कहां जा रही उत्तराखंड की राजनीति
- FRIDAY, 22 MARCH 2013 18:53
बेमतलब रहा बजट सत्र
उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार हुआ जब बजट पर कोई चर्चा नहीं हुई. बजट सत्र में जिस तरह से कामकाज हुआ उसे सही नहीं कहा जा सकता. पहली बार विपक्ष ने राज्यपाल को विधान सभा में अपना भाषण तक नहीं पढ़ने दिया...
देहरादून से गौरव नौडि़याल
विपक्ष के हंगामे व नारे के बीच राज्यपाल ने 15 मार्च को अपने भाषण की पहली और आखिरी दो लाइनें पढ़ीं और मुस्कुराते हुए विधान सभा से चले गए. अध्यक्ष को सदन को 23 मार्च के बजाय दो दिन पहले ही 21 मार्च को ही स्थगित करना पड़ा.
लेकिन यह उम्मीद किसी ने नहीं की थी कि इस सत्र को बिना पूरी अवधि तक चलाए ही अध्यक्ष जी को बीच में ही अनिश्चत काल तक के लिए स्थगित करना पड़ेगा. यही हाल 20 मार्च को वित्त मंत्री के बजट को सदन के पटल पर रखने के समय भी हुआ जब वित्त मंत्री हंगामे की वजह से अपना बजट भाषण इस सदन में नहीं पढ़ पायीं. इस महत्वपूर्ण सत्र में जहां सरकार सदन को व्यवस्थित करने में नाकामयाब रही, वहीं विपक्ष ने भी अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ा. पांच दिन चले इस सत्र में कुल दो घंटा चौदह मिनट ही सरकारी काम चलाउ जरूरी काम काज हुआ. पूरे पांच दिन विपक्ष ने जन सरोकारों से मुंह मोड़ते हुए प्रश्न काल नहीं होने दिया.
सदन में सरकार द्वारा लाए गए विधेयकों पर चर्चा तक नहीं हुई. विपक्ष के भारी विरोध के चलते सरकार के वित मंत्री ने किसी तरह सदन में 25329.84 करोड़ रूप्ए का बजट पास करवाया. 21 मार्च को अंतिम दिन सभी विभागों का बजट पास करवाने में केवल 33 मिनट का समय लगा. यह केवल खाना पूर्ति ही थी. पूरा सत्र सिडकुल में वर्तमान सरकार के द्वारा तथाकथित भूमि घोटाला व तराई बीज विकास निगम में हुई पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के घोटालों की जांच रिपोर्ट जो केआर भाटी आयोग के द्वारा हुई थी, पर खींचतान की भेंट चढ़ गया.
पिछले अक्टूबर में सिडकुल हरिद्वार व पंत नगर में उद्योगों के लिए नियत भूमि को बिल्डरों को बेचकर एक हजार करोड़ का प्रदेश को नुकसान करने का विपक्ष सरकार पर आरोप लगा रहा है. विपक्ष के अनुसार सरकार ने जिस भूमि को अंतरिक्ष इंजीनियरिंग प्रा. लि. व सुपर टैक को 6600 रू. प्रति वर्ग मीटर व 5800रू. वर्ग मीटर के रेट पर बेची वह उसी भूमि को इन्हीं कंपनियों के द्वारा आगे 32 हजार व 24 हजार रूपए प्रतिवर्ग गज के हिसाब से बेचने का आरोप लगा रहा है.
नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट के अनुसार इस मामले में सरकार ने भारी घोटाला किया है. जिसकी सीबीआइ से जांच होनी चाहिए. इस मामले में भाजपा के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि यह जमीन सिडकुल में उद्योगों की स्थापना के लिए थी जिसमें 56 हजार करोड़ का निवेश होना था. जिसमें प्रदेश के 5 हजार युवाओं को काम मिलता. यही आरोप सिडकुल हरिद्वार के उद्योगपति भी लगा रहे हैं उनके अनुसार उनके पास उद्योंगों को बढ़ाने के लिए भूमि की भारी किल्लत है. तैयार माल को रखने की जगह नहीं हैं जिसके लिए सिडकुल से बाहर के गोदामों को किराए पर लेना पड़ता है.
