आईपीएल विवाद : मोदी पर आरोप तय, अमीन अंतरिम कमिश्नर
पलाश विश्वास
अंबेडकर ने जाति के विनाश को अपनी प्रस्थानबिंदू बनाया था। पर विडम्बना यह है कि अंबेडकरवादियों की सारी राजनीति जाति को मजबूत बनाकर सत्ता समीकरण के जरिए मजबूत जाति गठबंधन से सत्ता हासिल करने में सीमित है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आईपीएल और फोन टैपिंग पर विपक्ष की जेपीसी की मांग ठुकरा दी है। मनमोहन ने कहा कि इन मामलों में जेपीसी की जरूरत नहीं है। यहां राष्ट्रपति भवन में एक कार्यक्रम के बाद मनमोहन से जब जेपीसी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा - किसलिए? यह जेपीसी जांच के लिए उचित मुद्दा नहीं है। जब यह पूछा गया कि क्या सरकार ने इस मांग को खारिज कर दिया है, तो पीएम ने कहा कि यह काफी गंभीर मुद्दा है।सरकार द्वारा नेताओं के फोन टेप कराए जाने के मामले में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अपराधियों, जासूसों या विघटनकारी तत्वों को छोडकर अन्य नागरिकों की बातचीत टेप करने से रोकने के लिए कानून बनाने की आवश्यकता जताई है। आडवाणी ने अपने ब्लॉग पर लिखा कि फोन टेप किए जाने को लेकर मौजूदा विवाद उन्हें आपातकाल के दिनों की याद दिलाता है!
निलंबन के बाद ललित मोदी ने किया बीसीसीआई पर पलटवार. सोशल नेटवर्किंग साइट पर कहा, ''मैं अब भी आईपीएल का अध्यक्ष हूं, लेकिन निलंबित.'' मोदी के मुताबिक बोर्ड की कार्रवाई के बाद अब बारी उनकी है. सोमवार सुबह बीसीसीआई के अध्यक्ष शशांक मनोहर ने कहा कि आईपीएल के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी के ख़िलाफ़ पांच आरोप तय किए गए हैं.
गर्मी से उड़ीसा में सोमवार को दो लोगों की मौत हो गई जिससे इस वर्ष देश भर में गर्मी के मौसम में लू से मरने वालों की संख्या 108 हो गई है। पूर्वी राज्य के बारगढ़ जिले में लू से मौत का ताजा मामला सामने आया है। यहां इस वर्ष गर्मी से अब तक 105 लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य के तलचर में अधिकतम तापमान 43.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि झारसुगुडा में 43.3 डिग्री, संबलपुर में 43.2 डिग्री और सुंदरगढ़ में अधिकतम तापमान 42.5 डिग्री रहा।
.गृहमंत्री पी चिदंबरम ने विपक्ष के हंगामे के बीच कहा है कि यूपीए सरकार ने किसी भी स्तर पर फोन टैपिंग में शामिल नहीं है। विपक्ष द्वारा सरकार पर जो आरोप लगाए जा रहे है वह सही नही हैं । उन्होंने कहा है कि सरकार इस पूरे मामले को बेहद गंभीरत से ले रही है और मामले में जांच का काम जारी है। जांच रिपोर्ट आने के बाद इस मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी।
आज लोकसभा और राज्यसभा में फोन टैपिंग को लेकर जोरदार हंगामा हुआ है। सुबह विपक्ष ने प्रश्नकाल स्थगित करने की मांग की थी। प्रमुख विपक्षी दल ने प्रधानमंत्री से इस प्रकरण पर जवाब देने की मांग की है। विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने तो यहां तक कहा है कि इस प्रकरण को देखकर ऐसा लगता है कि आपातकाल की वापसी हो रही है?
हंगामे के चलते पीएम नहीं दे पाए जवाब
लोकसभा में फोन टैपिंग पर विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया जिसके चलते लोकसभा की कार्यावाही को स्थगित कर दिया गया। विपक्ष ने पीएम से जवाब देने की मांग की थी और दोपहर ३ बजे प्रधानमंत्री इस पूरे मामले पर जवाब देना चाहते थे लेकिन भारी हंगामे के चलते कार्यवाही को कल तक के लिए स्थगित कर देने के कारण प्रधानमंत्री अपना बयान नही दे सके।
यह आपातकाल के दिनों की याद दिलाता है
इस पूरे मामले पर सरकार को घेरते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सरकार को घेरते हुए बेहद गंभीर सवाल उठाए है। उन्होंने फोन टैपिंग मामले पर कहा कि यह पूरा वाक्या आपातकाल के दिनों की याद दिलाता है और मैं प्रधानमंत्री से मांग करता हूं कि वे इस पर स्पष्ठीकरण दे।
आपातकाल वापस आ गया है?
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गुरुवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सेशन के दूसरे चरण में सरकार को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। बीजेपी के नेत
सत्ता की राजनीति में वोट कमाने की जुगत में पैसा वसूली ऐसे लोगों के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होती है। सामाजिक बदलाव के नाम पर खजाना भरने की मुहिम में विचारधारा हाशिए पर है। मूलनिवासी समुदायों की तकलीफों से किसी को कोई सरदॆद नहीं है। अंबेडकरवादी ही नहीं, बल्कि गांधीवादी और लोहियावादी, मार्क्सवादी मोओवादी राजनीति का प्रस्थान बिन्दू भी अब ववैध अवैध पैसा है। आईपीएल घोटाला से इस सत्य का उजागर हो ही गया है।
अर्थशास्त्री भी थे बाबा साहेब अंबेडकर
नई दिल्ली। दुनिया भले ही बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को कानून और संविधान के एक विशेषज्ञ के तौर पर जानती है, लेकिन यह भी सच है कि वह सही मायने में एक अर्थशास्त्री थे।
जी हां, बाबा साहेब को अर्थशास्त्र की इतनी गहरी जानकारी थी कि उन्होंने 1950 के दशक में ही कृषि क्षेत्र के औद्योगीकरण पर जोर दिया था। जानेमाने दलित चिंतक चंद्रभान प्रसाद ने कहा कि बाबा साहेब सही मायने में एक अर्थशास्त्री थे। उन्होंने कृषि क्षेत्र के औद्योगीकरण की बात बहुत पहले ही कह दी थी। अंबेडकर ने कहा था कि कृषि क्षेत्र को मुनाफे का सौदा बनाने के लिए यह जरूरी है। लोगों को आध्यात्मिक आजादी दिए जाने के पक्षधर बाबा साहेब ने आधुनिक भारत को फिर से एक रंग-रूप में ढालने के लिए कृषि को उद्योग का रूप देने की वकालत की थी।
प्रसाद ने कहा कि क्रांतिकारी विचारों वाले अंबेडकर 'ग्राम स्वराज' की संकल्पना के भी खिलाफ थे। वह गांवों को लोकतंत्र की मूल इकाई बनाए जाने के खिलाफ थे। उनका कहना था कि गांव के बदले व्यक्ति को लोकतंत्र की मूल इकाई बनाया जाए, ताकि सही मायने में लोकतंत्र का वजूद रहे। चंद्रभान प्रसाद ने कहा कि विदेश नीति को लेकर भी बाबा साहेब तत्कालीन सरकार के रुख के खिलाफ थे। उनका कहना था कि भारत को न तो गुटनिरपेक्ष आंदोलन के साथ रहना चाहिए और न ही सोवियत संघ का दामन थामना चाहिए, बल्कि विकास और प्रगति के लिए अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के साथ चलना चाहिए। ऑल इंडिया कनफेडरेशन आफ एससी-एसटी आर्गेनाइजेशन के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष विनोद कुमार ने बताया कि बाबा साहेब का दर्शन पूरे समाज के लिए था, जिसमें महिलाएं भी शामिल थीं।
