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Saturday, April 30, 2016

बंगाल में दरअसल दीदी की नहीं मोदी की साख दांव पर! और नतीजे तय करेंगे कि फासिज्म का राजकाज कितना चलेगा। संघ परिवार ने आखिरी मौके पर दीदी को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। मोदी,शाह और राजनाथ सिंह की लाख कोशिशों के बावजूद अगर विपक्ष का वोट नहीं बंटा तो दीदी की वापसी बेहद मुश्किल है क्योंकि संघ परिवार के अलावा न बाजार,न माओवादी, न बुद्धिजीवी और न दूसरे दल दीदी के साथ हैं। धार्मिक ध्रूवीकरण हो गया तो फिर दीदी की वापसी हो जायेगी! अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम और चुनाव आयोग की सख्ती हाथी के दांत हैं।दरअसल मतदान के आगे पीछे दहशतगर्दी आम है। बाकी राष्ट्र का चरित्र जब तक जस का तस है,चेहरे बदलने से हालात लेकिन बदलेंगे नहीं।फिरभी बंगाल में देशभर में संघ परिवार का सबसे ज्यादा विरोध है तो बंगाल का केसरियाकरण और सत्ता में फिर दीदी की बहाली से प्रतिरोध की पकती हुई जमीन की आग फिर भूमिगत हो जाने का अंदेशा है। पलाश विश्वास

बंगाल में दरअसल दीदी की नहीं मोदी की साख दांव पर!  

और नतीजे तय करेंगे कि फासिज्म का राजकाज कितना चलेगा।

संघ परिवार ने आखिरी मौके पर दीदी को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी।

मोदी,शाह और राजनाथ सिंह की लाख कोशिशों के बावजूद अगर विपक्ष का वोट नहीं बंटा तो दीदी की वापसी बेहद मुश्किल है क्योंकि संघ परिवार के अलावा न बाजार,न माओवादी, न बुद्धिजीवी और न दूसरे दल दीदी के साथ हैं।

धार्मिक ध्रूवीकरण हो गया तो फिर दीदी की वापसी हो जायेगी!

अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम और चुनाव आयोग की सख्ती हाथी के दांत हैं।दरअसल मतदान के आगे पीछे दहशतगर्दी आम है।


बाकी राष्ट्र का चरित्र जब तक जस का तस है,चेहरे बदलने से हालात लेकिन बदलेंगे नहीं।फिरभी बंगाल में देशभर में संघ परिवार का सबसे ज्यादा विरोध है तो बंगाल का केसरियाकरण और सत्ता में फिर दीदी की बहाली से प्रतिरोध की पकती हुई जमीन की आग फिर भूमिगत हो जाने का अंदेशा है।

पलाश विश्वास

बंगाल में दरअसल दीदी की नहीं मोदी की साख दांव पर है और नतीजे तय करेंगे कि फासिज्म का राजकाज कितना चलेगा।


चुनाव नतीजे तो 17 मई को ही आयेंगे।


संघ परिवार ने आखिरी मौके पर दीदी को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी

धार्मिक ध्रूवीकरण हो गया तो फिर दीदी की वापसी हो जायेगी।


अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम और चुनाव आयोग की सख्ती हाथी के दांत हैं।दरअसल मतदान के आगे पीछे दहशतगर्दी आम है।


मोदी,शाह और राजनाथ सिंह की लाख कोशिशों के बावजूद अगर विपक्ष का वोट नहीं बंटा तो दीदी की वापसी बेहद मुश्किल है क्योंकि संघ परिवार के अलावा न बाजार,न माओवादी, न बुद्धिजीवी और न दूसरे दल दीदी के साथ हैं।


जो हमसे बार बार सवाल कर रहे हैं,उन्हें मेरा यही जवाब है।


बाकी राष्ट्र का चरित्र जब तक जस का तस है,चेहरे बदलने से हालात लेकिन बदलेंगे नहीं।फिरभी बंगाल में देशभर में संघ परिवार का सबसे ज्यादा विरोध है तो बंगाल का केसरियाकरण और सत्ता में फिर दीदी की बहाली से प्रतिरोध की पकती हुई जमीन की आग फिर भूमिगत हो जाने का अंदेशा है।


इस वक्त बंगाल के विधानसभा चुनाव पर जितना फोकस है,बंगाल के साथ ही बाकी चार विधानसभा चुनावों पर उसकी तुलना में कोई चर्चा ही नहीं हुई है।


क्योंकि बंगाल में मुक्तबाजारी केसरिया सत्तावर्ग का दांव सबसे ज्यादा है।जिससे बंगाल में बन रहे नये राजनीतिक समीकरण से अपने वजूद को सबसे ज्यादा खतरा है क्योंकि बिहार के बाद बंगाल में इस रोजनीतिक गोलबंदी के बाकी देश में संक्रमित होने का खतरा है,जिसका असर उत्तर प्रदेश के बेहद महत्वपूर्ण चुनाव में होने जा रहा है और पंजाब हारने के जोखिम के मद्देनजर बंगला,तमिलनाडुकेरल और असम जैसे राज्यों में बढ़त नहीं मिली तो लंबे समय तक केसरिया तांडव चलेगा नहीं।


इसीलिए संघ परिवार ने सीटें मिलने की कोई उम्मीद न होने के बावजूद पहले पहल विकास का राग अलापने के बाद अचानक हिंदुत्व कार्ड के साथ जो धर्मोन्मादी ध्रूवीकरण करने की पुरजोर कोशिश की है,उससे मुसलामानों का झुकाव फिर दीदी की तरफ है और वाम कांग्रेस गठबंधन के हिंदू शरणार्थी वोट फिर टूटकर संघ परिवार की झोली में जोने की आशंका है।


देश भर से लगातार फोन आते रहे हैं और लोग जानना चाहते हैं कि बंगाल में दीदी का क्या होना है।फिलहाल इस सवाल का कोई सीधा जवाब देना संभव नहीं है।


अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजामात और चुनाव आयोग की सख्ती की वजह से फिलहाल इतना ही कहा जा सकता है कि हिंसा मतदान के दौरान नियंत्रित रही तो मतदान के आगे पीछे दहशतगर्दी का आलम है और ऐसे में मतदान के वक्त सत्ता केकिलाफ वोट देने का जोखिम किते फीसद वोटर उठा पाये होंगे ,यह कहा नहीं जा सकता।


जैसे नागरिकता के सवाल पर असम में उल्फा की तर्ज पर 1948  के बाद आये हिंदू विभाजनपीड़ितों को भी घुसपैठिया बताकर खदेड़ देने के जिहाद के बाद बंगाल में मुस्लिम बहुल इलाकों के निर्मायक चुनाव हल्कों में 2014 तक बांग्लादेश से  आये हर शख्स को नागरिकता देने के वायदे पर हिंदू वोटों का कितान हिस्सा भाजपा की झोली में गिरेगा,इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है क्योंकि पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा को सत्रह प्रतिशत वोट मिले थे और आज जिन इलकों में मतदान हुआ,वहां धर्मोन्मादी ध्रूवीकरण और शरणार्थी वोट बैंक की वजह से भाजपा को औसतन बीस फीसद से कम वोट मिले नहीं थे और इसकी प्रतिक्रिया में मुसलमानों ने एकजुट होकर दक्षिण बंगाल में वामदलों और कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया था।



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Friday, April 29, 2016

बंगाल में अब कुछ भी संभव है,दीदी की हार भी असंभव नहीं! ভোটের আগে ভবানীপুর, বালিগঞ্জে বিভিন্ন ক্লাবে তল্লাশি চালিয়ে উদ্ধার বোমা, আতঙ্ক घर घर की बेटी अब निरंकुश सत्ता में तब्दील तो भूतों का काम भी तमाम! भाजपा नेताजी की विरासत दीदी की कीमत पर हड़पने की फिराक में हैं।हर बांग्लादेशी को नागरिकता के ऐलान के बाद अब नेतीजी से जुड़ी और 25 फाइलें भवानीपुर में मतदान की पूर्व संध्या पर जारी कर दी गयी हैं। নেতাজি সংক্রান্ত আরও ২৫টি ফাইল প্রকাশ্যে আনল কেন্দ্র एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप

बंगाल में अब कुछ भी संभव है,दीदी की हार भी असंभव नहीं!

ভোটের আগে ভবানীপুর, বালিগঞ্জে বিভিন্ন ক্লাবে তল্লাশি চালিয়ে উদ্ধার বোমা, আতঙ্ক


घर घर की बेटी अब निरंकुश सत्ता में तब्दील तो भूतों का काम भी तमाम!