इस जमीन को उद्योगों को ही देना चाहिए था. वहीं पंत नगर की जिस भूमि को बेचा गया है, उसे निम्न आय वर्ग के कर्मचारियों के आवासीय भवनों के लिए बताया जा रहा है, जिसे अब 32 हजार वर्ग गज की दर से बेचा जा रहा है. जिसका 150 वर्ग गज का प्लाट ही पचास लाख की कीमत का हो गया है. इस हालत में यह निम्नवर्ग के कर्मचारियों के लिए नहीं रह गया है. विपक्ष ने सरकार पर सिडकुल की जमीन को खुर्द बुर्द करने का आरोप लगाया है. लेकिन मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस मामले में पूरी पारदर्शिता से काम हुआ है. मुख्यमंत्री ने सीबीआइ जांच से इंकार किया.
गौरतलब है कि केआर भाटी आयोग की वैधानिकता पर विपक्ष सवाल उठा रहा है उसकी घोषणा बहुगुणा सरकार ने सत्ता संभालने के दो महीने के भीतर ही विगत वर्ष 10 मई 2012 को कर दी थी. जिसमें भाटी आयोग को तराई बीज विकास निगम सहित पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में प्रकाश में आए कई मामलों की जांच सौंपी गई. जिस वक्त उक्त जाच आयोग का गठन हुआ था तब सरकार की ओर से बयान आया था कि भाजपा केवल जांच का हौवा दिखाती है हम जांच करके दिखा देंगे और उसमें दोषी पाए गए तमाम लोगों को सजा भी दिला देंगे.
तब से लेकर आज तक विपक्ष मुंह में ताला लगाकर बैठा रहा आज जब इस जांच में तराई बीज विकास निगम की जांच रिपोर्ट सरकार को मिली उसमें तमाम अनियमिताएं पाईं गई जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल के उपर गंभीर आरोप लग रहे हैं तब विपक्ष को इसमें अवैधानिकता नजर आ रही हैं. साथ ही भाजपा के पूर्व मंत्री व विधायक त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तो इस पर कांग्रेस के एक विधायक की केआर भाटी से करीबी रिश्तों तक की बात कही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष भाटी आयोग की जांच रिपोर्ट से बौखला गया है. सरकार इस मामले में दोषियों के खिलाफ जल्दी ही एफआइआर दर्ज कराने जा रही है.
सत्र के दौरान सत्ता पक्ष के मंत्री व विधायक मुख्यमंत्री के बचाव में खुलकर नहीं आए तो वहीं विपक्ष के विधायकों मे केवल मजबूरी में एकता दिखी. अगर सिडकुल की जमीन की बिक्री व तराई बीज विकास निगम की अनिमिताओं में जांच आगे बढ़ती है तो इसका सीधा असर भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के राजनैतिक कद पर जरूर पड़ेगा. क्योंकि भाटी आयोग ने तराई बीज विकास निगम में भारी अनियमितता की बात कही है, जिस पर सरकार कार्यवाही के मूड में हैं.
विधानसभा में हुए हंगामे व शोर शराबे से विधानसभाध्यक्ष काफी दुखी है. 21 मार्च को बजट सत्र के समापन के बाद विधानसभा के अध्यक्ष द्वारा विधायकों को दिए गए भोज का विपक्षी भाजपा विधायकों के द्वारा बहिस्कार कर दिया गया. इस पूरे मामले में विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने विधानसभा के सुचारू रूप से न चलने पर सत्ता पक्ष व विपक्ष दोनों को कसूरवार ठहराया है. उनके अनुसार उनके बुलावे पर न तो सत्तापक्ष ही आया और न ही नेता प्रतिपक्ष ने ही उनकी बात सुनी.
गौरव नौडि़याल युवा पत्रकार हैं.
http://www.janjwar.com/2011-05-27-09-00-20/25-politics/3819-kahan-ja-rahi-uttrakhand-kee-rajniti
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