इसी संबंध में बाबा साहेब ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से विचार विमर्श के बाद महिलाओं को संपत्ति और समानता का अधिकार दिलाने के लिए संसद में एक बिल पेश किया था, लेकिन मनुवादी मानसिकता के लोगों ने इसका विरोध किया। इसी से खिन्न होकर उन्होंने कानून मंत्री के पद से त्यागपत्र दे दिया और बौद्ध धर्म की ओर मुड़ गए। कुमार ने कहा कि उनका दर्शन पूरे समाज के लिए था, लेकिन बदकिस्मती यह है कि आज भी उन्हें एक दलित नेता के रूप में ही जाना जाता है। उन्होंने जातिविहीन समाज की स्थापना का सपना देखा था, लेकिन तथाकथित अंबेडकरवादी आज जातिवाद को मजबूत करके ही अपनी राजनीति कर रहे हैं।
बाबा साहेब ने अमेरिका और इंग्लैंड जाकर आला दर्जे की तालीम हासिल की थी। वहीं से उन्होंने कानून की डिग्री भी हासिल की। उन्होंने कानून, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में डॉक्टरेट भी हासिल किया था। भारत लौटने पर उन्होंने कुछ समय तक कानून की प्रैक्टिस की और उस दौर में भारत में अछूत माने जाने वाले वर्ग के लोगों के राजनीतिक अधिकारों तथा सामाजिक आजादी की वकालत करते हुए एक जर्नल का प्रकाशन शुरू किया। काबिलियत तथा विद्वता के चलते ही बाबा साहेब को स्वतंत्र भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए संविधान सभा की ओर से गठित संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। वह भारत के पहले कानून मंत्री भी थे।
14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के मिलिट्री हेडक्वॉर्टर ऑफ वॉर में पैदा हुए डा. भीमराव रामजी अंबेडकर को 1990 में देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया। 14 अप्रैल के दिन ही देशभर में उनका जन्मदिन मनाया जाता है और सरकार ने इस दिन को सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया।
दूध, फलों एवं दालों की बढ़ती कीमतों से 27 मार्च को समाप्त हुए सप्ताह में खाद्य वस्तुओं
इससे पूर्व सप्ताह में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 16.35 प्रतिशत पर थी। आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में तेजी और खाद्य वस्तुओं की महंगाई का दायरा बढ़कर विनिर्मित उत्पादों तक पहुंचाने की आशंका से मार्च में कुल मुद्रास्फीति दोहरे अंक को पार कर जाने की संभावना है।
फरवरी में कुल मुद्रास्फीति 9.89 प्रतिशत के स्तर पर थी जिसमें खाद्य एवं गैर खाद्य वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव शामिल है।
वार्षिक आधार पर, दालों के दाम 32.60 प्रतिशत, दूध के 21.12 प्रतिशत, फल के 14.95 प्रतिशत और गेहूं के दाम 13.34 प्रतिशत बढ़े।
वहीं, साप्ताहिक आधार पर खाद्य वस्तुओं का सूचकांक 0.9 प्रतिशत बढ़ गया क्योंकि इस दौरान समुद्री मछली, दूध, फलों और सब्जियों एवं मसूर की दाल महंगी हुई।
बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के उपायों पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं प्रतिनिधियों के साथ ही कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों की आज एक बैठक कर रहे हैं।
भारत में शौचालय से ज्यादा मोबाइल फोन पर जोर: यूएन रिपोर्ट
15 Apr 2010, 1327 hrs IST, भाषा
शिक्षित नारी स्वयं उबर जाएगी ... |
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बात पते की
अंबेडकर को देवता मत बनाइये
राम पुनियानी
इस साल, बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती ऐसे दौर में पड़ रही है, जब दलित राजनीति के नाम पर करोड़ों रूपयों के नोटों की मालाएं पहनीं जा रहीं हैं. सवाल यह है कि जिन मूल्यों के लिए डा. अंबेडकर ने जीवन भर संघर्ष किया, वे मूल्य अब कहां हैं? सवाल यह है कि जिन दलितों की बेहतरी के लिए डा. अंबेडकर ने अपना जीवन होम कर दिया, उनकी आज क्या स्थिति हैं?
दलितों और समाज के अन्य दबे-कुचले वर्गो के अतिरिक्त, इस देश के क्रांतिकारी बुद्धिजीवियों के लिए डा. अंबेडकर आज भी एक महानायक हैं. जो राजनैतिक दल सच्चे सामाजिक न्याय के विरोधी हैं, वे तक डा. अंबेडकर के विरूद्ध एक शब्द भी बोलने की हिम्मत नहीं कर सकते.
बाबा साहेब, सामाजिक परिवर्तन के प्रतीक हैं. वे जमींदारों की आर्थिक गुलामी और ऊँची जातियों की सामाजिक गुलामी से दलितों की मुक्ति के भी अक्षय प्रतीक हैं. पीएचडी और डीएससी होते हुए भी उन्हें अपने कार्यस्थल पर अपमान सहना पड़ा. उन्हें यह समझते देर नहीं लगी कि राजनैतिक स्वतंत्रता तब तक अर्थहीन रहेगी, जब तक उसके साथ-साथ सामाजिक बदलाव नहीं होता; जब तक शूद्रों और महिलाओं को गुलामी से मुक्ति नहीं मिलती. राष्ट्रीय आंदोलन में उन्होंने इन्हीं लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए काम किया.
समाज सुधार की दिशा में उनका एक बड़ा कदम था, शुद्रों को पानी के सार्वजनिक स्त्रोतों तक पहुंच दिलवाने का आंदोलन, जिसे "चवादार तालाब आंदोलन" कहा जाता है. डा. अंबेडकर का एक अन्य आंदोलन, जिसने सामाजिक यथास्थितिवाद की जड़ों पर प्रहार किया, वह था कालाराम मंदिर आंदोलन. इसके जरिए वे दुनिया के सामने यह तथ्य ला सके कि शूद्रों को भारतीय समाज अपना भाग मानने तक को तैयार नहीं था.
महिलाओं और दलितों की गुलामी की जड़ें "मनुस्मृति" में थीं और इसलिए उन्होंने इस पुस्तक को सार्वजनिक रूप से जलाया. अंबेडकर का यह विचार था कि भारतीय संदर्भ में जाति, दरअसल, वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है और इसीलिए उन्होंने "लेबर पार्टी" का गठन किया. बाद में उन्होंने दलितों के सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक हितों की रक्षा के लिए कई संगठन और दल बनाए.
प्रयास यह किया जा रहा है कि उन्हें देवता बनाकर मंदिर में प्रतिष्ठापित कर दिया जाये और फिर उनके प्रिय सिद्धांतों और आदशों को कचरे की टोकरी में फेंक दिया जाये. |
अपनी पुस्तक "थाट्स ऑन पाकिस्तान (पाकिस्तान पर कुछ विचार) के संशोधित संस्करण में उन्होंने चेतावनी दी कि अगर धर्म पर आधारित पाकिस्तान का निर्माण हुआ तो भारत में भी धर्म-आधारित "हिन्दू राज" स्थापित हो जाएगा और इससे भारत के शूद्रों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ेगा. यह चेतावनी उनकी दूरगामी सोच का प्रतीक थी.
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में डा. अंबेडकर का योगदान असाधारण स्तर का था. उनकी भूमिका के बारे में गाँधीजी ने एक बार कहा था "डा. अंबेडकर, तुम खरे देशभक्त हो". डा. अंबेडकर को इस बात का अहसास था कि अगर स्वतंत्रता के बाद भी सामाजिक न्याय की लड़ाई को जारी रखा जाना है तो भारतीय संविधान, स्वतंत्रता, समानता व बंधुत्व के मूल्यों पर आधारित होना चाहिए.
अपने आलोचकों की परवाह करे बिना, डा. अंबेडकर ने भारतीय संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष के तौर पर, संविधान निर्माण के काम में अपनी पूरी प्रतिभा और मेहनत झोंक दी. यह डा. अंबेडकर की प्रतिबद्धता का ही नतीजा था कि संविधान में सामाजिक न्याय और कमजोर वर्गो की बेहतरी के लिए अनेक प्रावधान किए गए. पंड़ित नेहरू ने अंबेडकर को "हमारे संविधान के सम्मानित और प्रतिष्ठित निर्माता" की संज्ञा दी.
