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Monday, March 2, 2015

#गीतामहोत्सव मध्ये #विकासगाथा हरिकथा अनंत कि अब कंडोम के डिजाइन से तैयार होंगी साड़ियां। पलाश विश्वास

#गीतामहोत्सव मध्ये

#विकासगाथा हरिकथा अनंत

कि अब कंडोम के डिजाइन से तैयार होंगी साड़ियां।

पलाश विश्वास

परिदृश्यःनिवेश के लिए बचतःइस साल बजट में सरकार ने भले ही टैक्स श्रेणी में कोई बदलाव नहीं किया है लेकिन स्वास्थ्य बीमा, सुकन्या समृद्धि खाता और नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) पर टैक्स छूट बढ़ाकर उपभोक्ताओं के लिए निवेश को ज्यादा आकर्षक बना दिया है। सुकन्या खाते पर ब्याज पहले से अधिक था अब उसपर तीन स्तरों पर टैक्स छूट ने उसे सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) से भी आकर्षक बना दिया है। पीपीएफ से अधिक ब्याज सुकन्या समृद्धि खाता 10 साल तक की लड़कियों के लिए खोला जा सकता है। बेटी के 18 साल होने पर इसमें से 50 फीसदी राशि शिक्षा खर्च के लिए निकालने की अनुमति है।

परिदृश्यः वित्त मंत्री अरुण जेटली पर कंपनियों को अगले चार साल में 2 लाख करोड़ रुपए का 'तोहफा' देने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि राजग सरकार का पहला पूर्ण बजट राजकोषीय और समानता की कसौटी पर खरा उतरने में विफल रहा।

पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने 'हेडलाइन्स टुडे' को दिये एक साक्षात्कार में कहा, ''बजट भारतीय कंपनियों के पक्ष में है, आप इस उद्योग जगत के तोहफे की लागत जानते हैं, पहले साल में 20,000 करोड़ रुपए, दूसरे साल 40,000 करोड़ रुपए, तीसरे साल 60,000 करोड़ रुपए तथा चौथे साल में 80,000 करोड़ रुपए है।''



भारत में स्त्री सशक्तीकरण और देहमुक्ति का जलवा यह है।इस खबर को गौर से पढ़िये और समझिये कि भारतीय समाज मुक्तबाजार में किस हद तक खल गया है कि द्रोपदी की साड़ी के साथ लिपटे होंगे कंडोम ही कंडोम।


भगवान श्रीकृष्ण किस किस द्रोपदी की कहां कहां लाज बचायेंगे जबकि सांढ़ और घोड़े छुट्टा घूम रहे हैं,बेटियों और बहनों,कन्याओं, यह साड़ी पहनेने से पहले समझ लेना।


स्त्री मुक्ति की आकांक्षा का जवाब यह कंडोम है,जो दरअसल पुरुष वर्चस्व है और मुक्तबाजारी कार्निवाल में दायित्वहीन प्रजननविहीन बेलगाम भोग मनोरंजन है।


यही हो गयी है,हमारी अर्थ व्यवस्था गीतामहोत्सव मध्ये,जहां सनातन मूल्य सिर्फ बाजार के हित साधते हैं।


यही है विकासगाथा हरिकथा अनंत कि लगे रहो मुन्ना भाई।

लगाते रहो मुन्ना भाई।

कंडोम है न।

अब तो कंडोम मैचिंग साड़ी भी कूल कुलो खुली खुली खिड़की है।


यह कंडोम सुगंदित धारीदार साड़ी लेकिन इस देश की अर्थव्यवस्था है,जो भूख और रोजगार के सवाल पर खामोश है।


जो बुनियादी मुद्दों को सेनसेक्स की चालीस हजारी दौड़ में मटिया देती है।


सेक्स की कठपुतलियां स्त्री हजारों सालों के पुरुषवर्चस्व के धर्म अधर्म बनी रहकर आम्रपाली की तरह या चित्रलेखा की तरह भरपूर मनोरंजन परोसकर कुर्बानी की मिसाल बनती रही हैं हमेशा।


पौराणिक कथाओं मे देवों के भोग का सामान बनी रही स्त्रियां सतीत्व के प्रतिमान हैं।महाभारत दरअसल वर्णशंकर नायकों और नियोग के कार्निवाल की प्रतिशोध कथा है।भोग का साजोसमान का गीता महोत्सव है जो आज का मुक्त बाजार है।



अब सतीत्व और कुमारीत्व की चहारदीवारियां टूट रही हैं तो बाजार में औरत की हैसियत अब सेक्स टाय हैं तो उनपर शासन करने वाले पिता पुत्र भाई रोबोटिक आधारशुदा क्लोन नागरिक हैं,जिसकी न उत्पादन प्रणाली में कोई भूमिका है और न अर्थव्यवस्था में।


