माओवादियों का प्रदर्शन जारी, सेना हाई अलर्ट पर
प्रकाशित: Fri, 13 Nov 2009 at 13:40 IST (Sonika Srivastava)
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काठमांडो। नेपाल में माओवादियों के प्रदर्शन के दूसरे दिन हाथों में लाल झंडे लिए और सरकार विरोधी नारे लगाते हुए हजारों माओवादियों ने केंद्रीय सचिवालय का घेराव जारी रखा। माओवादियों के प्रदर्शन से सरकार का काम-काज भी ठप्प है।
माओवादी नेताओं के मुख्य सरकारी प्रशासनिक परिसर सिंहदरबार के घेराव को देखते हुए सरकार ने सेना को हाई अलर्ट पर रखा हुआ है, ताकि माओवादियों को सचिवालय में प्रवेश करने से रोका जा सके।
माओवादी प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल के नेतृत्व वाली 22 दलीय गठबंधन सरकार और राष्ट्रपति राम बरन यादव को हटाए जाने की मांग कर रहे हैं।
इस बीच, माओवादी नेता प्रचंड ने दबाव बढ़ाते हुए धमकी दी है कि अगर 'नागरिक सर्वोच्चता' की उनकी मांग नहीं मानी गयी, तो देशव्यापी बंद किया जाएगा।
सचिवालय के घेराव के बावजूद आज कई मंत्री और शासकीय अधिकारी प्रशासनिक परिसर में प्रवेश करने में सफल रहे। वे सभी माओवादियों के एकत्रित होने के लगभग एक घंटे पूर्व ही इमारत में प्रवेश कर गए।
सरकार ने कल के माओवादियों के प्रदर्शन को देखते हुए सशस्त्र पुलिस बल और नेपाल पुलिस के जवानों को तैनात कर दिया है। कल के टकराव में लगभग 50 लोग घायल हो गए थे, जिनमें माओवादियों के कई नेता भी शामिल हैं।
माओवादी नेताओं के मुख्य सरकारी प्रशासनिक परिसर सिंहदरबार के घेराव को देखते हुए सरकार ने सेना को हाई अलर्ट पर रखा हुआ है, ताकि माओवादियों को सचिवालय में प्रवेश करने से रोका जा सके।
माओवादी प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल के नेतृत्व वाली 22 दलीय गठबंधन सरकार और राष्ट्रपति राम बरन यादव को हटाए जाने की मांग कर रहे हैं।
इस बीच, माओवादी नेता प्रचंड ने दबाव बढ़ाते हुए धमकी दी है कि अगर 'नागरिक सर्वोच्चता' की उनकी मांग नहीं मानी गयी, तो देशव्यापी बंद किया जाएगा।
सचिवालय के घेराव के बावजूद आज कई मंत्री और शासकीय अधिकारी प्रशासनिक परिसर में प्रवेश करने में सफल रहे। वे सभी माओवादियों के एकत्रित होने के लगभग एक घंटे पूर्व ही इमारत में प्रवेश कर गए।
सरकार ने कल के माओवादियों के प्रदर्शन को देखते हुए सशस्त्र पुलिस बल और नेपाल पुलिस के जवानों को तैनात कर दिया है। कल के टकराव में लगभग 50 लोग घायल हो गए थे, जिनमें माओवादियों के कई नेता भी शामिल हैं।
आस्ट्रेलिया में निजी कॉलेजों पर कार्रवाई के लिए नए कानून का प्रस्ताव
प्रकाशित: Fri, 13 Nov 2009 at 17:56 IST (Sanjay Srivastava)
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मेलबर्न। आस्ट्रेलिया में हाल के महीने में भारतीय युवकों पर हुए सिलसिलेवार हमलों पर चिंता जताते हुए यहां की विक्टोरिया प्रांत ने उन निजी कॉलेजों पर कार्रवाई करने के लिये एक नये कानून का प्रस्ताव किया है जो विदेशी छात्रों का शोषण करते हैं।
संसद में पेश किया गया शिक्षा एवं प्रशिक्षण सुधार संशोधन अधिनियम 2006 धोखेबाज कॉलेज संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये प्रांतीय शिक्षा नियामक को और अधिक शक्तियां देगा।
दैनिक अखबार 'एज' की रिपोर्ट के मुताबिक यह नया कानून कॉलेजों को बंद करने और उन कॉलेजों का नाम प्रकाशित करने की नियामक शक्तियां देगा। जिन्हें विदेशी छात्रों को पढ़ाने के लिये मिला लाइसेंस निलंबित या रद्द हो गया है। रिपोर्ट में कहा गया है यह कॉलेजों के मालिकों, निदेशकों, साझेदारों और प्रबंधकीय एजेंटों तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारियों का नाम भी प्रकाशित कर सकता है। इसमें बताया गया है कि यह माना जाता था कि विधायी बदलाव कानून को स्पष्ट कर सकता है।