भाजपा नेताजी की विरासत दीदी की कीमत पर हड़पने की फिराक में हैं।हर बांग्लादेशी को नागरिकता के ऐलान के बाद अब नेतीजी से जुड़ी और 25 फाइलें भवानीपुर में मतदान की पूर्व संध्या पर जारी कर दी गयी हैं।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

हस्तक्षेप

बांग्ला दैनिक एई समय की खबरें गौरतलब हैः

तो आनंदबाजार पत्रिका  की खबरें भी देख लेंः

Madan Mitra

ভোটের খবর

আরও কড়া কমিশন, বন্দিদশার মধ্যেই আর এক দফা নজরবন্দি মদন

Narada Sting

রাজ্য

রাজ্যের আপত্তি খারিজ, নারদের ফুটেজ ফরেনসিক পরীক্ষায় পাঠানোর নির্দেশ

mamata

ভোটের খবর

ভবানীপুরে নীরস অঙ্ক নয়, খেলা র


एबीपी आनंद की खबर हैः

ভোটের আগে ভবানীপুর, বালিগঞ্জে বিভিন্ন ক্লাবে তল্লাশি চালিয়ে উদ্ধার বোমা, আতঙ্ক

ভোটের আগে ভবানীপুর, বালিগঞ্জে বিভিন্ন ক্লাবে তল্লাশি চালিয়ে উদ্ধার বোমা, আতঙ্ক

কলকাতা: প্রথমে বালিগঞ্জ বিধানসভা কেন্দ্রের অন্তর্গত তিলজলা, তারপর ভবানীপুর বিধানসভা কেন্দ্রের অন্তর্গত আলিপুর রোড। ভোটের আগের মুহূর্তে বিভিন্ন ক্লাব থেকে উদ্ধার

নারদকাণ্ডে তৃণমূলের অস্বস্তি আরও বাড়িয়ে স্টিং ফুটেজের ফরেন্সিক পরীক্ষার নির্দেশ হাইকোর্টের

নারদকাণ্ডে তৃণমূলের অস্বস্তি আরও বাড়িয়ে স্টিং ফুটেজের ফরেন্সিক পরীক্ষার নির্দেশ হাইকোর্টের

কলকাতা ও নয়াদিল্লি: ভোটের মধ্যে নারদকাণ্ডে আরও তীব্র হল শাসক দলের অস্বস্তি। ফুটেজের...


बांग्ला टीवी चैनल 24 घंटे के अपडेट पर गौर करेंः

নজিরবিহীন নিরাপত্তায় ভোটারদের আস্থা বাড়াতে বদ্ধপরিকর কমিশন

নজিরবিহীন নিরাপত্তায় ভোটারদের আস্থা বাড়াতে বদ্ধপরিকর কমিশন

কলকাতার ৪টি সহ কাল দক্ষিণ চব্বিশ পরগনা ও হুগলির উনপঞ্চাশ আসনে ভোট। নিরাপত্তার চাদরে মুড়ে ফেলা হয়েছে দুটি জেলাই। টহল দিচ্ছে কেন্দ্রীয় বাহিনী। চলছে নাকা চেকিং। ভোটারদের আস্থা বাড়ানোর চেষ্টা করছেন কেন্দ্রীয় বাহিনীর জওয়ানরা। পঞ্চম দফার ভোটের সাফল্যকেই হাতিয়ার করছে কমিশন। ষষ্ঠ দফাতেও অবাধ ও শান্তিপূর্ণ ভোট করানোই এখন চ্যালেঞ্জ। টার্গেট অবাধ ও সুষ্ঠু নির্বাচন। এই লক্ষ্যেই টহলদারিতে ব্যস্ত কেন্দ্রীয় বাহিনী। দক্ষিণ চব্বিশ পরগনার বিভিন্ন এলাকায় চলছে রুট মার্চ, এরিয়া ডমিনেশন। গাড়ি আটকে চলছে নাকা চেকিং। ভোটারদের আশ্বস্ত করার চেষ্ট করছেন কেন্দ্রীয় বাহিনীর জওয়ানরা।

২০১৪ সালের ডিসেম্বরের আগে ভারতে আসা বাংলাদেশিদের নাগরিকত্ব দেবে কেন্দ্রীয় সরকার: রাজনাথ সিং  ২০১৪ সালের ডিসেম্বরের আগে ভারতে আসা বাংলাদেশিদের নাগরিকত্ব দেবে কেন্দ্রীয় সরকার: রাজনাথ সিং

২০১৪ সালের ডিসেম্বরের মধ্যে বাংলাদেশ থেকে আসা প্রতি ব্যক্তিকে নাগরিকত্ব দেবে কেন্দ্রীয় সরকার। ঘোষণা কেন্দ্রীয় স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী রাজনাথ সিংয়ের। দক্ষিণ চব্বিশ পরগনার আমতলার কলোনি ফুটবল মাঠে নির্বাচনী সভায় ভাষণ দেন রাজনাথ। সেখানেই তাঁর ঘোষণা, বাংলাদেশ থেকে আসা ব্যক্তিদের বৈধ নাগরিকের অধিকার দেবে কেন্দ্র।


भाजपा नेताजी की विरासत दीदी की कीमत पर हड़पने की फिराक में हैं।हर बांग्लादेशी को नागरिकता के ऐलान के बाद अब नेतीजी से जुड़ी और 25 फाइलें भवानीपुर में मतदान की पूर्व संध्या पर जारी कर दी गयी हैं।


अचानक संघ परिवार ने भवानीपुर में दीदी को हराने पर सारी ताकत झोंक दी है ,जहां उसे पिछले लोकसभा चुनाव में बढ़त हासिल हुई थी और वहां वोटर गुजराती मारवाड़ी और सिख काफी हैं जो भाजपा के समर्थ है तो शरणार्थियों के समर्थन के लिए कल गृहमंत्री ने हर बांग्लदेशी को नागरिकता देने का हैरतअंगेज ऐलान कर दिया है और इस ऐलान से मुसलमान वोटबैंक में सेंध लगाने का इंतजाम बी कर लिया जबकि असम में भाजपा ने 1971 के असम समझौते के आधार वर्ष के बजाय उल्फा की मांग मुताबिक घुसपैठियों की पहचान के लिए 1948 को आधार वर्ष बनाने और उसके बाद पूर्वी बंगाल से आये विभाजन पीड़ितों को खदेड़ने के ऐलान से हिंदू वोटों का ध्रूवीकरण करने की भरसक कोशिश की है।गृहमंत्री ने 2014 तक आये हर बांगलादेशी को नागरिकता देने का ऐलान किया तो आज नेताजी  फाइलें भी जारी कर दी।वहीं भवानीपुर की चुनाव सभा में अमित शाह ने इकलौती  भवानीपुर सीटजीतकर दीदी का तख्ता पलटने का ऐलान कर दिया और रुपा गांगुली ने दीदी की ईमानदारी पर ही सवालिया निशान लगा दिया है।सुबह वहीं मतदान होना है।


गौरतलब भवानीपुर में नेताजी के वंशज चंद्र कुमार बोस बतौर भाजपा उम्मीदवार मैदान में हैं।नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से जुड़ी फाइलों को गोपनीयता सूची से हटाने के अभियान के तहत और 25 फाइलों को शुक्रवार को सार्वजनिक कर दिया है। पिछले महीने मंत्री ने गोपनीयता सूची से हटायी गयी 50 फाइलों को सरकारी वेब पोर्टल डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट नेताजीपेपर्स डॉट जाओवी डॉट इन पर सार्वजनिक किया था। इसी तरह नेताजी की 119वीं जयंती के अवसर पर 23 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनसे जुड़ी करीब सौ फाइलें सार्वजनिक की थीं।


हालांकि सरकार की दलील है कि नेताजी से जुड़ी फाइलों को गोपनीयता सूची से हटाकर उन्हें सार्वजनिक करने की प्रक्रिया एक सतत प्रक्रिया है। इसे लोगों की लगातार की जा रही मांग के मद्देनजर सार्वजनिक किया जा रहा है ताकि वह इन्हें पढ़ सकें। इसके अलावा सार्वजनिक की गई ये फाइलें स्वतंत्रता संग्राम का नेतत्व करने वाले सेनानियों पर आगे का शोध करने में उनकी मदद करेंगी। सार्वजनिक की गईं इन 25 फाइलों की खेप में 05 फाइलें प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से, 05 फाइलें गृह मंत्रालय (एमएचए) से और 15 फाइलें विदेश मंत्रालय (एमईए) से हैं। ये फाइलें 1956 से 2009 की अवधि से संबंधित हैं।


फिरभी मतलब साफ है कि भाजपा नेताजी की विरासत दीदी की कीमत पर हड़पने की फिराक में हैं।