कंडोम मैचिंग साड़ियों के ताजा तरीन फैशन के बावजूद खाप पंचायती हिंदुत्व ही इस ठोंकू अर्थव्यवस्था की बुनियाद है।


पहले इस खबर की तह तक पहुंचिये जनाब।


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अब कंडोम के डिजाइन से तैयार होंगी साड़ियां

अब कंडोम के डिजाइन से तैयार होंगी साड़ियां

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संसद में बीमा विधेयक अभी पेश होना है।खनन अधिनियम अभी संशोधित होना है। डील जो क्षत्रपों से हुआ है और देश जो केसरिया है,संघ का विकल्प जो अन्ना ब्रिगेड सत्ता के अंदर बाहर है या जो सत्याग्रह और हिंदुत्व का काकटेल है,कोई विधेयक अब संसद में अटकने वाला नहीं है।खुदरा बाजार जैसे ईटेलिंग है।जैसे निजीकरण निषेध के संकल्प के साथ रेलवे प्राइवेट है जैसे अर्थ व्यवस्था या डाउ कैमिकल्स है या फिर मनसेंटो और इमपैक्टभोपाल गैस त्रासदी,सिख संहार,बाबरी विध्वंस,गुजरात नरसंहार,केदार जलप्रलय  से ज्यादा खतरनाक रेडियोएक्टिव पोलोनियम 210 है,वेसै ही शत प्रतिशत पवित्र गाय देश की सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा है जो केसरिया कश्मीर,केसरिया बंगाल ,केसरिया पूर्वोत्तर के अलग अलग आयाम में विधिवत हुश्न के लाख रंग हैं।


हुआ यह है कि लीक बजट पेश होते न होते सरकार का बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने का निर्णय अमल में आ गया है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने इस संदर्भ में सोमवार को प्रेस नोट जारी किया। पिछले साल अध्यादेश के जरिये बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा बढ़ाने की अनुमति दी गई थी। इसकी जगह विधेयक लोकसभा में मंगलवार को पेश किये जाने की संभावना है।


केसरिया कारपोरेट सरकार ने संसद की कोई परवाह नहीं की जबकि बजट सत्र का स्तरावसान हुआ नहीं है।


औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) के प्रेस नोट के अनुसार, 'सरकार ने बीमा क्षेत्र पर विदेशी निवेश नीति की समीक्षा की है. उसके अनुसार एकीकृत एफडीआई नीति संशोधित की गई है. यह 17 अप्रैल, 2014 से प्रभावी मानी जाएगी।'


मुक्त बाजार में हिंदू साम्राज्यवाद का विजयपताका जब विधर्मी कश्मीर घाटी में फहरा रहा है और इस लोकतंत्र उत्सव के लिए संघ परिवार के स्वजन मुख्यमंत्री लोकतंत्र विरोधी,राष्ट्रविरोधी ताकतों की शुक्रिया अदा कर रहे हैं और हिंदुत्व का अश्वमेध शत प्रतिशत हिंदुत्व के साथ साथ देश को शत प्रतिशत एफडीआई बना देने पर तुला है,तो विशुद्धता और सनातन मूल्यों को लेकर उसके कंडोम पाखंड की चीरफाड़ भी होनी चाहिए।


एक तरफ तो फतवा है कि धर्मांतरण निषेध कानून हो वरना बंगाल और दूसरे राज्यों में हिंदू कोई रहेगा नहीं,तो दूसरी तरफ हिंदुत्व का यह मुक्तबाजारी कंडोम भी है और इस मुक्त बाजारी कंडोम की चालीस हजारी दौड़ ही राष्ट्रनिर्माण की हरिकथाअनंत है।


जहां बजरंगी उछलकूद दरअसल बेलगाम बुलरन है,मुनाफावसूली है और घर परिवार समाज जीवनयौवन जीवन यापन आजीविका आवश्यकताएं और इंद्रियां तक बाजार के हवाले हैं।


सांढ़ों की सींग से गूंथ गयी है हर गुलाब की खुशबू यहां।


अश्वमेधी घोड़ों के कुरों से बहने लगी हैं तमाम रक्त नदियां और जलस्रोत सारे सूख रहे हैं कि समुंदर और अंतरिक्ष तक परमाणु चूल्हा हैं।


तितलियों के परों में बांध दिये गये हैं परमाणु बम।

आपदाओं और महाआपदाओं को फैशनशो बना दिया गया है।

जनसंहारी नीतियों को अर्थव्यवस्था की सेहत और विकास दर में तब्दील करके इस न्रक में जन्नत का जलवा तामीर किया जा रहा है।


