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Saturday, September 24, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/9/20
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


हरियाणाःसमग्र मूल्यांकन में उलझे अधिकारी व अध्यापक

Posted: 19 Sep 2011 05:20 AM PDT

शिक्षा विभाग द्वारा मिडिल कक्षाओं में परीक्षा बंद कर शुरू किए गए सतत समग्र मूल्यांकन के संबंध में अधिकारी व अध्यापक असमंजस में हैं। हालांकि प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाएं सिर पर हैं लेकिन अभी तक अध्यापकों को सही तरह से पता नहीं चल पाया है कि मूल्यांकन कैसे किया जाए। शिक्षा विभाग के आदेशानुसार इस बार बच्चे के सर्वागीण विकास में सहायक सभी पहलुओं का मूल्यांकन कर उसे ग्रेड दिया जाना है ताकि उसकी क्षमता का सही पता चल सके। इसके तहत अध्यापक को बच्चे के प्रवेश से लेकर अब तक उसकी खेल प्रतिभा, परीक्षा, रुचि, थ्योरी, प्रायोगिक, एनएसएस, एनसीसी, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ सेवा भावना, अनुशासन व नियमितता का पूरा रिकार्ड रखना था। शायद ही किसी अध्यापक ने पूरा रिकार्ड रखा हो। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि छह माह बीतने के बावजूद अभी तक विभाग की तरफ से कोई स्पष्ट आदेश नहीं आया है कि मूल्यांकन का आधार क्या बनाया जाए। बच्चों को ग्रेड किस आधार पर व कैसे देना है। सतत समग्र मूल्यांकन के लिए जिले में कोई प्रशिक्षण शिविर भी नहीं लगाया गया है। 

मूल्यांकन में सभी गतिविधियों का रखें ध्यान : 
डीईईओ जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी दर्शना देवी ने बताया कि सतत समग्र मूल्यांकन बच्चे के लिए बहुत जरूरी है। इससे बच्चे की पूरी जानकारी मिलने से उसका समग्र विकास कराया जा सकेगा(नरेश पंवार,दैनिक जागरण,कैथल,19.9.11)।

हरियाणाःजेबीटी शिक्षकों को एरियर का इंतजार

Posted: 19 Sep 2011 05:18 AM PDT

प्रदेशभर के 6500 जेबीटी शिक्षकों को अब भी एरियर सहित अन्य लाभों के मिलने का इंतजार है। हाईकोर्ट के दो माह में सभी बकाया देने के आदेश की समय सीमा रविवार को समाप्त हो गई, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। गौरतलब है कि वर्ष 2004 में जिला परिषद के तहत 6500 जेबीटी शिक्षक नियुक्त किए गए थे। बाद में तत्कालीन प्रदेश सरकार ने इन शिक्षकों को शिक्षा विभाग में समायोजित करने और 10 अगस्त 2005 से नियमित करने का फैसला किया। शिक्षक राजपाल, राजबीर और अन्य ने एरियर तथा अन्य लाभों के लिए हाईकोर्ट का सहारा लिया। मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने वर्ष 2009 में सरकार को सभी लाभ देने का आदेश जारी कर दिया। इस पर सरकार ने एक आर्डर जारी कर सभी लाभ देने की बात कही, लेकिन पांच दिन बाद ही इसे रद कर दिया। पीडि़त शिक्षकों ने वर्ष 2010 में हाईकोर्ट में अवमानना याचिका डाल दी। 18 जुलाई 2011 को डिप्टी एडवोकेट जरनल ने सुनवाई के दौरान कोर्ट में शपथपत्र देकर एरियर व अन्य लाभ देने की बात कही(दैनिक जागरण,जींद,19.9.11)।

