जनज्वार एक्सक्लूसिव
रिपोर्ट ने कचहरी बम धमाका आरोपियों की गिरफ्तारी और संलिप्तता दोनों को कहा संदेहजनक
गिरफ्तारी की पुलिसिया कहानी साबित हुई झूठी
उत्तर प्रदेश सरकार 9 महीनों से दाबे बैठी थी रिपोर्ट, सामाजिक-राजनीतिक कार्यकताओं ने जनहित में किया जारी
अजय प्रकाश
उत्तर प्रदेश में नवम्बर 2007 कचहरी बम धमाकों में गिरफ्तार मुख्य आरोपी आजमगढ़ के तारिक कासमी और जौनपुर के खालिद मुजाहिद मामले में गठित निमेष जाँच आयोग की रिपोर्ट आखिरकार आज सार्वजनिक हो गयी. सार्वजनिक हुई रिपोर्ट के कारण पहले से ही फजीहत झेल रही सपा सरकार की मुश्किलें और बढेंगी. एक साल में 27 दंगों की गवाह बनी सरकार अभी इस मसले को संभाल भी नहीं पायी थी कि उसके मुस्लिम विरोधी होने का नया मामला निमेष जाँच आयोग ने विधिवत रूप से उजागर कर दिया है. अब सरकार दबाव में ही सही, मगर तारिक कासमी और खालिद मुजाहिद की रिहाई की प्रक्रिया में लगने को मजबूर होगी. गौरतलब है कि नवम्बर 2007 में लखनऊ, बनारस और फैजाबाद में श्रखंलाबद्ध बम धमाके हुए थे.
तारिक कासमी और खालिद मुजाहिद : निर्दोष होने की उम्मीद
आयोग की रिपोर्ट ने अब तक हुई पुलिसिया जांच को उलट कर रख दिया है. रिपोर्ट में निष्कर्ष के तौर पर दोटूक कहा गया है कि उत्तर प्रदेश कचहरी बम ब्लास्ट मामले में वर्ष 2007 में आजमगढ़ जिले के तारिक कासमी और जौनपुर जिले के खालिद मुजाहिद की गिरफ्तारी संदेहास्पद है. एक सदस्यीय जांच आयोग ने गिरफ्तारियों पर संदेह का आधार गिरफ्तारियों के दिन के अखबारों में छपी रपटों और पुलिसिया कहानी के फर्क को बनाया है.
गौरतलब है कि 2007 में हुई गिरफ्तारियों को लेकर यूपी एसटीएफ के दावों पर उठे सवालों पर तत्कालीन बसपा सरकार ने आरडी निमेष आयोग का गठन किया था और रिपोर्ट आने 6 साल लग गए. मामला बाराबंकी कोर्ट में लंबित होने के कारण अपनी कानूनी सीमाओं का हवाला देते हुए जांच आयोग ने कहा है कि वह किसी व्यक्ति के विरूद्ध कार्यवाही को निर्धारित नहीं कर सकता.
तारिक का अपहरण 12 दिसंबर 2007 को दिन में किया जाता है, अखबार 13 को खबर प्रकाशित करते हैं और पुलिस गिरफ्तारी के दस दिन बाद 22 दिसंबर को बाराबंकी से इन दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी गोला-बारूदों के साथ दिखाती है. वह भी गिरफ्तारी तब दिखाती है जब नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी चरण पाल राज्यपाल को यह ज्ञापन देते हैं कि अगर 22 दिसंबर को तारिक कासमी को उनके परिजनों को नहीं सौंपा गया तो वह दिन के 22 दिसम्बर को ही 2 बजे कोटला मदरसा के सामने आत्महदाह कर लेंगे.
मोबाइल नंबरों की जांच में लापरवाहियों और दोनों आरोपियों के अपहरण की सूचना परिजनों और स्थानीय नेताओं द्वारा दर्ज कराये जाने के बावजूद जांच का न होना भी आंतकवाद आरोपियों को फंसाये जाने की ओर इशारा करता है. जांच आयोग ने गिरफ्तारी के झोल को कुल 14 बिंदुओं में समेटा है. 14वें हिस्से में कहा गया है कि 'कथित आरोपी तारिक कासमी और खालिद मुजाहिद की 22 दिसंबर 2007 को सुबह 6.20 बजे आपत्तिजनक वस्तुओं के साथ गिरफ्तारी संदेहजनक प्रतीत होती है और अभियोजन के गवाहों पर पूर्णरूप से विश्वास नहीं किया जा सकता.'
135 पन्नों की यह रिपोर्ट एकल सदस्यीय निमेष जाँच आयोग के अध्यक्ष और पूर्व न्यायाधीश आरडी निमेष ने 31 अगस्त को ही सरकार को सौंप दी थी., लेकिन सरकार रिपोर्ट जारी करने को तैयार नहीं थी. सरकार जानती थी कि रिपोर्ट जारी होते ही मानवाधिकार संगठन और मुस्लिम समुदाय निर्दोषों को छोड़ने, फंसाने वाले पुलिस अधिकारीयों पर कार्यवाही करने को लेकर दबाव बनाते, जो अब सरकार को न चाहते हुए भी करना होगा. गौरतलब है कि 2007 में हुई गिरफ्तारियों को लेकर यूपी एसटीएफ के दावों पर उठे सवालों पर तत्कालीन बसपा सरकार ने आरडी निमेष आयोग का गठन किया था. सामाजिक कार्यकर्त्ता संदीप पाण्डेय और अन्य ने इस रिपोर्ट को कल सोशलिस्ट पार्टी के लखनऊ स्थित कार्यालय से जारी किया.
जांच आयोग ने अपने 12 सूत्रीय सुझावों में कई महत्वपूर्ण सुझाव आतंकवाद मामलों में होने वाली गिरफ्तारियों को लेकर दिये हैं, जिनमें सुझाव संख्या 8 और 11 बेहद महत्वपूर्ण हैं. सुझाव आठ में कहा गया है कि 'ऐसे मुकदमों के निर्धारण की सीमा अधिकतम 2 साल् होनी चाहिए. केस समय पर निस्तारण न होने पर समीक्षा होनी चाहिए और संबंधित व्यक्ति के विरूद्ध कार्यवाही होनी चाहिए.' वहीं सुझाव संख्या 11 में 'झूठे मामलों में फंसाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही' और सुझाव 9 में मुआवजे की बात कही गयी है.
उल्टे प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव मंचों से फर्जी रिहाई की दावे करते रहे हैं. 17 मार्च को भी उन्होंने लखनऊ में मुस्लिमों के एक मंच से संबोधित करते हुए कहा कि सपा की सरकार ने आतंकवाद मामलों में गिरफ्तार 4 मुस्लिम युवकों को छोड़ चुके हैं और अन्य को छोड़ने की तैयारी है. इससे पहले मुस्लिमों के एक अन्य मंच से वह 400 मुस्लिम निर्दोष युवकों की रिहाई की घोषणा कर चुके हैं, जबकि अब तक एक भी रिहाई संभव नहीं हो पाई है.
पूरी रिपोर्ट पढ़ें - https://docs.google.com/file/d/0B0GmRz9dSPQrSUxWeEg1amU3VG8/edit?usp=sharing
ajay.prakash@janjwar.com
नवंबर 2007 में यूपी कचहरी धमकों के बाद 12 दिसंबर 2007 को आजमगढ़ से तारिक कासमी और 16 दिसंबर 2007 को मडि़याहूंसे खालिद मुजाहिद की गिरफ्तारियों के बाद 22 दिसंबर को उन्हें बाराबंकी से गिरफ्तार किए जाने के यूपी एसटीएफ के दावों पर उठेसवालों पर तत्कालीन बसपा सरकार द्वारा इन गिरफ्तारियों पर उठे सवालों की जांच के लिए गठित आर डी निमेष जांच आयोग कीरिपोर्ट पिछले साल 31 अग्स्त 2012 को वर्तमान सपा सरकार को आर डी निमेष आयोग ने सौंप दिया था। लेकिन इस रिपोर्ट कोसरकार ने नहीं जारी किया। पिछले कुछ महीनों में इस रिपोर्ट के कुछ हिस्से मीडिया माध्यमों में प्रकाशित हो चुके हैं जिसमें यह बातसामने आई है कि तारिक और खालिद की गिरफ्तारियां संदिग्ध थीं। साथ ही रिपोर्ट यूपी एसटीएफ की गैरकानूनी कार्यप्रणाली परभी गंभीर सवाल उठाती है। रिहाई मंच ने ये रिपोर्ट अब सार्वजनिक की है। ये रहा उस का पहला हिस्सा ...
रिपोर्ट
एकल सदस्यीय निमेष जांच आयोग
द्वारा श्री आर डी निमेष
(से.नि.जिला एवं सत्र न्यायाधीश)
विषय वस्तु
लोक महत्व के विषय अथवा मुकदमा अपराध संख्या 1891/2007 थाना कोतवाली जनपद बाराबंकी में मोहम्मद खालिद मुजाहिद पुत्र स्व.जगीर मुजाहिद एवं मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र श्री रियाज अहमद के उपरोक्त अपराध में संलिप्तता के तथ्यों एवं उत्तर दायित्व की जांच।
विषय सूची
क्रम संख्या विवरण पृष्ठ संख्या
माननीय मुख्यमंत्री, उ.प्र. को संबोधित पत्र 1
आयोग की जांच की विषय वस्तु 2
विषय सूची 3
आयोग के गठन की अधिसूचना 4
अध्याय
प्रस्तावना 5-8
विधिक कार्यवाही 09-14
निष्कर्ष के बिन्दु 15-17
साक्ष्य एवं निष्कर्ष 18-235
सुझाव 236-237
अध्याय-1
प्रस्तावना
दिनांक 22-12-2007 को सुबह 6.15 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति पकड़े गये, जिनमें से एक खालिद मुजाहिद पुत्र स्व.जमीर मुजाहिद के कब्जे से 9 अदद जिलेटिन राड पैक शुदा, तीन अदद स्टील कलर डेटोनेटर, एक अदद नोकिया मोबाइल व सिम कार्ड तथा दूसरे तारिक कासमी पुत्र श्री रियाज अहमद के कब्जे से 3 अदद डेटोनेटर, पालीथिन में लिपटा हुआ आर.डी.एक्स., एक अदद नोकिया मोबाइल व सिमकार्ड बरामद होना बताया जाता है। जबकि तारिक कासमी का कहना है कि दिनांक 12-12-2007 को वह अपने अजहर यूनानी दवाखाना स्थित शंकरपुर रानी की सराय चेक पोस्ट से आगे सराय मीर की तरफ अपनी स्पेलेंडर मोटर साइकिल यू.पी.50एन/2943 से जा रहा था, तो सफेद रंग की टाटा सूमो गाड़ी ने ओवरटेक कर रूकने व मरीज देखने को कहा। टाटा सूमो गाड़ी से 9-10 लोग कूद कर उसके पास आये उसे मोटर साइकिल से उठाकर सूमों में डाल दिया और दो लोगों ने उसकी मोटर साइकिल पकड़ लिया। शोर मचाने पर टाटा सूमो वालों ने उसे मारापीटा, मौके पर बहुत लोग आ गये और टाटा सूमो की तरफ दौड़े और इस बीच एक रोडवेज बस भी आयी। उसे टाटा सूमो सवार लोग बनारस के खामोश इलाके में ले गये एक कमरे में रखा और शाम तक वहीं रखने के बाद उसे टाटा सूमो से लखनऊ लाये, जहां उसे एक मकान में बंद रखा। उसे आतंकवादी बताया, उसे मारा-पीटा व आखिर में रचे गये षड़यंत्र के अनुसार उसे और मोहम्मद खालिद मुजाहिद को एक गाड़ी में बैठाकर उसे लखनऊ से सुबह 4 बजे रवाना हुए व ऐसी जगह ले गये जहां ट्रेनों की आवाज आ रही थी, जिससे लगा कि रेलवे स्टेशन है। लगभग सुबह 6 बजे पुलिस स्टेशन ले जाया गया, जहां 5 मिनट उतारने के बाद फिर गाड़ी में बैठा कर एक सरकारी गेस्ट हाउस में जाया गया और सादे कागज पर हस्ताक्षर कराये व हाथ पैस के निशान लिये गये। इसके अतिरिक्त मोहम्मद खालिद मुजाहिद का कथन है कि उसे दिनांक 16-12-2007 को जब वह मुन्नू चाट वाले की दुकान पर गया उसकी मां ने बुला लिया क्योंकि उसकी पोती को नजर लग गई थी वहां एक गाड़ी आकर खड़ी हुई उसमें से कुछ लोग निकले जबरदस्ती उठाकर गाड़ी में डाल दिया, मुंह में कपड़ा ठूंस दिया और उसे लखनऊ ले आये। उसे मारा-पीटा और कहा कि कचेहरी बम ब्लास्ट में अपना जुर्म स्वीकार कर लो नहीं तो तुम्हारी मां-बीबी को उठा लायेंगे व तुम्हारे घर वालों को जान से मार देंगे। उसे मजबूरन वह सब कुछकरना पड़ा फरि उसकी वीडिया फिल्म बनायी गई और अलग से रिकॉर्ड भी किया गया। उसकी आँख पर पट्टी बांध कर कुछ चीजें हाथ में पकड़ायी गयी। उसका यह भी कहना है कि दिनांक 22-12-2007 को बाराबंकी ले जाया गया हाथ पैर के उंगलियों के निशान लिये। गलत इल्जाम लगाया गया और गिरफ्तारी दिखाई गयी।
यह भी कहा गया कि खालिद मुजाहिद एक शिक्षक है और 16 दिसम्बर 2007 तक उसने पढ़ाया है और उसे उसके बाद टाटा सूमो में सवाल लोगों ने जबरदस्ती असलहों के बलपर उठा लिया है। भीड़ थाने पर पहुंची थी उसके चचेरे भाई मोहम्मद शाहिद ने थाने पर एफआईआर दर्ज करानी चाही परन्तु एफआईआर दर्ज नहीं हुई। 16 दिसम्बर 2007 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली और डीजीपी उत्तर प्रदेश को फैक्स किया। 17 दिसम्बर, 2007 को एक डेलीगेशन लगभग 30-40 की संख्या में चेयरमैन मडियाहू के साथ थाना मडियाहूं गये थाना प्रभारी नहीं मिले दारोगा से बात हुई। दिनांक 17.12.2007 को तमाम अखबारों में खालिद की गिरफ्तारी का समाचार छपा। 17.12.2007 को माननीय मुख्यमंत्री, डीएम जौनपुर, गवर्नर, मुख्य सचिव को फैक्स किये तथा एस.एस.पी. जौनपुर को रजिस्ट्री की व 18-19.12.2007 की रात तीन गाड़ियों में सवाल कुछ लोग खालिद के घऱ आये कुरान मजीद और कुछ किताबें ले गये। दिनांक 19.12.2007 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली, माननीय मुख्यमंत्री, डी.जी.पी., डी.एम. जौनपुर को रात की घटना का फैक्स किया गया व अखबार में समाचार छापे गये। उसके उपरान्त दिनांक 22-12-2007 को उसे कोतवाली बुलाया गया और बताया गया कि खालिद को बाराबंकी से गिरफ्तार किया गया है।
नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी तारिक कासमी ने लिए दिनांक 12-12-2007 से 21-12-2007 तक लगातार धरना व आंदोलन के जरिए जिला से सचिवालय व गवर्नर हाउस तक लिखित फरियाद की गई परन्तु किसी अऑरिटी ने हकीम तारिक के पुलिस कस्टडी में होने की बात स्वीकार नहीं की। उससे अपहरण की सूचना अखबारों में छपी। 14 दिसम्बर 2007 को स्थानीय थाना रानी की सराय में तारिक कासमी की गुमशुदगी रिपोर्ट तारिक के दादा अजहर अली ने दर्ज करायी। दिनांक 15.12.2007 को मोहम्मद अरशद खान अध्यक्ष नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी व पूर्व विधायक व उनके सहयोगी ने एस.एस.पी. व डी.एम. आजमगढ़ से मिलकर हकीम तारिक के संबंध में जानकारी चाही और तहरीर दाखिल की। एस.एस.पी. व डी.एम. से संतोषजनक उत्तर न मिलने पर दिनांक 16.12.2007 को कलेक्ट्रेट आजमगढ़ पर उसने अपने कार्यकर्ताओं के साथ धरना देकर माननीय मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन प्रस्तुत किया। दिनांक 17.12.2007 को कस्बा सराय मीर में धरना दिया। तारिक का मोबाइल दिनांक 15-12-2007 से 17-12-2007 तक कभी ऑन होता तो कभी ऑफ होता इसकी जानकारी एस.एस.पी. जौनपुर को दी और कहा मोबाइल को सर्विलांस पर डाल कर ढूंढा जाये परन्तु कोई कार्यवाही नहीं की हुई। दिनांक 16/17.12.2007 को मो. अरशद खान ने हकीम तारिक के परिवार के साथ लखनऊ में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, चीफ जस्टिस हाईकोर्ट, गृह सचिव उ.प्र., पुलिस महानिदेशक उ.प्र. को घटना की सूचना रजिस्ट्री द्वारा दी। दिनांक 18.12.2007 को कलेक्ट्रेट आजमगढ़ पर फिर धरना दिया। दिनांक 18.12.2007 को तारिक के दादा अजहर अली ने डी.एम., एस.एस.पी. को हकीम के अपहरण किये जाने की रजिस्ट्री द्वारा सूचना दी। दिनांक 20.12.2007 को कलेक्ट्रेट पर फिर धरना दिया और पूर्व विधायक अरशद खां ने चीफ जस्टिस, होम सेक्रेटरी उ.प्र. के समक्ष हकीम के परिवारवालों को पेश करके हकीम की रिहाई की गुहार लगायी। नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी के युवा प्रदेश अध्यक्ष चौ.चरण पाल सिंह ने मा. मुख्यमंत्री व महामहिम राज्यपाल के दफ्तर में इस आशय का ज्ञापन प्राप्त कराया। यदि हकीम तारिक कासमी को 22.12.2007 तक पुलिस बरामद नहीं करती है तो पुलिस व सरकार की इस उदासीनता के खिलाफ अपरण स्थल पर 23.12.2007 को आत्मदाह कर लेंगे। इस चेतावनी के एक दिन बाद 22.12.2007 को सुबह पुलिस व एस.टी.एफ. ने हकीम तारिक कासमी व खालिद मुजाहिद जिसको 16.12.2007 को पकड़ा था बाराबंकी से गोलाबारूद के साथ आतंकवादी बताकर पकड़ा दिखाया।
पुलिस ज्यादती के विरोध में नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी के युवा प्रदेश अध्यक्ष चौधरी चरण पाल सिंह व प्रदेश के प्रवक्ता मजहर आजाद ने फरवरी की पहली तारीख से विधान सभा लखनऊ के सामने आमने सामने अनशन शुरू किया परन्तु 6 दिन बाद हड़ताल तुडवा दी। उपरोक्त दोनों कथित आरोपियों मोहम्मद तारिक कासमी व मोहम्मद खाली मुजाहिद की इस गिरफ्तारी की न्यायिक जांच की मांग लगातार जारी रही।
श्री विक्रम सिंह आई.पी.एस.तत्कालीन पुलिस महानिदेशक, उ.प्र. ने दिनांक 14 मार्च 2008 को प्रमुख सचिव, गृह, उ.प्र.शासन, लखनऊ को यह तथ्य अवगत कराते हुए पत्र लिखा कि-
प्रिय महोदय,
श्री ए.के.जैन, पुलिस महानिदेशक, लखनऊ जोन के पत्र संख्या सीए-आईजी-एलजेड/2007 दिनांक 14.03.2008 द्वारा मु.अ.सं. 1891/2007 धारा 121/121ए/122/124ए/332भ.द.वि.,16/18/20/23 आतंकवादी गतिविधि निरोधक अधिनियम व 4/5 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम थाना कोतवाली, जनपद बाराबंकी में दिनांक 22.12.2007 को मोहम्मद खालिद मुजाहिद पुत्र स्व.जमीर मुजाहिद निवासी 37, महतवाना मोहल्ला,थाना मडियाहूं, जनपद जौनपुर एवं मोहम्मद तारिक कासमी पुसत3 रयाज अहमद निवासी सम्मोपुर, थाना रानी की सराय, जनपद आजमगढ़ की गिरफ्तारी के प्रकरण में कई प्रकार की शिकायतें/चर्चाओं की पृष्ठभूमि में न्यायिक जांच का अनुरोध किया गया है।
2. जैसा कि पुलिस महानिरिक्षक लखनऊ जोन ने संस्तुति की है। इस पूरे प्रकरण में इन दोनों अभियुक्तों की आपराधिक संलिप्तता के सम्बन्ध में न्यायिक जांच के आदेस पारित करने की कृपा करें।
उपरोक्त तथ्यों के आधार पर राज्य सरकार ने दिनांक 14-03-2007 गृह (पुलिस) अनुभाग-4 की विज्ञप्ति संख्या 1301 ख/छ-पु-4-08-17(134)बी-08 दिनांक 14 मार्च 2008 की अधिसूचना द्वारा जांच आयोग अधिनियम 1952 (अधिनियम संख्या 60, 1952) की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्ति प्रयोग करके राज्यपाल ने श्री आर.डी.निमेष, जिला न्यायाधीश(से.नि.)को एक सदस्यीय जांच आयोग के रूप में नियुक्त किया गया।
विज्ञप्ति निम्न प्रकार है-
अधिसूचना
1.चूंकि राज्यपाल की राय है कि लोक महत्व के विषय अर्थात् मुकदमा अपराध संख्या 1891/07 थाना कोतवाली जनपद बाराबंकी में मो. खालिद मुजाहिद, पुत्र स्वर्गीय जमीर मुजाहिद, निवासी 37, महतवाना मुहल्ला थाना मडियाहूँ, जिला जौनपुर एवं मो. तारिक कासमी, पुत्र रियाज अहमद निवासी सम्मोपुर थाना रानी की सराय, जिला आजमगढ़ की अपराध में संलिप्तता के तथ्यों एवं उत्तर दायित्वों की जांच की जानी आवश्यक है।
2.अतएव अब, जांच आयोग अधिनियम, 1952(अधिनियम संख्या 60 सन् 1952)की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करके राज्यपाल श्री आर.डी.निमेष, जिला न्यायाधीश(सेवानिवृत्त) को एक सदस्यीय जांच आयोग के रूप में नियुक्त करते हैं, जिसका मुख्यालय लखनऊ में होगा।
3.आयोग उक्त घटना के संबंध में जांच करेगा और उपरोक्त विषयों पर रिपोर्ट देगा।
4.चूंकि राज्यपाल की राय है कि की जाने वाली जांच के रूवरूप और मामले की अन्य परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए , ऐसा करना आवश्यक है, अतएव, राज्यपाल उक्त अधिनियम की धारा 5 की उपधारा (1) के अधीन यह भी निदेश देते हैं कि उक्त धारा (5) की उपधारा (2),(3)(4) और (5) के उपबंध आयोग पर लागू होंगे।
5.आयोग इस अधिसूचना के जारी होने के दिनांक से छह मास की अवधि के भीतर अपनी जांच पूरी करेगा। अवधि परिवर्तन के संबंध में माननीय मुख्यमंत्री जी अधिकृत होंगे।
अध्याय-2
विधिक कार्यवाही
आयोग को सहकारिता भवन पंचम तल लखनऊ में दिनांक 08.11.2008 को कार्यालय हेतु कक्ष उपलब्ध कराये गये। दिनांक 14.11.2008 को सै.मो.हसीब,अपर विधि परामर्शी, उ.प्र. शासन को आयोग का सचिव नियुक्त किया गया। दिनांक 03.12.2008 को गृह विभाग-4 के आदेश पर उ.प्र. अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से सेवा स्थानान्तरण के आधार पर आयोग में नियुक्त हुए। आयोग में संविदा पर 3 कर्मचारियों की नियुक्ति दिनांक 14.01.2009 को की गई। आयोग द्वारा दिनांक 21.01.2009 राष्ट्रीय सहारा उर्दू में, दैनिक जागरण हिन्दी में तथा टाइम्स ऑफ इंडिया अंग्रेजी में विज्ञप्ति जारी कर प्रकाशित हुई। जिसमें सभी आमजनों को सूचित किया गया कि उ.प्र.सरकारी की अधिसूचना संख्या 1301ख/छ-पु-4-08-17(134)ख-08 दिनांक 14 मार्च, 2008 द्वारा उ.प्र. उच्चतर न्यायिक सेवा के सेवा निवृत्त जिला जज श्री आर.डी.निमेष से बने एक जांच आयोग का एक सदस्यीय जांच आयोग के रूप में निम्नलिखित निर्देश संबंधी निबंधनों के साथ गठन किया। मु.अ.संख्या 1891/07, थाना कोतवाली जनपद बाराबंकी में मो. खालिद मुजाहिद, पुत्र स्वर्गीय जमीर मुजाहिद, निवासी 37, महतवाना मुहल्ला थाना मडियाहूँ, जिला जौनपुर एवं मो. तारिक कासमी, पुत्र रियाज अहमद निवासी सम्मोपुर थाना रानी की सराय, जिला आजमगढ़ लिप्त होने की बावत जांच की जा रही है। उपरोक्त के संबंध में ऐसे परिवाद या आरोप या अन्य तथ्य आयोग के संज्ञान में लाने हेतु 16.02.2009 तक प्रस्तुत कर सकते हैं। उपरोक्त विज्ञप्ति के फलस्वरूप आयोग में 2 परिवाद पत्र व 6 व्यक्तियों लक्ष्मण प्रसाद, जहीर आलम, तारिक शमीम, अब्दुल रहमान, जावेद मोहम्मद व सर्फुद्दीन ने शपथपत्र व आस्तियां दाखिल की। अभियोजन पक्ष की तरफ से 47 शपथपत्र दाखिल किये गये तथा बचाव पक्ष की तरफ से 25 शपथपत्र दाखिल किये गये। आयोग के सम्मुख अभियोजन की तरफ से शपथ पत्र दाखिल करने के लिए विभिन्न तिथियों में अवसर मांगा गया जो स्वीकृत हुआ और अन्ततः अभियोजन की तरफ से दिनांक 27.10.2009 से लेकर 23.12.2009 तक शपथपत्र दाखिल किये गये शेष शपथ पत्र दिनांक 07.11.2009 से 12.09.2011 तकक दाखिल किये गये।
आयोग की कार्यवाही के दौरान श्री शुऐब अहमद एडवोकेट कथित आरोपी खालिद मुजाहिद व तारिक कासमी की तरफ से उपस्थित हुए और वकालतनामा दाखिल किया। अभियोजन की तरफ से श्री अजय कुमार सिन्हा अभियोजन अधिकारी दिनांक 27.11.2010 को नियुक्त हुए। उन्होंने दिनांक 09.02.2011 तक कार्य किया तथा स्वास्थ्य खराब होने के कारण आयोग में आना बंद कर दिया। उससे उपरान्त दिनांक 27.05.2011 से श्री ब्रजपाल सिंह अभियोजन अधिकार नियुक्त हुए।
आयोग में दिनांक 16.02.2009 को सभी पक्षों को उपस्थित होने के लिए एक सार्वजनिक बैठक की गयी और सभी पक्षों के यह निर्देश दिये गये कि जो पक्षकार अथवा उनके द्वारा नामित अधिवक्ता तथा राज्य सरकार की तरफ से नामिल अभियोजन अधिकारी आयोग में उपस्थित होंगे, उनको जो गवाह आयोग में उपस्थित होंगे, से जिरह करने का अधिकार होगा। अधिव्क्ताओं व अभियोजन अधिकारियों को जिरह करने की अनुमति इस आधार पर दी गयी, जिससे उनके द्वारा मौखिक बयान की सत्यता जांची जा सके। आयोग द्वारा किसी भी अधिवक्ता किसी भी उपभोक्ता को अलग से नियुक्त नहीं किया गया है। पक्षकारों को किसी भी साक्षी से कोई प्रश्न पूछने के लिए सुझाव के अवसर दिये गये। आयोग की कार्यवाही सहकारिता भवन के पंचम तल पर की गयी। साक्षियों के बयान को दर्ज किया गया व उनसे जिरह करने की अनुमति भी दोनों पक्षों को दी गयी।
इस मीटिंग में यह भी तय हुआ कि साक्ष्य शपथ पत्र पर ग्रहण किया जायेगा और मौखिक साक्ष्य भी ग्रहण किये जायेंगे। पक्षकारों द्वारा दिये गये अन्य अभिलेख भी ग्रहण किये जायेंगे। स्पेशल टॉस्क फोर्स(एस.टी.एफ.) द्वारा दिनांक 22.12.2007 को घटित हुई घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट फर्द बरामदगी दाखिल की गयी। व इसी तरह थाना रानी की सराय द्वारा दाखिल जी.डी.12.12.2007 से 23.12.2007 के साथ अली अजहर द्वारा दिनांक 14.12.2007 को थाना रानी की सराय में दाखिल प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रमाणित प्रतिलिपि दाखिल की गई है। तारिक शमीम ने भी अपने शपथ पत्र में नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी के पत्र की कारबन कॉपी, अजहर अली द्वारा दाखिल एफआईआर की फोटो कॉपी, नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी द्वारा जिलाधिकारी आजमगढ़ को दिनांक 15.12.2007 को दिये गये ज्ञापन की फोटो कॉपी व हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण दैनिक अखबार में छपी खबरों फोटो कॉपी। नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी का ज्ञापन दिनांक 20.12.2007 व चौधरी चरण पाल द्वारा महामहिम राज्यपाल को दिये गये प्रार्थनापत्र की फोटो कॉपी व समाचार पत्रों में छपे समाचार की फोटो कॉपी अपने शपथपत्र के साथ दाखिल की है।
बचाव पक्ष के द्वारा 25 साक्षीगण परीक्षित किये गये जो (सूची-1), अभियोजन पक्ष द्वारा परीक्षित 46 गवाहों की लिस्टू (सूची-2), इसी तरह आयो द्वारा 45 साक्षीगण परीक्षित किये, जो (सूची-3) निम्न प्रकार है-
सूची-1
सूची-2
सूची-3
जांच कार्यवाही के दौरान दिनांक 13.05.2009 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन घटना स्थल का निरीक्षण किया गया व दिनांक 06.07.2009 को मडियाहूं जनपद जौनपुर तथा दिनांक 07.07.2009 को रानी की सराय सम्मोपुर जनपद आजमगढ़ का भी निरीक्षण किया गया व उपस्थित गवाहों से घटना के संबंध में पूछताछ की गई।
अध्याय-3
मु.अ.सं. 1891/2007 थाना कोतवाली जनपद बाराबंकी में अभियोजन पक्ष का कहना है कि दिनांक 23.11.2009 को उ.प्र. की राजधानी लखनऊ, जनपद फैजाबाद, जनपद वाराणसी में कुछ आतंकवादियों द्वारा सीरियल बम धमाके किये गये थे इस घटना के सम्बन्ध में प्राप्त अभिसूचनाओं को विकसित करने हेतु एस.टी.एफ. को लगाया गया था। मुखबिरान की सूचना से यह तथ्य प्रकाश में आया कि मडियाहूँ जनपद जौनपुर व रानी की सराय जनपद आजमगढ़ में पिछले कुछ मांह से बांग्लादेशी व कश्मीरी नागरिकों का आना जाना रहा है। इन सूचनाओं को और विकसित करने हेतु मुखबिरान व एस.टी.एफ. के लोग लगातार कार्य कर रहे थे। श्री चिरंजीव नाथ सिन्हा क्षेत्राधिकारी चौक, लखनऊ उपरोक्त घटना की विवेचना कर रहे थे और लगातार एस.टी.एफ. कार्यालय पर मुखबिर द्वारा एस.टी.एफ टीम के पुलिस उपाधीक्षक एस. आनन्द व अन्य को सूचना मिली कुछ संदिग्ध व्यक्ति बाराबंकी रेलवे स्टेशन के पास सुबह 6 बजे आने वाले हं, जिनके संबंध आतंकवादी संगठन से है। उपरोक्त सूचना पर अपर पुलिस अधीक्षक, एस.टी.एफ. श्री मनोज कुमार झा के परिवेक्षण में 4 टीमों का गठन किया गया। बाराबंकी रेलवे स्टेशन पर गये जहां दो व्यक्तियों को 6.20 बजे पर पकड़ा। जिसमें खालिद मुजाहिद निवासी मडियाहूँ जनपद जौनपुर से 9 अदद जिलेटिन राड पैक शुदा, 3 अदद डेटोनेटर, एक अदद नोकिया मोबाइल व सिम कार्ड बरामद हुए जबकि तारिक कासमी निवासी सम्मोपुर, थाना रानी की सराय, जिला आजमगढ़ से 3 डेटोनेटर, पालीथिन में लिपटा हुआ सवा किलो आर.डी.एक्स. व एक अदद नोकिया मोबाइल व सिमकार्ड बरामद हुआ। जबकि तारिक कासमी का कहना है कि उसे 12.12.2007 को जब वह रानी की सराय चेक पोस्ट से धार्मिक इजतेमा में जा रहा था तो उसे पकड़ कर टाटा सूमो में डालकर बरारस रखा, उसी दिन दिनांक 12.12.2007 को बनारस से लखनऊ ले आये वहां उससे मारा-पीटा व दिनांक 22.12.2007 को उसे गलत तौरप र खालिद मुजाहिद के साथ बाराबंकी रेलवे स्टेशन से गिरफ्तरार दिखाकर आपत्तिजनक वस्तुओं की बरामदगी दिखाई। जबकि खालिद मुजाहिद का कहना है कि उसे 16.12.2007 को पवन टाकीज के सामने मुन्नू चाट वाले की दुकान के पास से कस्बा मडियाहूँ जनपद जौनपुर से एस.टी.एफ. द्वारा अपहरण किया गया उसे लखनऊ ले जाया गया। उसे मारा-पीटा गया, पूछताछ की गई। यह भी कहा जाता है कि जब उपरोक्त दोनों कथित आरोपियों की बरामदगी के लिए उनके परिजनों, आम जनता का दबाव पड़ा व नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी के प्रदेश युवा अध्यक्ष चौ.चरणपाल ने यह ज्ञापन दिया कि यदि दिनांक 21.12.2007 को बकरीद से दिन तक मौलाना डॉक्टर मोहम्मद तारिक को बरामद करके पुलिस उनके परिवार के हवाले नहीं कर पाती तो यह शासन प्रशासन की इस उदासीनता के विरूद्ध दिनांक 22.12.2007 को दिन के 2 बजे कोटला मदरसा के सामने आत्मदाह कर लेगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी। उपरोक्त दबाव के कारण ही कथित आरोपियों को उपरोक्त तिथि व समय से पूर्व दिनांक 22.12.2007 को सुबह 6.20 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तारी गलत दिखायी और गलत तौर पर आपत्तिजनक वस्तुओं की बरामदगी भी दिखाई है।
