Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti basu is DEAD

Jyoti Basu: The pragmatist

Dr.B.R. Ambedkar

Memories of Another Day

Memories of Another Day
While my Parents Pulin Babu and basanti Devi were living

"The Day India Burned"--A Documentary On Partition Part-1/9

Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Friday, September 25, 2015

तनिको उन लोगों की संख्या भी गिन लीजिये जो बीमार कतई नहीं हैं लेकिन अर्थव्यवस्था और उत्पादनप्रणाली से बाह हैं और उनके हाथ पांव काट दिये गये हैं और उनका दिलोदिमाग केसरिया बना दिया गया है। सारा अपराध मुसलमानों, दलितों,पिछड़ों और आदिवासियों का है।इन्हें छोड़कर हिसाब लगाइये कि दुनियाभर में कितने विशुद्ध हिंदू बचते हैं। अरुण जेटली वकील है और बार बार सुधार तेज करने की कवायद कर रहे हैं।अमेरिका उन्हें डंडा भी कर रहा है कि तेज हों और सुधार। वे भांजते रहे हैं अबतक विदेशी कंपनियों को कोई ट्कस राहत नहीं मिलेगी।टाइटैनिक बाबा के वाशिंगटन में पधारते ही विदेशी कंपनियों को टैक्स होलीडे और सीआईआई और इंडिया इंक को बाबाजी का ठुल्लू।भोपाल गैसपीड़ितों को न्याय रोकने वाले लोग इससे बेहतर कर ही क्या सकते हैं।

तनिको उन लोगों की संख्या भी गिन लीजिये जो बीमार कतई नहीं हैं लेकिन अर्थव्यवस्था और उत्पादनप्रणाली से बाह हैं और उनके हाथ पांव काट दिये गये हैं और उनका दिलोदिमाग केसरिया बना दिया गया है।

सारा अपराध मुसलमानों,  दलितों,पिछड़ों और आदिवासियों का है।इन्हें छोड़कर हिसाब लगाइये कि दुनियाभर में कितने विशुद्ध हिंदू बचते हैं।

अरुण जेटली वकील है और बार बार सुधार तेज करने की कवायद कर रहे हैं।अमेरिका उन्हें डंडा भी कर रहा है कि तेज हों और सुधार।


वे भांजते रहे हैं अबतक विदेशी कंपनियों को कोई ट्कस राहत नहीं मिलेगी।टाइटैनिक बाबा के वाशिंगटन में पधारते ही विदेशी कंपनियों को टैक्स होलीडे और सीआईआई और इंडिया इंक को बाबाजी का ठुल्लू।भोपाल गैसपीड़ितों को न्याय रोकने वाले लोग इससे बेहतर कर ही क्या सकते हैं।


पलाश विश्वास


सारा अपराध मुसलमानों,दलितो,पिछड़ों और आदिवासियों का है।इन्हें छोड़कर हिसाब लगाइये कि दुनियाभर में कितने विशुद्ध हिंदू बचते हैं।लेकिन अंध देशभक्ति और धर्म कर्म के नाम पर जो कटकटेला अंधियारा का कारोबार है,उसमें सियासत,मजहब और हुकूमत का त्रिशुल धारण किये हम ऐसे बजरंगी बन गये हैं कि मुहब्बत की बात किसी ने कर दी तो उसकी फिर खैर नहीं।जुबान लंबी हो गयी,फतवा जारी होगा तुरंत और फिर जो हो रहा है,वही होगा।थोड़ी शर्मिंदगी होगी तो निंदा विंदा हो जायेगी और फिर नफरत का वही खुल्ला खेल फर्रूखाबादी।


टाइटैनिक बाबा अपने घर पहुंचे हुए हैं और दुनियाभर के मातबर वहां अमेरिकी कंपनियों के मालिकान से गुफ्तगू कर रहे हैं कि कैसे और कितनी जल्दी मेहनतकशों का सफाया हो तुरत फुरत।ताजा एजंडा शिक्षा क्षेत्र के निजीकरण अभियान है।


अब देख लीजिये कि दिल्ली में डेंगू से मौतें हो रही हैं तो हर कोई मौतों की गनिती में लगा है और कोई देख नहीं रहा है कि जनता बिना इलाज शुगर से भी मर रही है थोक भाव में।तनिको दूसरी तमाम बीमारियों से मरने वालों की संख्या.बिना इलाज मरते बच्चों और औरतों की संख्या तो गिना दीजिये।


तनिको उन लोगों की संख्या भी गिन लीजिये जो बीमार कतई नहीं हैं लेकिन अर्थव्यवस्था और उत्पादनप्रणाली से बाह हैं और उनके हाथ पांव काट दिये गये हैं और उनका दिलोदिमाग केसरिया बना दिया गया है।


