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Friday, March 22, 2013

जगदलपुर जेल में नक्सली मामलों के 546 विचाराधीन कैदी बंद हैं जिनमे 512 कैदी आदिवासी हैं दंतेवाड़ा जेल में नक्सली मामलों के 377 विचाराधीन कैदी बंद हैं जिनमे 372 कैदी आदिवासी हैं कांकेर जेल में नक्सली मामलों के 144 विचाराधीन कैदी बंद हैं जिनमे 134 कैदी आदिवासी हैं दुर्ग जेल में नक्सली मामलों के 57 विचाराधीन कैदी बंद हैं जिनमे 51 कैदी आदिवासी हैं ्

स्वामी अग्निवेश द्वारा सूचना के अधिकार के अंतर्गत छत्तीसगढ़ की जेलों के विषय में माँगी गई सूचना के जवाब में सरकार ने निम्नांकित सूचना दी है .

जगदलपुर जेल में नक्सली मामलों के 546 विचाराधीन कैदी बंद हैं जिनमे 512 कैदी आदिवासी हैं 
दंतेवाड़ा जेल में नक्सली मामलों के 377 विचाराधीन कैदी बंद हैं जिनमे 372 कैदी आदिवासी हैं 
कांकेर जेल में नक्सली मामलों के 144 विचाराधीन कैदी बंद हैं जिनमे 134 कैदी आदिवासी हैं 
दुर्ग जेल में नक्सली मामलों के 57 विचाराधीन कैदी बंद हैं जिनमे 51 कैदी आदिवासी हैं ्

इसका क्या अर्थ है ?

क्या सरकार ने कभी स्वयं इस आंकड़े का विश्लेषण किया है ?
इन आंकड़ों के मुताबिक तो चूंकी नक्सली होने के अपराध में जेल में आदिवासी ही बंद हैं .तो इसका अर्थ हुआ कि सभी नक्सली आदिवासी हैं या फिर आदिवासी ही नक्सली बन गये हैं.
इसका अर्थ यह भी हुआ कि आदिवासी और सरकार आमने सामने आ गई है .क्योंकि प्रधानमंत्री के मुताबिक नक्सली लोग देश की आंतरिक सुरक्षा के लिये सबसे बड़ा खतरा हैं और आपके अपने ही जेल के आंकड़े कह रहे हैं कि आदिवासी ही नक्सली हैं तो इसका मतलब है कि आप देश के आदिवासियों को ही अपने लिये सबसे बड़ा खतरा मान रहे हैं ?

और आदिवासी इसलिये आपके देश के लिये खतरा इसलिये हैं क्योंकि आपको आदिवासी की ज़मीन छीननी है . हमारी इस आशंका का कारण यह है कि प्रधानमंत्री ने ही कहा था कि नौ प्रतिशत विकास दर प्राप्त करने के लिये हमें भारत के आदिवासी इलाकों में खनन शुरू करना ही पड़ेगा और इसके लिये हमें वामपंथी उग्रवाद को काबू में करना ही पड़ेगा . और आप ही के मुताबिक ये वामपंथी उग्रवादी आदिवासी ही हैं .कम से कम आपके जेल के आंकड़े तो यही कह्ते हैं .

तो अब आप नौ प्रतिशत विकास दर प्राप्त करने के लिये ही आदिवासियों को जेलों में ठूंस रहे हैं .

और प्रधानमंत्री जी अपने लाल किले से यह भी कहा था कि जो हमारे विकास का विरोधी है वही आतंकवादी है .

और आपका विकास का तरीका कहता है कि आदिवासी की ज़मीने बड़ी कम्पनियों को सौंप दो .
और जो आपके इस तरह के विकास के लिये अपनी ज़मीन ना दे वही आतंकवादी है .

यह एक भयानक स्तिथी है कि आपने अपनी आदिवासी जनता पर सबसे बुरी गुलामी का दौर थोपा है और उन पर सरकारी आतंकवादी हमला बोल दिया है .

हम आजादी के बाद एक दिन इस दौर में पहुंच जायेंगे कौन जानता था ?
 — छत्तीसगढ़ की जेलों में आदिवासी (3 photos)






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