आज जनसत्ता के संपादकीय पेज पर अरविंद कुमार सेन ने लिखा हैःबड़ी पूंजी के हित का बजट।यह आलेख जब भी यह आलेख जनसत्ता डाट काम पर उपलब्ध हो,पढ़ जरुर लें।सेन ने आम बजट में सनहरे सपनों के आख्यान का जबर्दस्त खुलासा किया है।उनके मुताबिक इस बजट ने एक ही पैमाने पर उम्मीद से ज्यादा प्रदर्शन किया है,और वह है विदेशी पूंजी की राह आसान करना।उनके मुताबिक सरकार ने बजट में लोगों की खरीद क्षमता बढ़ाने के उपाय करने के बजाय देशी विदेशी पूंजी के मुनाफा बटोरने की राह आसान करने के जतन किये हैं।


इसी के मद्देनजर कल मैंने लिखाः

कारपोरेट द्वारा, कारपोरेट के लिए, कारपोरेट का बजट

http://www.hastakshep.com/intervention-hastakshep/ajkal-current-affairs/2015/03/01/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%AA%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%9F-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%AC%E0%A4%9C%E0%A4%9F


बजट पर हमने लिखाः

बजटपेश होने से पहले लिखाः

बजट- पेश होना है जनसंहार की नीतियों का कारपोरेट दस्तावेज

http://www.hastakshep.com/intervention-hastakshep/ajkal-current-affairs/2015/02/28/%E0%A4%AC%E0%A4%9C%E0%A4%9F-%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A4%B6-%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%A8%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%80


हमने बजट पर अपनी राय आपसे लगातार अर्थव्यवस्था को आम लोगों की रोजमर्रे की जिंदगी के मुकाबले खड़ा करके लिखा है।


इसमें कोई शकोसुबह नहीं है कि बाजार के हिसाब से बिजनेस फ्रेंडली सरकार बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है कि सेनसेक्स बीसी तीस चालीस पार होकर पचास हजार तक पहुंच जायेगी।इकानामी तीन ट्रिलियन डालर तक पहुंच जायेगी।


हमारी फिक्र बस इतनी सी है कि इस तीन या दस ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था में चार फीसद के बजाये साढ़े आठ या दस फीसद विकास दर या शून्य वित्तीयघाटा,शून्य राज्सव घाटा,शून्य मुद्रास्फीति और पूंजी के लिए अबाध दरवाजों,कर छूट थोक और घटती ब्याज दरों,लिस्टिंग,निवेश ,विनिवेश,निजीकरण,प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के चाक चौबंद इंतजाम में नब्वे फीसद जनगण के भूखे पेट,खाली हाथके मसले कैसे हल होंगे और सुनहले सपने अच्छे दिनोें के हकीकत कब बनेंगे।


अगर संघ परिवार की आस्था विदेशी निवेशकों की आस्था है,तो शर्माने की जरुरत क्या है कि आस्था को धर्म अधर्म से जोड़कर देश को महाभारत बानने की जरुरत क्या है।


मुक्त बाजारी कंडोम अगर संघ परिवार के स्वदेशी का स्वर्ण केशर है तो सनातन मूल्यों का जाप क्यों,यह समझ से परे हैंं।


अगर मुक्त बाजार में गुजरात को हांगकांग और दुबई और मारीशस बनाकर स्वदेश में ही विदेशी पूंजी का ग्लेशियर बनाकर कालाधन के सारे स्रोंतों को स्रोत से ही सफेद बनाया जाना है , तो फिर क्यों कालाधन के खिलाफ यह रणहुंकार है,यह हमारी समझ से परे हैं।


बुनियादी जरुरतों के बजाये उपभोक्ता बाजार और उत्पादन के बजाय सेवाओं को अर्थव्यवस्था के विकास का मंत्र तंत्र यंत्र बनाने की संघ सरकार का कार्यक्रम है तो फिर क्यों यह गीता महोत्सव है।क्यों विचारधारा का पाखंड है।


क्यों दीनदयाल,अटसल,श्यामा प्रसाद, हेगड़ेवार, गोलवलकर बाजार और बजट के आइकन हैं तो क्यों नहीं,जिनके मदिंर बन रहे हैं,उन गांधी हत्यारे गोडसे और वीर सावरकर के नाम योजनाएं नहीं हैं,यह भी समझ से परे है।


हिंदू साम्राज्यवादी झंडा कश्मीर और बंगाल में फहराने की तमन्ना अब राष्ट्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बनता नजर आ रहा है।केसरिया हुए बंगाल में बांग्लादेशी राष्ट्रीयता का तूफान उठने लगा है तो संघ परिवार के मुख्यमंत्री खुलेआम पाकिस्तान और अलगाववादी ताकतों की लोकतंत्र में सकारात्मक भूमिका का बारंबार चर्चा करके राजकाज जम्मू से शुरु कर रहे हैं।


