Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti basu is DEAD

Jyoti Basu: The pragmatist

Dr.B.R. Ambedkar

Memories of Another Day

Memories of Another Day
While my Parents Pulin Babu and basanti Devi were living

"The Day India Burned"--A Documentary On Partition Part-1/9

Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Tuesday, October 3, 2017

शंबूक हत्या,सीता की अग्निपरीक्षा और उनका वनवास,उत्तर कांड हटाकर रामजी का शुद्धिकरण जनविमर्श का जन आंदोलनः साहित्य,कला,माध्यम,विधाओं को सत्ता के शिकंजे से रिहा कराना सत्ता परिवर्तन से बड़ी चुनौती है जो सभ्यता और मनुष्यता के लिए अनिवार्य है। पलाश विश्वास

शंबूक हत्या,सीता की अग्निपरीक्षा और उनका वनवास,उत्तर कांड हटाकर रामजी का शुद्धिकरण 
जनविमर्श का जन आंदोलनः साहित्य,कला,माध्यम,विधाओं को सत्ता के शिकंजे से रिहा कराना सत्ता परिवर्तन से बड़ी चुनौती है जो सभ्यता और मनुष्यता के लिए अनिवार्य है।
पलाश विश्वास


मिथकों को इतिहास में बदलने का अभियान तेज हो गया है।साहित्य और संस्कृति कीसमूची विरासत को खत्म करने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खत्म है और सारे के सारे मंच,माध्यम और विधाएं बेदखल है।
मर्यादा पुरुषोत्तम को राष्ट्रीयता का प्रतीक बनाने वाली राजनीति अब मर्यादा पुरुषोतत्म के राम का भी नये सिरे से कायाकल्प करने जा रही है।शंबूक हत्या,सीता की अग्निपरीक्षा और उनका वनवास,उत्तर कांड हटाकर रामजी का शुद्धिकरण किया जा रहा है।
बंगाल या बांग्लादेश में रवींद्र के खिलाफ घृणा अभियान का जबर्दस्त विरोध है।स्त्री स्वतंत्रता में पितृसत्ता के विरुद्ध रवींद्र संगीत और रवींदार साहित्य बंगाल में स्त्रियों और उनके बच्चों के वजूद में पीढ़ी दर पीढ़ी शामिल हैं।
लेकिन विद्यासागर,राममोहन राय और माइकेल मधुसूदन दत्त के खिलाफ जिहाद का असर घना है।राम लक्ष्मण को खलनायक और मेघनाद को नायक बनाकर माइकेल मधुसूदन दत्त का  मुक्तक (अमृताक्षर) छंद में लिखा उन्नीसवीं सदी का मेघनाथ बध काव्य विद्यासागर और नवजागरण से जुड़ा है और आधुनिक भारतीय कविता की धरोहर है।
जब रामायण संशोधित किया जा सकता है तो समझ जा सकता है कि मेघनाथ वध जैसे काव्य और मिथकों के विरुद्ध लिखे गये बारतीय साहित्य का क्या हश्र होना है।इस सिलसिले में उर्मिला और राम की शक्ति पूजा को भी संशोदित किया जा सकता है।
इतिहास संशोधन के तहत रवींद्र प्रेमचंद्र गालिब पाश मुगल पठान और विविधता बहुलता सहिष्णुता के सारे प्रतीक खत्म करने के अभियान के तहत रामजी का भी नया मेकओवर किया जा रहा है।
ह्लदी घाटी की लड़ाई,सिंधु सभ्यता,अनार्य द्रविड़ विरासत,रामजन्मभूमि,आगरा के ताजमहल,दिल्ली के लालकिले के साथ साथ रामायण महाभारत जैसे विश्वविख्यात महाकाव्यों की कथा भी बदली जा रही है।जिनकी तुलना सिर्फ होमर के इलियड से की जाती रही है।
रामायण सिर्फ इस माहदेश की महाकाव्यीय कथा नहीं है बल्कि दक्षिण पूर्व एशिया में व्यापक जनसमुदायों के जीवशैली में शामिल है रामायण।इंडोनेशिया इसका प्रमाण है।
राम हिंदुओं के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम है तो बौद्ध परंपरा में वे बोधिसत्व भी हैं।
भारत में रामकथा के विभिन्न रुप हैं और रामायण भी अनेक हैं।भिन्न कथाओं के विरोधाभास को लेकर अब तक विवाद का कोई इतिहास नहीं है।
बाल्मीकी रामायण तुलसीदास का रामचरित मानस या कृत्तिवास का रामायण या कंबन का रामायण नहीं हैय़जबकि आदिवासियों के रामायण में राम और सीता भाई बहन है।अब तक इन कथाओं में राजनीतिक हस्तक्षेप कभी नहीं हुआ है।
अब सत्ता की राजनीति के तहत रामकथा भी इतिहास संशोधन कार्यक्रम में शामिल है।
सीता का वनवास,सीता की अग्निपरीक्षा और शंबूक हत्या जैसे सारे प्रकरण समेत समूचा उत्तर रामायण सिरे से खारिज करके राम को विशुद्ध मर्यादा पुरुषोत्तम राम बनाने के लिए इतिहास संशोधन ताजा कार्यक्रम है।
मनुस्मृति विधान के महिमामंडन के मकसद से यह कर्मकांड उसे लागू करने का कार्यक्रम है।
साहित्य और कला की स्वतंत्रता तो प्रतिबंधित है ही।अब साहित्य और संस्कृति की समूची विरासत इतिहास संशोधन कार्यक्रम के निशाने पर है।
सारे साहित्य का शुद्धिकरण इस तरह कर दिया जाये तो विविधता,बहुलता और सहिष्णुता का नामोनिशान नहीं बचेगा।
मीडिया में रेडीमेड प्रायोजित सूचना और विमर्श की तरह साहित्य,रंगकर्म,सिनेमा, कला और सारी विधाओं की समूची विरासत को संशोधित कर देने की मुहिम छिड़ने ही वाली है।
जो लोग अभी महान रचनाक्रम में लगे हैं,उनका किया धरा भी साबूत नहीं बचने वाला है।तमाम पुरस्कृत साहित्य को संशोधित पाठ्यक्रम के तहत संशोधित पाठ बतौर प्रस्तुत किया जा सकता है।शायद इससे बी प्रतिष्ठित विद्वतजनों को आपत्ति नहीं होगी।
रामायण संशोधन के बाद साहित्य और कला का शुद्धिकरण अभियान बी चलाने की जरुरत है।गालिब,रवींद्र और प्रेमचंद,मुक्तिबोध और भारतेंदु के साहित्य को प्रतिबंधित किया जाये,तो यह उतना बड़ा संकट नहीं है।लेकिन उनके लिखे साहित्यऔर उनके विचारों को राजनीतिक मकसद से बदलकर रख दिया जाये,तो इसका क्या नतीजे होने वाले हैं,इस पर सोचने की जरुरत है।
आज बांग्ला दैनिक एई समय में गोरखपुर में रामायण संशोधन के लिए इतिहास संशोधन के कार्यकर्ताओ की बैठक के संदर्भ में समाचार छपा है।हिंदी में यह समाचार पढ़ने को नहीं मिल रहा है।किसी के पास ब्यौरा हो तो शेयर जरुर करें।
साहित्य,कला,माध्यम,विधाओं को सत्ता के शिकंजे से रिहा कराना सत्ता परिवर्तन से बड़ी चुनौती है जो सभ्यता और मनुष्यता के लिए अनिवार्य है।
इसीलिए हम जन विमर्श के जनआंदोलन की बात कर रहे हैं।

No comments:

Post a Comment