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Thursday, September 16, 2010

तंत्र की मजबूरी और मीडिया के तमाशे के बीच नत्था छटपटा रहा है

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http://www.janatantra.com/news/category/issue/

तंत्र की मजबूरी और मीडिया के तमाशे के बीच नत्था छटपटा रहा है

तंत्र की मजबूरी और मीडिया के तमाशे के बीच नत्था छटपटा रहा है

प्रियदर्शन–
अनुषा रिजवी और महमूद फारूकी की बनाई 'पीपली लाइव' वाकई एक अच्छी फिल्म है. फिल्म का खरा यथार्थवाद हमारे समय के उस वक्र विद्रूप पर उंगली रखता है जिसके एक सिरे पर कर्ज और भूख के मारे किसानों की मजबूरी है तो दूसरे सिरे पर एक संवेदनहीन तंत्र की निहायत स्वार्थी [...]

September 16 2010 | Posted in मुद्दा | Read More »

अमेरिका को पहले अपनी प्राथमिकता तय करनी चाहिए !

अमेरिका को पहले अपनी प्राथमिकता तय करनी चाहिए !

इक्कीसवीं सदी की हवा बीते इतिहास का कौन सा पन्ना खोलकर बैठ जाएगी और एक पुराने नाटक का नया मंचन शुरू कर देगी, यह कोई नहीं बता सकता।' वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र माथुर की यह बात आज भी प्रासंगिक है। इस साल दुनिया में करोड़ों लोगों ने 11 सितंबर को ईद और गणोश चतुर्थी का पर्व [...]

September 15 2010 | Posted in मुद्दा | Read More »

डिजऑनर किलिंग के खिलाफ कड़े कानून की मांग

डिजऑनर किलिंग के खिलाफ कड़े कानून की मांग

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और कीर्ति सिंह ने केंद्र सरकार से डिजऑनर किलिंग के खिलाफ एक कड़े केंद्रीय कानून बनाने की मांग की है जिसके दायरे में ऐसे मामलों में जांच को पटरी से उतारने वाले पुलिस अधिकारियों को भी लाने की जरूरत है। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में निरुपमा को न्याय अभियान, प्रेस क्लब [...]

September 14 2010 | Posted in मुद्दा, सुर्ख़ियां | Read More »

जाति, जनगणना और धोखा

जाति, जनगणना और धोखा

सरकार इस देश में जातियों की गिनती करने के लिए 2000 करोड़ रुपये खर्च करने वाली है। भारत जैसे गरीब देश में सिर्फ जातियों की संख्या जानने के लिए किया जाने वाला यह खर्च पूरी तरह गैर-जरूरी है। जनगणना में जाति को शामिल न करने और जाति की अलग से गिनती करने के सरकार के [...]

September 12 2010 | Posted in मुद्दा | Read More »

'हम सारी रात खबरों से जूझते रहे और दुनिया स्तब्ध थी'

'हम सारी रात खबरों से जूझते रहे और दुनिया स्तब्ध थी'

उस दिन बुखार था। सहयोगियों को काम सौंपकर न्यूज चैनल के मुख्य दरवाजे की ओर बढ़ रहा था कि अचानक दीवार पर टंगे मॉनिटर पर नजर गई। एक जहाज गगनचुंबी इमारत से टकरा रहा था। पैर जड़ हो गए। जब तक कुछ समझता, तब तक दूसरा जहाज बगल की इमारत में घुसता दिखा। दिमाग में [...]

September 12 2010 | Posted in मुद्दा, सुर्ख़ियां | Read More »

कितने दुस्साहसी हो गये हैं ये माओवादी

कितने दुस्साहसी हो गये हैं ये माओवादी

आर.के.ऱाघवन–
माओवादियों द्वारा 2 सितंबर को की गई एक बिहार पुलिसकर्मी की हत्या बताती है कि वे किस कदर दुस्साहसी हो चुके हैं। हालांकि अन्य तीन बंधक पुलिसकर्मियों को उन्होंने बाद में सकुशल रिहा कर दिया, लेकिन यह कदम नक्सलियों ने आमजन में अपने प्रति तिरस्कार के भाव को देखते हुए उठाया।
ऐसा लगता है कि [...]