कानून में होने वाले बदलाव 'विक्टोरियन रजिस्ट्रेशन एंड क्वालीफिकेशन अथॉरिटी' (नियामक इकाई) को किसी संस्थान को अस्थायी रूप से बंद करने या रद्द करने का अधिकार भी देगा।
संसद में पेश किया गया शिक्षा एवं प्रशिक्षण सुधार संशोधन अधिनियम 2006 धोखेबाज कॉलेज संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये प्रांतीय शिक्षा नियामक को और अधिक शक्तियां देगा।
दैनिक अखबार 'एज' की रिपोर्ट के मुताबिक यह नया कानून कॉलेजों को बंद करने और उन कॉलेजों का नाम प्रकाशित करने की नियामक शक्तियां देगा। जिन्हें विदेशी छात्रों को पढ़ाने के लिये मिला लाइसेंस निलंबित या रद्द हो गया है। रिपोर्ट में कहा गया है यह कॉलेजों के मालिकों, निदेशकों, साझेदारों और प्रबंधकीय एजेंटों तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारियों का नाम भी प्रकाशित कर सकता है। इसमें बताया गया है कि यह माना जाता था कि विधायी बदलाव कानून को स्पष्ट कर सकता है।
कानून में होने वाले बदलाव 'विक्टोरियन रजिस्ट्रेशन एंड क्वालीफिकेशन अथॉरिटी' (नियामक इकाई) को किसी संस्थान को अस्थायी रूप से बंद करने या रद्द करने का अधिकार भी देगा।
अफगान नीति में सेना वापसी भी शामिल:व्हाइट हाउस
प्रकाशित: Fri, 13 Nov 2009 at 17:53 IST (Ramesh Chandra)
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वाशिंगटन। अफगानिस्तान में चिरस्थाई सेना रखने की चर्चाओं को खारिज करते हुए व्हाइट हाउस ने कहा है कि राष्ट्रपति बराक ओबामा की ओर से घोषित की जाने वाली अफगान नीति में सेना हटाने का मुद्दा भी शामिल किया जाएगा।
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव रॉबर्ट गिब्स ने कहा कि ओबामा का मानना है कि हम वहां आठ साल से हैं और हमेशा वहां नहीं रहेंगे। इस बात की पूरी पुष्टि किए जाने की आवश्यकता है कि वहां न सिर्फ सेना भेजने पर विचार किया जाए, बल्कि वहां से सेना को कैसे हटाया जाए, इसपर भी चर्चा की जानी चाहिए। गिब्स ने कहा कि काबुल में अमेरिकी दूतावास अफगान सरकार के साथ मिल कर कोई समझौता तैयार करने की दिशा में प्रयासरत है।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि इतना कहना काफी होगा कि नागरिकों की ओर, सेना की ओर और अफगान सरकार की ओर हमारे प्रयासों में राष्ट्रपति ने हमारी प्रगति का मूल्यांकन करने का मानक तैयार करने का काम किया है। गिब्स ने बताया कि ओबामा ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के मुद्दों पर निकट के सहयोगियों के साथ कुछ मानकों पर बुधवार को चर्चा की है। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने कहा कि पिछले कुछ समय से अमेरिकी सरकार अफगानिस्तान में चुनाव समेत कुछ मुद्दों पर अफगान सरकार से बात कर रही है।
उल्लेखनीय है कि अगस्त से अभी तक अमेरिकी राष्ट्रपति आठ बार अफगानिस्तान और पाकिस्तान के हालातों पर बैठकें कर चुके हैं और यह सभी बैठकें तीन घण्टे से ज्यादा लंबी खिंची। गिब्स ने कहा कि हमने जबरदस्त प्रगति की है। मुझे लगता है कि बैठक के बाद हम निर्णय लेने के काफी करीब आ जाएंगे, क्योंकि ओबामा और संबंधित दल ने अंतिम फैसले के लिए बहुत काम किया है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि हम प्रगति कर रहे हैं। मुझे लगता है कि राष्ट्रपति दिन प्रतिदिन समाधान के करीब पहुंच रहे हैं। उन्होंने ओबामा के स्वदेश वापस लौटने तक अफगान नीति पर किसी तरह की घोषणा से इंकार किया है।
गिब्स ने कहा कि वह :ओबामा: अपने पूरे दौरे में इस संदर्भ में सलाह मशविरा करते रहेंगे।
