Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti basu is DEAD

Jyoti Basu: The pragmatist

Dr.B.R. Ambedkar

Memories of Another Day

Memories of Another Day
While my Parents Pulin Babu and basanti Devi were living

"The Day India Burned"--A Documentary On Partition Part-1/9

Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Sunday, September 5, 2010

शिवराज का लंगर और भूखे पत्रकार

शिवराज का लंगर और भूखे पत्रकार

E-mail Print PDF

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सरकारी खर्चे से भोजन कराने का बहुत शौक है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री आवास का सत्कार व्यय सालाना एक से दो करोड़ के आस-पास बैठता है. वैसे यहां हम सीएम की फिज़ूलखर्ची की चर्चा नहीं कर रहे हैं. चर्चा तो उनके लंगर के आयोजन की है. हुआ यूं कि 2 सितम्बर श्री कृष्ण जन्माष्टमी को शिवराज ने पत्रकारों को रात्रिभोज पर बुलवाया. सीएम का पीआर संभालने वाले अधिकारी सभी को फोन करते हैं, इस क्षेपक के साथ..."सपरिवार आइयेगा. बहुत सेलेक्टेड लोगों को बुलाया गया है. लोकल मीडिया तक को नहीं बुलाया गया. ज़रूर आइये."

मैं बता दूं, इस क्षेपक की ज़रूरत क्यों पड़ी. दरअसल जब भी सीएम के यहां से सपरिवार आने का न्योता होता है,  कुछ लोगों को छोड़कर कोई परिवार लेकर नहीं जाता, क्योंकि वहां लंगर जैसा माहौल रहता है. कल इत्मीनान कराया गया तो कुछ लोगों ने हौसला कर लिया. सुबह से ही पत्नियों को ताकीद कर दी गई कि शाम को सीएम साहब के घर भोजन पर चलना है. शाम को कई बड़े अखबारों के मालिकान और संपादकनुमा / वरिष्ठ पत्रकार अपनी-अपनी पत्नियों के साथ पहुंच गए. उम्मीद थी कि माननीय शिवराज जी सपरिवार उनकी अगवानी करेंगे लेकिन देख कर भौचक रह गए वहां हमेशा की तरह कार्यकर्ता सम्मलेन जैसा माहौल है.

हज़ारों की तादात में छोटे, बड़े, मंझोले, लम्बे, नाटे, काले, पीले, गोरे लोग पहले से कुर्सियों पर काबिज़ हैं. बैठने को जगह नहीं. गेट पर अगवानी कर रहे थे भाजपा भोपाल के पूर्व और वर्तमान अध्यक्ष. अखबार मालिक तो कई सारे संभावित लाभ-शुभ के चलते कुछ कह नहीं सकते थे, लिहाजा जहां जगह मिली, कुर्सियों पर सपरिवार धंस गए. जो बच गए वे सीएम हाउस में लगे पेड़ों पर पुश्त टिकाकर खड़े हो गए. वहां एक मंच भी बना था जिसमे रविन्द्र जैन जी रामानंद सागर की रामायण मार्का स्वर लहरियां बिखेर रहे थे. पास ही जो भोजन के पंडाल थे वहां ऐसा माहौल मचा था, जैसा किसी भी रेलवे स्टेशन पर शताब्दी / राजधानी एक्सप्रेस की सफाई के वक्त बचे हुए खाने पर स्टेशन के आस-पास रहने वाले अनाथ लोग टूटते हैं.

जो पहली बार बीबीयों के साथ सीएम के घर अपना रौब गांठने गए थे उनके अरमान ठंडे पड़ गए. जिनके साथ थोड़ा बहुत बोलना सीख चुके बच्चे थे, वे पापा को कोहनी मारते कहने लगे, "पापा चलो कहीं और खाना खायेंगे पर यहाँ नहीं खायेंगे." खुद को तोप मानने वाली पत्रकारीय कौम भौचक थी कि क्या करें. अखबारों के मालिकों की मौजूदगी में गुस्सा भी कैसे झल्काएं. कहीं ये भी अखबार की "पॉलिसी " के खिलाफ बात न हो जाए. क्योंकि आजकल तमाम पत्रकार खबर लिखने से पहले अखबार की "पॉलिसी" पर ज़रूर विचार करते हैं.

बहरहाल लोग कुढ़ते रह गए और मज़बूरी में भूखे पेट वहां से पलायन करना पडा. पत्नियों की तो चांदी हो गई क्योंकि ज्यादातर पतियों ने उन्हें मज़बूरी में होटल में ले जाकर डिनर दिया. इसमें वैसे देखा जाए तो सबसे बड़ा दोष जनसंपर्क आयुक्त का है, जो कार्यक्रम को ठीक तरह से मैनेज नहीं कर पाए. मुख्य मंत्री के घर पर लंगर ही होता है ये सभी जानते हैं, तो उन्हें ये क्षेपक वाला फोन पत्रकारों को नहीं करना था. यदि किया था तो उन्हें शिवराज से चिरोरी करना था कि "सर सिर्फ पत्रकारों को ही आज बुला लीजिये, बाकियों को कल या और किसी दिन बुला लेते हैं." लेकिन नए जन संपर्क आयुक्त शिवराज सिंह चौहान की उस "यस सर वाली आईएएस ब्रिगेड" से आते हैं, जिनके लिए कोई तर्क देना अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है. लिहाजा वे मौन रहे. न केवल मौन रहे बल्कि खुद चुपचाप एक कुर्सी में बैठे रहे.