यूपीःडिग्री कॉलेज भी जूझ रहे हैं शिक्षकों की कमी से

Posted: 19 Sep 2011 05:15 AM PDT

पढ़ाई का स्तर बढ़ाने का भगीरथ प्रयास फिलहाल सफल होता नहीं दिखायी दे रहा है। एक तरफ हर साल प्रवेश के दौरान 20 फीसद अतिरिक्त सीटों का इजाफा कर दिया जाता है और दूसरी तरफ शिक्षकों का टोटा छात्रों के भविष्य पर पानी फेरने को आतुर है। आंकड़े गवाह हैं सूबे के सरकारी व एडेड डिग्री कालेज भी विश्वविद्यालयों की राह पर हैं। प्रदेश के 978 डिग्री कालेजों में शिक्षकों के सृजित पदों में एक तिहाई से लेकर एक चौथाई पद आज भी तैनाती के इंतजार में हैं। राजकीय डिग्री कालेज तो शिक्षकों की कमी के मामले में सहायता प्राप्त डिग्री कालेजों से भी चार कदम आगे हैं। इन पदों को भरनेमें शासन और आयोग दोनों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। प्रदेश की राजधानी में शिक्षकों की कमी पर न जर डालें तो यहां 20 अनुदानित महाविद्यालयों में एक केकेसी में सबसे ज्यादा 44 शिक्षकों के पद रिक्त हैं, तो केकेवी में इनकी संख्या भी 10 के पार हो चुकी है। कमोबेश यही स्थिति दूसरे डिग्री कालेजों की भी है। राजधानी में राजकीय डिग्री कालेजों की संख्या चार है। इनमें तीन डिग्री कालेज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के हैं, लेकिन इन महाविद्यालयों में भी शिक्षकों के एक तिहाई पद खाली हैं। इन पदों को भरने के लिए शासन ने कई बार कयायद की, लेकिन हर बार नियुक्तियों में अड़गा लग गया। राजधानी के बाद आइये, सूबे की उच्च शिक्षा पर भी नजर डाल लें। प्रदेश में 850 एडेड डिग्री कालेज और 128 राजकीय डिग्री कालेज हैं। एडेड डिग्री कालेजों में शिक्षकों के 10,700 पद सृजित हैं। इनमें तकरीबन 2,400 सौ पद खाली हैं। इन पदों पर नियुक्ति अभी तक नहीं हो सकी है। बात करें राजकीय डिग्री कालेजों की तो प्रदेश के 128 राजकीय डिग्री कालेजों में 3,000 के आसपास शिक्षकों के पद सृजित हैं, लेकिन एक हजार से ज्यादा पद खाली हैं। राजकीय डिग्री कालेजों में भी कई विभाग एकल शिक्षक के भरोसे पर हैं तो शारीरिक शिक्षा के प्रवक्ता पढ़ाई के बगैर ही तनख्वाह ले रहे हैं। डिग्री कालेजों में शिक्षकों की कमी से सूबे की उच्च शिक्षा में गुणवत्ता तो दूर, पढ़ाई भी नहीं हो पा रही है। महाविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्तियों के लिए दो अलग-अलग सोर्स हैं। एडेड डिग्री कालेजों में उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग से शिक्षक चयनित होते हैं, लेकिन राजकीय डिग्री कालेजों में शिक्षकों का चयन राज्य लोक सेवा आयोग से होता है। दोनों स्तरों से नियुक्तियां नहीं हो पा रही हैं और आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया में भी बदलाव होने से शिक्षकों के चयन पर काली छाया और भी गहरा सकती है(कमल तिवारी,राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,19.9.11)।

