कहां जायें, कौन देगा इन लड़कियों का साथ
- WEDNESDAY, 20 MARCH 2013 09:47
हिमांशु कुमार
छत्तीसगढ़ में सुकमा जिले में सामसेट्टी गाँव में दो हज़ार सात में गाँव की छह आदिवासी लड़कियों के साथ पुलिस के जवानों , विशेष पुलिस अधिकारियों और सरकार की मदद से चलाए जाने वाले सलवा जुडूम के नेताओं ने सामूहिक बलात्कार किया था. इन लड़कियों ने पुलिस थाने में जाकर अपने साथ हुए अपराध के बारे में थाने में रिपोर्ट दर्ज़ कराने की कोशिश करी. लेकिन चूंकि पुलिस अधिकारी ही इस अपराध में शामिल थे इसलिये इन महिलाओं की शिकायत पुलिस ने नहीं लिखी.
यह महिलायें हमारी संस्था द्वारा चलाए जाने वाले मुफ्त कानूनी केन्द्र में आयी और मदद मांगी. हमने जिले के पुलिस अधीक्षक को इसकी लिखित शिकायत भेजी . लेकिन एसपी साहब ने कोई जवाब नहीं दिया .तब हमने अदालत में इस अपराध के बारे में आवेदन दिया. अदालत ने इन महिलाओं के बयान रिकार्ड किये. अदालत ने इस सामूहिक बलात्कार की घटना के चश्मदीद गवाहों के बयान भी दर्ज़ किये.इसके बाद अदालत ने इन पुलिस अधिकारियों, विशेष पुलिस अधिकारियों और सलवाजुडूम के नेताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किये.लेकिन पुलिस ने इन आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया . सरकार ने अदालत में इन्हें फरार बताया . लेकिन ये बलात्कारी नई लड़कियों से बलात्कार करते रहे. आदिवासियों के नए नए गावों को जलाते रहे .सरकार इन्हें लगातार तनख्वाह देती रही .
मैं दिल्ली आया, मैंने गृह मंत्री पी चिदम्बरम से मिलकर उन्हें दंतेवाड़ा आकर आदिवासियों से मिलकर उनकी तकलीफें सुनने का आग्रह किया . मैंने पी चिदम्बरम को एक सीडी सौंपी जिसमे इन लड़कियों के बयान भी थे . मैं दंतेवाड़ा वापिस पहुंचा तो पुलिस के बड़े दल ने जाकर इन लड़कियों का अपहरण कर लिया और दोरनापाल थाने में लाकर इन लड़कियों के साथ पांच दिन तक दोबारा बलात्कार किया . और इसके बाद इन लड़कियों को गावों में लाकर वापिस फेंक दिया और चेतावनी दी कि अबकि बार अगर इन लड़कियों ने मूंह खोला तो पूरे गाँव को आग लगा दी जायेगी .
हम इस मामले में लिखा पढ़ी करते रहे . सरकार ने परेशान होकर बलात्कारियों से कहा कि इन लड़कियों को अदालत में ले जाकर मुकदमा खत्म करवाओ . पिछले महीने ये बलात्कारी इन लड़कियों को जीप में डाल कर अदालत में ले गये . अदालत ने बयान दर्ज किया कि इन महिलाओं के साथ कभी बलात्कार नहीं हुआ , यह महिलायें इससे पहले कभी पुलिस के पास शिकायत करने नहीं गई , यह महिलायें कभी किसी अदालत में नहीं गई , इन महिलाओं में कभी किसी जज के सामने बयान नहीं दिया .
अदालत ने यह नहीं पूछा कि जो बयान महिलाओं ने पहले जज के सामने दिया था क्या महिलाओं का वह बयान जज ने अपनी कल्पना से लिख लिया था . अदालत ने यह भी नहीं पूछा कि इन लड़कियों को बलात्कारी अपनी साथ लेकर कैसे आये हैं ?
कुछ महीने पहले इनमे से एक बलात्कारी पुलिस वाले की मौत हो गई . इस पुलिस वाले की मूर्ती दोरनापाल नगर में लगाई गई है . पुलिस के एसपी ने इस मूर्ती का अनावरण किया इस कार्यक्रम में अन्य बलात्कारी भी शमिल हुए . जब एसपी से हिन्दू अखबार के संवाददाता ने पूछ कि इस व्यक्ति के ऊपर तो बलात्कार का आरोप था फिर आप इसकी मूर्ती लगाने के कार्यक्रम में कैसे शामिल हो सकते हैं ? तो पुलिस अधीक्षक ने जवाब दिया कि नहीं मैंने कुछ गाँव वालों से इस मामले के बारे में पूछ था और मुझे उन गाँव वालों ने बताया कि इन लड़कियों ने सलवा जुडूम को रोकने के लिये पुलिस वालों पर बलात्कार का झूठा इलज़ाम लगाया है .
वाह, अब पुलिस पीड़ित लड़कियों से नहीं मिलगी .अब पुलिस का एसपी बलात्कार के मामले में मुहल्ले वालों से उनकी राय मांगेगा .और पूछेगा कि इस बलात्कार के मामले में मुहल्ले वालों की क्या राय है ? और फिर पुलिस का एसपी खुद ही अदालत भी बन जाएगा . वह बलात्कारियों को बेगुनाह भी मान लेगा . बल्कि वह बलात्कारियों को प्रोत्साहित करेगा कि वे लोग पीड़ित महिलाओं को जबरन अपनी जीप में डाल कर अदालत ले जाएँ और उनसे मनमाना बयान दिलवा लें. क्यों कि एस पी के विचार में यही देशभक्ति है . वह एसपी साफ़ साफ़ बयान दे रहा है कि क्योंकि यह महिलाए सलवा जुडूम को रोकने के लिये पुलिस वालों पर ' झूठा ' आरोप लगा रही हैं इसलिये इनकी बात कैसे सुनी जाय ?
यह बिल्कुल वैसा ही है कि जैसे दिल्ली में दामनी कांड में पुलिस यह कहे कि यह लड़की तो कम्युनिस्ट थी और यह कांग्रेस सरकार को बदनाम करने के लिये झूठा आरोप लगा रही है . और फिर पुलिस इन छहों बलात्कारियों से कहे कि अब बलात्कारी इस लड़की के परिवार वालों को पकड़ कर अदालत में ले जाएँ और जज के सामने परिवार वालों से अपने मन का बयान दिलवा लें .
इस नोट के नीचे पिछले जज द्वारा की गई कार्यवाही का एक पेज लगा रहा हूं . अगर यह लड़कियां कभी कोर्ट नहीं गई थी तो अदालत का यह कागज कहां से आया . या तो पिछला जज झूठ बोल रहा है या नया वाला .
भयानक है यह सब. कोई इन लड़कियों का साथ नहीं दे रहा है. मन बहुत बेचैन है. किसके पास जाएँ अब ?
हिमांशु कुमार का आदिवासियों के लिए किया संघर्ष एक मिसाल है.
http://www.janjwar.com/society/crime/3814-rape-victim-of-chattisgarh-in-maoist-area-himanshu-kumar
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