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Friday, July 15, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/7/15
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


बिहार विश्वविद्यालय के इनकार से तुर्की के 90 छात्रों का करियर अधर में

Posted: 14 Jul 2011 11:05 AM PDT

राजकीय शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय तुर्की के सत्र 2009-10 में नामांकित 90 छात्रों का भविष्य एक बार फिर अधर में है. बीआरए बिहार विवि ने इन छात्रों की परीक्षा लेने से इस साल भी इनकार कर दिया है. इसके कारण इन छात्रों का एक साल और बरबाद हो गया है.
अगर कॉलेज प्रशासन का यही रवैया रहा तो अगला साल भी बरबाद हो सकता है. कॉलेज ने नामांकन के महीनों बाद भी इन छात्रों का पंजीयन अब तक विवि से नहीं कराया है. इसके कारण विवि ने नौ अगस्त से शुरू होने वाली बीएड परीक्षा में इन छात्रों को शामिल करने से इनकार कर दिया है.

गौरतलब है कि तुर्की बीएड कॉलेज में सत्र 2009-10 से पढ़ाई शुरू हुई थी. सत्र 2009-10 में कुल सौ सीटें निर्धारित थी. इसमें से 90 सीटों पर छात्रों का नामांकन हुआ था.

नहीं मिली रसीद
दिलचस्प यह है कि सत्र 2009-10 में छात्रों का नामांकन कई माह पहले हो चुका है. आज तक छात्रों को नामांकन रसीद नहीं मिली.
(देवेश कुमार,प्रभात खबर,मुजफ्फरपुर,14.7.11)

झारखंडःसितंबर तक शिक्षक नियुक्त करने का निर्देश

Posted: 14 Jul 2011 10:55 AM PDT

मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने मानव संसाधन विभाग की समीक्षा करते हुए शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया सितंबर तक पूरा करने का निर्देश दिया है. बैठक में मानव संसाधन मंत्री बैद्यनाथ राम, मुख्य सचिव एसके चौधरी, विकास आयुक्त देवाशीष गुप्ता समेत विभागीय पदाधिकारी मौजूद थे.
सीएम ने कहा कि राज्य के तकनीकी उच्च शिक्षा संस्थानों से डिग्री लेकर शिक्षित युवा रोजगार की तलाश अन्यत्र करते हैं. जबकि राज्य के तकनीकी रिक्तियों में अपेक्षित आवेदन प्राप्त नहीं होते हैं. उन्होंने शिक्षा विभाग को तकनीकी संवर्गो के लिए सरलीकृत नियमावली बनाने का निर्देश दिया.
- जो निर्देश दिये -
* शिक्षा अधिकार अधिनियम के प्रावधानों को जमीनी हकीकत के तौर पर उतारें.
* बाल अधिकारों के लिए राज्य स्तरीय आयोग का गठन हो.

* प्लस टू विद्यालयों की रिक्तियों को भरा जाये.
* शिक्षकों को समय पर वेतन मिले.
* अगले वर्ष तक प्रत्येक स्तर पर शिक्षकों की बहाली करें.
* मॉडल स्कूल में शिक्षा गुणवत्तापूर्ण होनी चाहिए.
* विद्यालयों में पेयजल एवं शौचालय की व्यवस्था हो.(प्रभात खबर,रांची,14.7.11)

पश्चिम बंगालःशिक्षक बनने के लिए बीएड अनिवार्य

Posted: 14 Jul 2011 10:44 AM PDT

राज्य के स्कूलों में सह शिक्षक बनने के लिए अब बैचलर ऑफ एडुकेशन (बीएड) करना अनिवार्य कर दिया गया है. यह जानकारी बुधवार को स्कूल शिक्षा सचिव विक्रम सेन ने विकास भवन में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में दी. उन्होंने कहा कि 2014 से स्कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) की परीक्षा में

मौजूदा नियम
-एसएससी की परीक्षा पास कर नियुक्‍ति के बाद शिक्षकों को पांच साल के भीतर करना होता है बीएड
-राज्य सरकार ने की घोषणा, 2014 से लागू हो जायेगा नया नियम
-एसएससी की परीक्षा में शामिल होने के लिए अनिवार्य होगी बीएड की डिग्री

-2014 के पहले बिना बीएड के भी बैठ सकेंगे एसएससी की परीक्षा में
-नियुक्तियों में बीएड डिग्री धारक अभ्यर्थियों को दी जायेगी प्राथमिकता
-मौजूदा नॉन बीएड शिक्षकों को भी दो वर्ष के भीतर बीएड करना अनिवार्य(प्रभात खबर,कोलकाता,14.7.11)

दाखिले का अंकगणितःमृणाल पांडेय

Posted: 14 Jul 2011 10:38 AM PDT

लेखक जीके चेस्टरटन ने कहा था कि शिक्षा के माध्यम से पुरानी पीढ़ी अगली पीढ़ी में अपनी आत्मा का प्रवेश कराती है। अपनी परंपरा भी मानती है कि समय आने पर अजर-अमर आत्मा एक जीर्ण उतरन की तरह पुरानी काया त्यागकर नई काया धारण करती है। लेकिन देश की मौजूदा उच्च शिक्षा प्रणाली के मार्फत नई पीढ़ी में पुरानी पीढ़ी की आत्मा का सहज अवतरण लगभग असंभव है।

राजनीतिक वजहों से बार-बार आमूलचूल बदली गई नीतियों ने विश्वविद्यालयीन परिसरों को प्रतिभा और शोध को बढ़ावा देने के बजाय परीक्षा और दाखिला प्रणालियों के चक्रव्यूह से घिरे दुर्गो में बदल दिया है। उनके प्रवेश द्वार पर फंसे अनेक मेधावी छात्र और शोधार्थी तो अक्सर उबर नहीं पाते, लेकिन कोटा प्रणाली के तहत लटकाई गई कमंदों से मंझोले स्तर के कई छात्र मजे से भीतर खींच लिए जाते हैं। नतीजा यह कि परिसरों में कुंठा और मीडियाक्रिटी बढ़ रही है, ज्ञान का स्तर नहीं।

इस साल दिल्ली के कुछ जाने-माने कॉलेजों में गणित, कॉमर्स और अर्थशास्त्र सरीखे चहेते विषयों में दाखिला पाने की अर्हता (कट ऑफ) दर सौ फीसदी तक जा पहुंची है। फिर भी बताया गया है कि दाखिला खुलने के हफ्तेभर के भीतर वहां उपलब्ध सामान्य श्रेणी की सब सीटें भर गईं।

नतीजतन नब्बे प्रतिशत तक अंक पाकर भी मनचाहे विषय से वंचित रहने जा रहे छात्रों की तादाद बहुत अधिक है। कुछ टॉपर भी मनचाहे विषयों में दाखिला नहीं पा सके। कॉलेज मजबूर हैं, साधन या क्षमता से अधिक सीटों पर दाखिले वे कहां तक करें?