दिल्लीःछात्रों के अनुपात में आधे हैं शारीरिक शिक्षक

Posted: 19 Sep 2011 05:13 AM PDT

आज कल हर कोई अपने बच्चों को पढ़ाई के साथ खेलकूद में भी आगे देखना चाहता है, लेकिन राजकीय स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र खेलकूद में निजी स्कूलों के छात्रों से टक्कर नहीं ले पा रहे हैं। कारण कोई और नहीं, राजकीय स्कूलों में छात्रों के अनुपात में शारीरिक शिक्षा शिक्षक (पीईटी) का अभाव है। स्थिति यह है कि राजधानी के 949 राजकीय स्कूलों में महज 1,014 शारीरिक शिक्षा शिक्षक तैनात हैं। इनकी संख्या छात्रों के अनुपात के हिसाब से कम से कम दोगुनी होनी चाहिए थी। राजधानी में कुल 949 राजकीय स्कूल हैं। एक-एक स्कूल में दो-दो हजार से अधिक छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। उन पर एक-एक शारीरिक शिक्षा शिक्षक (पीईटी) को छात्रों की खेल गतिविधियों का जिम्मा है। कई सहशिक्षा विद्यालय में जरूर छात्र एवं छात्राओं के लिए अलग-अलग महिला और पुरुष शारीरिक शिक्षा शिक्षक भी हैं, लेकिन वे भी हर स्कूल में नहीं हैं। वास्तविकता यह है कि एक शारीरिक शिक्षा शिक्षक एक साथ इतने बच्चों का बोझ उठाने में सक्षम नहीं है। यही कारण है कि एक शारीरिक शिक्षक स्कूल के इतने छात्रों की खेलकूद गतिविधियां ही नहीं करा पा रहे हैं। कुछ स्कूलों में शारीरिक शिक्षा शिक्षकों के पद ही खाली पड़े हैं, तो बालिका विद्यालय में महिला शारीरिक शिक्षा शिक्षक ही नहीं है। पूर्वी दिल्ली में कुल 108 राजकीय स्कूलों में सिर्फ 96 स्कूलों में शारीरिक शिक्षा शिक्षक हैं। उत्तरी पूर्वी जिले के 120 स्कूलों में सिर्फ 105 स्कूलों में शारीरिक शिक्षा शिक्षक पदस्थ हैं। दूसरे जिलों का हाल भी कुछ ठीक नहीं है। उत्तरी जिले के 58 स्कूलों में 69 शारीरिक शिक्षा शिक्षक नियुक्त हैं। उत्तरी पश्चिमी ए जिले के 103 स्कूलों में 115, उत्तरी पश्चिम बी जिले के 117 स्कूलों में 138, पश्चिम ए जिले के 57 स्कूलों में 65, पश्चिम बी जिले के 70 स्कूलों में 84, दक्षिण पश्चिम ए जिले के 45 स्कूलों में 55, दक्षिण पश्चिम बी जिले के 83 स्कूलों में 104 स्कूलों के पास ही शारीरिक शिक्षा शिक्षक हैं। दक्षिण जिले के 142 स्कूलों में 133, नई दिल्ली जिले के 5 स्कूलों में 8 एवं मध्य जिले के 41 स्कूलों में 42 स्कूलों में ही शारीरिक शिक्षा शिक्षक हैं। शारीरिक शिक्षा शिक्षक के पदों को बढ़ाने के लिए कई बार पीईटी शिक्षक विभाग से गुहार लगा चुके हैं। उत्तरी पूर्वी जिले के उपशिक्षा निदेशक कार्यालय के शिक्षा अधिकारी का कहना है कि स्कूलों में छात्रों की संख्या क्षमता से कहीं अधिक है, जिनका जिम्मा एक शारीरिक शिक्षा शिक्षक नहीं उठा सकता है(दैनिक जागरण,दिल्ली,19.9.11)।

आंध्र मॉडल पर मुस्लिमों को आरक्षण देने की केंद्र की तैयारी

Posted: 19 Sep 2011 05:00 AM PDT

आंध्र प्रदेश की तर्ज पर केंद्र सरकार मुस्लिमों को आरक्षण देने की तैयारी कर रही है। यह जानकारी देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने रविवार को हैदराबाद में कहा कि केंद्र मुसलमानों को आरक्षण देने पर विचार कर रहा है जिसके लिए मौजूदा कानून में कुछ बदलाव करने पड़ सकते हैं। उन्होंने कहा, हमें इस संबंध में कानून में कुछ बदलाव करने पड़ सकते हैं। हम उस तर्ज पर आरक्षण देना चाहते हैं जिस तरह आंध्र प्रदेश पहले ही कर चुका है इसलिए हम आंध्र के मॉडल का करीब से अध्ययन करेंगे। खुर्शीद ने यहां आयोजित समारोह से इतर कहा कि ओबीसी आयोग मुस्लिमों को भी आरक्षण के प्रतिशत पर फैसला करने के लिए सर्वेक्षण कर सकता है। उन्होंने संकेत दिया कि इस प्रक्रिया में थोड़ा समय लग सकता है। इसके अनेक पहलुओं का अध्ययन किया जा रहा है। खुर्शीद ने कहा, अलग-अलग आरक्षण होंगे। मुझे नहीं पता कि यह विधेयक के जरिये होगा या नहीं। इसके लिए एक और विधेयक लाना जरूरी नहीं है। सरकारी अधिसूचना के माध्यम से ऐसा किया जा सकता है। हम इस सबके बारे में अध्ययन करा रहे हैं। 

