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Sunday, September 5, 2010

कोई भी जनांदोलन बिना जनकवि के चल ही नहीं सकता

कोई भी जनांदोलन बिना जनकवि के चल ही नहीं सकता

http://mohallalive.com/
5 September 2010
One Comment

आंदोलनों के कवि गिरदा के बारे में शेखर पाठक, चंडी प्रसाद भट्ट, आनंद स्वरूप वर्मा, पंकज बिष्ट, मंगलेश डबराल, राजेंद्र धस्माना को सुना। रोहित जोशी की फिल्म देखी। आयोजन जन संस्कृति मंच ने किया और संचालन भूपेन का था। गिरदा के साथ पिछले साल हुई मुलाकात की याद एक बार फिर ताजा हो गयी। अफसोस कि उत्तराखंड के बाहर के लोगों को इस शानदार इनसान के बारे में कम जानकारी है। हमारे समय के महानायक हैं गिरदा।

♦ बज्‍ज पर दिलीप मंडल

गिरदा कौन थे?

हिमालय के इनसाइक्‍लोपीडिया और पहाड़ को पैदल चल कर समझने वाले शेखर पाठक ने गिरदा का जीवन वृत्तांत बताया। भावुक होते हुए जानकारी दी कि उनकी शवयात्रा जैसे कोई ऐतिहासिक यात्रा हो। लोग अपनी रुंदली आवाज में ही सही उनके गीत गा रहे थे और परंपरा के विपरीत इस यात्रा में महिलाएं भी मौजूद थीं। भारत छोड़ो आंदोलन के दौर में जन्‍मे गिरदा एक फक्कड़ ग्रामीण गवैया थे। अल्मोड़ा शहर में आने के बावजूद उनके भीतर का ग्रामीण नहीं मरा। वो जय जगदीश हरे के संस्कारों को लेकर पैदा तो हुए पर जीया जन की परंपरा का जीवन। गिरदा को गीतों की प्रेरणा मोहन सिंह रीठागाड़ी, केशव अनुरागी और गोपीदास सरीखे लोकगायकों से मिली। गिरदा एक बार घर से भागे पर ऐसी जगह जहां पहाड़ का कोई आदमी भागकर नहीं जाता। वो पीलीभीत गये और वहां अपनी जीविका के लिये रिक्शा चलाया। वो कहते थे कि रिक्शा चलाना हल चलाने जैसा ही तो हुआ। गिरदा को जीवन भर एक रोग लगा रहा। संपत्ति न जोड़ने का रोग। उसकी आवश्यकताएं हमेशा न्यूनतम रही। एक कुर्ता पहना, झोला लटकाया और निकल पड़ा। कुछ समय पीडब्‍ल्‍यूडी में नौकरी करने के बाद सन 67 में वो संगीत एवं नाटक प्रभाग से जुड़े। उस दौर में उसने मोहिल माटी जैसे नाटकों का लालकिले में मंचन किया। विजेंद्र लाल शाह, पंचानन पाठक, कर्नल गुप्ते और लेनिन पंत जैसे संस्कृतिकर्मियों का साथ उन्‍हें मिला। सन 77 के दौर तक गिरदा के सांस्कृतिक जीवन का रूपांतरण हो चुका था। वहीं से वो विकसित रंगकर्मी के रूप में उभरे और अब तक की पूरी सांस्कृतिक प्रक्रिया में वो एक मिथक बन गये। उन्‍होंने नैनीताल की निर्ममता को इस तरह बदला कि पूरा नैनीताल सड़क पर आने को विवश हो गया। उन्‍हें केवल हिमालयी अंचल का मानना उन्‍हें छोटा करके देखना होगा। उन्‍होंने अपनी बाहर की खिड़कियां हमेशा खुली रखी। युगमंच, नैनीताल समाचार, उत्तरा जैसी कई शुरुआतें उनके बिना न हुई होती। गिरदा एक छुपे हुए पत्रकार भी थे। भागीरथी में आयी बाढ़ के दौर में उनका वो पत्रकार बाहर आया। बाबा नागार्जुन और उनके बीच एक फक्कड़ दोस्ती हुआ करती थी। वो दोनों एक ही बीड़ी को चूस चूस कर पीते। जहां एक ओर चंडीप्रसाद भट्ट, राधाबहन और शमशेर सिंह बिष्ट जैसे राजनीतिक कार्यकर्ता उनके मित्र थे, वही दूसरी ओर गीतकार नीरज और फैज जैसी शख्‍सीयतों से उनकी दोस्ती थी। झूसिया दमाई पर किया गया काम उनकी बहुगुणित रचनात्मकता का एक छोटा सा नमूना है। घोर अव्यवस्थित और अनियमित जीवनशैली के बीच भी अपने काम के लिए उनमें गजब का अनुशासन था। वो अपने आसपास के समाज को लेकर हमेशा चिंतित रहे और ये चिंताएं मुख्यत: तीन बिंदुओं पर केंद्रित रहीं। उत्तराखंड बनने की प्रक्रिया की दृष्टिहीनता एवं लक्ष्यहीनता, वामपंथी एवं जनपक्षधर ताकतों में उभरा विखंडन और जनांदोलनों के साथियों के बीच पनपी संवादहीनता। किसी काम की शुरुआत के बाद स्वयं पृष्ठभूमि में चले जाना उनकी आदत थी। ऐसे में उन्‍होंने समाज के बीच हमेशा खाद की तरह काम किया।