 

2011 के विधानसभा चुनावों से पहले किसी को उम्मीद नहीं थी कि बंगाल में 35 साल के वाम शासन का इतना नाटकीय अवसान हो जायेगा।जबकि 2006 में बुद्धदेव भट्टाचार्य को भारी बहुमत मिला था जिसके बूते उनने नंदीग्राम सिंगुर के जनविद्रोह को कुचलने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी क्योंकि उन्हें भूमि सुधार के बजाय कृषि संकट से निबटने के लिए औद्योगीकरण का रास्ता चुना।


गौरतलब है कि 2006 से लेकर 2011 तक वामपंथियों का नारा था,कृषि हमारा आधार है तो उद्योग हमारा भविष्य है।


बंगाल की जनता ने कवि सुकांत भट्टाचार्य के भतीजे ईमानदार बंगसंस्कृति के नायक को नंदीग्राम में जबर्दस्ती भूमि अधिग्रहण के लिए माफ नहीं किया और वे रातोंरात खलनायक बने गये।


गौरतलब है कि उनकी सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार या घोटाले का आरोप न के बराबर था और अमूमन वाम मंत्रियों,सांसदों और विधायकों की छवि साफ सुथरी थी।


फिर भी इकलौते जमीन के सवाल ने और भूमि सुधार के कार्यक्रम से विचलन ने अबाध पूंजी के राजमार्ग पर वाम भटकाव की वजह से बुद्धदेव बंगाल में वामशासन के अवसान का कारण बने।


तब बाजार की सारी ताकतें और बंगाल के बुद्धिजीवी परवर्तन के साथ खड़े थे तो माओवादी भी दीदी के हमसफर थे।


अब नैनो और रतन टाटा की विदाई के बाद बाजार,कारोबार और उद्योग जगत को हासिल कुछ नहीं हुआ और वे इस बीच दीदी के बजाये कांग्रेस वाम गठजोड़ की सरकार के विकल्प हक में है तो परिवर्तन ब्रिगेड भी दीदी के सिपाहसालारों के गले गले तक फंस और दंस जाने की वजह से नैतिक तौर पर उनके साथ होने के औचित्व के सवाल पर बिखर गया।


वहीं किशनजी को मुठभेड़ में मार गिराने और युधिष्छिर महतो को जेल में सड़ाने के लिए माओवादी भी दीदी के खिलाफ हैं।


दूसरी ओर,दक्षिण बंगाल में सांगठनिक रुप से सबसे ज्यादा मजबूत एसयूसी ने पिछली दफा दक्षिण बंगाल जीतने में बड़ी भूमिका निभाई थी और दीदी के जमीन आंदोलन में  वे भी खास लड़ाके थे।अब वे लोग और दूसरे लोग बी वामदलों के साथ खड़े हैं।


जाहिर है कि आज इतिहास फिर दोहराव की हालत में है।

गौरतलब है कि 1984 में सोमनाथ चटर्जी जैसे दिग्गज को हराकर लोकसभा में पहुंची ममता बनर्जी नंदीग्राम सिंगुर जनांदोलन के जरिये सत्ता में पहुंचने के बाद पिछले पांच साल के कार्यकाल में सादगी की छवि बनी रही।


वक्त बेवक्त जनता के बीच पहुंच जाने की उनकी राजनीति का करिश्मा ही नहीं बल्कि घर घर की बेटी की उनकी छवि कमोबेश बनी रही।

अब शारदा से नरदा के सफर में उनकी वह छवि बेहद धूमिल हो गयी है।हालत यह है कि जनपक्षधर सत्ताविरोधी ममता बनर्जी अब निरंकुश सत्ता में तब्दील हैं तो फिल्म स्टार भाजपा नेता रुपा गांगुली ने उन्हींके चुनाव क्षेत्र में खुलेआम उन्हें चुनौती दे दी कि हवाई चप्पल पहनने से किसी की ईमानदारी साबित नहीं होती। राजनीति में कोई गरीब नहीं है।


भाजपा नेता रुपा गांगुली ने यह भी कहा कि काजल लिपस्टिक लगाने से कोई महाबारत अशुद्ध नहीं हो जाता और सती बने रहने से राजनीति जनपक्षधर बन नहीं जाती।


ममता बनर्जी के मंत्री सांसद जेल में गये और जेल से राजकाज चलता रहा।तमाम मंत्री और सांसद विधायक और मेयर,नेता और नेत्री शारदा मामले में कटघरे में हैं और कटघरे में हैं खुद ममता बनर्जी भी।लेकिन शारदा फर्जीवाड़ा मामला रफा दफा है और दीदी को आंच नहीं आयी।


उनने अपने भतीजे को उत्तराधिकारी बतौर सांसद बनाया तो इस पर किसी ने चूं तक नहीं किया।


माकपा नेता गौतम देब ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेस करके उनके परिजनो पर दक्षिण कोलकाता में बेशकीमती करोडो़ं की संपत्ति बनाने के आरोप लगाया तो भी कोई फर्क नहीं पड़ा।


फिर नारदा स्टिंग में उनके तमाम नेता सांसद मंत्री मेयर विधायक कैमरे के सामने घुस लेते देखे गये और पूरे देश में सवाल खड़े होने लगे ।उनके समर्थक फिर भी उनके साथ ही खड़े नजर आ रहे थे।


खास बात यह है कि शारदा मामले की तरह इस मामले में भी कोई आरोप साबित नहीं हो रहा था।


इन परिस्थितियों में सबको लग रहा था कि दीदी फिर भारी बहुमत से सत्ता में आनेवाली हैं।


मतदान सात चरणों में शुरु हुआ तो केंद्रीय वाहिनी की मौजूदगी और चुनाव आयोग के ऐहतियाती बंदोबबस्त से जो भारी मतदान हुआ और जिस तेजी से कांग्रेस वाम गठबंधन ने जमीनी स्तर पर सत्ता विरोधी हवा बना दी,उसके मुकाबले इकलौती घिरती जा रही  दीदी ने आक्रामक तेवर अपनाते हुए सिपाहसालारों से खुद को अलग दिखाने के चक्कर में मान लिया कि रिश्वतखोरी हुई है और पहले जानतीं तो वे  ऐसे किसीको टिकट ही नहीं देतीं जिनपर रिश्वतखोरी का आरोप है।


उसके अगले ही दिन उनके सिपाहसालार पूर्व रेलमंत्री मुकुल राय ने कह दिया कि किसी ने एक पैसा भी अपने लिए नहीं लिया।गौरतलब है कि मुकुलरायभी घूस लेते हुए दिखाये गये हैं।



तब से दीदी रोजाना खुद रिश्वतखोरी को सही बताकर दूसरों को अपने से ज्यादा भ्रष्ट साबित करने लगी हैं।


अब हाईकोर्ट ने नारदा स्टिंग वीडियो अपने कब्जे में लेकर फारेंसिक जांच का आदेश दे दिया।


दीदी को इसका अंदाजा रहा होगा और सफाई में वे आक्रामक होती चली गयीं तो उनके सिपाहसालारों में खलबली मची है और यह तय नहीं कि उनमें से कौन आखिर तक साथ है और कौन बीच में दगा कर जायेगा।


सिपाहसालारों को भी कुणाल घोष,सुदीप्तो सेन और देवयानी, मदनमित्र का हश्र मालूम है और वे फिर बलि का बकरा बनना नहीं चाहते।वे भी दीदी का पल्लू छोड़कर नये समीकऱण बनाने में लगे हैं।


यह जनता की आस्था और साख खोने से ज्यादा बड़ा फैक्टर है,जिससे हर जिले में तृणमूल के खिलाफ तृणमूल ही खड़ा है और तृणमूल ही तृणमूल का हराने लगा है।


रातोंरात उनकी सादगी और ईमानदारी की छवि टूटने लगी और रातोंरात वे घर घर की बेटी के बदले निरकुंश सत्ता का पराया धन बन गयीं।उन्हें फिर घरों में कितना दाखिला मिलेगा,कहना मुश्किल है,जैसे उनकी सत्ता में वापसी भी मुस्किल ही है।


अब बांग्ला सांध्य दैनिक ने आज पहले पेज पर दीदी के परिजनों की संपत्ति का ब्योरा भी छाप दिया कि कैसे उनने दीदी के मख्यमंत्री बनने के बाद अपने मामूली से मकान के बगल में थ्री स्टार होटल से लेकर बहुमिंजिली इमारत तक खड़ी कर दी है।


