गुलाम देश के स्वतन्त्र नागरिक की जगह जेल ही है
राइट टू फूड कैम्पेन, इण्डिया के फेसबुक पेज के अपडेट के मुताबिक जागृत आदिवासी दलित संगठन की प्रमुख कार्यकर्ता माधुरी बहन ने, सन् 2008 में दर्ज एक मामले में जमानत लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने बडवानी (मध्य प्रदेश) के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में महात्मा गाँधी के चित्र को नमन करते हुये मजिस्ट्रेट से कहा कि"महात्मा गाँधी ने कहा था कि गुलाम देश के स्वतन्त्र नागरिक की जगह जेल ही है", अतः वे भी उनके इस वाक्य का पालन करते हुये, बजाय जमानत लेने के, जेल जाने का चुनाव कर रही हैं।"
इस पर उन्हें 30 मई तक खरगोन जेल भेज दिया गया।
राइट टू फूड कैम्पेन, इण्डिया के फेसबुक पेज के अपडेट के मुताबिक बडवानी में महिला जेल नहीं है। गौर तलब है कि आज नवम्बर 2008 में जिले के मेनिमाई प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में ग्राम सुखपुरी की बानिया बाई पति इडिया से सम्बंधित मामले की सुनवाई थी। इसमें आन्दोलन के कार्यकर्ताओं पर शासकीय कार्य में बाधा डालने का आरोप लगाया गया था।
मामला यह था कि बानिया बाई अपने सास-ससुर के साथ प्रसव हेतु बैलगाड़ी से मेनिमाई आयी थी। वहाँ पर डॉक्टर उपलब्ध नहीं था। पर कम्पाउन्डर ने बजाय उन्हें बडवानी या अन्यत्र पहुँचाने के स्वास्थ्य केन्द्र से बाहर निकाल दिया। महिला घुटने के बल चलती हुयी चौराहे तक आयी और वहाँ उनके ससुर ने अपनी धोती उतार कर आड़ कर के उसका प्रसव कराया था। इस दौरान महिला का पति साथ में नहीं था। माधुरी बहन और उनके साथी वहाँ से गुजर रहे थे। उन्होंने एम्बुलेन्स बुलायी एवं महिला को अस्पताल भिजवाया। लेकिन कम्पाउन्डर ने शासकीय कार्य में बाधा डालने की पुलिस रिपोर्ट कर दी।
श्रमिक आदिवासी संगठन, नर्मदा बचाओ आन्दोलन, समाजवादी जन परिषद, किसान आदिवासी संगठन, बरगी बाँध विस्थापित एवम् प्रभावित संघ, भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन, म.प्र शिक्षा मंच, बघेलखण्ड आदिवासी मुक्ति मोर्चा, बैगा महापंचायत, छ्त्तीसगढ़ मुत्ति मोर्चा, म. प्र. महिला मंच, महान संघर्ष समिति आदि तमाम जन संगठनों ने इस कार्रवाई की निन्दा की है और माँग की है कि माधुरी बहन को तत्काल रिहा कर दोषी कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाये।
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