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Sunday, June 24, 2012

दलितों की हत्या के खिलाफ धरना

दलितों की हत्या के खिलाफ धरना



पचास एकड़ जमीन दलित समुदाय लेना चाहता था। मगर दबंग जातीय लोग पूरी जमीन को खुद ही हड़पना चाहते थे। इसका विरोध करने पर दबंगों ने चार दलितों की हत्या कर दी.......

दलितों पर अत्याचार विरोधी समन्वय समिति ने कल 23 जून 2012 को दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर धरना देकर प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा। इस धरने में दिल्ली के विभिन्न संगठनों ने हिस्सेदारी की। 

यह धरना छह जून 2012 को आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में दबंग जातियों द्वारा चार दलितों की हत्या के खिलाफ आयोजित किया गया था। इसमें अनेक लोग घायल हुए थे, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। भर्ती घायलों में से भी एक ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इस घटना में 73 परिवार उत्पीड़न का शिकार हुए।

गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में सरकार ने डैम बनाने के लिए दबंगों और दलितों की जमीन अधिग्रहित की थी। डैम बनाने के बाद तकरीबन 250 एकड़ जमीन बच गयी थी। इसमें दलितों की जमीन भी अधिग्रहित की गयी थी, इसलिए पचास एकड़ जमीन दलित समुदाय लेना चाहता था। मगर दबंग जातीय लोग पूरी जमीन को खुद ही हड़पना चाहते थे। इसका विरोध करने पर ही दबंगों ने चार दलितों की हत्या कर दी।

इस घटना की घोर निंदा करते हुए ही समन्वय समिति ने जंतर मंतर पर धरना आयोजित किया था। इसमें प्रधानमंत्री को सौंपे जाने वाले ज्ञापन के माध्यम से मांग की गयी कि श्रीकाकुलम घटना में दोषी लोगों को तुरंत गिरफ्तार कर उनके खिलाफ एससी/एसटी एक्ट 1989 के तहत मामला दर्ज किया जाये। मरने वालों के परिजनों को 20-20 लाख और घायलों को पांच-पांच लाख रुपये दिये जायें। 

दलित उत्पीड़न की घटनाओं पर सरकार तुरंत रोक लगाये। देशभर में हो रही उत्पीड़न की घटनाओं की जांच-पड़ताल के लिए एक आयोग का गठन किया जाये। अनु.जाति/अनु. जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 पूरे देशमें प्रभावी ढंग से लागू किया जाये। इसके अलावा यह मांग भी की गयी कि श्रीकाकुलम घटना में पीडि़त दलित परिवारों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी किये जायें। 

धरने में जाति विरोधी संगठन, एआईआरएसओ, एसएफआर, पीडीएफआई, इन्कलाबी मजदूर केंद्र, एआईएफटीयू (न्यू), क्रांतिकारी युवा संगठन और प्यूपल फ्रंट दिल्ली ने हिस्सेदारी की।

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