भाजपा ने प्रत्याशित रूप से गृहमंत्री पी. चिदंबरम का खुलकर पक्ष लेते हुए उनसे कहा है कि वे सरकार के भीतरी दबाव में अपने पद से इस्तीफा हरगिज नहीं दें। यही नहीं, उसने अन्य राजनीतिक दलों से भी चिदंबरम का साथ देने की अपील की है।
दुर्घटना रेडियोधर्मी पदार्थ से होने की पुष्टि!केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने नक्सली हमलों की नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफ़े की पेशकश की थी लेकिन प्रधानमंत्री ने इसे स्वीकार नहीं किया!
3जी स्पेक्ट्रम के लिए नीलामी शुरू!35,000 करोड़ रुपए मिल सकते हैं सरकार को!अब होगा इंटरनेट शॉपिंग माल!
नक्सलियों ने दंतेवाड़ा कांड पर जारी किया बयान
रायपुर. 9 अप्रैल 2010
नक्सल प्रवक्ता गुड्सा उसेंडी, दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के रमन्ना और सचिव कोसा ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि दंतेवाड़ा के ताड़मेटला में सीआरपीएफ के 76 जवानों को उनके नेताओं की हत्या और आदिवासियों के नरसंहार के जवाब में मारा गया है.
रायपुर के दैनिक छत्तीसगढ़ को भेजी गयी एक प्रेस विज्ञप्ति में नक्सली नेताओं ने कहा है कि दंतेवाड़ा के ताड़मेटला में उनकी ओर से पीएलजीए के 300 लड़ाकों ने हिस्सा लिया था और इस हमले में उके 8 लड़ाके भी मारे गये हैं.
नक्सल नेताओं ने अपनी विज्ञप्ति में कहा है कि जवानों को आदिवासियों के कत्लेआम, महिलाओं से बलात्कार, उनके बड़े नेताओं की गिरफ्तारी और हत्या के विरोध में मारा गया है. यह बताया गया है कि यह कार्रवाई भूमकाल वर्ष पर किया गया है.
नक्सली नेताओं ने बलात्कार व आदिवासी हत्याओं का ब्यौरा भी दिया है. उन्होंने आपरेशन ग्रीनहंट का विरोध किया है और कहा है कि जिस बीएसएफ और आईटीबीटी को अपने देश की जनता के खिलाफ उतारा गया है, उन्हें देश की सीमाओं पर होना था.
http://raviwar.com/dailynews/d499_naxal-attack-chhattisgarh-press-09042010.shtml
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Akshar Parv
- 3 दृश्य - 8 अप्रैलपलाश विश्वास मृत्यु उपत्यका है यह मेरा देश भारत वर्ष। बर्बर, रक्ताक्त समय है यह और चारों तरफ घूमते हत्यारे दस्ते खूंखार। राष्ट्रशक्ति, सम्प्रभुता-परतंत्र, प्रोमोटर, ...
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जाति के बारे में कोई सूचना एकत्र नहीं की जाएगी पलाश विश्वास देश के इतिहास में सबसे बड़ा ... आर्थिक सत्यानाश की तैयारी पलाश विश्वास हिन्दुस्तान दैनिक सभी पूर्वानुमानों से अधिक ...
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बजट व्यायाम और आयकर अधिसूचना | Bad Credit ...
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मालिकों को इंतजार कराया, हमसे पहले ...
संस्करण छोड़ने के बाद अपने वरिष्ठ सहयोगी पलाश विश्वास के साथ घर लौटा। ... दिल्ली में हुई परीक्षा के बाद पांच लोगों (पलाश विश्वास, डा. मान्धाता सिंह, सुमन्त भट्टाचार्य, ...
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ब्लागर की आत्मकथा - Hindi Language Forum - Hindi ...
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सुपरपावर हिन्दू राष्ट्र के पंख खुलने लगे पलाश विश्वास बंगाल में जमीन और मुसलमान वोट बैंक हासिल करने के खातिर बंगाली कुलीन ब्राह्मण मार्क्सवादी और कांग्रेसी अमेरिकी गुलामों ...