दूसरी तरफ हाल यह है कि जिस अफजल गुरु की फांंसी के लिए संघ परिवार ने जमीन आसमान एक कर दिया था,उसी संघ परिवार के सत्ता सहयोगी  का धमाल यह कि जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-भाजपा गठबंधन की सरकार गठन के दूसरे दिन ही नया तूफान आ खड़ा हुआ है। एक बार फिर सहयोगी दल भाजपा को ही नहीं बल्कि समूचे देश को लज्जित करते हुए पीडीपी के विधायकों ने केंद्र सरकार से आतंकवादी और संसद हमले के साजिशकर्ता अफजल गुरू के शव के अवशेष मांगे हैं। उल्लेखनीय है कि दिल्ली की तिहाड़ जेल में 9 फरवरी 2013 को यूपीए के शासनकाल में अफजल गुरु को फांसी पर चढ़ाया गया था। उसके मृत शरीर को अलगाववादियों का नायक बनने से रोकने के लिए जेल के अंदर ही दफनाया भी गया था।


राष्ट्रवाद और राष्ट्रद्रोह फिर एकाकार हो रहा है।राष्ट्रवाद का यह चेहरा क्यों राष्ट्रद्रोही होने लगा है,यह पहेली कोई बूझ लें।


लीक कारपोरेट बजट पेश करने के बाद मौद्रिक कवायद से संघ परिवार का हिंदुत्व बाजार का कायाकल्प कंडोम करने में लगा है और उसकी केसरिया कारपोरेट सरकार मॉनिटरी पॉलिसी बनाने की नई व्यवस्था लागू करने जा रही है। इसे लेकर आरबीआई और वित्त मंत्रालय के बीच 20 फरवरी को समझौता हुआ है।


इस समझौते के तहत मॉनिटरी पॉलिसी की प्राथमिकता महंगाई पर नियंत्रण की होगी। सरकार ने जनवरी 16 तक महंगाई 6 फीसदी से कम रखने का लक्ष्य तय किया है। उसके बाद  वित्त वर्ष 17 और बाद के सालों में महंगाई 4 फीसदी के करीब रखने का लक्ष्य रखा गया है।


इसके साथ लक्ष्य से 2 फीसदी ऊपर या नीचे की रेंज भी दी गई है। जिसके मुताबिक महंगाई 6 फीसदी से ज्यादा या 2 फीसदी से कम नहीं होनी चाहिए।


नई मॉनिटरी पॉलिसी के मुताबिक रिजर्व बैंक सालानातौर पर महंगाई के लक्ष्य का ऐलान करेगा और रिजर्व बैंक साल में दो बार महंगाई पर रिपोर्ट जारी करेगा करेगा।


अगर महंगाई दर लगातार 3 हफ्ते रेंज से बाहर रही तो इसे आरबीआई की विफलता माना जाएगा। अगर आरबीआई लक्ष्य से चूक जाएगा तो वह सरकार को विशेष रिपोर्ट भेजेगा।

बजट के बाद टैक्स को लेकर कई सवाल अनसुलझे रह गए हैं। कंपनियों और आम लोगों से जुड़े ऐसे कई सवाल हैं, जिनपर सफाई की जरूरत है। सीएनबीसी आवाज़ के इस खास शो में टैक्स एक्सपर्ट सरकार से सीधे सवाल पूछ रहे। और इन सवालों का जवाब दे रहे हैं रेवेन्यू सेक्रेटरी शक्तिकांता दास।


सर्विस टैक्स बढ़ाने के पीछे सरकार की क्या मंशा है इस सवाल पर शक्तिकांता दास ने कहा कि सर्विस टैक्स में की गई ये बढ़त जीएसटी लागू करने की दिशा में उठाया गया कदम है।


म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स को सर्विस टैक्स छूट के दायरे से क्यों बाहर किया गया इस सवाल पर शक्तिकांता दास का कहना है कि वित्तीय क्षेत्र की किसी एक सर्विस पर सर्विस टैक्स लगाना और दूसरी सर्विस को इससे छूट देना विभेद पैदा कर रहा है।


शक्तिकांता दास ने कहा कि इंश्योरेंस सेक्टर पर सर्विस टैक्स लागू हो और म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स को इससे छूट मिले ये ठीक नहीं हैं। इसलिए म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स को सर्विस टैक्स छूट के दायरे से क्यों बाहर किया गया है। शक्तिकांता दास ने कहा कि समय के साथ हर बिजनेस को हमारे द्वारा बनाए जाने वाले नये टैक्स एनवायरेनमेंट के साथ तालमेल बैठाना होगा।


