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Monday, July 25, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/7/25
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


एक समान होगी माध्यमिक शिक्षा

Posted: 24 Jul 2011 11:00 AM PDT

देश भर में एक जैसी माध्यमिक शिक्षा प्रदान किए जाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। योजना आयोग की शिक्षा पर गठित विशेषज्ञ समिति ने 12वीं कक्षा तक को माध्यमिक शिक्षा अभियान में शामिल कर पूरे देश में समान पाठय़क्रम लागू करने की सिफारिश की है। 12वीं पंचवर्षीय योजना में शिक्षा की मौजूदा प्रणाली 10+2+3 को गड़बड़ बताते हुए 10+5 या 10+7 जैसी व्यवस्था करने का भी सुझाव दिया गया है। इसके पीछे विचार यह है कि स्टूडेंट्स किस ट्रेड में जाना चाहते हैं वह दसवीं से ही तय हो जाए और तभी से उसी के अनुरूप पढ़ाई शुरू हो जाए। मेडिकल, इंजीनियरिंग,लॉ आदि सभी व्यावसायिक विषयों को इस व्यवस्था में लाने की कोशिश की जा रही है।इस व्यवस्था को 2017 तक पूरी तरह लागू कर देने की तैयारी है। 12वीं पंचवर्षीय योजना के प्रारूप को तैयार करने के लिए योजना आयोग ने हर क्षेत्र के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। 12वीं योजना के दृष्टिपत्र को अंतिम रूप देने के लिए योजना आयोग 30 जुलाई को प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह को एक प्रेजेंटेशन देगा। यदि प्रधानमंत्री ने उसे मंजूर कर लिया तो दृष्टिपत्र का प्रारूप कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा दिया जाएगा। शिक्षा क्षेत्र के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन आयोग के सदस्य डा. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में किया गया है। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान शुरू करने का फैसला 2005 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री अजरुन सिंह की अध्यक्षता में हुए केब की बैठक में लिया गया था। तब सिंह ने राजस्थान के शिक्षा मंत्री घनश्याम तिवाड़ी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था और इसी समिति ने पूरे देश में नवीं व दसवीं कक्षा तक समान माध्यमिक शिक्षा लागू करने की सिफारिश की थी। कार्यक्रम के अनुसार राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान को 2009-10 से लागू होना था लेकिन इसमें विलम्ब हो गया। अब इस पूरे प्रकरण की फिर से समीक्षा हो रही है। योजना आयोग की विशेषज्ञ समिति ने 12वीं कक्षा को भी माध्यमिक शिक्षा अभियान में शामिल करने का सुझाव दिया है। इस समिति की पहली बैठक में मानव संसाधन विकास मंत्रालय में स्कूली शिक्षा सचिव अंशु वैश ने कहा कि माध्यम शिक्षा की स्थिति को सुधारने की बहुत जरूरत है। प्राथमिक शिक्षा और उच्च शिक्षा पर ध्यान दिया गया है जबकि माध्यमिक शिक्षा को अनदेखा किया गया है। उन्होंने पूरे देश में समान माध्यमिक शिक्षा उपलब्ध कराने की आवश्यकता जताई और कहा कि इसके लिए 12वीं योजना में केंद्र और राज्य सरकार के बीच खर्च का 75:25 का अनुपात होना चाहिए। 12वीं योजना अगले साल यानि अप्रैल 2012 से शुरू होनी है। अंशु वैश्य ने सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों और निजी स्कूलोंंको राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान में शामिल करने और 2017 तक पूरे देश में समान माध्यमिक शिक्षा लागू करने का सुझाव दिया। वर्तमान में माध्यमिक शिक्षा हर राज्य अपने तरीके से चलाता है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, बिहार, या गुजरात माध्यमिक शिक्षा बोर्ड।हरेक राज्य के अपने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड भी हैं। जो अपने तरीके से अपने एजेंडे को शिक्षा में लागू करवाते रहते हैं। जबकि केंद्रीय स्तर पर सीबीएसई माध्यमिक शिक्षा का संचालन करता है। केंद्रीय विद्यालय और निजी विद्यालयों ने सीबीएसई पण्राली स्वीकार कर ली है जबकि राज्यों से भी इसी पण्राली के तहत शिक्षा देने की मांगें उठ रही हैं लेकिन राज्य सरकारों की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है। इस सबका खामियाजा राज्य बोडरे से पढ़नेवाले स्टूडेंट्स को उठाना पड़ता है। राज्य बोडरे और सीबीएसई की मार्किग पण्राली में अंतर के चलते जहां सीबीएसई के स्टूडेंट्स भारी परसेंटेज प्राप्त करते हैं वहीं राज्य बोडरे के स्टूडेंट्स को 70 प्रतिशत मार्क्‍स लाने में भी नाकों चने चबाने पड़ते हैं। जहां मेरिट का सवाल आता है उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। 11वीं पंचवर्षीय योजना में स्कूली शिक्षा के लिए 1.85 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था लेकिन वास्तव में मिले 1.45 लाख करोड़ और उसमें से भी अभी तक 1.06 लाख करोड़ रुपए ही खर्च हुए। एनसीईआरटी के निदेशक प्रोफेसर गोविंदा ने कहा दो तिहाई इनरॉलमेंट निजी स्कूलों में होते हैं। इस क्षेत्र पर फोकस करने और कक्षा 11 व 12 की शिक्षा को समान करने की जरूरत है। उन्होंने पूरे 10+2+3 पण्राली को ही एकीकृत करने की आवश्यकता पर जोर दिया । उन्होंने कहा कि देश में गणित और विज्ञान की शिक्षा की समीक्षा करने की जरूरत है और शिक्षकों के प्रशिक्षण को मजबूत करने की जरूरत है। विशेषज्ञ समिति में शिक्षा क्षेत्र से जुड़े 21 लोगों को शामिल किया गया है(रोशन,राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,24.7.11)।