जैता एक दिन तो आलो!

नदी बचाओ अभियान की मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता राधा भट्ट ने बताया कि नदी बचाओ अभियान की शु्रुआत से लगभग 6 वर्ष पहले वो गिरदा से मिलीं। उनके गीत इतने लोकप्रिय थे कि लक्ष्मी आश्रम में पढ़ने आने वाली लड़कियां भावविभोर होकर उन्हें गाती। गिरदा जब आश्रम में आये, तो उन्होंने जाना गिरदा अन्य लोकगायकों की तरह धुन और लय के लिए नहीं बल्कि उनकी भावनाओं के लिए गाते थे। यह भावुक गायन ही था कि लोग इन गीतों से भावनात्मक जुड़ाव महसूस करने लगते। उनका गाया गीत जैता एक दिन तो आलो… कुमाऊंनी लोगों का वी शैल ओवरकम था। कोई भी जनांदोलन बिना जनकवि के चल ही नहीं सकता। आंदोलनों और उनकी पदयात्राओं में गिरदा के गीत महज कुछ पंक्तियों में वो सब कह जाते जो एक लंबे भाषण में भी नहीं कहा जा सकता। कोई भी प्रतिरोध शुष्क हृदय लेकर नहीं जन्म ले सकता, उसके लिए एक भावपूर्ण हृदय चाहिए। गिरदा जैसा हृदय।

जहां न अक्षर कान उखाड़ें

समकालीन तीसरी दुनिया के संपादक आनंद स्वरूप वर्मा ने बताया कि गिरदा के साथ वक्त बिताना एक आकर्षण की तरह था। उनके बिना नैनीताल की कल्पना करना भी बेमानी था। गिरदा के जाने से जो शून्य सांस्कृतिक जगत में पैदा हुआ है, उसे भरना लगभग असंभव है। उनकी लिखी एक कविता से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनकी संवेदना कितने आयामों के साथ अभिव्‍यक्‍त रही है…

कैसा हो स्कूल हमारा

कैसा हो स्कूल हमारा
जहां न बस्ता कंधा तोड़े, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहां न पटरी माथा फोड़े, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहां न अक्षर कान उखाड़े, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहां न भाषा जख़्म उघाड़े, ऐसा हो स्कूल हमारा

कैसा हो स्कूल हमारा
जहां अंक सच-सच बतलाएं, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहां प्रश्न हल तक पहुंचाएं, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहां न हो झूठ का दिखव्वा, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहां न सूट-बूट का हव्वा, ऐसा हो स्कूल हमारा

कैसा हो स्कूल हमारा
जहां किताबें निर्भय बोलें, ऐसा हो स्कूल हमारा
मन के पन्ने-पन्ने खोलें, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहां न कोई बात छुपाये, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहां न कोई दर्द दुखाये, ऐसा हो स्कूल हमारा

कैसा हो स्कूल हमारा
जहां न मन में मन-मुटाव हो, जहां न चेहरों में तनाव हो
जहां न आंखों में दुराव हो, जहां न कोई भेद-भाव हो
जहां फूल स्वाभाविक महके, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहां बालपन जी भर चहके, ऐसा हो स्कूल हमारा