क्या गार हमेशा के लिए नहीं टाला जा सकता था इस सवाल पर शक्तिकांता दास ने कहा कि एंटी एवाइडेंस रुल सभी देशों में लागू हैं। भारत में भी अपना एंटी एवाइडेंस रुल यानी गार लागू होगा। हां इसमें कुछ छोटे मोटे इश्यू हैं। उनके समाधान के लिए ही इसको दो साल के लिए टाला गया है।


कॉर्पोरेट टैक्स घटाने से संबंधित सवाल पर शक्तिकांता दास ने कहा कि कार्पोरेट टैक्स धीरे-धीरे घटाकर 4 साल में 25 फीसदी पर लाया जाएगा। ऐसा करने का लक्ष्य देश में निवेश माहौल में सुधार लाना है। उन्होंने कहा कि अगर हम एशिया की ही दूसरी लीडिंग इकोनॉमी को देखें तो वहां कॉर्पोरेट टैक्स 25 फीसदी या उससे कम हैं। इस स्थिति में देश में निवेश लाने के लिए प्रतिस्पर्धा में बने रहने के उद्देश्य से कॉरपोरेट टैक्स में कमी का निर्णय लिया गया है।


शक्तिकांता दास ने कहा कि कॉर्पोरेट टैक्स से जुड़े दूसरे छूटों को हटाने का लक्ष्य लिटीगेशन से बचना है। क्योंकि अगर हम देखें तो कॉरपोरेट टैक्स से जुड़े अधिकतर कानूनी विवादों के जड़ में कॉर्पोरेट टैक्स से जुड़े दूसरे छूटों से संबंधित विवाद ही होते हैं।



एडवेंट एडवाइजर्स के एमडी के आर भरत का कहना है कि इस बार का बजट काफी अच्छा लगता है। सारे राज्यों को मिलाकर वित्तीय घाटा 1 फीसदी कम हुआ है जो बेहद सकारात्मक है। गोल्ड बॉन्ड बनाने का कदम काफी बेहतरीन कदम है और इससे सोने की खपत कम होगी। काले धन पर लिए कदम अच्छे हैं।


वैल्थ टैक्स का खत्म होना अच्छा है और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के लिए काफी बड़े ऐलान किए गए हैं जिनसे इस सेक्टर की हालात काफी अच्छी होगी। बाजार में फाइनेंशियल, इंफ्रा, कैपिटल गुड्स, सीमेंट बाजार की तेजी को आगे बढ़ाएगी।


के आर भरत के मुताबिक साल 2015 इक्विटी के लिए काफी अच्छा साल रहेगा। वित्त वर्ष 2016 की दूसरी तिमाही में कंपनियों की अर्निंग में भी बढ़त होगी।


अब बजट को देखकर आरबीआई गवर्नर को दरों में कटौती के लिए अगली क्रेडिट पॉलिसी यानी 2 अप्रैल तक का इंतजार नहीं करना चाहिए। अब लगभग सभी आंकड़ें आ चुके हैं और तस्वीर साफ हो चुकी है। इस महीने यानी मार्च में आरबीआई को दरों में कटौती करनी चाहिए। इस पूरे साल में आरबीआई की तरफ से दरों में 1-1.25 फीसदी की कटौती की उम्मीद है।


के आर भरत के मुताबिक बैंकिंग सेक्टर में पीएसयू के मुकाबले निजी बैंकों की बैलैंसशीट ज्यादा मजबूत है और उनका प्रबंधन भी अच्छा है। फंडामेंटल लिहाज से भी पीएसयू बैंक ही ज्यादा अच्छा प्रदर्शन करते नजर आ रहे हैं तो इस समय सरकारी बैंकों में ही पैसा लगाने की राय है।



अब इसपर भी तनिको गौर करेंः

जेटली ने कंपनियों को दिया 2 लाख करोड़ रुपए का तोहफा दिया: चिदंबरम

P Chidambaram, Arun Jaitley, Finance Minister, Union Budget, Company Tax, Business

चिदंबरम ने यह भी कहा कि बजट राजकोषीय और समानता की कसौटी और बढ़ती असमानता के मामले में विफल रहा है। (फ़ाइल फ़ोटो)

वित्त मंत्री अरुण जेटली पर कंपनियों को अगले चार साल में 2 लाख करोड़ रुपए का 'तोहफा' देने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि राजग सरकार का पहला पूर्ण बजट राजकोषीय और समानता की कसौटी पर खरा उतरने में विफल रहा।

पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने 'हेडलाइन्स टुडे' को दिये एक साक्षात्कार में कहा, ''बजट भारतीय कंपनियों के पक्ष में है, आप इस उद्योग जगत के तोहफे की लागत जानते हैं, पहले साल में 20,000 करोड़ रुपए, दूसरे साल 40,000 करोड़ रुपए, तीसरे साल 60,000 करोड़ रुपए तथा चौथे साल में 80,000 करोड़ रुपए है।''

उल्लेखनीय है कि दस साल के बाद सरकार ने कंपनी कर को अप्रैल 2016 से अगले चार साल में 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत पर लाने का प्रस्ताव किया लेकिन ऐसा करते हुये उद्योगों को दी जाने वाली छूट और प्रोत्साहनों को वापस ले लिया जायेगा।

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने कहा, ''कंपनियां आज 23 प्रतिशत कर दे रही हैं, वित्त मंत्री अरूण जेटली ने यह कहा है। यह दर दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में जो कंपनी कर दर है, उस लिहाज से प्रतिस्पर्धी है। तब 23 प्रतिशत प्रभावी कंपनी दर खराब क्यों है?''