उनकी टीचिंग फैकल्टी में अनेक महत्वपूर्ण विषयों की आरक्षित सीटें विज्ञापन देकर भी समुचित आवेदक न मिल पाने से खाली पड़ी हैं। यह सीटें गैर कोटा श्रेणी के शिक्षकों से भरना मना है, इसलिए वे अपने यहां तदर्थवादी आधार पर लेक्चररों की नियुक्ति को विवश हैं। तिस पर अब मांग हो रही है कि कॉलेजों में लेक्चररों की नियुक्ति ही नहीं, प्रोफेसर या डीन सरीखे सीनियर पदों पर उनकी प्रोन्नति भी कोटा प्रणाली के ही आधार पर ही हो, ज्ञान या शोध कार्य की गुणवत्ता के तहत नहीं।

पुरानी जातिवादी व्यवस्था में उच्च शिक्षा सवर्णो की ही बपौती रही। उसे चुनौती देने को जातीय कोटा प्रणाली बनी, पर आज हम देख रहे हैं कि उच्च शिक्षा के नामी केंद्रों में गुरु-शिष्यों का चयन और उनके बीच ज्ञान के आदान-प्रदान का आधार ज्ञान और अनुभव के बजाय दोबारा एक जाति-धर्म आधारित प्रणाली पर ही आ टिका है और परिसरों में नई तरह की सवर्ण व्यवस्था बन रही है, जो उच्च शिक्षित युवाओं को समतामुखी और समाजोपयोगी बनाने के बजाय नई तरह का विभेदकारी सवर्ण बना रही है।

उधर छात्रों की तादाद, महत्वाकांक्षा के साथ समाज में पैसे का स्तर बढ़ने से मोटी फीस के आधार पर दाखिला देने वाले (अक्सर विवादित गुणवत्ता वाले) निजी कॉलेजों की बाढ़ आ गई है, जिन तक पहुंच पैसे वालों की ही है। अचरज क्या कि इन कॉलेजों से निकले अधिकतर छात्रों का देश के सामान्य जीवन से कोई रिश्ता नहीं बनता।

यह सही है कि सरकारी निगरानी में बने आईआईटी, आईआईएम, एम्स या पीजीआई जैसे और कई कॉलेजों ने दुनिया में साख बनाई है, पर अब उन पर भी सीटें बढ़ाने और फीस की दर घटाने को लेकर नासमझ समझौते करने को उत्कट दबाव पड़ रहे हैं।


हमारे विपरीत चीन ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में फैकल्टी की गुणवत्ता राजनीतिक या जातिवादी आग्रहों के बजाय शैक्षिक मानदंडों पर सुनिश्चित करने और शोधपरक काम का दायरा निरंतर बढ़ाने की दिशा में इक्कीसवीं सदी की चुनौतियां सही तरह से पकड़कर हमको मीलों पीछे छोड़ दिया है। वहां उच्च शिक्षा लगातार व्यापक, बहुभाषा-भाषी और विश्वस्तरीय बन रही है, जबकि हमारे यहां परिसरों में पुराने शिक्षक किस तरह अपने ज्ञान की परिधि बढ़ाएं? 

नए शिक्षक किस तरह उनकी निगरानी में लगातार तैयार हों और ऊंची तालीम कैसे व्यापक व लोकतांत्रिक बने, ताकि सभी परिसरों में प्रतिभावान छात्रों को मनचाहा विषय पढ़ने की गारंटी हो? इन जरूरी सवालों को दरकिनार कर हर सरकार ने इस तरह के नियम-उपनियम बनाए हैं कि धर्म-जाति निरपेक्ष संविधान के बावजूद हमारी उच्च शिक्षा जातिवाद की जकड़न से मुक्त होने के बजाय दूसरी तरह के जातिवाद की जंजीरों से फिर जकड़ गई है। 

पुराना जातिवाद बेशक गलत था, पर क्या आज का जातिवाद सही या न्यायपरक है? विषमतामय जातिवाद को पोसते रहने की वजह से उच्च शिक्षा पाकर भी हमारे युवा कैसे संकीर्ण और सामंती विचारों वाले ही बने हुए हैं, इसका प्रमाण टीवी बहसों से बॉलीवुड की फिल्मों तक में देखा जा सकता है। 

बिना झेंपे बहुचर्चित 'जेन एक्स' के प्रतिनिधि छोटे-बड़े पर्दे पर से बताते रहते हैं कि शुद्ध ज्ञान, शोध या पठन-पाठन कितने उबाऊ हैं। वे बीवी या जॉब का चयन भी शैक्षिक क्षमता नहीं, बल्कि टोटल पैकेज के आधार पर करते हैं या गर्लफै्रंड को प्रभावित करने के लिए चोरी या झपटमारी करना मजाकिया शरारत भर मानते हैं। दायित्वबोध का हाल यह है कि इस साल आईआईटी प्रवेश परीक्षा में टॉप करने वाले छात्र ने कहा कि इंजीनियरी कोर्स उसके कॅरियर की एक सीढ़ी भर होगा, क्योंकि वह अंतत: सिविल सेवा में जाएगा। 

इस स्थिति को स्वागतयोग्य कहें या दिल तोड़ने वाली? या उसे सिर्फ स्वीकार कर लें? स्वीकार करने का मतलब हुआ कि हम मान लें कि उच्च शिक्षा की दुनिया में प्रवेश कर रही हमारी नई पीढ़ी के लिए पढ़ाई का मतलब होगा जाति, नौकरी व धन। बिना जरूरत भी सीट हथियाने या ज्ञान की परंपरा को लगातार आगे न बढ़ा पाने को लेकर उनमें कोई अपराध बोध नहीं होगा। 