जयनारायण व्यास विश्वविद्यालयःशिक्षकों की पात्रता में संशोधन मंजूर

Posted: 24 Jul 2011 10:42 AM PDT

द्यालय की एकेडमिक काउंसिल ने सामान्य संकायों में शिक्षकों की सीधी भर्ती के लिए पात्रता में संशोधनों को हरी झंडी दे दी है। सीधी भर्ती के लिए यूजीसी के नियमानुसार ऑर्डिनेंस 317 के तहत इन संशोधनों को मंजूरी दी गई है।
जेएनवीयू नया परिसर स्थित भौतिक विज्ञान विभाग के सेमिनार हॉल में शनिवार को हुई एकेडमिक कॉउंसिल की बैठक में सामान्य संकायों में शिक्षकों की सीधी भर्ती के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अधिनियम 2010 के अनुसार पात्रता में में प्रस्तावित संशोधनों पर विचार-विमर्श के बाद उन्हें स्वीकृति दे दी गई। अब इन पर विवि सिंडीकेट की मोहर लगवाने के बाद अंतिम स्वीकृति के लिए इन्हें कुलाधिपति के पास जाएगा।

काउंसिल ने पत्रकारिता एवं जनसंचार विषय में पीएचडी करने वालों की डिग्री पर हिन्दी विभाग की जगह पत्रकारिता एवं जनसंचार लिखे जाने पर विचार करने को समिति बनाने का भी निर्णय किया।
शुरूआत में गत 13 जून 2011 को हुई पिछली एकेडमिक काउंसिल की बैठक के मिनट्स पारित किए गए। कार्यवाहक कुलपति बीएस राजपुरोहित और रजिस्ट्रार निर्मला मीणा की मौजूदगी में कॉउंसिल सदस्यों ने बैठक में भाग लिया(राजस्थान पत्रिका,जोधपुर,24.7.11)।

राजस्थानःपशु चिकित्सकों की पढ़ाई पूरी, पंजीयन के लिए संघर्ष जारी

Posted: 24 Jul 2011 10:39 AM PDT

निजी कॉलेज से पशु चिकित्सक की पढ़ाई पूरी करने वाले छात्र राजस्थान पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय से डिग्री नहीं मिलने के कारण इन दिनों सड़क पर हैं। छह माह पूर्व परीक्षा पास कर प्रोविजनल डिग्री प्राप्त कर चुके इन छात्रों ने विश्वविद्यालय की डिग्री प्राप्त करने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर विभागीय सचिव तक गुहार लगाई, लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली। छात्रों ने अब धरना देना शुरू कर दिया है। कॉलेज प्रशासन भी छात्रों के साथ है।
मामला अपोलो कॉलेज ऑफ वेटेनरी मेडिसिन, जयपुर के छात्रों का है। कॉलेज से अब तक तीन बैच के करीब 80 छात्रों को पशु चिकित्सकों को डिग्री मिल चुकी है। लेकिन इस बार जनवरी 2011 में घोषित परिणाम की राजस्थान पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय ने डिग्री जारी ही नहीं की।

इसके लिए अपोलो कॉलेज का भारतीय पशु चिकित्सा परिषद मेंं कॉलेज को अनुसूची -1 में शामिल नहीं होना बताया जा रहा है। छात्रों का कहना है कि उनका चयन राजस्थान प्री-वेटेरिनरी टेस्ट में हुई काउंसलिंग के आधार पर अपोलो कॉलेज में हुआ है। कॉलेज को पशु चिकित्सा परिषद की मान्यता है अथवा नहीं यह देखना टेस्ट का आयोजन करने वाली सरकार की एजेंसी का काम है।
भारतीय पशु चिकित्सा परिषद ने प्रवेश बंद कर दिया है। परिषद अब जिन छात्रों को डिग्री जारी की जा चुकी है, उसे भी अवैध रूप से वापस जमा कराने के निर्देश दे रही है। समर्थन में कॉलेज प्रशासन भी साथ है। डॉ. सोहन सिंह राठौड़,
डीन, अपोलो कॉलेज ऑफ वेटेनरी मेडिसिन(राजस्थान पत्रिका,जयपुर,24.7.11)

राजस्थानःसाढे 5 सौ प्रहरियों की होगी भर्ती

Posted: 24 Jul 2011 10:35 AM PDT

राज्य की जेलों में जल्द ही 550 प्रहरियों की भर्ती होगी तथा 500 नए पद सृजित किए जाएंगे। महानिदेशक (जेल) ओमेन्द्र भारद्वाज ने शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में यह बात कही। इंडोर स्टेडियम में आयोजित राजस्थान स्टेट जूनियर ताइक्वांडो चैम्पियनशिप-2011 के उद्घाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि हिस्सा लेने आए भारद्वाज ने जेलों में प्रहरियों की कमी को स्वीकार किया।
उन्होंने कहा कि प्रहरियों की भर्ती के लिए अगले सप्ताह विज्ञापन जारी कर दिया जाएगा। वर्ष के अंत तक भर्ती की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। भर्ती प्रक्रिया में कुछ बदलाव किए गए हैं। इस बार साक्षात्कार नहीं होगा। केवल लिखित एवं शारीरिक परीक्षा के आधार पर भर्ती की जाएगी।

उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के बाद अगले वर्ष के आरम्भ में प्रहरियों को राज्य की जेलों में नियुक्ति दे दी जाएगी। नए पदों के सृजन पर भारद्वाज ने कहा कि कई वर्षो से पद नहीं बढ़ाए गए हैं, जबकि बंदियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसके चलते नए पद सृजित करने का निर्णय किया गया है। इस पर राज्य सरकार से सहमति मिल चुकी है। अगले वर्ष इसकी प्रक्रिया आरम्भ होगी
डीजी भारद्वाज के अनुसार जेल में टेलीफोन बूथ लगाने के प्रस्ताव को जल्द ही हरी झंडी मिलेगी। बंदियों के मोबाइल पर बात करने पर रोकथाम के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। टेलीफोन पर रिकॉर्डिüग की भी व्यवस्था होगी, ताकि यह पता चल सके कि बंदी ने किससे और क्या बात की है। साथ ही टेलीफोन के जरिए बंदी सीधे मुख्यालय पर शिकायत दर्ज करा सकेगा(राजस्थान पत्रिका,अजमेर,24.7.11)।