उन्होंने कहा, ''कंपनियों को अगले चार साल में 2 लाख करोड़ रुपए का यह तोहफा उनके लिये वेतन, लाभांश के रूप में आय में परिवर्तित होगा।''

चिदंबरम ने यह भी कहा कि बजट राजकोषीय और समानता की कसौटी और बढ़ती असमानता के मामले में विफल रहा है।

इस बीच, वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा कि 2015-16 के बजट प्रस्तावों को उद्योगों के पक्ष में बताकर आलोचना करना पूरी तरह से गलत और निराधार है। उन्होंने कहा कि कंपनी कर को चार साल में 30 से घटाकर 25 प्रतिशत करने से कोई राजस्व नुकसान नहीं होगा।



परिदृश्यःमॉर्गन स्टैनली के मुताबिक बजट काफी अच्छा था और इन्वेस्टमेंट साइकिल में 30 फीसदी की बढ़त से आय में अच्छी ग्रोथ का अनुमान है। इन्वेस्टमेंट साइकिल में 30 फीसदी की बढ़त से ब्रोकरेज हाउसेस को अपने अर्निंग ग्रोथ अनुमान को बढ़त में बदलना होगा। साथ ही गोल्ड बॉन्ड के ऐलान से देश में सेविंग दर में बढ़त का अनुमान है। बजट में वित्त मंत्री ने काफी सारी छोटी अहम चीजों पर फोकस किया। भारत को बिजनेस करने के लिए आसान जगह बनाने का सरकार का इरादा बजट में साफ नजर आया है। इस साल के लिए सेंसेक्स का लक्ष्य 32500 तय किया है।


संदर्भःशेयर बाजार में लगातार तीसरे कारोबारी सत्र में तेजी का रख आज कायम रहा। आम बजट में विकासोन्मुखी प्रस्तावों से उत्साहित निवेशकों की लिवाली से सेंसेक्स 98 अंक मजबूत हुआ, जबकि नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी 8,956.75 अंक की नई उंचाई पर बंद हुआ। तीस शेयरों वाला सेंसेक्स 29,533.42 अंक पर मजबूती के साथ खुला और कारोबार के दौरान इसने दिन का उच्चस्तर 29,576.32 अंक छुआ। हालांकि, एचएसबीसी का सर्वे आने के बाद बिकवाली दबाव से यह दिन के निचले स्तर 29,259.77 अंक तक आ गया। अंतिम पहर लिवाली समर्थन से सेंसेक्स 97.64 अंक उपर 29,459.14 अंक पर बंद हुआ।


ताजा रणनीति मौद्रिक कवायद कीः वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति लक्ष्य के संबंध में सहमत हो गए हैं जिसके तहत केंद्रीय बैंक खुदरा मुद्रास्फीति का लक्ष्य जनवरी 2016 तक 6% से कम और मार्च 2017 तक करीब 4% रखेगा। मौद्रिक नीति ढांचा समझौते पर 20 फरवरी को हुए हस्ताक्षर हुआ जिसका लक्ष्य मुख्य तौर पर वृद्धि के उद्देश्य को ध्यान में रखकर मूल्य स्थिरता को कायम रखना है। समझौते में कहा गया, रिजर्व बैंक जनवरी 2016 तक मुद्रास्फीति को छह प्रतिशत से नीचे लाने का लक्ष्य रखेगा। वित्त वर्ष 2016-17 और बाद के वर्ष का लक्ष्य होगा चार प्रतिशत जिसमें दो प्रतिशत बढ़ोतरी या कमी का दायरा शामिल होगा।


परिदृश्य मीडिया के मुताबिक,हम गढ़ नहीं रहे हैंः


विदेशी निवेशकों को परेशान करने वाले जनरल एंटी अवॉयडेंस रूल्स यानि गार (GAAR) को सरकार ने दो साल के लिए टाला दिया है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा है कि गार में उठने वाले मामलों को दो साल के अंदर सुलझाने का वादा किया है। साथ ही 2017 के बाद भी गार आने वाले वर्षों के लिए लागू होगा। यानि ये टैक्स पुरानी तारीख से लागू नहीं होगा। बाजार के विशेषज्ञ इस प्रस्ताव पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए है कहते है कि सरकार का गार को आगे बढ़ाना विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिए राहत की खबर है। इससे शेयर बाजार में विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल का मानना है कि गार का टलना बाजार के लिए राहत की बात है। आने वाले दिनों में विदेशी निवेशकों भारतीय बाजार में निवेश बढ़ा सकते हैं।