हद तो तब हो गई जब मुख्यमंत्री महज 15 मिनट के लिए आये और चले गए. बताया गया कि उन्हें दो दिन से बुखार है. सवाल ये उठता है की जब सीएम को बुखार था तो उन्होंने पत्रकारों को भोज पर बुलाया ही क्यों? किसने कनपटी में रिवाल्वर रख कर धमकाया था कि हमें डिनर पर बुलाओ? अखबार मालिकों को भी बुलाकार क्या सीएम अपने व्यवहार से अपने ओहदे का भान करना चाहते थे? खैर जो भी हो, इतना ज़रूर हुआ है कि इसे मुख्यमंत्री की यदि पीआर कवायद समझा जाए तो इसमें पीआर बढ़ा नहीं कमज़ोर हुआ है, क्योंकि जो भी पत्रकार उस दिन वहां गया, वो गाली देते हुए ही वहां से लौटा है. ये वही जन संपर्क आयुक्त हैं जो सीएम के पैतृक गाँव में दलितों के साथ भेदभाव वाली खबर को हैंडल नहीं कर पाए थे और इस खबर ने शिवराज की बहुत भद पिटवा दी थी.

लेखक प्रवीण कुमार भोपाल में लम्बे कद के छोटे-से पत्रकार हैं.


शिवराज का लंगर और भूखे पत्रकार

E-mail Print PDF

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सरकारी खर्चे से भोजन कराने का बहुत शौक है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री आवास का सत्कार व्यय सालाना एक से दो करोड़ के आस-पास बैठता है. वैसे यहां हम सीएम की फिज़ूलखर्ची की चर्चा नहीं कर रहे हैं. चर्चा तो उनके लंगर के आयोजन की है. हुआ यूं कि 2 सितम्बर श्री कृष्ण जन्माष्टमी को शिवराज ने पत्रकारों को रात्रिभोज पर बुलवाया. सीएम का पीआर संभालने वाले अधिकारी सभी को फोन करते हैं, इस क्षेपक के साथ..."सपरिवार आइयेगा. बहुत सेलेक्टेड लोगों को बुलाया गया है. लोकल मीडिया तक को नहीं बुलाया गया. ज़रूर आइये."

Read more...
 

सोनिया गांधी उर्फ इंडियन पावर ब्रोकर!

E-mail Print PDF

यश जी, नमस्कार, कैसे हैं आप. बहुत दिन हुए, सोचा आपकी खैर खबर लूं.  अभी गूगल पे न्यूज़ पढ़ रहा था तो AFP (Agence France-Presse ) की हेडलाइन देखी... "Indian power broker Sonia Gandhi wins place in history books"

 

Read more...
 

मेरी जेल कथा

E-mail Print PDF

ये शायद दूसरे विश्वयुद्ध के दिनों के सबसे लोकप्रिय उपकरणों में से एक हुआ करता था, पर उस दिन तिहाड़ जेल में ये मेरे लिए एक खास साथी साबित हुआ। इसी सिंगल बैड रेडियो ने दस जनवरी की उस रात मुझे अपनी रिहाई की ख़बर दी।

Read more...
 

एक पुरस्‍कार और सौ इफ्तिखार

E-mail Print PDF

एनडीटीवी की नीता शर्मा को साल के सर्वश्रेष्‍ठ रिपोर्टर का पुरस्‍कार मिलने की खबर बुधवार को आई, तो सबसे पहले इफ्तिखार गिलानी का चेहरा आंखों में घूम गया। अभी पिछले 25 को ही तो कांस्टिट्यूशन क्‍लब के बाहर मिले थे वे।

Read more...
 

कृष्ण को कैद से निकालना होगा

E-mail Print PDF

हम अपने नायकों की शक्ति-क्षमता को पहचान नहीं पाते इसीलिए उनकी बातें भी नहीं समझ पाते। हम उनकी मानवीय छवि को विस्मृत कर उन्हें मानवेतर बना देते हैं, कभी-कभी अतिमानव का रूप दे देते हैं और उनकी पूजा करने लगते हैं।

Read more...
 

कृष्ण का जन्म और कन्या भ्रूण हत्या

E-mail Print PDF

विडम्बना देखिए। एक ओर महान शख्स का आज हम प्रतीकात्मक जन्म दिन मना रहे हैं। वहीं, उसकी उंचाइयों तक पहुंचाने वाली नारियों को हम नेपथ्य में भेज देते हैं। उन जैसी बनने वाली लाखों कन्याओं को जन्मने से पहले मार देते हैं।

Read more...
 

नीतीश कुमार बंधक बनाए गए होते तो?

E-mail Print PDF

: अभय यादव की मौत का जिम्मेदार कौन : अभय यादव बिहार का सिपाही था. उसको नक्सलियों ने बंधक बना लिया था. उसके बाद उसकी हत्या कर दी. नक्सलियो ने पहले 12 घंटे का समय दिया. फिर 24 घंटे का. सरकार ने कुछ नहीं किया.

Read more...
 

दो अनब्याही माताओं के बहाने

E-mail Print PDF

अनुष्का शंकर और निरूपमा पाठक। दो महिलाएं। दोनों अनब्याही मां। दोनों के साथ अलग-अलग व्यवहार। अनुष्का शंकर ने पिछले दिनों ऐलान किया कि वह मां बनने वाली है। एम्स ने निरुपमा पाठक के बारे में बताया कि वह प्रिगनेंट थी।

Read more...
  • «
  •  Start 
  •  Prev 
  •  1 
  •  2 
  •  3 
  •  4 
  •  5 
  •  6 
  •  7 
  •  8 
  •  9 
  •  10 
  •  Next 
  •  End 
  • »
Page 1 of 104

Latest 91



--
Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

No comments:

Post a Comment