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Sunday, August 18, 2013

सरकारी अस्पतालों में निजी मेडिकल कालेज खोलकर जिलों की सेहत सुधारने का कार्यक्रम

सरकारी  अस्पतालों में निजी मेडिकल कालेज खोलकर जिलों की सेहत सुधारने का कार्यक्रम


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


पश्चिम बंगाल सरकार अब पीपीपी माडल के तहत  सरकारी  अस्पतालों में निजी मेडिकल कालेज खोलने की इजाजत देकर जिलों की सेहत सुधारने का कार्यक्रम चालू कर रही है।देशभर में इसतरह की पहल अभूतपूर्व है,जहां निजी पूंजी के निवेश के लिए सरकारी अस्पतालों का इस्तेमाल किया जाना है।आर्तिक बदहाली के आलम में नये सरकारी मेडिकल कालेज खोलना असंभव है और इसीलिए बीच का यह रास्ता अपनाया जा रहा है।



इस मामले में राज्यसरकार की गरज ज्यादा है लेकिन मुश्कल है कि सरकारी तत्परता के विपरीयकारपोरेटकंपनियों की ऐसे उपक्रम में अभी दिलचस्पी मालूम नही हो सकी है।निरुत्साह कंपनियों को नयी इमारत खर्च से बचाने के लिए सरकारी अस्पताल परिसर देकर स्वास्थ्य क्षेत्र में निजी पूंजी का आवाहन किया जा रहा है।स्वास्थ्य विभाग ने इससे पहले नये मेडिकल कालेज खोलने के लिए निजी कंपनियों को सरकारी जमीन लीज पर देने की पेशकश कीथी,पर उसका कोई असर अभीतक देका नहीं गया है।


अब राज्य सरकार पीपीपी माडल को विकास के लिए एकमात्र रास्ता मानते हुए उसे सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।इसीलिए नये मेडिकल कालेज खोलने के लिए निजी संस्थाओं को सरकारी अस्पताल परिसर एक मुश्त तीन साल की अवधि के लिए दे दिये जायेंगे।


स्वास्थ्यविबाग ने इस अभिनव नीति की घोषणा आधिकारिक तौर पर कर दी है।


चिकित्सा जगत में स्वास्थ्यविभाग की इस नयी नीति से सरगर्मी है। ज्यादातर लोग जिलों में स्वास्थ्य सेवा बेहतर करने के लिए इस उपक्रम का स्वागत कर रहे हैं,लेकिन कुछ दूसरो लोग भी हैं ,जिनको तरह तरह की शंकाएं हैं।इन लोगों का कहना है कि यह सरकारी अस्पतालों के निजीकरण की दिशा में उठाया गया पहला कदम है ,जिससे राज्य के सरकारी अस्पकतालों का निजीकरण हो जायेगा।लेकिन स्व्स्थ्यविभाग इस आरोप का खंडन कर रहै है और उसके मुताबिक यह एक तदर्थ बंदोबस्त है।संसाधनों का इंतजाम होते ही तीन साल की अवधि के अंदर ही ऐसे निजी मेडिकल कालेजों का अलग अस्पताल तैयार हो जायेगा और इसके लिए जमीन कोई समस्या होगी नहीं।


वैसे स्वास्थ्य विबाग ने यह भी कहा है कि इस नीति के कार्यन्वयन की समीक्षा हर पांच साल में की जानी है।विभाग के मुताबिक मेडिकल काउंसिल की निर्देशिका मुताबिक अनिवार्य ढांचा बनाने के बाद नये मेडिकल कालेज खोलने की प्रक्रिया काफी जटिल और लंबी है।जबकि जिलों में स्वास्थ्यसेवाएं दुरुस्त करने की राज्य सरकार की प्रथमिकता है।नयी नीति इस समस्या को सुलझाने में मददगार होगी।






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