अल्पसंख्यकों की योजनाओं के तत्काल आकलन का आदेश 
अल्पसंख्यकों के लिहाज से सरकारी योजनाओं का लाभ सही लोगों तक नहीं पहुंचने की शिकायतों के बीच प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने इन कार्यक्रमों के प्रभाव का आकलन करने के लिए तत्काल अध्ययन करने और उन कमियों का पता लगाने का आदेश दिया है जिन्हें अगले साल शुरू हो रही 12वीं पंचवर्षीय योजना में सुधारा जा सके। सूत्रों ने रविवार को कहा कि पीएमओ ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को दो माह के भीतर इस बात का अध्ययन करने का निर्देश दिया है कि सच्चर समिति की सिफारिशों के आधार पर शुरू किए गए बहुक्षेत्रीय विकास कार्यक्रमों ने देश के 90 चिन्हित जिलों में किस हद तक अल्पसंख्यकों की दशा में सुधार किया है। कम से कम आंकड़ों के मामले में तत्काल आकलन का आदेश दिया गया है ताकि अल्पसंख्यकों के उत्थान के संबंध में भविष्य की कार्रवाई को अगली योजना में जोड़ा जा सके। इससे पहले लक्षित समूह तक योजनाओं का लाभ नहीं पहुंचने की शिकायतें आ रहीं हैं(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,19.8.11)।

ग्वालियरःपरीक्षा से वंचित छात्रों ने लूटे समोसे

Posted: 19 Sep 2011 04:34 AM PDT

राष्ट्रीयकृत बैंकों में प्रोबेशनरी ऑफिसर (पीओ) पद की भर्ती के लिए रविवार को आयोजित परीक्षा में शामिल होने से लगभग एक हजार परीक्षार्थी वंचित कर दिए गए। इन परीक्षार्थियों को कुछ देर से पहुंचने या दस्तावेज पूरे नहीं लाने के कारण परीक्षा केंद्रों में प्रवेश नहीं करने दिया गया। आक्रोशित परीक्षार्थियों ने इस पर जमकर हंगामा किया। एसएलपी कॉलेज के सामने चक्का जाम कर दिया। कुछ देर में पुलिस बुलाई ली गई जिसने बल प्रयोग कर परीक्षार्थियों को हटा दिया।

इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सेलेक्शन (आईबीपीएस) की ओर से 19 राष्ट्रीयकृत बैंकों में पीओ पद के लिए आयोजित संयुक्त परीक्षा के लिए शहर में 17 केन्द्र बनाए गए थे। परीक्षा में लगभग 10 हजार परीक्षार्थियों को शामिल होना था। इसका सुबह 9:30 बजे से 1:15 बजे तक रखा गया था। परीक्षार्थियों को केन्द्र पर सुबह नौ बजे रिपोर्टिग का समय दिया गया था। अधिकांश परीक्षार्थी केन्द्र पर समय से पहले पहुंच गए थे लेकिन कई 5-10 मिनट लेट पहुंचे। परीक्षार्थियों को आईडी प्रूफ, बैंक चालान की रसीद, एक फोटो साथ लाने को कहा गया था।


कई परीक्षार्थी ये दस्तावेज लेकर तो पहुंचे लेकिन इनकी फोटोकापी नहीं लाए थे। इस कारण उन्हें भी परीक्षा में शामिल होने की अनुमति नहीं मिली। इस पर केआरजी कॉलेज, आदर्श विज्ञान कॉलेज, जीवाजी राव स्कूल, कृषि कॉलेज व अन्य केन्द्रों में परीक्षार्थियों ने हंगामा कर दिया। जीवाजी राव स्कूल के सामने तो उन्होंने चक्का जाम कर दिया। स्थिति नियंत्रित करने के लिए पुलिस बुला ली गई। पुलिस ने बल प्रयोग कर चक्का जाम खुलवाया। इस केंद्र पर पहुंचे सिटी मजिस्ट्रेट अजयदेव शर्मा और सीएसपी झांसी रोड प्रदीप पटेल ने परीक्षार्थियों का शिकायती आवेदन लेकर जांच का आश्वासन दिया।