यह सारा खेल दूसरे चरण के मतदान के बाद ही शुरु हो गया।


जबके पहले चरण में जंगलमहल में समझा जाता रहा है कि उन्हें ही जीत हासिल हुई है लेकिन बीरभूम में उनके सपाहसालार अनुब्रत मंडल के चुनाव प्रक्रिया खत्म होने तक नजरबंद हो जाने से उनकी वोट मशीनरी और वोट बैंक में बिखराव आने लगा और उत्तर बंगाल में कांग्रेसवाम गठजोड़ की बढ़त हो गयी तो दक्षिण बंगाल के मजबूत किले में घाटा पाटने के लिए भूत बिरादरी पर भरोसा उठ गया और फिर जो रंग रोगन हुआ ,उससे सारा पलस्तर ही उतर गया।रंगो का खेल अब बदलने लगा है।


30 अप्रैल को दक्षिण कोलकाता,दक्षिण 24 परगना और हुगली में जहां जहां मतदान होने जा रही है,वहां भारी संख्या में मुसलमान वोट हैं तो पिछले लोकसभा चुनावों में इन सीटों में भाजपा को राज्य में सबसे ज्यादा वोट मिले बीस बाइस फीसद तक और दीदी के चुनाव क्षेत्र भवानीपुर में बी उनकी बढ़त थी।


गुपचुप दीदी मोदी गठबंधन का खामियाजा यह भुगतना पड़ा कि मुसलमान वोटबैंक अब अटूट नहीं है तो वाम कांग्रेस गठबंधन का मिला जुला वोटबैंक सत्तादल के मुकाबले भारी है।


दूसरी तरफ सामने यूपी का चुनाव होने की वजह से भाजपा भी दीदी को कोई रियायत देने के मूड में नहीं हैं।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,भजापा अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीयगृहमंत्री राजनाथ सिंह से लेकर भाजपा के छोटे बड़ नेताओं के निशाने पर तृणमूल कांग्रेस और मुखयमंत्री हैं।


जिस भवानीपुर में समझा जा रहा था कि भाजपा ने दीदी को वाकओवर दे दिया है वहीं नेताजीवंशधर चंद्र कुमार के हक में भाजपाध्यक्ष ने कहा कि सिर्फ ममता बनर्जी को भवानीपुर से हरा देने पर बंगाल में फिर परिवर्तन हो जायेगा।


गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा का महत्वपूर्ण पांचवें चरण का चुनाव कल होगा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कथित रूप से नारद पोर्टल के स्टिंग वीडियो में दिखे उनकी पार्टी के उम्मीदवारों सहित कई राजनीतिक दिग्गजों की किस्मत इसमें दांव पर है। पांचवें चरण में 53 सीटों पर मतदान 43 महिलाओं सहित कुल 349 उम्मीवार दक्षिण 24 परगना, कोलकाता दक्षिण और हुगली जिले की 53 सीटों से मैदान में हैं। इन सीटों के लिए कल चुनाव होगा। 14,500 से अधिक बूथों पर सुबह सात बजे से शाम छह बजे के बीच मतदान किया जाएगा। इन सीटों के मतदाताओं की संख्या 1.2 करोड़ है।


भूतों का काम तमाम है जैसे कि चुनाव आयोग से मिली जानकारी के अनुसार हिंसा रोकने और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं। बड़ी संख्या में सुरक्षा बल कर्मियों को तैनात करने के अलावा चुनाव आयोग ने मतदान के दिन सभी निर्वाचन क्षेत्रों में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लगाने का भी आदेश दिया है।


बाहरी हस्तक्षेप के बिना  वोट पड़ें और स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान हो,चुनाव आयोग ने इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। चुनाव से पहले सभी 53 निर्वाचन क्षेत्रों में केंद्रीय एवं राज्य पुलिस बल के 90,000 कर्मी तैनात कर दिए जाएंगे।


गौरतलब है कि इस चरण के चुनाव में दक्षिण कोलकाता का भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र आकर्षण का केंद्र है जहां से वेस्ट बंगाल की सीएम एवं तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी, पूर्व केंद्रीय मंत्री दीपा दासमुंशी (कांग्रेस) और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रपौत्र चंद्र कुमार बोस (बीजेपी) के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं।


गौरतलब है कि इस चरण के चुनाव में तीन अन्य राजनीतिक दिग्गजों की किस्मत का भी फैसला होगा जिन्हें कथित रुप से नारद स्टिंग ऑपरेशन में एक फर्जी कंपनी से नकदी लेते दिखाया गया था। इन नेताओं में पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी, कोलकाता के मेयर शोभन चटर्जी और शहरी विकास मंत्री फरहाद हकीम शामिल हैं जिन्हें चुनाव प्रचार के आखिरी वक्त दीदी ने अलग रखा।इसीसे सत्ता पक्ष पर नारद स्टिंग का असर मालूम पड़ता है।


मतदान के लिए केंद्रीय बलों की 680 कंपनियां तैनात की जाएंगी। निर्वाचन अयोग के एक अधिकारी ने बताया, '680 कंपनियां तैनात की जाएंगी। पर्यवेक्षकों की संख्या में मामूली बदलाव होंगे। तीनों जिलों में दो-दो पुलिस पर्यवेक्षक तैनात किए जाएंगे।' इससे पहले अधिकारियों ने कहा था कि कोलकाता और हुगली में जहां दो-दो पुलिस पर्यवेक्षक होंगे, वहीं दक्षिण 24 परगना जिले में तीन पर्यवेक्षक तैनात किए जाएंगे।


इसके बावजूद इनाडु हिंदी के मुताबिक चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है, लेकिन साउथ 42 परगना के भांगड़ में प्रशासन और सेंट्रल फोर्स की नाक के नीचे हथियार बनाने का काम चल रहा है। इतना ही नहीं, आर्म्स बनाने वालों के भीतर किसी का डर भी नहीं है, और खुलेआम हथियार बनाने की बात कह रहे हैं।


इनाडु हिंदी के मुताबिक हथियार बनाने वाले शख्स का कहना है कि हम एक खास पार्टी के सपोर्टर हैं। हथियार बनाने के लिए हमें स्थानीय नेताओं ने कहा है। उसका कहना है कि भांगड़  के एक उम्मीदवार को जिताने के लिए हम कोई भी काम कर सकते हैं। किसी भी गैरकानूनी काम को अंजाम दे सकते हैं।


आपको बता दें कि भंगुर सीट से टीएमसी ने अब्दुर रज्जाक मुल्ला को बतौर उम्मीदवार  उतारा है। अब्दुर रज्जक मुल्ला पहले भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (सीपीएम) में थे। उन्होंने इस साल सीपीएम छोड़कर टीएमसी का दामन थाम लिया।

बहरहाल मीडिया के मुताबिक 30 अप्रैल को होने वाले पांचवे चरण के विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव आयोग ने सात मुख्य बिंदुओं पर अपना फोकस रखा है। चुनाव आयोग ने निष्पक्ष और भयमुक्त चुनाव कराने के लिए सात बिंदुओं पर पुलिस-प्रशासन को अमल करने का निर्देश दिया है।

  • जिन इलाकों में चुनाव हैं वहां पर रात में पुलिस पेट्रोलिंग बढ़ाने का आदेश दिया है।

  • पश्चिम बंगाल से दूसरे राज्यों की सीमाओं को सील करने आदेश है, साथ ही दूसरे देशों से लगे सीमाओं को सील करने के साथ-साथ सुरक्षा बलों सतर्क रहने का आदेश दिया है। खासकर बाइकर्स पर कड़ी निगरानी रखने की सलाह दी गई है ताकि चुनाव के दौरान हिंसा पर लगाम लगाया जा सके।

  • चुनाव के 48 घंटे पहले से अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बीएसएफ को सतर्क रहने का आदेश दिया है।

  • नदी मार्ग पर भी सुरक्षा बढ़ाने का आदेश है, नदी के तटों पर असामाजिक तत्वों की जांच के लिए सर्च लाइट और प्रभावी संचार प्रणाली के साथ सुरक्षा बलों को तैनात रहने की सलाह दी गई है।

  • चुनाव आयोग ने असामाजिक तत्वों पर नजर रखने के लिए जिला चुनाव अथॉरिटी और पुलिस अथॉरिटी को सतर्क रहने को कहा है, ऐसे लोगों से वोटरों को दूर रखने के लिए पुलिस को हिदायत दी गई है। किसी तरह की सूचना मिलते ही सख्त कार्रवाई का भी निर्देश दिया गया है।

  • चुनावी इलाकों से लगे सभी क्लबों के बाहर पुलिस को तैनात रहने का आदेश दिया गया है, जिससे चुनाव से पूर्व मतदाताओं को कोई बरगला नहीं सके। साथ ही भीड़ को जमा न होने दिया जाए।