हित स्वार्थ जो भी हों, यह तो मानना ही होगा कि यह नया जातिवाद न सिर्फ विषमता को स्थायी बनाकर ज्ञान का सहज विकास कुंठित कर रहा है, साथ ही वह चोर दरवाजों से फर्जी डिग्रियां बांटने वाले कॉलेजों, नकली जाति सर्टिफिकेट बनवाने वाले बाबुओं और ट्यूटोरियल के मार्फत देश में भ्रष्टाचार करने की लाखों नई राहें भी बना रहा है। 

सवाल इस या उस जातिवाद की तुलनात्मक विवेचना का नहीं, सवाल यह है कि उच्चशिक्षा को अगर निरुद्देश्य या किसी कथित अच्छे उद्देश्य से भी कमजोर किया जा रहा हो तो क्या उसे कमजोर होने दिया जाए?(दैनिक भास्कर,26.6.11)

मध्यप्रदेशः21 नए पॉलीटेक्निक और 18 आईटीआई शुरू होंगे

Posted: 14 Jul 2011 09:49 AM PDT

प्रदेश में नये पॉलीटेक्निक की स्थापना जरूर हो गई है लेकिन इसकी चरमराई संचालन व्यवस्था ने छात्रों के सामने खासी दिक्कत खड़ी कर दी है। ऐसे कुछ सवाल तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग की परामर्शदात्री समिति की बैठक में भी उठे हैं। बैठक में तकनीकी शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकान्त शर्मा, राज्यमंत्री महेन्द्र हार्डिया, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास के संचालक आशीष डोंगरे और जीपी श्रीवास्तव, देवेन्द्र कुमार जैन, जसवंत सिंह हाड़ा और संजय शाह मकड़ई, सचिव संजय सिंह मौजूद थे। प्रदेश में अगस्त से 21 नये पॉलीटेक्निक और 18 आईटीआई शुरू होंगे। श्री शर्मा ने कहा कि युवाओं को रोजगार प्रशिक्षण के लिए 113 केंद्र शुरू किए जाएंगे। इसी सत्र से 5 संभागीय आईटीआई में निशक्तजनों की पसंद के ट्रेड भी शुरू किए जाएंगे। सभी आईटीआई के लिये भवन का निर्माण करवाने की कार्रवाई की जा रही है। इसकेअलावा सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में 36 आईटीआई का उन्नयन किया जा रहा है। पब्लिक प्रायवेट पार्टनरशिप के तहत प्रदेश में 57 आईटीआई और 97 पॉलीटेक्निक कालेज के प्रस्ताव हैं। श्री शर्मा ने कहा कि नौगांव में भी इंजीनियरिंग कालेज शुरू होगा। कब संचालित होंगी अन्य ब्रांच : बैठक में विधायक जसवंत सिंह हाड़ा ने श्री शर्मा से शुजालपुर में अस्थायी रूप से संचालित होने वाले पॉलीटेक्निक की व्यवस्था से अवगत कराया। श्री हाड़ा ने कहा कालेज में ब्रांच अधिक हैं, पर पढ़ाई दो में होती है। तब श्री शर्मा ने विधायक को आश्र्वासन देते हुए कहाकि एक साल में भवन तैयार किया जाएगा और सभी ब्रांच में नियमित अध्ययन कराया जाएगा(दैनिक जागरण,भोपाल,14.7.11)।

मध्यप्रदेशःनिजी स्कूलों में गरीब बच्चों को मिलेगा दाखिला

Posted: 14 Jul 2011 09:47 AM PDT

प्रदेश में नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्रायवेट स्कूलों की प्रथम कक्षा अथवा कक्षा एक से पूर्व प्रवेशित कक्षा में न्यूनतम 25 प्रतिशत सीटों पर प्रदेश में करीब पौने दो लाख बच्चों को प्रवेश मिलेगा। पच्चीस फीसदी सीटों को भरने के लिए आवेदन की तिथि 19 जुलाई तक बढ़ाई गई है। प्रदेश में एक लाख 70 हजार 987 सीटें कमजोर एवं वंचित समूह के बच्चों के लिए उपलब्ध हैं। पात्र आवेदनों पर लाटरी पद्धति से चयन के लिए 20 जुलाई की तिथि निर्धारित की गई है। रिक्त सीटें पूरी तरह से भरने के लिए आयुक्त राज्य शिक्षा केंद्र ने आवश्यक निर्देश जिला शिक्षा अधिकारियों को जारी किए हैं। निर्देशों में कहा गया है कि आरक्षित रिक्त सीटों के तीन गुना प्रवेश फार्म जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में रखे जाएं। जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए गए हैं कि प्रवेश फार्म मय आवश्यक दस्तावेजों के बच्चों के पालकों द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जमा करवाये जा सकते हैं। जिला शिक्षा अधिकारी इन फार्मो को सूचीबद्ध कर संबंधित निजी विद्यालयों को प्रेषित करेंगे। जिला मुख्यालय से बाहर के स्कूलों के लिए यह सुविधा विकासखण्ड समन्वयक कार्यालय में दिये जाने के निर्देश दिए गए हैं। वंचित समूह एवं कमजोर वर्ग के लिए रिक्त सीटों पर प्रवेश सुविधाजनक तरीके से हो सके, इसके लिए जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय एवं बीआरसी के कार्यालयों में सेल भी बनाए जाएंगे(दैनिक जागरण,भोपाल,14.7.11)।

हरियाणाःअनुसूचित जाति के छात्रों के लिये 223.30 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति

Posted: 14 Jul 2011 09:46 AM PDT

हरियाणा सरकार ने बुधवार को मौजूदा वित्तीय वर्ष में अनुसूचित जातियों के मैट्रिक पूर्व छात्रों को 223.30 करोड़ रूपये के छात्रवृत्ति दिये जाने की घोषणा की।

शिक्षा और सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्री गीता भुक्कल ने कहा कि इस योजना के तहत कक्षा एक से दसवीं तक के 9,000 अनुसूचित जाति के छात्रों को सौ रूपये प्रति माह से लेकर तीन सौ रूपये प्रति माह तक की छात्रवत्ति दी जायेगी। उन्होंने कहा कि इसके तहत छठी कक्षा के छात्रों को मुफ्त सायकिल भी प्रदान की जायेगी। उन्होंने कहा कि प्राथमिक शिक्षा विभाग वर्तमान वित्त वर्ष में अनुसूचित जाति के छात्रों के कल्याण के लिये 274.43 करोड़ की राशि खर्च करेगा(हिंदुस्तान,दिल्ली,14.7.11)।