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव रॉबर्ट गिब्स ने कहा कि ओबामा का मानना है कि हम वहां आठ साल से हैं और हमेशा वहां नहीं रहेंगे। इस बात की पूरी पुष्टि किए जाने की आवश्यकता है कि वहां न सिर्फ सेना भेजने पर विचार किया जाए, बल्कि वहां से सेना को कैसे हटाया जाए, इसपर भी चर्चा की जानी चाहिए। गिब्स ने कहा कि काबुल में अमेरिकी दूतावास अफगान सरकार के साथ मिल कर कोई समझौता तैयार करने की दिशा में प्रयासरत है।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि इतना कहना काफी होगा कि नागरिकों की ओर, सेना की ओर और अफगान सरकार की ओर हमारे प्रयासों में राष्ट्रपति ने हमारी प्रगति का मूल्यांकन करने का मानक तैयार करने का काम किया है। गिब्स ने बताया कि ओबामा ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के मुद्दों पर निकट के सहयोगियों के साथ कुछ मानकों पर बुधवार को चर्चा की है। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने कहा कि पिछले कुछ समय से अमेरिकी सरकार अफगानिस्तान में चुनाव समेत कुछ मुद्दों पर अफगान सरकार से बात कर रही है।
उल्लेखनीय है कि अगस्त से अभी तक अमेरिकी राष्ट्रपति आठ बार अफगानिस्तान और पाकिस्तान के हालातों पर बैठकें कर चुके हैं और यह सभी बैठकें तीन घण्टे से ज्यादा लंबी खिंची। गिब्स ने कहा कि हमने जबरदस्त प्रगति की है। मुझे लगता है कि बैठक के बाद हम निर्णय लेने के काफी करीब आ जाएंगे, क्योंकि ओबामा और संबंधित दल ने अंतिम फैसले के लिए बहुत काम किया है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि हम प्रगति कर रहे हैं। मुझे लगता है कि राष्ट्रपति दिन प्रतिदिन समाधान के करीब पहुंच रहे हैं। उन्होंने ओबामा के स्वदेश वापस लौटने तक अफगान नीति पर किसी तरह की घोषणा से इंकार किया है।
गिब्स ने कहा कि वह :ओबामा: अपने पूरे दौरे में इस संदर्भ में सलाह मशविरा करते रहेंगे।
अमेरिका-आसियान सम्मेलन में मानवाधिकार का मुद्दा शीर्ष पर हो: एचआरडब्ल्यू
प्रकाशित: Fri, 13 Nov 2009 at 13:39 IST (Sonika Srivastava)
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सिंगापुर। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और दस प्रमुख एशियाई नेताओं के इस हफ्ते के अंत में होने वाली बैठक के पहले मानवाधिकार संगठनों ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति को म्यामां में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन समेत अन्य दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के आम मुद्दों को अपने संबोधन में शामिल करना चाहिए।
ह्यूमन राइट्स वॉच के एशिया निदेशक इलायन पीयरसन ने कहा कि ओबामा को दक्षिणपूर्वी एशिया के अपने पहले दौरे को आसियान एजेंडे में मानवाधिकारों के मामलों को शामिल करवाने के लिए उपयोग करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि म्यामां स्वाभाविक तौर पर वह स्थान हो सकता है जहां से शुरूआत की जाए, लेकिन मीडिया दमन और मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाएं पूरे क्षेत्र में आम हैं।
उल्लेखनीय है कि आगामी रविवार को ओबामा एशिया के दस प्रमुख नेताओं से मुलाकात करेंगे, जिसमें सैन्य शासित म्यामां के प्रधानमंत्री थिन सेन भी शामिल हैं।
गौरतलब है कि अमेरिकी प्रशासन वर्तमान में म्यामां के साथ संबंध स्थापित करने के लिए नया तरीका अपना रहा है। उसकी कोशिश है कि म्यामां में जबतक लोकतंत्र की बहाली के लिए महत्वपूर्ण जब तक पहल न हो, तबतक वहां लगे प्रतिबंधों को न हटाया जाए। पीयरसन ने कहा कि आसियान के नेता अभी तक म्यामां को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया ही देते रहे हैं। ओबामा को अपने दौरे में इन नेताओं को म्यामां में वास्तविक लोकतंत्र बहाली के लिए आगे आने को एकजुट करने की कोशिश करनी चाहिए।
ह्यूमन राइट्स वॉच के एशिया निदेशक इलायन पीयरसन ने कहा कि ओबामा को दक्षिणपूर्वी एशिया के अपने पहले दौरे को आसियान एजेंडे में मानवाधिकारों के मामलों को शामिल करवाने के लिए उपयोग करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि म्यामां स्वाभाविक तौर पर वह स्थान हो सकता है जहां से शुरूआत की जाए, लेकिन मीडिया दमन और मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाएं पूरे क्षेत्र में आम हैं।