अंबेडकर ने स्वाधीनता आंदोलन के लक्ष्यों में सामाजिक परिवर्तन को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वे चमत्कृत कर देने वाली मेधा के धनी थे और उनके जीवन का एकमात्र लक्ष्य, दलितों की बेहतरी था. वे निरंतर हमारे देश की जाति प्रथा पर प्रश्नचिन्ह लगाते रहे. उन्होंने इस देश में राजनैतिक व सामाजिक बदलाव की प्रक्रिया को गति दी. यह आकारण ही नहीं था कि वे कमजोर वर्गो के संघर्ष के प्रतीक और अगुवा थे. और यही कारण है कि देश के सामाजिक और राजनैतिक परिदृष्य में उनकी भूमिका को नकारने या कम करके प्रस्तुत करने की कोशिशें हो रही हैं.
चूंकि उन्हें पूरी तरह से नजरअंदाज करना संभव नहीं है इसलिए प्रयास यह किया जा रहा है कि उन्हें देवता बनाकर मंदिर में प्रतिष्ठापित कर दिया जाये और फिर उनके प्रिय सिद्धांतों और आदशों को कचरे की टोकरी में फेंक दिया जाये. उनके योगदान के महत्व को घटा कर प्रस्तुत करने के भी योजनाबद्ध प्रयास हो रहे हैं.
डा. अंबेडकर का दलितों को मूल संदेश यही था कि उन्हें शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए, संगठित होना चाहिए और अपने हकों के लिए लड़ना चाहिए. उन्होंने कुछ प्रतिकात्मक आंदोलन अवश्य किए परंतु उनका मुख्य जोर इसी बात पर था कि दलित संगठित होकर अपने अधिकारों के लिए सतत् संघर्ष करें.
दलित आंदोलन के रास्ते में दो प्रमुख बाधाएं हैं भू-सुधारों का अभाव और समाज पर कसता जा रहा धार्मिकता का शिकंजा. दलित आंदोलन का कई हिस्सों में बँट जाना इस बात का संकेत है कि दलितों के अस्तित्व और उनकी भौतिक बेहतरी के मूल मुद्दों को उठाने में यह आंदोलन असफल रहा है. केवल पहचान से जुड़े मसले उठाने से न तो दलितों के हालात सुधरेगें और ही उन पर होने वाले अत्याचारों में कमी आयेगी.
धर्म की राजनीति, हर प्रकार के सामाजिक बदलाव की विरोधी है और वह अंबेडकर के मूल्यों के भी खिंलाफ है. सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए जरूरी है एक व्यापक प्रजातांत्रिक संघर्ष, जिसमें दलितों के अलावा समाज के अन्य वंचित वर्गो की भी भागीदारी हो.
10.04.2010, 17.52 (GMT+05:30) पर प्रकाशित
चुनाव घोषणापत्र ताक पर, सारी कवायद पूंजी हासिल करने और पूंजी वर्चस्व के आगे सर नवाने के लिए होती है। हाशिए पर चले जाते हैं कार्यक्ता और बाहुबली, अपराधी, करोड़पति, दलाल ,भडुवे नीति निर्धारक बन जाते हैं। ऐसे में मूलनिवासी जनपदों तक पहुंचने की कोई तकलीफ ही नहीं उठाता और न ही नरसंहार की संस्कृति से किसी को परहेज होता है। जहां से पैसा आए, सारी दौड़ वहीं तक।
कटौती प्रस्ताव पर मनमोहन सिंह की सरकारे के बचाव में खड़ी मायावती इसी परंपरा का निrवाह अपने ढंग से डंके की चोट पर कर रही हैं और वंचित जनता इसी को ही सामाजिक न्याय का पर्याय मान बैटी है।
आईपीएल की गवर्निग काउंसिल की चिरप्रतिक्षित बैठक सोमवार को संपन्न हो गई। बैठक में आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी पर कुल 22 आरोप तय किए गए। निलंबन के बाद बैठक से नदारद रहे मोदी को जवाब देने के लिए 15 दिनों की मोहलत दी गई है। आईपीएल के दैनिक कार्यो की देखरेख के लिए गुजरात के मशहूर उद्योगपति और बीसीसीआई के उपाध्यक्ष चिरायु अमीन को अंतरिम कमिश्नर नियुक्त किया गया है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष शशांक मनोहर की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में 14 सदस्यीय गवर्निग काउंसिल के 12 सदस्यों ने हिस्सा लिया। मोदी तथा जम्मू एवं कश्मीर क्रिकेट संघ के अध्यक्ष फारूख अब्दुल्ला इस बैठक में शामिल नहीं हुए। बैठक के बाद पत्रकारों से मुखातिब मनोहर ने स्वीकार किया कि बीसीसीआई मुख्यालय से कुछ जरूरी दस्तावेज गायब हो गए हैं। मनोहर ने पत्रकारों से कहा, ""मोदी के निलंबन के बाद हमने आईपीएल के दैनिक कार्यो के क्रियान्वयन के लिए अमीन को अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया है। मोदी पर कुल 22 आरोप तय किए गए हैं और जवाब दाखिल करने के लिए उन्हें 15 दिनौं का समय दिया गया है। मोदी पर लगाए गए आरोपों में वित्तीय अनिय्मितताओं से लेकर फ्रेंचाइजी की बोली और प्रसारण अधिकार से जु़डे समझौते में हेरा-फेरी की बात शामिल है। इन मामलों में बीसीसीआई की ओर से 34 पृष्ठों का एक आरोप पत्र दिया गया।
नागरिकों को पहचान संख्या देने की सरकार की महत्वाकांक्षी यूनिक आइडेंटिटी परियोजना को अब 'आधार' के नाम से जाना जाएगा। इसे सोमवार को यह नया नाम दिया गया। साथ ही इसके लोगो का भी अनावरण किया गया।
यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी (यूआईडीए) के चेयरमैन नंदन नीलेकनी ने अपने पहले सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा कि नंबर संबंधी कोई कार्ड जारी नहीं किया जाएगा। फिर भी नागरिकों को इसकी जानकारी देने के लिए आधिकारिक पत्र जरूर भेजा जाएगा।
देश का सबसे बड़ा रिटायरमेंट फंड अपनी आमदनी में इजाफा करने के लिए अब बॉन्ड बाजार में निवेश करने का इच्छुक है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) रिलायंस इंडस्ट्रीज और एसीसी जैसी बड़ी कंपनियों के बॉन्ड में सालाना 1 अरब डॉलर (लगभग 4,600 करोड़ रुपए) लगाने पर विचार कर रहा है। ईपीएफओ के पास 3 लाख करोड़ रुपए का फंड है। भारत कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार को विकसित करने के प्रयास में है और ईपीएफओ के निवेश से इस प्रयास को बल मिलने की उम्मीद है।
कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश के तर्क को सही बताते हुए ईपीएफओ के एक आला अफसर ने कहा, 'हर साल 20 से 25 फीसदी दर से हमारी आवक बढ़ रही है, लेकिन निवेश करने लायक विकल्प सीमित हैं।' ईपीएफओ संगठित क्षेत्र के 4.5 करोड़ कर्मचारियों के रिटायरमेंट बचतों का प्रबंधन करता है। फंड 2010-11 के लिए 8.5 फीसदी के रिटर्न की घोषणा करने वाला है। पिछले पांच सालों से वह इसी दर से रिटर्न दे रहा है। यह रिटर्न, पेंशन फंड रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी के न्यू पेंशन स्कीम के रिटर्न के कम है।
विवाद की तह
याहू! जागरण - 25 मिनट पहलेरोडवेज के निजीकरण की अटकलों-कयासों को दूसरे कारण के रूप में देखा जा रहा है। ... रोडवेज यूनियनें इसे सीधे तौर पर निजीकरण की शुरुआत मान कर संघर्ष की रणनीति तैयार करने में जुटी है। ...
याहू! जागरणनिजीकरण के खिलाफ गरजे कर्मी, पुतला ...