पश्चिमी दिल्लीःराजकीय स्कूलों में दाखिला, निजी संस्थानों में पढ़ाई

Posted: 14 Jul 2011 09:34 AM PDT

आजकल पश्चिमी दिल्ली के राजकीय विद्यालयों में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करने वाले छात्रों की यही स्थिति है। उनके पास दो ही विकल्प है या तो निजी संस्थानों से कंप्यूटर विषय की तैयारी करें या फिर कंप्यूटर छोड़ दें। ऐसे में मौजूदा सत्र में स्कूल प्रशासन भी इच्छुक छात्रों को कंप्यूटर का चयन न करने की ही सलाह दे रहे हैं। यही हाल इंजीनियरिंग ड्राइंग विषय में भी है।पश्चिमी दिल्ली में कुल 210 राजकीय स्कूल हैं। पश्चिमी जिला ए में 57 और पश्चिमी जिला बी में 70 स्कूल हैं। जबकि दक्षिणी पश्चिमी जिला बी के अंतर्गत द्वारका, पालम व नजफगढ़ देहात के स्कूल आते हैं। इस जिले में कुल 83 स्कूल हैं। वैसे तो कंप्यूटर की पढ़ाई सभी कक्षाओं में होती है, लेकिन 11वीं व 12वीं में कंप्यूटर का स्तर बढ़ जाता है। आ‌र्ट्स, कॉमर्स व विज्ञान के छात्रों के लिए दो तरह के कोर्स संचालित किए जाते हैं। आ‌र्ट्स व कॉमर्स के विद्यार्थियों के लिए कंप्यूटर की पढ़ाई इंफारमेटिक प्रैक्टिस विषय के नाम से पढ़ाई जाती है। कोई भी छात्र इसका चयन कर सकता है। वहीं नान मेडिकल संकाय के छात्र भौतिकी, रसायन व गणित के साथ कंप्यूटर, इंजीनियरिंग ड्राइंग या अर्थशास्त्र में से एक विषय का चयन करते हैं।शिक्षकों के मुताबिक आज का समय कंप्यूटर का है, इसलिए नान मेडिकल संकाय के ज्यादातर छात्र कंप्यूटर लेना चाहते हैं। पिछली बार भी लिया था, लेकिन 12वीं में छात्रों की संख्या आधी रह गई है। क्योंकि स्कूलों में कंप्यूटर पढ़ाने के लिए विशेषज्ञ शिक्षक नहीं हैं। वह भी तब जब नान इंजीनियरिंग संकाय में कंप्यूटर विषय में लैंग्वेज की पढ़ाई भी होती है(रणविजय सिंह,दैनिक जागरण,दिल्ली,14.7.11)।

राजस्थानःबिजली कंपनियों की भर्ती में इस बार नहीं होंगे साक्षात्कार

Posted: 14 Jul 2011 06:10 AM PDT

बिजली कम्पनियों में इस वर्ष भर्ती होने वाले तकनीकी व अन्य कर्मचारियों की भर्ती के दौरान इस बार साक्षात्कार नहीं होंगे। लिखित परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों को सीधे नियुक्ति दी जाएगी। जल्द ही बिजली कम्पनियों में हेल्पर, कॉमर्शियल असिसटेंट-1 व 2 तथा डाटा ऑपरेटरों की भर्ती की जाएगी। डिस्कॉम अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए आरवीपीएन 2-4 दिन में भर्ती की विज्ञप्ति जारी करेगा।

आएगी पारदर्शिता
तकनीकी हेल्परों सहित अन्य पदों के लिए लिखित परीक्षा होने से भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। फर्जी डिग्री से नौकरी हासिल करने के मामलों में लगाम लगेगी।

हेल्परों को देनी होगी परीक्षा

तकनीकी हेल्पर के लिए दसवीं पास तथा आईटीआई डिग्रीधारी आवेदक फार्म भर सकेंगे। इसमें 80 प्रतिशत अंक लिखित परीक्षा,10 फीसदी आईटीआई में आए नम्बरों तथा दसवीं में आए नम्बरों के मामले में 10 फीसदी वेटेज दिया जाएगा। इसके अलावा नियमानुसार अन्य छूट दी जाएगी। कॉमशियल असिसटेंट 1-2 के मामले में किसी भी संकाय में 60 फीसदी अंकों से स्नातक परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थी आवेदन कर सकेंगे। इन्हें भी नियमानुसार मिलने वाली छूट दी जाएगी।

डाटा एंट्री ऑपरेटर के 290 पद
अजमेर डिस्कॉम में डॉटा एंट्री ऑपरेटरों के 290 पदों पर भर्ती होगी। इसमें से 145 पर वित्तीय वर्ष 2011-12 तथा शेष पद 2012-13 में भरे जाएंगे। अजमेर डिस्कॉम में कॉमर्शियल असिस्टेंट प्रथम के 91 व द्वितीय के 150 पद तथा तकनीकी हेल्पर के 3708 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। कनिष्ठ अभियंता के 321 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इनमें 4 पद कनिष्ठ अभियंता सिविल के हैं।

इनका कहना है
इस बार साक्षात्कार का आयोजन नहीं किया जाएगा। पहली बार तकनीकी हेल्परों के लिए भी लिखित परीक्षा का आयोजन किया जाएगा।
पी. एस. जाट, प्रबंध निदेशक अजमेर डिस्कॉम(राजस्थान पत्रिका,अजमेर,14.7.11)