उल्लेखनीय है कि आगामी रविवार को ओबामा एशिया के दस प्रमुख नेताओं से मुलाकात करेंगे, जिसमें सैन्य शासित म्यामां के प्रधानमंत्री थिन सेन भी शामिल हैं।
गौरतलब है कि अमेरिकी प्रशासन वर्तमान में म्यामां के साथ संबंध स्थापित करने के लिए नया तरीका अपना रहा है। उसकी कोशिश है कि म्यामां में जबतक लोकतंत्र की बहाली के लिए महत्वपूर्ण जब तक पहल न हो, तबतक वहां लगे प्रतिबंधों को न हटाया जाए। पीयरसन ने कहा कि आसियान के नेता अभी तक म्यामां को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया ही देते रहे हैं। ओबामा को अपने दौरे में इन नेताओं को म्यामां में वास्तविक लोकतंत्र बहाली के लिए आगे आने को एकजुट करने की कोशिश करनी चाहिए।
अमेरिका में चार मस्जिदों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू
प्रकाशित: Fri, 13 Nov 2009 at 12:12 IST (Sonika Srivastava)
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हूस्टन। अमेरिकी अधिकारियों ने ईरानी सरकार से सम्बन्ध होने के संदेह के चलते मैनहटन में चार मस्जिदों और एक मुस्लिम गैरसरकारी संगठन की 36 मंजिला इमारत को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की है।
अमेरिका के इतिहास में आतंकवाद के खिलाफ अभियान में सम्पत्ति जब्त करने की सबसे बड़ी कार्रवाइयों में शामिल इस प्रक्रिया के तहत अभियोजकों ने फेडरल अदालत में एक कथित मुखौटा कम्पनी अलावी फाउंडेशन की 50 करोड़ डॉलर से ज्यादा की सम्पत्ति को जब्त करने के लिये एक शिकायत दाखिल की है।
इस्लामिक एजूकेशन सेंटर ऑफ ग्रेटर ह्यूस्टन, न्यूयॉर्क, मेरीलैंड और कैलीफोर्निया में स्थित इस्लामी केन्द्रों की सम्पत्ति, वर्जीनिया में 100 एकड़ से ज्यादा जमीन तथा न्यूयॉर्क में पियागेट बिल्डिंग नाम की 36 मंजिला इमारत को जब्त किया जाना है।
अमेरिकी अटॉर्नी प्रीत भरारा ने एक बयान में कहा कि संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत समेत ईरानी अधिकारी पिछले दो दशक से अलावी फाउंडेशन को संचालित कर रहे हैं। यह अमेरिकी कानून के खिलाफ है।
अमेरिका के इतिहास में आतंकवाद के खिलाफ अभियान में सम्पत्ति जब्त करने की सबसे बड़ी कार्रवाइयों में शामिल इस प्रक्रिया के तहत अभियोजकों ने फेडरल अदालत में एक कथित मुखौटा कम्पनी अलावी फाउंडेशन की 50 करोड़ डॉलर से ज्यादा की सम्पत्ति को जब्त करने के लिये एक शिकायत दाखिल की है।
इस्लामिक एजूकेशन सेंटर ऑफ ग्रेटर ह्यूस्टन, न्यूयॉर्क, मेरीलैंड और कैलीफोर्निया में स्थित इस्लामी केन्द्रों की सम्पत्ति, वर्जीनिया में 100 एकड़ से ज्यादा जमीन तथा न्यूयॉर्क में पियागेट बिल्डिंग नाम की 36 मंजिला इमारत को जब्त किया जाना है।
अमेरिकी अटॉर्नी प्रीत भरारा ने एक बयान में कहा कि संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत समेत ईरानी अधिकारी पिछले दो दशक से अलावी फाउंडेशन को संचालित कर रहे हैं। यह अमेरिकी कानून के खिलाफ है।
दिल्ली के होटल में 26/11 से पहले रुका था हेडली
प्रकाशित: Fri, 13 Nov 2009 at 13:46 IST (Jai Shanker Prasad Shukla)
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नयी दिल्ली। भारत की राजधानी में दिल्ली पुलिस पुलिस ने हेडली से जुड़े तार को ढूंढ़ना शुरू कर दिया है। दिल्ली पुलिस ने हॉली डे इन और पहाड़गंज के होटल आनंद में जांच-पड़ताल शुरू कर दी है।