परीक्षार्थियों ने लूटे समोसे

एसएलपी कॉलेज में लगभग एक सैकड़ा छात्र परीक्षा देने से वंचित कर दिए गए। परीक्षार्थियों का कहना था कि वे 9:10 बजे के पहले पहुंच गए थे फिर भी उन्हें शामिल नहीं किया गया। परीक्षा केंद्र में तैनात आईबीपीएस पर्यवेक्षकों का कहना था कि छात्र लेट आए थे, कुछ के पास न तो आईडी प्रूफ था और न ही बैंक चालान रसीद। बार-बार आग्रह के बाद भी परीक्षार्थियों को परीक्षा केन्द्र में जाने की अनुमति नहीं मिली तो उन्होंने शिक्षकों के लिए नाश्ता ले जा रहे एक कर्मचारी को रोक लिया और उससे समोसे छीन लिए। इस पर पुलिस ने परीक्षार्थियों को हटाकर दूर किया तो कर्मचारी अंदर जा सका।

केआरजी में 50 परीक्षार्थी हुए वंचित 
केआरजी कॉलेज केन्द्र पर 650 परीक्षार्थियों में से 50 को दस्तावेजों में कमी होने के कारण परीक्षा देने से वंचित कर दिया गया। कुछ परीक्षार्थियों के पास पास आईडी प्रूफ तो था लेकिन वे मूलप्रति लेकर नहीं आए थे(दैनिक भास्कर,ग्वालियर,19.9.11)।

अनुसंधान की चाह में मददगार बना इग्नू

Posted: 19 Sep 2011 04:29 AM PDT

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) रिसर्च और शिक्षण क्षेत्र में काम करने के इच्छुक युवाओं को अब स्कॉलरशिप का लाभ देने जा रहा है। प्रथम श्रेणी में पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों को तीन साल के लिए दी जाने वाली इस सहायता के तहत उन्हें 18 से 20 हजार रुपये मासिक फै लोशिप प्रदान की जाएगी। विवि कुलपति प्रो. वीएन राजशेखरन पिल्लई के मुताबिक बेहतर क्षमताओं वाले युवाओं के लिए प्रदान की जाने वाली रिसर्च एंड टीचिंग अस्सिटेंटशिप प्रोग्राम की शुरुआत की गई है, जिसके तहत उन्हें पीएचडी प्रोग्राम के साथ-साथ कम से कम आठ घंटे प्रति सप्ताह टीचिंग से जुड़े काम में जुटना होगा। इस स्कॉलरशिप का लाभ पाने के लिए आवेदक का कम से कम 60 फीसदी अंकों के साथ पोस्टग्रेजुएट होना जरूरी है। इसके अलावा उसकी आयु 25 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। आयु का निर्धारण 30 सितंबर, 2011 के आधार पर किया जाएगा। अनुसूचित जाति/जनजाति/शारीरिक रूप से विकलांग श्रेणी के उम्मीदवारों को आयुसीमा में पांच साल की राहत दी जाएगी। आवेदन की अंतिम तिथि 10 अक्टूबर, 2011 है और आवेदन सीधे डायरेक्टर रिसर्च यूनिट, इग्नू के पास करना होगा। इस स्कॉलरशिप के तहत चुने गए युवाओं को 18 हजार रुपये प्रति माह की दर से सहायता राशि प्रदान की जाएगी। तीन साल के लिए मिलने वाली इस सहायता का वार्षिक आधार पर रिव्यू भी होगा अंतिम यानी तीसरे वर्ष में छात्र के प्रदर्शन को देखते हुए उसको मिलने वाली सहायता राशि बढ़ाकर 20 हजार रुपये प्रतिमाह कर दी जाएगी(दैनिक भास्कर,दिल्ली,19.9.11)।

डीयू का सत्यवती कॉलेजःखेल कोटे में फर्जीवाड़ा, जल्द चलेगा आयोग का चाबुक

Posted: 19 Sep 2011 01:16 AM PDT

सत्यवती कॉलेज का मामला 44 में से 40 दाखिलों का फर्जीवाड़ा उजागर होने के साथ सुर्खियों में आए सत्यवती कॉलेज के स्पोर्ट्स कोटे के दाखिलों पर कार्रवाई का चाबुक लगना तय है।

कॉलेज प्रबंध समिति ने सर्वसम्मति से फर्जीवाड़े के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करने के लिए जांच कमीशन का गठन किया है। एक सदस्यीय इस जांच कमीशन की जिम्मेदारी दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एसके महाजन को सौंपी गई है।