जहां न अक्षर कान उखाड़े, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहां न भाषा जख्म उघाड़ें, ऐसा हो स्कूल हमारा
ऐसा हो स्कूल हमारा

गिरदा की रचनात्मकता को किसी एक शाखा में नहीं बांटा जा सकता। उन्होंने फैज और साहिर का कुमाऊंनी में अनुवाद किया तो नगाड़े खामोश हैं, अंधायुग और अंधेर नगरी जैसे नाटकों को मंचन और निर्देशन भी किया।


युवा चित्रकार और फिल्‍मकार रोहित जोशी

गिरदा पर शनिवार की शाम जनसंस्‍कृति मंच की ओर से राजेंद्र भवन (दीन दयाल उपाध्‍याय मार्ग) में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में कवि मंगलेश डबराल, कथाकार पंकज बिष्‍ट, आलोचक आशुतोष, मानवाधिकार कार्यकर्ता राजेंद्र धस्‍माना, सामाजिक कार्यकर्ता चंडीप्रसाद भट्ट ने भी गिरदा से जुड़े संस्‍मरण सुनाये। युवा कवि रोहित प्रकाश ने महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय, वर्धा के कुलपति और साहित्‍यकार विभूति नारायण की छात्रविरोधी, महिलाविरोधी गतिविधियों के खिलाफ एक प्रस्‍ताव पढ़ा। आखिर में गिरदा पर एक फिल्‍म दिखायी गयी, जिसका संकलन-संपादन दिलीप मंडल और अभिषेक श्रीवास्‍तव के सहयोग से रोहित जोशी और उमेश पंत ने किया था। संचालन पत्रकार भूपेन ने किया।

♦ रिपोर्ट सौजन्‍य : नयी सोच ब्‍लॉग


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  8. गिरीश चन्द्र तिवारी "गिर्दा" और उनकी कविताये: GIRDA ...

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  1. कबाड़खाना: गिर्दा को नमन

    23 अगस्त 2010 ... कल जनकवि - लोकगायक गिर्दा नहीं रहे। आज अखबार में उनके बारे बहुत कुछ छपा है । कल और आने वाले कल के दिनों में बहुत कुछ लिखा जाएगा , छपेगा । आज और अभी अपनी ओर से कुछ लिखना ...
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  2. No.1 Indian Media News Portal : भारतीय मीडिया की ...

     - 9 दृश्य - ९:५० पूर्वाह्न
    दोस्तो, पिछले दिनों हमारे प्रिय जन कवि गिरीश तिवाड़ी यानी 'गिर्दा' नहीं रहे। उनके जाने से जो जगह सांस्कृतिक-राजनीतिक जगत में खाली हुई है, उसे भरना अब मुमकिन नहीं। ...
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  3. गिर्दा

    1 पोस्ट - 1 लेखक - अंतिम पोस्ट: 25 अगस्त
    विगत २२ अगस्त, २०१० को हमारे गिर्दा हमसे हमेशा के लिये दूर चले गये। गिरीश चन्द्र तिवारी उर्फ गिर्दा मेरा पहाड़ परिवार के लिये एक अभिभावक की तरह थे, उनके जाने से हमने ...
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  4. गिरीश तिवारी 'गिर्दा'

    आजीविका चलाने के लिए क्लर्क से लेकर वर्कचार्जी तक का काम करना पड़ा। फिर संस्कृति और सृजन के संयोग ने कुछ अलग करने की लालसा पैदा की। अभिलाषा पूरी हुई जब हिमालय और पर्वतीय ...
    www.apnauttarakhand.com/girish-tewari-girda/ - संचित प्रति
  5. रंगकर्मी 'गिर्दा' पंचतत्व में विलिन ...

    अपनी कविताओं से पहाड़ की आवाज के रूप में पहचाने जाने वाले जनकवि और रंगकर्मी गिरीश तिवारी 'गिर्दा" का नैनीताल में पाइंस स्थित श्मशानघाट में अंतिम संस्कार कर दिया गया।
    www.samaylive.com/regional-hindi/.../95979.html - संचित प्रति
  6. गिर्दा : चिट्ठाजगत : धड़ाधड़ छप रहे ...

    गिर्दा : चिट्ठाजगत: Hindi Blogs, Hindi Blog, Aggregator, Search, Chitha, Chittha, Chitthe, Chitthi, Chithha, Chithhe.
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  7. अनुनाद: जनकवि गिर्दा नहीं रहे .....

