Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti basu is DEAD

Jyoti Basu: The pragmatist

Dr.B.R. Ambedkar

Memories of Another Day

Memories of Another Day
While my Parents Pulin Babu and basanti Devi were living

"The Day India Burned"--A Documentary On Partition Part-1/9

Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Thursday, December 18, 2014

हम दुनियां भर के धार्मिक कट्टरपन की परिणति ऐसी तमाम ह्रदय विदारक घटनाओं का पुरजोर विरोध करते हैं | पकिस्तान में हुई इस घटना के विरोध में बिजूका समूह से जुड़े तीन साथियों अरुण देव, प्रदीप मिश्र और अमिताभ मिश्र की इन रचनाओं से हम इस भयानक घटना की पुरजोर निंदा करते हैं|

मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना…..?



कहाँ हैं मेरे बच्चे …?

अगर खुदा कही हैं तो आज उसे मर जाना चाहिए
शर्म से
सर्वशक्तिमान सर्वव्यापी दयानिधि कुछ नहीं हो तुम
कठपुतली हो
कठपुतली
पुज़ारिओ के

पैगम्बरों ने तुम्हारे नाम पर
छला है हमें
और तुम्हारे नए धर्माधिकारी जान ले रहे हैं हमारी

मेरे 84 बच्चे मज़हब के वहशीपन के शिकार हुए
यह कैसा धर्म क्षेत्र बन रहा है जो मासूमों के रक्त से गीला है
यह कौन सी दुनिया है जहां बच्चे गायब हैं

अब तो पवित्र पुस्तकों के नाम से रूह कांप जाती है
डरती हैं औरतें सहम जातें हैं बच्चे

इंसान
बस इंसान रहने तो हमें।

-अरुण देव 

थूकता हूँ तुम पर

थू थू थू थूकता हूँ तुम पर
और तुम्हारे होने पर
तुम्हारे लिए घृणित शब्द की तलाश में हूँ और शब्द इंकार कर कर रहे हैं
विभत्सता और हैवानियत के इस चरम
को उदघाटित करने से
इस लिए सिर्फ थूक रहा हूँ तुम पर
तुम्हारी माँ काट कर फेंक देना चाहती है
वह कोख जिससे तुमने जन्म लिया
पिता कोस रहे हैं अल्लाह को
क्यों पूरी की उनकी मन्नत

बच्चों में खुदा होता है
खुदा के पट्ठों
तुमने खुदा को ही मार डाला
अपने खुदा की मौत पर
जश्न मनाने वाले बहशी
तुम्हारा कौम कौन सा है
किस धर्म से हो
कम से कम इन्सान तो हो नहीं सकते
शैतान भी नहीं होते इतने घृणित
तुम कौन …..
पूछो अपने दिल से तुम कौन

खुदा के लिए
खुदा को मौत के घाट उतारने वालों
सिर्फ थूक सकता हूँ तुमपर
थू थू थू थू।

-प्रदीप मिश्र

देखो तो सही खड़े हो कर एक साथ

तुम जो उठाते हो हथियार वह भी तो वही उठाता है हथियार
जो तलवार जितनी धारदार तुम्हारी है उतनी ही वह उसकी भी है
जैसे बल्लम भाले कट्टे, बम वगैरा तुम्हारे
वैसे के वैसे बल्कि वही के वही उसके भी हैं
एक ही दूकानदार से खरीदे हुए
जो चमक, लपट, भभक, तम्हारी लगाई हुई आग में है
उतनी ही और वैसी ही चमक, लपट, भभक उसकी लगाई आग में है
कहां है फर्क तुम में और उसमें
जैसे बाल तुम्हारे जैसी खाल तुम्हारे
जैसे हाथ पांव दिल दिमाग तुम्हारे
वैसा ही वैसा ही तो सब कुछ है उसके भी पास
फिर क्या है
वह क्या है
जो तुम्हारी और उसकी आंख में
नफरत एक साथ एक बराबर रख देता है
फर्क तो उन भवनों में भी कछ खास नही है
जो हैं उपासनागृह तुम्हारे और उसके
मतलब और मकसद भी एक ही हैं
तुम्हारी और उसकी प्रार्थना के तुम्हारे और उसके धरम के
फिर क्या है
वह क्या है
जो चढ़ा देता है गुम्बद पर एक को
फिंकवा देता हैं मांस
क्या है
वह क्या है जो हकाल देता है तुम दोनों को
लड़ने को एक दूसरे के खिलाफ
एक जैसे ही दिल धड़कता है तुम्हारा भी और उसका भी
डर में नफरत में रफ्तार एक जैसी एक साथ ही तेज होती है
फिर क्या है, वह क्या है जो बोता है एक सा डर
तुम्हारे उसके दिलों में एक साथ एक दूसरे के खिलाफ
प्यार तुम जैसे करते हो वैसे ही वह भी करता है
दुःख भी तो हैं एक जैसे तुम्हारे के लिए भी उसके लिए भी
बहुत ज्यादा बहुत लंबे समय के लिए
सुख भी तो हैं बहुत कम एक ही जैसे दोनों के लिए
सब कुछ एक जैसा और लगभग
एक ही होने के बावजूद
क्या है! वह क्या है!
कौन है! वह कौन है!
कहाॅं है ! वह कहाॅं है!
जो बोता एक हाथ से नफरत, डर
काटता दूसरे से प्यार, हमदर्दी, भाईचारा
पर अब तो दिख रहा है चेहरा उसका साफ़ साफ़
अलग होता जा रहा है एक ही राग अलापता
दरअसल हिटलर फिर से वापस आया है
समय के साथ बुढ़ापे की विकृति ले कर
वही है, वही है
वैसा ही है, वैसा ही है वह
जो लगातार कोशिश में अलग करने की
तुमको उससे उसको तुमसे
तो होते क्यों नहीं एक
क्यों नहीं उठाते आवाज एक साथ
वहीं हां वही
आवाज दो हम एक हैं वाली आवाज
और एक जैसे एक साथ
रौंदते क्यों नहीं दिग्विजय के भ्रम को
एक जाति के तोड़ दो दुष्चक्र
काट दो वापस लौटाते काल के घोड़े की रासें
और देखो तो सही खड़े हो कर एक साथ
कि किस समय और कहां खड़े हो
तुम और वह एक साथ

-अमिताभ मिश्र

No comments:

Post a Comment