याद रहे कि सत्यवती प्रात: कॉलेज में सत्र 2010-11 के लिए हुए खेल कोटे के दाखिलों की पहली सूची आने पर आवेदक छात्रों ने कॉलेज की ग्रीवांस कमेटी से गड़बड़ी की शिकायत की थी। यह शिकायत कबड्डी से जुड़ी थी लेकिन जब कॉलेज स्तर पर मामले की जांच हुई तो पता चला कि कि 44 में से 40 दाखिले गलत है।


जांच रिपोर्ट के अनुसार 44 विद्यार्थियों की दाखिला सूची में से चार बच्चों का ट्रायल और उनको दिए गए अंक सही थे, जिसमें टेबल टेनिस में-1, कुश्ती में-2 और आर्च री में 1 विद्यार्थी शामिल है। बस फिर क्या था समूची दाखिला प्रक्रिया को रोक दिया गया और जब छात्र इसके खिलाफ उच्च न्यायालय पहुंचे तो न्यायालय के आदेश पर दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने 7 व 8 सितम्बर को सेंट्रलाइज्ड ट्रायल का आयोजन कर नए छात्रों का चुनाव किया।

सेंट्रलाइज्ड ट्रायल के बाद 23 योग्य छात्रों की सूची जारी हुई। इसमें 18 उन छात्रों को मौका मिला है, जिनके नाम फर्जीवाड़े के तहत तैयार 44 छात्रों की दाखिला सूची में भी थे। जबकि पांच ऐसे छात्र भी सेंट्रलाइज्ड ट्रायल में सफल हुए,जिन्हें कॉलेज की ओर से अंजाम दी गई दाखिला प्रक्रिया में बाहर कर दिया गया था।

सेंट्रलाइज्ड ट्रायल में उन्हीं 198 आवेदकों का मौका दिया गया था जिन्होंने कॉलेज की ओर से कराये गए ट्रायल में हिस्सा लिया था। इस तरह दाखिलों के बाद अब जांच की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और जिस तरह से प्रबंध समिति ने जांच कमीशन का गठन किया है उससे साफ हो जाता है कि दोषियों का बच पाना मुश्किल होगा(दैनिक भास्कर,दिल्ली,19.9.11)।

छत्तीसगढ़ःसरकारी शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों के ट्यूशन लेने पर लगा प्रतिबंध

Posted: 19 Sep 2011 01:10 AM PDT

राज्य में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के ट्यूशन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने राज्य में स्कूली शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए यह कड़ा निर्णय लिया है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि ट्यूशन करने वाले शिक्षक स्कूलों में पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते और उनका पूरा ध्यान छात्रों को अपने यहां ट्यूशन के लिए खींचने पर लगा रहता है।

प्रदेश के विभिन्न स्थानों से लगातार राज्य सरकार के पास शिकायतें पहुंच रही थीं कि सरकारी शिक्षक स्कूलों के बजाय अपना पूरा ध्यान ट्यूशन पर लगा रहे हैं। इस तरह की शिकायत कमोबेश सभी जिलों से सरकार के पास पहुंची है। स्कूल शिक्षा मंत्री ने इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए तत्काल प्रभाव से सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के निजी ट्यूशन पर रोक लगा दी। आदेश के दायरे में न केवल शिक्षक होंगे बल्कि शिक्षाकर्मियों को भी शामिल किया गया है। शिक्षा कर्मी भी निजी ट्यूशन नहीं कर पाएंगे।


प्रारंभिक शिक्षा के लिए किसी भी स्कूल द्वारा केपिटेशन फीस लेने पर भी रोक लगा दी गई है। अगर कोई संस्थान इस तरह की फीस लेता है उस पर उस फीस का 10 गुना अर्थदंड लगाया जाएगा।
राज्य में अब प्राथमिक शिक्षा में बोर्ड परीक्षा नहीं 

शिक्षा के अधिकार कानून के तहत राज्य में अब प्राथमिक शिक्षा स्तर पर किसी भी प्रकार की बोर्ड परीक्षा नहीं होगी। प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने पर प्रत्येक छात्र-छात्रा को राज्य शासन निर्धारित प्रमाण पत्र दिए जाएंगे। प्रारंभिक शिक्षा के लिए संचालित विद्यालय में छात्र-छात्रा को न तो कक्षा में रोका जाएगा और ही उसे निकाला जा सकेगा। शारीरिक दंड या मानसिक उत्पीड़न की शिकायत मिलने पर संबंधित स्कूल के संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