बिहारःशिक्षकों-सिपाहियों की बहाली पक्की

Posted: 14 Jul 2011 05:50 AM PDT

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रारंभिक शिक्षकों की वरीयता को स्वीकार कर लिये जाने के साथ ही राज्य में वेतनमान पर शिक्षक नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। मालूम हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को राज्य के 34 हजार 540 प्रशिक्षित प्रारंभिक शिक्षकों की वरीयता के आधार पर तैयार सूची पर अपनी मुहर लगा दी है। न्यायालय ने राज्य सरकार को रोस्टर बनाकर तीन माह के अन्दर सूची सौंपने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सुनवाई की अगली तिथि 13 अक्टूबर निर्धारित की है। यह फैसला न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर और जीएस दत्तू की खंडपीठ ने दी है। सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद शिक्षक नियुक्ति की आस लगाये लोगों में खुशी की लहर है। करीब दो-ढाई साल से यह मामला न्यायालय में चल रहा है। मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह भी इसी मामले को लेकर दिल्ली गये हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में विशेष कार्य पदाधिकारी न्यायमूर्ति एसके चटोपाध्याय को नियुक्त किया था जिसकी सुनवाई इसी साल के मई-जून माह में रांची में की गयी। विशेष कार्य पदाधिकारी ने इस मामले में पहले सरकार और बाद में अभ्यर्थियों की बात सुनने के बाद इसकी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी। इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने वरीयता के आधार पर राज्य सरकार को सूची बनाने का निर्देश दिया था। कोर्ट के निर्देश के बाद सरकार ने वरीयता सूची भी बनायी। न्यायमूर्ति एसके चटोपाध्याय ने आपत्तियों की जांच कर अंतिम सूची कोर्ट को सौंप दी थी जिसमें करीब एक लाख अभ्यर्थियों के नाम शामिल हैं। कोर्ट ने बुधवार को इस सूची पर अपनी अंतिम मुहर लगा दी। समझा जाता है कि कोर्ट अगली तिथि को नियुक्ति का आदेश दे सकती है(राष्ट्रीय सहारा,पटना,14.7.11)।

एनडीए के लिए राजस्थानियों को मिलेगी अंग्रेज़ी की ट्रेनिंग

Posted: 14 Jul 2011 05:30 AM PDT

राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के साक्षात्कार में अब राजस्थानी कैडेट्स नहीं पिछडेंगे। उन्हें इसके लिए पूर्व तैयारी कराई जाएगी। उन्हें इसके लिए अंग्रेजी भाषा सिखाई जाएगी। इसका जिम्मा राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल को दिया गया है। यह बात एनसीसी के उदयपुर ग्रुप के कर्नल आई. एस. सहदेवा (वीएसएम) ने बुधवार को पत्रिका से बातचीत में कही।

उन्होंने कहा कि राज्य के आर्मी, नेवी और एयर विंग के कैडेट्स बहुत प्रतिभावान हैं। वे अन्य राज्यों के कैडेट्स से सिर्फ अंग्रेजी के कारण पिछड़ते हैं। लिहाजा अजमेर के विभिन्न यूनिट के कैडेट्स को राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल में अंग्रेजी बोलना सिखाया जाएगा। नई एनसीसी यूनिट के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसके बारे में विचार किया जाएगा।


मदस विश्वविद्यालय में एनसीसी यूनिट शुरू करने के सवाल पर कर्नल सहदेवा ने कहा कि ऎसा कोई प्रस्ताव मिला तो उच्च स्तर पर चर्चा की जाएगी। मालूम हो कि बीते दिनों बीकानेर, कोटा और उदयपुर विश्वविद्यालय के कुलपतियों को कर्नल की मानद रैंक प्रदान की गई थी। 
(राजस्थान पत्रिका,अजमेर,14.7.11)।

हिमाचलःमुख्याध्यापकों की भरती को उलझा रहा विभाग

Posted: 14 Jul 2011 05:10 AM PDT

राजकीय अध्यापक संघ ने सरकार और शिक्षा विभाग पर मुख्याध्यापकों के पदों पर भरती के मामले को उलझाने का आरोप लगाया। प्रदेश के सैकड़ों उच्च माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में मुख्याध्यापकों के सृजित पद रिक्त पड़े हैं। राजकीय अध्यापक संघ जिला शिमला के प्रधान वीरेंद्र चौहान ने कहा कि राज्य में 852 उच्च विद्यालयों में से 300 से अधिक विद्यालयों में मुख्याध्यापकों के पद रिक्त हैं। शिक्षा में गुणवत्ता के लिए आरटीई लागू किया है। शिक्षकों की योग्यता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। लेकिन प्रशिक्षण को धरातल पर कार्यान्वित करवाने के लिए मुखिया ही नहीं है। वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में सृजित मुख्याध्यापकों के 236 पद भी नहीं भरे जा सके हैं। पदों को भरने के बजाय भरती मामले को उलझाया जा रहा है। संघ के वित्त सचिव सतीश निराला, महासचिव प्रेम शर्मा, सलाहकार सुरेंद्र मखैईक, रवींद्र राठौर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष केपी शर्मा, महावीर कैंथला, विजय गोस्वामी और चितरंजन कालटा सहित अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार केवल एक नीति लागू करे या तो समस्त पदों को सीधी भरती के अधीन लाया जाए, या फिर मुख्याध्यापक के पद पर सीधी भरती प्रक्रिया बंद करें। बिना मुखिया के संस्थानों में प्रशिक्षण को कार्यान्वित कर पाना कैसे संभव होगा(अमर उजाला,शिमला,14.7.11)।

डीयूःफोन, ईमेल, फेसबुक पर भी फ्रेशर्स रहेंगे सेफ

Posted: 14 Jul 2011 04:50 AM PDT

रैगिंग के खिलाफ पिछले कुछ सालों से यूजीसी व यूनिवर्सिटीज ने जोरदार मुहिम चलाई है और इसका असर भी हो रहा है। अब कोई भी यूनिवर्सिटी व कॉलेज रैगिंग के आरोपी को माफ नहीं कर सकता। राघवन कमिटी ने रैगिंग के दायरे को भी परिभाषित किया है। साइकॉलजिकल व इकनॉमिक पहलू भी रैगिंग के दायरे में आ चुके हैं।

फ्रेशर के साथ मारपीट करना तो अपराध है ही इसके अलावा साइबर रैगिंग भी बड़ा अपराध है और इसके लिए भी कम सजा नहीं मिलती। फ्रेशर्स के साथ गाली- गलौच करना भी रैगिंग के दायरे में आता है। साइकलॉजिकल रैगिंग से भी सख्ती से निपटने की तैयारी की गई है। कमिटी ने रैगिंग के सभी पहलुओं को भी परिभाषित किया है।

यूजीसी ने भी यूनिवर्सिटी व कॉलेजों को चेतावनी दी है कि अगर रैगिंग के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाए गए तो उस कॉलेज के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। डीयू ने भी कॉलेजों को गाइड लाइंस जारी कर दी हैं और कहा है कि हर कॉलेज में एंटी रैगिंग कमिटी बनाई जाए। जरूरत पड़ने पर स्टूडेंट 100 नंबर पर कॉल भी कर सकते हैं।

