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Saturday, May 18, 2013

पंचायत चुनाव भले समय पर हो जाये, आम जनता के अधिकार कितने बहाल होंगे?

पंचायत चुनाव भले समय पर हो जाये, आम जनता के अधिकार कितने बहाल होंगे?


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


पंचायत चुनाव भले समय पर हो जाये, लेकिन इसके जरिये पंचायती राज के माध्यम से मां माटी मानुष की सरकार आम जनता के अधिकार कितने बहाल कर पायेगी, इसमें शक है। बंगाल में केंद्रीय योजनाओं का काम संतोषजनक है, ऐसा केंद्र सरकार नहीं मानती। जंगल महल के लिए प्राप्त अनुदान बिना ​​खर्च किये वापस चला गया। अब सर्व सहमति से पंचायत चुनाव के लिए राजीनामे पर कोलकाता हाईकोर्ट ने जो मुहर लगा दी तो केंद्रीय ग्रामोन्वयन मंत्री जयराम रमेश ने फौरन सत्रह हजार करोड़ रुपये मंजूर कर दिये हैं।


जाहिर है कि नई पंचायतों को ही यह पैसा खर्च करना है। कोलकाता उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार को पंचायत चुनावों को तीन चरणों में 15 जुलाई तक पूरा कराने के आदेश दिए। इसके साथ ही न्यायालय ने राज्य सरकार को राज्य निर्वाचन आयोग के साथ मिलकर चुनावी तारीखों को अधिसूचित करने के लिए भी कहा। न्यायालय ने सरकार को चुनावी तारीखों को अधिसूचित करने के लिए तीन दिनों का समय दिया है।लेकिन उच्च न्यायालय द्वारा आपसी तालमेल से मसले को हल करने के निर्देश के बाद, तीन चरण में पंचायत चुनाव कराने के लिए तारीख तय करने के मुद्दे पर राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच बैठक में मतभेद हो गया और चुनाव के लिए आयोग की ओर से अधिसूचना राज्य सरकार की विज्ञप्ति के बावजूद जारी नहीं हुई। इसके विपरीत राज्य चुनाव आयोग न हाईकोर्ट की खंड पीठ का दरवाजा खटखटाया है  कि वह अपने निर्देशनामा से सहमति शब्दबंद हटा दैं, क्योंकि इस निर्देशनामे के लिए उसकी सहमति ली ही नहीं गयी। ताकि वह आगे इस सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सके।


राज्य चुनाव आयुक्त मीरा पांडेय ने बैठक के बाद कहा, 'उच्च न्यायालय के निर्देश के तहत तीन चरण में होने वाले पंचायत चुनाव के लिए हमने कुछ तारीखों को सुझाव दिया और उन्होंने (राज्य सरकार) भी कुछ तारीखें बतायी।' पांडेय ने कहा, 'अंतिम तौर पर राज्य सरकार पंचायत चुनावों की तारीखों के बारे में सूचित करेगी।'


सोमवार से पहले राज्य सरकार और चुनाव आयोग  के बीच कोई राय मशविरा संभव ही नहीं है और यथास्तिति बनी है अदालति सहमति के दावे के बावजूद।राज्य चुनाव आयुक्त मीरा पांडेय ने कहा कि शुरूआती चर्चा चुनावों में सुरक्षा बलों की तैनाती को लेकर हुयी। उन्होंने कहा, 'आगे और चर्चा होगी।' एक सवाल के जवाब में पांडेय ने कहा कि चुनाव को लेकर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक का सुझाव दिया गया। राज्य सरकार के अधिकारियों से संपर्क नहीं हो पाया।