दैनिक भास्कर - 7 अप्रैल 2010बिजली बोर्ड का निजीकरण के विरोध में सब डिवीजन कपूरथला अधीन आते सब स्टेशन खैड़ा मंदिर में बिजली कर्मियों द्वारा पंजाब सरकार का पुतला जलाया जाएगा तथा धरना देकर नारेबाजी की गई। ...टीएसयू ने सरकार का पुतला फूंका - याहू! जागरण
बिजली मुलाजिमों ने सरकार का पुतला ... - दैनिक भास्कर
गुस्साए बिजली मुलाजिम सड़क पर उतरे ... - दैनिक भास्कर
दैनिक भास्कर
सभी 5 समाचार लेख »माले ने भी बंद का किया समर्थन
दैनिक भास्कर - 1 दिन पहलेउन्होंने खाद्य सुरक्षा की मांग, असंगठित मजदूर, खेत मजदूर, छोटे मजदूर को बीपीएल सूची में शामिल करने की भी मांग की है। साथ ही निजीकरण नीति को बंद करने की बात भी कही है।बिजली बोर्ड का निजीकरण बर्दाश्त ...
दैनिक भास्कर - 6 अप्रैल 2010उधर, धारीवाल में बिजली बोर्ड इंप्लाइज फैडरेशन, इंप्लाइज फैडरेशन एटक और टैक्निकल सर्विसिस यूनियन ने निजीकरण व निगमीकरण के खिलाफ सब डिवीजन में रोष रैली की। वक्ताओं ने कहा कि ...बिजली बोर्ड के निजीकरण का विरोध ... - दैनिक भास्कर
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प्रातःकाल''रेलवे का न निजीकरण होगा, न जमीन ...
प्रातःकाल - 5 दिनों पहलेरेलमंत्री ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि रेलवे का निजीकरण नहीं होगा। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि रेलवे की जमीन भी नहीं बेची जाएगी। अलबत्ता, जरूरत के मद्देनजर ...
दैनिक भास्करनहीं चली रोडवेज की बसें, परेशानी
दैनिक भास्कर - 31 मार्च 2010निजीकरण के विरोध और कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने की मांग को लेकर बुधवार को रोडवेज कर्मचारियों के चक्का जाम से आमजन को परेशानियों का सामना करना पड़ा। यात्रियों को घंटों बस ...दिनभर भटकते रहे यात्री - दैनिक भास्कर
छिट-पुट असर दिखा चक्का जाम का - दैनिक भास्कर
पहिया रहा जाम, लोग हुए परेशान - दैनिक भास्कर
दैनिक भास्कर - दैनिक भास्कर
सभी 23 समाचार लेख »पानी के लिए मचा हाहाकार
दैनिक भास्कर - 4 दिनों पहलेबिजली कर्मचारियों की ज्वाइंट एक्शन कमेटी की समालखा यूनिट की मीटिंग में सरकार की निजीकरण नीतियों का विरोध किया। इस दौरान सरकार विरोध नारेबाजी भी की। बुधवार को शिव मंदिर बिजली ...निजीकरण के विरोध में उतरे बिजली ...
हिन्दुस्तान दैनिक - 1 अप्रैल 2010सरकारी विभागों में निजीकरण के विरोध में ऑल हरियाणा पॉवर कॉरपोरेशंस वर्कर्स यूनियन की ओल्ड फरीदाबाद यूनिट ने तीन सब डिविजनों पर बैठक की। इसमें रविवार को सर्व कर्मचारी संघ की ...टीयर का रेडिका में धरना निजीकरण ...
दैनिक भास्कर - 30 मार्च 2010उन्होंने आऊट सोर्सिंग ऑफ लोडिंग की नीति पर बोलते हुए कहा कि यह पब्लिक कार्यालयों का टुकड़ों में निजीकरण है, जिसे वे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। राष्ट्रीय अध्यक्ष ...
खास खबरग्राम रेल योजना के लिए पीएम से कहेगी ...
खास खबर - 3 दिनों पहलेरेलवे का निजीकरण नहीं होगा और उसकी जमीन बेचने का सवाल ही नहीं खडा होता। अपनी अलग-अलग परियोजनाओं में निवेश के लिए रेलवे निजी भागीदारी को आमंत्रित करेगी।प्रधानमंत्री से प्रधानमंत्री ग्राम ... - देशबन्धु
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ईपीएफओ के कम रिटर्न का कारण उसका कठोर इनवेस्टमेंट पैटर्न है। साल 2003 से उसे इसी पैटर्न का पालन करना पड़ रहा है। हालांकि वित्त मंत्रालय इस पैटर्न में दो बार संशोधन कर चुका है। साल 2005 में ईपीएफओ को शेयरों में 5 फीसदी निवेश करने की इजाजत दे दी गई थी जिसे 2009 में 15 फीसदी कर दिया गया था। ईपीएफओ के बोर्ड में 43 सदस्य हैं, जिनमें से ज्यादातर लोग पुरानी सोच के हैं। इस बोर्ड ने शेयर बाजार में निवेश करने से इनकार कर दिया।
कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश करना निश्चित तौर पर एक कदम आगे बढ़ाना होगा। ईपीएफओ अभी तक सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के बॉन्डों पर निवेश किए हुए है। ईपीएफओ अपने फंड का 10 फीसदी हिस्सा निजी क्षेत्र के बॉन्ड में निवेश कर सकता है, लेकिन उसने अपने निवेश को तीन निजी बैंकों और दो वित्तीय संस्थानों, एचडीएफसी और आईडीएफसी तक सीमित कर रखा है।
ईपीएफओ ने अपने निवेश दिशानिर्देशों में कुछ बड़ी कंपनियों को शामिल करने के लिए बोर्ड की मंजूरी मांगी है। इन कंपनियों में रिलायंस इंडस्ट्रीज, लार्सन एंड टुब्रो, अंबुजा सीमेंट्स, और एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस शामिल हैं। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल से जानकारी लेने के बाद उसने बोर्ड की मंजूरी मांगी। इन कंपनियों का चुनाव उनके नेट वर्थ, मुनाफे के रिकॉर्ड और एएए रेटिंग के आधार पर किया गया है। फंड का बोर्ड शुक्रवार की बैठक में इन नामों पर विचार करेगा।
बीपीएल और अंत्योदय परिवारों को रजिस्ट्रेशन कराने के एवज में 100 रुपए देने पर चर्चा हो रही है। इसकी वजह यह है कि वे पंजीकरण कराने वाले दिन मजदूरी नहीं कर पाएंगे। इस पैसे को नकद या खाते के मार्फत देने के बारे में फिलहाल कोई फैसला नहीं हुआ है।
नंबर के लिए रजिस्ट्रेशन किसी भी रजिस्ट्रार कार्यालय में हो सकेगा। रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी नहीं, वैकल्पिक रहेगा। तेरहवें वित्त आयोग ने यूआईडीए को अगले पांच साल के लिए 3,000 करोड़ रुपए दिए हैं।
नया लोगो:
नए लोगो में पीले रंग के सूर्य के साथ केंद्र में उंगली का निशान है। इसका अनावरण भी यहां आयोजित एक सेमिनार में हुआ। यह लोगो राष्ट्रीय प्रतियोगिता में मिली 2000 प्रविष्टियों में से चुना गया है। मुंबई निवासी अतुल सुधाकर राव पांडे को उनका लोगो चुने जाने पर एक लाख रुपए का पुरस्कार दिया गया।
चार वर्ष में साठ करोड़ लोगों को नंबर:
इस परियोजना के तहत अगले चार वर्र्षो में 60 करोड़ लोगों को विशेष नंबर जारी होगा। पहले चरण में अगस्त 2010 से फरवरी 2011 के बीच नंबर जारी होंगे। इसके लिए हर व्यक्ति के हाथों की दसों उंगुलियों तथा आंखों की पुतली के निशान भी लिए जाएंगे।