    22 अगस्त 2010 ... गिर्दा को याद करते हुए एक पोस्ट लगा रहा हूँ, जिसे दो साल पहले कबाडखाना में लगाया था. अभी बिलकुल अभी व्यक्ति गया है पर स्मृतियों से पूरा आकाश भरा है...ये आँसूं तुम्हारे ...
    anunaad.blogspot.com/2010/08/blog-post_22.html - संचित प्रति
  8. लेखक मंच » गिर्दा

    27 अगस्त 2010 ... उत्तराखंड के जनकवि गिरीश चंद्र तिबाडी गिर्दा का पिछले दिनों निधन हो गया। श्रद्धांजलि स्वरूप उनकी कुछ कविताएं दे रहे हैं। ये कविताएं उनकी प्रतिबद्धता और जन-समाज के ...
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  9. - Jeeven Zigyasa - Jeevan Shaily - LiveHindustan.com

    28 अगस्त 2010 ... तेईस अगस्त 2010 को नैनीताल में गिरीश तिवारी 'गिर्दा' की शव यात्रा में शामिल सैकड़ों लोग उन्हीं के रचे-गाए गीत गा रहे थे और रो रहे थे। महिलाएँ भी अर्थी को कन्धा देने आगे ...
    www.livehindustan.com/news/.../50-51-134750.html - संचित प्रति

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  1. गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा'

    By गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' on July 14, 2010. इस साल इत्तफाक ऐसा हुआ कि एक ओर 35 साल पहले का 25 जून 1975, ... By गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' on January 9, 2010. वक्त का सिलसिला यों ही चलता रहा और करता रहा ...
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  2. गिरीश चंद्र तिबाडी 'गिर्दा' - Kavita Kosh

    गिरीश चंद्र तिबाडी. जन्म: 9 सितंबर 1945 निधन: 22 अगस्त 2010. उपनाम, 'गिर्दा'. जन्म स्थान, ज्योली हवालबाग गाँव, अल्मोड़ा, उत्तराखंड, भारत । कुछ प्रमुख कृतियाँ. विविध, इन्हें कुमाउ का ...
    www.kavitakosh.org/kk/index.php?...'गिर्दा' - संचित प्रति
  3. उत्तराखण्ड आन्दोलन का गिर्दा द्वारा ...

    9 अप्रैल 2008 ... सरजू-गुमती संगम में गंगजली उठूँलो-उत्तराखण्ड ल्हयूँलो 'भुलु'उत्तराखण्ड ल्हयूँलोउतरैणिक कौतीक हिटो वै फैसला करुँलो-उत्तराखण्ड ल्हयूंलो 'बैणी' उत्तराखण्ड ल्हयूंलो ...
    www.hisalu.com/364 - संचित प्रति
  4. गिरीश चन्द्र तिवारी "गिर्दा" और उनकी कविताये: GIRDA ...

    16 पोस्ट - 16 लेखक - अंतिम पोस्ट: 5 जून 2009
    गिर्दा अपनी कविताओं से जनसमस्याओं और इसके समाधान के लिये बने शासन-प्रशासन के तंत्र पर तीखे तंज भी .... पिथौरागढ़ जनपद के लोक गीतों और नृत्यों के बारे में बताते गिर्दा ...
    www.merapahadforum.com/uttarakhand.../15/ - संचित प्रति
  5. Mohalla Live » Blog Archive » "गिर्दा" का होना ...

    23 अगस्त 2010 ... गिरीश तिवाड़ी "गिर्दा" का न होना उत्तराखंड के पहाड़ों में एक आलाप का समापन है। हल्द्वानी में उन्होंने अन्तिम सांस ली। शायद इस अंतिम सांस में भी अनगिनत कविताओं का ...
    mohallalive.com/2010/08/23/tribute-to-girda/ - संचित प्रति
  6. गिर्दा | clipped.in

    23 अगस्त 2010 ... कल जनकवि - लोकगायक गिर्दा नहीं रहे। आज अखबार में उनके बारे बहुत कुछ छपा है । कल और आने वाले कल के दिनों में बहुत कुछ लिखा जाएगा , छपेगा । आज और अभी अपनी ओर से कुछ लिखना ...
    clipped.in/taxonomy/term/180771 - संचित प्रति
  7. 4 सितंबर को गिर्दा की याद में स्मृति ...

