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Saturday, June 29, 2013

कोसीकला बम धमाके में उजागर हुआ हिन्दुत्ववादी आतंकवाद का चेहरा

कोसीकला बम धमाके में उजागर हुआ हिन्दुत्ववादी आतंकवाद का चेहरा


रिहाई मंच के बेमियादी धरने के 38वें दिन उपवास पर बैठे शिव दास प्रजापति

गोरखपुर सीरियल बम विस्फोटों 2007 पर 29 जून को रिपोर्ट जारी करेगा रिहाई मंच

question markलखनऊ, 28 जून। मौलाना खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी, निमेष आयोग की रिपोर्ट पर तत्काल अमल करने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को छोड़ने की माँग के साथ चल रहा रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना आज 38वें दिन भी जारी रहा। आज उपवास पर शिव दास प्रजापति बैठे।

अनिश्चितकालीन धरने को सम्बोधित करते हुयेभारतीय एकता पार्टी के नेता सैय्यद मोईद ने कहा कि जिस तरह कोसीकला (मथुरा) में पिछली तीस मई को हुये चार बम धमाकों के मामले में विश्व हिन्दू परिषद का नेता पकड़ा गया है उससे साबित हो जाता है कि पूरे सूबे में हिन्दुत्ववादी आतंकवादी गिरोह सक्रिय हो गये हैं जो प्रदेश के अमन चैन के लिये खतरनाक है। उन्होंने सूबे में हुये तमाम आतंकवादी वारदातों में आरएसएस की भूमिका की जाँच की माँग करते हुये कहा कि बसपा हुकूमत में भी कानपुर में बजरंग दल के दो नेता बम बनाते समय हुये विस्फोट में मारे जा चुके हैं जिनके पास से काफी मात्रा में विस्फोटक पदार्थ और सरकारी और गैर सरकारी प्रतिष्ठानों के नक्शे भी मिले थे। उनके निशाने पर खास तौर से कानपुर का जेके मन्दिर था। उसी तरह कोसी कला में भी बम धमाके कराकर मथुरा जैसे धार्मिक नगरी में विस्फोट कराकर सूबे का माहौल बिगाड़ने की कोशिश आरएसएस रच रही है। लेकिन अफसोस की बात यह कि जिस तरह कानपुर के बजरंगियों के मामले में बसपा हुकूमत ने कोई गम्भीर विवेचना नहीं करवाई और मामले में फाइनल रिपोर्ट लगवाकर बजरंग दल के आतंकी नेटवर्क को छिपाने की कोशिश की उसी तरह मुसलमानों का वोट लेकर सत्ता में आयी सपा भी कोसी कला बम विस्फोट में विश्व हिन्दू परिषद के आतंकी नेटवर्क को बचाना चाहती है। जिसकी तस्दीक इस बम काण्ड में पकड़े गये विहिप नेता जगदीश अनंत पुत्र राम किशन निवासी बलदेवगंज की गिरफ्तारी के बाद भाजपा और संघ परिवार के विरोध प्रदर्शन के आगे पुलिस अधिकारियों द्वारा किया गया यह वादा है कि आगे से कोई गिरफ्तारी नहीं की जायेगी जिससे सपा और भाजपा का अन्दरूनी गठजोड़ उजागर हो जाता है।

इस मौके पर मुस्लिम मजलिस के प्रवक्ता जैद अहमद फारुकी ने कहा कि जिस कोसी कला में विश्व हिन्दू परिषद द्वारा विस्फोट करवाया गया है, वहीं पर कुछ दिनों पहले प्रशासन के मिलीभगत से मुस्लिम विरोधी दँगा भी हुआ था। जिसके असली मुजरिम आज भी आजाद घूम रहे हैं। ऐसे में विहिप द्वारा फिर वहाँ पर आतंकी बम विस्फोट करवाने से समझा जा सकता है कि तथाकथित सेकुलर सपा सरकार में हिन्दुत्वादियों के हौसले कितने बुलन्द हो गये हैं।

धरने को सम्बोधित करते हुये सोशलिस्ट फ्रंट ऑफ इंडिया के मोहम्मद आफाक और शिवदास प्रजापति ने कहा कि सपा हुकूमत में जिस तरह सपा समर्थित भू माफिया वक्फ बोर्ड और कब्रिस्तान की जमीन कब्जाने में लगा है, उससे लगता है कि अब सपा ने तय कर लिया है कि उसे अब मुसलमानों का वोट 2014 में नहीं लेना है। इसीलिये न तो वह खालिद मुजाहिद के हत्यारों को पकड़ना चाहती है और ना ही निमेष कमीशन की सिफारिशों को अमल करना चाहती है।

अधिवक्ता असद हयात ने गृह मंत्रालय भारत सरकार की आलोचना करते हुये कहा कि इशरत जहाँ मुठभेड़ में पुलिस अधिकारियों की आपराधिक साजिश और फर्जी मुठभेड़ में हत्या करने के पूरे सुबूत सीबीआई के पास मौजूद हैं। फिर भी गृह मंत्रालय भारत सरकार इन पुलिस अधिकारियों के बचाव में पूरे मामले में अड़ंगे लगा रहा है। जिससे कि न्यायालय में आरोप.पत्र दाखिल ना हो सके, आरोपों का निर्धारण ना हो सके और मुकदमा चलने में विलम्ब हो। धारा 197 सीआरपीसी के तहत किसी लोकसेवक के विरुद्ध न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल करने से पूर्व सरकार की मँजूरी लेना केवल उसी मामले में आवश्यक होता है जब वह कृत्य लोक सेवक द्वारा अपने पद से जुड़े कर्तव्यों के निर्वहन में सदाशय पूर्वक किया गया है, लेकिन साजिशन हत्या करना और फर्जी मुठभेड़ करना पद से जुड़े कर्तव्यों में शामिल नहीं है। क्या यह मान लिया जाये कि इन पुलिस अधिकारियों का कर्तव्य यह था कि ये साजिश रचकर फर्जी मुठभेड़ करें। इस मामले में कई नजीरें माननीय सर्वोच्च न्यायालय की है। जिसमें कानून का यही सिद्धान्त निर्धारित किया गया है कि ऐसे मामलों में सरकार की मँजूरी लेना आवश्यक नहीं है।

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं राजीव यादव और शाहनवाज आलम ने कहा कि 29 जून को गोरखपुर सीरियल बम धमाकों 2007 पर दोषपूर्ण पुलिस विवेचना की परतें खोलती एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की जायेगी जिससे अवाम को यह पता लग सके कि विवेचना में कितनी धाँधली और फर्जीवाड़ा किया गया है। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट हम इसलिये जारी कर रहे हैं कि जिस तरह सरकार बेगुनाहों की रिहाई के सवाल को कानूनी बहस में उलझाकर उनकी रिहाई में रोड़ा अटका रही है, ऐसे में यह रिपोर्ट जाँच एजेन्सियों की भूमिका और सत्ता के गठजोड़ को उजागर करेगी।

धरने का संचालन शाहनवाज आलम ने किया। इस दौरान सहारनपुर से आईं सेन्टर फॉर हॉर्मनी एण्ड पीस की कार्यकर्ता शाहीन अंसारी, मोहम्मद फैज, रिहाई मंच के सदर मोहम्मद शोएब, कबीर, हाजी मोहम्मद फहीम, नाफे किदवई, गुफरान सिद्दीकी, हाजी मसीद कादरी, शम्स तबरेज आदि उपस्थित रहे।


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