उपरोक्त तथ्यों से निष्कर्ष हेतु निम्न बिन्दु उत्पन्न होते हैं-
1.यह कि तारिक कासमी को दिनांक 12.12.2007 को व खालिद मुजाहिद को दिनांक 16.12.2007 को उनके गृह जनपद से उठाया गया और जब धरना प्रदर्शन हुआ, जनता का दबाव पड़ा व नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी के युवा प्रदेश अध्यक्ष ने दिनांक 22.12.2007 तक उपरोक्त दोनों व्यक्तियों के बरामद न होने पर 2 बजे दिन में आत्मदाह की धमकी दी, के फलस्वरूप कथित दोनों आरोपियों को बाराबंकी रेलवे स्टेशन से गलत तौर से गिरफ्तार किया गया व गलत तौर से आपत्तिजनक वस्तुएं बरामद दिखायी गयी।
2.यदि उपरोक्त बात सत्य नहीं है तो यह बात सत्य है कि तारिक कासमी व खालिद मुजाहिद को दिनांक 22.12.2007 को सवा छह बजे बाराबंकी रेलवे स्टेशन के निकट गिरफ्तार किया गया व जिलेटिन राड, डेटोनेटर, आर.डी.एक्स.व मोबाइल फोन बरामद हुए।
अध्याय-4
साक्ष्य एवं निष्कर्ष
अभियोजन का कहना है कि दिनांक 22.12.2007 को सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर बाराबंकी रेलवे स्टेशन के निकट कथित आरोपों मो. खालिद मुजाहिद व तारिक कासमी को गिरफ्तार किया गया व उनके कब्जे से डेटोनेटर, जिलेटिन राड व आर.डी.एक्स.बरामद हुआ। जबकि अभियुक्तगण व परिवादीगणों का कहना है कि तारिक कासमी को दिनांक 12.12.2007 को रानी की सराय जनपद आजमगढ़ व मोहम्मद खालिद को दिनांक 16.12.2007 को शाम 6 बजे कस्बा मडियाहूँ जिला जौनपुर से उठाया व जब जनता द्वारा धरना प्रदर्शन, आत्मदाह की धमकी दी गयी तो उन्हें दिनांक 22.12.2007 को सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर बाराबंकी रेलवे स्टेशन से गलत गिरफतार दिखाया व गलत आपत्तिजनक वस्तुएं बरामद होना दिखाया।
इस केस में कथित आरोपी तारिक कासमी व खालिद मुजाहिद जो जिला जेल में निरूद्ध थे उन्हें आयोग के गठन की सूचना दी गयी था उन्हें अपना कथन प्रस्तुत करने के लिए भी निर्देश किया गया। इस तरह घटना के संबंधित सबई पुलिस व कर्मचारी व अधिकारीगण को भी सूचित किया गया। घटना स्थलों का निरीक्षण किया गया। सभी पक्षकारों ने अपने-अपने शपथ पत्र प्रस्तुत किये तथा कुछ व्यक्तियों ने परिवादपत्र दाखिल किये।
इस केस में मो. जहीर आलम फलाही ने अपना परिवाद पत्र प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने कहा कि वह मो. खालिद के पिता का बड़ा भाई है। मो.खालिद के पिता का देहान्त हो चुका है। केवल उसकी विधवा मां है। वह ही मो. खालिद का संरक्षक और पैरोकार है। यह कि मु. खालिद की नई नेवली दुल्हन 2 दिसम्बर 2007 को पहली बार ससुराल आई थी और इस समय वह अपने मायके में है। यह कि मु. खालिद मुजाहिद लड़कियों के एक मदरसा आमेंअतुस्सालेहात में एक शिक्षक था उसने दिनांक 16 दिसम्बर 2007 तक मदरसे में पढ़ाया था।
रजिस्टर हाजरी की छायाप्रति प्रस्तुत की है। यह कि मो. खालिद दिनांक 16.12.2007 को शाम 6.15 व 6.30 के मध्य शाम को घर से बाजार नील खरीदने के लिए निकला था। कई लोगों के साथ मगरिब(शाम) की नमाज पढ़कर पवन टाकीज के निकट फतह मुहम्मद की बिल्डिंग के सामने मुन्नू चाट वाले की दुकान पर जब वह चाट खा रहा था तभी टाटा सूमो पर सवार लोगों ने उसे जबरदस्ती असलहे के बल पर उठा कर टाटा सूमो में फेंक दिया और जौनपुर की तरफ चले गये। वहां पर मौजूद लोग दौड़ पड़े लेकिन टाटा सूमो में बैठे लोग असलहा लहराते हुए डर का वातावरण पैदा करके भाग गये। गाड़ी बगैर नंबर प्लैट के थी। यह कि भीड़ थाने पर पहुंच गई। मु. खालिद के चचेरे भाई मु. शाहिद ने थाने में एफ.आई.आर.दर्ज कराने की भरपूर कोशिश की परन्तु एफ.आई.आर. दर्ज नहीं की गई। यह कि उसमें लड़के मु. शाहिद ने उसे फोन करके घटना की सूचना दी। उस समय वह रायबरेली से इलाहाबाद जा रहा था। रास्ते में ही उसने थाना प्रभारी मडियाहूँ श्री मु. अल्लाफ को अपने मोबाइल नंबर 9450084200 से थाना प्रभारी के मोबाइल नंबर 9415721657 पर फोन किया और खालिद के अपहरण के बारे में पूछा। थाना प्रभारी ने बताया कि वह मडियाहूँ से बाहर है, वापस आकर देखेगा।
उसने यह भी कहा कि 16 दिसम्बर 2007 को ही उसने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली और डी.जी.पी को फैक्स किया। काफी रात होने की वजह से अन्य अधिकारियों को फैक्स नहीं कर सका। उसने फैक्स की फोटो कॉपी संग्लग्न की है। यह कि वह दिनांक 17 दिसम्बर 2007 को प्रातः ही मडियाहूँ पहुंच गया। घर पर हिन्दू-मुस्लिम की एक मीटिंग की थी, जिसमें यह तय हुआ कि एक डेलीगेशन थाने जायेगा। लगभग 35-40 लोग चेयरमैन मडियाहूँ की अगुवाई में थाने गये उस समय थाना प्रभारी के बजाय श्री मु.इरशाद खां दरोगा मडियाहूँ से बात हुई उन्होंने कहा कि खालिद को एस.टी.एफ उठा ले गई, लेकिन अधिकारियों के समक्ष वह नहीं बतायेगा। यह कि दिनांक 17 दिसम्बर 2007 को बहुत समाचार पत्रों ने एसटीएफ द्वारा खालिद की गिरफ्तारी का समाचार छापा जिसकी फोटो कॉपी संलग्न की है। यह कि दिनांक 17 दिसम्बर 2007 को खालिद मदरसा पढ़ाने नहीं आए गिरफ्तारी के कारम स्कूल कमेटी ने रजिस्टर हाजिरी में कारण लिखकर टीचर्स को सूचना दी। हाजिरी रजिस्टर संलग्न किया है। यह कि दिनांक 17 दिसम्बर 2007 को मुख्यमंत्री, डी.एम. जौनपुर, माननीय गवर्नर उ.प्र., गृह सचिव वगैरह को फैक्स किया। कापी संलग्न की है। दिनांक 18 दिसम्बर 2007 को एस.पी.जौनपुर को रजिस्ट्री किया। फोटो कॉपी संलग्न है।
उसने यह भी कहा है कि 19 दिसम्बर 2007 को ही उसने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली, माननीय मुख्यमंत्री , डी.जी.पी., डी.एम.जौनपुर इत्यादि को रात की घटना के बारे में फैक्स द्वारा सूचना दी। अखबार की फोटो कॉपी संलग्न की है। यह कि दिनांक 21 दिसम्बर 2007 को मैंने समाचार पत्रों के नुनाइंदों से कहा कि एस.टी.एफ. ने शायद उसके बच्चे को मार डाला है वह और पूरा कस्बा लाश के इंतजार में बैठा है। यह कि दिनांक 22 दिसम्बर 2007 को उसे कोतवाली बुलाया गया। थोड़ी देर बात करने के बात उससे कहा गया कि आज सुबह मु.खालिद और तारिक को बाराबंकी में गिरफ्तार कर लिया गया है। शायद यही बात बताने के लिए उसे बुलाया गया था।
उसने यह भी कहा कि थाना से बाहर निकालने से पहले मीडिया ने उससे बयान लिया। उसने कहा कि आई.जी. जोन वाराणसी, सिक हैं। मु. अल्लाफ मुसलमान और बाकी अधिकारी हिन्दू हैं. सब किसी न किसी धर्म पर विश्वास रखते हैं, अगर यह लोग हलफिया बनाय दे दें कि खालिद को 16 दिसम्बर को मडियाहूँ से नहीं किया गया है। तो वह कहेगा कि इसी थाने में पेड़ पर खालिद को फांदी दे दी जाए। लेकिन इसके लिए पूरे मडियाहूँ और मीडिया को झुंठलाना पड़ेगा। यह कि एस.पी.जौनपुर का बयान मौजूद है कि खालिद को मडियाहूँ से गिरफ्तार किया गया है। फोटो कॉपी संलग्न है।
उसने यह भी कहा है कि आयोग के समक्ष समाचार पत्रों के अतिरिक्त P.U.H.R.(मानव अधिकार संगठन) की वह सी.डी. पेश की है। जिसमें मडियाहूँ के लोगों ने गवाही दी है। वह आयोग के समक्ष 600 से अधिक लोगों के हस्ताक्षर सहित पेपर पेश किया है। 20 लोगों के हफलनामे दरखास्त के साथ पेश किये गये हैं। फोटो कॉपी संलग्न है।
उसका यह भी कहना है कि एक पूरा होने पर दिनांक 16 दिसम्बर 2008 को मडियाहूँ तहसील परिसर में धरना प्रदर्शन हुआ। उसकी सी.डी. और समाचार पत्रों की फोटो कॉपी संलग्न है।
उसने यह भी कहा कि मो. खालिद और तारिक की गिरफ्तारी के खिलाफ आजमगढ़, जौनपुर, मडियाहूँ में धरना और सभा का आयोजन किया गया। फोटो कॉपी संगल्न की है। जमाअत इस्लामी हिन्द अमीअतुल उलमा मुस्लिम मजिलित नेलोपा और मुसलमानों ने संगठन के लखनऊ, इलाहाबाद, कानपुर, वगैरह में आम सभा करने की इनकी रिहाई की मांग की है। P.U.H.R.(मानव अधिकार संगठन) ने तीन बार मडियाहूँ में अवान से मुलाकात करने के जानना चाहा कि खालिद की गिरफ्तारी कब हुई। सी.डी. प्रस्तुत की है।
उसने यह भी कहा है कि P.U.H.R.(मानव अधिकार संगठन) और तहलका , कान्ती आतंकवाद मंथन, प्रथम प्रवक्ता वगैरहा ने इस पर लेख लिखा है। फोटो कॉपी प्रस्तुत है। यह भई कहा कि एडवोकेट मो. शोएब और एडवोकेट रणधीर सिंह सुमन ने अपनी किताब आतंकवाद का सच में खालिद और तारिक की गिरफ्तारी का विवरण दिया है। फोटो कॉपी प्रस्तुत की है।यह भी कहा कि एस.पी.जौनपुर ने माना कि खालिद को मडियाहूँ से गिरफ्तार किया गया है। (समाचार पत्र संलग्न किया है)। मो. खालिद को दिनांक 18 दिसम्बर 2007 तक जबरदस्त टार्चर किया गया है। (खालिद और तारिक के खत संलग्न किये गये हैं) यह भी कहा कि एस.टी.एफ ने जबरदस्ती शराब पिलाया,सुअर के गोश्त का कबाब कह कर जबरदस्ती खिलाया। ऐसा करके उसके धर्म इस्लाम का खुल्लम खुल्ला मजाक उठाया । यह भी कहा कि एसटीएफ ने दिनांक 16 दिसम्बर 2007 से दिनांक 22 दिसम्बर 2007 तक टार्चर करके फैजाबाद और लखनऊ कचेहरी बम ब्लास्ट का जबरदस्ती मुलजिम बना। यह कि एसटीएफ ने अपने पास से आरडीएक्स और दूसरे हथियार रखकर बाराबंकी में गिरफ्तारी दिखाकर मुलजिम बनाया है।
यह कि एसटीएफ ने दिनांक 16 दिसम्बर 2007 को गिरफ्ता करकेक दिनांक 22 दिसम्बर 2007 तक अपने पास रखा ऐसा करने संविधान और राष्ट्रीय मानव आयोग के निर्देश का उल्लंघन किया। यह कि उसने तमाम साक्ष्य आयोग के समक्, रख दिया है। मो. खालिद मुजाहिद और तारिक कासमी के मसले पर ध्यान देने की दरख्वास्त की हैं। यह कि मो. खालिद एक ने शिक्षक है उसका न कोई भाई है और न कोई बहन है सिर्फ विधवा मां हैं। यह कि खालित की अभी नई नई शादी हुई थी। भय ही वजह से बहू अपने ससुराल नहीं आ रही है। एसटीएफ ने अपने इन कारनामों से न जाने कितने खानदानों को बर्बाद कर डाला है।
मो. जहीर आलम फलाही ने अपने शपथ पत्र में कहा है कि मो. खालिद मोहजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद साकिन मडियाहूँ उसका भतीजा है। उसके पिता काई साल पूर्व देहान्त हो चुका है। सिर्फ उसकी विधवा मां है। दिनांक 16 दिसम्बर 2007 को लगभग 8.30 बजे उसके पुत्र मो. शाहिद ने बताया कि मो. खालिद का अपहरण कर लिया गया है। कोशिश के बावजूद थाने में एफआईआर दर्ज नहीं की गई । उसने तुर्त मड़ियाहूँ थाना प्रभारा जनाब अल्ताफ हुसैन को फोन किया उन्होंने कहा मैं मड़ियाहूँ से बाहर हूँ वह अभी जाकर पता करता है यह भी कहा कि दिनांक 16 दिसम्बर 2007 को ही रात में राष्ट्रीय मानवाधिकार नई देहली और डी.जी.पी उ.प्र. लखनऊ को फैक्स किये। दिनांक 17 दिसम्बर 2007 को उसने कई अधिकारियों को और शासन के जिम्मेदार अधिकारियों को फैक्स किया और एस.पी. जौनपुर को रजिस्ट्री किया। उसने यह भी कहा है कि 18/19 दिसम्बर 2007 को मध्य रात्रि में एस.टी.एफ के द्वारा खालिद के घर पर दबिश दी गयी और उसके घर वालों को भी परेशान किया गया। उसने यह भी कहा हैकि रात ही में थाने ले गये और सुबह को इस शर्त पर छोड़ा कि वह मडियाहूँ के बाहर नहीं जाओगे और न ही खालिद की पैरवी करोगे। दो सादे कागज पर जबरन दस्तखत कराये गये। उसने यह भी कहा है कि उसने 19 दिसम्बर को रात की पूरी जानकारी माननीय मुख्यमंत्री गृह सचिव आईजी बनारस वगैरह को दे दी थी।
मो.तारिक कासमी के पक्ष में तारिक शमीम पुत्र श्री शमीम अहमद डी.डब्ल्यू-1 निवासी फूलपुर आजमगढ़ ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है। जिसमें उसने कहा है कि वह नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का महासचिव है।इससे पूर्व वह राष्ट्रीय पार्टी का सदस्य था। यह कि हकीम मो. तारिक कासमी की गिरफ्तारी के संबंध में उसे जानकारी है तथा उसके द्वारा जो आन्दोलन चलाया गया उसका विवरण वह इस शपथ पत्र में प्रस्तुत कर रहा है।
यह कि 12 दिसम्बर 2007 को हकीम तारिक को रोजानी की तरह रानी की सराय चेक पोस्ट से सरायमीर धार्मिक इजतेमा में जाते समय चेक पोस्ट के समीप लखनऊ-बलिया मार्ग स्थिति ग्राम महमूदपुर से अपहरण कर लिया गया था। यह कि 14 दिसम्बर 2007 को स्थायी थाना रानी की सराय में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट उसने हकीम तारिक कासमी के दादा अजहर अली उम्र 80 वर्ष की तरफ से दर्ज करायी थी उसकी फोटो कॉपी डी.डब्ल्यू-1/Ext.2 दाखिल की है। उसने यह भी कहा है कि दिनांक 15.12.2007 को मो. इरशाद खान अध्यक्ष नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी व पूर्व विधायक तथा उनके सहयोगी प्रार्थी ने एस.एस.पी. और डी.एम. आजमगढ़ से मिलकर हकीम तारिक कासमी के संबंध में जानकारी चाही व प्रार्थना पत्र डी.डब्ल्यू-1/Ext.3 दाखिल किया है। यह कि एस.एस.पी. व डी.एम. का जवाब संतोषजनक न होने के कारण प्रार्थी ने दिनांक 16.12.2007 को अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ कलेक्ट्रेट पर धरना दिया व मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी प्रस्तुत किया। यह कि मामले में सुनवाई न होने के कारम दिनांक 17 दिसम्बर 2007 को कस्बा सराय मीर में भी धरना दिया। यह कि 15.12.2007 से 17.12.2007 के मध्य हाकिम तारिक का मोबाइल नंबर 9450047342 जो उसके पास था, कभी चालू हो जाता था और कभी बंद हो जाता था और इसके संबंध में भी एस.एस.पी. आजमगढ़ से निवेदन किया गया था और यह अनुरोध किया था कि मोबाइल को सर्विलांस द्वारा ट्रेस करवाया जाए पर एस.एस.पी. ने इस संबंध में प्रार्थी से खामोश रहने के लिए निर्देशित किया। यह कि दिनाकं 16/17.12.2007 को मो. अरशद खान ने हकीम तारिक के परिवार के साथ लखनऊ में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, चीफ जस्टिस हाईकोर्ट, गृह सचिव उ.प्र., पुलिस महानिदेशक उ.प्र. को इस घटना की सूचना रजिस्ट्री द्वारा प्रस्तुत करके हकीम की बरामदगी की गुहार लगायी थी।
यह कि दिनांक 18.12.2007 को कलेक्ट्रेट आजमगढ़ पर धरना देकर फिर ज्ञापन दिया गया था। यह कि दिनांक 18.12.2007 को हकीम तारिक के दादा अजहर अली ने डी.एम और एसएसपी की हकीम तारिक को अपहरण किये जाने की तहरीर रजिस्ट्री द्वारा देकर दर्ज करायी थी व बरामदगी की गुहार लगायी थी। यह कि दिनांक 18.12.2007 को हकीम के दादा अजहर अली द्वार प्रभारी सूचना अधिकारी आजमगढ़ से तारिक कासमी के बारे में यह जानकारी लिखित रूप से मांगी गयी थी क्या तारिक को पुलिस के किसी विभाग द्वारा किसी विशेष जांच के लिए ले जाया गया है परन्तु इसका भी उत्तर नहीं मिला।
यह कि दिनांक 18/19 दिसम्बर 2007 की रात लगभग 12 बजे स्थानीय पुलिस के साथ करीब तीस की संख्या में सादा ड्रेस में कुछ लोग आये और सीधे हकीम तारिक कासमी के घर में घुस गये और कहा कि तारिक कासमी का कमरा दिखाओ, शायद वहां कोई सुराग मिल जाये जो तारिक कासमी बरामदगी में सहायक होगा। यह कि सुराग तलाश करने के बहाने वह लोग कहीम तारिक कासमी की धार्मिक व मेडिकल की 247 किताबें, घर के दो मोबाइल सेट आदि ले गये और दादा और पिता से सादे कागज पर यह कह कर हस्ताक्षर कराये थे कि आपके घर सिर्फ यही सामान लिया है इसकी लिस्ट बनवा कर सुबह दी जायेगी। इसकी सूचना भी उच्च अधिकारियों को दी गयी । इस एक सप्ताह के दौरान पुलिस की गतिविधियां और कार्यवाही संदिग्ध होने के कारण दिनांक 20 दिसम्बर 2007 कोक कलेक्ट्रेट में फिर धरना दिया परन्तु इस बार स्थानीय प्रशासन ने ज्ञापन स्वीकार नहीं किया। यह कि दिनांक 20 दिसम्बर 2007 को पूर्व विधायक मो. अरशद खान के हकीम के परिजनों को चीफ तथा होम सेक्रेटरी के समक्ष पेश करके हकीम की रिहाई की गुहार लगायी। परन्तु कोई संतोष जनक उत्तर नहीं मिल। यह कि थक हार कर नेशनल लोकंतांत्रिक पार्टी के युवा प्रदेश अध्यक्ष चौ.चरणपाल सिंह से ने मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल महोदय के दफ्तर में इस आशय का ज्ञापन प्राप्त कराया यदि हकीम तारिक कासमी को 22.12.2007 तक पुलिस बरामद नहीं करती है तो पुलसि तथा सरकार की इस उदानसीनता के खिलाफ वह अपहरण स्थल पर 23.12.2007 को अत्मदाह कर लेंगे। यह कि इसी चेतावनी के 1 दिन बाद दिनाकं 22.12.2007 को सुबह पुलिस और एस.टी.एफ. ने हकीम तारिक और खालिद मुजाहिद जिसको 16.12.2007 को कस्बा मडियाहूँ जिला जौनपुर से उठाया गया था जिसकी खबर 17 दिसम्बर 2007 के अखबारों में छपी थी को बाराबंकी में गोला बारूद के साथ आतंकवादी बताकर पकड़ा गया और डी.जी.पी. उ.प्र.ने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की।
उसने यह भी कहा कि धयान देने लायक बात यह है कि 12.12.2007 से 21.12.2007 तक लगातार धरना व आंदोलन के जरिए जिले से सचिवालय व गवर्नर हाउस तक लिखित शिकायत की गई परन्तु किसी अथॉरिटी ने तारिक कासमी के पुलिस कस्टडी में होने की बात स्वीकार नहीं की और आत्मदाह की चेतावनी के तुरंत बाद उसे आतंकवादी घोषित कर दिया गया।
उसने यह भी कहा कि दिनांक 22.12.2007 को 12 बजे दिन में डी.जी.पी. उ.प्र. की प्रेस कॉन्फ्रेंस में तारिक कासमी और खालिद मुजाहिद को आतंकवादी घोषित करने के 4 घंटे बाद मो.अरशद खान ने तारिक कासमी के पूरे परिवार के साथ लखनऊ में पत्रकारों के सामने डी.जी.पी. के बयान का खंडन किया तथा झूठ का पुलिंदा बताने की कोशिश भी की थी परन्तु पुलिस के सैकड़ो जवानों और अधिकारियों ने उसे बलपूर्वक उसे प्रेस कॉन्फ्रेंस करने से रोक दिया। यह कि न्याय की मांग करने वालों को आंतकित करने के लिए जगह-जगह छापेमारी शुरू कर दी गई। उसके बाद दिनांक 23.12.2007 की सुबह दो लोगों को चिनहट में आतंकवादी बताकर एनकाउंटर कर दिया गया और अखबारों में पुलिस बयान के अनुसार यह दोनों आतंकवादी हकीम तारिक कासमी और खालिद मुजाहिद के साथी बताये गये। जबकि इन दोनों का पता नहीं चला कि यह लोग कहां से आये थे और कौन थे।
उसने यह भी कहा कि पूरे अन्याय के खिलाफ न्याय की गुहार करने वाले मो. अरशद व प्रार्थी को पुलिस की तरफ से धमकियां दी जाने लगीं और 13.01.2008 को अरशद खां के दो भाइयों और एक पार्टी कार्यकर्ता को रास्ते में पकड़कर जेल भेज दिया गया साथ ही कई फर्जी मुकदमे लगा दिये गये। जौनपुर में आंदोलन कर रहे तारिक शमीम व अन्य कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करके शाम को छोड़ दिया गया। यह कि पुलिस की ज्यादती के विरोध में नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी के युवा प्रदेश अध्यक्ष चौ.चरणपाल सिंह और प्रदेश प्रवक्ता मजहर आजाद ने फरवरी की पहली तारीख से विधान सभा लखनऊ के सामने आमरम अनशन शुरू किया परन्तु छह दिन बाद रात में पुलिस ने जबरदस्ती अस्पताल में डालकर हड़ताल तुड़वा दी।
उसने यह भी कहा गिरफ्तारी की न्यायिक जांच की मांग लगातार जारी रही और 14 मार्च 2008 को मुख्यमंत्री उ.प्र. ने आर.डी.निमेष कमीशन की घोषणा की। यह कि मो. खालिद मुजाहिद निवासी मोहल्ला महतवाना थाना मड़ियाहूँ जिला जौनपुर दिनांक 16.12.2007 को खालिद मुजाहिद को मड़ियाहूँ बाजार जिला जौनपुर से शाम लगभग 6.30 बजे फतेह मुहम्मद बिल्डिंग के पास मोहल्ला सदरगंज चाट की दुकान के पास से टाटा सूमो से आये कुछ लोग जौनपुर की ओर उठाकर ले गये। तुरन्त मो.शाहिद द्वारा इस घटना की सूचना प्रभारी निरीक्षक मडियाहूँ को दी गयी। बाद में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सचिव उ.प्र. पुलिस महानिदेशक तथा मानवाधिकार आयोग को भी दी गयी। दिनांक 17.12.2007 अमर उजाला अखबरा में एक खबर छपी मोहल्ला महतवाना में जिला लड़ियाहूँ के वर्ग विशेष एक युवक को चाट खा रहे स्थान से गिरफ्तार करके किसी अज्ञात स्थान पर पूछताछ के लिए ले गये हैं। यह कि अखबारों में छपी खबरों के आधार पर पार्टी के युवा कार्यकर्ता चौ.चरणपाल सिंह, शाबान करीमी सचिव और मजहर आजाद दिनांक 20.12.2007 को मडियाहूँ इस सच्चाई की जानकारी के लइ आये और उन्होंने स्थानीय निवासियों और दुकानदारों से पूछताछ की और उन्हें ज्ञात हुआ कि खालिद मुजाहिद को 16.12.2007 को कस्बा मडियाहूँ से गिरफ्तार किया गया है।
उसने यह भी कहा कि सच्चाई जानने के बाद पार्टी अध्यक्ष मो.अरशद खां के निर्देश पर चौ. चन्द्रपाल सिंह, मजहर और अन्य लोगों ने कस्बे में दिनांक 05.01.2008 को धरना प्रदर्शन किया। यह कि दिनांक 5 जनवरी 2008 को पूरे जौनपुर जनपद में हजारों की संख्या में नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी के बैनर तले कलेक्ट्रेट जौनपुर में धरना प्रदर्शन किया गया। राज्यपाल व मुख्यमंत्री को ज्ञापन एस.डी.एम. के माध्यम से दिया गया।
उसने यह भी कहा कि हमारी पार्टी समझती है कि हकीम तारिक कासमी को 12 दिसम्बर 2007 को और खालिद मुजाहिद को 16 दिसम्बर 2007 को मड़ियाहूँ जौनपुर से गिरफ्तार करके दिनांक 22.12.2007 को आत्मदाह की चेतवानी के बाद बाराबंकी से फर्जी ढंग से गोलाबारूद बरामद दिखाकर फर्जी गिरफ्तारी दर्शायी गयी है।
मोहम्मद हारुन (डी.डब्ल्यू-2) पुत्र शेख मोहम्मद ने अपने शपथ पत्र में कहा है कि दिनांक 12.12.2007 को लगभग 12 बजे दिन वह अपने निवास संजरपुर थाना सरायमीर से आजमगढ़ के लिए जा रहा था और जैसे ही वह महमूदपुर गांव पहुंचा तो देखा कि एक टाटा सूमो खड़ी है उसमें कुछ लोग टाटा सूमो में हकीम तारिक को जबरदस्ती बैठा रहे थे उसने व उसके गांव के साथी सर्फुद्दीन पुत3 रियाजुद्दीन और बहुत सी सवारियां गाड़ी में बैठी थीं। उन्होंने रुक कर उन लोगों से पूछा कि आप लोग हकीम तारिक के साछ जबरदस्ती क्यों कर रहे हैं तो उन्होंने बताया कि हकीम जी घर से नाराज होकर जा रहे हैं और वे लोग उनको घर लेकर जायेंगे। उसने यह भी कहा कि हकीम जी को टाटा सूमो में पिछली सीट पर बैठाकर वह लोग चले गये और दो लोग मोटर साइकिल लेकर चेकपोस्ट की तरफ चले गये जो वहां से वह लोग बनारस की तरफ चले गये। उसने यह भी कहा है कि इस घटना बाद जनता काफी आक्रोशित हो गई और धरना-प्रदर्शन करने लगी और कहा कि हकीम का अपहरण हो गया है।
सर्फुद्दीन (डी डब्ल्यू-3) पुत्र निजामुद्दीन निवासी संजरपुर थाना सरायमीर,जिला आजमगढ़ ने शपथ पत्र दाखिल किया और यह कहा है कि 12.12.2007 को लगभग 12 बजे दिन वह आजमगढ़ के लिए जा रहा था और जब वह चेक पोस्ट से पहले महमूदपुर गांव पहुंचा तो एक टाटा सूमो खड़ी दिखाई दी जिसमें कुछ लोग हकीम तारिक को टाटा सूमो में बिठा रहे थे वह तथा उसके गांव के लोग सवारी गाड़ी में थे उसके गांव के लोगों में मो.हारून व न्य लोग सवारी गाड़ी में थे। उसने यह भी कहा है कि दो लोग मोटरसाइकिल के पास थे उसने उन लोगों से पूछा कि यह किस बात की भीड़ है तो उन्होंने कहा कि हकीम तारिक घर से नाराज होकर जा रहा था और न लोगोंन उसे घर पहुंचाने के लिए ले जा रहे हैं। हकीम तारिक को टाटा सूमो में पिछली सीट पर बैठाकर लेकर चले गये और दो लोग उनकी मोटर साइकिल लेकर चेकपोस्ट की तरफ चले गये और वहां से वह बनारस की तरफ चले गये। उसने यह भी कहा है कि उसने बादमें पता चला कि हकीम जी का अपहरण हो गया है और जनता धरना प्रदर्शन कर रही है।
शौकत अली (डी.डब्ल्यू-4) पुत्र स्व. मोहम्मद अख्तर निवासी दाऊदपुर थाना निजामाबाद, जिला आजमगढ़ ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया और कहा कि दिनांक 12.12.2007 को आजमगढ़ दवा लेने के लिए जा रहा था और जैसे ही वह चेकपोस्ट से पहले महमूदपुर गांव के सामने पहुंचा तो देखा कि कुछ लोग हमीम तारिक को जबरदस्ती टाटा सूमो में बैठा रहे ते और दो लोग हकीम तारिक की मोटर साइकिल के पास खड़े थे। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि उसने मोटरसाइकिल रोककर पूछा कि क्या हो रहा है। वह किसी को क्यों जबरदस्ती गाड़ी में बैठाया जा रहा है तो मोटर साइकिल के पास खड़े व्यक्ति ने कहा कि हकीम जी घर से नाराज होकर जा रहे थे। वह उनके रिश्तेदार हैं और वह उन्हें उनके घर वापस ले जा रहे हैं। यह कि और इसी दौरान हकीम तारिक टाटा सूमो में बैठाकर वह लोग चले गये और मोटर साइकिल के स खड़े लोग मोटर साइकिल लेकर चेक पोस्ट की तरप चले गये। वह चेक पोस्ट तक मोटर साइकिल के पीछे था और देखा कि मोटर साइकिल सवार चेक पोस्ट से बनारस की तरफ चले गये। उसने यह भई कहा कि काफी हल्ला मचा कि हकीम तारिक का अपहरण हो गया है और जनता धरना प्रदर्शन कर रही है।
शकील अहमद (डी.डब्ल्यू-5) पुत्र स्व.अब्दुल जब्बार निवासी मोहल्ला कजियाना, कस्बा मडियाहूँ थाना मडियाहूँ, जिला चौनपुर ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह उपरोक्त पते पर काफी समय से रह रहा है। यह कि दिनांक 16.12.2007 को लगभग 6.15 बजे वह बाजार में अपनी दुकान पर बैठा हुआ था। उसने यह भी कहा कि उसनकी दुकान मुन्नू चाट वाले के निकट है और दोनों दुकान में सिर्फ सड़क का फासला है। उसने यह भी कहा है कि उसने देखा कि मुन्नू चाट वाले की दुकान पर सफेद रंग की टाटा सूमो आकर रूकी जहां खालिद मुजाहिद खड़ा होकर चाट खा रहा था जो टाटा सूमो से उतरे लोग असलहे के बल पर जबरदस्ती खालिद को उठाकर जौनपुर की तरफ चले गये। इस साक्षी ने यह भी कहा है जब खालिद को चाट की दुकान से उठाया जा रहा था तो वहां पर कुछ लोगों ने रोकने का प्रयास किया था परुन्तु टाटा सूमो में आये लोग अत्याधुनिक हथियार लहराते हुए किसी को आगे बढ़ने से रोका और गोली चलाने की धमकी दी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि वहां मौके पर दहशत का माहौल बन गया था और जब खालिद मुजाहिद को उठाया गया था तो वहां लोगों ने समझा कि खालिद मुजाहिद का किसी ने अपहरण कर लिया है। इस साक्षी ने यह भी कहा कि भीड़ की शक्ल में लोग थाने गये और खालिद मुजाहिद को अपहरण किये जाने की रिपोर्ट देनी चाही तो पुलिस इलाका ने तहरीर लेने से इंकार कर दिया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त घटना के पश्चात दिनांक 22.12.2007 को टीवी और अखबार के माध्यम से यह खबर आयी कि खालिद उपरोक्त व तारिक को असलहे आदि के साथ बाराबंकी से गिरफ्तार किया गया है जो आंख में धूल झोंकने के बराबर था क्योंकि यह खबर झूठ पर आधारित थी। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि उपरोक्त घटना के बाद जनता द्वारा जगह-जगह धरना प्रदर्शन करके खालिद मुजाहिद के विषय में पुलिस प्रशासन से जानना चाहा कि पुलिस प्रशासन खामोश क्यों है और अपहरण की रिपोर्ट क्यों नहीं लिखी जा रही है इस संबंध में विभिन्न अखबारों में छपती रहीं।
