Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti basu is DEAD

Jyoti Basu: The pragmatist

Dr.B.R. Ambedkar

Memories of Another Day

Memories of Another Day
While my Parents Pulin Babu and basanti Devi were living

"The Day India Burned"--A Documentary On Partition Part-1/9

Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Friday, May 18, 2012

Fwd: [New post] ममता की क्षमता



---------- Forwarded message ----------
From: Samyantar <donotreply@wordpress.com>
Date: 2012/5/18
Subject: [New post] ममता की क्षमता
To: palashbiswaskl@gmail.com


New post on Samyantar

ममता की क्षमता

by स्वामी नित्यानंद

mamata-amul-adइन दिनों पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता जी की 'ममता' पं. बंगाल पर फुल स्पीड से बरस रही है। स्पीड इतनी कि राजधानी एक्सप्रेस भी शरमा जाए। अब यही देख लो यातायात पुलिस की मनमानी और एल.पी.जी. गैस की बढ़ोतरी पर ऑटो चालकों ने आंदोलन किया तो पुलिस को कष्ट दिए बगैर तृणमूल विधायक और पार्षदों ने मोर्चा संभाल लिया। वो लतियाया-घुसियाया कि बेचारे ऑटो चालक पानी न मांग सके। विधायक परेश पाल तो पूरी तांडव मुद्रा में हिंसक नृत्य करते रहे। पुलिस को ममता का आदेश सिर्फ तमाशा देखने का था। वे तमाशा देखते रहेंगे ममता खुश होती रही। ममता की ऐसी 'ममता' और कहां बरस सकती है। और देखिए, ई.एम. बायपास के विस्थापित अपने पुर्नवास की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। ममता ने पुलिसिया प्रेम से उन पर ऐसी ममता बरसाई कि बेचारे पुर्नवास तो छोड़ो भागना भी भूल गए घटना स्थल से।

मंजर और भी हैं। एक हैं बेचारे प्रोफेसर महापात्र। उन्हें ममता के ममत्व की तीव्र आवश्यकता महसूस हुई। अब ममता की 'ममता' मिले तो कैसे? सो फटाफट 'ममता' का कार्टून बना डाला। इतने स्नेह पर ममता तो बरसनी ही थी। खूब बरसी। इतनी कि प्रोफेसर साहब स्नेह जल में बहते-बहते बड़े घर पहुंच गए। मुझे पता नहीं पर सुना है बुद्धिजीवी ममता की इस अदा पर ताली पीट प्रसन्नता व्यक्त कर रहे थे। आंदोलन और विरोध की उपज ममता अब किसी भी आंदोलन या विरोध को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं। यही कहा जा सकता है गुड़ खाए गुलगुलों से परहेज करे।

Mamata-Banerjee_Cartoon_13042012मोहम्मद तुगलक एक बादशाह हुआ है हिंदुस्तान में। मैं समझता था मर-मुरा गया होगा। पता लग रहा है उसकी आत्मा घूमती हुई पूर्व की ओर जा पहुंची है। तभी बंगाल में तुगलकी फरमान जारी हो रहे हैं। कभी तृणमूल नेताओं पर असली मुकदमे दर्ज हुए थे। अब उन्हें फर्जी बताकर वापस लेने की प्रक्रिया चल रही है। उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली इतिहास की पुस्तकों से मार्क्स, एंगेल्स की विदाई पाठ्यक्रम में बदलाव के नाम पर करना तुगलकी सनक नहीं तो क्या है। ममता को शायद लगता है कि प. बंगाल में मार्क्सवादी नहीं रहे तो मार्क्स क्यों रहे। सनक का एक नमूना यह भी है कि पार्थ सारथी राय जो कि अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के वैज्ञानिक हैं को गिरफ्तार कर सरकारी राशन लेने भेज दिया गया। कसूर उनका मात्र इतना था कि उन्होंने फटे में पांव फंसाया, अर्थात बस्ती हटाने के विरोध में शांतिपूर्ण धरना दिया। वह भूल गए कि धरना-विरोध पर सिर्फ तृणमूल का कॉपीराइट है और वही समय आने पर उसका इस्तेमाल कर सकते हैं और करेंगे।

ममता में मुख्यमंत्रित्व आ जाए या मुख्यमंत्री में ममता तो वही होना है जो आजकल प. बंगाल में हो रहा है। दिनेश त्रिवेदी को हटाने और मुकुल राय को उनकी जगह बिठाने के लिए प्रधानमंत्री को ऐसी आंखें दिखाईं मानो उधार खाए बैठे हों। सर्कस के कलाकार क्यों भूखे मर गए। वो जो करते थे वही अब नेता कर रहे हैं। नेताओं के सर्कस को भारतीय राजनीति कहा जाता है। सो ममताई मुख्यमंत्री राजनीति कर रही हैं। कलाकारों को भरपूर संरक्षण दे रखा है। कलाकार (कार्यकर्ता) जहां मर्जी हो कलाकारी दिखा सकते हैं। कोई रोक-टोक नहीं। ममता रिंग मास्टर हैं। कभी वह थाने जाकर कोड़ा फटकारती हैं, कभी बलात्कार की घटनाओं को फर्जी बता पुलिस अधिकारी को निकाल बाहर करती हैं। असहिष्णुता और दमन को अपना आभूषण बना लिया है। अब उन्हें हर आंदोलन अपने खिलाफ साजिश लगता है। कुछ दिन पहले उन्होंने फैसला किया कि अखबार (वाले) बहुत बिगड़ गए हैं। सो सरकारी लायब्रेरी में सिर्फ अच्छे शरीफ अखबारों को ही प्रवेश दिया जाए। बुरे अखबार तो क्या उनके कीटाणु भी वाचनालय में घुसने न पावें। इसे कहते हैं 'स्वतंत्र विचारों' को बढ़ावा देना। यदि इस स्वच्छता अभियान से बुद्धिजीवी खफा होते हैं तो उनकी रोटी-पानी बंद करने का इंतजाम किया जा सकता है।

इस सर्कस का एक ताजा करतब अभी सामने आया है। सार्वजनिक रूप से होर्डिंग लगाए गए हैं। इनमें माकपा का सामाजिक बहिष्कार करने की अपील की गई है। कहा गया है माकपा नेताओं से मिलना या कार्यकर्ताओं से मिलना बंद। जुलना भी बंद। तृणमूल समर्थकों को निर्देश है कि माकपा के लोगों को पार्टी में प्रवेश न दिया जाए क्योंकि वे 'बदमाश' हैं। माकपाईयों से किसी तरह की दोस्ती या संबंध न रखा जाए। चाय की दुकानों पर उनके साथ चाय न पी जाए न किसी प्रकार की चर्चा की जाए। माकपाइयों से घृणा की आदत डाल ली जाए। उनके विवाह या दावत समारोह के निमंत्रण ठुकरा दिए जाएं। वगैरह-वगैरह।

इन होर्डिंगों में एक कमी रह गई है। इसमें ये नहीं बताया गया है कि गली, मोहल्ले या सड़क पर कोई माकपाई दिख जाए तो उसे देखें या नहीं। या देखें तो घृणा से मुंह फेर लें या पत्थर मारें।

इसे कहते हैं लोकतंत्र में सर्कस का तमाशा अर्थात जनता के लिए मुफ्त का मनोरंजन।

Cartoon Source 1, 2

Comment    See all comments

Unsubscribe or change your email settings at Manage Subscriptions.

Trouble clicking? Copy and paste this URL into your browser:
http://www.samayantar.com/mamta-banerji-and-her-popular-decisions/



No comments:

Post a Comment