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Friday, August 16, 2013

लंदन बनने में शायद ज्यादा देरी नहीं,अब कोलकाता में मिड डे मिल में बच्चों को तिलचट्टा परोसा जाने लगा है।

लंदन बनने में शायद ज्यादा देरी नहीं,अब कोलकाता में मिड डे मिल में बच्चों को तिलचट्टा परोसा जाने लगा है।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​



अब कोलकाता के लंदन बनने में शायद ज्यादा देरी नहीं है। लंदन में इन दिनों कीड़ों मकोड़ों का फ्राई करके सबस लोकप्रिय नाश्ता खाने का चलन शुरु हुआ है। लंदनवासियों का मेनू बदल रहा है तो बहुत पीछे भी नहीं है कोलकाता। अब कोलकाता में मिड डे मिल में बच्चों को तिलचट्ठटा परोसा जाने लगा है।वैसे पारंपारिक तौर पर कीड़े मकोड़े सांप के नाश्ते के लिए चीन की प्रसिद्धि है,लेकिन प्रगतिशील बंगाल ने वाम शासन के 34 साल के दौरान भी चीनियों काअनुकरण नहीं किया।लेकिन लंदन की बात ही कुछ और है।गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र खाद्य कृषि संगठन- (एफ.ए.ओ.) का सुझाव है कि अब मनुष्यों को कीड़े-मकोड़ों कोभी अपना प्रिय खाद्य बना लेना चाहिए।संयुक्त राष्ट्र खाद्य कृषि संगठन- (एफ.ए.ओ.) का सुझाव है कि अब मनुष्यों को कीड़े-मकोड़ों कोभी अपना प्रिय खाद्य बना लेना चाहिए।कीट-पतंगे, मेढ़क, छिपकली, गाय, भैंस, बकरी, कुत्ते, बिल्ली सबके सब प्रोटीन से युक्त हैं, होनेभी चाहिए। पर मनुष्य भी प्रोटीन से युक्त है, तो क्या मनुष्य मनुष्य को भी खाएगा, सिर्फ प्रोटीनस्रोत के लिए? जाहिर है कि कीड़े-मकोड़े का नाश्ता अंतरराष्ट्रीयता है, चावल का पोहा या आलू पराठा निरा देशी गंवारू नाश्ता।


बिहार में मिड डे मिल हादसे के बाद बाकायदा बंगाल में ऐसा कुछ न हो,इसके लिए एहतियाती इंतजामात की घोषणाएं हुईं।लेकिन खास कोलकाता के मानिकतला थाना  के हरीशचंद्र नियोगी रोड

 स्थित देशबंधु बालिका विद्यालय ने तिलचट्टा खाना खाने सेइंकार कर दिया तो हंगामा बरप गया। आरोप है कि इन बच्चों को कई दिनों से ऐसा ही मिड डे मिल परोसा जा रहा था।लेकिन शुक्रवार को अपने बच्चों की शिकायतों के बाद स्कूल के बाहर अभिभावक पहले से मोर्चाबंद थे। बच्चों ने खाने से मना कर दिया तो उन्हें जबरन खिलाया जाने लगा।आरोप है कि शिक्षकों ने फतवा जारी कर दिया है कि जो मिड डे मिल खाने से इंकैार करें,उन्हें परीक्षा में बैठने नहीं दिया जायेगा।इस पर अभिभावकों ने सीधे मानिकतला थाने को कबर कर दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर तिलचट्टा मिड डे मिल बरामद कर लिया।


अब हालतयह है कि इस स्कूल में पढ़नेवाली छात्राएं और अभिभावक बता रहे हैं कि मिड डे मिल में तिलचट्टा परोसा गया। स्थानीय काुंसिलर भी ऐसा ही कह रहे हैं।लेकिन अब पुलिस,स्कूल का प्रधानाध्यापिका से लेकर शिक्षा मंत्री तक का कहना है कि मिडडे मिल में तिलचट्टा तो कतई था ही नहीं।


जबकि जिस गाड़ी से मिडडे मिल आया,उसे मिडडे मिल के साथ जनता ने पुलिस के हवाले कर दिया।


लेकिन प्रधानाध्यापिका शांता सान्याल का दावा है कि शुक्रवार को परोसा गया मिड डे मिल अच्छा खासा था और उन्हंने खुद चखकर देखा है।उनका कहना है कि जिस गाड़ी में मिड डे मिल आया ,उसमे कुछ बासी खाना रह गया था,जो सड़ गया था और तिलचट्टा उसीमें था।अभिभावकों ने उसे देखकर ही हंगामा किया और मिड डे मिल में तिलचट्टा परोसने की अफवाह फैल गयी।मानिकतला पुलुस भी प्रधानाध्यापिका की हां में हां मिला रही है।पुलिस ने हालांकि माना कि कुछ बर्तनं में जरुर तिलचट्टा थे।


शिक्षा मंत्री व्रात्य बसु का कहना है कि ुन्होंने खबर मिलते  ही तफतीश के लिए एक टीम तुरंत मौके पर भेज दीऔर उस टीम ने जांच पड़ताल के बाद बता दिया है कि मिड डे मिल में तिलचट्टा नहीं था।


चर्चा में पढ़ाई नहीं, मिड-डे-मील है प्राथमिक पाठशालाओं में पकने वाला मिड-डे-मील हमेशा चर्चा में रहा है, शासन-प्रशासन, मीडिया और हर कहीं। कभी खाना न बनने, विषाक्त खाना खाकर बीमार होने या खाने में छिपकली, कीड़ों और गन्दगी की वजह से । उल्लेखनीय है कि बिहार के सारण जिले के मशरख प्रखंड में पिछले महीने मध्याह्न भोजन खाने से 23 बच्चों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद जमकर हंगामा मचा था। इस मामले की अभी जांच चल ही रही है।


लेकिन बिहार के ही  वैशाली जिले के राजापाकर प्रखंड के एक सरकारी विद्यालय में शुक्रवार को मध्याह्न भोजन खाने से करीब 40 बच्चों की तबियत खराब हो गई जिसमें तीन की हालत गंभीर बताई जा रही है।


पुलिस के अनुसार रनदाहा मध्य विद्यालय में दोपहर को मध्याह्न भोजन खाने के बाद कुछ बच्चों ने पेट में दर्द और उल्टियां की शिकायत की। इसके बाद तत्काल विद्यालय प्रबंधक हरकत में आया और सभी 40 बच्चों को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में इलाज के लिए ले आया।


वैशाली के जिला शिक्षा अधीक्षक शशिभूषण राय ने बताया कि इनमें से 25 बच्चों को एहतियात के तौर पर सदर अस्पताल पहुंचाया गया है जहां से अधिकांश बच्चों को छुट्टी दे दी गई है। तीन बच्चों की तबियत ज्यादा खराब बताई जा रही है, जिनका इलाज चल रहा है। उन्होंने बताया कि पूरे मामले की छानबीन की जा रही है। अब तक यह पता नहीं चल सका है कि आखिर बच्चों की तबियत अचानक खराब क्यों हो गई?



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