राजस्थानःप्रथम श्रेणी अध्यापक परीक्षा से साक्षात्कार समाप्त

Posted: 24 Jul 2011 10:34 AM PDT

राज्य सरकार ने प्रथम श्रेणी शिक्षक भर्ती के नियमों में संशोधन करते हुए साक्षात्कार की अनिवार्यता समाप्त कर दी है। अब परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले शिक्षकों को साक्षात्कार के बजाए सीधे नियुक्ति दी जाएगी।
राजस्थान लोक सेवा आयोग के सचिव के.के. पाठक ने बताया कि हाल ही राज्य सरकार ने शिक्षक भर्ती के नियमों में संशोधन किया है। अब प्रथम श्रेणी शिक्षक भर्ती सिर्फ एक परीक्षा से ही सम्पन्न हो जाएगी। परीक्षा में उच्चतम अंक लाने वालों को नियुक्ति दे दी जाएगी। अब तक प्रथम श्रेणी शिक्षक भर्ती के लिए संवीक्षा परीक्षा ली जाती थी।
इसके बाद साक्षात्कार लिए जाते थे।राज्य में द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में भी परीक्षा के बाद सीधी भर्ती का प्रावधान है। आयोग ने नए प्रावधानों के अनुसार उर्दू, अंग्रेजी, वाणिज्य, भौतिक विज्ञान, गणित, जीव विज्ञान तथा रसायन विज्ञान के पदों की भर्ती निकाल दी है(राजस्थान पत्रिका,अजमेर,24.7.11)।

उच्च शिक्षा के लिए मानव संसाधन योजना तथा प्रबंधन केंद्र का प्रस्ताव

Posted: 24 Jul 2011 10:15 AM PDT

केंद्र सरकार विश्वविद्यालय स्तर पर मानव संसाधन योजना तथा प्रबंधन केंद्रों की स्थापना के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। इसका उद्देश्य उच्च शिक्षा में शिक्षकों की ज़रूरतों को समझना और उनके पेशेवर विकास की योजना तैयार करना है। यह 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए उच्चतर शिक्षा विभाग की कार्यनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका उद्देश्य है उच्च शिक्षा में दाखिले के अनुपात को 2020 तक बढ़ाकर 30 प्रतिशत करना।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक़,प्रस्तावित केंद्रों को,शिक्षकों की ज़रूरतों को समझने और उनके पेशेवर विकास के लिए पर्याप्त स्वायत्तता दी जाएगी। इसके लिए अनुसंधान और विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाएगा जिसके तहत संगोष्ठियों,प्रशिक्षण,कार्यशालाओं,प्रोत्साहन-राशि और पुरस्कार योजनाओं का सहारा लिया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि अकादमिक स्टाफ कॉलेजों को प्रस्तावित केंद्रों के अंतर्गत लाया जाएगा अथवा उन्हें इसके लिए स्तरोन्नत किया जाएगा(सुमिता,आकाशवाणी संवाददाता,24.7.11)

राजस्थानःशिक्षक पात्रता परीक्षा में राजस्थानी की अनदेखी का होगा विरोध

Posted: 23 Jul 2011 08:22 PM PDT

अपनी भाषा अपनी बात के डॉ. सत्य नारायण सोनी जी ने दैनिक भास्कर में प्रकाशित एक रिपोर्ट की प्रति भेजी है। इस ख़बर में कहा गया है कि राजस्थानी भाषा को शिक्षक पात्रता परीक्षा में जगह न दिए जाने के विरोध में काला दिवस मनाने का निर्णय लिया गया है। पूरी ख़बर यहां देखिए। आभार सोनी जी।

मुंबई यूनिवर्सिटीःएफवाई जेसी में कट ऑफ को लेकर टेंशन

Posted: 23 Jul 2011 07:56 PM PDT

एफवाई जूनियर कॉलेज में ऐडमिशन को लेकर शुक्रवार की सुबह से लेकर देर रात तक स्टूडेंट्स के बीच दौड़-भाग देखी गई। वे दिन भर कट ऑफ लिस्ट की खोज में इस कॉलेज से उस कॉलेज तक इस उम्मीद के साथ काट डाले, कि शायद उनके मनपंसद कॉलेज में ऐडमिशन मिल जाए। इसके अलावा साइबर कैफे से लेकर अपने घरों में लगे हुए नेट पर भी मेरिट लिस्ट को सर्च करते नजर आएं। हालांकि, कॉलेज के नोटिस बोर्ड पर लगे मेरिट लिस्ट को देखकर जहां कई स्टूडेंट्स के चेहरों पर मुस्कुराहटें खिल उठे, वही कई स्टूडेंट्स के चेहरे पर हवाइयां उड़ रहे थे। जिसका मुख्य कारण कॉलेजों में कट ऑफ मार्क्स का काफी हाई होना था।


पिछले साल के मुकाबले इस साल के कट ऑफ पर नजर डालें तो साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स के कट ऑफ में बहुत ही मामूली अंतर देखने को मिला, जिसमें एक या दो पर्सेंट का मार्जिन देखा गया। मुंबई के ज्यादातर टॉप टेन कॉलेजों में कट ऑफ मार्क्स कम से कम 90 पर्सेंट से शुरू होकर अधिकतम 96 पर्सेंट तक रहा है। जो न सिर्फ स्टूडेंट्स के लिए चिंता का विषय रहा, बल्कि उनके पेरेंट्स को भी चिंतित कर रखा है। 
रूपारेल कॉलेज का पिछले साल का कट ऑफ मार्क्स 78 पर्सेंट था, जो इस बार 84.60 पर्सेंट के आस पास रहा। केसी कॉलेज में 73.27 पर्सेंट से बढ़कर 81.21 पर्सेंट, जय हिंद में 82.9 पर्सेंट से बढ़कर 88.6 पर्सेंट, सेंट जेवियर्स कॉलेज में 90.91 पर्सेंट से बढ़कर 91.81 पर्सेंट कट ऑफ रहा। इसके अलावा साइंस में भी कट ऑफ काफ ी हाई रहा है। पिछले साल रूईया कॉलेज में 94.73 पर्सेंट था, जो इस बार 95.09 पर्सेंट रहा। जय हिंद में 92.20 पर्सेंट से बढ़कर 93.45 पर्सेंट, रूपारेल कॉलेज में 95.45 पर्सेंट से बढ़कर 95.63 पर्सेंट और केसी कॉलेज में 91.45 पर्सेंट से बढ़कर 92.54 पर्सेंट तक कट ऑफ रहा। ऐसा ही हाल कॉमर्स में भी रहा। कॉमर्स का सबसे चर्चित कॉलेज एन एम में पिछले साल 93.36 पर्सेंट था, वही इस बार यह मामूली अंतर के साथ 93.85 पर्सेंट रहा जबकि, रूपारेल में 89.82 से बढ़कर 90.80 और एचआर 90.90 पर्सेंट से बढ़कर 91.85 पर्सेंट पर बंद हुआ। कुल मिलाकर देखा जाए तो साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स में पछिले साल की अपेक्षा इस बार कोई खास अंतर नहीं देखा गया। 