मोहम्मद शाहीद आलम (डी.डब्ल्यू-6) पुत्र स्व. मो. रहमतुल्ला निवासी महतवाना कस्बा मडियाहूँ थाना मडियाहूँ जिला जौनपुर ने अपना शपथ पत्र प्रस्तुत करके कहा है कि दिनांक 16.12.2007 को लगभग 6.15 बजे वह बाजार में अपनी दुकान पर बैठा था। उसकी दुकान मुन्नू चाट वाले की दुकान के निकट है और और दोनों दुकान में सिर्फ सड़क का फासला है। उसने यह भी कहा है कि उसने देखा कि मुन्नू चाट वाले की दुकान पर सफेद रंग की टाटा सूमो आकर रूकी जहां खालिद मुजाहिद खड़ा होकर चाट खा रहा था जो टाटा सूमो से उतरे लोग असलहे के बल पर जबरदस्ती खालिद को उठाकर जौनपुर की तरफ चले गये। इस साक्षी ने यह भी कहा है जब खालिद को चाट की दुकान से उठाया जा रहा था तो वहां पर कुछ लोगों ने रोकने का प्रयास किया था परुन्तु टाटा सूमो में आये लोग अत्याधुनिक हथियार लहराते हुए किसी को आगे बढ़ने से रोका और गोली चलाने की धमकी दी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि वहां मौके पर दहशत का माहौल बन गया था और जब खालिद मुजाहिद को उठाया गया था तो वहां लोगों ने समझा कि खालिद मुजाहिद का किसी ने अपहरण कर लिया है। इस साक्षी ने यह भी कहा कि भीड़ की शक्ल में लोग थाने गये और खालिद मुजाहिद को अपहरण किये जाने की रिपोर्ट देनी चाही तो पुलिस इलाका ने तहरीर लेने से इंकार कर दिया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त घटना के पश्चात दिनांक 22.12.2007 को टीवी और अखबार के माध्यम से यह खबर आयी कि खालिद उपरोक्त व तारिक को असलहे आदि के साथ बाराबंकी से गिरफ्तार किया गया है जो आंख में धूल झोंकने के बराबर था क्योंकि यह खबर झूठ पर आधारित थी। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि उपरोक्त घटना के बाद जनता द्वारा जगह-जगह धरना प्रदर्शन करके खालिद मुजाहिद के विषय में पुलिस प्रशासन से जानना चाहा कि पुलिस प्रशासन खामोश क्यों है और अपहरण की रिपोर्ट क्यों नहीं लिखी जा रही है इस संबंध में विभिन्न अखबारों में छपती रहीं।
मो. शकील अहमद (डी डब्ल्यू-7) पुत्र स्व. अब्दुल रशीद निवासी गढ़ई, कस्बा मडियाहूँ, थाना मडियाहूँ, जिला जौनपुर ने अपने शपथ पत्र में बताया है कि 16.12.2007 को लगभग 6.15 बजे वह बाजार में अपनी दुकान पर बैठा था। उसकी दुकान मुन्नू चाट वाले की दुकान के निकट है और और दोनों दुकान में सिर्फ सड़क का फासला है। उसने यह भी कहा है कि उसने देखा कि मुन्नू चाट वाले की दुकान पर सफेद रंग की टाटा सूमो आकर रूकी जहां खालिद मुजाहिद खड़ा होकर चाट खा रहा था जो टाटा सूमो से उतरे लोग असलहे के बल पर जबरदस्ती खालिद को उठाकर जौनपुर की तरफ चले गये। इस साक्षी ने यह भी कहा है जब खालिद को चाट की दुकान से उठाया जा रहा था तो वहां पर कुछ लोगों ने रोकने का प्रयास किया था परुन्तु टाटा सूमो में आये लोग अत्याधुनिक हथियार लहराते हुए किसी को आगे बढ़ने से रोका और गोली चलाने की धमकी दी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि वहां मौके पर दहशत का माहौल बन गया था और जब खालिद मुजाहिद को उठाया गया था तो वहां लोगों ने समझा कि खालिद मुजाहिद का किसी ने अपहरण कर लिया है। इस साक्षी ने यह भी कहा कि भीड़ की शक्ल में लोग थाने गये और खालिद मुजाहिद को अपहरण किये जाने की रिपोर्ट देनी चाही तो पुलिस इलाका ने तहरीर लेने से इंकार कर दिया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त घटना के पश्चात दिनांक 22.12.2007 को टीवी और अखबार के माध्यम से यह खबर आयी कि खालिद उपरोक्त व तारिक को असलहे आदि के साथ बाराबंकी से गिरफ्तार किया गया है जो आंख में धूल झोंकने के बराबर था क्योंकि यह खबर झूठ पर आधारित थी। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि उपरोक्त घटना के बाद जनता द्वारा जगह-जगह धरना प्रदर्शन करके खालिद मुजाहिद के विषय में पुलिस प्रशासन से जानना चाहा कि पुलिस प्रशासन खामोश क्यों है और अपहरण की रिपोर्ट क्यों नहीं लिखी जा रही है इस संबंध में विभिन्न अखबारों में छपती रहीं।
मौलवी असलम(डी.डब्ल्यू-8)पुत्र श्री कुद्दस निवासी ग्राम आवंक, थाना रानी की सराय जिला आजमगढ़ ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और यह कहा है कि हकीम मोहम्मद तारिक पुत्र रियाज अहमद निवासी सम्मोपुर थाना रानी की सराय जिला आजमगढ़ दिनांक 12.12.2007 को लगभग 12 बजे दिन में तबलीगी जमात के इस्तेमा में ग्राम सेरूआ जाते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग पर सफेद टाटा सूमो से सवार लोगों द्वारा अपहरण कर लिया गया। उसने यह भी कहा कि ग्रामीणों व राहगीरों ने अपहरण का विरोध किया था परन्तु सूमो सवार हकीम का अपहरण करने में सफल रहे। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि थाना रानी की सराय में घटना बारे में सूचित किया गया था परुतु थाना रानी की सराय पुलिस ने हीलाहवाली करते हुए गुमशुदगी दर्ज की थी लेकिन खोजने में को तत्परता नहीं दिखाई थी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि दिनांक 18/19.12.2007 रात को पुलिस वाले दो तीन गाड़ी में सवार होकर आये और हकीम तारिक के घर को घेर लिया और घर में जबरदस्ती घुस गये और अनैतिक रूप से सामान को इधर-उधर फेंकने लगे और कुछ कीमती सामान व पुस्तकें उठाकर ले गये। जब इसका विरोध किया गया तो उन्होंने मुकदमे में फंसाने की धमकी दी। उसने यहभई कहा कि उसने लिथि रूप से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,नई दिल्ली चीफ जस्टिस उच्च न्यायालय, इलाहाबाद, चीफ सेक्रेटरी गृह मंत्रालय लखनऊ व डी.जी.पी. उ.प्र. शासन लखनऊ को दिनांक 19.12.2007 को प्रार्थना-पत्र रजिस्ट्री डाक से भेजे थे।
अब्दुल शमीम (डी.डब्ल्यू-9) पुत्र शमीम अहमद निवासी आवंक, ताना रानी की सराय, जिला आजमगढ़ ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है कि और यह कहा है कि दिनांक 12.12.2007 को समय लगभग 12 बजे दिन वह अपने गांव को मो. अरशद पुत्र इरशाद अहमद के साथ मोटर साइकिल से सेरवा इस्तेमा में जा रहा था जब वह ईश्वरपुर व मुहम्मदपुर गांव के बीच पहुंचा तो धेक कि हकीम मो. तारिक निवासी ग्राम सम्मोपुर, आजमगढ़ की मोटर साइकिल सड़क किनारे खड़ी है और दो लोग जबरदस्ती एक सफेद टाटा सूमो में हकीम तारिक को विठा रहे थे उसने यह भी कहा कि जब वह अपनी मोटर साइकिल से उतरा तो देखा वह लोग हकीम तारिक को गाड़ी में बैठाकर कुछ आगे गये और उसी में से दो व्यक्तियों ने हकीम तारिक की मोटर साइकिल की मोटर साइकिल लेकर बनारस रोड़ पर चले गये। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उनके अलावा वाहं अन्य लोग आ गये और सभी के सामने अपहरणकर्ता ने कहा कि कोई बात नहीं है हकीम नाराज होकर घर से जा रहे थे उन्हें घर ले जा रहे हैं। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि काफी हल्ला मचा कि हकीम तारिक का अपहरण हो गया है जनता ने भी काफी धरना-प्रदर्शन किया।
जुल्फिकार (डी डब्ल्यू-10) पुत्र रहमतुल्लाह निवासी मडियाहूँ थाना मडियाहूँ, जिला जौनपुर ने शपथपत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि दिनांक 16.12.2007 को लगभग 6.15 बजे वह बाजार में अपनी दुकान पर बैठा था। उसकी दुकान मुन्नू चाट वाले की दुकान के निकट है और और दोनों दुकान में सिर्फ सड़क का फासला है। उसने यह भी कहा है कि उसने देखा कि मुन्नू चाट वाले की दुकान पर सफेद रंग की टाटा सूमो आकर रूकी जहां खालिद मुजाहिद खड़ा होकर चाट खा रहा था जो टाटा सूमो से उतरे लोग असलहे के बल पर जबरदस्ती खालिद को उठाकर जौनपुर की तरफ चले गये। इस साक्षी ने यह भी कहा है जब खालिद को चाट की दुकान से उठाया जा रहा था तो वहां पर कुछ लोगों ने रोकने का प्रयास किया था परुन्तु टाटा सूमो में आये लोग अत्याधुनिक हथियार लहराते हुए किसी को आगे बढ़ने से रोका और गोली चलाने की धमकी दी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि वहां मौके पर दहशत का माहौल बन गया था और जब खालिद मुजाहिद को उठाया गया था तो वहां लोगों ने समझा कि खालिद मुजाहिद का किसी ने अपहरण कर लिया है। इस साक्षी ने यह भी कहा कि भीड़ की शक्ल में लोग थाने गये और खालिद मुजाहिद को अपहरण किये जाने की रिपोर्ट देनी चाही तो पुलिस इलाका ने तहरीर लेने से इंकार कर दिया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त घटना के पश्चात दिनांक 22.12.2007 को टीवी और अखबार के माध्यम से यह खबर आयी कि खालिद उपरोक्त व तारिक को असलहे आदि के साथ बाराबंकी से गिरफ्तार किया गया है जो आंख में धूल झोंकने के बराबर था क्योंकि यह खबर झूठ पर आधारित थी। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि उपरोक्त घटना के बाद जनता द्वारा जगह-जगह धरना प्रदर्शन करके खालिद मुजाहिद के विषय में पुलिस प्रशासन से जानना चाहा कि पुलिस प्रशासन खामोश क्यों है और अपहरण की रिपोर्ट क्यों नहीं लिखी जा रही है इस संबंध में विभिन्न अखबारों में छपती रहीं।
फकरे आलम रायनी पुत्र मो. यासीन (डी.डब्ल्यू-11) निवासी मोहल्ला पीर जकारिया टोला, कस्बा मडियाहूँ थाना मडियाहूँ जिला जौनपुर ने अपना शपथ पत्र प्रस्तुत करके यह कहा है कि दिनांक दिनांक 16.12.2007 को लगभग 6.15 बजे वह बाजार में अपनी दुकान पर बैठा था। उसकी दुकान मुन्नू चाट वाले की दुकान के निकट है और और दोनों दुकान में सिर्फ सड़क का फासला है। उसने यह भी कहा है कि उसने देखा कि मुन्नू चाट वाले की दुकान पर सफेद रंग की टाटा सूमो आकर रूकी जहां खालिद मुजाहिद खड़ा होकर चाट खा रहा था जो टाटा सूमो से उतरे लोग असलहे के बल पर जबरदस्ती खालिद को उठाकर जौनपुर की तरफ चले गये। इस साक्षी ने यह भी कहा है जब खालिद को चाट की दुकान से उठाया जा रहा था तो वहां पर कुछ लोगों ने रोकने का प्रयास किया था परुन्तु टाटा सूमो में आये लोग अत्याधुनिक हथियार लहराते हुए किसी को आगे बढ़ने से रोका और गोली चलाने की धमकी दी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि वहां मौके पर दहशत का माहौल बन गया था और जब खालिद मुजाहिद को उठाया गया था तो वहां लोगों ने समझा कि खालिद मुजाहिद का किसी ने अपहरण कर लिया है। इस साक्षी ने यह भी कहा कि भीड़ की शक्ल में लोग थाने गये और खालिद मुजाहिद को अपहरण किये जाने की रिपोर्ट देनी चाही तो पुलिस इलाका ने तहरीर लेने से इंकार कर दिया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त घटना के पश्चात दिनांक 22.12.2007 को टीवी और अखबार के माध्यम से यह खबर आयी कि खालिद उपरोक्त व तारिक को असलहे आदि के साथ बाराबंकी से गिरफ्तार किया गया है जो आंख में धूल झोंकने के बराबर था क्योंकि यह खबर झूठ पर आधारित थी। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि उपरोक्त घटना के बाद जनता द्वारा जगह-जगह धरना प्रदर्शन करके खालिद मुजाहिद के विषय में पुलिस प्रशासन से जानना चाहा कि पुलिस प्रशासन खामोश क्यों है और अपहरण की रिपोर्ट क्यों नहीं लिखी जा रही है इस संबंध में विभिन्न अखबारों में छपती रहीं।
शकील अमहद पुत्र अजीमुल्लाह(डी डब्ल्यू-12)निवासी मोहल्ला सदरगंज, थाना मडियाहूँ जिला जौनपुर ने शपथपत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि दिनांक 16.12.2007 को लगभग 6.15 बजे वह बाजार में अपनी दुकान पर बैठा था। उसकी दुकान मुन्नू चाट वाले की दुकान के निकट है और और दोनों दुकान में सिर्फ सड़क का फासला है। उसने यह भी कहा है कि उसने देखा कि मुन्नू चाट वाले की दुकान पर सफेद रंग की टाटा सूमो आकर रूकी जहां खालिद मुजाहिद खड़ा होकर चाट खा रहा था जो टाटा सूमो से उतरे लोग असलहे के बल पर जबरदस्ती खालिद को उठाकर जौनपुर की तरफ चले गये। इस साक्षी ने यह भी कहा है जब खालिद को चाट की दुकान से उठाया जा रहा था तो वहां पर कुछ लोगों ने रोकने का प्रयास किया था परुन्तु टाटा सूमो में आये लोग अत्याधुनिक हथियार लहराते हुए किसी को आगे बढ़ने से रोका और गोली चलाने की धमकी दी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि वहां मौके पर दहशत का माहौल बन गया था और जब खालिद मुजाहिद को उठाया गया था तो वहां लोगों ने समझा कि खालिद मुजाहिद का किसी ने अपहरण कर लिया है। इस साक्षी ने यह भी कहा कि भीड़ की शक्ल में लोग थाने गये और खालिद मुजाहिद को अपहरण किये जाने की रिपोर्ट देनी चाही तो पुलिस इलाका ने तहरीर लेने से इंकार कर दिया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त घटना के पश्चात दिनांक 22.12.2007 को टीवी और अखबार के माध्यम से यह खबर आयी कि खालिद उपरोक्त व तारिक को असलहे आदि के साथ बाराबंकी से गिरफ्तार किया गया है जो आंख में धूल झोंकने के बराबर था क्योंकि यह खबर झूठ पर आधारित थी। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि उपरोक्त घटना के बाद जनता द्वारा जगह-जगह धरना प्रदर्शन करके खालिद मुजाहिद के विषय में पुलिस प्रशासन से जानना चाहा कि पुलिस प्रशासन खामोश क्यों है और अपहरण की रिपोर्ट क्यों नहीं लिखी जा रही है इस संबंध में विभिन्न अखबारों में छपती रहीं।
हाजी एकरामुल्ला पुत्र स्व.हाजी मो.शरीफ (डी.डब्ल्यू-13)निवासी गोला बाजार, कस्बा मडियाहूँ,थाना मडियाहूँ जिला जौनपुर ने अपना शपथपत्र प्रस्तुत करके यह कहा है कि दिनांक 16.12.2007 को लगभग 6.15 बजे वह बाजार में अपनी दुकान पर बैठा था। उसकी दुकान मुन्नू चाट वाले की दुकान के निकट है और और दोनों दुकान में सिर्फ सड़क का फासला है। उसने यह भी कहा है कि उसने देखा कि मुन्नू चाट वाले की दुकान पर सफेद रंग की टाटा सूमो आकर रूकी जहां खालिद मुजाहिद खड़ा होकर चाट खा रहा था जो टाटा सूमो से उतरे लोग असलहे के बल पर जबरदस्ती खालिद को उठाकर जौनपुर की तरफ चले गये। इस साक्षी ने यह भी कहा है जब खालिद को चाट की दुकान से उठाया जा रहा था तो वहां पर कुछ लोगों ने रोकने का प्रयास किया था परुन्तु टाटा सूमो में आये लोग अत्याधुनिक हथियार लहराते हुए किसी को आगे बढ़ने से रोका और गोली चलाने की धमकी दी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि वहां मौके पर दहशत का माहौल बन गया था और जब खालिद मुजाहिद को उठाया गया था तो वहां लोगों ने समझा कि खालिद मुजाहिद का किसी ने अपहरण कर लिया है। इस साक्षी ने यह भी कहा कि भीड़ की शक्ल में लोग थाने गये और खालिद मुजाहिद को अपहरण किये जाने की रिपोर्ट देनी चाही तो पुलिस इलाका ने तहरीर लेने से इंकार कर दिया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त घटना के पश्चात दिनांक 22.12.2007 को टीवी और अखबार के माध्यम से यह खबर आयी कि खालिद उपरोक्त व तारिक को असलहे आदि के साथ बाराबंकी से गिरफ्तार किया गया है जो आंख में धूल झोंकने के बराबर था क्योंकि यह खबर झूठ पर आधारित थी। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि उपरोक्त घटना के बाद जनता द्वारा जगह-जगह धरना प्रदर्शन करके खालिद मुजाहिद के विषय में पुलिस प्रशासन से जानना चाहा कि पुलिस प्रशासन खामोश क्यों है और अपहरण की रिपोर्ट क्यों नहीं लिखी जा रही है इस संबंध में विभिन्न अखबारों में छपती रहीं।
अरशद पुत्र इरशाद अहमद निवासी आवंक, थाना रानी की सराय, जिला आजमगढ़(डी.डब्ल्यू-14)ने शपथपत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि दिनांक 12.12.2007 को समय लगभग 12 बजे दिन वह अपने गांव के अब्दुल्लाह पुत्र शमीम अहमद को अपनी मोटर साइकिल पर बैठा सेंवरा इस्तेमा के लिए जा रहा था और जैसे ही वह ईश्वरपुर-महमूदपुर गांव के बीच पहुंचा तो देखा कि हकीम मो.तारिक निवासी ग्राम सम्मोपुर आइमा की मोटर साइकिल सड़क के किनारे खड़ी देखी और दो लोग जबरदस्ती सफेद टाटा सूमो गाड़ी में हकीम तारिक को विठा रहे थे। जब तक वह अपनी मोटर साइकिल से उतरा तब तक वह लोग हकीम तारिक को गाड़ी में विठा कर आगे चले गये और उसमें से दो व्यक्तियों हकीम तारिक की मोटर साइकिल लेकर बनारस रोड पर चले गये। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके अतिरिक्त मौके पर बहुत से लोग आ गये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि अपहरणकर्ता कह रहे थे कि हकीम नाराज होकर घर से जा रहे थे और वह लोग उन्हें घर लेकर जा रहे हैं। यह कि बाद बाद में काफी हल्ला मचा कि हकीम तारिक का अपहरण हो गया है। जनता ने काफी धरना प्रदर्शन भी किया था।
अब्दुर्रहमान उर्फ नन्हू पुत्र मो. इशहाक (डी. डब्ल्यू-15) निवासी खालिसपुर, थाना रानी की सराय, जिला आजमगढ़ ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया और कहा कि दिनांक 12.12.2007 को वह भट्टा मालिक बदयूज्जमा से फरिहा बाजार मिलने जा रहा था और जैसे ही वह ग्राम महमूदपुर-ईश्वरपुर गांव के बीच में राष्ट्रीय राजमार्ग आजमगढ़-लखनऊ पर पहुंचा तो एक टाटा सूमो खड़ी दिखाई दी जिसमें 4-5 लगो सवार थे। दो व्यक्ति हकीम तारिक को टाटा सूमो की बीच वाली सीट पर बैठा रहे थे और भी लोग वहां इकट्टा हो गये थे। उसने यह भी कहा कि उसने पूछा तो गाड़ी सवाल खड़े व्यक्ति कह रहे थे कि हकीम जी नाराज थे इसलिए उन्हें उनके घर ले जा रहे हैं इस साक्षी ने यह भी कहा है कि टाटा सूमो लखनऊ की ओर चली गयी दो लोग मोटर साइकिल लेकर रानी की सराय की ओर चले गये वहां पर उपस्थित लोगों ने कहा था कि यह लोग हकीम तारिक को घर ले जा रहे हैं परन्तु मोटर साइकिल सवार चेकपोस्ट से बनारस की ओर चले गये इस साक्षी ने यह भी कहा कि जनता काफी आक्रोशित हो गयी और धरना-प्रदर्शन करने लगी थी और यह कहने लगी की हकीम जी का अपहरण हो गया है।
मो. आजम पुत्र रियाजुद्दीन (डी. डब्ल्यू-16) निवासी कोईलाड़ी, थाना रानी की सराय, जिला आजमगढ़ ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया और कहा कि दिनांक 12.12.2007 को वह लगभग दिन के 12 बजे वह अपने दवाखाने के लिए दवा लेने सरायमीर जा रहा था। यह कि जब वह महमूदपुर के पास आजमगढ़-शाहगंज राष्ट्रीय राजमार्क पर ग्राम आवंक के एजाज अहमद पुत्र जहीरूद्दीन मिले और अपनी पत्नी के इलाज के बारे में पूछने लगे तो देखा कि थोड़ी दूर पर एक टाटा सूमो गाड़ी खड़ी थी, जिसमें 4-5 लगो सवार थे जो हकीम तारिक जो सम्मोपुर आइमा के रहने वाले थे उसने देखा था हकीम मो.तारिक अपनी मोटर साइकिल से रानी की सराय की तरफ से सराय मीर की तरफ जा रहे थे तो तभी खड़ी टाटा सूमो में से दो लोग उतरे और हकीम तारिक को गाड़ी में बैठाने लगे और जब वह गाड़ी के पास पहुंचा तो तब तक वह लोग हकीम तारिक को गाड़ी में बैठाकर लखनऊ की तरफ चले गये वह मौके पर पहुंचा था उसने उन दो लोगों ने बताया कि हकीम जी नाराज थे इसलिए उन्हें उनके घर ले जा रहे हैं इस साक्षी ने यह भी बताया कि वह दो उसकी मोटर साइकिल लेकर आगे चले और आगे बनारस की ओर मुड़ गये। इस साक्षी ने यह भी कहा जनता बाद में काफी आक्रोशित हो गयी और कहा हकीम जी का अपहरण हो गया है काफी धरना प्रदर्शन भी हुआ।
सरफुद्दीन पुत्र स्व.मो.यूसुफ (डी. डब्ल्यू-17) निवासी मोहल्ला सदरगंज मडियाहूँ थाना मडियाहूँ जिला जौनपुर ने शपथपत्र प्रस्तुत किया और कहा कि दिनांक 16.12.2007 को लगभग 6.15 बजे वह बाजार में अपनी दुकान पर बैठा था। उसकी दुकान मुन्नू चाट वाले की दुकान के निकट है और और दोनों दुकान में सिर्फ सड़क का फासला है। उसने यह भी कहा है कि उसने देखा कि मुन्नू चाट वाले की दुकान पर सफेद रंग की टाटा सूमो आकर रूकी जहां खालिद मुजाहिद खड़ा होकर चाट खा रहा था जो टाटा सूमो से उतरे लोग असलहे के बल पर जबरदस्ती खालिद को उठाकर जौनपुर की तरफ चले गये। इस साक्षी ने यह भी कहा है जब खालिद को चाट की दुकान से उठाया जा रहा था तो वहां पर कुछ लोगों ने रोकने का प्रयास किया था परुन्तु टाटा सूमो में आये लोग अत्याधुनिक हथियार लहराते हुए किसी को आगे बढ़ने से रोका और गोली चलाने की धमकी दी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि वहां मौके पर दहशत का माहौल बन गया था और जब खालिद मुजाहिद को उठाया गया था तो वहां लोगों ने समझा कि खालिद मुजाहिद का किसी ने अपहरण कर लिया है। इस साक्षी ने यह भी कहा कि भीड़ की शक्ल में लोग थाने गये और खालिद मुजाहिद को अपहरण किये जाने की रिपोर्ट देनी चाही तो पुलिस इलाका ने तहरीर लेने से इंकार कर दिया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त घटना के पश्चात दिनांक 22.12.2007 को टीवी और अखबार के माध्यम से यह खबर आयी कि खालिद उपरोक्त व तारिक को असलहे आदि के साथ बाराबंकी से गिरफ्तार किया गया है जो आंख में धूल झोंकने के बराबर था क्योंकि यह खबर झूठ पर आधारित थी। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि उपरोक्त घटना के बाद जनता द्वारा जगह-जगह धरना प्रदर्शन करके खालिद मुजाहिद के विषय में पुलिस प्रशासन से जानना चाहा कि पुलिस प्रशासन खामोश क्यों है और अपहरण की रिपोर्ट क्यों नहीं लिखी जा रही है इस संबंध में विभिन्न अखबारों में छपती रहीं।
शाहिद जमाल पुत्र मो.जहीर आलम (डी डब्ल्यू-18) निवासी महतवाना, मडियाहूँ, थाना मड़ियाहूँ, जिला जौनपुर ने शपथपत्र प्रस्तुत किया और यह कहा कि दिनांक 16.12.2007 को उसके चचेरे भाई मो. खालिद को शाम को 6.15 बजे जबरदस्ती कुछ लोग उठा ले गये। जब वह प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए थाना मडियाहूँ पहुंचा तो थाने पर काफी भीड़ एकत्रित हो चुकी थी परन्तु थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। इस साक्षी ने यह भी कहा कि जब उसके चचेरे भाई मो. खालिद को 16 दिसम्बर 2007 को शाम 6.15 बजे जबरदस्ती कुछ लोग उठा ले गये जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट नहीं लिखी गयी उसके बाद उसने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली को फैक्स किया और अपने पिता जहीर आलम फलाही को फोन से सूचित किया। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि जब उसके चचेरे भाई खालिद को जबरदस्ती चाट की दुकान से उठाया जा रहा था वहां पर उपस्थित कुछ लोगों ने रोकने का प्रयास किया टाटा सूमो से आये लोगों ने अत्याधुनिक हथियारों को लहराते हुए किसी को भी आगे बढ़ने पर गोली मारने की धमकी दी थी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उस समय लोगों ने जब खालिद मुजाहिद को उठाया गया था तो वहां लोगों ने समझा कि खालिद मुजाहिद का किसी ने अपहरण कर लिया है। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त घटना के पश्चात दिनांक 22.12.2007 को टीवी और अखबार के माध्यम से यह खबर आयी कि खालिद उपरोक्त व तारिक को असलहे आदि के साथ बाराबंकी से गिरफ्तार किया गया है जो आंख में धूल झोंकने के बराबर था क्योंकि यह खबर झूठ पर आधारित थी। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि उपरोक्त घटना के बाद जनता द्वारा जगह-जगह धरना प्रदर्शन करके खालिद मुजाहिद के विषय में पुलिस प्रशासन से जानना चाहा कि पुलिस प्रशासन खामोश क्यों है और अपहरण की रिपोर्ट क्यों नहीं लिखी जा रही है इस संबंध में विभिन्न अखबारों में छपती रहीं।
इम्तियाज अहमद पुत्र स्व.समी उल्ला(डी.डब्ल्यू-19) निवासी भढ़रीया टोला मडियाहूँ थाना मडियाहूँ जिला जौनपुर ने शपथपत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि दिनांक 16.12.2007 को लगभग 6.15 बजे वह बाजार में अपनी दुकान पर बैठा था। उसकी दुकान मुन्नू चाट वाले की दुकान के निकट है और और दोनों दुकान में सिर्फ सड़क का फासला है। उसने यह भी कहा है कि उसने देखा कि मुन्नू चाट वाले की दुकान पर सफेद रंग की टाटा सूमो आकर रूकी जहां खालिद मुजाहिद खड़ा होकर चाट खा रहा था जो टाटा सूमो से उतरे लोग असलहे के बल पर जबरदस्ती खालिद को उठाकर जौनपुर की तरफ चले गये। इस साक्षी ने यह भी कहा है जब खालिद को चाट की दुकान से उठाया जा रहा था तो वहां पर कुछ लोगों ने रोकने का प्रयास किया था परुन्तु टाटा सूमो में आये लोग अत्याधुनिक हथियार लहराते हुए किसी को आगे बढ़ने से रोका और गोली चलाने की धमकी दी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि वहां मौके पर दहशत का माहौल बन गया था और जब खालिद मुजाहिद को उठाया गया था तो वहां लोगों ने समझा कि खालिद मुजाहिद का किसी ने अपहरण कर लिया है। इस साक्षी ने यह भी कहा कि भीड़ की शक्ल में लोग थाने गये और खालिद मुजाहिद को अपहरण किये जाने की रिपोर्ट देनी चाही तो पुलिस इलाका ने तहरीर लेने से इंकार कर दिया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त घटना के पश्चात दिनांक 22.12.2007 को टीवी और अखबार के माध्यम से यह खबर आयी कि खालिद उपरोक्त व तारिक को असलहे आदि के साथ बाराबंकी से गिरफ्तार किया गया है जो आंख में धूल झोंकने के बराबर था क्योंकि यह खबर झूठ पर आधारित थी। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि उपरोक्त घटना के बाद जनता द्वारा जगह-जगह धरना प्रदर्शन करके खालिद मुजाहिद के विषय में पुलिस प्रशासन से जानना चाहा कि पुलिस प्रशासन खामोश क्यों है और अपहरण की रिपोर्ट क्यों नहीं लिखी जा रही है इस संबंध में विभिन्न अखबारों में छपती रहीं।
अनीसुर्रहमान एडवोकेट पुत्र स्व.बदरूद्दीन (डी डब्ल्यू-20) निवासी मोहल्ला कसाब टोला (अंसार टोला) कस्बा मडियाहूँ थाना मडियाहूँ जिला जौनपुर ने शपथपूर्वक कहा कि दिनांक 16.12.2007 को लगभग शाम 6.15 बजे वह बाजार में किसी काम से निकला था। उसने यह भी कहा कि वह पवन टाकीज के पास एक दुकान पर खड़ा था और देखा कि एक सफेद रंग की टाटा सूमो आकर रूकी और मुन्नू चाट वाले की दुकान पर खालिद मुजाहिद खड़ा होकर चाट खा रहा था। आये लोगों ने असलहा के बल पर जबरदस्ती टाटा सूमो से उठाकर जौनपुर की ओर चले गये। उसने यह भी कहा कि चाट की दुकान पर जब खालिद को जबरदस्ती उठाया जा रहा था तो वहां उपस्थित कुछ लोगों ने उन लोगों को रोकने का प्रयास किया था परन्तु टाटा सूमो में आये लोगों ने अत्याधुनिक हथियारों को लहराते हुए किसी को आगे बढ़ने पर गोली मारने की धमकी दी थी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि वहां मौके पर दहशत का माहौल बन गया था और जब खालिद मुजाहिद को उठाया गया था तो वहां लोगों ने समझा कि खालिद मुजाहिद का किसी ने अपहरण कर लिया है। इस साक्षी ने यह भी कहा कि भीड़ की शक्ल में लोग थाने गये और खालिद मुजाहिद को अपहरण किये जाने की रिपोर्ट देनी चाही तो पुलिस इलाका ने तहरीर लेने से इंकार कर दिया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त घटना के पश्चात दिनांक 22.12.2007 को टीवी और अखबार के माध्यम से यह खबर आयी कि खालिद उपरोक्त व तारिक को असलहे आदि के साथ बाराबंकी से गिरफ्तार किया गया है जो आंख में धूल झोंकने के बराबर था क्योंकि यह खबर झूठ पर आधारित थी। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि उपरोक्त घटना के बाद जनता द्वारा जगह-जगह धरना प्रदर्शन करके खालिद मुजाहिद के विषय में पुलिस प्रशासन से जानना चाहा कि पुलिस प्रशासन खामोश क्यों है और अपहरण की रिपोर्ट क्यों नहीं लिखी जा रही है। इस विषय में विभिन्न अखबारों में प्रकाशित हुई।