  • जेल में बंद अपराधियों पर भी जेल प्रशासन को नजर रखने आदेश है, इसके अलावा अंडर ट्रायल कैदियों की गतिविधियों पर पुलिस को नजर रखने की सलाह दी गई है, जिससे वो चुनावों को किसी तरीके के प्रभावित नहीं कर पाएं।

बांग्ला दैनिक आजकाल की रपट हैः

শনিবার দফা ৬, কেন্দ্র ৫৩

শুক্রবার ২৯ এপ্রিল, ২০১৬ ইং

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অংশু চক্রবর্তী

কেন্দ্রীয় বাহিনী আর পুলিসের কড়া নজরে আর গরমের মধ্যেই আজ ষষ্ঠ দফায় ৫৩ কেন্দ্রে ভোট। কলকাতার ৪, হুগলির ১৮ এবং দক্ষিণ ২৪ পরগনার ৩১ কেন্দ্রে ভোট শুরু সকাল ৭টা থেকে। চলবে বিকেল ৫টা পর্যন্ত। ২০১১ সালে বিধানসভা নির্বাচনে কলকাতার ৪টির সবকটি পেয়েছিল তৃণমূল। হুগলির ১৮টি আসনের মধ্যে ১৬ তৃণমুলের, ২টা বামেদের। দক্ষিণ ২৪ পরগনার ৩১টি আসনের মধ্যে ২৭টি তৃণমূলের, ৪টি বামেদের দখলে ছিল। আজকের ভোটে উল্লেখযোগ্য প্রার্থীদের মধ্যে রয়েছেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা ব্যানার্জি, তাঁর মন্ত্রিসভার সদস্য পার্থ চ্যাটার্জি, সুব্রত মুখার্জি, অরূপ বিশ্বাস, ফিরহাদ হাকিম, জাভেদ খান, রবীন্দ্রনাথ ভট্টাচার্য, বেচারাম মান্না, রচপাল সিং, মহানাগরিক শোভন চ্যাটার্জি, বিধানসভার অধ্যক্ষ বিমান ব্যানার্জি, উপাধ্যক্ষ সোনালি গুহ, মুখ্য সচেতক শোভনদেব চট্টোপাধ্যায়। বিরোধীদের মধ্যে উল্লেখযোগ্য রয়েছেন কান্তি গাঙ্গুলি, সুজন চক্রবর্তী, রবীন দেব, দীপা দাসমুন্সি, আবদুল মান্নান। রয়েছেন বেশ কয়েকজন শিল্পী, গায়ক, খেলোয়ারও। সুষ্ঠু নির্বাচন করতে সবরকম ব্যবস্থা নিচ্ছে কমিশন। গোলমাল দেখলেই কড়া ব্যবস্থা নেওয়ার নির্দেশ দিয়েছে কমিশন। শুক্রবার সন্ধেয় এলাকা পরিদর্শনে যান মুখ্য নির্বাচনী আধিকারিক সুনীলকুমার গুপ্তা। ৩ জেলায় মোট প্রার্থী ৩৪৯ জন। দক্ষিণ চব্বিশ পরগনায় ২২১ জন, কলকাতায় ৩৭ জন আর হুগলিতে ৯১ জন প্রার্থী। মোট মহিলা প্রার্থী ৪৩। ভোটে নজর রাখতে দক্ষিণ চব্বিশ পরগনায় ২০ জন সাধারণ পর্যবেক্ষক এবং দু‌জন পুলিস পর্যবেক্ষক, ৬ জন হিসেব সংক্রান্ত পর্যবেক্ষক এবং একজন সচেতনতার পর্যবেক্ষক থাকছেন। হুগলিতে ১৮ আসনের জন্য ১২ জন সাধারণ পর্যবেক্ষক, চারজন হিসেব সংক্রান্ত পর্যবেক্ষক, দু‌জন পুলিস পর্যবেক্ষক এবং একজন সচেতনতার পর্যবেক্ষক থাকছেন। কলকাতায় ২ জন সাধারণ পর্যবেক্ষক, ২ জন পুলিস পর্যবেক্ষক, হিসেব এবং সচেতনতা বিষয় দেখতে একজন পর্যবেক্ষক থাকছেন। অতিরিক্ত মুখ্য নির্বাচনী আধিকারিক দিব্যেন্দু সরকার জানিয়েছেন, কালকের ভোটে আইনশৃঙ্খলার ওপর আরও কড়া নজর রাখতে নির্দেশ দিয়েছে নির্বাচন কমিশন। সমাজবিরোধীরা এলাকায় ঢুকে ভোটারদের যাতে ভয় দেখাতে না পারে, সেদিকে বিশেষ নজর রাখতে হবে। সীমান্তবর্তী এলাকা, নদীপথ এবং ক্লাবগুলিকেও নজরবন্দী রাখতে হবে। কলকাতায় ৪টি এবং হুগলিতে ১৮টি ক্যামেরা লাগানো গাড়ি থাকছে।

শুক্রবার রাত থেকেই নাইট পেট্রলিং বাড়িয়ে দেওয়া হয়। কুইক রেসপন্স টিমকে আরও সক্রিয় হতে নির্দেশ দেওয়া হয়। নাকা পয়েন্টে তল্লাশি চলছে। বি এস এফ–কে সীমান্তে নজরদারি করতে বলা হয়েছে। নদীপথ দিয়ে সমাজবিরোধীরা যাতে ঢুকতে না পারে সেদিকেও দেখা হবে, সংশোধানাগারে বন্দী, বিচারাধীন বন্দীরা যাতে ভোটে প্রভাব ফেলতে না পারে সেদিকেও নজর দেওয়া হয়েছে। ১০৬৪টা সেক্টর করা হয়েছে। প্রতি সেকশনে অর্ধেক করে সি আর পি এফ। ৮টি সেক্টরে মোবাইল ৩৪৬। কুইক রেসপন্স টিম ২২৫। শুক্রবার রাত থেকে হুগলি এবং দক্ষিণ চব্বিশ পরগনায় ১৪৪ ধারা জারি করা হয়েছে। চলছে কেন্দ্রীয় বাহিনীর টহল। সীমান্তবর্তী এলাকা সিল করে দেওয়া হয়েছে। নজর রাখা হয়েছে বহিরাগত, দুষ্কৃতী এবং সমাজবিরোধীদের ওপর। জলপথের ওপর বিশেষ নজরদারি। গেস্ট হাউস থেকে সন্দেহজনক জায়গায় তল্লাশিও চলছে। বুথের ত্রিসীমানার মধ্যে ভোটের কাজে আসা কর্মী, সাংবাদিক এবং ভোটার ছাড়া কেউ ঢুকতে পারবেন না। অন্যদিকে, নির্বাচন কমিশনের মুখ অনন্যা বলছে, '‌ভোট দিন নির্ভয়ে, বিবেচনার সাথে'। তাঁর এই বিজ্ঞপ্তি বার বার বিজ্ঞাপন দিয়ে জানানোও হচ্ছে। কলকাতার বুথে একজন তৃতীয় লিঙ্গের ভোটকর্মী থাকছেন। ওয়েবকাস্টিং হবে দক্ষিণ চব্বিশ পরগনার ৩৪২টি বুথে। কলকাতার ১৫০টি এবং হুগলির ১০১টি বুথে। মোট ৫৯৩টি বুথে ওয়েবকাস্টিং। দক্ষিণ চব্বিশ পরগনার ৯৫০, কলকাতায় ১৪৪টি এবং হুগলির ৯৬টি বুথে সি সি টিভি থাকছে। মোট ১১৯০ বুথে। ভিডিওগ্রাফি হবে দক্ষিণ চব্বিশ পরগনার ১৬৪৪টি, কলকাতায় ১০৯টি এবং হুগলির ৬৮২ বুথে। দক্ষিণ চব্বিশ পরগনায় ৬২৫ জন, কলকাতায় ১০৯ জন এবং হুগলিতে ৮৯৬ জন মাইক্রো অবজার্ভার রয়েছেন। দক্ষিণ চব্বিশ পরগনায় ক্যামেরা লাগানো গাড়ি থাকছে ৫৫টি। হুগলির পুলিস সুপার প্রবীণকুমার ত্রিপাঠী জানিয়েছেন, জেলায় ১৪৭৩টি বুথ স্পর্শকাতর। জেলায় মোট ২৩৮ কোম্পানি কেন্দ্রীয় বাহিনী থাকছে। এছাড়া ৮ হাজার ৫০০ জন রাজ্য পুলিস থাকছে। কমিশনের সচিত্র ভোটার স্লিপ নিয়ে বুথে যেতে হবে। রাজনৈতিক দলের স্লিপ নিয়ে কেউ ভোট দিতে পারবেন না। অভিযোগ উঠেছে, কিছু কিছু প্রিসাইডিং অফিসার, তাঁরা শুধু ভোটার স্লিপ