हकीकत यह है कि इलाज अब सरकारी अस्पतालों में होता नहीं है।सरकारी अस्पतालों के लोग भी निजी बिजनेस की खुली छूट का मजा ले रहे हैं और निजी अस्पतालों में जाने का मतलब है पैसा।जिनके पास हुआ पैसा वे मर कर भी जी जाते हैं।और पैसे हुए नहीं तो फिर जीकर भी मर जाते हैं।


दो टुक शब्दों में यह खेल राजनीतिक है कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार का बाजा बजाना है क्योंकि जेएनयू के लालकिले में भगवा फहरा गया है तो बाकी दिल्ली और बाकी देश में भगवा फहराना है।


डेंगू पर बवंडर तो बहाना है,टीक वैसे ही जैसे दुनियाभर में यहूदियों के बाद सबसे धनी समुदायआरक्षण मांग रहा है और उनका नेता बंदूक ताने कह रहा है कि हमें आरक्षण नहीं दिया तो आरक्षण खत्म कर दो।वही बच्चा अब अगला अरविंद केजरीवाल है और कारपोरेटहितों के माफिक न होने की वजह से मौलिक केजरीवाल को मटिया दिया जाना है और मडियाना से पहले उसकी छवि गुड़गोबर कर देनी है।


वैसे हमें अरविंद केजरीवाल की राजनीति से कुछ लेना देना नहीं रहा है और उनके उत्थान की वजह भी हम जान रहे थे।हम बता रहे हैं कि किसी को अर्श से फर्श पर और फिर फर्श से अर्स पर ले जाने का मतलब आकिर क्या होता है।


कल अमलेंदु ने सुधर विद्यार्थी की हमारे नाम चिट्ठी हस्तक्षेप पर लगा दी है और इसका कुछ असर किसी पर हुआ या नहीं मालूम नहीं है। बंगाल में रवींद्र ,बंकिम,विवेकानंद,टैगोर वगैरह वगैरह पवित्र गाय हैं जिनकी आलोचना मना है।


व्यक्ति पूजा के लिए तमिल और बंगाली एक दूसरे से बढ़कर है।इस बंगाल को फिर बारत को आजाद करवाने का गर्व है और देश के बंटवारे में बंगाली हिंदुत्ववादियों की निर्णायक भूमिका के बारे में उसे कोई जानकारी भी नहीं है।


बंटवारे पर चर्चा का मतलब सीध गांधी,नेहरु और कांग्रेस को गरियाना है और सारे लोग जानरहे हैं कि इन लोगों की भूमिका क्या रही है और हम उसे महिमामंंडित भी नहीं कर रहे हैं।


हकीकत यह है कि नेताजी भारत छोड़ने से पहले तक फासिज्म के खिलाफ लड़ रहे थे और हिंदुत्ववादियों को बंगाल में एक इंच जमीन नहीं छोड़ रहे थे और वे चाहते थे कि कांग्रेस के मंच पर पूरे देश को लामबंद किया जाये।चूंकि ऐसा हुआ नहीं तो उन्हें देश भी छोड़ना पड़ा।नेताजी ने आजाद हिंद फौज का गठन करके आजादी के मकसद से भारत में दाकिल होने से पहले,मणिपुर में तिरंगा फहराने से पहले गांधीजी से इजाजत मांगी थी।


उन नेताजी को बंगाल और देश में कितने लोग ठीक से समझते हैं ,हमें मालूम नहीं है।लेकिन उनकी जीवित होने न होने का रहस्य सात दशकों से खुला नहीं है और पहले तो लोग उनको हिटलर से जोड़ते हैं और फासीवाद से,जो वे नहीं थे,हमने यहपहले ही लिखा है।


अबतक नेताजी के हत्यारे बतौर पंडित नेहरु को कठघरे में खड़ा किया जाता रहा है और पुलिसिया रिकार्ड के 64 दस्तावेज दीदी ने खोल दिये तो एकमुश्त लोग यह साबित करने लगे हैं कि नेतजी को नेहरु ने स्टालिन सा मरवाया है।लेकिन सबूत कुछ भी नहीं है।


नेताजी की यह भक्ति भी राजनीतिक है।नेताजी पर इतना बवाल है तो सुधीर विद्यार्थी के पत्र ने खुलासा कर दिया है कि बंगाल और कोलकाता ने बाकी क्रांतिकारियों को कैसे भुला दिया है और कैसे उनका नामोनविशां मिटा दिया है।


सुधीरजी और चमनलाल कितनो ही क्रांतिकारियों की याद दिलाये न गाय पट्टी में,न बंगाल में और न पंजाब में और न खंडित देश के सरहदों के आर पारकिसी को आजादी की लड़ाई के इतिहास की कोई परवाह है और न शहीदो की विरासत की किसी को कोई परवाह है।