कनीज फातिमा पुत्री रहतुल्ला (डी.डब्ल्यू.-21) निवासी गढ़ाई मडियाहूँ थाना मडियाहूँ जिला जौनपुर ने शपथ पत्र प्रस्तुतत किया और कहा कि वह जमिअतुस्सालेहात में प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत है और मो. खालिद जामिया में टीचर था और वह पाबंदी से स्कूल आते थे अच्छे टीचर थे और कभी गैर हाजिर नहीं होते थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि खालिद मुजाहिद ने दिनांक 16.12.2007 को स्कूल में पढ़ाया भी था। लेकिन 16.12.2007 को अपहरम कर लिये गये थे इस कारण 17 दिसम्बर 2007 से स्कूल नहीं आये थे। इस साक्षी ने स्कूल हाजिरी रजिस्टर डी डब्ल्यू-21/1 दाखिल किया है।
मो.आरिफ पुत्र अमानउल्ला खां (डी डब्ल्यू-22) निवासी सदरगंज मडियाहूँ, थाना मडियाहूँ जिला जौनपुर ने आयोग के समक्ष उपस्थित होकर यह कहा है कि दिनांक 16.12.2007 से 31.12.2007 तक वह अमर उजाला का संवाददाता रहा है और आज भी संवाददाता है। इस साक्षी ने कहा है कि दिनांक 17.12.2007, 20.12.2007, 21.12.2007, 22.12.2007, 23.12.2007 एवं 27.02.2008 के अमर उजाला में प्रकाशित खबरें जो खालिद से संबंधित हैं उसकी रिपोर्ट के आधार पर छपी हैं जिसका सत्यापन खालिद के परिवार वालों से किया था। "प्रकाशित खबर दिनांक 17.12.2007 में नगर में तीन दिनों से एस.टी.एफ. का दस्ता भ्रमण करता दिख रहा था।" खालिद के परिवारवालों की सूचना पर रिपोर्ट बनी थी और उसने छापने वाले दफ्तर में इसका सूत्र बताया था। इस साक्षी ने आगे यह भी कहा कि दिनांक 21.12.2007 को छपी खबर "मडियाहूँ से जुड़े आतंकवादियों के तार" का सूत्र खालिद के चाचा व अन्य लोगों की चर्चा से जानकारी हुई थी और उसी में लिखी खबर "अब लखनऊ पुलिस एवं एस.टी.एफ. की नजर कचेहरी बम विस्फोट के सिलसिले में मडियाहूँ कस्बे पर है" का सूत्र पुलिस थी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि दिनांक 22.12.2007 को छपी खबर "आतंकियों के संपर्क में था मौलाना खालिद" उसकी रिपोर्ट पर छपा था जिस पर खालिद की फोटो लगी है। इस साक्षी ने यह भी कहा कि दिनांक 23.12.2007 को प्रकाशित खबर "मौलाना खालिद को आतंकी मानने से इंकार" कस्बा वासियोंखाल अल्पसंख्यक बताने पर रिपोर्ट की गई थी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि 23.12.2007 को छपी खबर "क्वालिस सवारों ने उठाया खालिद को"खालिद के चचा के बताने के आधार रिपोर्टिंग की थी और इस क्रम में छपी खबर "खालिद की गिरफ्तारी के बाद चेती पुलिस" का सूत्र जिले की पुलिस अधिकारियों की बैठक के आधार पर तैयार की गयी थी और इसी क्रम में छपी खबर "मजहबी शिक्षा से जुड़ी थी खालिद की दो पुश्तें"खालिद के घरवालों की सूचना पर खबर छपी थी और इसी खबर में बाहर जाने और गायब रहने के संबंध में मोहल्ले वालों ने बताया थ कि तकरीर के लिए जाते हैं और "चार दिन से तलाश थी एस.टी.एफ. को" यह खबर मोहल्ले वालों की चर्चा के आधार पर छपी थी।
मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद (डी डब्ल्यू-24) ने अपने शपथ पत्र में कहा है कि अपराध संख्या 1891/07 थाना कोतवाली बाराबंकी धारा 121, 121ए, 122, 124ए, 325 भा.द.सं. एवं 415 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, धारा 16, 18, 20, 23 अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेन्शन एक्ट दिनांक 22.12.2007 जो फर्जी, झूठा एवं मनगढ़ंत उसके विरुद्ध दर्ज हुआ है। प्रार्थी को एस.टी.एफ. ने दिनांक 12.12.2007 को अवैध रूप से उठाया था और अपनी अभिरक्षा में रखा और उसका निरूद्ध होना सही साबित करने के लिए उपरोक्त अपराध उसके विरुद्ध झूठा दर्ज किया गया है। प्रार्थी वह तथा खालिद मुजाहिद की गिरफ्तारी दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन निकट विश्वनाथ होटल के पासे नहीं हुई उस दिन तक उ.प्र. एस.टी.एफ. ने प्रार्थी को अपनी अभिरक्षा में रखा था और झूठी रिपोर्ट दर्ज करायी थी।
इस आरोपी ने यह भी कहा है कि दिनांक 12.12.2007 दिन बुधवार को वह अपने अजहर यूनानी दवाखाना अपनी स्पेलेन्डर मोटर साइकिल यू.पी.50 एन. 2943 से जा रहा था और जैसे ही वह शंकरपुर रानी की सराय चेकपोस्ट से कुछ आगे सराय मीर की तरफ पहुंचा तभी सफेद रंग की टाटा सूमो ने उसे ओवर टेक करके रुकने को कहा और मरीज देखने को कहा। आरोपी ने यह भी कहा है कि वह मोटर साइकिल सड़क किनारे रोक ही रहा था कि उस टाटा सूमो गाड़ी से 9-10 लोग कूद कर उसके पास पहुंचे और प्रार्थी का हेलमेट हटाकर मोटरसाइकिल से उठाकर टाटा सूमो में डाल दिया और दो लोगों ने उसकी मोटर साइकिल पकड़ ली। उसने यह भी कहा है कि जब उसने शोर मचाया तो टाटा सूमो में सवार लोगों ने उसे मारना पीटना शुरू कर दिया। उसने यह भी कहा है कि शोर सुनकर मौके पर भैंस चराने वाले और खेतों में काम करने वाले मर्द और औरतें टाटा सूमो की तरफ दौड़े और इसी दौरान एक रोडवेज बस आ गयी तब तक टाटा सूमो में सवार लोगों ने वहां से गाड़ी तेजी से भगा दी और बाजार तक पहुंचते-पहुंचते उसकी आखों में पट्टी बांध दी। उसने यह भी कहा है कि जब उसने यह पूछा कि उसे कहां ले जाया जा रहे हैं तो टाटा सूमो में बैठे लोगों ने उसे मारना शुरू कर दिया और कहा कि अभी पता चल जायेगा। इस आरोपी ने यह भी कहा है वह तेज-तेज कलमा पढ़ने लगा परन्तु उसे कलमा पढ़ने से रोक दिया और बहुत जिद करने पर बताया कि एस.टी.एफ के लोग हैं। आरोपी ने यह भी कहा है कि उसे थाने लेजाकर पूछताछ करें तो टीम के लीडर बी.के.सिंह ने गरज कर कहा कि पूछताछ तो करना था, लेकिन अब तुम्हे एनकाउंटर करने का आदेश है। आरोपी ने यह भी कहा कि बी.के.सिंह के पास कई फोन सेट थे जिस पर वह बार-बार फोन कर रहा था और उसके पास फोन आ भी रहे थे। आरोपी ने यह भी कहा वह लोग उसे बनारस की तरफ ले गये। बनारस के खामोश इलाके में जो हवाई जहाज दफ्तरों का इलाका नदेसा लग रहा था और वहां पर उसे क मकान में जिसमें दो कमरे एक किचेन था वहां रखा जो उनका खूफिया दफ्तर लग रहा था। इस आरोपी ने यह भी कहा कि शाम तक वहीं रखने के बाद बी.के.सिंह ने बीरेन्द्र नाम अस्त्रधारक और दो कान्सेटेबल को साथ लेकर टाटा सूमो के ड्राइवर जसवंत सिंह के साथ उसे टाटा सूमो में फिर बैठाया और लखनऊ लाये और वहां पर दो कमरा, दालान और शौचालय वाले एक मकान में रखा, जहां पर ऑफीसर लगने वाले कुछ लोग आये और उसका परिचय लेने के बाद उसे आतंकवादी बताया।
इस आरोपी ने यहभई बताया कि उसने उन लोगों को बताया कि वह देश का वफादार और सीधा-सादा मेडिकल प्रैक्टिशनर है । इन लोगों ने पूछा कि तुम दारूल उलूम में पढ़े हो तो आरोपी ने कहां हाँ तो इस पर कहा उन्होंने उसे गाली देते हुए कहा कि वहां पढ़ने के बावजूद भी तुम अपने को आतंकवादी नहीं मानते। इस आरोपी ने आगे यह भी कहा कि दारूल उलूम देवबंद में आतंकवाद का सबक नहीं दिया जाता बल्कि अच्छा इंसान बनाया जाता है। जिस पर उस व्यक्ति ने कहा इसको तैयार करो इस पर उसको मारना पीटना शुरू कर दिया उसके बाद में पता चला कि उसको हुक्म देने वाला व्यक्ति डी.आई.जी था और उसे आदेश के मुताबिक उसकी रूक-रुक कर खूब पिटाई की गई और सोने नहीं दिया गया और नमाज भी नहीं पढ़ने दी गयी। इस आरोपी ने आगे यह भी कहा कि सुबह डी.आई.जी. कई अफसरों के साथ आये और ऐसे-ऐसे सवाल पूछे जिसके बारे में उसने सोचा भी नहीं था। इस आरोपी ने यह भी कहा कि जो अंग्रेजी में सवाल कर रहे थे उनसे सने उर्दू में सवाल पूछने के लिए कहा जिस पर सीओ आनंद को अनुवादक बनाकर सवाल किये । इस आरोपी ने यह भी कहा कि उससे विदेश यात्रा के बारे में पूछा गया तो उसने कहा कि 2004 में हज और 2005 में उमराह करने गया था। प्रार्थी ने यह भी कहा कि उन्होंने इस्लाम के बारे में पूछा और जेहाद के बारे में भी पूछा उसने कहा कि इस्लामी कानून पर अमल करने और इस्लाम को फैलाने और काफिरों के कत्ल को जेहाद कहा जाता है। उसने यह भी कहा है यह बात गलत है और इस्लाम में कत्ल की इजाजत नहीं है परन्तु इस्लाम की राह में रूकावट पैदा किये जाने पर मुस्लिम विद्वानों और मुफ्तियों के फैसले पर जेहाद फर्ज हो जाता है। इस पर उन्होंने कहा क्या हिन्दुस्तान में जेहाद चल रहा है इसका जवाब आरोपी ने नहीं दिया और आरोपी के नहीं कहने पर उसने कहा कि तुम क्यों कर रहे हो तो आरोपी ने कहा कि वह जेहाद जैसा कोई कार्य नहीं कर रहा है। इसके बाद वह अफसर फिर कभी नहीं दिखायी दिया।
इस आरोपी ने यह भी कहा कि एक-एक ग्रुप 4-4 घंटे टार्चर करता था और एक के जाने के बाद दूसरा ग्रुप पहले ग्रुप को गालियां देता और आरोपी के लिए चाय मसाला और बहला-फुसलाकर वह कहलाना चाहता था जो आरोपी ने किया ही नहीं। एक बार एक ग्रुप ने सी.ओ. आनन्द को बुलाया और उन्होंने आते ही कहा कि इसके तैयार न होने पर इसके बीबी बच्चों और मां बहनों को उठा लाओ और इसके सामने बेइज्जत करो। इस आरोपी ने यह भी कहा कि उसे करंट लगाया जाता, नंगा करके मारा पीटा जाता, पेशाब व शराब पिलाई जाती और मुंह में गंदी चीजें ठूस दी जाती थी। इस आरोपी ने कहा कि उसे बयान देने के लिए सीओ एस आनन्द ने एक स्क्रिप्ट तैयार की जिसे इंस्पेक्टर शर्मा, दरोगा शुक्ला और ओ.पी.पाण्डेय द्वारा कही गयी कहानी को उसे रटाया जाने लगा और इसी बीच समय-समय डी.आई.जी., ए.एस.पी. अमिताभ यश और ए.डी.जी. बृजलाल भी वहां आते रहे। इस आरोपी ने कहा है कि 18 दिसम्बर 2007 को रात में आई.जी., डी.आई.जी,एस.एस.पी. अमिताभ यश, एस.एस.पी. अखिल कुमार, आई.जी.जोन और ए.डी.जी.पी. बृजलाल बहुत देर तक प्रार्थी से पूछते रहे और बाद में ए.डी.जी.बृजलाल, अभिताभ यश,एस.एस.पी.अखिल कुमार और सी.ओ. आनंद दो दारोगा रह गये जिस पर बृजपाल ने भरोसा करते हुए कहा कि फल तैयार है। इस पर दूसरे दिन उसे मारा पीटा कम गया और सोने भी दिया गया। इस आरोप ने यह भी कहा कि 19 दिसम्बर 2007 की रात में कुछ अफसरान आये और उनके सामने पेश करने से पहले आरोपी से कहा गया कि वह रटी रटाई बात ही उनके सामने कहेगा लेकिन इंसाफ की उम्मीद में डी.जी.पी. समझकर आरोपी ने सही सही बात बता दी लेकिन डी.जी.पी. विक्रम सिंह ने धमकी देकर कहा कि तोते की तरह बोलो और फिर सी.ओ. ए.एस.पी. के कहने पर आरोपी को दूसरे कमरे में ले जाकर उस मारना पीटना शुरू किया और कहा कि रटाई गयी बात ही बड़े साहब के सामने बोलो। दूसरी बार आरोपी को डी.जी.पी. के सामने पेश करके रटी रटाई कहानी कहलवायी और उसकी ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग करवायी गयी। इस आरोपी ने यह भी कहा कि दिनांक 21.12.2007 की रात में वह सारे अफसरान के सामने सटाई गयी बात दोहरायी और उस रात देहली, गुजरात, अहमदाबाद पुलिस के कुछ लोग भी आये थे। गुजरात वाला कहता है कि तुम गुजरात गये हो और तुम्हारे लोग गुजरात में भी रहते हैं। इस आरोपी ने कहा कि उसका मोबाइल नंबर तलाशते रहे और दिल्ली वाले अफसर ने कहा कि तुम दिल्ली आते-जाते रहते हो और आतंकवाद से तेरा संबंध है और तभी एक कागज टाइपशुदा दिखाकर कहते थे कि पकड़े गये आतंवादियों की आख्या में तुम्हारा नंबर मिला है जिसके जवाब में उसने कहा कि फोन नंबर उसके पैड पर और अखबारों में दिये गये इश्तहार में दिया गया है जो किसी को भी मिल सकता है। सज्जाद के बारे में पूछने पर आरोपी ने बताया कि खालिद के दोस्त और उसके दोस्त मरीज रहे हैं और उन्हीं के द्वारा उन्हें जानता है।
इस आरोपी ने कहा कि पूर्व में रचे गये षड़यंत्र के अनुसार उसे और खालिद मुजाहिद को एक गाड़ी में विठाकर लखनऊ से गाड़ियों का काफिला सुबह चार बजे रवाना हुआ और एक ऐसी जगह लेकर गये जहां ट्रेन की आवाज आ रही थी जिससे लग रहा था कि रेलवे स्टेशन है। उसका बाद सुबह करीब छः या सात बजे एक पुलिस स्टेशन ले जाया गया जहां पर पांच मिनट के लिए उतारने के बाद उसी गाड़ी में बैठाने के बाद सरकारी गेस्ट हाउस ले जाया गया जहां पर हाथ-पैरों के निशान लिये गये और बड़े-बड़े अफसरान पहुंचते रहे। उस आरोपी ने यह भी कहा एस आनन्द, ओ.पी.पाण्येय, पंकज पाण्डेय, नीरज पाण्डेय, बराबर उसके साथ बने रहे और बराबर रटा हुआ बयान देने के लिए डराते रहे। इस आरोपी ने कहा कि राजेश पाण्डेय जो बराबर एस.टी.एफ ऑफिस लखनऊ उसके पास आते रहते थे सादे कागज पर हाथ पैरों के निशान लगवाये और रटी हुई कहानी को टेप किया और फिर उसे एस.ओ.जी. बाराबंकी के हवाले कर दिया गया । यह भी कहा कि एस.ओ.जी. बाराबंकी उसे जेल ले गयी जहां पर उससे सादे कागज पर हस्ताक्षर बनवाये, एक व्यक्ति ने वहां पर कुछ लिखने को कहा जिसे अदालत पहुंचने पर उसने पहचाना कि वह सी.जे.एम. की अदालत थी और जेल गयी अधिकारी खुद सी.जे.एम. थीं इसे आरोपी ने कहा कि जेल में कैदियों और सिपाहियों ने उसे इतना पीटा कि चलना भी उसका संभव नहीं था। फिर वहां से 24.12.2007 को लखनऊ जेल में मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया जहां उसने अपनी आप बीती सुनाई और रिमांड पर न दिये जाने की प्रार्थना की, परन्तु उसकी एक न सुनी गयी और रिमांड पर लेने के बाद उसे एस.टी.एफ.ऑफिस में रखा गया।
इस आरोपी ने यह भी कहा कि उसे गोमती नगर लाया गया जहां मारने पीटने में कोई भी नहीं आई और सोने पर एक दम पाबंदी लगी थी, टांगों को चिरवाकर बालों को उखाड़ा जाता था और इसी बीच हैदराबाद, राजस्थान, गुजरात, बंबई, दिल्ली, बंगाल और कई जगहों से पुलिस अधिकारी पूछताछ करने आये जिनसे उसने मजबूरी में रटा हुआ बयान दिया। लेकिन राजस्थान और देहली पुलिस को सही बात बताई और इसकी खबर अमिताभ यश को दी गयी तो उसे नंगा करके बेल्ट से पीटा गया और जख्म पर और मुकामें खास पर पेट्रोल डाला गया और इस तरह उसे 01.02.2008 तक यातनाएं दी जाती रही और उसके बाद उसे जेल भेज दिया गया।
इस आरोपी ने यह भी कहा है कि 08 जनवरी 2008 को एस.टी.एफ.के लोगों और राजेश पाण्डेय सी.ओ. फैजाबाद एक मजिस्ट्रेट लेकर जेल आये और उसे फिर से रिमाण्ड पर ले लिया और इस बार उसे खालिद मुजाहिद, सज्जादुर्रहमान उर्फ मो.अख्तर के साथ महानगर एस.टी.एफ. ऑफिस में रखा गया और 10 तक टार्चर किया जाता रहा और सवाल पूछे जाते रहे और 17 जनवरी 2008 की रात से 18 जनवरी 2008 की सुबह तक राजेश पाण्डेय, सी.ओ.फैजाबाद, ओ.पी.पाण्डेय, दारोगा एस.टी.एफ., पंकज कान्स., सी.ओ.एस.आन्नद भी उसके साथ रहे थे। एक बैटरी जिस पर कुछ चिकना पदार्थ लगा हुआ था उसके हाथ में पकड़वाया गया और सादे कागज पर हाथ-पैर के निशान लिये गये और सर के बालों को उखड़वा कर अलग पुड़िया बनाकर हस्ताक्षर बनाये गये व नाम लिखे गये। इस आरोपी ने कहा कि उनको बारी-बारी अलग-अलग कमरे में ले जाकर अफसरों ने बात की और 17 जनवरी 2008 को आरोपी को अमिताभ यश के ऑफिस ले जाया गया जहां उसने हमदर्दी जता कर सरकारी गवाह बनने का प्रस्ताव रखा ऐसा न करने से मना करने पर जेल में सड़ा डालने की धमकी दी गयी और कहा फर्जी सबूत बनाकर जो सजा चाहेंगे दिला देंगे। इस तरह सी.ओ.आनंद, राजेश पाण्डेय, ओ.पी.पाण्डेय और एस.टी.एफ. के दो अफसर अलग-अलग उसे बहलाते-फुसलाते रहे और सुरक्षा देने की बात कहते रहे और इससे पहले 8 या 9 जनवरी 2008 को जब राजेश पाण्डेय सी.जे.एम. फैजाबाद को लेकर जेल गये थे तब सी.जे.एम. फैजाबाद ने कहा था क्या तुम सरकारी गवाह बन गये हो तब उसको आरोपी ने मना कर दिया। तब आरोपी ने कहा कि राजेश पाण्डेय ने उसे गालियां दी और सी.ओ.आनन्द और ओ.पी.पाण्डेय ने कहा था रिमांड पर लेने के बाद उसका बुरा हाल करेंगे। अमिताभ यश ने उसे गोरखपुर में हुए धमाकों में भी शामिल बताया और कहा कि बनारस धमाकों में भी उसका हाथ बताया और कहा कि वह आतंकवादियों को पैसा पहुंचाता है। उसने कहा रिमांड समाप्त होने पर उसे जेल भेज दिया गया। जेल में एस.टी.एफ. वाले आते जाते रहे और अमिताभ यश समेत कई अधिकारी उसे धमकी देते थे। इस आरोपी ने यह भी बताया कि दिनांक 12.12.2007 को उसे जब उठाया गया था उस समय उसकी अंदर की जेब में 1100 रूपये, बैग की जेब में तकरीबन 700 रूपये, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कागज, इंश्योरेंस और प्रदूषण कागज, दवा की खरीददारी का ऑर्डर व ट्रेवल्स का एक बिल उसके पास था तथा उसकी निचली जेब में मोबाइल और एक मदनी डायरी जिस पर घऱ का हिसाब-किताब और कुछ पुरानी दवा और कुछ आशार लिखे हुए थे। जिसे एस.टी.एफ. के लोगों ने ले लिया और उस पर अंग्रेजी में लिखने को कहा परन्तु उसने कहा कि उसे अंग्रेजी नहीं आती तो उन्होंने अपने हाथ से अंग्रेजी में कुछ लिखा। इस आरोपी ने यह भी कहा कि चलते वक्त रास्ते में बी.के.सिंह किसी से फोन पर यह कह रहे थे कि इनका काम नहीं करना है, लेकर आना है। लेकर आ रहा हूँ रात में लखनऊ के लिए निकलूंगा। इस आरोपी ने यह भी कहा कि नीरज पाण्डेय 11.12.2007 को उसके दवाखाने आया था और अपने चाचा को दिखाने का बहाना करके उसके बैठने का समय पूछा था।
मोहम्मद खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद डी. डब्ल्यू-25 निवासी महतवाना, मडियाहूँ, जिला जौनपुर ने शपथ पूर्वक कहा कि दिनांक 16.12.2007 शाम 5 सवा 5 बजे वह अपने घर से निकर बाजार नील वापस करने निकला था। उसने यह भी कहा कि रास्ते में अफरोज भाई बिस्कुट वाले की दुकान पड़ती है वह वहां रुक गया और वहीं पर अनवर अबु से मुलाकात हुई। इस आरोपी ने यह भी कहा कि अनवर अबु की दुकान पवन टाकीज के सामने है वहां पहुंचा और सामान लिया। वह नील वापस करने के लिए छोटू भाई की गुमटी के पास आया और उसी के बगल में उसके भाई कल्लू मृतक की दुकान है वहां पर उसने नील वापस किया। वह नील वापस करने के बाद मुन्नू चाट वाले की दुकान पर गया और जैसे ही वह चाट दुकान पर पहुंचा तभी मुन्नू की मां ने उसे बुलवा लिया और उनसे कहा कि उसकी पोती को नजर लग गयी है और वह उसे झाड़ दे। वह मुन्नू की मां के पास पहुंचा ही था वह उसकी नजर झाड़ नहीं पाया था वहीं पास में गाड़ी आकर खड़ी हुई उसमें से कुछ लोग निकले और उन्होंने उसे फौरन गाड़ी में विठा लिया। इस आरोपी ने यह भी कहा कि मुन्नू चाट वाले की दुकान के पीछे की तरफ 6-7 फीट की दूरी पर मुन्नू चाट वाले की मां बैठी थी जहां से उसे उठाया। उसने यह भी कहा कि गाड़ी वहां रूकी नहीं नहीं थी तुरन्त चल दी थी।
इस आरोपी ने यह भी कहा कि रास्ते में उसके हाथ पैर बांध दिये और मुंह में पट्टी बांध दी गयी थी, इसे रास्ते में उतारा था उस समय उसकी आंख पर पट्टी बंधी थी उसे यह पता नहीं कि उसे किस जगह उतारा था। और उसी वक्त पकड़ने वाले एक व्यक्ति के मोबाइल पर फोन आया और उन लोगों में से एक ने कहा कि यदि उसे लखनऊ आना होगा तो सी.ओ.साहब आपको आना होगा। उसने यह भी कहा कि मोबाइल के बाद लगभग 10 मिनट रूके थे उसके बाद सी.ओ. साहब की गाड़ी आ गयी और उसके बाद उसे आगे ले गये। इस आरोपी ने यह भी कहा कि उसे लखनऊ लाकर किसी अज्ञात जगह पर रखा गया था लेकिन यह नहीं बता सकता उसे कहां पर रखा गया था। इस आरोपी ने यह भी कहा कि वहां पर 25 लोग मौजूद थे और बार-बारी उसको प्रताड़ित करना शुरू कर दिया।
इस आरोपी ने यह भी कहा कि सके कपड़े उतार कर मारा पीटा जाता था और उसकी दाढ़ी के बाल नोचे जाते थे और उसे दीवार के सहारे बैठाकर टांग चौड़ी करके एक आदमी एक पैर की तरफ तथा दूसरा आदमी दूसरे पैर की तरफ खड़ा होकर अपना पेशाब उसके मुंह पर डालते थे और पाखाने के मुकाम पर पेट्रोल डाला गया।
इस आरोपी ने यह भी कहा कि उसके पेशाब नली में धागा बांधकर पत्थर लटकाया जाता था तथा उसे सिगरेट से दागा भी जाता था। शराब व पेशाब उसे पिलाया गया और यह कहा जाता था कि कुबूल कर लो कचेहरी ब्लास्ट उसने किया है। इस आरोपी ने यह भी कहा कि सुअर के गोश्त को उसके मुंह में डाला गया और कहते थे कि यह सुअर का गोश्त है जबरदस्ती उसे खिलाया गया। उसे बर्फ की सिल्ली पर लिटाकर नाक व मुंह से पानी पिलाया गया, करंट का शॉक लगाया गया। यह सब कार्य उसके साथ अंजान जगह पर की गयी थी।
इस आरोपी ने यह भी कहा कि उसकी कमर में रस्सी बांध के ऊपर छत में रस्सी फंसा कर खींचा जाता था और उसे नीचे पानी में डुबकी लगायी जाती थी और यह सब काम बारी-बारी से 4-4 घंटे के अंतराल पर किये जाते थे। इस आरोपी ने यह कहा कि जब उसने कचेहरी ब्लास्ट नहीं किया तो इसकी जिम्मेदारी कैसे ले लूं तो इस पर प्रताड़ित करने वाले कहते तुम जिम्मेदारी लो वरना तुम्हारी मां र बीवी को उठा लायेंगे और जान से मार देंगे। इसके बाद दो लोगों ने बैठकर उसे सारी बातें बतायीं जिसकी रिकॉर्डिंग की गयी और आंख में पट्टी बांधकर कुछ चीजें पकड़वायी गयी परन्तु उसे नहीं मालूम वह कौन सी चीजें थीं।
उसने यह भी कहा कि उसके बाद दिनांक 22.12.2007 को गिरफ्तारी दिखा दी गयी। उसके बाद उसे सरकारी गेस्ट हाउस ले गये। वहां पर सी.ओ. राजेश पाण्डेय ने सारी बातें रिकॉर्ड की और कुछ सादे कागजों पर हाथ पैर की उंगलियों के निशान लिये और एक बैग पर भी निशान लिया। उसके बाद उसे बाराबंकी जेल ले गये। वाहं पर उसे जेल के सिपाहियों और बंदियों ने काफी मारा-पीटा। इस आरोपी ने यहभी कहा कि एक मर्द और एक औरत के सामने उसकी पेशी हुई जिसके बारे में पता चला कि वह सी.जे.एम.बाराबंकी थी। उसने यह भी कहा कि सादे कागजों पर वहां पर उससे दस्तखत कराये गये। जब लखनऊ जेल में वह आयीं तब उसे पता चला कि वह औरत सी.जे.एम.बाराबंकी हैं।
इस आरोपी ने यह भी कहा है कि दिनांक 16.12.2007 को उसे लखनऊ लेकर आये थे उसमें कुछ लोगों ने उसे प्रताड़ित किया था, मारा पीटा था जिसमें पंकज, ओ.पी.पाण्डेय, अमिताभ यश जिसका बाद में पता चला कि वह एस.पी. लखनऊ थे, राजकुमार, नीरज, जय प्रकाश, सत्य प्रकाश, सी.ओ.एस आनन्द, अविनाश मिश्रा, मनोज कुमार, धनन्जय मिश्रा तथा राजेश पाण्डेय, चिरंजीव नाथ सिन्हा सी.ओ.चौक, एक अवस्थी थे जिनका नाम नहीं मालूम और बाकी लोगों को शक्ल से जानता है।
इस आरोपी ने यह भी कहा है कि दिनांक 24.12.2007 को दस दिन के लिए रिमांड पर लिया गया था और 01.01.2008 को दूसरी बार पुनः रिमांड पर लिया था। इस दौरान उसे प्रताड़ित किया जाता था और ऐसी चोट पहुंचायी जाती कि बाहरी चोट पता न चले। उसे सोने नहीं दिया जाता था उसे कुर्सी की तरह बैठाया जाता था और अन्य तरह से प्रताड़ित किया जाता था। इस आरोपी ने यह भी कहा है कि जिस दिन उसे उठाया गया था उसे दिन उसके पास नील और साबुन था जिसे उसने रास्ते में ही फेंक दिया था तथा उसका मोबाइल फोन और पैसे अपने कब्जे में लिया था। इस आरोपी ने यह भी कहा कि उसकी गिरफ्तारी के पहले उसे कई लोग मिले थे जिसमें से दो के बारे में पता चला, एक एडीजी बृललाल तथा दूसरे डीजीपी बिक्रम सिंह थे।
इस आरोपी ने यह भी कहा कि दिनांक 17.01.2007 को एक बैटरी पर बांये हाथ की उंगलियों के निशा लिये थे जो उससे चिपक रही थी व प्लास्टिक के टुकड़े पर भी निशान लिये थे जिस पर कुछ लगा हुआ था। उसके दायीं तथा बायीं तरफ हाथ के अंगूठे के निशान लिये थे और उससे अमिताभ यश ने कहा था सबूत बनाना और सजा दिलाना उनका काम है और सबूत ऐसे बनायेंगे फांसी तक चढ़ा देंगे। इस आरोपी ने यह भी कहा है कि यह सभी कार्य सी.ओ.राजेश पाण्डेय, ओ.पी.पाण्डेय, पंकज द्वारा किया गया था। इस आरोपी ने यह भी कहा कि उससे सज्जादुर्रहमान तथा तारिक कासमी के बारे में पूछा था तथा एक फोटो लेकर आये थे उसके बारे में पूछा था वह रामपुर का रहने वाला फिरासत उसका दोस्त था। इस आरोपी ने यह भी कहा कि राजेश पाण्डेय व अमिताभ यश ने दो बार उससे सरकारी गवाह बनने के लिए कहा था।