इस बारे में ज्यादातर कॉलेज के प्रिसिंपल का मानना है कि इससे पहले सभी कॉलेजों के आर्ट्स सब्जेक्ट में ऐडमिशन को लेकर स्टूडेंट्स में उदासीनता देखे जाते थे, लेकिन इस बार साइंस और कॉमर्स के साथ साथ आर्ट्स सब्जेक्ट में भी क्रेज देखा गया। जिसका मुख्य कारण यह है कि स्टूडेंट्स अब आर्ट्स को भी महत्वपूर्ण सब्जेक्ट के तौर पर देख रहें हैं। बता दें कि इस बार जूनियर कॉलेज मंे आर्ट्स में 22 हजार 31, कॉमर्स में 66 हजार 250 और साइंस में 26 हजार 779 सीटें खाली है। जबकि, इनहाउस कोटा से 35 हजार 366 सीटें बची है। वहीं ,एसएससी बोर्ड से 1 लाख 90 हजार 602, सीबीएसई बोर्ड से 2 हजार 345, आईसीएसई बोर्ड से 4 हजार 870, आईजीसीएससी बोर्ड के 110 और अन्य बोर्ड से 494 स्टूडेंट्स ने ग्यारहवीं में ऐडमिशन के लिए फ ॉर्म सबमिट किए हैं(मनीष झा,नवभारत टाइम्स,मुंबई,24.7.11)।

हिमाचलः विद्यार्थियों को मिलेगी करिअर अभिरुचि परामर्श सुविधा

Posted: 23 Jul 2011 07:54 PM PDT

मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि राज्य सरकार इस शैक्षणिक सत्र से दसवीं पास विद्यार्थियों को 'करिअर अभिरुचि परीक्षण" तथा जमा दो और कालेज जाने वाले विद्यार्थियों को 'करिअर परामर्श परीक्षण" सुविधाएं उपलब्ध करवाने पर विचार कर रही है। मुख्यमंत्री आज शिमला में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि करिअर एप्टीट्यूट टैस्ट तथा करिअर परामर्श टैस्ट आधुनिक समय में उपलब्ध विस्तृत जीविकोपार्जन अवसरों को ध्यान में रखते हुए आवश्यक हो गई है तथा इन सुविधाओं के माध्यम से शिक्षित युवाओं को अपने भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए उपयुक्त जीविकोपार्जन के लिए उचित मार्गदर्शन मिल सकेगा। काफी समय से इस विषय पर विचार-विमर्श चल रहा था और अब यह निर्णय लिया गया है कि इस शैक्षणिक सत्र से ही विद्यार्थियों को यह सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाए ताकि वे अपने भविष्य को सुरक्षित बना सकें। उन्होंने कहा कि यह सुविधा मैट्रिक, जमा दो तथा कालेज में पढऩे वाले विद्यार्थियों को उपलब्ध होगी ताकि वे अपने उज्जवल भविष्य के लिए योजना तैयार कर सकें। ऐसे प्रयासों से विद्यार्थियों में उद्यमिता का विकास हो सकेगा और वे भविष्य की चुनौतियों से सुगमता से निपटने में सक्षम हो सकेंगे।
प्रो. धूमल ने कहा कि राज्य सरकार ऐसे 10 शिक्षण संस्थानों का चयन भी करेगी, जिनका परिणाम शत प्रतिशत रहा हो। इन संस्थानों के प्रधानाचार्यों एवं शिक्षकों को ऐसी उपलब्धियों के लिए सम्मानित भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से उत्कृष्ट शिक्षकों द्वारा दी जा रही सेवाओं को पहचान मिलेगी और वे अन्य शिक्षकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकेंगे। उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा गुणात्मक शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध करवाने की प्रतिबद्धता को दोहराया, जिससे निजी क्षेत्र के सहयोग से हिमाचल प्रदेश को 'ज्ञान केंद्रÓ बनाने के प्रयास सफल हो सकेंगे।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के कांगड़ा जिले में केंद्रीय विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान तथा फूड क्राफ्ट इंस्टीट्यूट, हमीरपुर जिले में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, होटल प्रबंधन संस्थान तथा तकनीकी विश्वविद्यालय और मंडी जिले में आईआईटी तथा ईएसआई चिकित्सालय और मेडिकल कालेज जैसे राष्ट्रीय स्तर के संस्थान स्थापित हो रहे हैं, जिससे व्यवसायिक शिक्षा में गुणात्मक सुधार अपेक्षित है। प्रदेश सरकार समाज के उपेक्षित तथा निर्धन वर्ग की शिक्षा आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील है और इसी के दृष्टिगत प्रदेश सरकार द्वारा विद्यार्थियों को वरीयता एवं प्रोत्साहन छात्रवृत्तियां प्रदान की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अब तक 1,07,770 ऐसे विद्यार्थियों को 17 करोड़ 2 लाख रुपये की राशि छात्रवृत्तियों के रूप में वितरित की है ताकि वे अपने उज्जवल भविष्य के लिए पढ़ाई जारी रख सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के अस्तित्व में आने के समय साक्षरता दर मात्र 7 प्रतिशत थी, जो आज बढ़कर 90 प्रतिशत से ऊपर हो गई है और बच्चों की स्कूल छोडऩे की दर भी 0.1 प्रतिशत रह गई है, जो शीघ्र ही समाप्त कर ली जाएगी(दैनिक ट्रिब्यून,शिमला,24.7.11)।