দিয়েই ভোট দিতে দিয়েছেন। কিন্তু আগামীকালের ভোটে এটা কোনও ভাবেই করা যাবে না। নিজের পার্ট নম্বর থেকে কোন বুথে ভোট হবে তা দেখার জন্য ওই স্লিপ দেওয়া হয়েছে। একশো শতাংশ সচিত্র পরিচয়পত্রে ভোট হবে। ভোটার কার্ড না থাকলে পাসপোর্ট, ড্রাইভিং লাইসেন্স, রাজ্য বা কেন্দ্র সরকারের অধিগৃহীত সংস্থা বা পাবলিক লিমিটেড কোম্পানির দেওয়া সচিত্র পরিচয়পত্র, ব্যাঙ্ক বা পোস্ট অফিসের ছবি লাগানো পাসবই, প্যান কার্ড, ন্যাশনাল পপুলেশন রেজিস্ট্রারের আওতায় থাকা আই জি আর–এর দেওয়া স্মার্ট কার্ড, এম এন আর ই জি–র জব কার্ড, শ্রম মন্ত্রকের অধীনে স্বাস্থ্যবিমার স্মার্ট কার্ড, ছবি সংবলিত পেনশনের নথি, সাংসদ, বিধায়ক এবং কাউন্সিলরদের দেওয়া সচিত্র পরিচয়পত্র নিয়েও যাওয়া যাবে। শুক্রবার বিকেলে ষষ্ঠ দফার ভোট নিয়ে মুখ্য নির্বাচন কমিশনার সৈয়দ নাসিম আহমেদ জাইদির নেতৃত্বে কমিশনের ফুল বেঞ্চ ভিডিও কনফারেন্স করেন। ছিলেন মুখ্য নির্বাচনী আধিকারিক সুনীলকুমার গুপ্তা, অতিরিক্ত মুখ্য নির্বাচনী আধিকারিক দিব্যেন্দু সরকার, শৈবাল বর্মন, জয়দীপ মুখার্জি, আই টি কমিশনার, আবগারি কমিশনার, এ ডি জি আইনশৃঙ্খলা অনুজ শর্মা এবং পর্যবেক্ষকরা। বি জে পি–র এক প্রতিনিধিদল মুখ্য নির্বাচনী আধিকারিক সুনীলকুমার গুপ্তার সঙ্গে দেখা করে। বি জে পি–র জয়প্রকাশ মজুমদারের অভিযোগ, তৃণমুলের কর্মীরা আবাসনগুলিতে ভয় দেখাচ্ছেন। এলাকায় হুমকি দিচ্ছেন। এদিন ভোটারদের ভয় দেখানোর অভিযোগ জানাতে আসেন '‌আমরা আক্রান্ত'–‌র অধ্যাপক অম্বিকেশ মহাপাত্র এবং প্রাক্তন বিচারপতি অশোক গাঙ্গুলি। অভিযোগ, বেহালা এলাকায় বাইকবাহিনী ঘুরছে, ভয় দেখানো হচ্ছে। স্থানীয় থানায় অভিযোগ জানানো হলে, তারাই আবার জানিয়ে দিচ্ছে ওই সমাজবিরোধীদের।

फिर एई समय में भवानीपुर की यह रपटः



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Thursday, April 28, 2016

भाजपा बांग्लादेश से आने वाले हर शरणार्थी को नागरिकता देगी? ২০১৪ সালের ডিসেম্বরের আগে ভারতে আসা বাংলাদেশিদের নাগরিকত্ব দেবে কেন্দ্রীয় সরকার: রাজনাথ সিং एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप

भाजपा बांग्लादेश से आने वाले हर शरणार्थी को नागरिकता देगी?


২০১৪ সালের ডিসেম্বরের আগে ভারতে আসা বাংলাদেশিদের নাগরিকত্ব দেবে কেন্দ্রীয় সরকার: রাজনাথ সিং

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

हस्तक्षेप

बांग्ला टीवी चैनल 24 घंटा की खबर हैः

২০১৪ সালের ডিসেম্বরের আগে ভারতে আসা বাংলাদেশিদের নাগরিকত্ব দেবে কেন্দ্রীয় সরকার: রাজনাথ সিং

২০১৪ সালের ডিসেম্বরের মধ্যে বাংলাদেশ থেকে আসা প্রতি ব্যক্তিকে নাগরিকত্ব দেবে কেন্দ্রীয় সরকার। ঘোষণা কেন্দ্রীয় স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী রাজনাথ সিংয়ের। দক্ষিণ চব্বিশ পরগনার আমতলার কলোনি ফুটবল মাঠে নির্বাচনী সভায় ভাষণ দেন রাজনাথ। সেখানেই তাঁর ঘোষণা, বাংলাদেশ থেকে আসা ব্যক্তিদের বৈধ নাগরিকের অধিকার দেবে কেন্দ্র।

রাজ্যে ষষ্ঠ দফা ভোটের আগে বিজেপির ভোট প্রচারে এসে এদিন কংগ্রেস-বাম জোটের সমালোচনাও করেন তিনি। তাঁর নিশানা থেকে বাদ পড়েনি তৃণমূল সুপ্রিম মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ও। সারদা ও নারদকাণ্ড নিয়ে এর আগেও তৃণমূলকে নিশানা করছে বিজেপি, প্রচারে এসে সেই স্টিংকেই হাতিয়ার করলেন কেন্দ্রীয় স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী রাজনাথ সিং।




भाजपा को बंगाल में कितनी सीटें मिलेंगी, इससे बड़ी पहेली है कि लोकसभा चुनाव में मिले वौटबैंक को संघ परिवार सही सलामत रख पायेगा या नहीं।वोटबैंक को सहीसलामत बनाये रखने के लिए अंतिम दो चरणों में संघ परिवार ने सारी ताकत झोंक दी है और दीदी के खिलाफ आल आउट अटैक शुरु कर दिया है।त हैरतअंगेज तरीके से गृहमंत्रकी ने आज हर बांग्लादेशी को नागरिकता देने की घोषणा भी कर दी।


अमित शाह ने दीदी के चुनाव क्षेत्र भवानीपुर की सभा में कहा कि सिर्प एक सीट भवानीपुर में ममता बनर्जी को हराने की जरुरत है तो बंगाल में आपेआप परिवर्तन हो जायेगा तो फिल्म स्टार रूपा गांगुली ने हावड़ा में उग्र तरीके से भाजपा को जिताने की हर चंद कोशिश करने के बाद भवानीपुर में खड़े होकर कहा दिया कि वे काजल और लिपस्टिक के साथ पूरा मेकअप करेंगी और राजनीति भी करेंगी।इसके साथ ही सीधे दीदी पर गरीबी की नौटंकी करने का आरोप लगाकर उनकी सादगी को फर्जी बता दिया और उनकी हवाई चप्पल की राजनीति को दुत्कार दिया।


इस पहेली में बंगाल में दीदी की सत्ता में वापसी होगी या नहीं,इस पहेली को सुलझाने की कुंजी है।गौरतलब है कि असम में घुसपैठियों के खिलाफ युद्ध घोषणा के बाद लोकसभा चुनाव के बतर्ज आखिरी दो चरणों के लिए संघ परिवार फिर हिंदुत्व का कार्ड खेलने लगा है।


कल अमित साह ने भी कहा कि बंगाल में भाजपा ही एकमात्र विकल्प है और भाजपा सत्ता में आयी तो बांग्लादेश से घुसपैठ बंद हो जायेगी।


आज भारत सरकार के गृहमंत्री राजनाथ सिंह  ने बांग्लादेश से 2014 तक भारत आये हर व्यक्ति को केंद्र सरकार भारत की नागरिकता देगी।गौरतलब है कि इन्हीं राजनाथसिंह ने असम की चुनाव सभाओं में कहा था कि केंद्र सरकार भारत-बांग्लादेश सीमा को सील करेगी। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी प. बंगाल में आयोजित चुनावी जनसभा में यही कह चुके हैं कि राज्य की सीमाओं पर बाड़ लगाई जाएगी।


असम के डिब्रूगढ़ जिले के दुलियाजान में एक रैली मेें राजनाथ ने कहा था कि कांग्रेस ने कभी भी असम में घुसपैठ को लेकर ध्यान नहीं दिया।अब वे हर बांग्लादेशी को नागरिकता का वादा कर रहे हैं।