मिली जानकारी के अनुसार अमरीका में गिरफ्तार आतंकी हेडली का दिल्ली काफी पहले से आना-जाना था। सात मार्च 2009 को हेडली ने अबू धाबी से फ्लाइट पकड़ी और वह दिल्ली के होटल हॉली डे इन पहुंचा। शाम के चार बजकर 45 मिनट पर हेडली ने होटल में चेक इन किया, जबकि वह सुबह आठ बजे हॉली डे इन छोड़कर पहाड़गंज के होटल आनंद में जाकर ठहर गया। इस होटल में वह 10 मार्च तक रहा। इस यात्रा के दौरान हेडली का पासपोर्ट नंबर 097536400 था, जो अमरीका में जारी हुआ था। यह पासपोर्ट 10 साल के लिए जारी किया गया था। हेडली को भारत आने-जाने के लिए 18 जुलाई 2007 से जुलाई 2012 तक के लिए मल्टीपल एंट्री वीजा जारी किया गया था। इस वीजे की वजह से हेडली बड़े आराम से भारत आता-जाता रहा। अमेरिका का संदिग्ध आतंकी डेविड हेडली मुंबई हमलों के कुछ महीने पूर्व राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के भी एक होटल में रुका था। हेडली के पासपोर्ट संबंधी विवरण के अनुसार हेडली पिछले साल अप्रैल में दिल्ली और मुंबई आया था। उसके बाद वह पाकिस्तान चला गया था। हेडली को एफबीआई ने प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तय्यबा के साथ संबंधों के आरोप में गिरफ्तार किया था। सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां हेडली के आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन से भी संपर्कों के बारे में छान-बीन कर रही हैं, जिसने राजस्थान और दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में हमले कराए थे।
गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कल कहा था कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी :एनआईए: ने हेडली के अलावा उसके साथी और कनाडाई नागरिक तहव्वुर हुसैन राणा के खिलाफ भी मामला दर्ज कर लिया है। चिदंबरम ने कहा था कि हेडली ने 26-11 के पहले कई बार और बाद में एक बार भारत की यात्रा की थी। उन्होंने कहा था हेडली जहां-जहां गया था, हम उन शहरों में जांच कर रहे हैं कि उसने किस-किस से मुलाकात की थी। गृह मंत्रालय के एक उच्चाधिकारी ने दावा किया कि जांचकर्ताओं के पास हेडली के लश्कर-ए-तय्यबा के साथ संपर्कों के संबंध में पर्याप्त सबूत हैं और सरकार अगले साल जनवरी में अमेरिका की अदालत के सामने उन्हें प्रस्तुत करके उसके प्रत्यर्पण का दबाव डालने वाली है। अधिकारी ने कहा हम सबूतों के साथ उसके प्रत्यर्पण का दबाव डालेंगे। जांचकर्ता अब इस बात की जांच में जुटे हैं कि क्या हेडली और राणा दोनों मुंबई हमलों में शामिल थे और क्या दोनों के आका और मुंबई पर हमले की योजना बनाने वाले एक ही हैं।
अंतरराष्ट्रीय मधुमेह दिवस 14 नवंबर पर विशेष
भारत अपनी युवा आबादी की बदौलत आने वाले समय में दुनिया की एक बड़ी आर्थिक शक्ति बनने के लिए प्रयासरत है। लेकिन इस युवा आबादी के एक बड़े भाग में लोगों की शिराओं में धीरे-धीरे मीठा जहर घुलने की आशंका विशेषज्ञों की नींद उड़ाये हुए है क्योंकि आबादी का यही हिस्सा अर्थव्यवस्था के लिए सबसे अधिक उत्पादक होगा।
विशेषज्ञों के अनुसार भारत की विशाल आबादी को देखते हुए आने वाले समय में मधुमेह रोगियों की संख्या बढ़ना तो चिंता की बात है ही, लेकिन चिंता का असली कारण है कि यह किस उम्र के लोगों को यह बीमारी अधिक हो रही है। पश्चिम में अधिकतर लोगों को उम्र के छठवें दशक में मधुमेह होता है, जबकि भारत में 30 से 45 वर्ष की आयु में ही यह बीमारी होने की दर सबसे अधिक है।
मधुमेह विशेषज्ञ डॉ.अशोक झींगन के अनुसार पश्चिमी देशों में जिन लोगों में पहली बार मधुमेह का पता चलता है उनमें साठ से अधिक उम्र वाले लोगों की संख्या सबसे अधिक होती है। इसका मतलब यह हुआ कि इन देशों में मधुमेह ऐसे लोगों को कम प्रभावित कर रहा है जो देश की उत्पादक शक्ति हैं। भारत में तस्वीर बिल्कुल उलट है।
मधुमेह पर कई पुस्तकें लिख चुके डा.झींगन ने कहा कि भारत में मधुमेह के बारे में एक अन्य महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि यह बीमारी युवाओं के साथ-साथ शहरों में रहने वाली आबादी को अधिक हो रही है। इसका मतलब है कि हमें शहरों में मधुमेह को लेकर बड़े पैमाने पर जागरूकता बढ़ानी होगी और लोगों को अपनी जीवनशैली बदलने के लिए प्रेरित करना होगा। उन्होंने कहा कि कि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोगों का खानपान देशी घी और गरिष्ठ चीजों से भरपूर है लेकिन इन क्षेत्रों के लोगों में शहरी इलाकों की तुलना में मधुमेह के मामले इसलिए कम मिलते हैं क्योंकि वे आज भी परिश्रम वाला जीवन जीते हैं। इसके विपरीत शहरी जीवन ने आदमी के शारीरिक श्रम की संभावनाओं को बेहद कम कर दिया है।