यूआईडी का मकसद:
- हर व्यक्ति की पहचान स्थापित करना,
- गरीब परिवारों तक केंद्रीय योजनाओं का लाभ पहुंचाना,
- कोई व्यक्ति नहीं ले पाए दूसरे के नाम का पैसा,
- आगामी समय में यूनिक नंबर के साथ जारी हो सकते हैं पैन कार्ड,
- लाइसेंस बनवाने, बैंक एकाउंट खुलवाने, राशन लेने व अन्य सरकारी योजनाओं में भी विशेष नंबर का उपयोग संभव।
बीसीसीआई के अध्यक्ष शशांक मनोहर ने आज मीटिंग के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा है कि यदि बोर्ड ललित मोदी के जवाब से संतुष्ठ हुआ तो उनका निलंबन वापस लिया जा सकता है।
गौरतलब है कि आईपीएल में वित्तीय अनियमितता के मामले में ललित मोदी को एक कारण बताओं नोटिस दिया है।
इसके साथ ही उनको बोर्ड अध्यक्ष शशांक मनोहर ने बीसीसीआई की संविधान की धारा 32 के तहत मोदी को निलंबित कर दिया है। इस धारा में इस बात का स्पष्ठ उल्लेख है कि अगर मोदी कोर्ट में जाकर स्टे भी ले आते हैं तो भी उनका निलंबन प्रभावी रहेगा।
आईपीएल में गैरकानूनी विदेशी निवेश की जांच कर रही एजेंसियों ने टीम फ्रेंचाइजियों के 'पावर ऑफ अटॉर्नी' दस्तावेजों की छानबीन शुरू कर दी है। इससे टूर्नामेंट में बड़े पैमाने पर हुए बेनामी लेनदेन के खुलासे की उम्मीद है।
पावर ऑफ अटॉर्नी वह कानूनी दस्तावेज है, जिसके जरिए मूल मालिक किसी नामित व्यक्ति को कंपनी चलाने का अधिकार देता है। आयकर व अन्य एजेंसियों ने विभिन्न आईपीएल फ्रेंचाइजियों पर छापे के दौरान ऐसे करीब २क् दस्तावेज जब्त किए हैं। साथ ही कई दूसरी संवेदनशील जानकारियां भी उनके हाथ लगी हैं। ज्यादातर पावर ऑफ अटॉर्नी दूसरे देशों में रजिस्टर्ड हैं।
आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि उन्हें संदेह है कि कुछ टीमों में विदेशी कंपनियों ने धन लगाया है। बाद में अन्य लोगों को पावर ऑफ अटॉर्नी दे दी गई, जो फील्ड पर टीम की नुमाइंदगी करते हैं। कुछ मामलों में तो नामित व्यक्ति को टीम से संबंधित सभी अधिकार सौंप दिए गए हैं। कुछ ऐसे दस्तावेज प्रवर्तन निदेशालय को भी सौंपे गए हैं।
सीपीएम की पहल पर उसके सहित एआईएडीएमके, बीजेडी,एसपी, आरजेडी, टीडीपी, आरएलडी, एलजेपी, जेडीएस, आईएनएलडी, सीपीआई, फॉरवर्ड ब्लॉक और आरएसपी के नेताओं ने भी कटौती प्रस्ताव लाने का फैसला किया है। लोकसभा में इन 13 दलों के सदस्यों की कुल संख्या 87 है। इन दलों के अलावा बीजेपी के 116, उसके सहयोगी जेडीयू के 20, शिवसेना के 11 और अकाली दल के 4 सदस्य हैं। सरकार के लिए राहत की बात यह है कि उसे बाहर से समर्थन दे रही लोकसभा में 21 सदस्यों वाली बीएसपी कटौती प्रस्ताव लाने का फैसला करने वाले 13 दलों की जमात से दूरी बनाए हुए है।
निर्दलीय सदस्यों को मिला कर यूपीए सरकार को 265 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। कटौती प्रस्तावों को नामंजूर कराने और सत्ता में बने रहने के लिए उसे कम से कम 272 सदस्यों के समर्थन की दरकार है। ऐसे में यूपीए सरकार को अब बस बीएसपी से ही आस है।
सरकार पर भारी दबाव बनाने के लिए सीपीएम के साथ एकजुट हुईं इन 13 पार्टियों का कहना है कि सरकार गिराना उनका उद्देश्य नहीं है, लेकिन अगर वह गिर भी जाए तो वे क्या कर सकते हैं? कटौती प्रस्तावों से लोकसभा में सरकार के बहुमत की परीक्षा होगी। अगर सदन ने कटौती प्रस्ताव मंजूर कर लिए तो यह सरकार की हार होगी। सरकार की परेशानियां बढ़ाते हुए बीजेपी ने भी कहा है कि वह कटौती प्रस्ताव पर 13 दलों से तालमेल कर सकती है। पार्टी प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने कहा, 'अपनी तरफ से कटौती प्रस्तावों पर सदन में सभी पार्टियों से समन्वय का प्रयास करेंगे।'
परेशानी के बावजूद कांग्रेस को भरोसा है कि वह इस संकट से पार पाने में सफल होगी। संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा, 'सरकार के लिए कोई समस्या नहीं है।' साथ ही उन्होंने विपक्ष से अपील की कि वह ऐसा कोई काम नहीं करे जिससे सदन को सुचारू रूप से चलाने में बाधा हो।
सरकार अगर कटौती प्रस्ताव की परीक्षा पार कर लेती है तो भी सरकार की परेशानी कम होने वाली नहीं हैं। विपक्ष के पास सरकार को घेरने के और भी मुद्दे हाथ लग गए हैं। इन मुद्दों में विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर से संबंधित आईपीएल से जुड़ा नया विवाद, दंतेवाड़ा में माओवादियों द्वारा 75 सीआरपीएफ कर्मियों की हत्या, महिला आरक्षण विधेयक और परमाणु दायित्व विधेयक आदि शामिल हैं।
मायावती सीधे लेती हैं रिश्वत
कानपुर। सपा के नेता प्रतिपक्ष शिवपाल सिंह यादव ने शनिवार को सर्किट हाउस में मायावती के खिलाफ जहर उगला।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश की मुखिया मायावती और उनके मंत्री अधिकारियों से सीधे रिश्वत खा रहे हैं। इसी कारण प्रदेश की कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। उन्होंने कहा कि हमारी 27 अप्रैल की देशव्यापी हड़ताल एक ऐतिहासिक हड़ताल होगी।
शिवपाल सिंह यादव 27 तारीख की हड़ताल के लिए कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने शनिवार को शहर पहुंचे। उन्होंने बताया कि हमारे साथ देश के 13 दल मिलकर हड़ताल में अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं।
हम हड़ताल के माध्यम से केन्द्र और राज्य सरकार को झुकने के लिए विवश कर देंगे। प्रदेश में भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है आईएएस और आईपीएस अधिकारी पूरी तरह ने बेईमान हो चुके हैं। प्रदेश में बलात्कार, चोरी, अपहरण और महिलाओं के छेड़-छाड़ के मामले तो आम बात हो गई है।
यह घटनाएं दिन पर दिन बड़ती ही जा रही हैं। बिजली की समस्या के कारण जनता रात में सो नहीं पा रही है। उन्होंने कहा कि सपा का अह्वान है कि जनता सरकार के खिलाफ बगावत पर उतरें। हम चाहते हैं कि चुनाव जल्द से जल्द हो ताकि प्रदेश की जनता को इस सरकार से निजात मिले।