इसी बीच राज्य सरकार के कार्यकाल के दो साल पूरे होने पर दावा किया गया है कि राज्य की वृद्धिदर केंद्रे के मुकाबले ज्यादा हैं। मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि पर्यटन और परिवहन उद्योगों में ही एक लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। बंगाल पर्यटन नक्शे में कहां हैं, पर्यटकों के लिए जासूसी संस्था की सेवा लेनी पड़ेगी इस जानकारी के लिए। पर्यटन के लिए बंगाल अपने पहाड़ों पर निर्भर हैं, जहां इस वक्त अमन चैन के फूल खिलते नजर आ रहे हैं, लेकिन कोई नहीं कह सकता कि वहां भूमिगत बारुदी सुरंगों में विस्फोट का सिलसिला कब फटने लगेगा। पड़ोसी सिक्किम की क्या कहे, उत्तराखंड, हिमाचल, राजस्थान और गुजरात तक काफी आगे निकल गया है। बंगाल में तो पर्यटन में भी सबसे ज्यादा निवेश चिटफंड कंपनियों का है। होटलों और रिसार्ट व्यवसाय पर उन्हीं का ​​कब्जा है।अब तो सुदीप्त सेन के काड़ी देशो में भी पर्यन पर भारी निवेश का खुलासा हुआ है। दीदी ने पर्यटन में निलेश के सिलसिले में चिटफंड कंपनियों के निवेश को जोड़ा या घटाया यह मालूम नहीं है। परिवहन की खस्ताहाली सबको मालूम है। वहां कितना भारी निवेश हो रहा है, वह जमीन पर देखा जाना बाकी है।


दूसरी ओर स्थानीय निकायों के जरिये केंद्रीय अनुदान और सामाजिक योजनाओं के मार्फत विकास का सुनिश्चित रोडमैप है। राज्य में पक्ष विपक्ष की राजनीति ने इसे खूब नजरअंदाज किया, जिसके कारण पंचायत चुनाव को लेकर विवादों का सिलसिला अभी खत्म हुआ नही है। जबकि मुद्दे की बात तो यह है कि जनता के हक हकूक के लिए, सत्ता के विकेंद्रीयकरण के लिए और सुनिश्चित  विकास के लिए पंचायत चुनाव अनिवार्य है। इसमें पक्ष विपक्ष की भागेदारी अनिवार्य है। जल्दबाजी में जैसे तैसे चुनाव की रस्म अदाययगी से पंचायती राज बहाल रखना असंभव है, उसें जनता की सच्ची हिस्सेदारी उसकी अबाधित नुमाइंदगी से ही हो सकती है। अदालती विवादों में सुरक्षा और निरपेक्षता के सवाल तो अनुत्तरित हैं ही, यह तय नहीं है कि छोटे दलों की कौन कहें, मुख्य विपक्षी दलों माकपा, कांग्रेस और भाजपा के लिए राज्य में सर्वत्र उम्मीदवार खडा करना और उन उम्मीदवारों के पक्ष में चुनाव प्रचार करना और हर बूथ पर एजंट लगाना फिलहाल असंभव लग रहा है।


कांग्रेस अभी यह आकलन करने में लगी है कि उसके लिए सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करना संभव है या नहीं है। सत्तादल तृणमूल कांग्रेस के लिए यह कोई मुश्किल काम नहीं है। वाम मोर्चा को अपने गटक दलों के साथ सीटों का तालमेल और बंटवारा का मामला भी तय करना है। जबकि कांग्रेस के साथ अलगाव के बाद तृणमूल सहयोगी सोशलिस्ट सेंटर आफ यूनिटी भी अब सत्तादल के साथ नहीं है। हावड़ा संसदीय उपचुनाव में एसयूसी कार्यकर्टाओं को मतदान से अलग रखने का फैसला हो गया है। भाजपा अपनी शक्ति के अनुरुप सभी सीटों प चुनाव लड़ नहीं सकती , यह कोई राज नहीं है।


अब बुनियादी सवाल है कि सच्चे विपक्ष की गैरमौजूदगी के बिना क्या पंचायती राज संभव है?कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा 15 जुलाई तक तीन चरणों में पंचायत चुनाव कराने का रास्ता साफ करने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि चुनाव रोकने की विपक्षी दलों की साजिश नाकामयाब हो गई है।