September 11 2010 | Posted in मुद्दा, सुर्ख़ियां | Read More »

इस स्वायतता से किसका फायदा होगा !

इस स्वायतता से किसका फायदा होगा !

जगमोहन
बीते लोकसभा सत्र में बहस के दौरान कुछ सांसदो ने जम्मू-कश्मीर की स्वायतता की वकालत की । उनके अनुसार स्वायतता ही कश्मीर की सारी समस्याओं का हल है । यह रामबाण है जो चुटकी में घाटी को शांत कर देगा।वृहत स्तर पर अगर देखें तो घाटी की वर्तमान उथल -पुथल दरअसल उन शक्तियों के [...]

September 11 2010 | Posted in मुद्दा | Read More »

आदिवासी नेता बिक जायेंगे तो पार्टियों का घुसपैठ आसान हो जाएगा

आदिवासी नेता बिक जायेंगे तो पार्टियों का घुसपैठ आसान हो जाएगा

'कांग्रेस के पास पूंजीवादी राज्य नहीं है और आदिवासी-ग्रामीणों को लेकर जो प्रेम सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी दिखला रहे हैं, उसके पीछे खनिज संसाधनों से परिपूर्ण राज्यों की सत्ता पर काबिज होने का प्रयास है। कांग्रेस की रणनीति ओडीशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्यप्रदेश और कर्नाटक को लेकर है। चूंकि अब राज्यसत्ता का महत्व खनिज [...]

September 9 2010 | Posted in मुद्दा | Read More »

क्या आरक्षण की नीति अपने उद्देश्यों में कामयाब रही !

क्या आरक्षण की नीति अपने उद्देश्यों में कामयाब रही !

अगर आरक्षण का उद्देश्य देश के संसाधनों, अवसरों और राजकाज में समाज के हर समूह की उपस्थिति सुनिश्चित करना है, तो यह बात अब निर्णायक रूप से कही जा सकती है कि आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था असफल हो गयी है। सामाजिक न्याय का सिद्धांत दरअसल वहीं लागू हो सकता है, जहां लोगों (खासकर प्रभावशाली लोगों) [...]

September 9 2010 | Posted in मुद्दा | Read More »

ऐसी तंग आवाज चिंता का विषय है!

ऐसी तंग आवाज चिंता का विषय है!

अलका आर्य
हाल ही में आंध्र प्रदेश के तेलंगाना इलाके के कॉलेज व विश्वविद्यालयों में चार दशक पुराना तेलंगाना का मुद्दा जिस रूप में दिखाई दिया, उसने छात्र राजनीति व कॉलेज कैंपस के रिश्ते को लेकर नई बहस की जमीन तैयार कर दी है। इस इलाके के छात्रों ने कॉलेज व विश्वविद्यालयों को [...]

September 7 2010 | Posted in मुद्दा | Read More »


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जब हिंदी में खूब पैसा आ जायेगा तो आत्मविश्वास भी बढ जायेगा

जब हिंदी में खूब पैसा आ जायेगा तो आत्मविश्वास भी बढ जायेगा

इस बार हिन्दी दिवस पर गृहमंत्री पी.चिदम्बरम ने कुछ देर तक हिन्दी में भाषण दिया। खूब तालियां बजीं।चिदम्बरम हिन्दी भाषी क्षेत्र से नहीं आते इसलिए साल में एक दिन उन्होंने जो प्रयास किए उसके लिए उनका हौसला अफजाई करना वाजिब है। हर साल सितम्बर महीने में भारत सरकार के कार्यालयों औऱ स्कूलों में [...]