    1 सितं 2010 ... जसम की ओर से गिर्दा की याद में स्मृति सभा 4 सितंबर, शनिवार शाम 5 बजे नई दिल्ली के राजेन्द्र भवन के सेमिनार हॉल में बुलाई गई है. पहले यह सभा गांधी शांति प्रतिष्ठान में ...
    www.literatureindia.com/hindi/archives/1 - संचित प्रति
  8. गिर्दा

    Translation of Hindi "गिर्दा" to French in the free online e-dictioary.
    www.e-dictionary.info/hi/fr/गिर्दा/ - संचित प्रति
  9. Hindi literature News | Hindi Literature - Yahoo! Jagran Shitya

    22 अगस्त 2010 ... मेहनतकश अभावों से जूझती जिंदगी को स्वर देने वाले गिर्दा का दर्द लोक गीतों में भी झलकता है। ... राजीव कुमार निर्देशित फिल्म वसीयत में गिर्दा का अभिनय भी यादगार रहेगा। ...
    in.jagran.yahoo.com/sahitya/?page=article...7 - संचित प्रति
  10. अब 'गिर्दा' के गीत हमें जगाने आएंगे

    23 अगस्त 2010 ... हमारी पीढ़ी के लिए गिर्दा बड़े भाई से ज्यादा एक करीबी दोस्त थे लेकिन असल में वे सम्पूर्ण हिन्दी समाज के लिए त्रिलोचन और बाबा नागार्जुन की परम्परा के जन साहित्य नायक ...
    www.bhadas4media.com/.../6260-girda-death.html - संचित प्रति
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    1. गिर्दा Blog | Indian गिर्दा Blog | गिर्दा Blog ...

      कल जनकवि - लोकगायक गिर्दा नहीं रहे। आज अखबार में उनके बारे बहुत कुछ छपा है । कल और आने वाले कल के दिनों में बहुत कुछ लिखा जाएगा , छपेगा । आज और अभी अपनी ओर से कुछ लिखना संभव नहीं ...
      blogs.oneindia.in/गिर्दा/1/showtags.html - संचित प्रति
    2. जनकवि गिर्दा की कुछ कविताएं

      उत्तराखंड के जनकवि गिरीश चंद्र तिबाडी गिर्दा का पिछले दिनों निधन हो गया। श्रद्धांजलि स्वरूप उनकी कु...
      hi.indli.com/.../-जनकवि-गिर्दा-की-कुछ-कविताएं - संचित प्रति
    3. बददिमाग: तुम आओगे न... गिर्दा

      23 अगस्त 2010 ... तुम गिर्दा नहीं एक कहानी थे... एक अनवरत कहानी जिसका कोई अंत नहीं... बस आरंभ था। तुम्हे क्या लगता है कि तुमने जिंदगी के इन 65 सालों में अपनी जिंदगी जी। नहीं तुम एक युग जी गए ...
      baddimag.blogspot.com/2010/.../blog-post_23.html - संचित प्रति
    4. लेखक मंच » Blog Archive » लोकगीतों के बीच ...

      25 अगस्त 2010 ... नई दिल्ली : जनकवि गिरीश चंद्र तिवाडी 'गिर्दा' को जनवादी तरीके से अंतिम विदाई दी गई। गिर्दा का 22 अगस्त को सुशीला तिवारी चिकित्सालय, हल्द्वानी में देहांत हो गया था। ...
      lekhakmanch.com/.../लोकगीतों-के-बीच-जनकवि-गिर-2/ - संचित प्रति
    5. गिरीश तिवाड़ी \'गिर्दा\' : समाज ...

      14 जुलाई 2010 ... गिरीश तिवाड़ी \'गिर्दा\' : चिट्ठाजगत: Hindi Blogs, Hindi Blog, Aggregator, Search, Chitha, Chittha, Chitthe, Chitthi, Chithha, Chithhe.
      samaj.chitthajagat.in/?...गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' - संचित प्रति
    6. गिर्दा - अंग्रेज़ी अनुवाद - bab.la शब्दकोश

      मुफ़्त अंग्रेज़ी शब्दकोश में 'गिर्दा' का अनुवाद और बहुत सारे अंग्रेज़ी अनुवादें.
      hi.bab.la/शब्दकोश/हिंदी.../गिर्दा - संचित प्रति
    7. अमेरिका में गिर्दा की याद में ग्लोबल ...