बनर्जी ने पत्रकारों को बताया, "हम लोग पिछले महीने से ही पंचायत चुनाव कराने की कोशिश कर रहे हैं। हम लोग चुनाव होने के फैसले से खुश हैं। चुनाव रोकने की विपक्षी दलों की साजिश नाकामयाब हो गई है।"


तीन दिवसीय उत्तर बंगाल दौरा समाप्त कर शुक्रवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हवाई मार्ग से कोलकाता रवाना हो गई। रवाना होने से पूर्व उन्होंने मीडिया से सिर्फ इतना कहा कि पंचायत चुनाव में फिर से मुलाकात होगी। पंचायत चुनाव के बाद हिल्स में तृणमूल कांग्रेस द्वारा एक सम्मेलन का आयोजन होगा। इस आयोजन में मुख्यमंत्री शामिल होंगी। सम्मेलन के पूर्व हिल्स के कालिम्पोंग, कर्सियांग, मिरिक और दार्जिलिंग में पार्टी कार्यालय खोला जाएगा। तृणमूल पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री की इच्छा है कि हिल्स में युवा और महिला संगठन को मजबूत किया जाए।


पूर्व मंत्री मानव मुखर्जी का दावा है कि बंगाल में हुई चिटफंड धोखाधड़ी की सीबीआइ जांच होने की देर है, खुद-ब-खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का चेहरा बेनकाब हो जाएगा।उन्होंने ममता बनर्जी और उनकी सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि मां माटी मानुष का नारा देने वालों की असलिय अब सामने आने लगी है।


नक्सलबाड़ी में आयोजित जनसभा में मानव मुखर्जी ने कहा कि दो वर्षो में सरकार ने उन्हीं कार्यो को किया है जिसे वाममोर्चा की सरकार ने प्रारंभ किया था। परिवर्तन की सरकार ने नई किसी योजना को अब तक शुरू नहीं किया। एसजेडीए के तहत जो विकास के कार्य किए गये उसमें 100 करोड़ के घोटाले हुए। चेयरमैन को बदल दिया गया। माकपा अब इसे बर्दाश्त नहीं करेगी। हमारी मांग है कि दूसरी एजेंसी से इसकी जांच कर दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए, क्योंकि एसजेडीए द्वारा सैकड़ों एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर जेबें भरी जा रही हैं। फिल्म उद्योग के लिए करोड़ों की जमीन मुफ्त दी जा रही है। हिल्स में जो भी पर्यटन विकास की घोषणा की जा रही है वे सभी वामो के शासनकाल की परिकल्पना है। परिवर्तन की सरकार में लगातार उद्योग बंद हो रहे हैं। चाय बगान बंद हो रहे हैं। चाय श्रमिकों के बीच आपसी मतभेद उत्पन्न कराया जा रहा है। यूनियन को तोड़ने की कोशिश की जा रही है। मुख्यमंत्री नहीं चाहतीं कि पंचायतों को उनका अधिकार नहीं मिले। यह अधिकार पंचायत के बदले अधिकारियों के पास रहे जो उनके इशारे पर काम करें। यही कारण है कि सरकार पंचायत चुनाव से दूर भाग रही थी। कोर्ट के निर्देश पर चुनाव कराना सरकार की मजबूरी हो गयी है। सरकार की हिंसा नीति की ओर ध्यान दिलाते हुए पूर्व मंत्री ने कहा कि पूरे राज्य में माकपा और उनके सहयोगियों पर हमले किए गए। पुलिस को हथियार बनाकर उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया। ऐसे सभी मामले वापस लिए जाने चाहिए। मामला वापस नहीं होने पर आंदोलन जारी रहेगा। छात्र नेता की हत्या का भी जबाव सरकार को देना होगा।


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