September 15 2010 | Posted in साहित्य, स्पेशल रिपोर्ट | Read More »

मैं लज्जित हूं, देश भी लज्जित है, अभी तक उसे हटाया क्यों नहीं?

मैं लज्जित हूं, देश भी लज्जित है, अभी तक उसे हटाया क्यों नहीं?

रघुवंश प्रसाद सिंह ♦ मैं लज्जित हूं उस शब्द का सदन में उच्चारण करने में कि उन्होंने क्‍या कहा। … ((व्यवधान)) … सारा देश लाज्जित है। देश भर के 150 लेखकों ने एक साथ कहा कि उसको हटाया जाए। अभी तक सरकार ने क्‍यों नहीं हटाया है? महिला लेखिका के प्रति किन शब्दों का उच्चारण किया है? एक वाइस चांसलर ने ऐसा किया और क्‍यों उस पर अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है?

August 24 2010 | Posted in छिनाल "विभूति" कांड, मुद्दा, साहित्य, सुर्ख़ियां | Read More »

"हिंदी प्रोफेसरों ने हिंदी का खाना खराब किया है"

हिंदी समाज का कोई संगठित चेहरा हमारे सामने नहीं है, इसलिए उसकी कोई बड़ी पहल हमें कभी नजर नहीं आती। इसलिए हमारी साहित्यि पत्रिकाओं और हमारे साहित्‍य के गुनीजन बड़ी तादाद में हमें नजर नहीं आते। कवि मंगलेश डबराल ने मंगलावार की शाम, इंडिया हैबिटैट सेंटर के गुलमोहर सभागार में बहसतलब चार के मंच से [...]

August 18 2010 | Posted in मुद्दा, साहित्य, सुर्ख़ियां | Read More »

स्कूली लड़कों सी फब्तियां और "डैडी कूल" दिखने की चाहत

स्कूली लड़कों सी फब्तियां और

उत्कट सामाजिक तथा राजनीतिक आलोड़नों से भरपूर उन्नीसवीं और बीसवीं सदी के भारतीय लेखक-लेखिकाओं की जिंदगी कई बार उनके साहित्य से अधिक दिलचस्प लगने लगती है और वह है भी। लेकिन किसी भी लेखक या लेखिका का मूल्यांकन करते हुए उसके जीवन को साहित्य से अलग करके उसके कुल अवदान का अधकचरा ऐतिहासिक-मनोवैज्ञानिक विवेचन कई [...]

August 18 2010 | Posted in छिनाल "विभूति" कांड, ब्लॉग, मुद्दा, साहित्य | Read More »

गिरिराज और प्रियंवद के बाद अशोक वाजपेयी भी ज्ञानपीठ से अलग हुए

गिरिराज और प्रियंवद के बाद अशोक वाजपेयी भी ज्ञानपीठ से अलग हुए

♦ अशोक वाजपेयी ♦
मैं 'कभी-कभार' स्तंभ में दूसरे लेखकों से भारतीय ज्ञानपीठ का बहिष्कार करने की मांग करने के साथ ही, ज्ञानपीठ से अपनी दोनों पुस्तकें 'शहर अब भी संभावना है' और 'कवि कह गया है' वापस ले चुका हूं।

August 18 2010 | Posted in छिनाल "विभूति" कांड, मुद्दा, साहित्य | Read More »

विभूति-कालिया का बचाव कर रहे हैं तीन तरह के लोग

विभूति-कालिया का बचाव कर रहे हैं तीन तरह के लोग

नया ज्ञानोदय के बेवफाई सुपर विशेषांक-2 में विभूतिनारायण राय की स्त्री लेखकों के बारे में की गई अश्लील टिप्पणी के मद्देनजर उनकी और रवींद्र कालिया की बर्खास्तगी को लेकर आंदोलन का रूप ले चुके लेखकीय-पाठकीय प्रतिरोध के बीच कुछ लोगों के पर्दे के पीछे से उनके बचाव में आ खड़े होने की कोशिश ने हिंदी [...]