रैगिंग को लेकर कॉलेजों को अपने नोटिस बोर्ड, वेबसाइट पर हर संभव जानकारी देनी होगी और पोस्टरों के जरिए भी रैगिंग के खतरों के बारे में बताना होगा। एंटी रैगिंग कमिटी कॉलेजों में पूरी तरह से एक्टिव रहेगी और औचक निरीक्षण भी करेगी। एंटी रैगिंग कमिटी में टीचर्स के अलावा नॉन टीचिंग स्टाफ, काउंसलर और सीनियर स्टूडेंट्स को भी शामिल किया जाएगा।


फिजिकल रैगिंग : स्कूल से कॉलेज में आने वाले स्टूडेंट्स को सपोर्ट की जरूरत होती है ताकि वे खुद को सेफ महसूस कर सकें। हालांकि स्कूलों में बुलिंग की शिकायतें मिलती रहती हैं लेकिन कॉलेजों में कई बार रैगिंग मजाक तक ही सीमित नहीं रह जाती। नए आने वाले स्टूडेंट्स के साथ मारपीट तक के केस सामने आते हैं। इस तरह की रैगिंग सबसे कॉमन है। रैगिंग के खिलाफ कड़े दिशा- निर्देश जारी करने वाली राघवन कमिटी के मेंबर डॉ. राजेंद प्रसाद का कहना है कि कॉलेज में आने वाले नये स्टूडेंट्स को कोई परेशानी न हो, इसके पूरे उपाय किए गए हैं। फ्रेशर को परेशान करने वालों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। 
फोन रैगिंग : मोबाइल फोन हर किसी की जरूरत बन गया है। कई सीनियर्स एसएमएस या फोन करके भी नए स्टूडेंट्स को परेशान करते हैं। कमिटी का मानना है कि फ्रेशर को मानसिक तौर पर परेशान किए जान से उसका आत्मविश्वास डगमगा जाता है और कई मामलों में देखा गया है कि डर के मारे वह कॉलेज आना ही नहीं चाहता। इसी को ध्यान में रखते हुए राघवन कमिटी ने रैगिंग के अलग- अलग पहलुओं को बताया है ताकि फ्रेशर को न तो शारीरिक तौर पर परेशान किया जा सके और न ही उसे मानसिक तौर पर कोई चोट पहुंचाई जा सके। 

साइबर रैगिंग : ईमेल या सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिए कमेंट कर परेशान करने को भी रैगिंग माना जाएगा। डॉ. प्रसाद का कहना है कि अगर किसी फ्रेशर को साइबर रैगिंग के जरिए परेशान किया जा रहा है तो इसके बारे में तुरंत प्रिंसिपल या एंटी रैगिंग टीम के सदस्यों को बताना चाहिए। एसएमएस या ईमेल को डिलीट नहीं करना चाहिए क्योंकि यह आरोपी के खिलाफ बड़ा सबूत है और आरोपी को जल्द से जल्द सजा दिलवाने में मदद करेगा। साइबर रैगिंग के आरोपी को भी यूनिवसिर्टी व कॉलेज से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है और हेवी फाइन भी लगाया जा सकता है। 

इकनॉमिक रैगिंग : ऐसी शिकायतें भी आती हैं कि कॉलेज में आने वाले नये स्टूडेंट्स से सीनियर पार्टी मांगते हैं और उनसे काफी खर्चा करवाते हैं। फ्रेशर मना करता है तो उसे परेशान किया जाता है। राघवन कमिटी का साफ कहना है कि कार्रवाई के लिए जरूरी है कि फ्रेशर कॉलेज के पास अपनी शिकायत लेकर जाए और अपनी बात रखें। कॉलेज को इस तरह की शिकायत पर भी एक्शन लेना होगा। अगर कोई फ्रेशर यह कंप्लेंट करेगा कि उससे जबरन पैसे लिए गए हैं या फिर उसे किसी रेस्टोरेंट या माकेर्ट में ले जाकर खर्च करवाया गया है तो इसे रैगिंग मानकर कार्रवाई की जाएगी(भूपेंद्र,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,14.7.11)।

राजस्थानःपॉलिटेक्निक में दाखिला प्रक्रिया सुस्त

Posted: 14 Jul 2011 04:30 AM PDT

पॉलीटेक्निक कॉलेजों में प्रवेश से जुड़ी प्रक्रिया रफ्तार नहीं पकड़ रही। सीट मेट्रिक्स नहीं मिलने से विद्यार्थी परेशान हैं। उधर 25 जुलाई को फार्म जमा कराने की अंतिम तिथि है। प्राविधिक शिक्षा मंडल ने अजमेर के राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज को दाखिलों की जिम्मेदारी सौंपी है।

बीती 7 जुलाई से आईसीआईसीआई बैंक की शाखाओं से आवेदन पत्र और विवरणिका की बिक्री शुरू हो गई। एक सप्ताह बाद भी आवेदन प्रक्रिया धीमी है। सीट मेट्रिक्स नहीं होने से छात्र छात्राओं को फार्म भरने में दिक्कतें हो रही हैं।

प्राचार्य एवं केंद्रीयकृत प्रवेश संयोजक पी. सी. मकवाना ने बताया कि सीट मेट्रिक्स वेबसाइट पर जल्द मुहैया होगा। विद्यार्थी अपने भरे हुए आवेदन 25 जुलाई शाम 5 बजे तक जमा करा सकेंगे। विद्यार्थी फार्म के साथ संलग्न ऑप्शन फार्म वेबसाइट पर दिए जाने वाले सीट मेट्रिक्स को देखकर भरें। सीटों की सूचना जारी हुए बगैर ऑप्शन फार्म और आवेदन जमा नहीं कराएं(राजस्थान पत्रिका,अजमेर,14.7.11)।

उत्तराखंडः बीएड फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि बढ़ाने की मांग

Posted: 14 Jul 2011 04:10 AM PDT

लापरवाही की हद है। परीक्षा के लिए फॉर्म पहुंचने में देरी हो या काउंसिलिंग के लिए स्कोर कार्ड न मिले-जिम्मेदारी लेने को कोई तैयार नहीं। न डाक विभाग और न यूनिवर्सिटी। अभ्यर्थी इनके बीच पिस रहे हैं। टीईटी, यूपीएमटी काउंसिलिंग आदि में इस लापरवाही के चलते अभ्यर्थियों का भविष्य दांव पर देख बीएड अभ्यर्थियों की हालत भी खस्ता है। विभागीय देरी के आलम के चलते उन्होंने बीएड फॉर्म जमा करने की तिथि एक सप्ताह बढ़ाए जाने की मांग की है।