पार्टी में बढ़ रही अनुशासनहीनता के संबंध में कहा कि थोड़ी बहुत खुट-पुट तो चला ही करती है लेकिन जो अनुशासित नहीं रहेगा उसके खिलाफ कठोर कदम उठाया जाएगा। जया बच्चन के मामले पर कहा कि उन्हें तो इस बात की जानकारी ही नहीं है कि श्रीमती बच्चन के सांसद बनने पर किसी ने चुनाव आयोग में कोई शिकायत भी दर्ज कराई थी।
जिला पुलिस अधीक्षक ज्ञानेश्वर तिवारी ने बताया है 'पिछले हफ्ते गुरूवार को औराई थाने के महाराजगंज कस्बे में नकली शराब बनाने का कारखाना चलाने के आरोप में गिरफ्तार सतीश जायसवाल नाम के शख्स से हुई पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर कल ही औराई थाने पर ज्ञानपुर से सपा विधायक विजय मिश्र के खिलाफ धारा 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।' तिवारी ने बताया कि 22 अप्रैल को औराई के महाराजगंज कस्बे में सालिक खटिक नाम के एक शख्स के घर में नकली शराब बनाने का कारखाना पकड़े जाने के बाद इस सिलसिले में चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था, जिनमें सतीश जायसवाल सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान सतीश जायसवाल ने बताया कि इस अंचल में चल रहे अवैध और नकली शराब बनाए और बेचे जाने के कारोबार में विधायक विजय मिश्र की भी सहभागिता है। रविवार को औराई थाने पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करके उनकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि विधायक विजय मिश्र के खिलाफ हत्या, लूट सहित अन्य कई आपराधिक मामलों में 57 मुकदमे पहले से ही दर्ज हैं। गौरतलब है कि भदोही के चौरी थाना क्षेत्र और भदोही सीमा से सटे वाराणसी के कपसेठी थाना क्षेत्र में चार अप्रैल को जहरीली शराब पीने से 11 लोगों की मौत हो गयी थी जबकि कई अन्य बीमार पड़ गए थे, इसके बाद से ही इस अंचल में अवैध शराब कारोबार में लगे लोगों के खिलाफ छापों एवं कार्यवाही का सिलसिला चल रहा है।
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मनोहर ने कहा कि भारतीय क्रिकेट टीम के तीन पूर्व कप्तानों-गावस्कर, शास्त्री और पटौदी को सोमवार को आईपीएल के चौथे संस्करण के लिए टीमों के संयोजन, नए सिरे से होने वाली नीलामी के लिए "जमीन" तैयार करने की ब़डी जिम्मेदारी सौंपी गई है। मनोहर ने कहा कि गावस्कर, शास्त्री और पटौदी को 2011 आईपीएल के लिए टीमौं में देसी तथा विदेशी खिलाç़डयों के चयन और उनकी संख्या निर्धारित करने की जिम्मेदारी दी गई है। आईपीएल-4 के लिए इस वर्ष टीमों को खिलाç़डयों के लिए नए सिरे से बोली लगानी प़डेगी।
उल्लेखनीय है कि रविवार देर रात मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स के बीच खेले गए आईपीएल खिताबी मुकाबले के फौरन बाद मोदी को आईपीएल के चैयरमैन और कमिश्Aर पद से निलंबित कर दिया गया। मनोहर ने ईमेल के जरिए भेजे गए संदेश के माध्यम से निलंबन के साथ ही मोदी को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया। बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारी देर रात तक मुख्यालय में ही रहे।
इस बीच, फिल्म अभिनेत्री और आईपीएल के राजस्थान रॉयल्स टीम की ब्रांड एंबेस्डर शिल्पा शेट्टी ने उन खबरों का खंडन किया है, जिनमें कहा जा रहा है कि वह तथा उनके उद्योगपति पति राज कुंद्रा की राजस्थान टीम में कोई हिस्सेदारी नहीं है।
सोशल नेटवर्किग वेबसाइट "टि्वटर" पर सोमवार को दी गई अपनी टिप्पणी में शिल्पा ने लिखा है, ""सुबह उठी तो टीवी पर देखा कि हमारे राजस्थान टीम के हिस्सेदार होने पर सवाल उठाए जा रहे हैं। मैं सिर्फ इतना कहना चाहती हूं कि इसमें कोई शक नहीं कि मेरे पति राज इस टीम में हिस्सेदार हैं और मैं इस टीम की ब्रांड एंबेस्डर हूं। यही सच्चाई है।""
बीसीसीआई अध्यक्ष मनोहर ने सोमवार को गवर्निग काउंसिल की बैठक के बाद कहा था कि राज और शिल्पा के नाम राजस्थान टीम के हिस्सेदारौं के रूप में दर्ज नहीं हैं। इस संबंध में बीसीसीआई के पास कोई दस्तावेजी सबूत नहीं हैं। मनोहर के इस बयान के बाद यह खबर आने लगी कि राज और शिल्पा का नाम दस्तावेजौं में इसलिए मौजूद नहीं है क्योंकि आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी ने उनके माध्यम से आईपीएल में आंशिक हिस्सेदारी ले रखी है।
यदि आज हम डॉ.भीमराव अंबेडकर के विचारों पर चलें तो 21वीं सदी का भारत न केवल आधुनिक भारत, बल्कि दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बन जाएगा। यह कहना था वरिष्ठ पत्रकार और काउंसिल फॉर इंडियन फॉरेन पॉलिसी एंड इंडियन लैंग्वेज कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन डॉ.वेद प्रताप वैदिक का। मौका था विश्व का सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला अखबार 'दैनिक जागरण' की मीडिया पार्टनरशिप में डीयू के बीआर अंबेडकर कॉलेज की ओर से बुधवार को अंबेडकर जयंती के अवसर पर कॉलेज सभागार में आयोजित 'चतुर्थ डॉ.बीआर अंबेडकर मेमोरियल लेक्चर' का।
समरसतापूर्ण समाज की स्थापना के लिए युवाओं का आह्वान करते हुए डॉ.वैदिक ने कहा कि वे विवाह करने के लिए जाति नहीं बल्कि गुण और कर्म को प्राथमिकता दें। इससे समाज में जाति बंधन पर प्रहार होगा और आदर्श समाज बनाने की दिशा में हम आगे बढ़ पाएंगे। विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद जेएनयू के सेंटर फॉर सोशल साइंस स्टडीज के डीन प्रो.नंदू राम ने डॉ.अंबेडकर के आर्थिक व्यवस्था, शिक्षा, धर्म, संस्कृति और मानवाधिकारों के साथ-साथ सामाजिक न्याय पर दिए गए विचारों को विस्तार से रेखांकित किया।
इस अवसर पर अपने स्वागत भाषण में कॉलेज के प्राचार्य डॉ.जीके अरोड़ा ने कहा कि अंबेडकर के विचार युगों-युगों तक शासन और समाज को विकास की नीतिया बनाने के लिए पथ-प्रदर्शक का कार्य करती रहेंगी। कार्यक्रम के अंत में कॉलेज के एनसीसी कैडेटों को सम्मानित भी किया गया। इस मौके पर कालिंदी कॉलेज की प्राचार्य डॉ.अनुला मौर्य के साथ कॉलेज प्रबंध समिति के सदस्य नागेंद्र शर्मा, कार्यक्रम संयोजक आर ठाकुर, धनंजय कुमार और डॉ.एमएस वत्स के साथ बड़ी संख्या में शिक्षक व छात्र मौजूद थे।
आईपीएल के तीसरे सीजन का परदा गिर चुका