      5 सितं 2010 ... सम्मेलन में प्रवासी उत्तराखण्डी क्रांतिकारी उत्तराखण्डी कवि व गीतकार स्व० श्री गिरीश तिवारी गिर्दा की याद में ग्लोबल एवार्ड की शुरूआत करने जा रहे है। ...
      himalayauk.org/2010/09/05/अमेरिका-में-गिर्दा-की-याद/
    8. गिरीश चन्द्र तिवारी "गिर्दा" और उनकी कविताये: GIRDA ...

      16 पोस्ट - 16 लेखक - अंतिम पोस्ट: 29 जून
      गिरीश चन्द्र तिवारी "गिर्दा" और उनकी कविताये: GIRDA & HIS POEMS. ... गिर्दा अपनी कविताओं से जनसमस्याओं और इसके समाधान के लिये बने शासन-प्रशासन के तंत्र पर तीखे तंज भी कसते रहते ...
      www.merapahadforum.com/uttarakhand.../30/ - संचित प्रति
    9. गिर्दा की याद में

      2 सितं 2010 ... दोस्तो, पिछले दिनों हमारे प्रिय जन कवि गिर्दा नहीं रहे। गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' के जाने से जो जग.
      www.hisalu.com/25687 - संचित प्रति
    10. गिर्दा की याद- यहीं है प्रतिरोध की ...

      गिर्दा की याद- यहीं है प्रतिरोध की आवाज़. गीत पेश हैं [Play Now]. नदियों में पानी कम हो रहा है. ... गिर्दा तुम याद आओगे जब भी लाट साहबों के फ़रमान मानवीयता की हदें तोड़ेंगे जब भी ...
      hillwani.com/ndisplay.php?n_id=62 - संचित प्रति

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  1. गिर्दा Blog | Indian गिर्दा Blog | गिर्दा Blog ...

    कल जनकवि - लोकगायक गिर्दा नहीं रहे। आज अखबार में उनके बारे बहुत कुछ छपा है । कल और आने वाले कल के दिनों में बहुत कुछ लिखा जाएगा , छपेगा । आज और अभी अपनी ओर से कुछ लिखना संभव नहीं ...
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  2. जनकवि गिर्दा की कुछ कविताएं

    उत्तराखंड के जनकवि गिरीश चंद्र तिबाडी गिर्दा का पिछले दिनों निधन हो गया। श्रद्धांजलि स्वरूप उनकी कु...
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  3. बददिमाग: तुम आओगे न... गिर्दा

    23 अगस्त 2010 ... तुम गिर्दा नहीं एक कहानी थे... एक अनवरत कहानी जिसका कोई अंत नहीं... बस आरंभ था। तुम्हे क्या लगता है कि तुमने जिंदगी के इन 65 सालों में अपनी जिंदगी जी। नहीं तुम एक युग जी गए ...
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    25 अगस्त 2010 ... नई दिल्ली : जनकवि गिरीश चंद्र तिवाडी 'गिर्दा' को जनवादी तरीके से अंतिम विदाई दी गई। गिर्दा का 22 अगस्त को सुशीला तिवारी चिकित्सालय, हल्द्वानी में देहांत हो गया था। ...
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  5. गिरीश तिवाड़ी \'गिर्दा\' : समाज ...

    14 जुलाई 2010 ... गिरीश तिवाड़ी \'गिर्दा\' : चिट्ठाजगत: Hindi Blogs, Hindi Blog, Aggregator, Search, Chitha, Chittha, Chitthe, Chitthi, Chithha, Chithhe.
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  6. गिर्दा - अंग्रेज़ी अनुवाद - bab.la शब्दकोश

    मुफ़्त अंग्रेज़ी शब्दकोश में 'गिर्दा' का अनुवाद और बहुत सारे अंग्रेज़ी अनुवादें.
    hi.bab.la/शब्दकोश/हिंदी.../गिर्दा - संचित प्रति
  7. अमेरिका में गिर्दा की याद में ग्लोबल ...

    5 सितं 2010 ... सम्मेलन में प्रवासी उत्तराखण्डी क्रांतिकारी उत्तराखण्डी कवि व गीतकार स्व० श्री गिरीश तिवारी गिर्दा की याद में ग्लोबल एवार्ड की शुरूआत करने जा रहे है। ...
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  8. गिरीश चन्द्र तिवारी "गिर्दा" और उनकी कविताये: GIRDA ...