गार 2017 तक टला

जनरल एंटी अवॉयडेंस रूल्स (GAAR) को अगले साल के लिए टाल दिया है। गार अब 2017 से लागू होगा। साथ ही गार आने वाले वर्षों के लिए लागू किया जाएगा। निवेशकों को गार रूल्स पर सफाई का इंतजार था। क्योंकि ये उन कंपनियों और निवेशकों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं जो मॉरीशस जैसे टैक्स हैवेन देशों से पैसा देश में भेजते हैं। इन रूल्स को 2015 से ही लागू होना था, लेकिन निवेशकों में घबराहट न फैल जाए, इसलिए इसे 2016 तक टाल दिया गया.

एफआईआई अब मैट लागू नहीं होगा

बजट में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) पर न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) प्रावधानों को भी तर्कसंगत बनाया गया है। एफआईआई को शेयरों की खरीद-फरोख्त से होने वाले पूंजीगत लाभ पर जो निम्न दर से कर लगता है, उस पर अब मैट लागू नहीं होगा।

बाजार के विशेषज्ञों की राय

  • मायस्टॉक के हेड लोकेश उप्पल ने मनी भास्कर से खास बातचीत में कहा है कि गार का टलना बाजार के लिए काफी बेहतर है। इससे विदेशी निवेशक भारत में और तेजी से निवेश कर सकते है। साथ ही बाजार में फिर से जोरदार तेजी की उम्मीद है।

  • बाजार के जानकार अंबरीश बालिगा कहते है कि GAAR को दो साल के आगे बढ़ाने से इंडिया इंक और FIIs का भरोसा भारतीय सरकार पर बढ़ जाएगा।

  • फॉर्च्यून फिस्कल के डायरेक्टर जगदीश ठक्कर कहते है कि बजट में जितने बड़ी घोषणाओं की उम्मीद थी। वो नहीं हुए है। हालांकि गार का टलना बाजार के लिए बड़ी राहत की खबर है।

क्या है जनरल एंटी अवॉएडेंस रूल (GAAR)

गार टैक्स से बचने के तरीके ढूंढने वालों को दायरे में लाने के लिए बनाया गया नियम है जो सभी देशी-विदेशी करदाताओं पर लागू होगा। इसे 2012-13 के बजट में लागू किया गया और इसके तहत विदेश से निवेश के जरिए टैक्स बचाने वालों पर खास नजर रहती है।

गार की वजह से एफआईआई और विदेशी निवेशकों को परेशानी हो सकती है। गार लागू होने से एफआईआई को टैक्स ऑफिसर की मनमानी बढ़ने की आशंका है। ध्यान रहे कि पार्थसारथी शोम कमिटी ने 3 साल बाद गार लागू करने का सुझाव दिया था।



मसलन हम नहीं,बाजार विशेषज्ञ मीडिया का कहना हैः

आम बजट में विदेशी और घरेलू निवेश को बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए है। FDI और FPI के निवेश की परिभाषा एक करना , GAAR को दो साल के लिए टालना। साथ ही एफआईआई पर से मैट को हटाना और कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती भी निवेशकों के रुझान को बढ़ावा मिलेगा।

बजट की ये है सात महत्वपूर्ण घोषणाएं

1. FDI और FPI निवेश में अंतर होगा खत्म

विदेशी संस्थागत निवेशक, एफडीआई या किसी स्वतंत्र विदेशी निवेशक के कुल निवेश को एक ही कैटेगरी में रखा जाएगा। सबके लिए नियम भी समान होंगे। इस घोषणा के बाद चुनिंदा कंपनियों के शेयरों में जोरदार तेजी आई है, जिससे निफ्टी को सहारा मिला है। इनमें एक्सिस बैंक, HDFC और इंडसइंड बैंक प्रमुख रहे है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल का मानना है कि गार का टलना बाजार के लिए राहत की बात है। आने वाले दिनों में विदेशी निवेशकों भारतीय बाजार में निवेश बढ़ा सकते हैं।