क्रिकेट में अब कई खेल शामिल हो गए हैं जिनके चलते पिछले सप्ताह एक मंत्री को कुर्सी गंवानी पड़ी और अगले कुछ दिनों में कुछ और मंत्रियों तथा क्रिकेट की दुनिया के बेनाम बादशाहों की जमीन खिसक सकती है। इसकी शुरुआत कोच्चि की नई फ्रेंचाइजी के मालिकाना हक पर संदेह के साथ हुई थी, लेकिन जल्द ही यह बड़ा विवाद बन गया।
इस सनसनीखेज तमाशे में हवाला कारोबार के आरोप हैं, जांच है, क्रिकेट बोर्ड और आईपीएल टीम मालिकों के यहां छापामारी है तथा सियासी मोर्चों पर हिसाब-किताब बराबर करने की तैयारी है। पैसे और भ्रष्टाचार ने जेंटलमैन गेम और क्रिकेट की दुनिया में भारत की कप्तानी को चुनौती दे डाली है।
पैसे का लालच बहुत कुछ करा सकता है। यह जानीमानी सॉफ्टवेयर कंपनी के सज्जन से दिखने वाले सीईओ को शेयरधारकों का पैसा पारिवारिक कारोबार में इस्तेमाल करना सिखा सकता है। इसके चलते एक मुख्यमंत्री जमीन सौदों में पैसा बनाने की राह पकड़ सकता है, जबकि दूसरा खनन घोटाले की खदान में धंस सकता है। यह लालच वैश्विक बैंकों को जमींदोज कर सकता है और शेयर बाजारों को धूल चटा सकता है, लेकिन क्रिकेट के इस कीचड़ ने भारतीय कारोबारियों, नेताओं, खिलाडि़यों और फिल्मी सितारों का ऐसा चेहरा पेश किया है जिसे शायद ही कोई पसंद करे।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया की एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अनुपमा झा ने कहा, 'इस घटनाक्रम ने रेखांकित किया है कि जहां पैसा, प्रतिस्पर्धा या ताकत का मामला होगा, भ्रष्टाचार का खतरा बना रहेगा। इस मामले में मंत्री को इस्तीफा देने पर मजबूर करने के लिए ये तीनों चीजें थीं...।'
ब्रांड और मार्केटिंग सलाहकार सुहेल सेठ का कहना है, 'पूरा देश ही स्वार्थी होता जा रहा है। अगर आप भ्रष्ट नहीं हैं, तो आपको पागल समझा जाता है।'
दो दशक पहले जब भारतीय अर्थव्यवस्था के दरवाजे खोले गए थे, तो माना गया था कि लाइसेंस और परमिट राज का अंत होने से भारत सबसे कम भ्रष्ट देश के रूप में उभरेगा, लेकिन विदेशी पैसे की आमद ने भानुमति का पिटारा खोल दिया। नेता और नौकरशाह पैसा बनाने के लिए आर्थिक नीतियों को मरोड़ने लगे। कुछ भारतीय कारोबारियों ने टैक्स बचाने के रास्ते खोजे।
देश का रेगुलेटरी खाका लगातार मजबूत होता रहा, लेकिन चालबाजों ने नए रास्ते खोज निकाले। सत्यम में 14,000 करोड़ रुपए का घोटाला अपने तरह का इकलौता मामला है और हालिया वक्त में कोई बड़ा राजनीतिक घोटाला भी सामने नहीं आया है, लेकिन इस बात के पर्याप्त संकेत हैं कि बीते कुछ वर्षों में फर्जीवाड़ों की तादाद ज्यादा बड़ी है।
2008-09 में दर्ज इकनॉमिक केस इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट की तादाद 16 थी, जो 2009-2010 में बढ़कर 338 हो गई। यह इस बात का सबूत है कि पैसे से जुड़े अपराध बढ़ रहे हैं।
केपीएमजी के फ्रॉड सर्वे 2010 के मुताबिक, भारत में हर चार में से तीन कंपनियों का मानना है कि देश में फर्जीवाड़े के मामले बढ़ रहे हैं। भ्रष्टाचार के मामले में भारत न्यूजीलैंड, डेनमार्क और सिंगापुर से कहीं आगे हैं, जिन्हें बड़े पैमाने पर विदेशी पूंजी आकर्षित करने के बावजूद सबसे अधिक पारदर्शिता रखने वाले मुल्कों में गिना जाता है।
भारत में ऐसा क्यों है? सेठ का कहना है, 'क्योंकि सरकारी व्यवस्था भरोसा पैदा करने में नाकाम रही है।' समाजशास्त्री और राजनीतिक विश्लेषक आशीष नंदी ने कहा, 'बच निकलने के मामले चिंता पैदा करते हैं। यह जो नंगई है, चिंतित करती है। दरअसल व्यवस्था ही लोगों को भ्रष्ट होने के लिए उकसाती है। व्यवस्था में सुधार का एकमात्र रास्ता पारदर्शिता बढ़ाना है।'
आखिर ललित मोदी पर क्या आरोप लगे हैं?
26 Apr 2010, 1022 hrs IST , नवभारतटाइम्स.कॉम
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लखनऊ में मायावती की महारैली
15 Mar 2010, 1205 hrs IST,एजेंसियां
लखनऊ में बीएसपी की सिल्वर जुबली के मौके पर सोमवार को महारैली का आयोजन किया है। इस रैली में पार्टी की अध्यक्ष और सीएम मायावती श
रैली से पूर्व पूरा लखनऊ शहर नीले रंग में रंग गया। हजरतगंज से लेकर रैली स्थल रमाबाई आंबेडकर मैदान तक 12 किलोमीटर लंबा रास्ता नीले रंग में जगमगा रहा है। लखनऊ में हर जगह नीला-नीला ही दिख रहा है। हर जगह हाथी, कांशीराम और मायावती
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मायावती को रैली में नोटों की माला पहनाई गई। एक अनुमान के मुताबिक इस महारैली पर 200 करोड़ रुपये खर्च किया जा रहा है। यह तब हो रहा है जब कुछ दिन पहले कृपालुजी के आश्रम में हुई भगदड़ में मरे लोगों को मुआवजा देने से मायावती ने इनकार कर दिया था। उन्होंने तब कहा था कि यूपी सरकार के पास पैसे नहीं है। कांग्रेस ने कहा कि यह रैली एक सर्कस है और मायावती इसकी रिंग मास्टर हैं।
यूपी कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने इस महारैली के बारे में कहा, 'इस महारैली का आयोजन गरीबों, दलितों, पिछड़ों और अल्पसंखयकों की भलाई के लिए नहीं किया है, बल्कि यह दिखाने के लिए किया गया है कि स्थिति बीएसपी के कंट्रोल में हैं। हालांकि उसका जनाधार तेजी से घट रहा है।'
मायावती
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इन्हें भी देखें: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रीइन्हें भी देखें: भारत के मुख्यमंत्रियों की सूचीमायावती नैना कुमारी (जन्म १५ जनवरी, १९५६) एक भारत राजनीतिज्ञ है, और उत्तर प्रदेश की वर्तमान मुख्यमन्त्री है। वह बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की नेता है। २००७ के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों मे इनकी पार्टी ने राज्य में पूर्ण बहुमत प्राप्त किया है और उसके बाद इन्होने मुख्यमंत्री का कार्यभार ग्रहण किया है। मायावती इससे पहले भी तीन बार छोटे कार्यकाल के लिए उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री रह चुकी हैं, १९९५ और १९९७ में, और भारतीय जनता पार्टी के समर्थन के साथ २००२ से २००३ तक। मायावती पहली दलित महिला है जो भारत के किसी राज्य की मुख्यमन्त्री बनीं।[१].