प्रदर्शनकारी छात्रों पर पुलिस की कार्रवाई से उबला जम्मू

Posted: 23 Jul 2011 07:48 PM PDT

सेंट्रल यूनिवर्सिटी को लेकर संभाग में पहले ही आग सुलग रही थी। शुक्रवार को छात्रों पर पुलिस की बर्बर कार्रवाई ने उसमें घी का काम किया। शुक्रवार को छात्रों पर पुलिसिया कार्रवाई के विरोध में अब न केवल छात्र दल बल्कि विभिन्न राजनीतिक पार्टियां और आम लोग भी सामने आने लगे हैं। यदि सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया तो मुमकिन है जम्मू में फिर बड़ा जनांदोलन होगा। साइंस कालेज में छात्रों पर पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज का आक्रोश अभी थमा नहीं है। छात्रों ने फिर साइंस कॉलेज में जमकर विरोध प्रदर्शन किया और नारेबाजी की। शनिवार सुबह कॉलेज लगते ही शुक्रवार को हुई घटना के चलते कॉलेज प्रशासन ने छुट्टी कर दी।
बावजूद इसके छात्रों ने प्रिसिंपल कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया और उनका घेराव किया। छात्रों ने पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज पर एतराज जताते हुए इसे स्टूडेंट कम्युनिटी पर अत्याचार करार दिया है। छात्रों का कहना था कि वे लोग पढ़ने आते हैं, लाठियां खाने नहीं। अगर हक मांगने पर ऐसा होता है, तो वे पीछे नहीं हटेंगे।
नेशनल पैंथर्स स्टूडेंट यूनियन नेता शिव देव सिंह ठाकुर ने कहा कि पुलिस की कार्रवाई ने सभी हदें तोड़ दीं। छात्रों को अपराधियों की तरह पीटा गया है। ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार एक बार फिर जम्मू की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चे कॉलेज प्रबंधन की जिम्मेदारी हैं।

लेकिन प्रबंधन के सामने छात्रों को पीटा गया, किसी ने आगे आना जरूरी नहीं समझा। उलटा कॉलेज प्रबंधन सरकार की पैरवी करता नजर आया और कॉलेज में छुट्टी कर दी। जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक सौ बार ऐसी लाठियां खाने के लिए वे लोग तैयार हैं। यूनियन ने मांग की है कि यह मसला किसी राजनीतिक पार्टी का नहीं, पूरे जम्मू का है। इसलिए हर किसी को एक होने की जरूरत है।
कई कॉलेजों में हुआ प्रदर्शन : छात्रों पर लाठीचार्ज के विरोध में शनिवार को सांबा, रामनगर और ऊधमपुर कॉलेजों में छात्रों ने कक्षाओं का बहिष्कार कर विरोध प्रदर्शन किया। कॉलेज परिसर में सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। चेतावनी दी गई कि अगर पुलिस ने ऐसा फिर से किया तो इसका अंजाम बुरा होगा।
आरएसपुरा से मिली जानकारी के मुताबिक कस्बे के सरकारी डिग्री कालेज के बाहर विद्यार्थियों ने नेशनल सेकुलर फोरम व प्रोग्रेसिव स्टूडेंट एसोसिएशन के बैनर तले यूपीए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। विद्यार्थियों ने सेंट्रल यूनिवर्सिटी को जल्द शुरू करने की मांग करते हुए छात्रों पर लाठीचार्ज की निंदा की। उन्होंने मांग को पूरा नहीं होने तक संघर्ष जारी रखने की चेतावनी दी। इस मौके पर फोरम के सुरजीत चौधरी, पीएसए के दीपक कुमार सहित अन्य विद्यार्थी शामिल थे।
बिश्नाह से मिली खबर के अनुसार बिश्नाह तहसील में भी भाजपा के जिला प्रधान नरेश कुमार व मंडल प्रधान राकेश कुमार सहित कई कार्यकर्ताओं ने बड़ी ब्राणा कस्बे के मुख्य चौक में सेंट्रल यूनिवर्सिटी के मसले को लेकर केन्द्र सरकार का पुतला फूंका व नारेबाजी कर रोष प्रदर्शन किया। केन्द्रीय विवि की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने वाले छात्रों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज करने की कड़ी निंदा की।
केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की लापरवाही
सेंट्रल यूनिवर्सिटी का मसला लटके होने पर नाराज कांग्रेस सांसद मदल लाल ने इसके लिए रियासत और केंद्र दोनों सरकारों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने यहां तक कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो सांसद के बाहर धरना-प्रदर्शन भी करेंगे। क्योंकि यह जम्मू से जुड़ा मामला है। मदन लाल शनिवार को आरएस पुरा के कल्याणा गांव में जनसभा को संबोधित कर रहे थे।
एक और आंदोलन के लिए तैयार रहे जम्मू के लोग
जम्मू. क्रांति दल ने जम्मू के लोगों का आह्वान किया कि वे एक बार फिर अमरनाथ भूमि आंदोलन की तरह एक और आंदोलन के लिए तैयार रहें। शनिवार को क्रांति दल के राज्य महासचिव प्रीतम शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में सेंट्रल यूनिवर्सिटी की मांग कर रहे छात्रों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किए जाने निंदा की गई। शर्मा ने कहा कि छात्रों पर लाठीचार्ज के लिए जिम्मेवार व्यक्ति पर कार्रवाई होनी चाहिए
मुसीबत में पड़ सकती है सरकार
विधायक प्रो. चमन लाल गुप्ता ने सेंट्रल यूनिवर्सिटी की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस द्वारा बर्बर कार्रवाई की तीव्र भत्र्सना की। उन्होंने कहा सरकार एक बार फिर जम्मू के साथ भेदभाव कर रही है। कश्मीर की सेंट्रल यूनिवर्सिटी शुरू हो चुकी है। जबकि जम्मू में अभी तक वीसी की नियुक्ति नहीं हुई। इसके चलते जम्मू में फिर जनांदोलन शुरू हो सकता है जो सरकार के लिए बड़ी मुसीबत साबित होगी। चमन लाल शनिवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
भीम सिंह ने की प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग
नेशनल पैंथर्स पार्टी के चेयरमैन प्रो. भीम सिंह ने शनिवार को प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर सेंट्रल यूनिवर्सिटी के मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की। सिंह ने पत्र में राज्य सरकार को तानाशाही करार दिया। उन्होंने लिखा कि राज्य सरकार शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर लाठीचार्ज कर उन्हें अधिकारों से वंचित किया है। पैंथर्स सुप्रीमो ने यह आरोप भी लगाया कि हिरासत में लिए गए छात्रों को थाने में एडवोकेट रामजेठमलानी से बात नहीं करने दी गई(दैनिक भास्कर,जम्मू/सांबा/आरएसपुरा/बिश्नाह,24.7.11)