उन्होंने कहा कि शहरी जीवन में लोग खानपान के मामले में बेहद लापरवाह होते जा रहे हैं। हमारे खाने में तली हुई चीजों, प्रसंस्करित डिब्बाबंद खाद्य वस्तुओं की मात्रा बढ़ रही है। जीवनशैली में भी हम चाहे अनचाहे तमाम तरह के तनाव पाल रहे हैं। इन सब कारणों से शहरी लोगों को मधुमेह होना स्वाभाविक है। राजधानी के गुरु तेग बहादुर अस्पताल के पूर्व वरिष्ठ चिकित्सक डा.राहुल गुलाटी के अनुसार युवा पीढ़ी के लोगों को मधुमेह का पता अक्सर अन्य कारणों से चलता है। अधिक भूख और प्यास लगना,अधिक बार पेशाब के लिए जाना,सुस्ती, वजन घटना, घावों का देर से भरना, बार बार एलर्जी होना इसके सामान्य लक्षण हैं लेकिन इन लक्षणों से एकबारगी मधुमेह रोग पकड़ में नहीं आता। डा.गुलाटी ने कहा कि जिस तरह देश के युवाओं में मधुमेह के मामले बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए 2012 तक इसके महामारी के स्तर पर पहुंचने की आशंका है। इसके लिए बेहद जरूरी है कि 35 वर्ष के बाद हर युवा साल में कम से कम एक बार मधुमेह की जांच कराये।
उन्होंने कहा कि इससे समस्या को बिगड़ने से काफी हद तक रोका जा सकता है क्योंकि शरीर में अधिक समय तक शर्करा का स्तर बढ़े रहने से रक्तचाप बढ़ने, हृदय, गुर्दे, जिगर और नेत्र प्रभावित होने जैसी तमाम जटिलताएं पैदा होती हैं।
डा.झींगन और डा. गुलाटी सहित सभी विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा सोचना गलत है कि मधुमेह का इलाज सिर्फ दवाओं से किया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार यह जीवनशैली के कारण होने वाला रोग है लिहाजा इसके उपचार में जीवनशैली को ठीक करना बेहद जरूरी है। मधुमेह के उपचार के दौरान नियमित शारीरिक श्रम,तनाव रहित जीवन और संयमित भोजन के जरिये जीवन शैली को नियंत्रित करना बेहद जरूरी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि शहरी क्षेत्रों में मधुमेह की रोकथाम के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। इसके प्रयास सिर्फ सरकार तक सीमित नहीं रहने चाहिए।
http://hindi.samaylive.com/articles/2349236623522340-23252368-23322357236623442368-235023752306-23282369235423402366-2350236823362366-233223612352.html
-- मिली जानकारी के अनुसार अमरीका में गिरफ्तार आतंकी हेडली का दिल्ली काफी पहले से आना-जाना था। सात मार्च 2009 को हेडली ने अबू धाबी से फ्लाइट पकड़ी और वह दिल्ली के होटल हॉली डे इन पहुंचा। शाम के चार बजकर 45 मिनट पर हेडली ने होटल में चेक इन किया, जबकि वह सुबह आठ बजे हॉली डे इन छोड़कर पहाड़गंज के होटल आनंद में जाकर ठहर गया। इस होटल में वह 10 मार्च तक रहा। इस यात्रा के दौरान हेडली का पासपोर्ट नंबर 097536400 था, जो अमरीका में जारी हुआ था। यह पासपोर्ट 10 साल के लिए जारी किया गया था। हेडली को भारत आने-जाने के लिए 18 जुलाई 2007 से जुलाई 2012 तक के लिए मल्टीपल एंट्री वीजा जारी किया गया था। इस वीजे की वजह से हेडली बड़े आराम से भारत आता-जाता रहा। अमेरिका का संदिग्ध आतंकी डेविड हेडली मुंबई हमलों के कुछ महीने पूर्व राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के भी एक होटल में रुका था। हेडली के पासपोर्ट संबंधी विवरण के अनुसार हेडली पिछले साल अप्रैल में दिल्ली और मुंबई आया था। उसके बाद वह पाकिस्तान चला गया था। हेडली को एफबीआई ने प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तय्यबा के साथ संबंधों के आरोप में गिरफ्तार किया था। सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां हेडली के आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन से भी संपर्कों के बारे में छान-बीन कर रही हैं, जिसने राजस्थान और दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में हमले कराए थे।
गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कल कहा था कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी :एनआईए: ने हेडली के अलावा उसके साथी और कनाडाई नागरिक तहव्वुर हुसैन राणा के खिलाफ भी मामला दर्ज कर लिया है। चिदंबरम ने कहा था कि हेडली ने 26-11 के पहले कई बार और बाद में एक बार भारत की यात्रा की थी। उन्होंने कहा था हेडली जहां-जहां गया था, हम उन शहरों में जांच कर रहे हैं कि उसने किस-किस से मुलाकात की थी। गृह मंत्रालय के एक उच्चाधिकारी ने दावा किया कि जांचकर्ताओं के पास हेडली के लश्कर-ए-तय्यबा के साथ संपर्कों के संबंध में पर्याप्त सबूत हैं और सरकार अगले साल जनवरी में अमेरिका की अदालत के सामने उन्हें प्रस्तुत करके उसके प्रत्यर्पण का दबाव डालने वाली है। अधिकारी ने कहा हम सबूतों के साथ उसके प्रत्यर्पण का दबाव डालेंगे। जांचकर्ता अब इस बात की जांच में जुटे हैं कि क्या हेडली और राणा दोनों मुंबई हमलों में शामिल थे और क्या दोनों के आका और मुंबई पर हमले की योजना बनाने वाले एक ही हैं।
भारत की जवानी में घुलता मीठा जहर
प्रकाशित: Fri, 13 Nov 2009 at 17:31 IST (Ramesh Chandra)
अंतरराष्ट्रीय मधुमेह दिवस 14 नवंबर पर विशेष
भारत अपनी युवा आबादी की बदौलत आने वाले समय में दुनिया की एक बड़ी आर्थिक शक्ति बनने के लिए प्रयासरत है। लेकिन इस युवा आबादी के एक बड़े भाग में लोगों की शिराओं में धीरे-धीरे मीठा जहर घुलने की आशंका विशेषज्ञों की नींद उड़ाये हुए है क्योंकि आबादी का यही हिस्सा अर्थव्यवस्था के लिए सबसे अधिक उत्पादक होगा।
विशेषज्ञों के अनुसार भारत की विशाल आबादी को देखते हुए आने वाले समय में मधुमेह रोगियों की संख्या बढ़ना तो चिंता की बात है ही, लेकिन चिंता का असली कारण है कि यह किस उम्र के लोगों को यह बीमारी अधिक हो रही है। पश्चिम में अधिकतर लोगों को उम्र के छठवें दशक में मधुमेह होता है, जबकि भारत में 30 से 45 वर्ष की आयु में ही यह बीमारी होने की दर सबसे अधिक है।
मधुमेह विशेषज्ञ डॉ.अशोक झींगन के अनुसार पश्चिमी देशों में जिन लोगों में पहली बार मधुमेह का पता चलता है उनमें साठ से अधिक उम्र वाले लोगों की संख्या सबसे अधिक होती है। इसका मतलब यह हुआ कि इन देशों में मधुमेह ऐसे लोगों को कम प्रभावित कर रहा है जो देश की उत्पादक शक्ति हैं। भारत में तस्वीर बिल्कुल उलट है।
मधुमेह पर कई पुस्तकें लिख चुके डा.झींगन ने कहा कि भारत में मधुमेह के बारे में एक अन्य महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि यह बीमारी युवाओं के साथ-साथ शहरों में रहने वाली आबादी को अधिक हो रही है। इसका मतलब है कि हमें शहरों में मधुमेह को लेकर बड़े पैमाने पर जागरूकता बढ़ानी होगी और लोगों को अपनी जीवनशैली बदलने के लिए प्रेरित करना होगा। उन्होंने कहा कि कि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोगों का खानपान देशी घी और गरिष्ठ चीजों से भरपूर है लेकिन इन क्षेत्रों के लोगों में शहरी इलाकों की तुलना में मधुमेह के मामले इसलिए कम मिलते हैं क्योंकि वे आज भी परिश्रम वाला जीवन जीते हैं। इसके विपरीत शहरी जीवन ने आदमी के शारीरिक श्रम की संभावनाओं को बेहद कम कर दिया है।
उन्होंने कहा कि शहरी जीवन में लोग खानपान के मामले में बेहद लापरवाह होते जा रहे हैं। हमारे खाने में तली हुई चीजों, प्रसंस्करित डिब्बाबंद खाद्य वस्तुओं की मात्रा बढ़ रही है। जीवनशैली में भी हम चाहे अनचाहे तमाम तरह के तनाव पाल रहे हैं। इन सब कारणों से शहरी लोगों को मधुमेह होना स्वाभाविक है। राजधानी के गुरु तेग बहादुर अस्पताल के पूर्व वरिष्ठ चिकित्सक डा.राहुल गुलाटी के अनुसार युवा पीढ़ी के लोगों को मधुमेह का पता अक्सर अन्य कारणों से चलता है। अधिक भूख और प्यास लगना,अधिक बार पेशाब के लिए जाना,सुस्ती, वजन घटना, घावों का देर से भरना, बार बार एलर्जी होना इसके सामान्य लक्षण हैं लेकिन इन लक्षणों से एकबारगी मधुमेह रोग पकड़ में नहीं आता। डा.गुलाटी ने कहा कि जिस तरह देश के युवाओं में मधुमेह के मामले बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए 2012 तक इसके महामारी के स्तर पर पहुंचने की आशंका है। इसके लिए बेहद जरूरी है कि 35 वर्ष के बाद हर युवा साल में कम से कम एक बार मधुमेह की जांच कराये।
