Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti basu is DEAD

Jyoti Basu: The pragmatist

Dr.B.R. Ambedkar

Memories of Another Day

Memories of Another Day
While my Parents Pulin Babu and basanti Devi were living

"The Day India Burned"--A Documentary On Partition Part-1/9

Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Wednesday, May 2, 2012

टोरंटो में मई दिवस

http://hastakshep.com/?p=18461

टोरंटो में मई दिवस

टोरंटो में मई दिवस

By  | May 2, 2012 at 8:47 pm | No comments | आयोजन/ संवाद

शमशाद इलाही शम्स

१२६ वर्ष पूर्व टोरोटों से कोई ८५० किलोमीटर दूर अमेरिका स्थित शिकागो शहर में पूंजीवाद के गर्भ में पल रहे मज़दूर आंदोलन के तहत जब पुलिस से कोई दर्जन भर मज़दूरों को मार गिराया था तब इस बात का किसी को इल्म नहीं था कि इस घटना से मज़दूर आंदोलन का एक स्वर्णिम इतिहास रच दिया जायेगा.

मई दिवस पूरी दुनिया के कामगार मज़दूर वर्ग में आज भी बहुत गरिमा से मनाया जाता है इस दिन न केवल अपने इतिहास को यह वर्ग याद करता है वरन अपनी दैनिंद समस्याओं और संघर्षों को एक नया आयाम भी देता है. धरने, प्रदर्शन, जलसे जुलूसों, रैलियों के ज़रिये मई दिवस को एक यादगार दिन के बतौर परंपरागत रुप में देखा जाता है. भारत में ऐसे कई समारोहों में मेरी उपस्थिती रही, एक कार्यकर्ता के रुप में शिरकत भी की, लेकिन उत्तर अमेरिकी भूमि, कनाडा में, जहाँ से इस दिन का जन्म हुआ, वहाँ मई दिवस के समारोह में शिरकत करना न केवल एक गौरव शाली घटना है वरन यह एक खास अहमियत इसलिये भी रखता है कि पूँजीवाद की इस चरम अवस्था की केन्द्रीय भूमि में मज़दूर वर्ग के वर्गीय चरित्र और उसकी चेतना को १२६ सालों में भी पूंजीवादी संस्कृति की अपनी जीतोड़ कोशिशों के बावजूद मोथरा न किया जा सका.

टोरोंटो के ऐतिहासिक २५ सिसिल स्ट्रीट स्थित स्टील वर्कर्स हाल में करीब ४४ जन संगठनों ने मिलकर मई दिवस समारोह मनाया जिसमें मजदूर यूनियन, कम्युनिस्ट पार्टी के नेता गण से लेकर क्यूबा के राजनयिक, सूडानी, अरब-फ़लस्तीनी संगठनों के नेताओं ने शिरकत की, इसके साथ ही, स्थानीय कार्यकर्ताओं, म्यूसिक एक्टीविस्ट्स ने अपनी संगीतमय क्रांतिकारी रचनायें भी प्रस्तुत की.

ओंटोरियो राज्य के कद्दावर मज़दूर नेता सिड रियान ने अपने भाषण में राज्य एंव केन्द्र सरकार की मज़दूर विरोधी नीतियों की भर्तस्ना कडे शब्दों में करते हुआ कहा कि लिबरल और कंजरवेटिव हकुमतों पर खर्च कम करने के नाम पर चल रही नीतियाँ वस्तुत: मज़दूर विरोधी हैं, लंदन स्थित कैटरपिलर कारखाने को मालिकों द्वारा बंद करने के फ़ैसले पर इन प्रमुख दलों की चुप्पी मज़दूर वर्ग को एक संदेश देता चाहती है कि ऐसे फ़ैसलों के लिये उन्हें तैयार रहना चाहिये, जिसमें सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी. इन नीतियों का एन.डी.पी. भी समर्थन कर रही है जिससे इसके मज़दूर विरोधी रुख का पता चलता है. सिथ ने मज़दूर वर्ग का आह्वान करते हुए इन जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध संघर्ष करने का ऐलान किया.