सीबीएसई करेगा चंडीगढ़ के स्कूलों की रेटिंग

Posted: 23 Jul 2011 07:43 PM PDT

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने देश भर में स्कूलों की रेटिंग करने का फैसला किया है। स्कूलों की रेटिंग विद्यार्थियों को स्कूलों में मुहैया करवाए जा रहे आंतरिक ढांचे, अभिभावकों को स्कूलों द्वारा मिल रहे सहयोग से की जाएगी।

सीबीएसई अधिकारियों के मुताबिक स्कूलों की रेटिंग आगामी दो माह में शुरू कर दी जाएगी। चंडीगढ़ के एक दर्जन से ज्यादा स्कूल रेटिंग की दौड़ में होंगे। चंडीगढ़ के अलावा पंचकूला, मोहाली के स्कूल भी रेटिंग में अपनी जगह बनाने के लिए पूरा जोर लगाएंगे।

देश भर में चुने जाएंगे 40 स्कूल


सीबीएसई देश भर में रेटिंग के आधार पर 40 स्कूल चुनेगा। बोर्ड से पूरे देश में करीब 10 हजार स्कूल मान्यता प्राप्त हैं। बोर्ड द्वारा अपने आठ जोनों द्वारा हर जोन से पांच स्कूल चुने जाएंगे। इस रेटिंग में स्कूलों की विद्यार्थियों को दाखिला देने के लिए बरती जा रही पारदर्शिता भी अहम भूमिका निभाएगी।
सीबीएसई की इस रेटिंग के बाद अन्य स्कूलों को भी अपने यहां इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करने को कहा जाएगा। स्कूल प्रिंसिपलों को इसके लिए जागरूक किया जाएगा। सीबीएसई द्वारा स्कूलों को गाइड भी किया जाएगा कि वह किस प्रकार अपने यहां सुविधाओं का विस्तार कर सकते हैं। इसी प्रकार विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों की सहायता भी स्कूलों को मुहैया कराई जाएगी(दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,24.7.11)।

पंजाब यूनिवर्सिटीःटीचर्स के लिए एथिकल कोड लागू

Posted: 23 Jul 2011 07:40 PM PDT

पंजाब यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में नए नियुक्त होने वाले टीचर्स को एथिकल कोड पर चलने की शपथ लेनी पड़ेगी। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने टीचर्स के लिए एथिकल कोड लागू किया है। नए नियुक्त होने वाले टीचर्स को इन दिनों अब एथिकल कोड के दायरे में काम करने के लिए हामी भरनी होगी।

इस कोड को लागू करने का मकसद हर टीचर के लिए अपने काम के लिए गाइडिंग प्रिंसिपल के अंदर काम करना है। साथ ही एथिकल कोड को लागू करने के पीछे वैज्ञानिक तौर पर खुला और ईमानदार संवाद स्थापित करना है। हालांकि यह एथिकल कोड कई जगहों पर टीचर्स को सीमित दायरे में भी बांध रहा है। इन दिनों हो रही नई नियुक्तियों से पहले जॉइनिंग के वक्त नए टीचर पहले एथिकल कोड पर सहमति दे रहे हैं।


शोध और वैज्ञानिक ज्ञान बढ़ाना है एथिकल कोड लागू करने का मकसद: टीचर्स के लिए तय किए गए एथिकल कोड का मकसद रिसर्च के साथ साइंटिफिक नॉलेज बढ़ाना है। साथ ही इस कोड के माध्यम से यूनिवर्सिटी नियमों से अलग व्यक्तिगत तौर पर कोई फैसले लेने से रोकना है। तय किए गए एथिकल कोड के तहत यूनिवर्सिटी के संसाधनों का उपयोग प्रोफेशनल ग्रोथ और रिसर्च के लिए काम करना है। 
एथिकल कोड की कुछ अहम शर्तें

टीचर वही प्रोफेशनल एडवाइज देंगे जिसके बारे में उनसे पूछा गया है। 
टीचर वाइस चांसलर और डीन यूनिवर्सिटी इन्सट्रक्शन की इजाजत के बगैर बतौर स्पोक्समैन खुद कोई जानकारी बाहर नहीं देंगे। 
किसी भी रिसर्च करने वाले के साथ जब भी जरूरी हो, फौरन इंटरचेंज करेंगे। 
किसी भी तरह की रिसर्च फाइंडिंग्स को गलत तरीके से पेश नहीं करेंगे। 
टीचर किसी भी तरह की नौकरी, ग्रांट, अनडॉक्यूमेंटिड क्लेम के तौर पर गिफ्ट और दूसरी चीज प्रशासन की जानकारी के बगैर स्वीकार नहीं करेंगे। 
टीचरों को लीगल डिमांड आने तक डिपार्टमेंट की सूचनाएं गोपनीय रखनी होंगी, लीगल डिमांड आने पर भी जानकारी पीयू की मंजूरी से दी जा सकेगी। 
पीयू के संसाधनों को अधिकारियों की जानकारी के बगैर किसी दूसरे संस्थान के काम के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। 
किसी भी प्राइवेट एजेंसी से टेंपररी नियुक्तिसे पहले पीयू के हितों का ध्यान रखना जरूरी होगा।

एथिकल कोड को लागू करने का फैसला इसलिए लिया गया है ताकि पीयू या कॉलेजों में नौकरी पाने के बाद टीचर संस्थान के साथ रिसर्च के प्रति अपनी जिम्मेदारी याद रखें।""

प्रो नवल किशोर, डीन, कॉलेज डेवलेपमेंट काउंसिल, पीयू(अधीर रोहाल,दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,24.7.11)