उन्होंने कहा कि इससे समस्या को बिगड़ने से काफी हद तक रोका जा सकता है क्योंकि शरीर में अधिक समय तक शर्करा का स्तर बढ़े रहने से रक्तचाप बढ़ने, हृदय, गुर्दे, जिगर और नेत्र प्रभावित होने जैसी तमाम जटिलताएं पैदा होती हैं।
डा.झींगन और डा. गुलाटी सहित सभी विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा सोचना गलत है कि मधुमेह का इलाज सिर्फ दवाओं से किया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार यह जीवनशैली के कारण होने वाला रोग है लिहाजा इसके उपचार में जीवनशैली को ठीक करना बेहद जरूरी है। मधुमेह के उपचार के दौरान नियमित शारीरिक श्रम,तनाव रहित जीवन और संयमित भोजन के जरिये जीवन शैली को नियंत्रित करना बेहद जरूरी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि शहरी क्षेत्रों में मधुमेह की रोकथाम के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। इसके प्रयास सिर्फ सरकार तक सीमित नहीं रहने चाहिए।
http://hindi.samaylive.com/articles/2349236623522340-23252368-23322357236623442368-235023752306-23282369235423402366-2350236823362366-233223612352.html
भाजपा ने किया महंगाई का विरोध, दिल्ली बंद
प्रकाशित: Fri, 13 Nov 2009 at 11:13 IST (Jai Shanker Prasad Shukla)
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नयी दिल्ली। बस किराये में वृद्धि और रोजमर्रा के सामानों की आसमान छूती कीमतों के विरोध में भाजपा द्वारा आहूत बंद का मिला जुला असर देखने को मिला। बंद के चलते कुछ बाजार बंद रहे और यातायात आम दिनों की तरह रहा। स्कूल, सरकारी कार्यालय और अन्य संस्थानों में आम दिनों की तरह काम हुआ। बढ़ती ठंड के बावजूद भाजपा कार्यकर्ताओं ने राजधानी के विभिन्न स्थानों में अपने नेताओं की अगुवाई में प्रदर्शन किया। बस और मेट्रो किराये में वृद्धि और जरूरी सामानों की मूल्य वृद्धि पर रोक लगाने में ''नाकाम'' रहने के लिए सरकार विरोधी नारे लगाये और तख्तियां दिखाई।
भाजपा की पकड़ वाले क्षेत्रों जैसे ग्रेटर कैलाश, विकास मार्ग, लक्ष्मी नगर और चांदनी चौक में बाजार बंद रहे। भाजपा कार्यकर्ताओं ने रैली निकाली, जिसे देखते हुए दिल्ली पुलिस ने कड़ी सुरक्षा के इंतजाम किए थे। कहीं से किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है। वरिष्ठ भाजपा नेता वी के मल्होत्रा ने कहा सरकार विरोधी राजनीति के खिलाफ बंद का आह्वान किया गया है। बस के किराये बढ़ा दिए गए ताकि लोग बसों में यात्रा को प्राथमिकता न दे। इसी प्रकार खाद्य वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं। इसमें आम आदमी कैसे जी सकता है।
भाजपा की पकड़ वाले क्षेत्रों जैसे ग्रेटर कैलाश, विकास मार्ग, लक्ष्मी नगर और चांदनी चौक में बाजार बंद रहे। भाजपा कार्यकर्ताओं ने रैली निकाली, जिसे देखते हुए दिल्ली पुलिस ने कड़ी सुरक्षा के इंतजाम किए थे। कहीं से किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है। वरिष्ठ भाजपा नेता वी के मल्होत्रा ने कहा सरकार विरोधी राजनीति के खिलाफ बंद का आह्वान किया गया है। बस के किराये बढ़ा दिए गए ताकि लोग बसों में यात्रा को प्राथमिकता न दे। इसी प्रकार खाद्य वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं। इसमें आम आदमी कैसे जी सकता है।
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