August 15 2010 | Posted in छिनाल "विभूति" कांड, ब्लॉग, मुद्दा, साहित्य, सुर्ख़ियां | Read More »

काशी विद्यापीठ में विभूति को बर्खास्त करने की मांग

काशी विद्यापीठ में विभूति को बर्खास्त करने की मांग

विजय विनीत ♦
छिनाल प्रकरण पर अब पूर्वांचल में भी विरोध तेज हो गया है। वाराणसी में ढाई सौ लेखकों ने विभूति नारायण राय के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाया। बैठक की और राष्ट्रपति से इस मामले में न्यायिक जांच करा कर उन्हें बर्खास्त करने की मांग की। नया ज्ञानोदय पत्रिका के सुपर बेवफाई विशेषांक में महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय साक्षात्कार पर काशी विद्यापीठ के सभा कक्ष में काशी के सभी विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों साहित्यिक सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों का एक सम्मेलन हुआ। हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो श्रद्धानन्द ने लेखिकाओं को लेकर विभूति नारायण राय की टिप्पणी को अमर्यादित तथा अशोभनीय करार दिया। उन्होंने सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की। सभा में संचालन का दायित्व प्रो सत्यदेव त्रिपाठी को दिया गया। उन्होंने इस विषय पर चर्चा की शुरुआत कराई।

August 15 2010 | Posted in छिनाल "विभूति" कांड, मुद्दा, साहित्य, सुर्ख़ियां | Read More »

"छिनाल" विभूति कांड में राष्ट्रपति भवन तक जुड़ते तार!

यह दौरा इतना गुप्त रखा गया कि राष्ट्रपति के पति होने के नाते यह दौरा जिले के पब्लिसिटी ऑफिसर को भी नहीं पता था। दूसरे दिन अखबारों से खबर मिली। शेखावत साहब का यह दौरा अत्यंत चालाकी से संपन्न करवाया गया ताकि विश्वविद्यालय के ढांचागत विकास में खायी गयी रकमों की जानकारी उन्हें न मिले, अब सारी निगाहें मैडम राष्ट्रपति पर टिकी हैं कि वे हिंदी के तमाम मूर्धन्य लेखकों का सम्मान करते हुए राय को अपदस्थ करती हैं या नहीं। हिंदी के अधिकांश चिंतक यदि इस कुलपति के खिलाफ हैं, तो उन्‍हें बनाये रखना किये जा रहे घोटालों को प्रश्रय देना होगा।

August 14 2010 | Posted in छिनाल "विभूति" कांड, ब्लॉग, मुद्दा, साहित्य, सुर्ख़ियां, स्पेशल रिपोर्ट | Read More »

मैं, राज्य की हिंसा का समर्थक विभूति नारायण राय बोल रहा हूं…

मैं, राज्य की हिंसा का समर्थक विभूति नारायण राय बोल रहा हूं…

मैं साफ तौर पर कह सकता हूं कि कश्मीर में इस्लामिक आतंकवाद और भारतीय राज्य के बीच मुकाबला है। और मैं हमेशा राज्य की हिंसा का समर्थन करुंगा। राज्य की हिंसा से हम मुक्त हो सकते हैं। इस्लामिक आतंकवाद से हम मुक्त नहीं हो सकते। वहां पर जो भी लोग उनसे असहमति रखते थे, उन सबको आतंकवादियों ने धीरे-धीरे मार दिया। खत्म कर दिया। तो हम जब यहां खड़े हों और माओवाद जैसी चीज पर बात करें, हिंसा पर बात करें तो हमें इक्सट्रीम पर नहीं जाना चाहिए। हमें दोनों हिंसा का विरोध करना होगा। अगर वैदिकी हिंसा… हिंसा है तो अवैदिकी हिंसा… भी हिंसा है।

August 13 2010 | Posted in छिनाल "विभूति" कांड, मुद्दा, सुर्ख़ियां | Read More »

राठौर भी पुरस्कृत था, राय की तरह माफ क्यों नहीं कर देते?