चंडीगढ़ःशिक्षक भर्ती घोटाले में डोएक जिम्मेदार

Posted: 23 Jul 2011 07:38 PM PDT

एजुकेशन डिपार्टमेंट में शिक्षकों की भर्ती के दौरान बरती गई अनियमितताओं की रिपोर्ट सीबीआई ने तैयार कर ली है, अब इसे हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा। रिपोर्ट में सीबीआई ने गड़बड़ी के लिए प्रशासन को कम बल्कि डोएक संस्था को अधिक जिम्मेदार ठहराया है। रिपोर्ट के मुताबिक लिखित परीक्षा में अधिक अंक प्राप्त करने वालों को इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया गया लेकिन कम अंक वाले सिलेक्ट हो गए।

न्यूनतम नंबर वाले भी पास

रिपोर्ट के मुताबिक कई ऐसे उम्मीदवार भी सिलेक्ट हो गए जिन्होंने ऑब्जेक्टिव टाइप टेस्ट में न्यूनतम पास मार्क तक प्राप्त नहीं किए थे। रिपोर्ट में प्रशासन के अफसरों को बचाने का प्रयास किया गया है। हालांकि डोएक के साथ-साथ सिलेक्शन कमेटी के अफसरों को भी यह देखना था कि मेरिट सूची सही प्रकार से तैयार हो रही है या नहीं। गौरतलब है कि फाइन आर्ट्स कैटेगरी में कुल 18 पद थे जिसमें से 13 पद जनरल कैटेगरी के थे।

इस कैटेगरी में एक ऐसे उम्मीदवार को इंटरव्यू में बुलाया गया जिसने 14.50 अंक ऑब्जेक्टिव टाइप में प्राप्त किए थे। जबकि इससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले 70 उम्मीदवारों को बुलाया ही नहीं गया। सीबीआई ने रिपोर्ट में कहा है कि प्रशासक के तत्कालीन सलाहकार प्रदीप मेहरा ने शिक्षकों के इंटरव्यू से पहले चयन प्रक्रिया में बदलाव किया। गौरतलब है कि एजुकेशन डिपार्टमेंट ने 2007 में शिक्षक भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला था।


फेल भी हो गए सिलेक्ट

ऐसे उम्मीदवारों को भी सिलेक्ट किया गया जोकि सब्जेक्टिव पेपर में फेल थे। अकेले फिजिकल एजुकेशन में ही ऐसे 9 से अधिक उम्मीदवार थे जिन्हें सब्जेक्टिव पेपर में फेल होने के बाद सिलेक्ट कर लिया गया।

डोएक पर हो कार्रवाई

सीबीआई ने रिपोर्ट में अफसरों पर कार्रवाई की बजाय डोएक पर कार्रवाई की सिफारिश की है। कहा गया है कि डोएक को कोई काम न सौंपा जाए। शिक्षक भर्ती का डाटा तैयार करने का काम डोएक के पास था।

कोर्ट में होगी किरकिरी

सीबीआई की इस रिपोर्ट से कोर्ट में प्रशासन की किरकिरी तय है। अफसर दावे कर रहे थे कि किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हुई है, पूर्व डीपीआई सम्वर्तक सिंह को शिक्षक भर्ती घोटाले में पकड़े गए एजेंट जोली सिंह से बातचीत की लंबी कॉल डिटेल मिलने के बाद भी पुलिस ने उन्हें क्लीन चिट दे दी।

29 को होगी सुनवाई

शिक्षक भर्ती घोटाले में अनियमितताओं की शिकायत करते हुए एक उम्मीदवार कर्मजीत सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर 29 जुलाई को सुनवाई होनी है। सीबीआई की रिपोर्ट भी इस दौरान कोर्ट में पेश की जाएगी(बरींद्र सिंह रावत,दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,24.7.11)।

हिमाचलःपीटीए शिक्षकों को तीन माह से वेतन नहीं

Posted: 23 Jul 2011 07:34 PM PDT

प्रदेश के करीब तीन हजार पीटीए शिक्षकों को तीन माह से वेतन नहीं मिला है। प्रदेश भर के एलीमेंटरी और सीनियर सेकंडरी स्कूलों में छह हजार पीटीए टीचर्स कार्यरत हैं। एलीमेंटरी स्कूलों के टीचर्स का वेतन तो रिलीज हो गया है, लेकिन सीनियर सेकंडरी स्कूलों में कार्यरत तीन हजार शिक्षकों को मई, जून और जुलाई का वेतन नहीं मिल पाया है।

विभाग का कहना है कि बजट रिलीज किया जा चुका है, लेकिन अभी तक वेतन नहीं मिला है। सीनियर सेकंडरी स्कूलों में तैनात पीटीए शिक्षकों की तीन श्रेणियों को वेतन का टोटा है। लेक्चरर को 4800 रुपए, टीजीटी को 4110 और सीएंडवी को 3750 रुपए प्रतिमाह वेतन दिया जा रहा है। अब उन्हें वेतन के लिए एक माह तक छुट्टियों का इंतजार करना पड़ेगा।
पांच साल से कार्यरत : पीटीए शिक्षकों को पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में रखा गया था। शिक्षा सचिव श्रीकांत बाल्दी का कहना है कि फंड जारी कर दिया है। वेतन भी जल्द जारी होगा(दैनिक भास्कर,हमीरपुर,23.7.11)।

जीवाजी विश्वविद्यालयःछात्रहितों को लेकर हंगामा

Posted: 23 Jul 2011 07:33 PM PDT

जीवाजी विश्वविद्यालय में शनिवार को एनएसयूआई कार्यकर्ता व कार्यपरिषद सदस्य के बीच कहासुनी हो गई। कार्यकर्ता जेयू के हॉस्टल चीफ वार्डन प्रो. एपीएस चौहान के खिलाफ कुलपति को ज्ञापन सौंपने आए थे। मौके पर मौजूद कुलसचिव ने मामला शांत किया। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने प्रो. चौहान के खिलाफ कुलसचिव को ज्ञापन सौंपा।

शनिवार दोपहर करीब एक सैकड़ा एनएसयूआई कार्यकर्ता प्रो. एपीएस चौहान के खिलाफ कुलपति को ज्ञापन सौंपने की मांग कर रहे थे। इस दौरान किसी ने कुलपति को अपशब्द कह दिए। इस पर ईसी मेंबर सत्यपाल सिंह सिकरवार ने विरोध किया तो दोनों पक्षों में कहासुनी हो गई।