अभियोजन की तरफ से कान्स. भूपेन्द्र सिंह (पी.डब्ल्यू-1) ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में आरक्षी कमाण्डो के पद पर कार्यरत है। दिनांक 21/22-12-2007 की रात एस.टी.एफ. कार्यालय से मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक, एस.टी.एफ.,यूपी, लखनऊ ने तलब कर सूचना दी कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घाटक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं। उसने यह भी कहा कि अपर पुलिस अधीक्षक ने 4 टीमों का गठन किया और उसे तीसरी टीम में रखा गया। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे उप निरीक्षक श्री डी.के.शाही की टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से राजकीय वाहन संख. यू.पी. 32 बी.जी./6424 से रवाना होकर बाराबंकी पहुंचे। वह श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार बंकी रोड पर नियुक्त हो गया। उसने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे उसे प्रथम टीम से सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत संदीप मिश्रा पी.डब्ल्यू-2 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में उप निरीक्षक पद पर कार्यरत है। दिनांक 21/22-12-2007 की रात श्री मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक, कार्यालय एस.टी.एफ. तलब किया था और सूचित किया था कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं और उसकी गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया गया था और उसे चतुर्थ टीम में रखा था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./4798 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार पुलिस लाइन चौराहे पर नियुक्त हो गया। इस साक्षी ने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे प्रथम टीम से उसे सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत मुख्य आरक्षी कमाण्डो बीरेन्द्र यादव पी.डब्ल्यू-3 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में उप निरीक्षक पद पर कार्यरत है। दिनांक 21/22-12-2007 की रात श्री मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक, कार्यालय एस.टी.एफ. तलब किया था और सूचित किया था कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं और उसकी गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया गया था और उसे चतुर्थ टीम में रखा था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./4798 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार पुलिस लाइन चौराहे पर नियुक्त हो गया। इस साक्षी ने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे प्रथम टीम से उसे सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत आरक्षी अरविन्द अवस्थी पी.डब्ल्यू-4 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में आरक्षी पद पर कार्यरत है। दिनांक 21/22-12-2007 की रात श्री मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक, कार्यालय एस.टी.एफ. तलब किया था और सूचित किया था कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं और उसकी गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया गया था और उसे चतुर्थ टीम में रखा था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./4798 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार पुलिस लाइन चौराहे पर नियुक्त हो गया। इस साक्षी ने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे प्रथम टीम से उसे सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत आरक्षी चालक कालीचरन पी.डब्ल्यू-5 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में आरक्षी चालक पद पर कार्यरत है। दिनांक 21/22-12-2007 की रात श्री मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक, कार्यालय एस.टी.एफ. तलब किया था और सूचित किया था कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं और उसकी गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया गया था और उसे चतुर्थ टीम में रखा था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./4798 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार पुलिस लाइन चौराहे पर नियुक्त हो गया। इस साक्षी ने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे प्रथम टीम से उसे सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़ लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत आरक्षी अंगद यादव पी.डब्ल्यू-6 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में आरक्षी पद पर कार्यरत है। दिनांक 21/22-12-2007 की रात श्री मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक, कार्यालय एस.टी.एफ. तलब किया था और सूचित किया था कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं और उसकी गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया गया था और उसे चतुर्थ टीम में रखा था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./4798 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार पुलिस लाइन चौराहे पर नियुक्त हो गया। इस साक्षी ने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे प्रथम टीम से उसे सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत हेड कान्स. सुभाष सिंह पी.डब्ल्यू-7 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में आरक्षी पद पर कार्यरत है। दिनांक 21/22-12-2007 की रात श्री मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक, कार्यालय एस.टी.एफ. तलब किया था और सूचित किया था कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं और उसकी गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया गया था और उसे तृतीय टीम में रखा था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./0424 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार बंकी रोड पर नियुक्त हो गया। इस साक्षी ने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे प्रथम टीम से उसे सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत कान्स. कमाण्डो ओमवीर पी.डब्ल्यू-8 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में आरक्षी पद पर कार्यरत है। दिनांक 21/22-12-2007 की रात श्री मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक, कार्यालय एस.टी.एफ. तलब किया था और सूचित किया था कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं और उसकी गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया गया था और उसे तृतीय टीम में रखा था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./0424 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार बंकी रोड पर नियुक्त हो गया। इस साक्षी ने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे प्रथम टीम से उसे सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत कान्स.कमाण्डो रविचन्द्र राय पी.डब्ल्यू-9 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में कान्स.कमाण्डो पद पर कार्यरत है। दिनांक 21/22-12-2007 की रात श्री मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक, कार्यालय एस.टी.एफ. तलब किया था और सूचित किया था कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं और उसकी गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया गया था और उसे चतुर्थ टीम में रखा था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./4798 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार पुलिस लाइन चौराहे पर नियुक्त हो गया। इस साक्षी ने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे प्रथम टीम से उसे सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत जय प्रकाश गुप्ता पी.डब्ल्यू-10 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि मुकदमा अपराध सं. 1891/07 थाना कोतवाली जनपद बाराबंकी में मो. खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद निवासी 37 महतवाना थाना मडियाहूँ जिला जौनपुर एवं मो. तारिक कासमी पुत्र श्री रियाज अहमद निवासी सम्मोपुर थाना रानी की सराय जिला आजमगढ़ की अपराध में संलिप्तता के तथ्यों एवं उत्तरदायित्वों की जांच की जा रही है। यह कि उपरोक्त जांच के संदर्भ में उसे शपथपत्र के माध्यम से कथन प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया था, उक्त क्रम में वह शपथपत्र के माध्यम से अपना कथन प्रस्तुत कर रहा है। यह कि प्रार्थी एटीएस बनारस,उ.प्र.आरक्षी कमाण्डो पद पर कार्यरत है। यह कि दिनांक 22.12.2007 को श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक एसटीएफ, उ.प्र. लखनऊ ने उसे तलब कराकर संदिग्ध आतंकवादियों के दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 06.00 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेशन पर घाटत शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने के बारे में उसे अवगत कराया एवं गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया। उसने यह भी कहा कि उसे प्रथम टीम में रखा गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 04.30 बजे वह अपनी टीम के साथ कार्यालय एसटीएफ से रवाना होकर राजकीय वाहन सं. यूपी-32-बीजी/2054 से बाराबंकी पहुंचकर मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के हमराह बाराबंकी रेलवे स्टेशन के सामने नियुक्त हो गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि दिनांक 22.12.2007 को समय प्रातः 06.15 बजे दो व्यक्ति रिक्शे से आगर बाहर उतरकर किसी का इंतजार करने लगे। इसी दौरान मुखबिर ने इशारे से बताया यही दोनों आतंकवादी हैं। दोनों व्यक्तियों के हाथों में एक एक हैंडबैग था। दोनों व्यक्तियों को रूकने के लिए कहा गया, तो वह सकपका गये और तेजी से चलने लगे। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि जब पकड़ने का प्रयास किया तो दोनों लोग बैग खोलने की हरकत करने लगे। यह जानते हुए कि यह लोग आतंकवादी हैं, अन्य सदस्यों के साथ जान जोखिम में डालकर पकड़ लिया। पकड़े जाने के उपरान्त अन्य शेष टीमों को सूचना दी गयी कि यह दोनों व्यक्ति पकड़ लिये गये हैं तभी शेष टीमें मौके पर आ गयी थीं। इस साक्षी ने यह भी कहा कि घटना स्थल उसके सामने पकड़े गये दोनों व्यक्तियों ने अपने अपने नाम क्रमशः खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद व मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि उसके सामने पकड़े गये व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, 1 मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए।
इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने अधिकारियों ने इन व्यक्तियों से पूछताछ की थी तो इन्होंने अपने को प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी होना बताया था एवं दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में शामिल रहे अपने साथियों के नाम, पते व कार्यविधि बतायी थी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि बरामदगी, गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त वहीं मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और पढ़कर सुनायी थी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया था और उपरोक्त कथन के अतिरिक्त अन्य कोई तथ्य उसके संज्ञान में नहीं है एवं इन आतंकवादियों द्वारा लगाये गये समस्त आरोप स्वीकार नहीं हैं वह पूरी तरह से असत्य एवं निराधार हैं।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत कान्स. पी.ए.सी. कृष्ण कुमार त्रिपाठी पी.डब्ल्यू-11 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में आरक्षी (पी.ए.सी) पद पर कार्यरत था। दिनांक 21/22-12-2007 की रात श्री मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक, कार्यालय एस.टी.एफ. में तलब किया था और सूचित किया था कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं और उसकी गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया गया था और उसे द्वितीय टीम में रखा था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./2017 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार माल रोड तिराहे पर नियुक्त हो गया। इस साक्षी ने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे प्रथम टीम से उसे सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत कान्स. चालक शिव प्रकाश सिंह पी.डब्ल्यू-12 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में आरक्षी चालक पद पर कार्यरत है। दिनांक 21/22-12-2007 की रात श्री मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक, कार्यालय एस.टी.एफ. तलब किया था और सूचित किया था कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं और उसकी गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया गया था और उसे चतुर्थ टीम में रखा था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./2054 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक एवं अन्य कर्मचारियों/अधिकारियों को गाड़ी से उतार कर रेलवे के प्रोटको के पास सरकारी गाड़ी लेकर दूर चला गया। उसने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे प्रथम टीम से उसे सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत नीरज पाण्डेय पी.डब्ल्यू-13 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि मुकदमा अपराध संख्या 1891/07 थाना कोतवाली, जनपद बाराबंकी में मो. खालिद मुजाहिद पुत्र स्व.जमीर मुजाहिद निवासी 37 महतवाना मुहल्ला थाना मडियाहूँ जिला जौनपुर एवं मो. तारिक कासमी पुत्र श्री रियाज अहमद निवासी सम्मोपुर थाना रानी की सराय जिला आजमगढ़ की अपराध में संलिप्तता के तथ्यों और उत्तरदायित्वों की जांच की जा रही है। यह कि प्रार्थी स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में आरक्षी कमांडो पद पर कार्यरत है। दिनांक 22-12-2007 को श्री मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक, कार्यालय एस.टी.एफ. उ.प्र. ने उसे तलब कराकर 'संदिग्ध आतंकवादियों के दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेशन पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने' के बारे में अवगत कराया एवं गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया। उसने यह भी कहा कि उसे प्रथम टीम में रखा गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./2054 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के हमराह बाराबंकी रेलवे स्टेशन के सामने नियुक्त हो गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि दिनांक 22.12.2007 को समय प्रातः 06.15 बजे दो व्यक्ति रिक्शे से आगर बाहर उतरकर किसी का इंतजार करने लगे। इसी दौरान मुखबिर ने इशारे से बताया यही दोनों आतंकवादी हैं। दोनों व्यक्तियों के हाथों में एक एक हैंडबैग था। दोनों व्यक्तियों को रूकने के लिए कहा गया, तो वह सकपका गये और तेजी से चलने लगे। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि जब पकड़ने का प्रयास किया तो दोनों लोग बैग खोलने की हरकत करने लगे। यह जानते हुए कि यह लोग आतंकवादी हैं, अन्य सदस्यों के साथ जान जोखिम में डालकर पकड़ लिया। पकड़े जाने के उपरान्त अन्य शेष टीमों को सूचना दी गयी कि यह दोनों व्यक्ति पकड़ लिये गये हैं तभी शेष टीमें मौके पर आ गयी थीं। इस साक्षी ने यह भी कहा कि घटना स्थल उसके सामने पकड़े गये दोनों व्यक्तियों ने अपने अपने नाम क्रमशः खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद व मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि उसके सामने पकड़े गये व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, 1 मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए।
इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने अधिकारियों ने इन व्यक्तियों से पूछताछ की थी तो इन्होंने अपने को प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी होना बताया था एवं दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में शामिल रहे अपने साथियों के नाम, पते व कार्यविधि बतायी थी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि बरामदगी, गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त वहीं मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और पढ़कर सुनायी थी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया था और उपरोक्त कथन के अतिरिक्त अन्य कोई तथ्य उसके संज्ञान में नहीं है एवं इन आतंकवादियों द्वारा लगाये गये समस्त आरोप स्वीकार नहीं हैं वह पूरी तरह से असत्य एवं निराधार हैं।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत एस.आई. सत्य प्रकाश सिंह पी.डब्ल्यू-14 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में उप निरीक्षक पद पर कार्यरत है। दिनांक 21/22-12-2007 की रात श्री मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक, कार्यालय एस.टी.एफ. में तलब किया था और सूचित किया था कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं और उसकी गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया गया था और उसे द्वितीय टीम में रखा था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./2017 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार माल रोड तिराहे पर नियुक्त हो गया। इस साक्षी ने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे प्रथम टीम से उसे सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत कान्स. राजेश कुमार मिश्रा पी.डब्ल्यू-15 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में आरक्षी पद पर कार्यरत है। दिनांक 21/22-12-2007 की रात श्री मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक, कार्यालय एस.टी.एफ. में तलब किया था और सूचित किया था कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं और उसकी गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया गया था और उसे द्वितीय टीम में रखा था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./2017 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार माल रोड तिराहे पर नियुक्त हो गया। इस साक्षी ने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे प्रथम टीम से उसे सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत हेड कान्स. सत्य प्रकाश सिंह पी.डब्ल्यू-16 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में मुख्य आरक्षी पद पर कार्यरत है। दिनांक 21/22-12-2007 की रात श्री मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक, कार्यालय एस.टी.एफ. में तलब किया था और सूचित किया था कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं और उसकी गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया गया था और उसे द्वितीय टीम में रखा था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./2017 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार माल रोड तिराहे पर नियुक्त हो गया। इस साक्षी ने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे प्रथम टीम से उसे सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत कान्स. उस्मान खां पी.डब्ल्यू-17 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में आरक्षी पद पर कार्यरत है। दिनांक 21/22-12-2007 की रात श्री मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक, कार्यालय एस.टी.एफ. में तलब किया था और सूचित किया था कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं और उसकी गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया गया था और उसे द्वितीय टीम में रखा था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./2017 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार माल रोड तिराहे पर नियुक्त हो गया। इस साक्षी ने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे प्रथम टीम से उसे सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत आरक्षी शाम्भवी प्रसाद शर्मा पी.डब्ल्यू-18 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह पुलिस लाइन जनपद बदायूं में आरक्षी के पद पर कार्यरत है। वह 21/22-12-2007 की रात श्री मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक, कार्यालय एस.टी.एफ. तलब किया था और सूचित किया था कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं और उसकी गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया गया था और उसे चतुर्थ टीम में रखा था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./4798 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार पुलिस लाइन चौराहे पर नियुक्त हो गया। इस साक्षी ने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे प्रथम टीम से उसे सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत उपनिरीक्षक इंद्रजीत सिंह चौहान पी.डब्ल्यू-19 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया और कहा है कि मुकदमा अपराध संख्या 1891/07 थाना कोतवाली, जनपद बाराबंकी में मो. खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद निवासी 37 महतवाना थाना मडियाहूँ जिला जौनपुर एवं मो. तारिक कासमी पुत्र श्री रियाज अहमद निवासी सम्मोपुर थाना रानी की सराय जिला आजमगढ़ की अपराध में संलिप्तता के तथ्यों एवं उत्तरदायित्वों की जांच की जा रही है। यह कि वह दिनांक 12.12.2007 को चौकी इंचार्ज पाण्डेयगंज, थाना कोतवाली वजीरगंज, लखनऊ में उपनिरीक्षक के पद पर कार्यरत था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को उसे 2.30 बजे प्रातः श्री चिरंजीव नाथ सिन्हा तत्कालीन क्षेत्राधिकारी चौक लखनऊ द्वारा उसे तलब किया गया था। वह अपनी चौकी से थाना कोतवाली चौक चला आया, वहां रप उसे पता चला कि सी.ओ.साहब एस.टी.एफ. कार्यालय महानगर में हैं अतः वह कोतवाली चौक से एस.टी.एफ. कार्यालय महानगर लखनऊ आया। उसने यहभी कहा कि एस.टी.एफ. कार्यालय पर अपर पुलिस अधीक्षक एस.टी.एफ.श्री मनोज कुमार झा, सी.ओ.चौक श्री चिरंजीव नाथ सिन्हा, पुलिस उपाधीक्षक एस.टी.एफ. श्री एस.आनंद व अन्य एस.टी.एफ. के अधिकारी/कर्मचारीगण मौजूद थे।
यह कि श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ, उ.प्र.लखनऊ द्वारा 'संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने'के बारे में उसे अवगत कराया एवं उनकी गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया गया था और उसे तृतीय टीम में रखा था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./0424 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार बंकी रोड पर नियुक्त हो गया। इस साक्षी ने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे प्रथम टीम से उसे सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत हेड कान्स. पंकज द्विवेदी पी.डब्ल्यू-20 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में मुख्य आरक्षी पद पर कार्यरत है। दिनांक 21/22-12-2007 की रात श्री मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक, कार्यालय एस.टी.एफ. में तलब किया था और सूचित किया था कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं और उसकी गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया गया था और उसे द्वितीय टीम में रखा था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./2017 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार माल रोड तिराहे पर नियुक्त हो गया। इस साक्षी ने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे प्रथम टीम से उसे सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत हेड कान्स. नीरज कुमार पी.डब्ल्यू-21 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में आरक्षी कमाण्डो पद पर कार्यरत है। दिनांक 21/22-12-2007 की रात श्री मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक, कार्यालय एस.टी.एफ. में तलब किया था और सूचित किया था कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं और उसकी गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया गया था और उसे तृतीय टीम में रखा था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./0424 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार बंकी रोड पर नियुक्त हो गया। इस साक्षी ने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे प्रथम टीम से उसे सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत आरक्षी वकील खां पी.डब्ल्यू-22 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में आरक्षी पद पर कार्यरत था और वर्तमान में अपराध शाखा लखनऊ में तैनात है। वह 21/22-12-2007 की रात श्री मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक ने कार्यालय एस.टी.एफ. तलब किया था और सूचित किया था कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं और उसकी गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया गया था और उसे चतुर्थ टीम में रखा था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./4798 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार पुलिस लाइन चौराहे पर नियुक्त हो गया। इस साक्षी ने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे प्रथम टीम से उसे सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत कान्स. चालक विजय प्रकाश सिंह पी.डब्ल्यू-24 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में आरक्षी चालक पद पर कार्यरत था। दिनांक 21/22-12-2007 की रात श्री मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक ने कार्यालय एस.टी.एफ. में तलब किया था और सूचित किया था कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं और उसकी गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया गया था और उसे द्वितीय टीम में रखा था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./2017 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार माल रोड तिराहे पर नियुक्त हो गया। इस साक्षी ने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे प्रथम टीम से उसे सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत कान्स. चालक यशवंत कुमार पी.डब्ल्यू-25 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में आरक्षी चालक पद पर कार्यरत था । वह 21/22-12-2007 की रात श्री मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक ने कार्यालय एस.टी.एफ. तलब किया था और सूचित किया था कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं और उसकी गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया गया था और उसे तृतीय टीम में रखा था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./0424 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार बंकी रोड पर नियुक्त हो गया। इस साक्षी ने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे प्रथम टीम से उसे सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत एस.आई. अजय कुमार चतुर्वेदी पी.डब्ल्यू-26 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में उप निरीक्षक पद पर कार्यरत है। वह 21/22-12-2007 की रात श्री मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक ने कार्यालय एस.टी.एफ. में तलब किया था और सूचित किया था कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं और उसकी गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया गया था और उसे द्वितीय टीम में रखा था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./2017 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार माल रोड तिराहे पर नियुक्त हो गया। इस साक्षी ने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे प्रथम टीम से उसे सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत एस.आई. विनय कुमार सिंह पी.डब्ल्यू-27 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि मुकदमा अपराध सं. 1891/07 थाना कोतवाली जनपद बाराबंकी में मो. खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद निवासी 37 महतवाना थाना मडियाहूँ जिला जौनपुर एवं मो. तारिक कासमी पुत्र श्री रियाज अहमद निवासी सम्मोपुर थाना रानी की सराय जिला आजमगढ़ की अपराध में संलिप्तता के तथ्यों एवं उत्तरदायित्वों की जांच की जा रही है। यह कि वह एस.ओ.जी. प्रभारी जनपद मिर्जापुर, में उप निरीक्षक के पद पर कार्यरत है। यह कि दिनांक 22.12.2007 को श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक एसटीएफ, उ.प्र. लखनऊ ने उसे तलब कराकर 'संदिग्ध आतंकवादियों के दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 06.00 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेशन पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने' के बारे में उसे अवगत कराया एवं गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया। उसने यह भी कहा कि उसे प्रथम टीम में रखा गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 04.30 बजे वह अपनी टीम के साथ कार्यालय एसटीएफ से रवाना होकर राजकीय वाहन सं. यूपी-32-बीजी/2054 से बाराबंकी पहुंचकर मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के हमराह बाराबंकी रेलवे स्टेशन के सामने नियुक्त हो गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि दिनांक 22.12.2007 को समय प्रातः 06.15 बजे दो व्यक्ति रिक्शे से आगर बाहर उतरकर किसी का इंतजार करने लगे। इसी दौरान मुखबिर ने इशारे से बताया यही दोनों आतंकवादी हैं। दोनों व्यक्तियों के हाथों में एक एक हैंडबैग था। दोनों व्यक्तियों को रूकने के लिए कहा गया, तो वह सकपका गये और तेजी से चलने लगे। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि जब पकड़ने का प्रयास किया तो दोनों लोग बैग खोलने की हरकत करने लगे। यह जानते हुए कि यह लोग आतंकवादी हैं, अन्य सदस्यों के साथ जान जोखिम में डालकर पकड़ लिया। पकड़े जाने के उपरान्त अन्य शेष टीमों को सूचना दी गयी कि यह दोनों व्यक्ति पकड़ लिये गये हैं तभी शेष टीमें मौके पर आ गयी थीं। इस साक्षी ने यह भी कहा कि घटना स्थल उसके सामने पकड़े गये दोनों व्यक्तियों ने अपने अपने नाम क्रमशः खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद व मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि उसके सामने पकड़े गये व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, 1 मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए।
इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने अधिकारियों ने इन व्यक्तियों से पूछताछ की थी तो इन्होंने अपने को प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी होना बताया था एवं दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में शामिल रहे अपने साथियों के नाम, पते व कार्यविधि बतायी थी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि बरामदगी, गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त वहीं मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और पढ़कर सुनायी थी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया था और उपरोक्त कथन के अतिरिक्त अन्य कोई तथ्य उसके संज्ञान में नहीं है एवं इन आतंकवादियों द्वारा लगाये गये समस्त आरोप स्वीकार नहीं हैं वह पूरी तरह से असत्य एवं निराधार हैं।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत कान्स. अमित कुमार सिंह पी.डब्ल्यू-28 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में आरक्षी पद पर कार्यरत है। वह 21/22-12-2007 की रात श्री मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक, कार्यालय एस.टी.एफ. में तलब किया था और सूचित किया था कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं और उसकी गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया गया था और उसे द्वितीय टीम में रखा था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./2017 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार माल रोड तिराहे पर नियुक्त हो गया। इस साक्षी ने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे प्रथम टीम से उसे सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत हेड कान्स. राजकुमार सिंह पी.डब्ल्यू-29 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में मुख्य आरक्षी पद पर कार्यरत था। वह 21/22-12-2007 की रात श्री मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक ने कार्यालय एस.टी.एफ. में तलब किया था और सूचित किया था कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं और उसकी गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया गया था और उसे द्वितीय टीम में रखा था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे वह अपनी टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से रवाना होकर राजकीय वाहन संख्या यू.पी. 32 बी.जी./2017 से बाराबंकी पहुंचकर श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार माल रोड तिराहे पर नियुक्त हो गया। इस साक्षी ने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे प्रथम टीम से उसे सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत उपनिरीक्षक धर्मेन्द्र कुमार शाही पी.डब्ल्यू-30 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में उप निरीक्षक के पद पर कार्यरत है। वह 21/22-12-2007 की रात एस.टी.एफ. कार्यालय से मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक, एस.टी.एफ.,यूपी, लखनऊ ने तलब कर सूचना दी कि संदिग्ध आतंकवादी दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 6 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेश पर घाटक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने वाले हैं। उसने यह भी कहा कि अपर पुलिस अधीक्षक ने 4 टीमों का गठन किया और उसे तीसरी टीम में रखा गया। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 4.30 बजे उप निरीक्षक श्री डी.के.शाही की टीम के साथ एस.टी.एफ. कार्यालय से राजकीय वाहन संख. यू.पी. 32 बी.जी./6424 से रवाना होकर बाराबंकी पहुंचे। वह श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार बंकी रोड पर नियुक्त हो गया। उसने यह भी कहा दिनांक 22.12.2007 प्रातः 6.30 बजे उसे प्रथम टीम से सूचना प्राप्त हुई कि बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर दो व्यक्ति विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़े लिये गये हैं। यह कि वह उपरोक्त सूचना पर घटना स्थल पर पहुंच गया और वहां देखा व सुना कि उपरोक्त दोनों व्यक्तियों में से एक ने अपना खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद और दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने पकड़े व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने व्यक्तियों से पूछताछ की थी उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी है। दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में सम्मिलित बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और उसे पढ़कर सुनाया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत उप निरीक्षक ओ.पी. पाण्डेय पी.डब्ल्यू-31 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि मुकदमा अपराध सं. 1891/07 थाना कोतवाली जनपद बाराबंकी में मो. खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद निवासी 37 महतवाना थाना मडियाहूँ जिला जौनपुर एवं मो. तारिक कासमी पुत्र श्री रियाज अहमद निवासी सम्मोपुर थाना रानी की सराय जिला आजमगढ़ की अपराध में संलिप्तता के तथ्यों एवं उत्तरदायित्वों की जांच की जा रही है। यह कि वह स्पेशल टॉस्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में उपनिरीक्षक पद पर कार्यरत है। यह कि दिनांक 22.12.2007 को श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक एसटीएफ, उ.प्र. लखनऊ ने उसे तलब कराकर संदिग्ध आतंकवादियों के दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 06.00 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेशन पर घाटत शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने के बारे में उसे अवगत कराया एवं गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया। उसने यह भी कहा कि उसे प्रथम टीम में रखा गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 04.30 बजे वह अपनी टीम के साथ कार्यालय एसटीएफ से रवाना होकर राजकीय वाहन सं. यूपी-32-बीजी/2054 से बाराबंकी पहुंचकर मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के हमराह बाराबंकी रेलवे स्टेशन के सामने नियुक्त हो गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि दिनांक 22.12.2007 को समय प्रातः 06.15 बजे दो व्यक्ति रिक्शे से आगर बाहर उतरकर किसी का इंतजार करने लगे। इसी दौरान मुखबिर ने इशारे से बताया यही दोनों आतंकवादी हैं। दोनों व्यक्तियों के हाथों में एक एक हैंडबैग था। दोनों व्यक्तियों को रूकने के लिए कहा गया, तो वह सकपका गये और तेजी से चलने लगे। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि जब पकड़ने का प्रयास किया तो दोनों लोग बैग खोलने की हरकत करने लगे। यह जानते हुए कि यह लोग आतंकवादी हैं, अन्य सदस्यों के साथ जान जोखिम में डालकर पकड़ लिया। पकड़े जाने के उपरान्त अन्य शेष टीमों को सूचना दी गयी कि यह दोनों व्यक्ति पकड़ लिये गये हैं तभी शेष टीमें मौके पर आ गयी थीं। इस साक्षी ने यह भी कहा कि घटना स्थल उसके सामने पकड़े गये दोनों व्यक्तियों ने अपने अपने नाम क्रमशः खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद व मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि उसके सामने पकड़े गये व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, 1 मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए।
इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने अधिकारियों ने इन व्यक्तियों से पूछताछ की थी तो इन्होंने अपने को प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी होना बताया था एवं दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में शामिल रहे अपने साथियों के नाम, पते व कार्यविधि बतायी थी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि बरामदगी, गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त वहीं मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और पढ़कर सुनायी थी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया था और उपरोक्त कथन के अतिरिक्त अन्य कोई तथ्य उसके संज्ञान में नहीं है एवं इन आतंकवादियों द्वारा लगाये गये समस्त आरोप स्वीकार नहीं हैं वह पूरी तरह से असत्य एवं निराधार हैं।
अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत सी.ओ.चिरंजीव नाथ सिन्हा पी.डब्ल्यू.-32, अपर पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार झा पी.डब्ल्यू.-33 व क्षेत्राधिकारी एस.आनन्द पी.डब्ल्यू.-43 लगभग एक से शपथ पत्र प्रस्तुत किये हैं और उन्होंने कहा है कि सी.ओ.चिरंजीव नाथ सिन्हा क्षेत्राधिकारी चौक जबपद लखनऊ में कार्यरत थे। यह कि दिनांक 23.11.2007 को जनपद न्यायालय लखनऊ में बम विस्फोट की घटना घटित हुई थी जिसके संबंध में थाना वजीरगंज जनपद लखनऊ में मु.अ.सं. 547/2007 धारा 15/120बी/121/121ए/307 भारतीय दंड संहिता व धारा 16 / 18/ 20 / 23 विधि विरुद्ध क्रिया कलाप निवारण अधिनियम पंजीकृत किया गया था जिसकी विवेचना उनसको प्राप्त हुई थी। पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार झा पी.डब्ल्यू.-33 ने अपने शपथ पत्र में कहा है कि अ.सं.1891/2007 थाना कोतवाली जनपद बाराबंकी में मो. खालिद मुजाहिद पुत्र स्व.जमीर मुजाहिद निवासी 37 महतवाना थाना मडियाहूँ जिला जौनपुर एवं मो. तारिक कासमी पुत्र श्री रियाज अहमद निवासी सम्मोपुर थाना रानी की सराय जिला आजमगढ़ की अपराध में संलिप्तता के तथ्यों एवं उत्तरदायित्वों की जांच की जा रही है। क्षेत्राधिकारी राजेश पाण्डेय पी.डब्ल्यू-44 ने कहा है कि वह उपरोक्त जांच में अपना शपथपत्र प्रस्तुत कर रहे हैं।
उपरोक्त तीनों साक्षी गण ने कहा है कि दिनांक 23.11.2007 को उ.प्र.की राजधानी लखनऊ, जनपद फैजाबाद व बाराबंकी में आतंकवादियों द्वारा किये गये सीरियल बम धमाके उ.प्र.ही नहीं बल्कि मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद आदि प्रान्तों में भी आतंकी साया भय आतंक के रूप में मंडराने लगा था। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि सीरियल बम बलास्ट की जांच हेतु पुलिस महानिदेशक उ.प्र. द्वारा एस.टी.एफ. को विशिष्ट निर्देश दिये गये थे केन्द्रीय जांच एजेंसियों व एस.टी.एफ. ने स्वयं के स्रोतों से यह विदित हुआ कि भारत के सीमावर्ती विदेशी राष्ट्रों की भूमि से संचालित आतंकवादी संगठन हरकुत उल जेहाद अल इस्लामी जो विधि विरुद्ध क्रिया कलाप निरोधक अधिनियम की धारा 2(1)(एम) तथा धारा 35 के अनुसार प्रतिबंधित संगठन है। जो भारत के विरुद्ध राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्त है। यह कि विदेशी आतंकवादियों को अस्त्रों एवं विस्फोटकों के साथ भारत में घुसपैठ कराना एवं भारतीय मूल के युवकों को अवैध रूप से बाहर भेजकर विदेशी भूमि पर आतंकवादी गतिविधियों की ट्रेनिंग दिलाकर प्रशिक्षित आतंकवादियों द्वारा भारत में आतंकवादी एवं विध्वंसक कार्यवाही कर रहा था। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि सूचना प्राप्त हुई थी कि इस आतंकवादी संगठन के कुछ सक्रिय सदस्य उ.प्र. के जनपद जौनपुर, आजमगढ़, वाराणसी, सहारनपुर आदि में सक्रिय हैं। इस प्राप्त अभिसूचनाओं को विकसित करने हेतु एस.टी.एफ.को लगाया गया था और इसी क्रम में पूर्व में कुख्यात हरकुत उल जेहाद अल इस्लामी के आतंकवादी बाबू भाई जलालुद्दीन, नौशाद आदि के संगठन के ढांचे एवं संजाल के अध्ययन तथा मामूरा मुखबिरान की सूचना से यह तथ्य प्रकाश में आया ता कि जनपद जौनपुर के मडियाहूँ व जनपद आजमगढ़ के रानी की सराय क्षेत्र में कुछ माह से बांग्लादेशी व कश्मीरी नागरिकों का काफी आना जाना रहा है उन सूचनाओं को और विकसित करने हेतु एस.टी.एफ. की टीम व मुखविरान लगातार काम कर रही थी।
इस साक्षी ने यह भी कहा है कि दिनांक 23.11.2007 को लखनऊ कचेहरी में हुए बम विस्फोट की घटना के विवेचना के संदर्भ में लगातार एसटीएफ से संपर्क बनाए हुए था तथा इस संदर्भ में सूचनाओं का आदान प्रदान किया जा रहा था। आज दिनांक 22.12.2007 को मैं एस.टी.एफ. कार्यालय पर एस.टी.एफ.टीम से विचार विमर्श कर रहा था कि तभी समय करीब 2.30 बजे मुखबिर एस.टी.एफ. टीम के पुलिस उपाधीक्षक एस.आनन्द, निरीक्षक अविनाश मिश्रा, उप निरीक्षक विनय कुमार सिंह, उप निरीक्षक धनंजय मिश्रा व उप निरीक्षक ओ.पी.पाण्डेय को सूचना मिली कि कुछ संदिग्ध व्यक्ति बाराबंकी रेलवे स्टेशन के पास समय करीब प्रातः 6.00 बजे आने वाले हैं, इनके संबंध आतंकवादी संगठन से हैं। इनके पास घातक शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ भी हैं, जो किसी संगीन घटना को अंजाम देने की नीयत से लेकर आ रहे हैं।
इस साक्षी ने यह भी कहा कि इस सूचना पर यकीन कर वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन पर अपर पुलिस अधीक्षक एस.टी.एफ. मनोज कुमार झा के पर्यवेक्षण में चार टीमों का गठन किया गया। प्रथम टीम में मैं पुलिस अधीक्षक चिरंजीव नाथ सिन्हा,अपर पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार झा, पुलिस उपाधीक्षक एस.आनन्द, एसआई विनय कुमार सिंह, एसआई धनंजय मिश्रा, एसआई ओ.पी.पाण्डेय, कान्स.ओम रामणन सिंह, कान्स.जय प्रकाश गुप्ता पीएसी, कान्स.नीरज पाण्डेय, चालक शिव प्रकाश सिंह वाहन संख्या यूपी-32-बीजी-2054 द्वीतीय टीम में उ.नि.सत्य प्रकाश सिंह, अजय चतुर्वेदी, एसची पंकज द्विवेदी, एसची राजकुमार सिंह, कान्स.राजेश मिश्रा, कान्स.अमित सिंह, कान्स.उस्मान खां, कान्स.सत्य प्रकाश सिंह व कान्स.कृष्ण कान्त त्रिपाठी पीएसी चालक विजय सिंह, वाहन सं. यूपी-32- बीजी-2017 तृतीय टीम में उ.नि.धर्मेश शाही, एसएसआई चौक, लखनऊ गुलाब शंकर पाण्डे, एसआई इंद्रजीत चौहान थाना वजीरगंज, कान्स.एपी 977 आलोक उमराव, एचसी सुभाष सिंह, कान्स. पीएसी नीरज, कान्स.भूपेन्द्र पीएसी कान्स ओमबीर पीएसी चालक यशवंत कुमार वाहन सं. यूपी-32 बीजी-0424 चतुर्थ टीम में एसआई संदीप मिश्रा, एचसी बीरेन्द्र यादव, कान्स.संभावी प्रसाद शर्मा, कान्स. रविचन्द्र पीएसी कान्स. वकील अहमद, कान्स. अरविन्द अवस्थी, कान्स अंगद यादव, कान्स. के.के.सिंह चालक कालीचरन वाहन सं. यूपी-32 एजेड-4798 को नियुक्त किया गया टीमों को मुखबिर की सूचना व मकसद से अवगत कराकर एसटीएफ कार्यालय से समय 4.30 सुबह रवाना होकर बाराबंकी बस स्टैंड के पास पहुंचे।
इस साक्षी ने यह भी कहा है कि जनता के गवाह फराहम किये गये व मकसद बताया गया तो डर व दहशत के कारण कोई तैयार नहीं हुआ, और बगैर नाम पता बताये चले गये। जनता का गवाह उपलब्ध न होने पर पुलिस बल ने स्वयं को गवाह मानकर आपस में एक दूसरे की जामा तलाशी ले-देकर इत्मीनान किया कि किसी के पास कोई नाजायज वस्तु नहीं है तभी मुखबिर भी आ गया उसे हमराह लिया गया तथा बस स्टेशन से रवाना होकर रेलवे स्टेशन बाराबंकी के पास पहुंचकर मैं क्षेत्राधिकारी चौर अपनी टीम के साथ मय मुखबिर के रेलवे स्टेशन के बाहर नियुक्त हुआ। द्वितीय टीम के उ.नि.सत्य प्रकाश सिंह अपनी टीम के साथ माल रोड तिराहे पर तृतीय टीम के उ.नि.धर्मेश शाही अपनी टीम के साथ बंकी रोड पर एवं चुतर्थ टीम के उ.नि. संदीप मिश्रा अपनी टीम के साथ पुलिस लाइन तिराहे पर लगाये गये । सभी सरकारी गाड़ियों को दूर खड़ा करवाकर संदिग्ध आतंकवादियों के आने का इंतजार करने लगे। तभी समय करीब 6.15 बजे सुबह दो व्यक्ति रिक्शे से आकर रेलवे स्टेशन से बाहर उतरकर किसी का इंतजार करने लगे जिनके पास एक एक हैंडबैग था। मुखबिर ने इशारे से बताया कि ये ही वे व्यक्ति हैं, और चला गया।
इस साक्षी ने यह भी कहा है कि संदिग्ध दोनों व्यक्ति किसी का इंतजार करते हुए प्रतीत हुए कि तभी दोनों अपना अपना बैग उठाकर स्टेशन से मुख्य सड़क की ओर चलने लगे कि मुझे सी.ओ.चौक द्वारा आगे बढ़कर परिचय देते हुए उन्हें रुकने के लिए कहा तो सकपकाकर और तेजी से चलने लगे कि हमराही अधिकारी कर्मचारीगणों की मदद से गिरफ्तार करना चाहा तो दोनों अपना बैग खोलने जैसी हरकत करने लगे कि यह जानते हुए कि यह आतंकवादी हैं, और सूचना के अनुसार इनके पास विस्फोटक सामग्री है, फिर भी अपनी जान जोखिम में डालकर कर्तव्यनिष्ठा की पराकाष्ठा का परिचय देते हुए अदम्य शौर्य व साहस का प्रदर्शन कर उ.नि.विनय कुमार सिंह,उ.नि. धनंजय मिश्रा, कान्स.नीरज पाण्डे, कान्स. ओम नरायण सिंह, कान्स.कमाण्डो जय प्रकाश गुप्ता ने पकड़ लिया तो दोनों द्वारा लपआ-झपटी करते हुए मुजाहमत करने लगे तथा जान से मारने की धमकी देते हुए आतंकी परिणाम भुगतने की चेतावनी देने लगे कि बामुश्किल आवश्यक बल प्रयोग कर टीम के अन्य सदस्यों की मदद से करीब 6.20 बजे सुबह पकड़ लिये गये तभी अन्य टीमें भी शोर-शराबा व सूचना पर आ गयीं नाम पता पूछते हुए जामा तलाशी ली गयी तो क्रमशः एक ने अपना नाम खालिद मुजाहिद पुत्र स्व. जमीर मुजाहिद निवासी म.न.37 महतवाना मुहल्ला मडियाहूँ थाना मडियाहूँ जनपद जौनपुर बताया जामा तलाशी पर उसके दाहिने हाथ से पकड़े पुराने नीले हरे रंग के एअर बैग जिसके एक पॉकेट पर अंग्रेजी में WILLS लिखा हुआ जिसको खोलकर देखा तो कुछ आवश्यक दैनिक इस्तेमाली चीजों के अलावा एक सफेद लाल पॉलीथीन में नौ अदद जिलेटिन राड पैक शुदा जिनमें प्रत्येक पर SUPERPOWER90 आदि लिखा हुआ है व तीन अदद स्टील कलर के डेटोनेटर जिन पर लाल वायर लगा हुआ है बरामद हुआ व पहने कुर्ते की दाहिनी जेब से एक अदद पीली छोटी पॉलीथीन जिसमें एक अदद नोकिया मोबाइल फोन IMEI नं 355655007210646 मय सिम कार्ड नंबर 8991890110011026004-4 IDEA तथा पोलीथीन में ही सिम कार्ड नं. 8991890110011026005-1 IDEA व सिम कार्ड नं.अपठनीय EXCEL एक अदद व नकद 350 रूपये बरामद हुए। दूसरे व्यक्ति ने अपना नाम मो. तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद निवासी ग्राम सम्भे पर थाना रानी की सराय जिला आजमगढ़ बताया जामा तलाशी लेने पर उसके दाहिने हाथ में लिए एअर बैग व रंग काला जिस पर अंग्रेजी में Samsonite लिखा है को खोल कर देखा तो जरूरी इस्तेमाली चीजों के अलावा एक अदद सफेद पॉलीथीन में एक पैकेट खाकी प्लास्टिक टेप से लिपटा हुआ मिला, जिसका टेप खोलकर देखा गया तो तीन अदद डेटोनेटर स्टील कलर जिन पर लाल रंग के वायर लगे हैं व एक पॉलीथीन में लिपटा हुआ काले रंग का high Explosive (विस्फोटक) पदार्थ जिसका वजन सुविधानुसार कराया गया तो लगभग सवा किलो बरामद हुआ। जो देखने से RDX प्रतीत होता है बरामद हुआ। इसके पहने कुर्ते की दाहिने जे से एक अदद मोबाइल फोन नोकिया 1110 IMEI No.-353632015901419 जिसमें सिम नं. 8991554111111353003 EXCEL लगा हुआ है व एक अदद काले रंग की पॉकेट डायरी जिस पर अंग्रेजी में MADANI DAIRY 2007 व उर्दू में लिखा है। जिसके अंदर अंग्रेजी व उर्दू में कुछ लिखा है। इसी डायरी के अंदर एक अदद सिम नं.89918911000114894814 व रोडवेज बस का टिकट नं.4799009 व उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड कैंट वाराणसी की पर्ची स्पलेंडर नंबर 030719 16 दिसम्बर 2007 व जेब से ही एक चाभी के गुच्छे मं दो बड़ी चाभी व 300 रूपये नगद बरामद हुए थे। पकड़े गये उपरोक्त खालिद और तारिक से बरामदशुदा विस्फोटक सामग्री आदि के विषय में पूछा गया तो कोई संतोष जवाब न देकर अपनी गलती के लिए माफी मांगने लगे। बरामद नाजायज विस्फोटक आदि को कब्जा पुलिस में ले लिया गया व उनके जुर्म धारा बरामदगी अनुसार अवगत कराया गया। बातसल्ली पूछताछ पर उपरोक्त खालिद ने बताया कि मैं 2001 में अमरोहा से आलिम व मुफ्ती की पढ़ाई कर रहा था, वहीं मुझे अब्दुल रकीब से मुलाकात हुई जो आसाम का रहने वाला था उसने मुझे जेहाद के बारे में काफी समझाया और 2003 में मुझे ट्रेनिंग के लिए जम्मू-कश्मीर के किस्तवाड़ में ले गया जहां मैं HUJI के कैम्प में पन्द्रह दिन का प्रशिक्षण लिया जिसमें मुझे हथियार चलाने की व हथियार छीनने व विस्फोट करने की ट्रेनिंग दी गई। वहीं पर मेरी मुलाकात बशीर उर्फ हेजाजी से हुई थी, ट्रेनिंग के कुछ दिनों बाद हेजाजी ने फोन से बताया कि रकीब मुठभेड़ में शहीद हो गया है और आगे हमारी बातचीत होती रही सन् 2006 में मेरे BSNLके मोबाइल पर हेजाजी ने बताया कि खालिद कश्मीरी तुमसे मिलने मडियाहूँ आ रहा है। खालिद कश्मीरी मेरे पास आया मैंने उसकी मुलाकात रानी की सराय तारिक से करायी जो मेरे साथ पकड़ा गया है। हम लोगों की जेहादी तंजीमी बातें हुयी। खालिद ने एक मोबाइल व तंजीम मुखिया तौकीर उर्फ शेख उर्फ हजरत से बात करायी व हवाला से पैसा लेना व तंजीम के लोगों के बंदोबस्त का इंतजाम तारिक के जिम्मे किया गया। 2007 फरवरी मार्च में कश्मीर HUJI का कमांडर दानिश सरवर आया। जिसका इलाज मैंने व तारिक ने मिलकर कराया। मैं तंजीम का फौजी दस्ते का कमांडर हूँ। जून 2007 में हेजाजी के कहने पर देवबंद गया वहां सज्जाद कश्मीरी से मुलाकात हुई तथा मैंने अपने मोबाइल से तारिक के मोबाइल पर सज्जाद से बात करायी और दोनों के मुलाकात का सिलसिला तय हुआ इस बीच मेरी हेजाजी व सज्जाद से लगातार बात होती रही इस बीच यह तय हुआ कि कश्मीर से इमरान उर्फ गुरू उर्फ उमर, तारिक कश्मीरी, अब्दुल कदीर को लेकर सज्जाद मेरे पास रमजान में आयेंगे और वहां से सभी लोग मुंबई जायेंगे। मैं हर साल रमजान में मुंबई जाताहूँ। मुंबई जाकर हम लोगों ने कई स्थानों पर रैकी की क्योंकि हेजाजीज जी के निर्देशानुसार भविष्य में मुंबई में विस्फोट करना था। मुंबई से लौटकर सज्जाद सभी को लेकर माल्दा पश्चिम बंगाल राजू उर्फ मुख्तार से मिलने चला गया। वहां से लौटकर सभी मेरे पास आये और बताया कि बनारस फैजाबाद लखनऊ में विस्फोट कनरे की पूरी तैयारी हो गयी है। सारा सामान राजू उर्फ मुख्तार मुगलसराय पहुंजायेगा। वहां सेसभी अपना-अपना सामान लेकर विस्फोट करने के लिए निकलेंगे र सभी 18, 19 नवम्बर 2007 के करीब मुगलसराय जाने के लिए कह कर चले गये तथा तबाये कि तारिक से मिलते हुए जायेंगे। 