किस विषय में ट्यूशन 
राज्य में स्कूली शिक्षा में कामर्स, गणित, अंग्रेजी, साइंस के विषयों के शिक्षक सबसे अधिक ट्यूशन करते हैं। शिक्षकों के यहां सुबह से ट्यूशन की कक्षाएं लगने लगती हैं। देर रात तक ये बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते हैं। इस प्रतिबंध को लागू करना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगा। ट्यूशन को रोकने के लिए इससे पहले भी कई बार प्रयास हुए, लेकिन हर बार ये कागजों तक की सीमित होकर रह गए। ट्यूशन की शिकायत किस तरह से और कहां होगी, कौन कार्रवाई करेगा, इस तरह की पूरी व्यवस्था शिक्षा विभाग को करनी होगी।

सीधी कार्रवाई होगी
स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि अभी यह प्रतिबंध प्राइमरी और मिडिल स्कूलों के शिक्षकों के लिए लगाया गया है। हाईस्कूल के शिक्षकों को भी ट्यूशन के लिए छूट नहीं दी जाएगी। राज्य शासन ने सभी जिलों में ऐसे शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए हैं(दैनिक भास्कर,रायपुर,19.9.11)।

राजस्थानःवित्त विभाग में अटकीं हैं 8946 अध्यापकों की नियुक्तियां

Posted: 19 Sep 2011 01:04 AM PDT

राज्य की माध्यमिक शिक्षा में 8946 विषय अध्यापकों की नियुक्तियां वित्त विभाग में अटकी हुई हैं। चयनित अभ्यर्थी पिछले छह महीने से नियुक्ति के लिए निदेशालय के चक्कर लगा रहे हैं। माध्यमिक शिक्षा में हिन्दी, अंग्रेजी, सामाजिक, गणित, विज्ञान, उर्दू, संस्कृत, पंजाबी, गुजराती और सिंधी विषय के सैकेंड ग्रेड शिक्षकों की नियुक्तियां होनी हैं।

सिंधी विषय के अध्यापकों की नियुक्तियों के लिए फार्म उपनिदेशकों को भेजे जा चुके हैं। अन्य विषयों के फार्मो का निदेशालय के समिति कक्ष में अंबार लगा हुआ है। कुछ फार्म अब भी आयोग के पास हैं। उधर, नियुक्तियों की फाइल वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति के लिए राज्य सरकार के पास लंबित है। वित्त विभाग से अब तक 8946 पदों की वित्तीय स्वीकृति नहीं मिली है।

माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति के लिए राज्य सरकार और शेष चयनित अभ्यर्थियों के फार्म शीघ्र भेजने के लिए आयोग को पत्र लिखे हैं। करीब तीन हजार विषय अध्यापकों के फार्म अब भी आयोग के पास लंबित बताए जा रहे हैं।


इधर, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में इन दिनों अभ्यर्थियों की वरीयता निर्धारण का काम चल रहा है। यह प्रक्रिया अब अंतिम दौर में है। अभ्यर्थियों के फार्म संबंधित मंडल उपनिदेशकों को भेजे जाएंगे लेकिन नियुक्ति आदेश प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति मिलने के बाद जारी होंगे(दैनिक भास्कर,बीकानेर-जोधपुर,19.9.11)।

पंजाब के डेंटल कालेजों पर गिर सकती है गाज!

Posted: 19 Sep 2011 01:03 AM PDT

राज्य के डेंटल कॉलेज पटियाला, अमृतसर, फरीदकोट में डीसीआई की टीम औचक निरीक्षण कर सकती है। डेंटल काउंसिल आफ इंडिया की एक्जीक्यूटिव कमेटी ने डेंटल कालेजों को इस संबंधी पत्र लिख दिया है।

डीसीआई ने कालेजों को बिल्डिंग, क्षेत्र, योग्य टीचिंग स्टाफ, उपकरण, डेंटल चेयर्स, क्लीनिकल मटीरियल, मरीज व उनका रिकार्ड व इंफ्रास्ट्रक्चर सही करने को कहा है। पत्र में कहा गया है कि यदि कालेजों में उक्त सुविधाओं में कोई कमी पाई जाती है, तो डीसीआई काउंसिल इसकी जांच करवाएगा व इनमें कमी सामने आने पर डेंटल कालेज के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की जाएगी।