2. SEBI और FMC का विलय, बाजार में आएगी पारदर्शिता

कमोडिटी रेग्युलेटर एफएमसी का प्रतिभूति बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) में विलय करने को मंजूरी दे दी है। इससे निवेशकों का कमोडिटी बाजार पर भरोसा बढ़ेगा। कम वॉल्युम और दिक्कतों से जूझ रही कमोडिटी एक्सचेंज को भी बड़ा फायदा मिल जाएगा। बाजार के विशेषज्ञ कहते है कि अब एक्सचेंज इक्विटी मार्केट की तरह से ऑप्शंस भी शुरू कर सकती है। इससे बाजार में कम रिस्क और कम पैसे के साथ बड़ा मुनाफा कमाने का मौका निवेशकों को मिल सकता है। साथ ही भारतीय कैपिटल मार्केट पर विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ जाएगा।

3.एफआईआई अब मैट लागू नहीं होगा

बजट में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) पर न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) प्रावधानों को भी तर्कसंगत बनाया गया है। एफआईआई को शेयरों की खरीद-फरोख्त से होने वाले पूंजीगत लाभ पर जो निम्न दर से कर लगता है, उस पर अब मैट लागू नहीं होगा। माना जा रहा है कि इससे विदेशी निवेशक फिर से भारत की ओर रुख कर सकेंगे।

4.इंफ्रा पर खर्च बढ़ने से कंपनियों को मिलेंगे बड़े ऑर्डर

वित्तमंत्री ने इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ाने वाले कई बड़े एलान किए है। इंफ्रा सेक्टर के लिए 70 हजार करोड़ का आवंटन किया गया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए रेलवे और रोड के आवंटन में बढ़ोतरी की है, वहीं इन क्षेत्रों के प्रोजेक्ट्स के लिए टैक्स फ्री बॉन्ड प्रस्ताव किया है। मार्केट एक्सपर्ट कहते है कि इससे कंपनियों को बड़े ऑर्डर मिलेंगे, और कंपनियों की आय में जोरदार इजाफा होने की उम्मीद है।

5. कॉर्पोरेट टैक्स में 5 फीसदी की कटौती

इंडस्ट्री के खराब सेंटिमेंट को सुधारना सरकार की सबसे बड़ी चुनौती थी। वित्तमंत्री ने इस बजट में ये काम बखूबी निभाया है। कॉर्पोरेट टैक्स को 5 फीसदी कम करके उन्होंने जहां घरेलू सेंटिमेंट सुधारने की कोशिश की है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अगले 4 साल में कॉरपोरेट टैक्स 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी करने का ऐलान किया है। जिससे कि देश में निवेश का सेंटिमेंट खराब न हो। इस पर पूर्व वित्त पी चिदंबरम ने अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यु में कहा है कि कॉरपोरेट टैक्स की दर घटाने से अगले 4 साल में सरकारी खजाने को 2 लाख करोड़ रुपए तक का नुकसान होगा।



शहरों में बैठे मध्यवर्ग को भले ये आंदोलन, पैदल मार्च, धरना प्रदर्शन, ट्रैफिक जाम से ज्यादा कुछ नहीं लगता हो लेकिन इस आंदोलन का एक पहलू यह भी है कि किसान सिर्फ अपने खेत को नहीं बचाना चाहते बल्कि पूरे देश को रोटी-चावल-दाल मिलता रहे इसलिए भी सड़कों पर उतर पड़े हैं।

By Avinash Chanchal

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Union Budget 2015: Here's why India Inc gives thumps up to Jaitley's Budget

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Hailing Finance Minister Arun Jaitley's maiden full year Budget Saturday, Vinayak Chatterjee (CII) Chairman, Feedback Infra said it was a very good Budget for the infrastructure sector. According to him, heavy investment in infra will boost economy significantly. He said the announcement on regulatory reform law is a move in the right direction. He also welcomes the proposal to rejig public-private partnership (PPP) format.

In a discussion on CNBC-TV18, Jonathan Schissel, Fund Advisor(s), Ashburton (Jersey) said major investors are now looking at India very closely with international investors also showing interest in India story. He hopes earnings growth shows uptick in Q4. Schissel is heavily overweight financials and capital goods.

Adding to the discussion Adi Godrej, chairman, Godrej Industries is confident that the constitutional amendment to goods and services tax (GST) will be passed in this Budget session. He expects FY16 GDP to be around 8.4-8.5 percent.

Pawan Goenka of Mahindra & Mahindra is not surprised with any change in the excise duty for the auto sector. He believes announcements on electric vehicles will help bring cleaner vehicles into India. Goenka is expecting an improvement in demand from April-May.

Ravi Uppal, MD and CEO, JSPL said the Budget reassures directions and visions laid out last year by the government.

Naina Lal Kidwai of HSBC expected government to relax the fiscal deficit target for next fiscal. She was anticipating more announcements on consumer-led demand

Mukesh Butani of BMR Advisors said government targetting subdued collection target will make doing business easier.

Sumant Sinha, Chairman, ReNew Power also contributed to the discussion.


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