Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti basu is DEAD

Jyoti Basu: The pragmatist

Dr.B.R. Ambedkar

Memories of Another Day

Memories of Another Day
While my Parents Pulin Babu and basanti Devi were living

"The Day India Burned"--A Documentary On Partition Part-1/9

Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Wednesday, February 1, 2012

भवाली अल्मोड़ा राजमार्ग का विकल्प है कोसी के उस पार सड़क बनाना लेखक : महेश जोशी :: अंक: 09 || 15 दिसंबर से 31 दिसंबर 2011:: वर्ष :: 35 :January 1, 2012 पर प्रकाशित

भवाली अल्मोड़ा राजमार्ग का विकल्प है कोसी के उस पार सड़क बनाना

भवाली अल्मोड़ा राजमार्ग का विकल्प है कोसी के उस पार सड़क बनाना

सामाजिक कार्यकर्ता डूँगर सिंह खेतवाल ने मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खण्डूरी को अपने पत्र के माध्यम से वर्तमान खैरना-अल्मोड़ा मोटर मार्ग का विकल्प सुझाया है। अगर उनके सुझाये विकल्प पर कार्य शुरू हो गया तो भविष्य में खैरना-अल्मोड़ा मार्ग अवरुद्ध होने पर रामगढ़ या रानीखेत होते हुए वाहनों को अल्मोड़ा नहीं जाना पड़ेगा। इससे समय के साथ ईंधन की भी बचत होगी और यात्रियों को दोहरी मार झेलने से भी निजात मिलेगी।

खैरना-अल्मोड़ा राजमार्ग पिछली बरसात में कोसी नदी के तेज प्रवाह में जगह-जगह टूट बह गया था। जौरासी से काकड़ीघाट तक जगह-जगह 10 किमी. सड़क के पूरी तरह नामोनिशा मिट जाने से कई महीनों तक मार्ग अवरुद्ध रहा और डेढ़ सौ से अधिक वाहन जगह-जगह फँसे रहे। तीन-चार माह बाद पहाड़ काट कर किसी तरह वाहनों के चलने लायक बना तो दिया पर कच्चे पहाड़ों के धँसाव को रोकने के उपाय नहीं किये गये। जे.बी.सी. मशीनों से मलबा हटाने के बावजूद थोड़ी बरसात या भारी वाहनों की आवाजाही से हो रहे कम्पन से पहाड़ों का धँसना नहीं रुक रहा है और बार-बार सड़क अवरुद्ध हो जा रही है और यह समस्या भविष्य में भी रहेगी।

मूल रूप से ग्राम व पोस्ट बेड़गाँव, अल्मोड़ा निवासी डूँगर सिंह बेलवाल ने खैरना-अल्मोड़ा राज मार्ग का विकल्प देते हुए मुख्य मंत्री से निवेदन किया है कि वर्तमान मार्ग नैनीताल जिले में आता है। अधिकांश सड़क मार्ग धँसने व मलवा आने वाली कच्ची पहाडि़यों से गुजर रहा है। थोड़ी सी बरसात में मार्ग अवरुद्ध हो जाता है। इससे बचने के लिए यदि खैरना मोटर पुल (रानीखेत मार्ग) के नदी पार से अल्मोड़ा जिले में 'खैरना-काकड़ीघाट' मोटर मार्ग वाया ग्राम ज्याड़ी, वलनी, जमता तथा नौगाँव होते हुए काकड़ीघाट में 'द्वारसों-काकड़ीघाट मोटर मार्ग' के सिरौला नदी में बने पुल पर मिलान किया जाय तो वर्तमान मार्ग अवरुद्ध होने पर भी उसके ठीक होने तक इस मार्ग से यातायात की वैकल्पिक व्यवस्था हो सकती है। इसकी लम्बाई लगभग 10 किमी. होगी जो खैरना-काकड़ीघाट से कम दूर पड़ेगा। इस मार्ग के निर्माण से इस मार्ग पर पड़ने वाले खण्डारखुआ पट्टी के आठ-दस गाँवों को लाभ मिलने के साथ ही पूरा कोसी का अल्मोड़ा जिले की ओर का इलाका सड़क मार्ग से जुड़ जायेगा। इन गाँवों की जनसंख्या पाँच-छः हजार से अधिक होगी। ये क्षेत्र सब्जी उत्पादक हैं इनका मुख्य रोजगार पशुपालन व खेती ही है। सड़क बन जाने से अपना उत्पाद बाजार पहुँचाने, दुःख-बीमारी में बीमार को नजदीक के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाने आदि की सुविधा हो जायेगी।