वर्ष २००७-०८ के लिए रु २६ करोड़ के साथ मायावती भारत में सभी नेताओं में से सबसे ज्यादा आयकर देने वाली भारतीय रही है।.[२]
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[संपादित करें] व्यक्तिगत जीवन
मायावती का जन्म १५ जनवरी १९५६ को एक सरकारी कर्मचारी प्रभु दास एवं उनकी पत्नी रामरती के यहाँ हुआ। आपके पिता प्रभु दास बाद में भारतीय डाक-तार विभाग से वरिष्ठ क्लर्क के रूप में सेवा निवृत्त हुए। उनकी माँ यद्यपि अनपढ़ थीं परंतु उन्होंने अपने सभी बच्चों की शिक्षा में रुचि ली और सबको योग्य भी बनाया। इनके ६ भाई एवं २ बहनें हैं। इनका पैतृक गाँव बादलपुर है जो कि गौतमबुद्ध नगर में स्थित है। इन्होने दिल्ली के कालिंदी कॉलेज से विधि स्नातक की उपाधि प्राप्त की है। उनके पास शिक्षा स्नातक की उपाधि भी है और इन्होने दिल्ली में (इन्द्रपुरी जे जे कॉलोनी) मे एक शिक्षक के रूप मे भी तब तक कार्य किया, जब तक इन्होने पूरी तरह राजनीति मे आने का निर्णय नहीं ले लिया। एक समय उन्होने भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षाओं के लिए भी अध्ययन किया था, लेकिन १९७७ मे कांशी राम से मिलने के बाद इन्होने एक पूर्ण कालिक राजनीतिज्ञ बनने का निर्णय ले लिया। कांशीराम के संरक्षण के अंतर्गत वह उनकी उस कोर टीम का हिस्सा थीं, जब १९८४ में उन्होने बसपा की स्थापना की थी।
[संपादित करें] राजनैतिक जीवन
मायावती ने अपना पहला चुनाव उत्तर प्रदेश में मुज़फ्फरनगर के कैराना लोकसभा सीट से लड़ा था। उसके राजनैतिक जीवन की शुरुआत "तिलक तराजू और तलवार इनको मारो जूते चार" के राजनैतिक नारे के साथ हुआ था। वह अविवाहित हैं और अपने समर्थकों में 'बहनजी' के नाम से जानी जाती हैं।
[संपादित करें] २००७ की शानदार जीत
[संपादित करें] मुख्यमंत्री के रुप मे पहला काम
मायावती ने चौथी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रुप में लखनऊ के राजभवन में १३ मई २००७ को १ बजकर ४० मिनट पर शपथ ग्रहण किया।
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चिरायु अमीन आईपीएल के नए कमिश्नर
26 Apr 2010, 1602 hrs IST , एजेंसियां
पत्रकारों से बात करते हुए मनोहर ने कहा कि आईपीएल एक कमाल की प्रॉपर्टी (आयोजन) है, जिसमें पारदर्शिता होना बेहद जरूरी है। ललित मोदी से जुड़े सवालों के जवाब में उन्होंने बताया कि रत्नाकर शेट्टी आईपीएल के गायब दस्तावेजों की जांच का काम करेंगे और फ्रैंचाइची मालिकों से बात करने की जिम्मेदारी सुनील गावस्कर, रवि शास्त्री और नवाब पदौदी को सौंपी गई है।
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जब उनसे यह पूछा गया कि क्या वह भी अंधेरे में थे तो शशांक मनोहर ने कहा कि, 'मैं पहले और दूसरे आईपीएल के दौरान कोई मैच देखने स्टेडियम नहीं गया। मैं इससे सीधे तौर पर जुड़ा हुआ नहीं था।'
गावस्कर, शास्त्री और पटौदी को बड़ी जिम्मेदारी
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने भारतीय क्रिकेट टीम के तीन पूर्व कप्तानों सुनील गावस्कर, रवि शास्त्री और मंसूर अली खान पटौदी को सोमवार को एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) गवर्निंग काउंसिल में शामिल इन तीन कप्तानों को बड़ौदा क्रिकेट संघ (बीसीए) के अध्यक्ष बीसीसीआई के उपाध्यक्ष चिरायु अमीन की अध्यक्षता में आईपीएल के दैनिक कामों की देखरेख की अंतरिम जिम्मेदारी दी गई है। सोमवार को गवर्निंग काउंसिल की बैठक के बाद बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर ने इसकी घोषणा की।
मनोहर ने कहा कि इसके अलावा तीन कप्तानों को 2011 आईपीएल के लिए टीमों में विदेशी खिलाड़ियों के चयन और उनकी संख्या निर्धारित करने की भी जिम्मेदारी दी है। आईपीएल-4 के लिए इस साल टीमों को खिलाड़ियों के लिए नए सिरे से बोली लगानी पड़ेगी।
मनोहर ने काउंसिल की बैठक के बाद पत्रकारों से कहा, 'कमिश्नर ललित मोदी के निलंबन के बाद हमने आईपीएल के दैनिक कार्यों के क्रियान्वयन के लिए अमीन को अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया है। गावस्कर, शास्त्री और पटौदी इस काम में उनकी मदद करेंगे। बैठक से नदारद रहे मोदी पर कुल 22 आरोप तय किए गए हैं और जवाब दाखिल करने के लिए उन्हें 15 दिनों का समय दिया गया है।'
मनोहर ने कहा कि काउंसिल नहीं चाहती कि आईपीएल के काम में किसी प्रकार की रुकावट आए और यही कारण है कि उसने साफ छवि वाले अमीन को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है।
उन्होंने कहा कि गावस्कर, शास्त्री और पटौदी आईपीएल-4 के लिए टीमों की संरचना पर अपनी रिपोर्ट गवर्निंग काउंसिल के सामने रखेंगे।
मनोहर ने स्वीकार किया कि बीसीसीआई मुख्यालय से कुछ जरूरी दस्तावेज गायब हो गए हैं। मनोहर के मुताबिक आयकर विभाग लगातार इन्हीं दस्तावेजों की मांग कर रहा है।
बकौल मनोहर, 'हमें इस बात की जानकारी है कि मुख्यालय से कुछ जरूरी दस्तावेज गायब हो गए हैं। दस्तावेजों की जांच का काम मुख्य प्रशासनिक अधिकारी रत्नाकर शेट्टी को सौंपा गया है। आयकर विभाग हमसे लगातार इन दस्तावेजों की मांग कर रहा है लेकिन हम उन्हें ये दस्तावेज मुहैया नहीं करा पा रहे हैं।'
मनोहर की अध्यक्षता में हुई बैठक में मोदी पर लगाए गए आरोपों में वित्तीय अनियमितताओं से लेकर फ्रैंचाइजी की बोली और प्रसारण अधिकार से जुड़े समझौते में हेरा-फेरी की बात शामिल है। इन मामलों में बीसीसीआई की ओर से 34 पेजों का एक आरोप पत्र दिया गया। बैठक में काउंसिल के 12 सदस्य (मोदी और जम्मू एवं कश्मीर क्रिकेट संघ के अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला के अलावा) शामिल हुए। काउंसिल में कुल 14 सदस्य हैं।
इन सदस्यों में आईसीसी के विशेष सलाहकार आईएस बिंद्रा, बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष एमपी पांडोव, अमीन, मीडिया प्रभारी राजीव शुक्ला, दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष अरुण जेटली, संयुक्त सचिव संजय जगदाले, सचिव एन. श्रीनिवासन, आईपीएल के उपाध्यक्ष निरंजन शाह, शास्त्री, गावस्कर एवं पटौदी शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि रविवार देर रात मुंबई इंडियंस और चेन्नै सुपर किंग्स के बीच खेले गए आईपीएल खिताबी मुकाबले के फौरन बाद मोदी को आईपीएल के चेयरमैन और कमिश्नर पद से सस्पेंड कर दिया गया। मनोहर ने ईमेल के जरिए भेजे गए संदेश के माध्यम से निलंबन के साथ ही मोदी को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया। बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारी देर रात तक मुख्यालय में ही रहे।
कौन हैं चिरायु अमीन?
अमीन गुजरात के प्रमुख उद्योगपति हैं। उनकी दवाई बनाने वाली कंपनी-एलेंबिक ने बड़ौदा में तीन बेहतरीन मैदान बनाए हैं और इसकी देखरेख कर रहे है।
http://navbharattimes.indiatimes.com/criarticleshow/5858864.cms
भारत के खिलाफ जहर उगलते पोस्टर बांट रहे हैं नक्सली
26 Apr 2010, 1420 hrs IST,आईएएनएस
पटना।। बिहार और नेपाल सीमा पर संदिग्ध नक्सली आपत्तिजनक पोस्टरों के जरिए भारत विरोधी भावनाओं को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस को
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, बिहार-नेपाल के सीमांचल इलाकों में नक्सलियों द्वारा भारत विरोधी भावनाओं को भड़काने के प्रयास में विशेष तरह के पोस्टर बांटे जा रहे हैं। कैलेंडर की तरह बने इन पोस्टरों में तिरंगे को अजगर की तरह दिखाते हुए उसके मुंह में नेपाल का नक्शा दिखाया गया है।
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राज्य के डीजीपी नीलमणि ने भी ऐसे पोस्टरों के मिलने की पुष्टि करते हुए सोमवार को बताया कि पांच दिन पहले मधुबनी जिले के बासोपट्टी इलाके में गिरफ्तार किए गए एक भारतीय और दो नेपाली युवकों के पास से भी पुलिस और सीमा सशस्त्र बल (एसएसबी) के लोगों ने ऐसे पोस्टर बरामद किए थे। उन्होंने कहा कि पुलिस मुख्यालय सीमावर्ती क्षेत्रों पर पैनी नजर रखे हुए है।
http://chitthajagat.in/?shabd=%E0%A4%85%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A5%87%E0%A4%A1%E0%A4%95%E0%A4%B0
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