अभी तक यूनिवर्सिटी फॉर्म पहुंचने की आखिरी तिथि 20 जुलाई नियत की गई है। फॉर्म भेजने के लिए जीपीओ पहुंचे सनी राणा का कहना था कि अभी फॉर्म जमा करने की तिथि में एक सप्ताह बाकी है, लेकिन वह अभी से फॉर्म भेज रहे हैं, क्योंकि डाक विभाग के हाल-बेहाल हैं। उनकी मांग है कि फॉर्म जमा करने की तिथि एक सप्ताह और बढ़ाई जाए ताकि फॉर्म यूनिवर्सिटी तक पहुंच जाए। उनकी मानें तो स्पीड पोस्ट की खास तौर पर स्पीडलेस हो गया है। कुछ ऐसा ही बयान अंकिता रावत का भी था। अंकिता के अनुसार उनके फ्रेंड्स के टीईटी फॉर्म्स में देरी का कारण डाक विभाग की हीला-हवाली रही। ऐसे में रिस्क कौन ले। 

हालिया केस :
टीईटी अभ्यर्थियों के फॉर्म समय से नहीं पहुंचे। तिथि बढ़ाई गई।
यूपीएमटी अभ्यर्थियों के स्कोर कार्ड नहीं पहुंच पाए। काउंसिलिंग से वंचित।

वैकल्पिक व्यवस्था फिर क्यों देरी 
डाक विभाग के पास वैकल्पिक व्यवस्था भी है, ऐसे में डाक पहुंचने में देरी का कारण समझ से बाहर है। विभाग के एक अधिकारी के अनुसार मार्ग खराब हो तो वैकल्पिक रूटों का सहारा लिया जाता है। जहां वाहन का बिल्कुल आवागमन संभव नहीं, वहां कुली की मदद ली जाती है। ऐसे में 72 घंटे का दावा करने वाली स्पीड पोस्ट एक सप्ताह कैसे लेती है, यह समझ से परे है।

उपभोक्ता फोरम में जा सकते हैं
अगर डाक विभाग की लापरवाही के चलते छात्र-छात्राएं यूपीएमटी काउंसिलिंग में बैठने से वंचित रहे हैं तो वह जिला उपभोक्ता फोरम में वाद योजित कर सकते हैं। वहीं नाबालिग अपने अभिभावकों के माध्यम से जिला उपभोक्ता फोरम में वाद योजित कर सकते हैं। इसमें किसी भी प्रकार की कोई कानूनी अड़चन नहीं है। 
राजीव आचार्य, एडीजीसी (राजस्व)

यूनिवर्सिटी दे तिथियों में मार्जिन 
दिक्कत इसलिए हो रही है, क्योंकि फॉर्म बिक्री और जमा करने की तिथि एक ही रखी गई है। इसमें डाक विभाग का कोई रोल नहीं। अगर यूनिवर्सिटी की ओर से इसमें सप्ताह भर का मार्जिन रखा जाए तो फार्म के देरी से पहुंचने की समस्या दूर हो जाएगी। एक और भी समस्या है। ज्यादातर छात्र-छात्राएं पहले तो समय यूं ही बर्बाद करते हैं, जब दो-तीन दिन बचते हैं तब उन्हें फॉर्म भेजने की याद आती है। भौगोलिक परिस्थितियां यूं भी अनुकूल नहीं। ऐसे में देरी होने पर डाक विभाग का क्या दोष?-के मलियान, सहायक निदेशक, डाक(अमर उजाला,देहरादून,14.7.11)

राजस्थानःबीएसटीसी की ऑनलाइन काउंसलिंग शुरू

Posted: 14 Jul 2011 03:50 AM PDT

बीएसटीसी सामान्य और संस्कृत प्रवेश परीक्षा की ऑनलाइन काउंसलिंग प्रक्रिया आज से प्रारंभ हुई है। राजकीय महाविद्यालय अजमेर ने काउंसलिंग कार्यक्रम जारी कर दिया था।

सह समन्वयक डॉ. एम. एल. अग्रवाल ने बताया कि बीएसटीसी सामान्य और संस्कृत पाठ्यक्रम में प्रवेश की पात्रता रखने वाले ऎसे अभ्यर्थी जिन्होंने 240 या इससे अधिक अंक प्राप्त किए हैं, वे पंजीयन शुल्क जमा कराने के बाद काउंसलिंग में हिस्सा ले सकेंगे। अभ्यर्थियों को सम्बन्घित श्रेणी और उपलब्ध सीटों की संख्या के अनुसार संस्थानों में प्रवेश दिए जाएंगे।

यह होगी प्रक्रिया

डॉ. अग्रवाल के अनुसार अभ्यर्थी राज्य में आईसीआईसीआई बैंक की किसी भी शाखा में निर्धारित चालान के जरिए दो हजार रूपए पंजीयन शुल्क जमा कराने के बाद काउंसलिंग में हिस्सा ले सकेंगे। कार्यालय में सीधे नकद, बैंक ड्राफ्ट, चेक, भारतीय पोस्टल ऑर्डर स्वीकार नहीं होंगे। इसके बाद वे इंटरनेट के जरिए वेबसाइट पर कॉलेजों के विकल्प भर सकेंगे। अभ्यर्थियों के लिए विभिन्न कॉलेजों में सहायता केंद्र भी स्थापित किए गए हैं। अभ्यर्थी इन केन्द्रों से काउंसलिंग सम्बन्घित जानकारी ले सकेंगे।

सीटें और संस्थान
बीएसटीसी सामान्य पाठ्यक्रम : 13 हजार, 249 संस्थान
बीएससीटी संस्कृत पाठ्यक्रम : 1, 220 सीटें, 16 संस्थान

यह होगा कार्यक्रम
पंजीयन शुल्क जमा कराने की तिथि : 14 से 25 जुलाई (दोपहर 3 बजे तक)
कॉलेज चयन के लिए विकल्प भरना : 18 से 29 जुलाई (शाम 5 बजे तक)
आवंटित कॉलेज की सूचना : 3 अगस्त (शाम 5 बजे से)
बैंक में शेष राशि और कॉलेजों में रिपोर्टिग : 4 से 10 अगस्त
शिक्षण कार्य की शुरूआत : 11 अगस्त
(नोट: तिथियों के लिए राजकीय महाविद्यालय की सूचना को अधिकृत मानें)(राजस्थान पत्रिका,अजमेर,14.7.11)