काकड़ीघाट (अल्मोड़ा) से खूँट-काकड़ीघाट मोटर मार्ग का वर्तमान में निर्माण कार्य चल रहा है। ग्राम-डोबा से ग्राम चैंसली के लिए भी लिंक मोटर मार्ग का निर्माण चल रहा है। चैसली से अल्मोड़ा तक मार्ग ठीक है। इसलिए खैरना पुल को रानीखेत की ओर से थोड़ी चढ़ाई चढ़ते हुए ग्राम ज्याड़ी से तिरछा द्वारसों-काकड़ीघाट वाली सड़क का निर्माण कर दिया जायेगा तो अल्मोड़ा के लिए यातायात सुचारु चलता रहेगा और अल्मोड़ा सहित अन्य दूरस्थ स्थानों-बोड़ेछीना, सेराघाट, बेरीनाग, अल्मोड़ा, दन्या, पनार, बागेश्वर, कपकोट, शामा, भराड़ी, काण्डा, बेरीनाग, गंगोलीहाट, पिथौरागढ़, सोमेश्वर, गरुड़-देवाल आदि स्थानों को दैनिक जीवनयापन की सामग्री उचित मूल्य पर उपलब्ध हो सकेगी।

डुंगर सिंह बेलवाल बताते है उपरोक्त मार्ग पक्की जगहों से गुजरने के कारण बहने-धँसने की कोई सम्भावना नहीं है। इस मार्ग के सम्बन्ध में उत्तराखंड लोक वाहिनी के अध्यक्ष डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट कहते हैं -प्रसिद्ध भू वैज्ञानिक प्रो. के. एस. वाल्दिया ने उत्तराखंड सेवा निधि अल्मोड़ा द्वारा आयोजित एक सेमिनार में खैरना-अल्मोड़ा नेशनल हाइवे की मरम्मत करने के बजाय कोसी नदी के पार की ओर से सड़क मार्ग को बनाने की सलाह दी। कोसी पार अल्मोड़ा की ओर का इलाका मजबूत चट्टानों के ऊपर बसा है, जबकि छड़ा-जौरासी से काकड़ीघाट और इधर क्वारब तक का इलाका कच्ची पहाड़ी पर बसा है। अल्मोड़ा बसने पर यहाँ का सारा मलबा भी इन्हीं मार्गों पर डाला गया है।

जौरासी के पास ऊपर से भारी मलबा आ जाने से हफ्ते भर से बंद अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग का 12 दिसम्बर को लोक निर्माण विभाग के भूगर्भ पैनल बोर्ड के डॉ. रमेश चन्द्र उपाध्याय की टीम ने जौरासी के पास 70 मी. की ऊँचाई पर बारीक अध्ययन कर भूस्खलन के लिये जिम्मेदार जोन को ढूँढ निकालने का खुलासा किया है। डॉ. उपाध्याय ने एन.एच. को अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए बताया कि पिछले वर्ष की बरसात में पहाड़ी का स्वरूप ही बदल गया। करीब तीन हजार मीटर की ऊँचाई पर पहाड़ी दरकी है और भूस्खलन बढ़ गया है। पहाड़ी के कोणों में बदलाव आने से ढलान में गुरुत्वाकर्षण बढ़ने की वजह से लगातार बोल्डर गिर रहे हैं। खतरा तब और बढ़ जायेगा जब वाहनों की आवाजाही से कम्पन होगा व वर्षा होने पर पानी कच्चे पहाड़ों को और कमजोर करेगा। उन्होंने एन.एच. को सुझाव दिया है कि नीचे से मलबा हटाने के बजाय दरार वाली जगहों से बोल्डर हटा पहाड़ी काटी जाये।

Share

संबंधित लेख....

No comments:

Post a Comment