इस मौके पर विशेष अतिथि जनवादी रिपब्लिक क्यूबा के काउंसलर-टोरोंटो होरहे सोबेरोन ने दुनिया भर के मज़दूर आंदोलन को याद करते हुए कहा कि दुनिया के सबसे बडे साम्राज्य से मात्र ९० मील दूर स्थित क्यूबा को अपनी आज़ादी के बाद से अब तक अमेरिकी प्रतिबंधों से करीब ५०० अरब डालर का नुकसान हुआ है, अमेरिका की कातिलाना नीतियों ने अब तक करीब ५००० क्यूबाई देशभक्तों की जानें ली है. इन तमाम प्रतिबंधों और दुश्मनीपूर्ण कार्यवाहियों के चलते अमेरिका आज भी क्यूबा के मनोबल को न तोड़ सका जहां आज भी मज़दूरों के हितों को ध्यान में रख कर आर्थिक नीतियां बनायी जा रही हैं, आज क्यूबा दुनिया भर में अपने विनाशक हथियारों के लिये नहीं वरन अपने अध्यापकों और डाक्टरों के लिये प्रसिद्ध है. उन्होंने इस मौके पर पूरे दक्षिणी अमेरिका में चल रही अमेरिकी विरोधी लहर का स्वागत करते हुए कहा कि आगामी अक्टूबर में वेनेजुयला में राष्ट्रपति ग्यूगो शावेज़ पुन: जीत कर अमेरीकी साम्राज्यवाद के विरुद्ध अपना परचम लहरायेंगे.

 इस मौके पर ओंटेरियो प्रांत की कन्युनिस्ट पार्टी कनाडा की फ़ायरब्राण्ड नेत्री लिज़ रोले ने केन्द्र और राज्य सरकारों की बचत नीतियों की पुरजोर मुखालफ़त करते हुए कहा कि कनाडा सरकार के पास अमेरिकी साम्राज्यवादी एजेण्डे को पूरा करने के लिये धन है, वह अपने सैनिक अफ़गानिस्तान में, लीबिया में, अथवा नाटो में भेज सकता है और दूसरी ओर केन्द्र सरकार अपने कर्मियों की तनख्वाओं में कटौती करने जैसे जनविरोधी फ़ैसले ले रही है. लिज़ ने क्यूबेक प्रान्त में छात्रों की हडताल का पुरजोर समर्थन करते हुए आह्वान किया कि क्यूबेक के छात्र पूरे कनाडा के छात्रों की लडाई लड़ रहे हैं, उनकी फ़्री उच्च शिक्षा की मांग का समर्थन करते हुए उन्होंने ४ मई को टोरोंटो में होने वाले विशाल प्रदर्शन में छात्रों से बढ चढ कर भाग लेने को कहा. ध्यातव्य है मोंटेरियल में छात्र हडताल अपने ७५ वें दिन में प्रवेश कर चुकी है.

कनेडियन अरब फ़ेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष खालेद मौउम्मर ने इस अवसर पर केन्द्र सरकार की आव्रजन नीतियों पर प्रहार करते हुए इमीग्रेशन मंत्री के उस व्यक्तव्य की कडी आलोचना की जिसमें उन्होंने कनैडावासियों का १५% कम वेतनमान पर काम करने का आग्रह यह कहते हुए किया कि देश में प्रतिवर्ष ३ लाख आने वाले प्रवासी १५% कम वेतन पर काम करने को तैयार हैं, इसे उन्होंने ब्लेकमेलिंग की संज्ञा देते हुए कहा कि सरकार को सभी नागरिकों के लिये समान वेतनमान नीति रखने के अपने वायदे पर अटल रहना चाहिये. उन्होंने कनाडा की हार्पर सरकार पर इज़राईल के हितों के लिये काम करने वाली सरकार बताया जिसे वेस्ट बैक और गाज़ा की लाखों की आबादी के प्रति इसरायली सरकार द्वारा बरती जाने वाली जनविरोधी नीतियाँ नज़र ही नहीं आती. उन्होंने कहा कि अब वक्त आ चुका है कि विश्व जनमत फ़लस्तीनियों के हकों के लिये अपनी आवाज़ बुलंद करे और उसे इज़्रायली-अमेरिकी शिकंजे से मुक्त कराये.

दोपहर दो बजे से शाम ६ बजे तक चले इस कार्यक्रम में विभिन्न संगीत दलों ने अपने कार्यक्रम पेश किये. प्रोग्रेसिव ग्रीक संगीत मण्डली, एरियोनास ने कई शानदार संगीत प्रस्तुति पेश की. मैक मौहम्मद अली ने अपने क्रांतिकारी गीतों को प्रचलित हिप होप में सुना कर सभी का स्वागत किया.

फ़ैथ नोलान और पाम डोगरा ने समुह ने कई शानदार गीतों की प्रस्तुति कर उपस्थित लोगों का मन मोह लिया, खासकर मार्टिन नीलोमर की कृति..पहले वे सोशलिस्ट के लिये आये….का अपने अंदाज में रचा नया संस्करण सुना कर सब को मोह लिया.