वहीं मौजूद कुलसचिव ने मामला शांत किया। इसके बाद जेयू के उपाध्यक्ष रोहित दांतरे ने कुलसचिव प्रो. आनंद मिश्रा को ज्ञापन सौंपकर चीफ वार्डन को हटाने की मांग की। छात्र नेता ने आरोप लगाया कि तीन दिन पहले हॉस्टल की समस्या को लेकर छात्र कुलपति को ज्ञापन देने गया था।

कुलपति के नाम सौंपा ज्ञापन

छात्र संगठन ने जेयू के हॉस्टल चीफ वार्डन प्रो. एपीएस चौहान को हटाने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन कुलपति को दे दिया गया है। वार्डन के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार कुलपति के पास है।
प्रो. आनंद मिश्रा, कुलसचिव, जेयू


मैंने छात्रों को नहीं धमकाया

किसी भी छात्र को कुलपति कार्यालय में मैंने नहीं धमकाया। तीन दिन पहले कुलपति को ज्ञापन देने आए विधि छात्र से मैंने इतना पूछा था कि जिन हॉस्टल की समस्या उठा रहे हो उसमें रहते हो या नहीं। 
प्रो. एपीएस चौहान, हॉस्टल चीफ वार्डन, जेयू

आयुर्वेद कॉलेज के विद्यार्थियों ने शनिवार को दो माह से बढ़ा हुआ स्टाइपेंड नहीं मिलने पर कॉलेज में हड़ताल कर दी। विद्यार्थियों ने कक्षाओं का बहिष्कार कर काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया। जूनियर आयुष डॉक्टरों ने प्राचार्य का घेराव कर चार सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। छात्रों ने प्रदर्शन के दौरान आयुर्वेद हॉस्पिटल की ओपीडी भी बंद करा दी। 

एकेडमी ऑफ आयुर्वेद के संभागीय अध्यक्ष डॉ. विवेक शर्मा के नेतृत्व में जूनियर आयुष डॉक्टरों ने प्राचार्य डॉ. केके खरे को ज्ञापन सौंपकर मांग की, कि बढ़ा हुआ स्टाइपेंड उन्हें दिलाने के लिए आदेश जारी किए जाएं। 

इसके साथ ही इंटर्न आयुष डॉक्टरों ने मांग की, कि विभिन्न आयुर्वेद परीक्षाएं जैसे एनआरएचएम और एमपी पीएससी आयुर्वेद में इंटर्न डॉक्टरों को भाग लेने की अनुमति दी जाए। 

एनआरएचएम में प्रवेश लिखित परीक्षा के आधार पर किया जाना चाहिए। साथ ही छात्रों ने एमपी पीएससी और एमपी पीजी आयुर्वेद की परीक्षाएं नियमित रूप से कराए जाने की मांग की। 

दो महीने पहले प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री महेंद्र हार्डिया ने स्टाइपेंड की राशि 2500 से बढ़ाकर 5000 रुपए करने की घोषणा की थी। लेकिन कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि उन्हें राज्य शासन की ओर से इसके लिए कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है। 

शाम को किया आदेश जारी 

बढ़े हुए स्टाइपेंड को लेकर शनिवार की शाम स्वास्थ्य विभाग ने आदेश जारी कर दिए हैं। अब से छात्रों को बढ़ा हुआ स्टाइपेंड 5000 रुपए मिलेगा। जहां तक एनआरएचएम और एमपी पीएससी (आयुर्वेद) में इंटर्न डॉक्टरों को बैठने की अनुमति देने और प्रवेश प्रक्रिया में बदलाव का सवाल है तो यह शासन स्तर का मसला है। इसमे मैं कुछ नहीं कर सकता इसलिए राज्य शासन को जूनियर डॉक्टरों का मांगपत्र फॉरवर्ड कर दिया है।
डॉ. केके खरे, प्राचार्य आयुर्वेद कॉलेज ग्वालियर(दैनिक भास्कर,ग्वालियर,24.7.11)।

कोटाःबीटेक स्टूडेंट्स कर रहे हैं प्रोग्रामिंग से अंकों में हेराफेरी!

Posted: 23 Jul 2011 07:29 PM PDT

राज्य में कुछ प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों के छात्रों द्वारा कंप्यूटर प्रोग्रामिंग से प्राप्तांकों में हेराफेरी करने का मामला सामने आया है। नाम न छापने की शर्त पर जयपुर के कुछ बीटेक छात्रों ने बताया कि कंप्यूटर साइंस के स्टूडेंट्स रिजल्ट घोषित होने के बाद उसे वेबसाइट से डाउनलोड करके एचटीएमएल पेज को संशोधित (एडिट) करके विषयों के प्राप्तांकों में फेरबदल कर लेते हैं। फिर इसका प्रिंट निकालकर स्वयं को पास दिखा देते हैं। यह प्रिंट ओरिजनल मार्कशीट की तरह दिखता है, इतनी ही नहीं स्टूडेंट परीक्षा नियंत्रक की सील और हस्ताक्षर को भी एडिट करके स्केन कर लेते हैं।

राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी के परीक्षा विभाग में इसका तब चला जब पिछले दिनों बीटेक में फेल हुए एक स्टूडेंट ने वेबसाइट से डाउनलोड किए रिजल्ट में स्वयं को पास दिखाकर यूनिवर्सिटी की मार्कशीट को गलत ठहराने की कोशिश की। परीक्षा विभाग ने ओरिजनल टेबुलेशन रजिस्टर (टीआर) के मूल डाटा से अंकों का मिलान किया तो यह स्टूडेंट फेल पाया गया। इसके बाद परीक्षा विभाग हरकत में आ गया और एक-एक छात्र की मार्कशीट में प्राप्तांकों को ओरिजनल टीआर से बारीकी से चैक किया जाने लगा। छात्रों को माइग्रेशन सर्टिफिकेट जारी करते समय मार्कशीट की जांच करने से अंकों में हेरफेर का पकड़ में आ सकती है(दैनिक भास्कर,कोटा,24.7.11)।

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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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