22 नवम्बर 2007 को शाम को सज्जाद ने मुझे बताया कि तुम लखनऊ निकलो सुबह दिनांक 23.12.2007 को रेलवे स्टेशन के चारबाग के प्लेटफॉर्म नंबर 1 के गेट पर अब्दुल कादिर मिलेगा। तुम्हें लखनऊ कचेहरी में विस्फोट का इंतजाम तुम्हें करना है। चारपबाग रेलेव स्टेशन पर पहुंचने पर मुझे अब्दुल कादिर मिला जिससे मैं पूर्व में परिचित था। हम दोनों स्टेशन से टीले वाली मस्जिद के पास काफी देर बैठे। तभी कुछ देर बार समय करीब 11.00बजे दिन जाहिद नामक व्यक्ति या जिसे अब्दुल कादिर जानता था, जिसके हाथ में एक बैग था, जिसमें कुछ सामान था। वहां हम तीनों नीबू पार्क आये और वहां से रिक्शे द्वारा कचेहरी के मेन गेट पर पहुंचे। जाहिद कहीं गया और थोड़ी देर में एक साइकिल लेकर आया और बैग के साथ कचेहरी के अंदर चला गया। थोड़ी देर में जाहिद एक साइकिल और लेकर आया और एक छोटा बैग टांगकर चला गया। हम उसका इंतजार करते रहे परन्तु वह नहीं आया। जाहिद द्वारा साइकिल रखने के दौरान हम लोगों ने निगरानी के मकसद से गेट के सटे दुकान से समोसे भी खाये थे। तभी कादिर ने कहा कि मुझे दिल्ली निकलना है तुम घर निकल जाओ। जाहिद पहुंच जायेगा उसे पता है कहां जाना है। मैं बस पकड़ कर घर आ गया। घर आकर मालूम पड़ा कि लखनऊ, फैजाबाद, वाराणसी कचहेरी में विस्फोट हो गया। सज्जाद ने बताया था कि फैजाबाद तारिक, इमरान उर्फ गुरू व तारिक कश्मीरी को लेकर कचेहरी में विस्फोट करायेगा और खुद सज्जाद राजू उर्फ मुख्तार व उनके आदमियों को लेकर वाराणसी कचेहरी में विस्फोट करायेगा। इन विस्फोटों के एवज में हेजाजी हम लोगों को हवाला से 10 लाख रुपये देने वाला था जो अभी डिलीवर नहीं हो पाया। आज हम लोग ये विस्फोटक पदार्थ हेजाजी के निर्देश पर यहां लेकर आये थे जिसे गुरू लेकर जाने वाला था जो पूरा तैयार कर हमें सूचित करता तब बताये स्थान पर लेने पहुंचते। हेजाजी के निर्देश पर यह विस्फोटक सामग्री मुख्तार उर्फ राजू ने हम लोगों को अलग अलग स्थान पर उपलब्ध कराया था। पकड़े गये तारिक उपरोक्त ने पूछताछ पर बताया कि खालिद मडियाहूँ द्वारा बतायी गयी मेरे बारे सभी बातें सत्य हैं। मैं HUJI के उत्तर प्रदेश का इंतजामिया अमीर हूँ उपरोक्त बातों के अलावा सज्जाद, तारिक कश्मीरी, अब्दुर कादिर, इमरान उर्फ गुरू, हेजाजी से तयप्रोग्राम के अनुसार मेरे घर नमम्बर 2007 में विस्फोट से कुछ दिन पहले आये थे और वाणणसी, फैजाबाद व लखनऊ में एक साथ विस्फोट की योजन बनी थी। दिनांक 22.11.2007 की शाम सज्जाद के कहने पर यह अपना मोबाइल घर पर छोड़कर शाहगंज में मिलने के लिए कहा था। वहां से सज्जाद ने मेरे साथ तारिक कश्मीरी व इमरान गुरू को फैजाबाद भएजा था हम तीनों वहां से बस द्वारा सुल्तानपुर फैजाबाद पहुंचे। तारिक व इमरान के पास एक एक बैग था। वहां बस स्टैण्ड पर समय गुजारते हुए करीब 09.30 बजे सुबह कचेहरी के मुख्य गेट पर पहुंचे। मुझे निगरानी के लिए छोड़कर तारिक कश्मीरी व इमरान कहीं चले गये। करीब पौन घंटे बाद दोनों एक साइकिल लेकर लौटे और अपने बैगों के साथ कचेहरी के अंदर चले गये। थोड़ी देरे बाद इमरान वापस आया और बोला मैं अभी आ रहा हूँ। यहीं इंतजार करना। करीब पौन घंटे बाद फिर इमरान एक साइकिल लेकर आया और कचेहरी के अंदर चला गया। थोड़ी देर बाद इमरान फिर वापस आया और बताया कि सारी सेटिंग हो गयी है। तुम वापस निकल जाओ। मैं भी निकलूंगा तारिक अपनी जगह पहुंच जायेगा, मैं वापस घर आ गया। 25 या 26 नवंबर 07 कोक सज्जाद ने देवबंद से फोन करके बताया कि लखनऊ से हम लोग नौचन्दी एक्सप्रेस से देवबंद आ गये थे, बाकी लोग कश्मीर चले गये मैं एडमीशन के लिए रूका हूँ। इससे पहले मैंने हेजाजी के कहने पर राजू उर्फ मुख्तार के साथ गोरखपुर बम ब्लास्ट की योजना बनायी थी और स्वयं गोलघर के आस-पास रैकी कर मुख्तार उर्फ राजू व छोटू को लेकर हिदायत अनुसार विस्फोट कराया था। इसके अलावा दिसम्बर 2006 में हेजाजी व खालिद कश्मीरी के निर्देश पर पांच किलो RDX वाराणसी रेलवे स्टेशन पर मुख्तार उर्फ राजू व एहतेसाम मालेगांव देने आये थे। जिसे ले जाकर मैंने दिल्ली में जामा मस्जिद पर खालिद कश्मीरी व हेजाजी को दिया था। इसके करीब एक सप्ताह बाद हवाला से प्राप्त पांच लाख रूपये खालिद कश्मीरी को दिल्ली से ले जाकर दिया था। आज हम लोग हेजाजी के निर्देश पर मुख्तार द्वारा दिया गया विस्फोटक लेकर यहां आये थे। जिसे गुरू ले जाकर तैयार करता , गुरु आने वाला था हो सकता है आप लोगों को देखकर हम हम लोगों के पास नहीं आया। खालिद महियाहूँ ने पुनः माफी मांगते बताया कि 24 नवम्बर को हमने अपने मदरसे में जाकर बच्चों की किताबें व कॉपियां 23 तारीख में ही चेक कर दी थी तथा 23 नवम्बर की हाजिरी भी 24 में बना दी थी। सज्जाद के कहने पर मैं मोबाइल घर पर ही छोड़ गया था। अभियुक्त तारिक व खालिद मडियाहूँ उपरोक्त को उनके जुर्म धारा 115/ 332/ 120बी/ 121/ 121ए/ 122/ 124ए/ 207/ 203 भा.दं.सं. व 16/ 18/ 20/ 23 अन लॉफुल एक्टिविटीज एक्ट व 4/ 5 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम से अवगत कराकर हिरासत पुलिस में लिया गया। दौराने गिरफ्तारी व पूछताछ माननीय उच्चतम न्यायालय व मानवाधिकार आयोग के निर्देशों का अक्षरशः पालन किया गया। बरामद विस्फोटक पदार्थ बरामदगी अनुसार अन्य बरामदगी के क्रम में मौके पर ही एयर बैग में ही रखकर एक-एक सफेद कपड़े में रखकर सर्वमुहर कर नमूना मुहर तैयार किया गया। अभियुक्तगण द्वारा बताये हमें पते पर गिरफ्तारी की सूचना थाना स्तर से त्वरित की जायेगी। फर्द मौके पर मुझे Dy SPचिरंजीव नाथ सिन्हा, क्षेत्राधिकारी चौक, लखनऊ द्वारा एसआई धनंजय मिश्रा एसटीएफ द्वारा बोल बोल कर लिखायी गयी। फर्द पढ़कर सुनाकर अधिकारीगण कर्मचारीगण हस्ताक्षर बनवाये जाते हैं। ह. अंग्रेजी में अपठनीय 22.12.2007 CO Chowk Lko।ह. अंग्रेजी में धनंजय मिश्रा एस आई 22.12.2007 ह. अंग्रेजी में मनोज कुमार झा अपर पुलिस अधीक्षक, एस.टी.एफ. लखनऊ। एचसी पंकज कुमार ह. ओ.पी.पाण्डेय अंग्रेजी में एस.आनन्द Dy SP। ह. अभियुक्त अंग्रेजी में तारिक ह.अभियुक्त हिन्दी में खालिद। हं. अंग्रेजी ओमबीर सिंह एसआई 20.12.2007। हं. संजीव कुमार ह.नीरज कुमार। ह.अपठनीय अंग्रेजी। कामाण्डो जय प्रकाश गुप्ता, कृष्ण कुमार तिवारी ह.सीआई के.के.सिंह ह.कमाण्डो भूपेन्द्र सिंह ह. एचसी बीरेन्द्र कुमार यादव ह. का. अमित सिंह ह.का.सत्य प्रकाश सिंह ह.एचसी राजकुमार सिंह ह. का. राकेश मिश्रा ह. का. नीरज मिश्रा ह. का. अरविंद अवस्थी ह. वकील खां हं अंग्रेजी एस.बी. सिंह नोट नकल फर्द अभियुक्तगण को दी गयी। ह. अंग्रेजी अपठनीय 22.12.2007 CO Chowk Lko। ह. अभि. अंग्रेजी तारिक। ह. अभि.हिन्दी खालिद। ह. अंग्रेजी अपठनीय 22.12.07। (नोटः तहरीर की नकल मुझ हे. का. कन्हैयालाल द्वारा बोल-बोल कर कंप्यूटर में फीड कराया गया जो अक्षरशः फीड है।)
इस साक्षी ने यह भी कहा है कि खालिद मुजाहिद के परिवाद के कथित आरोपों का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है-
यह कि दिनांक 16.12.2007 को वह शाम को घर से बाजार नील वापस करने जा रहा था कि अनवर भाई की दुकान जो पवन टाकीज के सामने है वहं से कुछ सामना खरीदना था। उसके बाद छोटू भाई की गुमटी पर आया और उनके भाई की दुकान जो बगल में है नील वापस किया। सामने मुन्नू भाई चाट की दुकान पर खड़ा था तभी गाड़ी से कुछ लोग निकले और मुझे गाड़ी में विठाकर चल दिये। रास्ते में आंख पर पट्टी बांध दी व हाथ-पैर बांध कर मुंह में कपड़ा ठूस दिया। उसके बाद एक नामालूम मकान पर रखा और तकरीबन 25 लोग मौजूद थे, जहां पर थर्ड डिग्री टॉर्चर शुरू हुआ। मुझे बुरी तरह पीटा जाता था। कभी दाढ़ी के बाल नोचे जाते थे, दोनों पैरों को चीर कर उस पर खड़े होकर अजतेमखसूस को मुंह में डाला जाता। पैखाने की जगह पेट्रोल डाला जाता व अजतेतनासूर को सिगरेट से दागा गया और उसके साथ वजनी पत्थर बांधकर खड़ा होने के लिए मजबूर किया गया। शराब व पेशाब पिलाया गया। सुअर के गोश्त का कबाव मुंह में ठूंसा गया। बर्फ की सिल्ली पर लिटाकर नाक व मुंह से पानी पिलाया, करेन्ट लगाया, कमर में रस्सी बांधकर पानी में डुबकी लगायी जाती वगैर जुल्मो सितम किये जाते थे एवं अनेक प्रकार से टॉर्चर किया जाता और कचेहरी सीरियल ब्लास्ट को कुबूलने के लिए टॉर्चर किया जाता। दिनांक 22 तारीख को बाराबंकी से गिरफ्तारी की गई उसके बाद एक जगह ले जाकर हाथ पैस की उंगलियों के निशान लिये गये। यहीं पर एक बैग पर भी निशान लिया गया एवं सरकारी गवाह बनने के लिए दबाव डाला गया तथा बाराबंकी जेल भेज दिया गया। वहां पर भी पीटा गया। दिनांक 24.12.2007 को 10 दिन की रिमांड पर लिया गया तथा रिमांड के दौरान भी जुल्मो सितम का सिलसिला जारी रहा।
यह कि दिनांक 16.12.2007 को जब उसे उठाया गया उस वक्त लेकर अब तक उसका मोबाइल पुलिस अधिकारियों/कर्मचारियों के कब्जे में रहा और उसकी मोबाइल से कोई बात नहीं हुई।
यह कि गिरफ्तारी शो करने से पहले डी.जी.पी. विक्रम सिंह और ए.जी.जी बृजलाल दोनों अलग-अलग वक्त पर आये थे।
यह कि मेरे ऊपर मु.अ.सं. 1891/07 धारा 121 / 121ए / 122 / 124ए / 332 भा.द.सं. एवं 4 / 5 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम व 16 / 18 / 20 / 23 अनलॉफुल एक्टिविटीज एक्ट (प्रिवेन्शन) थाना कोतवाली बाराबंकी फर्जी व झूठा, मनगढ़ंत है।
परिवाद में वर्णित मुख्य आरोप-
यह कि दिनाकं 16.12.2007 को मुन्नू भाई की चाट की दुकान के सामने से पुलिसकर्मियों द्वारा उठा ले जाने का आरोप है।
यह कि अनाधिकृत रूप से पुलिस कर्मियों द्वारा सदोष परिरोध करना।
यह कि मोबाइल पुलिस कर्मियों द्वारा कब्जे में रखना।
यह कि पुलिस कर्मियों द्वारा यातना देना एवं लखनऊ, फैजाबाद व वाराणसी कचेहरी में हुए सीरियल ब्लास्ट की घटना को स्वीकार करने हेतु दबाव देना।
यह कि सदोष परिरोध की अवधि में एसएसपी अमिताभ यश, एसएसपी अखिल कुमार, डीजीपी विक्रम सिंह, एजीजी बृजलाल द्वारा पूछताछ करना।
यह कि फर्जी बरामदगी और झूठे आरोपों में चालान किया जाना।
यह कि पुलिस कस्टडी रिमांड के दौरान पुलिस कर्मियों द्वारा दुर्व्यवहार करना।
इस साक्षी ने यह भी कहा है कि तारिक कासमी के परिवाद के कथित आरोपों का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है-
यह कि उसके ऊपर मु.अ.सं. 1891/07 धारा 121 / 121ए / 122 / 124ए / 332 भा.द.सं. एवं 4 / 5 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम व 16 / 18 / 20 / 23 अनलॉफुल एक्टिविटीज एक्ट (प्रिवेन्शन) थाना कोतवाली बाराबंकी फर्जी व झूठा, मनगढ़ंत है।
यह कि दिनांक 12.12.07 को वह अपने अजहर यूनानी दवाखाना से अपनी स्पेलेंडर यूपी-50-एन-2943 मोटरसाइकिल से जा रहा था कि शंकरपुर रानी की सराय चेकपोस्ट से आगे सराय मीर की तरफ पुहंचने पर सफेद रंग की टाटा सूमो गाड़ी ने ओवरटेक कर रोका व मरीज देखने को कहा। में मोटरसाइकलि सड़क किनारे रोक ही रहा था कि टाटा सूमो गाड़ी से 9-10 लोग कूदे और टाटा सूमो में डाल लिया और मेरी आंखों में पट्टी बांध कर बनारस में एक खामोश इलाके में ले गये। जहां मुझे रखा तथा उसके बाद लखनऊ ले आये जहां पर अफसर लगने वाले कुछ लोग आये और मेरा परिचय लेने के बाद मुझे आतंकवादी बताया एवं मेरे द्वारा विरोध करने पर मुझे मारना पीटना शुरू कर दिया। मुझे सोने नहीं दिया गया नमाज नहीं पढ़ने दिया गया। इस दौरान करेन्ट लगाया जाता, नंगा करके पीटा जाता, पेशाब व शराब पिलाया जाता और मुंह में गंदी चीजें ठूस दी जातीं, मुझे मनमुताबिक बयान देने के लिए सीओ आनंद, इंस्पेक्टर शर्मा, दरोगा शुक्ला और ओ.पी.पाण्डे द्वारा दबाव बनाया जाता। इस बीच समय-समय पर डी.आई.जी. एस.एस.पी.अमिताभ यश और ए.डी.जी. बृजलाल भी आते, दिनांक 18 दिसम्बर 2007 की रात में आई.जी., डी.आई.जी., ए.एस.पी. अमिताभ यश और एस.एस.पी. अखिल कुमार, आई.जी.जो और ए.डी.जी. बृजलाल आये और मुझसे बहुत देर तक पूछताछ करते रहे। 19 दिसम्बर 2007 को भी कुछ अफसरान आये और मुझसे पूछताछ की गयी और मुझे मार-पीट कर डीजीपी के सामने पेश कर रटाई गयी काहनी कहलवायी गयी और वीडियो रिकॉर्डिंग की गयी। बाद में रचे गये षडयंत्र के अनुसार मुझे 4 बजे लखनऊ से गाड़ियों के काफिले के साथ ऐसी जगह ले जाया गया जहां ट्रेन की आवाजें आ रही थीं जिससे लग रहा था कि यह रेलवे स्टेशन है। इसके बाद सुबह 6-7 बजे पुलिस स्टेशन लाया गया। बाराबंकी जेल मे भी सादे कागजों पर हस्ताक्षर करवाये गये और वहां भी मार-पीट की गयी दिनांक 24.12.2007 को लखनऊ जेल में मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया जहां हमने अपनी आप बीती सुनायी और रिमांड पर न देने की दरख्वास्त की लेकिन हमारी नहीं सुनी गयी और रिमांड पर लेने के बाद एसटीएफ ऑफिस में रखा गया रिमांड के बाद भी हमारे साथ मारपीट की गयी व 18 जनवरी 2008 को रिमांड के बाद भी जेल में जाकर अधिकारी हमें धमकाते रहे।
परिवाद में वर्णित मुख्य आरोप-
यह कि दिनांक 12.12.2007 को शंकरपुर रानी की सराय से कुछ आगे से पुलिसकर्मियों द्वारा उठा ले जाना एवं बनारस तथा लखनऊ में रखना।
यह कि वी.के.सिंह, वीरेन्द्र आदि पुलिसकर्मियों तथा ड्राइवर जसवंत सिंह का नाम लिया जाना।
यह कि अनाधिकृत रूप से पुलिस कर्मियों द्वारा सदोश परिरोध करना।
यह कि मोबाइल पुलिस कर्मियों के कब्जे में रखना।
यह कि पुलिस कर्मियों द्वारा यातना देना।
यह कि सदोश परिरोध की अवधि में सीओ एस. आनन्द एवं अन्य पुलिस कर्मियों द्वारा कचहरी ब्लास्ट को स्वीकार किये जाने हेतु दबाव देना।
यह कि सदोश परिरोध की अवधि में एस.एस.पी.अमिताभ यश, आई.जी., डी.आई.जी. तथा डी.जी.पी. विक्रम सिंह, एडीजी बृजलाल द्वारा पूछताछ करना।
यह कि फर्जी बरामदगी और झूठे आरोपों में चालान किया जाना।
यह कि पुलिस कस्टडी रिमांड के दौरान पुलिस कर्मियों द्वारा दुर्व्यवहार करना।
यह कि दिनांक 12.12.2007 को पुलिस कर्मियों द्वारा जबरन मोटर साइकिल को उठा ले जाना।
इस साक्षी ने यह भी कहा है कि अभियुक्तगणों की शिकायत के असत्य एवं निराधार होने के पुष्टिकारक आधार-
यह कि अभियुक्तगणों का यह कथन कि उन्हें गिरफ्तारी की दिनांक 22.12.07 से पूर्व पुलिसकर्मियों द्वारा उठा लिया गया एवं सदोश परिरोध किया, असत्य एवं निराधार है क्योंकि-
यह कि मु.अ.सं. 1891/07 थाना कोतवाली बाराबंकी के अन्तर्गत अभियुक्तगणों की गिरफ्तारी के समय बरामदगी में अभियुक्तगणों के कब्जे से दिनांक 16.12.07 को वाराणसी से जौनपुर का यू.पी.रोडवेज की बस का टिकट बरामद हुआ है जो अभियुक्तगणों के स्वछंद विचरण का पुष्टिकारक अभिलेखीय साक्ष्य है। जिससे प्रमाणित होता है कि अभियुक्तगणों द्वारा पुलिसकर्मियों पर लगाये गये आरोप असत्य एवं निराधार है।
यह कि मु.अ.सं. 1891/07 थाना कोतवाली बाराबंकी के अंतर्गत अभियुक्तगणों की गिरफ्तारी के समय बरामदगी में अभियुक्त तारिक के कब्जे से उ.रे.साइकिल स्टैंड वाराणसी की एक पर्जी नं. 030719 बरामद हुयी जिसके सत्यापन से यह ज्ञात हुआ कि अभियुक्तगणों द्वारा स्पेलेंडर मोटरसाइकिल बिना नंबर की दिनांक 16.12.2007 को अर्थात् गिरफ्तारी से 6 दिन पूर्व अभियुक्तगणों द्वारा मोटरसाइकिल को जमा करने पर प्राप्त की गयी थी। जिससे स्वतः स्पष्ट है कि अभियुक्तगणों द्वारा लगाया गया आरोप कि मोटरसाइकिल दिनांक 12.12.07 को पुलिस कर्मियों द्वारा जबरन उठा ली गयी थी, असत्य एवं निराधार है। महज पेशबंदी एवं न्यायिक विचारण में लाभ पाने के उद्देश्य से लिखाया गया है।
यह कि अभियुक्तगणों का यह आरोप है उन्हें सदोश परिरोध में रखकर यातना दी गयी है, असत्य एवं निराधार है क्योंकि अभियुक्तगणों चिकित्सकीय परीक्षण हेतु प्रस्तुत किया गया जिसमें परिवाद में वर्णित अमानवीय एवं मारपीट संबंधी यातनाओं के संबंध में कोई पुस्टिकारक चिकिस्तकीय साक्ष्य उपलब्ध नहीं हुआ है। जिससे प्रमाणित है कि परिवादी द्वारा यातना दिये जाने संबंधी प्रार्थना पत्र में वर्णित आरोप असत्य एवं निराधार है।
यह कि अभियुक्तगणों का यह आरोप कि उन्हें सदोष परिरोध में रखकर यातना दी गयी है, असत्य एवं निराधार है क्योंकि अभियुक्तगणों को गिरफ्तारी के उपरान्त मां. न्यायालय के समक्ष सर्वप्रथम रिमांड हेतु प्रस्तुत किया गया किन्तु अभियुक्तगणों द्वारा मा. न्यायालय के समक्ष किसी भी प्रकार के दुर्व्यवहार अथवा मारपीट किये जाने के संबंध में किसी भी प्रकार का मौखिक अथवा लिखित परिवाद प्रस्तुत नहीं किया गया जबकि अभियुक्तगणों को मा. न्यायालय के समक्ष अपना परिवाद प्रस्तुत किये जाने का पर्याप्त अवसर एवं विधिक अधिकार प्राप्त था। दोनों अभियुक्तों द्वारा पुलिस कस्टडी रिमांड के दौरान टार्चर किये जाने के आरोप असत्य एवं पुलिस को परेशान करने के उद्देश्य से लगाये गये हैं। मानवाधिकार आयोग एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार इनका मेडिकल परीक्षण डाक्टरों द्वारा किया जाता था। जिसमें इनके साथ किसी प्रकार का टार्चर किये जाने का साक्ष्य नहीं है। एक लम्बी अवधि बीत जाने के उपरान्त पुलिस कर्मियों पर लगाये गये आरोपों का उद्देश्य महज हैरान व परेशान किया जाना, पेशबंदी एवं कानूनी पेंचदगी पैदा करने न्यायिक विचारण में लाभ उठाना है।
यह कि लखनऊ, फैजाबाद एवं वाराणसी कचेहरी में हुए सीरियल ब्लास्ट के अपराध को जबरन स्वीकार कराये जाने संबंधी आरोप असत्य एवं निराधार हैं क्योंकि अभियुक्तगण पूर्व से ही लखनऊ, फैजाबाद एवं वाराणसी कचेहरी में हुए सीरियल ब्लास्ट की विवेचना में प्रकाश में आ चुके थी और इनकी गिरफ्तारी के लिए पतारसी, सुरागसी एवं दबिश की कार्यवाही की जा रही थी इसी क्रम में 18.12.07 को अभियुक्तगणों के घरों पर दबिश दी गयी थी, जहां पर बड़ी मात्रा में जेहादी साहित्य बरामद हुआ था। ऐसी परिस्थिति में जबकि अभियुक्तगण इन घटनाओं में पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर प्रकाश में थे तो ऐसी स्थिति में गिरफ्तारी के उपरान्त जबरन घटनाओं को कुबूल कराया जाना किसी भी रूप में औचित्वपूर्ण नहीं हो सकता । विवेचना में पर्याप्त साक्ष्य पाये जाने पर ही बाराबंकी में विस्फोटक बरामदगी एवं लखनऊ व फैजाबाद में हुए सीरियल ब्लास्ट की घटनाओं में साक्ष्यों के आधारों पर आरोप पत्र प्रेषित किया गया।
यह कि दिनांक 22.12.07 को अभियुक्तगणों की गिरफ्तारी के उपरान्त उच्चाधिकारियों को मात्र सूचना प्रेषित की गयी थी। दिनांक 22.12.07 के पूर्व व पश्चात भी डीजीपी विक्रम सिंह, ए.डी.जी. श्री बृजलाल एसएसपी एसटीएफ श्री अमिताभ यश, तत्कालीन एसएसपी लखनऊ श्री अखिल कुमार अथवा अन्य किसी उच्चाधिकारी द्वारा हिरासत में लिये गये अभियुक्तगणों से कोई पूछताछ नहीं की गयी। यह आरोप असत्य एवं निराधार है महज पेशबंदी एवं कानूनी पेंचीदगी उत्पन्न कर न्यायिक विचारण में लाभ अर्जित किये जाने के उद्देश्य से लगाया जा रहा है क्योंकि गिरफ्तारी के उपरान्त संबंधित अभियोग के विवेचनाधिकारी एवं गिरफ्तारी करने वाले पुलिस बल द्वारा नियमानुसार विधिसम्मत स्वयप में अभियुक्तगणों से पूछताछ की गयी थी।
यह कि अभियुक्तगणों द्वारा लगाये गये आरोप सत्र न्यायालय में प्रचलित न्यायिक विचारण का भी भाग है। मा. न्यायालय द्वारा विचारण की प्रक्रिया में परीक्षण के उपरान्त निर्णय के माध्मय से निर्णीत किया जायेगा कि पुलिसकर्मियों द्वारा अभियुक्तगणों की गिरफ्तारी, बरामदगी एवं विभिन्न आरोप पत्रों में वर्णित आरोप सत्य हैं अथवा असत्य हैं। अभियुक्तगणों द्वारा अपनी सफाई की प्रक्रिया में मा. न्यायालय के समक्ष परिवाद में वर्णित समस्त आरोपों को प्रस्तुत करने का पर्याप्त एवं विधिक अवसर प्राप्त होगा। मा.न्यायालय द्वारा न्यायिक प्रक्रिया में अभियुक्तगणों के द्वारा परिवाद में वर्णित आरोपों का परीक्षण के उपरान्त गुण दोष के आधार पर निर्णय पारित किया जायेगा।
यह कि फर्जी आरोप में अभियुक्तगणों को जेल जाने का आरोप असत्य एवं निराधार है क्योंकि इनके कब्जे से विस्फोटक की बरामदगी हुयी थी जिसके संबंध में दिनांक 22.12.07 को मु.अ.सं. 1891/07 धारा 121 / 121ए / 122 / 124ए / 332 भा.द.सं. एवं 4 / 5 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम व 16 / 18 / 20 / 23 अनलॉफुल एक्टिविटीज एक्ट (प्रिवेन्शन) थाना कोतवाली बाराबंकी में पंजीकृत हुआ था विवेचना में पर्याप्त साक्ष्य होने पर अभियोजन स्वीकृति के उपरान्त आरोप आरोप पत्र मा.न्यायालय प्रेषित किया गया, मा. न्यायालय द्वारा आरोप पत्र पर संज्ञान लेकर अभियुक्तगणों के विरूद्ध न्यायिक आदेश पारित करते हुए आरोप पत्र पर संज्ञान लेकर अभियुक्तगणों के विरूद्ध न्यायिक आदेश पारित करते हुए आरोप निर्धारित किये हैं एवं साक्ष्य की प्रक्रिया प्रचलित है।
यह कि फर्जी आरोप में अभियुक्तगणों को जेल जाने का आरोप असत्य एवं निराधार है क्योंकि इनका नाम फैजाबाद एवं लखनऊ कचेहरी में हुए सीरीयल ब्लास्ट के संबंध में मु.अ.सं. 3398 /07 धारा 302/307 121ए भा.द.सं. व 3 /4 /5 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम व 15/ 16 प्रिवेन्शन ऑफ अनलॉफुल एक्टिविटीज एक्ट थाना कोतवाली नगर फैजाबाद एवं मु.अ.सं. 547/07 धारा 115/ 120बी/ 121/ 121ए/ 122/ 124ए/ 307 भादवि व धारा 16/ 18/ 20/ 23 अनलाफुल प्रिवेन्शन एक्ट थाना वजीरगंज लखनऊ की विवेचना में पर्याप्त साक्ष्य होने पर अभियोजन स्वीकृति के उपरान्त आरोप पत्र मा. न्यायालय प्रेषित किया गया, मा. न्यायालय द्वारा आरोप पत्र पर संज्ञान लेकर अभियुक्तगणों के विरूद्ध न्यायिक आदेश पारित करते हुए आरोप निर्धारित किये हैं एवं साक्ष्य की प्रक्रिया प्रचलित है।
इस शपथकर्ता ने अपने शपथपत्र में कहा है कि उसके संज्ञान में आये सभी तथ्यों को वास्तविक स्वरूप में माननीय आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर दिया है। आरोपियों से संबंधित अन्य ऐसी महत्वपूर्ण संवेदनशील सूचनाएं शपथकर्ता राष्ट्रीय सुरक्षा एवं अखंडता को दृष्टिगत रखते हुए शपथपत्र के माध्यम से सार्वजनिक रूप से अनावरित किया जाना राष्ट्रीय सुरक्षा एवं हित के प्रतिकूल होगा, क्योंकि ऐसी सूचना के सार्वजनिक किये जाने से आतंकवादी एवं राष्ट्र विरोधी ताकतों के विरूद्ध प्रचलित कार्यवाही पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना संभावित है। इस साक्षी ने यह भई कहा है कि वह माननीय आयोग को शपथ पत्र में वर्णित कथनों एवं तथ्यों से अवगत होने के उपरान्त दोनों आरोपी से संबंधित सूचनाओं को शपथकर्ता माननीय आयोग को अवगत करा देगा। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि संबंधित अभियोग की विवेचनाधिकारियों के अतिरिक्त अन्य प्रचलित अभियोगों में संबंधित अन्य स्वतंत्र साथियों को प्रस्तुत करने का अवसर चाहता है, और आयोग के समक्ष अभिलेखीय साक्ष्य एवं शपथ-पत्र प्रस्तुत कर रहा है। जिससे यह प्रमाणित है कि आरोपियों ने जो आरोप लगाये हैं वह असत्य एवं निराधार द्वेषभाव से पुलिस बल के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के उद्देश्य से लगाये गये हैं। पेशबंदी, विधिक जटिलटाएं उत्पन्न किये जाने के उद्देश्य से एवं भविष्य में आतंकवादियों के विरूद्ध प्रचलित कार्यवाहियों को प्रभावित किये जाने के उद्देश्य से न्यायगत विचारण में विधिक जटिलताओं का लाभ अर्जित किये जाने हेतु आरोपियों द्वारा परिवाद पत्र प्रस्तुत किये गये हैं, जो पूरी तरह से असत्य एवं निराधार हैं।
श्री विक्रम सिंह तत्कालीन पुलिस महानिदेशक होमगार्ड पी डब्ल्यू 34 ने दिनांक 28.01.10 को शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा कि मुकदमा अपराध संख्या 1891/07 थाना कोतवाली, जनपद बाराबंकी में मो. खालिद मुजाहिद पुत्र स्व.जमीर मुजाहिद निवासी 37 महतवाना थाना मडियाहूँ जिला जौनपुर एवं मो. तारिक कासमी पुत्र श्री रियाज अहमद निवासी सम्मोपुर थाना रानी की सराय जिला आजमगढ़ की अपराध में संलिप्तता के तथ्यों एवं उत्तरदायित्वों की जांच की जा रही है। यह कि उपरोक्त जांच के संदर्भ में उसे शपथपत्र के माध्यम से कथन प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया था, उक्त क्रम में वह शपथपत्र के माध्यम से अपना कथन प्रस्तुत कर रहा है। यह कि वह दिनांक 22.12.2007 को पुलिस महानिदेशक उ.प्र. के पद पर कार्यरत था। यह कि अभियुक्त खालिद मुजाहिद के द्वारा मुझ पर निन्नलिखित आरोप लगाये गये हैं-गिरफ्तारी शो करने से पहले डीजीपी विक्रम सिंह भी आये थे। तारिक कासमी द्वारा निम्नलिखित आरोप लगाये गये हैं- दिनांक 18 दिसम्बर 07 की रात में डीजीपी विक्रम सिंह आये और मुझसे बड़ी देर तक पूछताथ करते रहे। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि दोनों आरोपियों का कथन पूर्णतया असत्य एवं पेशबंदी में दियागया है कि गिरफ्तारी से पूर्व मेरे द्वारा इनसे पूछताछ की गयी थी। वास्तविकता यह है कि इन्हें दिनांक 22.12.2007 को एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ के उच्चाधिकारियों द्वारा दोनों व्यक्तियों के इंट्रोगेशन से हुई जानकारी से मुझे अवश्य अवगत कराया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि दोनों आरोपियों द्वारा उस पर आरोप महज पेशबंदी एवं कानूनी पेचीदगी उत्पन्न करने एवं न्यायिक विचारण के दौरान लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से लगाये गये हैं।
श्री अमिताभ यश, तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, सीतापुर, पी.डब्ल्यू-35 ने दिनांक 07.01.2010 को शपथपत्र प्रस्तुत किया है जिसमें कहा है कि मुकदमा अपराध सं. 1891/07 थाना कोतवाली जनपद बाराबंकी में मो. खालिद मुजाहिद पुत्र स्व.जमीर मुजाहिद निवासी 37 महतवाना थाना मडियाहूँ जिला जौनपुर एवं मो. तारिक कासमी पुत्र श्री रियाज अहमद निवासी सम्मोपुर थाना रानी की सराय जिला आजमगढ़ की अपराध में संलिप्तता के तथ्यों एवं उत्तरदायित्वों की जांच की जा रही है। यह कि उपरोक्त जांच के संबंध में उसे शपथपत्र के माध्यम से कथन प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया था, उक्त क्रम में वह शपथपत्र के माध्यम से अपना कथन प्रस्तुत कर रहा है। यह कि साक्षी उस समय स्पेशल टास्क फोर्स उ.प्र. लखनऊ में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पद पर कार्यरत था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि दिनांक 22.12.07 को एसटीएफ के पुलिस उपाधीक्षक श्री एस.आनंद, निरीक्षक अविनाश मिश्रा, उप निरीक्षक श्री विनय कुमार सिंह व उप निरीक्षक धनंजय मिश्रा व उप निरीक्षक श्री ओ.पी.पाण्डेय को रात्रि 2.30 बजे सूचना मिली कि कुछ संदिग्ध व्यक्ति बाराबंकी रेलवे स्टेशन के पास करीब 6.00 बजे प्रातः आने वाले हैं जिनके संबंध आतंकवादी संगठन से है। उस समय ऑफिस पर श्री चिरंजीव नाथ सिन्हा, तत्कालीन क्षेत्राधिकारी चौक लखनऊ भी मौजूद थे। उक्त सूचना पर अपर पुलिस अधीक्षक श्री मनोज कुमार झा के परिवेक्षण में चार टीमें बाराबंकी स्टेशन पर सूचना के अनुसार लग गयीं तथा उनके द्वारा बाराबंकी रेलवे स्टेशन के सामने खालिद मुजाहिद पुत्र स्व.जमीर मुजाहिद 37 महतवाना थाना मडियाहूँ जिला जौनपुर एवं मो. तारिक कासमी पुत्र श्री रियाज अहमद निवासी सम्मोपुर थाना रानी की सराय जनपद आजमगढ़ को अन्य वस्तुओं के अतिरिक्त जिलेटिन राड्स, डेटोनेटर तथा हाई एक्सप्लोसिव के साथ गिरफ्तार किया गया था। दोनों व्यक्तियों ने गिरफ्तारी करने वाली टीम को पूछताछ के दौरान जनपद लखनऊ, फैजाबाद व बनारस की कचेहरियों में दिनांक 23.11.2007 को सीरियल ब्लास्ट करने की बात स्वीकार की एवं घटना में शामिल अपने अन्य साथियों के नाम भी बताये। उन दोनों के विरुद्ध थाना कोतवाली जनपद बाराबंकी में मु.अ.सं. 1891/07 धारा 121 / 121ए / 122 / 124ए / 332 भा.द.सं. एवं 4 / 5 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम व 16 / 18 / 20 एवं 23 विधि विरूद्ध क्रिया कलाप निवारण अधिनियम वादी चिंरजीव नाथ सिन्हा तत्कालीन क्षेत्राधिकारी चौक जनपद लखनऊ द्वारा पंजीकृत कराया गया।