राठौर भी पुरस्कृत था, राय की तरह माफ क्यों नहीं कर देते?

महात्मा गांधी अंतराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय द्वारा महिलाओं के लिए प्रयुक्त शब्दों को लेकर जब भी उन पर कार्रवाई करने की बात आती है, हर बार उनका बचाव करने वाले लोग यह कहते हुए सामने आ जाते हैं कि विभूति नारायण राय बहुत ही धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति हैं। इसके बाद सारा कुछ [...]


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अमेरिका में तेजी से बढ रही है गरीबों की संख्या

अमेरिका में तेजी से बढ रही है गरीबों की संख्या

वैसे तो अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है लेकिन ताजा आंकड़े चौंकाने के लिए काफी हैं। अमेरिका की ताजा गनगणना में यह पता चला है कि वहां 4.5 करोड़ लोग आधिकारिक तौर पर गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं।
यही नहीं वहां के लोगों के 'स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग' में भी रिकॉर्ड [...]

September 16 2010 | Posted in देश - दुनिया, सुर्ख़ियां | Read More »

अयोध्या विवाद का हल बातचीत से ही संभव,केंद्र करे पहल:विनय कटियार

अयोध्या विवाद का हल बातचीत से ही संभव,केंद्र करे पहल:विनय कटियार

ज्यों-ज्यों 24 सितम्बर का समय नजदीक आता जा रहा है लोगों की सासें थमती जा रही हैं। समाज के विभिन्न वर्गों, राजनीतिक दलों तथा इस विवाद से जुड़े विभिन्न धार्मिक संगठनों को य़ह अहसास होने लगा है कि समाज तथा देश में शान्ति तथा सदभाव बनाये रखने के लिए इस विवाद का हल सिर्फ सुप्रीम [...]

September 16 2010 | Posted in तीर-ए-नज़र, देश - दुनिया | Read More »

बाबरी मस्जिद कांड के लिए राजीव गांधी थे जिम्मेदार

बाबरी मस्जिद कांड के लिए राजीव गांधी थे जिम्मेदार

अयोध्‍या में विवादित जमीन के मालिकाना हक को लेकर अदालत का ऐतिहासिक फैसला आने से ऐन पहले एक फ्रांसिसी लेखक ने कहा है कि करीब 18 साल पहले विवादित ढांचा गिराए जाने के लिए अप्रत्‍यक्ष रूप से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी जिम्‍मेदार थे। उन्होंने कभी एक समुदाय का कार्ड खेला कभी दूसरे का।
उन्होंने यह भी [...]

September 16 2010 | Posted in देश - दुनिया, सुर्ख़ियां | Read More »

उमर युवा हैं औऱ योग्य भी,वे काफी मुश्किल काम कर रहे हैं – राहुल गांधी

उमर युवा हैं औऱ योग्य भी,वे काफी मुश्किल काम कर रहे हैं – राहुल गांधी

अपने तीन दिवसीय बंगाल दौरे की समाप्ति पर मीडिया से मुखातिब राहुल गांधी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कश्मीर का मसला काफी मुश्किल और संवेदनशील है। हमें इस वक्त उमर अब्दुल्ला को पूरा सहोयग देने की जरूरत है।

September 16 2010 | Posted in देश - दुनिया, सुर्ख़ियां | Read More »

कंगाली के कगार पर पाकिस्तान,कर्मचारियों को देने के लिए पैसे नहीं

कंगाली के कगार पर पाकिस्तान,कर्मचारियों को देने के लिए पैसे नहीं

बाढ और आतंकवाद से त्रस्त पाकिस्तान अब कंगाल होने के कगार पर आ गया है। पाकिस्तान इस वक्त भारी कर्ज मे डूबा है ।अब हालात उसके वश से बाहर है। पाकिस्तानी वित्त मंत्री अब्‍दुल हाफिज शेख ने कहा है कि सरकारी खजाने में कर्मचारियों को देने के लिए सिर्फ दो महीने तक सैलरी [...]