वर्ष 2010 में डेंटल कालेज पटियाला, अमृतसर व फरीदकोट के निरीक्षण में डीसीआई ने डेंटल टीचरों की भारी कमी पाई थी। इस पर सरकार ने डेंटल टीचरों की कमी दूर करने की बात कही। डेंटल कालेज पटियाला की प्रिंसिपल डॉ. विपिन भारती ने बताया कि नार्म्स के मुताबिक कमी को पूरा किया जा रहा है। 

डेंटल कालेजों में इस समय 50 फीसदी से अधिक टीचरों के पद खाली हैं। मेडिकल एंड डेंटल टीचर एसोसिएशन पंजाब के प्रधान प्रोफेसर डॉ. जेपीएस वालिया व महासचिव डॉ. गुरमीत सिंह ने बताया कि मेडिकल कालेजों में करीब 25 जबकि डेंटल कालेजों में 50 फीसदी से अधिक टीचरों के पद खाली पड़े हैं(दैनिक भास्कर,पटियाला,19.9.11)।

मुस्लिम आरक्षण पर माया को केंद्र को आईना

Posted: 19 Sep 2011 12:57 AM PDT

केंद्र सरकार ने मुस्लिमों को आबादी के हिसाब से आरक्षण दिलाने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखने वाली मायावती को अपने आंकड़ों के जरिये आईना दिखा दिया है। केंद्र के आंकड़े बताते हैं कि तीन साल में पर्याप्त धन के बावजूद यूपी सरकार अल्पसंख्यकों का विकास नहीं कर सकी। कई ऐसी जगहों पर केंद्रीय परियोजनाओं की मंजूरी दे डाली, जहां अल्पसंख्यकों की पर्याप्त आबादी ही नहीं है। इन्हीं आंकड़ों के बूते अब केंद्र सरकार अल्पसंख्यक मोर्चे पर मायावती को घेर रही है। देश में सबसे ज्यादा 21 अल्पसंख्यक बहुल जिले यूपी में हैं। केंद्र के बहुक्षेत्रीय विकास कार्यक्रम के तहत उन जिलों में सड़क, पेयजल, स्कूल, आइटीआइ समेत दूसरे कार्य कराये जाते हैं। सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश सरकार ने इस कार्यक्रम के तहत बीते तीन साल में मिले धन में से कभी पूरा नहीं खर्च किया। जून तक सरकार केंद्र से मिले धन में 356 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं हुए। जिन जिलों में धन खर्च में ज्यादा कोताही हुई उसमें बहराइच, गाजियाबाद, मुरादाबाद, बहराइच, शाहजहांपुर, बागपत, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर, बरेली व बाराबंकी जैसे अल्पसंख्यक बहुल जिले शामिल हैं। अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में विकास कार्यो के लिए वहां कम से कम 25 फीसदी अल्पसंख्यक आबादी का होना जरूरी है। प्रदेश सरकार ने बरेली, जेपीनगर, बहराइच, सहारनपुर, बुलंदशहर, मेरठ, श्रावस्ती और मुजफ्फरनगर में कई ऐसे क्षेत्रों में राजकीय इंटर कालेज, पालिटेक्निक व हॉस्टल जैसी परियोजनाओं को मंजूरी दे दी, जहां मापदंड के लिहाज से अल्पसंख्यक आबादी नहीं थी। हालांकि केंद्र की आपत्ति के बाद राज्य सरकार ने स्पष्टीकरण दे दिया है। दरअसल अल्पसंख्यकों की बेहतरी के लिए चलाई जा रही सभी केंद्रीय योजनाओं की पीएमओ हर तिमाही समीक्षा करता है। अगस्त के अंतिम हफ्ते में हुई समीक्षा में यूपी में अल्पसंख्यक विकास के धीमे कामकाज पर सवाल उठा था। उसके बाद ही केंद्र ने अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के एक अधिकारी को हकीकत जानने उत्तर प्रदेश भेजा था। सूत्रों की मानें तो प्रदेश शासन में अल्पसंख्यक कार्य विभाग में नियमित सचिव या प्रमुख सचिव न होने से कामकाज पर असर पड़ता रहा है(राजकेश्वर सिंह,दैनिक जागरण,दिल्ली,19.8.11)।
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Palash Biswas
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