Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti basu is DEAD

Jyoti Basu: The pragmatist

Dr.B.R. Ambedkar

Memories of Another Day

Memories of Another Day
While my Parents Pulin Babu and basanti Devi were living

"The Day India Burned"--A Documentary On Partition Part-1/9

Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Wednesday, March 4, 2015

दीदी लगा सकती है पार मोदी की नैया,जिसके मुलायम लालू खिवैइया

दीदी लगा सकती है पार मोदी की नैया,जिसके मुलायम लालू खिवैइया

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास


जमकर सौदेबाजी हो रही है नई दिल्ली मेंय़क्षत्रपों ने अपनी ताकत राज्यसभा में वाम के साथ खड़ा होकर दिखा दी है।खास बात यह है कि माकपा के जिस संशोधन प्रस्ताव पर राज्यसभा में मोदी सरकार को मुंह की खानी पड़ी,उसके समर्थन में माकपी की नंबर वन दुश्मन ममता बनर्जी ने अपने सांसदों को सरकार के खिलाफ वोट देने की हिदायत दी।


इस हादसे के बाद सरकार अपने सुधार एजंडे से पीछे हट जायेगी और कारपोरेट राज पर अंकुश लगेगा,ऐसी खुशफहमी ज्यादा देर तक बनी नहीं रहेगी।


तृणमूल कांग्रेस का पंजीकरण कराने वाले उसके महासचिव मुकुल राय महासचिव पद से हटा दिये गये हैं।सीबीआई क्लीन चिट के इंतजार में मोदी शिविर के दरवज्जे उनका धरना चल रहा है।


बंगाल में उनके समर्थक विधायक खुलेआम बगावत का झंडा उठाये हुए हैं।जबकि बंगाल के भाजपा नेता मकुल के लिए भाजपा में कोई जगह नहीं है,ऐसा दावा बार बार कर रहे हैं।


हकीकत यह है कि बंगाल जीतने के लिए तृणमूल को दोफाड़ करना संघ परिवार की रणनीति जरुर है लेकिन राज्यसभा में पतली हालत की वजह से दीदी को केसरिया समर्थन में लाना मोदी सरकार की फौरी जरुरत है।


दूसरी तरफ दीदी ने भी अपने तेवर साफ कर दिये हैं कि जरुरत हुई तो वह वामदलों के साथ मिलकर भी भाजपा से लोहा ले सकती हैं।


दीदी की मोदी से मुसलाकात से पहले यह जबर्दस्त चाल रही है तो पलटवार कर दिया सीबीआई के मार्फत केंद्र सरकार ने।


पहले से विवादों में फंसे तापस पाल के घर छापे पड़े हैं।

बाकी सांसद भी घिरे हुए हैं और कटघरे में दीदी और उनके परिजन हैं।जिनके लिए राहत की बात यह है कि बागी कबीर सुमन उनके साथ हैं और गिरफ्तार सांसद ने भी अपना तोपखाना मुकुल राय की तरफ मोड़ दिया है।


राज्यसभा में मोदी सरकार की पराजय में तृणमूली भूमिका के मद्देनजर इस छापे के दूरगामी परिणाम होने की संभावना है।


दूसरा मजा दिल्ली में आपका खेल है।जो बिजली पानी देते देते आपसी महाभारत से राष्ट्र का ध्यान खींच रहा है तो अन्ना ब्रिगेड के साथ हो गये हैं नरेंद्र बाई मोदी के भाई खुद।


अन्ना खुलकर बोल रहे हैं मोदी के खिलाफ,लेकिन केजरीवाल की बोलती बंद है और अभी तक जनविरोधी केसरिया कारपोरेट नीतियों पर उनकी दशा दिशा साफ हुई नहीं है।


अपर विचारधारा के प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव के किनारे कर दिये जाने के बाद बाकी देश के बारे में उनके उच्च विचार क्या है,शायद उनका ईश्वर भी नहीं जानता।


मोदी सरकार का रवैया डरा धमकाकर,ललचाकर क्षत्रपों की किलेबंदी तोड़ने की है और बंगाल को लेकर घमासान है।


एक तरफ अमित साह का अश्वमेधी राजसूय यज्ञ है तो दूसरी तरफ कारपोरेट एजंडा से कायदे कानून पास कराने की मजबूरी है।


लोकसभा में पास हो चुके बिल राज्यसभा की मंजूरी के बिना दोबारा लोकसभा में शंशोधित अवतार में भी विपक्ष अड़ा रहा तो पेश करना मुश्किल है और ऐसा न हुआ तो संसद का संयुक्त अभियान बुलाकर कारपोरेट राजकाज निबटाना भी मुश्किल है।


मोदी सरकार और केंद्रीय एजंसियों ने  क्षत्रपों को घेरने का अभियान छेड़ रखा है तो अमित सशाह गढ़ों को ढहाने के लिए धार्मिक ध्रूवीकरण करने में लगे हैं और उनके लिए जनमान तैयार कर रहा है बजरंगी ब्रिगेड।


इस त्रिआयामी रणनीति के मुकाबले क्षत्रपों की महात्वाकांक्षाओं और मजबूरियों के मद्देनजर कब तक संसदीय मोर्चा बना रहेगा,यह कहना मुश्किल है।


सैफई से लेकर कश्मीर गायी तक तो नजारा हिमपात और बरसात के बावजूद हरा हरा होने या सफेद सफेद होने के बजाय घनघोर केसरिया है।


ताजा हालात में भाजपा सरकार की सारी मुश्किलें एक झटके से हल हो सकती हैं अगर दीदी की मोदी से मुलाकात से बहारों ने फूल बरसाना शुरु कर दिया और दीदी मोदी की नैया पार लगाकर बंगाल में मुकुल राय खेमे को किनारे लगाकर तृणमूल और पार्टी बचाने का कोई करतब वित्तीय संकट के मद्देनजरक केंद्रीय मदद के सौदे के तहत कर लें।


गौरतलब है कि बंगाल पैकेज से दीदी का दिल पसीजा नहीं है।


हानीमूल के लिए कौन किसके साथ जोड़ी बनायेगा,अभी यह बी कहना मुश्किल है क्योंकि मुलायम और लालू कभी भी मोदी की नैय्या के खेवइया बनकर संपूर्ण भारत के परिप्रेक्ष्य में वामदलों की जड़ो से क़ी हुई संसदीय राजनीति के परखच्चे उड़ा सकते हैं जो वे अब तक करते रहे हैं और उत्तर भारत में लाल झंडा लापता है।


बहरहाल इकरार नहीं हुआ तो इंकार भी नहीं है।राज्यसभा में मोदी सरकार की हार के बावजूद संसदीय सहमति की फिजां जस की तस है।


No comments:

Post a Comment