होता तो ब्रिटिश हूकुनत की पीढ़ी दर पीढ़ी गुलामी करने वालों को हमने सत्ता में लगातार लगातार न बिठाया होता और पहले के जमींदारक प्रजा उत्पीड़िकों को चुन चुनकर अपना नुमाइंदा न बनाया होता।


और न वे लोग देश,देस के तमाम संसाधनों को बेच रहे होते धर्म कर्म और विशुद्धता के नाम पर और न मेहनतकशों के हक हकूक सिरे से खत्म होते और न अनंत बेदखली के लिए यह कयामत का सिलसिला चलता और न  कयामतों का वसंत बहार हमारे मक्तबाजारी जीवन में संभोग से लेकर समाधि का किस्सा होता।


हमने तो रब को हत्यारा बना डाला मजहब के नाम।

हमने फिर हत्यारों को रब बना डाला सयासत के नाम।


अब प्रवचन हम भी देने लगे हैं क्योंकि पढ़े लिखे लोग सबसे जियादा धोखा दे रहे हैं।


अब प्रवचन हम भी देने लगे हैं क्योंकि पढ़े लिखे लोग सबसे बेवकूफ बनरहे हैं।क्योंकि सबकुछ खत्म होता जा रहा है और सबकुछ निजी है और मारे हिस्से में या बेदखली या छंटनी हैं.फिरभी कहीं किसी की नींद खुल नहीं रही है।


विजुअल में लोग जियादा समझते हैं,लोग ऐसा कह रहे हैं,सो हमने बी प्रवचन के मुकाबले प्रवचन शुरु किया है।क्योंकि इस देश में प्रवचन का असर ज्यादा हो रहा और तकनीक के सिवाय न ज्ञान,न इतिहास,न अर्थव्यवस्था,न धर्म कर्म,न संस्कृति की किसी को कोई परवाह है।पढ़ने का वक्त बी किसी के पास नहीं है।सो,थ्रीजी परो जी उड़ान पर हम भी प्रवचन आजमा रहे हैं और क्रांतिकारियों की गत पर आज का प्रवचन है।


प्रवचन सुनने से पहले समझ लीजिये कि धर्म कर्म ,कर्मपल और विशुद्धता के नाम पर कैसी मनुस्मृति लागू है और किस तरह नस्ली सफाये अभियान के तहत देश बेचने का कारोबर फल फूल रहा है।


टायटेनिक बाबा के इस दफा अमेरिका दौरे पर जाने से पहले हथियारों का बड़ा सौदा हुआ है।खबर भी आप पढ़ चुके होंगे।


बिजनेस और इंडस्ट्री वाले भी बहुत ज्यादा समझदार हैं ,ऐसा मान लेने की कोई वजह नहीं है,ब्याज दरों में कटोती के सिवाय वे अर्थशास्त्र कितना समझते हैं और उनके कारिंदे और भाड़े के टट्टू उन्हें क्या समझाते हैं,हमारी समझ से बाहर है।


सर्विस सेक्टर को प्राथिमिकता देनेसे इंडस्ट्री का कितना भला हुआ,कितना भला हुआ प्रोमोटर,बिल्डर माफिया राज,एफडीआई और पूंजी से ,बेहतर है कि वक्त रहते वे समझ लें कयोंकि उत्पादन प्रणाली कोई बची नहीं है।

किसान,खेती और जनपद तबाह हैं तो इंडस्ट्री और बिजनेस का भला कितना हुआ है,वह बी हमारी समझ से बाहर है।


रिलायंस और अदाणी और कुछ गुजरात के कारोबारियों के अलावा किसी का भला हुआ नहीं है।


विदेशी निवेशकों और विदेशी पूंजी को हर छूट औरसहूलियतों से उनसे जुड़ी कंपनियों का भला जरुर हुआ है लेकिन स्टार्ट अप कोई इंडस्ट्री नहीं है और न बिजनेस हैं।हवा हवाई किले हैं।


अरुण जेटली वकील है और बार बार सुधार तेज करने की कवायद कर रहे हैं।अमेरिका उन्हें डंडा भी कर रहा है कि तेज हों और सुधार।


वे भांजते रहे हैं अबतक विदेशी कंपनियों को कोई ट्कस राहत नहीं मिलेगी।टाइटैनिक बाबा के वाशिंगटन में पधारते ही विदेशी कंपनियों को टैक्स होलीडे और सीआईआई और इंडिया इंक को बाबाजी का ठुल्लू।भोपाल गैसपीड़ितों को न्याय रोकने वाले लोग इससे बेहतर कर ही क्या सकते हैं।



मुलाहजा फरमायेः


https://youtu.be/iFxjJK0IThI An Ode to Freedom fighters whom nobody remembers!


https://youtu.be/iFxjJK0IThI
--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

No comments:

Post a Comment