असम में तब अमित शाह ने घोषणा की थी कि बांग्लादेश से आने वाले वहां के अल्पसंख्यकों यानी हिंदुओं को भाजपा नागरिकता देगी और घुसपैठियों को खदेड़ बाहर करेगी।


दक्षिण 24 परगना के आमतला में राजनाथ सिंह ने यह घोषमा की है जबकि संघ परिवार बांग्लादेश से आये मुसलमानों को घुसपैठिया मानता और बताता रहा है।पिछले कलोकसभा चुनावों में भी प्रधानमंत्रित्व के केसरिया उम्मीदवार ने घुसपैठ के खिलाफ जिहाद का ऐलान करते हुए बांग्लादेश से आने वाले हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता देने का वायदा किया था।


प्रधानमंत्री बनने के बाद वे इस वायदे को भूल गये थे और अबकी दफा बंगाल की चुनाव सभाओं में घुसपैठ और नागरिकता के मुद्दे से उन्होंने परहेज बनाया रखा।अब कल भवानीपुर में ममता बनर्जी की सरकार पलट देने का आवाहन करने वाले अमित शाह ने घुसपैठ बंद करना भाजपा काएजंडा बताया तो आज गृहमंत्री बांगालदेश से 2014 तक आये हर बांग्लादेशी को नागरिकता देने की घोषणा कर दी।


गौरतलब है कि 30 अप्रैल को कोलकाता,दक्षिण 24 परगना और हुगली जिले में वोट पड़ने हैं और कोलकाता छोड़कर अन्यत्र उतनी भारी संख्या में हिंदू बंगाली शरणार्थियों की बसावट नहीं है।उत्तर 24 परगना,नदिया और उत्तर बंगाल के तमाम जिलों में जहां बांग्लादेशी शरणार्थियों की तादादा काफी ज्यादा है,वहां घुसपैठ और नागरिकता के बजाय विकास के मुद्दे को छूते हुए ममता बनर्जी की सरकार पर निर्मम प्रहार की तमाम भाजपा नेताओं की रणनीति रही है।


दक्षिण 24 परगना ,कोलकाता और हुगली में मुसलमान वोटर निर्णायक हैं और हर बांग्लादेशी शरणार्थी को नागरिकता देने का वादा कहीं मुसलमानों से किया जा रहा वादा तो नहीं है या दक्षिण कोलकाता के हिंदू शरणार्थियों के वाम कांग्रेस वोटों को तोड़ने का खेल तो नहीं है।


इसके उलट असम में भाजपा विदेशी नागरिकों को चिन्हित करने के लिए असम समझौते के 1971 के आधार वर्ष तक को मानने को तैयार नहीं थी और उल्फा की तरह 1948 के बाद आये सभी बांग्लादेशियों को खदेड़ने की बात कर रही थी।

यहीं नहीं,भाजपा के सत्ता में आने के बाद बांग्लादेश को छोड़कर दुनियाभर के अब तक आये शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए नागरिकता कानून संशोधित भी कर दिया गया लेकिन बांग्लादेश से आये हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता देने का कोई प्रावधान नहीं किया।


गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के पांचवे चरण के लिए प्रचार अभियान गुरुवार शाम समाप्त हो गया। चुनाव के इस अंतिम चरण में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत कई दिग्गज नेताओं का भविष्य दांव पर लगा है। दक्षिण 24 परगना, कोलकाता दक्षिण और हुगली जिलों में 53 विधानसभा क्षेत्रों में 43 महिलाओं सहित 349 उम्मीदवार मैदान में हैं। इन जिलों में शनिवार सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान होगा जहां 1.2 करोड़ से अधिक मतदाताओं के लिए 14,500 मतदान केन्द्र बनाए गए हैं। सभी की नजरें दक्षिण कोलकाता में भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र पर है जहां से तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनाव लड़ रही हैं।


सबकी निगाहें महानगर की भवानीपुर सीट पर टिकी हैं। यहां मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी चुनाव लड़ रही हैं। वाममोर्चा-कांग्रेस गठजोड़ ने उनके खिलाफ बोउदी यानी कांग्रेस की दीपा दासमुंशी को मैदान में उतारा है तो भाजपा ने दादा यानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परपोते चंद्र कुमार बोस को। दो लाख से ज्यादा वोटरों वाला भवानीपुर मिली-जुली आबादी वाला इलाका है। यह इलाका नेताजी के अलावा जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी और महान फिल्मकार सत्यजित रे का भी घर रहा है। इस सीट पर 11 उम्मीदवार अपनी किसमत आजमा रहे हैं।


गौरतलब है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बुधवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्वाचन क्षेत्र भवानीपुर में सभा कर तृणमूल सुप्रीमो पर कड़ा प्रहार किये। उन्होंने वोटरों के मुखातिब दो टुक शब्दों में  कहा: हमें 150 सीटें नहीं, भवानीपुर की सीट देकर हम पर उपकार करें।


अमित शाह ने भवानीपुर में कहा कि भारत को अाजादी दिलाने वाले की भूमि है यह। यहीं (भवानीपुर) से हम बंगाल में असली परिवर्तन की शुरुआत करना चाहते हैं।  


बुधवार को भाजपा अध्यक्ष ने दो चुनावी रैलियों को संबोधित किया। सबसे पहले डायमंड हार्बर में सभा की।वहां  उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के साथ ही कांग्रेस-माकपा गंठबंधन पर कड़ा प्रहार किया। शाह ने कहा : राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की योजनाओं के नाम बदल दिये और उन्हें राज्य सरकार की योजनाएं बता रही है। केंद्र सरकार की दो रुपये प्रति किलोग्राम चावल की योजना को बंगाल सरकार अपनी योजना बता रही है, जबकि केंद्र सरकार ने इस बाबत  27 रुपये प्रति किलो सब्सिडी दे रही है।


 भाजपा अध्यक्ष अमित शाह नेआरोप लगाया कि बंगाल में 'सिडिकेट राज' चल रहा है। विवेकानंद फ्लाइओवर गिरने के पीछे भी सिंडिकेट राज ही है। राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति दिनों- दिन बिगड़ रही है। महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं।


उन्होंने माकपा-कांग्रेस के गंठबंधन पर कटाक्ष करते हुए कहा : कांग्रेस और माकपा के बीच चुनावी समझौता 'जोट' नहीं वरन 'घोट है।बंगाल में ये दोनों पार्टियां आपस में समझौता कर रही हैं, जबकि केरल में लड़ाई कर रही हैं। वे लोग देखेंगे कि राज्यसभा में इन पार्टियों का रूख क्या रहता है।


गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में चुनाव ने गर्मी और बढ़ा दी है। अब जब चार चरणों के चुनाव संपन्न हो चुके है, तो तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी के दोबारा सरकार गठन को लेकर कयास लगाए जाने लगे है। लेकिन शारदा स्कैम औऱ नारदा स्टिंग ऑपरेशन को देखते हुए ये राह इतनी आसान नहीं लगती, जितनी पिछले विधानसभा चुनाव में थी। आम लोगों की मानें तो ममता की छवि जनता के बीच बेहद साफ-सुथरी है। जनता अब तक यही मानती रही है के वो ईमानदार है, लेकिन इस बार शारदा और नारदा ने उनकी छवि को खराब किया है।


मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चिटफंड फर्जीवाड़ा के लिए मशहूर शारदा समूह से क़रीबी संबंध बताए गए थे। इस समूह पर घोटाले करने का आरोप है।

एबीपी आनंद खी खबरें हैंः


ছাপ্পা রুখতে কড়া ব্যবস্থা নির্বাচন কমিশনের

ছাপ্পা রুখতে কড়া ব্যবস্থা নির্বাচন কমিশনের

কলকাতা: ষষ্ঠ দফায় ছাপ্পা রুখতে কড়া নির্বাচন কমিশন। নেওয়া হয়েছে একাধিক কৌশল। অবাধ ও সুষ্ঠু ভোটের লক্ষ্যে কলকাতা পুলিশ এলাকায় ১০৮ কোম্পানি কেন্দ্রীয় বাহিনীর সঙ্গে


বহিরাগত রুখতে কমিশনের নজরে এবার ক্লাব

বহিরাগত রুখতে কমিশনের নজরে এবার ক্লাব

কলকাতা: ভোটে বহিরাগতদের জমায়েত রুখতে, ক্লাবগুলির উপর নজরদারি চালাতে হবে। নজর রাখতে...

এসএসকেএমে বসেই ভোটে কলকাঠি নাড়তে পারেন মদন, কমিশনে দীপা

এসএসকেএমে বসেই ভোটে কলকাঠি নাড়তে পারেন মদন, কমিশনে দীপা

কলকাতা: এসএসকেএম হাসপাতালে বসে ভবানীপুরের ভোটকে নিয়ন্ত্রণ করতে পারেন সারদা...