सूडान के संगीत समूह- पल्स आफ़ नाईल ने अरबी भाषा में कई गीत सुनाये और समारोह का संगीतमय अंत करने में दक्षिणी अमेरिका के प्रवासियों प्रसिद्ध बैंड वोसिस पोयटिकास ने स्पैनिश भाषा में कई गीत सुना कर और शानदार धुनों पर थिरकने के लिये मजबूर किया.

सभा का अंत कम्युनिस्ट इंटरनेशनल के सह गान के साथ हुआ इस वायदे के साथ कि अगले वर्ष हमें फ़िर इकठ्ठा होना है, और गहरे संकल्प के साथ, और मज़बूत इरादों के साथ कि जब तक हम अपने अनुसार दुनिया न बदल दें.

एक सबसे दिल छू लेने वाली बात यह है कि पूरे कार्यक्रम में कनाडा कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव मिगुल फ़ेग्वेराऊ एक दर्शक की भांति उपस्थित रहे और बाकायदा टोकरी लिये पार्टी के लिये चन्दा एकत्र किये, उनकी इस सदाशयता से मुझे कई बार भारत के उद्दण्ड वामपंथी नेताओं के चेहरे याद आये तो कभी कुछ बडे कद के नेता भी यादों में झिलमिलाये.

 

नीचे दिये गये वीडियो लिकं उन संगीत प्रस्तुतियों के हैं जिन्हें मई दिवस के कार्यक्रम में पेश किया गया.

शमशाद इलाही "शम्स" यूं तो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के छोटे से कस्बे 'मवाना' में पैदा हुए 'शम्स' ने मेरठ कालिज मेरठ से दर्शनशास्त्र विषय में स्नातकोत्तर किया है। पी०एच०डी० के लिये पंजीकरण तो हुआ पर किन्ही कारणवश पूरी न हो सकी। पिता श्री इरशाद इलाही जो साईकिल मैकेनिक थे (1999 में देहांत) को एक पंजाबी हिंदू लाला हँसराज मित्तल ने परवरिश दी एक दत्तक पुत्र की हैसियत से। उनका परिवार भारतीय गंगा-जमुनी सँस्कृति का साक्षात जीवंत उदाहरण है। छात्र जीवन से ही वाम विचारधारा से जुड़े तो यह सिलसिला आगे बढ़ता ही गया। 1988-1989,1989 में ट्रेनी उप-संपादक पद पर अमर उजाला मेरठ में कुछ समय तक कार्य किया और व्यवसायिक प्रतिष्टानों की आन्तरिक राजनीति की पहली पटखनी यहीं खाई। 1990-91 से स्वतंत्र पत्रकारिता शुरु की और दिल्ली के संस्थागत पत्रों को छोड़ कर सभी राज्यों के हिंदी समाचार पत्रों में अनगिनत लेख, रिपोर्ट, साक्षात्कार एंव भारतीय राजनीतिक अर्थशास्त्र, अल्पसंख्यक प्रश्न, सुधारवादी इस्लाम आदि विषयों पर प्रकाशित हुए। समय-समय पर स्थायी नौकरी पाने की कोशिश भी की, मिली भी, लेकिन सब अस्थायी ही रहा। शम्स की ही जुबानी " हराम की खायी नहीं, हलाल की मिली नहीं, विवश होकर बड़े भाई ने दुबई बुला लिया मार्च 2002 में, 3-4 दिनों में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी मिल गयी, बस काम करता गया पद भी बढ़ता गया। ताज अल मुलूक जनरल ट्रेडिंग एल०एल०सी० दुबई- संयुक्त अरब अमीरात में एडमिन एण्ड एच० आर० मैनेजर पद पर कार्यरत मार्च 2009, उस समय तक, जब तक अंन्तराष्ट्रीय आर्थिक मन्दी की मार पड़ती, लिहाजा लम्बे अवकाश जैसे साफ्ट टर्मिनेशन का शिकार हुआ। आर्थिक मंदी का वर्तमान दौर मेरे जैसे कई कथित 'अनुत्पादक' पदों को मेरी कंपनी में भी खा गया। इस बीच कलम पुनः उठा ली है। अक्टूबर ३०,२००९ को तकदीर ने फिर करवट बदली और मिसिसागा, कनाडा प्रवासी की हैसियत से पहुँचा दिया। एक बार फिर से दो वक्त की रोटी खाने की टेबिल पर पहुँचे, इसकी जद्दोजहद अभी जारी है..!!!"

No comments:

Post a Comment