोड करें
- प्रभाष जोशी की याद में वेबसाइट शुरू
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हर्षिता इलाज के लिये बुधवार को जायेगी अमेरिका
: 60 लाख रुपये इकट्ठे हो गए : भड़ास4मीडिया को कहा धन्यवाद : दिल की गंभीर बीमारी से पीड़ित जा...
- प्रभाषजी के घर में चोरी
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- कैंसर को हराने में जुटे हैं आलोक तोमर
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सूखा सूखा कितना सूखा
: पत्रकारिता की दुनिया में व्याप्त विसंगतियों को उजागर करती एक कहानी : वह अदना सा अंशकालिक प...
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श्वान रूप संसार है भूकन दे झकमार
: साहित्य में शोषितों की आवाज मद्धिम पड़ी : अब कोई पक्ष लेने और कहने से परहेज करता है : अंधड़-तूफान के बाद भी जो लौ बची रहेगी वह पंक्ति में स्थान पा लेगी : समाज को ऐसा बनाया जा रहा है कि वह सभी विकल्पों, प्रतिरोध करने वाली शक्तिय...
- मेरे को मास नहीं मानता, यह अच्छा है
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Palash Biswas
Pl Read:
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