দলের অস্বস্তি বাড়িয়ে হালিশহরে আক্রান্ত শিশুর পাশে তৃণমূল সাংসদ দীনেশ

দলের অস্বস্তি বাড়িয়ে হালিশহরে আক্রান্ত শিশুর পাশে তৃণমূল সাংসদ দীনেশ

কলকাতা: হালিশহরে ভোটের আগের রাতে বাড়িতে ঢুকে ৩ বছরের শিশুকে নৃশংস মার। ভোট মিটতেই...

শিশুকে মারের পর এবার মুচলেকা আদায়!

শিশুকে মারের পর এবার মুচলেকা আদায়!

ভোটের আগে রাতে বাড়িতে হামলা চালিয়ে একরত্তি শিশুকেও লাঠিপেটা করা হয়েছিল। কিন্তু ভয়কে...

পোস্টার ছিঁড়ে ঘুড়ি: ক্যানিংয়ে বালক নিগ্রহে গ্রেফতার তৃণমূল কর্মী

পোস্টার ছিঁড়ে ঘুড়ি: ক্যানিংয়ে বালক নিগ্রহে গ্রেফতার তৃণমূল কর্মী

ক্যানিং: ঘুড়ি বানানোর জন্য তৃণমূলের পোস্টার ছেঁড়ায় এক ১০ বছরের বালককে মারধর করার...


ভোটের দিন ১৪৪ ধারা নিয়ে আক্রমণ মমতার

ভোটের দিন ১৪৪ ধারা নিয়ে আক্রমণ মমতার

কলকাতা: প্রচার শেষ হতেই লাগু ১৪৪ ধারা। বিরোধীদের দাবি, পঞ্চম দফার ভোটে উত্তর ২৪ পরগনা...

24 घंटा की खबरेंः


সিঙ্গুরের খবর, বেচারাম মান্না ঘনিষ্ঠরা এবার রবীন্দ্রনাথ ভট্টাচার্যকে তৃণমূল প্রার্থী দেখতে চাননি!সিঙ্গুরের খবর, বেচারাম মান্না ঘনিষ্ঠরা এবার রবীন্দ্রনাথ ভট্টাচার্যকে তৃণমূল প্রার্থী দেখতে চাননি!

কারখানা হয়নি। কৃষকরা জমিও ফেরত পাননি। প্রচারে নেমে ভোটারদের বারবার এই কথাটাই মনে করিয়ে দেওয়ার চেষ্টা করছেন বিরোধী দলের হেভিওয়েট প্রার্থী। আর মাস্টারমশাই বলছেন, মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের ওপর এলাকার মানুষের আস্থা অটুট। তাই ভোটের ফল নিয়ে তাঁর কোনও মাথাব্যথা নেই। সিঙ্গুরের জমিতে ভোটের লড়াই এবার হাড্ডাহাড্ডি।

উত্তর হাওড়ায় ভোট নিয়ে অখুশি রূপা গাঙ্গুলি, সরাসরি নির্বাচন কমিশনের কাছে নালিশ জানালেনউত্তর হাওড়ায় ভোট নিয়ে অখুশি রূপা গাঙ্গুলি, সরাসরি নির্বাচন কমিশনের কাছে নালিশ জানালেন

উত্তর হাওড়ায় ভোট নিয়ে অখুশি রূপা গাঙ্গুলি। সেই নিয়ে এবার সরাসরি নির্বাচন কমিশনের কাছে নালিশ জানালেন তিনি।

পোলিং এজেন্টের কাজ করায় আক্রমণ, অভিযোগ সিপিএম কর্মীরপোলিং এজেন্টের কাজ করায় আক্রমণ, অভিযোগ সিপিএম কর্মীর

ভোট পরবর্তী হিংসা ছড়াল নৈহাটিতেও। আম্রপালী পল্লিতে এক পোলিং এজেন্টের ওপর চড়াও হয় দুস্কৃতীরা। ভাঙচুর করা হয় তাঁর বাড়ি। নির্বাচনে সিপিএমের পোলিং এজেন্টের কাজ করার জেরেই তিনি আক্রান্ত। দাবি সিপিএম

ভোট পরবর্তী হিংসায় উত্তপ্ত হালিশহরভোট পরবর্তী হিংসায় উত্তপ্ত হালিশহর

ভোট পরবর্তী হিংসায় উত্তপ্ত হালিশহর। রাতে ৭ নম্বর ওয়ার্ডের দত্তপাড়ায় ২ তৃণমূলকর্মীর ওপর হামলা। দলীয় কার্যালয় সংলগ্ন মাঠে বসে গল্প করার সময়েই আক্রান্ত হন পাপন সাহা ও সঞ্জয় দে নামে ২ যুবক। প্রত্যক্ষদর্শীরা জানিয়েছেন, হঠাত্‍ই একটি টোটোতে করে এলাকায় হানা দেয় ৫ দুষ্কৃতী।  নাম করে খোঁজ শুরু হয় পাপনের। বিপদের আঁচ পেয়ে  উর্ধবশ্বাসে দৌড়তে শুরু করেন পাপন। এরপরেই তাকে লক্ষ্য করে ৫ রাউন্ড গুলি চালায়  দুষ্কৃতীরা। পিঠে গুলি লাগায় মাটিতে লুটিয়ে পড়েন পাপন। এরপরেই পাপনের সঙ্গে থাকা সঞ্জয়ের মাথায় রিভলবারের বাঁট দিয়ে আঘাত করে দুষ্কৃতীরা। গুরুতর জখম হন তিনিও।

'২০টি আসন পেয়ে দেখাক', জোটকে চ্যালেঞ্জ মমতার'২০টি আসন পেয়ে দেখাক', জোটকে চ্যালেঞ্জ মমতার

"ওরা বলছে ২০০-এর কাছাকাছি আসন পাবে, ২০টি পেয়ে দেখাক", রায়দিঘিতে ভোট প্রচারে গিয়ে সরাসরি সিপিএম-কংগ্রেস জোটকে চ্যালেঞ্জ জানালেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। বিরোধীদেরকে কটাক্ষ করে তিনি বলেন," তৃণমূলকে নিয়ে টানাটানি করবেন না। ভোটের পর বলবেন না, বাঁচাও বাঁচাও।

মালদায় নাবালিকাকে ৩ মাস ধরে ধর্ষণের অভিযোগ কংগ্রেস নেতার বিরুদ্ধেমালদায় নাবালিকাকে ৩ মাস ধরে ধর্ষণের অভিযোগ কংগ্রেস নেতার বিরুদ্ধে

ক্লাস ফাইভের ছাত্রীকে তিন মাস ধরে লাগাতার ধর্ষণের অভিযোগ উঠল কংগ্রেস নেতার বিরুদ্ধে। ঘটনাটি পুরাতন মালদার মহানন্দা কলোনির। অভিযুক্ত কমল মণ্ডল পলাতক।

ভোট মিটতেই 'আক্রান্ত' সিপিএম এজেন্ট থেকে কর্মী, হামলা যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালয়ের অধ্যাপকের বাড়িতেওভোট মিটতেই 'আক্রান্ত' সিপিএম এজেন্ট থেকে কর্মী, হামলা যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালয়ের অধ্যাপকের বাড়িতেও

যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালয়ের অধ্যাপকের বাড়িতে হামলা চালাল দুষ্কৃতীরা। আক্রান্তের নাম প্রীতিকুমার রায়। বাড়ি নিউ বারাকপুরের মাসুমদায় অগ্রদূত সংঘের মাঠের পাশে। গতকাল রাত ১২টায় সেখানে হামলা চালায় জনা পনেরো দুষ্কৃতী। দুষ্কৃতীরা বাড়িতে ঢুকতে না পারলেও, বাইরের গেটের তালা ভাঙে। বাড়ির লোকের উদ্দেশে কটূক্তি ও বাইরে থেকে হুমকি চলতে থাকে। প্রীতিকুমার রায় দমদম উত্তর কেন্দ্রের বামপ্রার্থী তন্ময় ভট্টাচার্যের পোলিং এজেন্ট হয়ে বুথে বসেছিলেন।

ইস্যু ভোট, জুটমিলের দুই বিপরীত ছবি ২ জেলায়ইস্যু ভোট, জুটমিলের দুই বিপরীত ছবি ২ জেলায়

কারণ ভোট। আর তাই দুই জেলায় দুই বিপরীত ছবি। একদিকে উত্তর ২৪ পরগনা, আর অন্যদিকে হুগলী।



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