    16 पोस्ट - 16 लेखक - अंतिम पोस्ट: 29 जून
    गिरीश चन्द्र तिवारी "गिर्दा" और उनकी कविताये: GIRDA & HIS POEMS. ... गिर्दा अपनी कविताओं से जनसमस्याओं और इसके समाधान के लिये बने शासन-प्रशासन के तंत्र पर तीखे तंज भी कसते रहते ...
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  9. गिर्दा की याद में

    2 सितं 2010 ... दोस्तो, पिछले दिनों हमारे प्रिय जन कवि गिर्दा नहीं रहे। गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' के जाने से जो जग.
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  10. गिर्दा की याद- यहीं है प्रतिरोध की ...

    गिर्दा की याद- यहीं है प्रतिरोध की आवाज़. गीत पेश हैं [Play Now]. नदियों में पानी कम हो रहा है. ... गिर्दा तुम याद आओगे जब भी लाट साहबों के फ़रमान मानवीयता की हदें तोड़ेंगे जब भी ...
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    कल जनकवि - लोकगायक गिर्दा नहीं रहे। आज अखबार में उनके बारे बहुत कुछ छपा है । कल और आने वाले कल के दिनों में बहुत कुछ लिखा जाएगा , छपेगा । आज और अभी अपनी ओर से कुछ लिखना संभव नहीं ...
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  2. जनकवि गिर्दा की कुछ कविताएं

    उत्तराखंड के जनकवि गिरीश चंद्र तिबाडी गिर्दा का पिछले दिनों निधन हो गया। श्रद्धांजलि स्वरूप उनकी कु...
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  3. बददिमाग: तुम आओगे न... गिर्दा

    23 अगस्त 2010 ... तुम गिर्दा नहीं एक कहानी थे... एक अनवरत कहानी जिसका कोई अंत नहीं... बस आरंभ था। तुम्हे क्या लगता है कि तुमने जिंदगी के इन 65 सालों में अपनी जिंदगी जी। नहीं तुम एक युग जी गए ...
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    25 अगस्त 2010 ... नई दिल्ली : जनकवि गिरीश चंद्र तिवाडी 'गिर्दा' को जनवादी तरीके से अंतिम विदाई दी गई। गिर्दा का 22 अगस्त को सुशीला तिवारी चिकित्सालय, हल्द्वानी में देहांत हो गया था। ...
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  5. गिरीश तिवाड़ी \'गिर्दा\' : समाज ...

    14 जुलाई 2010 ... गिरीश तिवाड़ी \'गिर्दा\' : चिट्ठाजगत: Hindi Blogs, Hindi Blog, Aggregator, Search, Chitha, Chittha, Chitthe, Chitthi, Chithha, Chithhe.
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  6. गिर्दा - अंग्रेज़ी अनुवाद - bab.la शब्दकोश

    मुफ़्त अंग्रेज़ी शब्दकोश में 'गिर्दा' का अनुवाद और बहुत सारे अंग्रेज़ी अनुवादें.
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  7. अमेरिका में गिर्दा की याद में ग्लोबल ...

    5 सितं 2010 ... सम्मेलन में प्रवासी उत्तराखण्डी क्रांतिकारी उत्तराखण्डी कवि व गीतकार स्व० श्री गिरीश तिवारी गिर्दा की याद में ग्लोबल एवार्ड की शुरूआत करने जा रहे है। ...
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    गिरीश चन्द्र तिवारी "गिर्दा" और उनकी कविताये: GIRDA & HIS POEMS. ... गिर्दा अपनी कविताओं से जनसमस्याओं और इसके समाधान के लिये बने शासन-प्रशासन के तंत्र पर तीखे तंज भी कसते रहते ...
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  9. गिर्दा की याद में

    2 सितं 2010 ... दोस्तो, पिछले दिनों हमारे प्रिय जन कवि गिर्दा नहीं रहे। गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' के जाने से जो जग.
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  10. गिर्दा की याद- यहीं है प्रतिरोध की ...

    गिर्दा की याद- यहीं है प्रतिरोध की आवाज़. गीत पेश हैं [Play Now]. नदियों में पानी कम हो रहा है. ... गिर्दा तुम याद आओगे जब भी लाट साहबों के फ़रमान मानवीयता की हदें तोड़ेंगे जब भी ...
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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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