आप 'हस्तक्षेप' पर बहस को जारी रखकर एक बेहद महत्वपूर्ण योगदान कर रहे हैं। हस्तक्षेप की पहुंच काफी व्यापक है, और शायद हम स्वयं यह बहस उतने व्यापक स्तर पर और विशेष तौर पर हिन्दी जगत में मौजूद पाठकों तक नहीं पहुंचा पाते। आप इसके लिए बधाई के पात्र हैं।
साथी, हमें लगा कि अगर हम आनन्द तेलतुंबड़े से हुई पूरी बहस को ऑनलाइन कर दें तो इससे बहस में हस्तक्षेप कर रहे लोगों को काफी आसानी होगी। पूरी बहस का लिंक मैं आपको भेज रहा हूं। हमारा आग्रह है कि इसे 'हस्तक्षेप' पर भी डालें। यह वीडियो करीब 2 घंटे लंबा है, जिसमें पहले आनन्द जी ने बात रखी है और उसके बाद मैंने बात रखी है। अंत में, आनन्द जी ने कहा कि वे सभी बातों से सहमत हैं और वे अम्बेडकर और जॉन डेवी से सहमत नहीं हैं। लेकिन अब आनन्द जी अपनी ही बातों से मुकर रहे हैं, इसलिए हमें लगा कि पूरा वीडियो ऑनलाइन डालना बहुत जरूरी है। ऐसा इसलिए भी है कि हम पर बेजा तोहमतें लगायी जा रही हैं, यहां तक कि संगठन के लोगों के बारे में व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गया है।
लेकिन हम चाहते हैं कि कुत्सा प्रचार और प्रति-कुत्सा प्रचार की बजाय एक अच्छी बहस को मूल मुद्दों पर ही केंद्रित रखा जाय। हम ऐसे महाभियोगों और आरोप-पत्रों का जवाब देने की बजाय, बहस को राजनीतिक तौर पर जारी रखने का प्रयास करेंगे।
वीडियो के लिंक इस प्रकार हैं :
http://www.youtube.com/watch?v=TYZPrNd4kDQ
http://www.youtube.com/watch?v=eBD9UMNI5mw
http://www.youtube.com/watch?v=E5goWuZj09A&feature=youtu.be
http://www.youtube.com/watch?v=fn_-sebfHc4&feature=youtu.be
आपने इस बहस की पहुंच का बहुत व्यापक बना दिया है, हम इसके लिए आपको तहे दिल से शुक्रिया कहना चाहेंगे, और उम्मीद करेंगे कि यह जीवन्त बहस आगे भी जारी रहेगी। सत्यम शीघ्र ही सेमिनार में पेश प्रमुख पेपर आपको भेज देंगे।
क्रांतिकारी अभिवादन के साथ,
अभिनव.
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