बीएचयू में प्रथम वर्ष की कक्षाएं लेट शुरू होंगी

Posted: 14 Jul 2011 03:30 AM PDT

बीएचयू में वर्ष 2011-12 के सत्र में स्नातक और स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष की कक्षाएं तय शैक्षणिक कैलेंडर से अपेक्षाकृत विलंब से शुरू होंगी। वजह यह कि प्रवेश परीक्षाओं (यूईटी-पीईटी) के सभी रिजल्ट अभी तक नहीं जारी हो सके हैं जबकि 10 जुलाई तक सभी रिजल्ट जारी करने का लक्ष्य था। रिजल्ट जारी होने के 15 दिन बाद संबंधित पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए काउंसिलिंग शुरू होगी। ऐसे में कैलेंडर के मुताबिक 25 जुलाई से कक्षाएं शुरू होनी मुश्किल हैं। माना जा रहा है कि अगस्त के पहले सप्ताह तक सभी कक्षाएं शुरू हो सकेंगी।
विश्वविद्यालय एडमिशन कोआर्डिनेशन बोर्ड के उपाध्यक्ष प्रो. आरसी यादव के अनुसार, प्रथम वर्ष में दाखिले के लिए 18 जुलाई से काउंसिलिंग शुरू होगी। रिजल्ट जारी होने के बाद संबंधित विभाग में उसका कट आफ तय किए जाने और फिर छात्रों को काल लेटर भेजने के बाद काउंसिलिंग शुरू करने में करीब 15 दिन लगते हैं। ऐसे में प्रथम वर्ष की सभी कक्षाएं कैलेंडर से कुछ लेट शुरू होना लाजिमी है।
इसी बीच बुधवार शाम बीएड के सभी पांच ग्रुप के लिए हुई प्रवेश परीक्षा का रिजल्ट जारी कर दिया गया। साथ ही बीए सोशल साइंस, बीकाम और बीएससी मैथ का रिजल्ट भी जारी कर दिया गया। गुरुवार से विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर रिजल्ट देखे जा सकते हैं। अतिरिक्त परीक्षा नियंत्रक प्रो. बीके पंडा ने बताया कि अब जिन प्रमुख पाठ्यक्रमों के प्रवेश परीक्षा के रिजल्ट जारी होने हैं, उनमें एलएलएम, एमएससी कृषि, एमसीए, एमपीएड, एमएफए, बीएफए और बीएससी बायो शामिल हैं। बकौल प्रो. पंडा, कुल 120 परीक्षाएं हुई और इनमें से 70 फीसदी से अधिक के रिजल्ट जारी हो चुके हैं। इनमें बीए और बीएससी कृषि शामिल हैं। बता दें कि इस वर्ष प्रवेश परीक्षा में कुल करीब पौने दो लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे(अमर उजाला,वाराणसी,14.7.11)।

डीयू में जमकर होता है कैंपस प्लेसमेंट

Posted: 14 Jul 2011 03:10 AM PDT

डीयू में इस बार स्टूडेंट्स को काफी अच्छी प्लेसमेंट मिली है। सेंट्रल प्लेसमेंट सेल (सीपीसी) के जरिए आउट ऑफ कैंपस कॉलेजों के स्टूडेंट्स को भी कैंपस प्लेसमेंट का बड़ा मौका मिला है।

एसआरसीसी के प्रिंसिपल डॉ. पी. सी. जैन ने कहा कि सभी स्टूडेंट्स प्लेसमेंट नहीं चाहते, बल्कि वे आगे पीजी करते हैं लेकिन जितने भी स्टूडेंट्स प्लेसमेंट चाहते हैं, उन्हें जॉब ऑफर होती है। कैंपस के ही हंसराज कॉलेज की बात करें तो यहां पर भी फुल प्लेसमेंट हुई है। कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. वी. के. क्वात्रा ने बताया कि बीकॉम ऑनर्स, इको ऑनर्स, कंप्यूटर साइंस ऑनर्स, फिजिक्स ऑनर्स और लाइफ साइंसेज कोसेर्ज करने वाले स्टूडेंट्स को जॉब मिली है।

उन्होंने बताया कि फाइनल ईयर के 50 पर्सेंट स्टूडेंट्स ने प्लेसमेंट सेल में रजिस्ट्रेशन कराया था और लगभग सभी को जॉब ऑफर हो चुकी है। स्टूडेंट्स को 4.5 से 8.5 लाख रुपये तक का पैकेज मिला है। पिछले साल ऐवरेज पैकेज 3 लाख रुपये का था जो इस बार बढ़कर 4.5 लाख रुपये का हो गया है। फाइनैंस, बीपीओ, सॉफ्टवेयर व आईटी सेक्टर की 22 से अधिक कंपनियां कॉलेज में प्लेसमेंट के लिए आई थी।


डीयू के सीपीसी प्रोजेक्ट की बात करें तो यहां पर रजिस्ट्रेशन कराने वाले 1 हजार से अधिक स्टूडेंट्स को इस बार जॉब मिल चुकी है। डिप्टी डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ. गुलशन साहनी ने बताया कि स्टूडेंट्स को इस बार 2.25 से 5.5 लाख तक का पैकेज मिला है, जो पिछले साल से 20 पर्सेंट ज्यादा है। पहली बार यूनिवसिर्टी में इंडियन एयरफोर्स स्टूडेंट्स के सिलेक्शन के लिए आई और पब्लिक सेक्टर की भी कई कंपनियां आईं। डॉ. साहनी ने कहा कि प्लेसमेंट के मामले में डीयू बेहतर रिजल्ट दे रही है और यह प्रोसेस आगे और अच्छा होता जाएगा। इस बार एनजीओ भी स्टूडेंट्स के सिलेक्शन के लिए आए। 

बीबीएस कोर्स की बढ़ती डिमांड के पीछे एक बड़ा कारण फुल प्लेसमेंट है। बीबीएस में हाई पैकेज पाने वाले स्टूडेंट्स की संख्या भी बढ़ी है। स्टूडेंट्स को 10 लाख रुपये तक का पैकेज मिला है और औसत पैकेज भी 5 लाख से अधिक का है। शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज की प्रिंसिपल डॉ. पूनम वर्मा का कहना है कि जो भी स्टूडेंट्स प्लेसमेंट चाहते हैं, उनको जॉब ऑफर हो रही है। यह कोर्स डीडीयू कॉलेज में भी है। 

कॉलेज में प्लेसमेंट प्रोसेस से जुड़ी असोसिएट प



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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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