September 15 2010 | Posted in देश - दुनिया, सुर्ख़ियां | Read More »

कम हो रही है दुनिया से भूखे लोगों की संख्या

कम  हो रही है दुनिया से भूखे लोगों की संख्या

धीरे धीरे दुनिया में भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या कम हो रही है ।इसमें पहले के मुकाबले कुछ कमी दर्ज की गई है। इसे 2008 की तुलना में अच्छी फसल और खाद्य पदार्र्थो के गिरते दामों का नतीजा बताया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई [...]

September 15 2010 | Posted in देश - दुनिया, सुर्ख़ियां | Read More »

प्रधानमंत्री बनना ही एकमात्र काम नहीं- राहुल गांधी

प्रधानमंत्री बनना ही एकमात्र काम नहीं- राहुल गांधी

कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने कहा कि सिर्फ प्रधानमंत्री बनना हीं एकमात्र काम नहीं है।इसके अलावा भी बहुत सारे काम है करने के लिए।इन दिनों राहुल गांधी पश्चिम बंगाल के दौरे पर हैं।उन्होंने इस बात की उम्मीद व्यक्त की कि युवाओं को पार्टी में बेहतर भूमिका निभाने से बंगाल में भी कांग्रेस का प्रदर्शन [...]

September 15 2010 | Posted in देश - दुनिया, सुर्ख़ियां | Read More »

हुर्रियत का फरमान,दिन में विरोध और रात में काम

हुर्रियत का फरमान,दिन में विरोध और रात में काम

लाख प्रयास के बाद भी कश्मीर में हिंसा जारी है। केंद्र और राज्य सरकारे असमंजस की स्थति में है। वर्तमान हालात को देखते हुए श्रीनगर एयरपोर्ट को तीन दिन के लिए बंद कर दिया गया है। घाटी में कई इलाकों में प्रदर्शनकारी सड़क पर उतर आए हैं। जिसके कारण पूरी घाटी में कर्फ्यू [...]

September 14 2010 | Posted in तीर-ए-नज़र, देश - दुनिया, सुर्ख़ियां | Read More »

अनिश्चितकालीन कर्फ्यू से श्रीनगर में जन-जीवन प्रभावित

अनिश्चितकालीन कर्फ्यू से श्रीनगर में जन-जीवन प्रभावित

जम्मू-कश्मीर में हिसा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है ।हिंसा और कर्फ्यू से राज्य का जनजीवन पिछले कई महीने से अस्त व्यस्त है। श्रीनगर सहित अन्य छह शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। ईद के मौके पर हुई हिंसक घटनाओं के चलते अनिश्चितकालीन कर्फ्यू घोषित किया गया है। [...]

September 12 2010 | Posted in देश - दुनिया, सुर्ख़ियां | Read More »

'राज्य सरकार अपनी नाकामी सेना पर थोप रही है'

'राज्य सरकार अपनी नाकामी सेना पर थोप रही है'

जम्मू कश्मीर हिंसा और अशांति के बीच सरकार की सुरक्षा मामलों की केबिनेट कमिटी अभी इस बात का फैसला लेगी कि राज्य से सरकार सुरक्षा बलों की चरणबद्ध वापसी हो कि नही पर राजनीतिक तौर पर यह जानने की कोशिश की जा रही है कि राज्य में सुरक्षा बलों की छवि इतनी खराब कैसे [...]

September 12 2010 | Posted in तीर-ए-नज़र, देश - दुनिया, सुर्ख़ियां | Read More »

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