उस पर खालिद मुजाहिद के द्वारा निन्नलिखित आरोप लगाये गये-उसके द्वारा जेल में आकर सरकारी गवाह बनने के लिए दवाब डाला गया। उस पर तारिक कासमी द्वारा निम्नलिखित आरोप लगाये गये- 1. दिनांक 18 दिसम्बर 07 की रात में अमिताभ यश कई अधिकारियों के साथ आये और मुझसे बड़ी देर तक पूछताछ करते रहे। 2. दिनांक 17 जनवरी 2008 को मुझे अमिताभ यश की ऑफिस ले जाया गया सरकारी गवाह बनने का प्रस्ताव रखा गया। मना करने पर जेल में सड़ा देने की धमकी दी गयी।
इस साक्षी ने यह भी कहा है कि उपरोक्त आरोपों के संबंध में उसका यह कथन है कि उपरोक्त दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी दिनांक 22.12.07 को एसटीएफ द्वारा बाराबंकी रेलवे स्टेशन के सामने से की गयी थी। अतः यह कथन कि दिनांक 18 दिसम्बर 07 की रात में मेरे द्वारा धमकी दिया गया पूर्णतः असत्य, निराधार एवं भ्रामक है तथा मात्र पेशबंदी में दिया गया है।
इस साक्षी ने यह भी कहा है कि तारिक कासमी का यह आरोप कि दिनांक 17.01.08 को कार्यालय में लाकर सरकारी गवाह बनाने का प्रस्ताव मेरे द्वारा रखा गया व धमकी दी गयी पूर्णतः असत्य,भ्रामक एवं निराधार है तथा मात्र पेशबंदी में दिया गया है। उसके द्वारा कभी भी तारिक को अपने कार्यालय में नहीं बुलाया गया न ही कभी पूछताछ की गयी। यह भी उल्लेखनीय है कि इस दौरान दोनों जिला पुलिस की कस्टडी में थे और एसटीएफ की कस्टडी में नहीं थे।
इस साक्षी ने यह भी कहा है कि खालिद मुजाहिद द्वारा लगाया गया आरोप कि जेल में जाकर उसके द्वारा सरकारी गवाह बनने के लिए दबाव दिया गया था धमकी दी गयी पूर्णतः असत्य एवं निराधार है इस अवधि में मेरे द्वारा जेल में जाकर किसी भी अपराधी से पूछताछ नहीं की गयी। यह भी उल्लेखनीय है कि जेल मैनुअल के अनुसार कोई व्यक्ति यदि जेल में आता है उसकी इन्ट्री व इक्जिट रजिस्टर में नोट की जाती है। उसने यह भी कहा कि दोनों आरोपियों के विरूद्ध पर्याप्त साक्ष्य थे अतः सरकारी गवाह बनने का दबाव देने का कोई औचित्य नहीं है।
श्री बृजलाल तत्कालीन अपर पुलिस महानिदेशक, कानून व्यवस्था एवं अपराध, पी.डब्ल्यू-36 ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि मा.आयोग द्वारा मुकदमा अपराध सं.1891/07 थाना कोतवाली जनपद बाराबंकी में मो. खालिद मुजाहिद पुत्र स्व.जमीर मुजाहिद निवासी 37 महतवाना थाना मडियाहूँ जिला जौनपुर एवं मो. तारिक कासमी पुत्र श्री रियाज अहमद निवासी सम्मोपुर थाना रानी की सराय जिला आजमगढ़ की अपराध में संलिप्तता के तथ्यों एवं उत्तरदायित्वों की जांच की जा रही है। साक्षी ने यह भी कहा है कि उपरोक्त जांच के संबंध में वह शपथपत्र के माध्यम से कथन प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया था, उक्त क्रम में वह शपथपत्र के माध्यम से अपना कथन प्रस्तुत कर रहा है। यह कि दिनांक 22.12.2007 को अपर पुलिस महानिदेशक, कानून-व्यवस्था एवं अपराध उ.प्र. लखनऊ के पद पर कार्यरत है। यह कि खालिद मुजाहिद के द्वारा उस पर निम्नलिखित आरोप लगाये गये हैं-1.गिरफ्तारी शो करने से पहले एडीजी बृजलाल भी आये थे। तारिक कासमी द्वारा निम्न लिखित आरोप लगाये गये हैं- दिनांक 18 दिसम्बर 07 की रात में एडीजी बृजलाल आये और मुझसे बड़ी देर तक पूछताछ करते रहे।
इस साक्षी ने यह भी कहा है कि दोनों अभियुक्तों का कथन पूर्णतया असत्य एवं पेशबंदी में दिया गया है कि गिरफ्तारी से पूर्व मेरे द्वारा इनसे पूछताछ की गयी थी। वास्तविकता यह है कि इन्हें दिनांक 22.12.2007 को एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ के उच्चाधिकारियों द्वारा दोनों व्यक्तियों के इन्ट्रोगेशन से हुई जानाकरी से मुझे अवगत कराया गया था।
इस साक्षी ने यह भी कहा है कि दोनों अभियुक्तों द्वारा उन पर आरोप महज पेशबंदी एवं कानूनी पेजीदगी उत्पन्न करने एवं न्यायिक विचारण के दौरान लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से लगाये गये हैं।
शिव कुमार पी.डब्ल्यू 37, निवासी मोहम्मद लखपेड़ा बाग थाना कोतवाली नगर तहसील नवाबगंज जिला बाराबंकी ने शपथपत्र प्रस्तुत किया है और यह कहा है कि वह दिनांक 22.12.2009श्रीराम बनकुटीर आश्रम से सुबह करीब 7 बजे वापस घर जा रहा था तो देखा कि रेलवे स्टेशन बाराबंकी पर पुलिस की गाडी व तमाम कारें खड़ी और काफी भीड़भाड़ लगी है तथा ज्यादा संख्या में पुलिस के लोग मौजूद हैं। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसने पास जाकर मालूम किया कि यह लोग क्यों भीड़ लगाये खड़े हैं, तो वहां पर मौजूद लोगों ने बताया कि दो आतंकवादी पकड़े गये हैं। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके साथ आलोक तिवारी पुत्र बाबू राम तिवारी निवासी जमुरिया नाला के पास फैजाबाद रोड बाराबंकी भी थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि पकड़े गये आतंकवादियों के पास से विस्फोटक बरामद हुआ था।
आलोक तिवारी पी.डब्ल्यू 38 निवासी जमुरिया नाला फैजाबाद रोड़ तहसील नवाबगंज जिला बाराबंकी ने शपथपत्र प्रस्तुत किया है और यह कहा है कि वह दिनांक 22.12.2009 को वह दिनांक 22.12.2009 श्रीराम बनकुटीर आश्रम से सुबह करीब 7 बजे वापस घर जा रहा था तो देखा कि रेलवे स्टेशन बाराबंकी पर पुलिस की गाडी व तमाम कारें खड़ी और काफी भीड़भाड़ लगी है तथा ज्यादा संख्या में पुलिस के लोग मौजूद हैं। इस साक्षी ने यह भी कहा कि शपथकर्ता ने पास जाकर मालूम किया कि यह लोग क्यों भीड़ लगाये खड़े हैं, तो वहां पर मौजूद लोगों ने बताया कि दो आतंकवादी पकड़े गये हैं। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके साथ शिव कुमार पुत्र रामचन्द्र निवासी मोहम्मद लखपेड़ा बाग बाराबंकी भी थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि पकड़े गये आतंकवादियों के पास से विस्फोटक बरामद हुआ है।
संजय मिश्रा पी.डब्ल्यू 39 निवासी सिविल लाइन तहसील नवाबगंज जिला बाराबंकी ने शपथपत्र प्रस्तुत किया कि वह दिनांक 22.12.2009 को सुबह करीब 6.30 बजे टहलने गया था।टहलते टहलते रेलवे स्टेशन बाबाबंकी तक गया जहां पर पुलिस की गाड़ी व कारें खड़ी थीं काफी भीड़ लगी थी उस स्थान पर ज्यादा संख्या में पुलिस मौजूद थी वहीं पर शैलेन्द्र श्रीवास्तव भी आ गये थे। इस साक्षी ने व शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने जाकर मालूम किया तो वहां पर मौजूद तमाम लोग क्यों मौजूद हैं, तो लोगों ने बताया कि दो आतंकवादी पकड़े गये हैं। साक्षी ने यह भी कहा कि आतंकवादियों के पास से विस्फोटक भी बरामद हुआ है।
शैलेन्द्र श्रीवास्तव पी.डब्ल्यू 40 निवासी सिविल लाइन तहसील नवाबगंज जिला बाराबंकी ने 25.02.2010 को शपथ पत्र प्रस्तुत किया। इसने दूसरे शपथपत्र दिनांक 12.09.2011 को प्रस्तुत किया है। जिसमें कहा है कि वह दिनांक 22.12.2007 को सुबह करीब बजे टहलने गया था। साक्षी ने यह भी कहा कि उसने रेलवे स्टेशन बाबाबंकी पर स की गाड़ी व कारें खड़ी थीं काफी भीड़ लगी थी यह कि उस स्थान पर ज्यादा संख्या में पुलिस मौजूद थी। वहीं शपथकर्ता को संजय मिश्रा भी मिले थे। यह उसने पास जाकर मालूम किया तो वहां पर मौजूद तमाम लोगों लोगों ने बताया कि दो आतंकवादी पकड़े गये हैं। उसने यह भी कहा कि आतंकवादियों के पास से विस्फोटक भी बरामद हुआ है। इस साक्षी ने यह भी कहा कि इससे पूर्व जो शपथपत्र दिनांक 25.02.2010 को श्रीमान जी के समक्ष प्रस्तुत किया था उसमें टाइप की त्रुटिवश दिनांग 22.12.2007 के स्थान पर 22.12.2009 अंकित हो गया था।
श्री गुलाब चन्द्र पाण्डेय,वरिष्ठ उप निरीक्षक थाना बांगरमऊ जनपद उन्नाव पी.डब्ल्यू 41 शपथपत्र प्रस्तुत किया गया है और कहा है कि माननीय आयोग द्वारा मु.अ.सं. 1891/07 थाना कोतवाली जनपद बाराबंकी में मो. खालिद मुजाहिद, पुत्र स्वर्गीय जमीर मुजाहिद, निवासी 37, महतवाना मुहल्ला थाना मडियाहूँ, जिला जौनपुर एवं मो. तारिक कासमी, पुत्र रियाज अहमद निवासी सम्मोपुर थाना रानी की सराय, जिला आजमगढ़ की अपराध में संलिप्तता के तथ्यों एवं उत्तर दायित्वों की जांच की जा रही है। इस साक्षा ने यह भी कहा कि उपरोक्त जांच के संदर्भ में वह थपथपत्र के माध्यम से कथन प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया था। उक्त क्रम उसके द्वारा शपथ पत्र के माध्यम से अपना कथन प्रस्तुत कर रहा है। साक्षी थाना बांगरमऊ जनपद उन्नाव में वरिष्ठ उपनिरीक्षक के पदपर कार्यरत है। इस साक्षी ने यह भी कहा कि दिनांक 22.12.2007 को वरिष्ठ उपनिरीक्षक थाना चौक लखनऊ के पद पर नियुक्त था। तत्कालीन क्षेत्राधिकारी चौक लखनऊ श्री चिरंजीव नाथ सिन्हा जो मु.अ.सं. 547/07 धारा 115/120बी. /121/122ए/122/124ए/ 307 भा.द.वि. व धारा 16/18/20/23 विधि विरूद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम के विवेचक थे, के साथ एवं एस.टी.एफ. की टीम के साथ मय मुखबिर के बाराबंकी रेलवे स्टेशन के सामने आया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि दिनांक 22.12.2007 को समय लगभग 06.15 बजे एस.टी.एफ. टीम एवं पुलिस टीम के द्वारा मुखबिर के इशारे पर बाराबंकी रेलवे स्टेशन के सामने दो व्यक्ति 1. खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद 2. मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद पकड़े गये थे। जामा तलाशी से खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाली वस्तुओं के अलावा 09 अदद जिलेटिन राड, 03 अदद डेटोनेटर, 01 मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व 2 अदद अतिरिक्त सिमकार्ड एवं 350 रूप. नकद बरामद हुए थे। मो. तारिक कासमी के पास बैग से 03 अदद डेटोनेटर, 1.25 कि.ग्रा. हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), 01 मोबाइल फोन, मय सिमकार्ड व अतिरिक्त सिम कार्ड, 01 रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, चाभी का गुच्छा व 300 रू. नकद बरामद हुए थे।
इस साक्षी ने यह भी कहा कि मेरे सामने अधिकारियों ने इन व्यक्तियों से पूछताछ की थी तो उन्होंने अपने को प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी होना बताया था एवं 23.11.2007 को लखनऊ कचहरी में हुए विस्फोट की घटना में शामिल होना बताया था व फैजाबाद कचहरी में हुए विस्फोट की घटना में भी शामिल रहे एवं अपने साथियों के नाम व पते व कार्यविधि की बतायी थी।
इस साक्षी ने यह भी बताया कि बरामदगी, गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त वहीं मौके पर ही श्री चिरंजीव नाथ सिन्हा क्षेत्राधिकारी चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोलकर पर उपनिरीक्षक श्री धनंजय मिश्रा एस.टी.एफ. से लिखवायी थी और पढ़कर हमें सुनाई थी। फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही पाकर मैंने फर्द पर अपने गवाही के हस्ताक्षर बनाये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तार किये गये उपरोक्त दोनों व्यक्ति व उनके पास से बरामद समस्त सामग्री व फर्द एवं अन्य सम्बंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी में नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तार आतंकवादी द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की, की गई गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि इन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था।
इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के पश्चात एवं पुलिस कस्टडी रिमांड के दौरान अभियुक्तों केसाथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त कथन के अतिरिक्त अन्य कोई भी तथ्य मेरी जानकारी में नहीं है समस्त आरोप असत्य एवं निराधार है।
अभियोग की तरफ से प्रस्तुत कान्स.ओम नारायन सिंह पी.डब्ल्यू-42 एस.ओ.जी. इलाहाबाद ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि मा. आयोग द्वारा मुकदमा अपराध सं. 1891/07 थाना कोतवाली जनपद बाराबंकी में मो. खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद निवासी 37 महतवाना थाना मडियाहूँ जिला जौनपुर एवं मो. तारिक कासमी पुत्र श्री रियाज अहमद निवासी सम्मोपुर थाना रानी की सराय जिला आजमगढ़ की अपराध में संलिप्तता के तथ्यों एवं उत्तरदायित्वों की जांच की जा रही है। यह कि उपरोक्त जांच के संदर्भ में उसे शपथपत्र के माध्यम से कथन प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया था, उक्त क्रम में वह शपथपत्र के माध्यम से अपना कथन प्रस्तुत कर रहा है। यह कि दिनांक 22.12.2007 को शपथकर्ता स्पेशन टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में ना.पु. के पद पर कार्यरत था. इस साक्षी ने यह भी कहा कि दिनांक 21/22.12.2007 की रात्रि कार्यालय एसटीएफ श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक,एसटीएफ, उ.प्र., लखनऊ द्वारा तलब कराकर प्राप्त सूचना विषयक संदिग्ध संदिग्ध आतंकवादियों के दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 06.00 बजे बाराबंकी रेलवे स्टेशन पर घाटत शस्त्र व विस्फोटक पदार्थ के साथ आने के बारे में उसे अवगत कराया एवं गिरफ्तारी हेतु 4 टीमों का गठन किया। उसने यह भी कहा कि उसे प्रथम टीम में रखा गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 04.30 बजे वह अपनी टीम के साथ कार्यालय एसटीएफ से रवाना होकर राजकीय वाहन सं. यूपी-32-बीजी/2054 से बाराबंकी पहुंचकर मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में बाराबंकी रेलवे स्टेशन के सामने नियुक्त हो गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि दिनांक 22.12.2007 को समय प्रातः 06.15 बजे दो व्यक्ति रिक्शे से आगर बाहर उतरकर किसी का इंतजार करने लगे। इसी दौरान मुखबिर ने इशारे से बताया यही दोनों आतंकवादी हैं। दोनों व्यक्तियों के हाथों में एक एक हैंडबैग था। दोनों व्यक्तियों को रूकने के लिए कहा गया, तो वह सकपका गये और तेजी से चलने लगे। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि जब पकड़ने का प्रयास किया तो दोनों लोग बैग खोलने की हरकत करने लगे। यह जानते हुए कि यह लोग आतंकवादी हैं, अन्य सदस्यों के साथ जान जोखिम में डालकर पकड़ लिया। पकड़े जाने के उपरान्त अन्य शेष टीमों को सूचना दी गयी कि यह दोनों व्यक्ति पकड़ लिये गये हैं तभी शेष टीमें मौके पर आ गयी थीं। इस साक्षी ने यह भी कहा कि घटना स्थल उसके सामने पकड़े गये दोनों व्यक्तियों ने पूछने पर अपने नाम क्रमशः 1- खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद व 2- मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि उसके सामने पकड़े गये व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, 1 मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए।
इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने अधिकारियों ने इन व्यक्तियों से पूछताछ की थी तो इन्होंने अपने को प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी होना बताया था एवं दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में शामिल रहे अपने साथियों के नाम, पते व कार्यविधि बतायी थी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि बरामदगी, गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त वहीं मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द उप निरीक्षक श्री धनन्जय मिश्रा से लिखवायी थी और पढ़कर सुनायी थी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर उसने फर्द पर गवाही हस्ताक्षर किये थे। इस साक्षी ने यह भी कहा कि उपरोक्त दोनों व्यक्ति तथा उनके पास से बरामद समस्ते सामग्री व फर्द एवं अन्य संबंधित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराया था। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के उपरान्त वह पुलिस कस्टडी में रिमांड के दौरान उनके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया था और उपरोक्त कथन के अतिरिक्त अन्य कोई तथ्य उसके संज्ञान में नहीं है एवं इन आतंकवादियों द्वारा लगाये गये समस्त आरोप स्वीकार नहीं हैं वह पूरी तरह से असत्य एवं निराधार हैं।
उपनिरीक्षक धनंजय मिश्रा पी.डब्ल्यू 45 ने शपथपत्र प्रस्तुत किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि मुकदमा अपराध संख्या 1891/07 थाना कोतवाली, जनपद बाराबंकी में मो. खालिद मुजाहिद, पुत्र स्वर्गीय जमीर मुजाहिद, निवासी 37, महतवाना मुहल्ला थाना मडियाहूँ, जिला जौनपुर एवं मो. तारिक कासमी, पुत्र रियाज अहमद निवासी सम्मोपुर थाना रानी की सराय, जिला आजमगढ़ की अपराध में संलिप्तता के तथ्यों एवं उत्तर दायित्वों की जांच की जा रही है।
साक्षी दिनांक 22.12.2007 को स्पेशल टास्क फोर्स, उ.प्र. लखनऊ में उपनिरीक्षक के पद पर कार्यरत था। साक्षी दिनांक 22.12.2007 को कार्यालय एसटीएफ में रात्रि में मौजूद था। एसटीएफ कार्यालय में उस समय पुलिस उपाधीक्षक श्री एस.आनन्द, निरीक्षक अविनाश मिश्रा, उ.नि. विनय कुमार सिंह, उ.नि. ओ.पी.पाण्डेय, सीओ चौक श्री चिरंजीव नाथ सिन्हा भी मौजूद थे। हम लोग माह नवम्बर 2007 में लखनऊ, फैजाबाद, बनारस कचहरी में हुए बस ब्लास्ट की घटना के संबंध में विचार विमर्श कर रहे थे। हम लोगों द्वारा तमाम मुखबिर घटना की जानकारी हेतु लगया गये थे कि रात्रि लगभग 2.30 बजे मुखबिर ने आकार यह सचूना दी कि कुछ संदिग्ध व्यक्ति बाराबंकी रेलवे स्टेशन पर प्रातः 6 बजे आने वाले हैं, जिनका संबंध आतंकवादी संगठन से है, जिनके पास घातक शस्त्र एवं विस्फोटक पदार्थ भी है जो किसी संगीन घटना को अंजाम देने की नीयत से लेकर आ रहे हैं। इस सूचना पर यकीन करके वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के निर्देशन पर अपन पुलिस अधीक्षक श्री मनोज कुमार झा के पर्यवेक्षण में चार टीमों का गठन किया गया था। प्रथम टीम मुझ उपनिरीक्षक को रखा गया था। यह कि दिनांक 22.12.2007 को प्रातः 04.30 बजे श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक, एस.टी.एफ. के साथ कार्यालय एसटीएफ से रवाना होकर राजकीय वाहन सं. यूपी-32-बीजी/2054 से बाराबंकी पहुंचकर मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक के हमराह बाराबंकी रेलवे स्टेशन के सामने नियुक्त हो गया था। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि दिनांक 22.12.2007 को समय प्रातः 06.15 बजे दो व्यक्ति रिक्शे से आगर बाहर उतरकर किसी का इंतजार करने लगे। इसी दौरान मुखबिर ने इशारे से बताया यही दोनों आतंकवादी हैं। दोनों व्यक्तियों के हाथों में एक एक हैंडबैग था। दोनों व्यक्तियों को रूकने के लिए कहा गया, तो वह सकपका गये और तेजी से चलने लगे। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि जब पकड़ने का प्रयास किया तो दोनों लोग बैग खोलने की हरकत करने लगे। यह जानते हुए कि यह लोग आतंकवादी हैं, अन्य सदस्यों के साथ जान जोखिम में डालकर पकड़ लिया। पकड़े जाने के उपरान्त अन्य शेष टीमों को सूचना दी गयी कि यह दोनों व्यक्ति पकड़ लिये गये हैं तभी शेष टीमें मौके पर आ गयी थीं। इस साक्षी ने यह भी कहा कि घटना स्थल उसके सामने पकड़े गये दोनों व्यक्तियों ने अपने अपने नाम क्रमशः खालिद मुजाहिद पुत्र जमीर मुजाहिद व मोहम्मद तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद बताया। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि उसके सामने पकड़े गये व्यक्तियों की जामा तलाशी अधिकारीगण द्वारा ली गयी तो खालिद मुजाहिद के पास बैग से रोजाना इस्तेमाल की वस्तुओं के अतिरिक्त 9 अदद जिलेटिन राड, 3 अदद डेटोनेटर, 1 मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व दो अदद अतिरिक्त सिम कॉर्ड एवं 350 रूपये नगद बरामद हुए। मोहम्मद तारिक कासमी के पास बैग में 3 अदद डेटोनेटर, 1.5 किलोग्राम हाई एक्सप्लोसिव पदार्थ (आर.डी.एक्स.), एक मोबाइल फोन मय सिम कार्ड व एक अतिरिक्त सिम कार्ड, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे साइकिल स्टैंड वाराणसी कैंट की पर्ची, स्पेलेंडर, दिनांक 16.12.2007, चाभी का गुच्छा व 300 रूपये नगद बरामद हुए।
इस साक्षी ने यह भी कहा कि उसके सामने अधिकारियों ने इन व्यक्तियों से पूछताछ की थी तो इन्होंने अपने को प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी होना बताया था एवं दिनांक 23.11.2007 को उसने लखनऊ में हुए विस्फोट में सम्मिलित होना बताया और फैजाबाद कचेहरी में भी हुए विस्फोट की घटना में शामिल रहे अपने साथियों के नाम, पते व कार्यविधि बतायी थी। इस साक्षी ने यह भी कहा कि बरामदगी, गिरफ्तारी व पूछताछ के उपरान्त वहीं मौके पर ही पुलिस उपाधीक्षक श्री सी.एन.सिन्हा, क्षेत्राधिकारी, चौक लखनऊ ने स्वयं बोल-बोल कर फर्द मुझसे लिखवायी थी। फर्द में लिखी घटना को पूरी तरह से सही लिखा पाकर मैंने फर्द पर अपने गवाही हस्ताक्षर बनाये थे। यह कि गिरफ्तार किये गये दोनों व्यक्ति व इनके पास से बरामद समस्त सामग्री व फर्द एवं अन्य सम्बन्धित अभिलेखों को थाना कोतवाली बाराबंकी नियमानुसार दाखिल कर अभियोग पंजीकृत कराये गये थे। यह कि आतंकवादियों द्वारा दिनांक 22.12.2007 से पूर्व की गयी गिरफ्तारी के संबंध में लगाये गये आरोप भ्रामक व असत्य हैं। वास्तविकता यह है कि उन्हें दिनांक 22.12.2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से विस्फोटक पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। यह कि गिरफ्तारी के उपरान्त एवं पुलिस कस्टडी रिमांड के दौरान इनके साथ किसी भी प्रकार की दुर्व्यवहार नहीं किया गया । उपरोक्त कथन के अतिरिक्त अन्य कोई तथ्य उसके संज्ञान में नहीं है एवं इन आतंकवादियों द्वारा लगाये गये समस्त आरोप स्वीकार नहीं हैं वह पूरी तरह से असत्य एवं निराधार हैं।
ओमवीर सिंह, सी.जे.एम., बीएसएनएल, लखनऊ सी डब्ल्यू-1 को तलब किया गया। उन्होंने शपथपूर्वक बयान में कहा है कि मोबाइल नंबर 9451253363 श्री दूधनाथ, खडवां पुत्र बरसाथी, जौनपुर, उ.प्र. के नाम पर जारी किया गया था। यह मोबाइल नं. दिनांक 21.02.06 से 24.06.08 तक काम किया और यह उसके फ्रेंचाइजी मै. शान्ति सर्विस स्टेशन प्रभा काम्पलेक्स, वजीदपुर तिराहा, जौनपुर के द्वारा बेचा गया था। जिन्होंने इसका फॉर्म जमा नहीं किया है। उसन्होंन यहभी कहा कि मोबाइल नं.9450047342 श्री आरिफ 9 सा मसूरन, सुल्तानपुर को दिया गया जो दिनांक 23.06.05 से 28.06.10 तक काम किया, जिसका फॉर्म मौजूद है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार के नियमानुसार कॉल डिटेल्स सिर्फ एक वर्ष तक रखने का प्रावधान है। यह कि उपरोक्त दोनों फोन नं. की कॉल डिटेल्स पहले किसी जांच एजेंसी द्वारा ली गई हो, इसकी सूचना वह रिकॉर्ड देखकर बता सकता है।
आयोग की तरफ से प्रस्तुत साक्षी मो. आसिफ सी डब्ल्यू-2 का परीक्षण किया गया इस साक्षी ने अपने मबयान में कहा है कि उसने सेलवन का मोबाइल सिम लेने के लिए बीएसएनएल का फॉर्म भरा था और उसने पहचान पत्र में वोटर आई.डी. कार्ड भी लगाया था। उसके फॉर्म जमा करने के 15 दिन बाद उसने घर वालों से 1000 रूपेय मांगा था लेकिन घर से पैसा न मिलने पर सिम नहीं खरीदा था। उसने यह भी कहा है कि उसने फॉर्म की आई डी दाखिल की गयी है उसमे बाद दूसरे को इसी फॉर्म पर सिम लिया था। बीएसएनएल दोस्तपुर में आफिस इंचार्ज शुक्ला जी थे तो फोन ठीक कराते थे और शुक्ल जी ने फॉर्म मांगने पर नहीं दिया था। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि उसके गांव के अबुसार पुत्र अबु तालिब को उसने रसीद दी थी उसने कहा था कि वह सिम निकलवा लेगा। उसने अबुसार से पूछा तो उसने कहा कि तुम्हारे जाने पर सिम मिलेगा। उसने अपनी रसीद मांगी तो अबुसार ने कहा कि रसीद खो गई है। उसने रसीद 5-6 दिन तक मांगी थी जब नहीं दी तो उसने मांगना छोड़ दिया। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि उसने नहीं मालूम कि उसके नाम से कोई सिम चल रहा है या नहीं। अबुसार उसके गांव में दुकान रखे हुए है, सिम बेचता है। इस साक्षी ने यह भी कहा है ई.सी.जी वाले उसके घर गये थे। उन्होंने उससे सिम के बारे में पूछा था। तब उसे पता चला कि सिम किसी ने खरीदा है। वह बैल्डिंग का काम करता है। उसका दोस्त अबुसार पान की गुमटी रखे है और वह सिम आदि बेचता है। इस साक्षी ने यह भी कहा है कि किसी आदमी ने उसके फर्जी दस्तखत करके सिम निकाला है और वह खालिद मुजाहिद तथा तारिक कासमी को नहीं जानता है।
आयोग की तरफ से प्रस्तुत साक्षी दूधनाथ सी. डब्ल्यू-3 का परीक्षण किया गया और उसने अपने बयान में कहा है कि वह एक सिम राकेश कुमार विश्वकर्मा, भतीजे द्वारा खरीदा था। वह पढ़ा लिखा नहीं है। उसने जो राकेश के माध्यम से सिम खरीदा था उसका नंबर 9451253147 था और उसने मोबाइल नं 9451253363 का सिम नहीं खरीदा था। इस साक्षी ने कहा कि उसने बरसठी बाजार मनीराम पटेल की दुकान से सिम खरीदा था। तभी से इसे वह इस्तेमाल कर रहा है और यह भी कहा कि एक साल से उसका सिम 9451253147 बंद है। उसने यह भी कहा है कि मोबाइल नं. 9451253363 किसका है उसे पता नहीं है।
आयोग की तरफ से प्रस्तुत साक्षी राजन सिंह प्रोपराइटर शान्ती कम्यूनीकेशन फ्रेन्चाइजी, सी डब्ल्यू-4 का परीक्षण किया है और उसने कहा है कि वह अधिकृत फ्रैन्चाइजी को संचालित करता था और उसने सिम नं.575272 की गार्ड फाइल 13 और 119 जिसमें उसका विवरण है। दूधनाथ पुत्र रामदेव विश्वकर्मा निवासी खडवा बरसठी, मालौर, जौनपुर की फाइल दूरसंचार कार्यालय जौनपुर में दिनांक 24.08.2006 SDE/TDM कार्यालय में दाखिल की गयी थी, जिसकी फोटो कॉपी दाखिल करी है।
....जारी
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