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पलाश विश्वास (Palash Faith)
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अब होगा इंटरनेट शॉपिंग माल!इंटरनेट के माध्यम से खरीद-फरोख्त की सामान्य और सस्ती सुविधा देने के लिए व्यापारियों के एक अखिल भारतीय संगठन, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने बुधवार को इंडियनलाला डॉटकॉम वेब पोर्टल शुरू की है।
भाजपा ने अप्रत्याशित रूप से गृहमंत्री पी. चिदंबरम का खुलकर पक्ष लेते हुए उनसे कहा है कि वे सरकार के भीतरी दबाव में अपने पद से इस्तीफा हरगिज नहीं दें। यही नहीं, उसने अन्य राजनीतिक दलों से भी चिदंबरम का साथ देने की अपील की है।पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने शुक्रवार को कहा कि माओवादियों और तृणमूल कांग्रेस के बीच 'मिली भगत' है और उन्होंने इस बात को केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम को बता दिया है हालाँकि वे 'इसको पसंद नहीं करते' हैं।
बुद्धदेव भट्टाचार्य ने कहा कि नक्सलियों से निपटने के लिए केंद्र और राज्यों को एक दूसरे पर आरोप लगाने की बजाय मिलकर काम करना चाहिए।
सीआरपीएफ जवानों पर मंगलवार को हुए हमले के बाद से नक्सली तितर-बितर हो गए हैं। उन्होंने सरकार को ऑपरेशन ग्रीन हंट बंद करने की चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो वे फिर ऐसे हमले करेंगे।
न्यूज चैनल एनडीटीवी इंडिया पर आई खबरों के मुताबिक हमले के बाद से नक्सली उड़ीसा के मलकानगिरी और कोरापुट इलाके की ओर भाग गए हैं। उनके एक दल ने आंध्रप्रदेश के पालनचालम के जंगलों में पनाह ले ली है।
ऐसा उन्होंने अपनी खास रणनीति के तहत किया है। इस तरकीब को वे हर बड़े हमले को अंजाम देने के बाद आजमाते हैं। माओवादियों को पता होता है कि किसी भी हमले के बाद सुरक्षा बल उनकी तलाश तेज कर सकते हैं। सुरक्षा बलों को धोखा देने के मकसद से ही वे इधर-उधर बिखर जाते हैं, ताकि बलों के हाथ न आएँ।
बड़ी कार्रवाई की तैयारी : खबरों में कहा गया है कि माओवादी आने वाले समय में और बड़ी नक्सली हिंसा को अंजाम दे सकते हैं। अगले कुछ दिनों में वे अपने संगठन के सौ साल पूरे होने का जश्न मनाएँगे। इस दौरान उन्होंने सुरक्षा बलों के खिलाफ बड़े हमले की रणनीति बनाई है। समझा जाता है कि वे इस बार गोराकुंड के जंगलों और मलकानगिरी में हिंसा फैला सकते हैं।
सीआरपीएफ ने नहीं की कोई गलती : छत्तीसगढ़ के डीजीपी विश्वरंजन के बाद अब सीआरपीएफ के पुलिस महानिदेशक विक्रम श्रीवास्तव ने भी जोर देकर कहा है कि दंतेवाड़ा में नक्सली हमले के वक्त सीआरपीएफ ने कोई गलती नहीं की।
उन्होंने कहा हमारे जवान पूरी तरह अनुभवी थे। उन्होंने कोई गलत कदम नहीं उठाया। श्रीवास्तव ने कहा कि हम अपने शहीद हुए जवानों का योगदान कभी नहीं भूलेंगे। आगे भी जोश के साथ नक्सलियों का मुकाबला किया जाएगा। श्रीवास्तव हमले के बाद से खुद लगातार जवानों से बात कर रहे हैं।
सरकार को धमकी : नक्सलियों ने माना है कि दंतेवाड़ा हमले में उनके भी आठ लड़ाके मारे गए। इस संबंध में उन्होंने बाकायदा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। इसमें सरकार को ऑपरेशन ग्रीन हंट को बंद करने की बंद न करने की सूरत में आगे भी ऐसे ही हमले करने की धमकी दी गई है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने कहा गृहमंत्री ने एक दिन पहले लिखित इस्तीफा सौंपा था। प्रधानमंत्री ने उसे अस्वीकार कर दिया है।
इससे पहले आज सुबह यहाँ सीआरपीएफ के शौर्य दिवस समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमले के बाद प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मुझसे पूछा गया है कि जिम्मेदारी किसकी बनती है, पूरी जिम्मेदारी मैं अपने ऊपर लेता हूँ।
चिदंबरम ने कहा कि वे प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह को लिखित में दे चुके हैं कि मैं पूर्ण जिम्मेदारी स्वीकार करता हूँ। उन्होंने कहा इससे आगे मैं और कुछ नहीं कहना चाहता।
चिदंबरम ने सीआरपीएफ द्वारा दिए गए बलिदानों की सराहना की और कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि इसके जवानों को अच्छी तनख्वाह, अच्छे आवास और अच्छे उपकरण मिले।
उन्होंने यह भी कहा कि उनका मंत्रालय सुनिश्चित करेगा कि शहीद जवानों के परिवारों को इस महीने के अंत तक मुआवजा मिल जाए और परिवारों के एक-एक सदस्य को नौकरी मिले।
यह उल्लेख करते हुए कि सरकार हमेशा सुरक्षाबलों के साथ है, गृहमंत्री ने कहा कि वे इसलिए ड्यूटी करते हैं ताकि लोग स्वतंत्रता और लोकतंत्र में रह सकें।
चिदंबरम ने कहा मुझे गर्व है कि सीआरपीएफ उसे सौंपे गए असंख्य दायित्वों को निभाती है। मैं उन्हें सलाम करता हूँ, जिन्होंने अपनी जान कुर्बान कर दी। मेरी संवेदना उनके परिवारों के साथ है।
उन्होंने कहा पिछले कुछ दिनों में बहुत कुछ लिखा जा चुका है। इसमें से कुछ से मुझे खुशी हुई, जबकि कुछ ने मुझे चोट पहुँचाई। उदाहरण के लिए यह लिखा गया कि 62वीं बटालियन के कर्मी अच्छी तरह प्रशिक्षित नहीं थे। उनके पास अच्छे उपकरण नहीं थे और वे बिना तैयारी के पहुँचे।
यह भी लिखा गया कि इन क्षेत्रों में तैनात पुलिस बल अंधाधुँध हत्याएँ करते हैं, महिलाओं से बलात्कार करते हैं। जो भी कोई इस तरह की बातें लिखता है, निश्चित तौर पर उसके पास दिल और अंतरात्मा नहीं है।
गृहमंत्री ने कहा बहादुरी और साहस के बारे में बहुत कम लिखा गया है। इस बारे में भी बहुत कम लिखा गया कि घात लगाकर किए गए हमले में घिर जाने के बावजूद जवानों ने आठ नक्सलियों को ढेर कर दिया, जैसी कि आज खुफिया और अन्य खबरें बताती हैं।
चिदंबरम ने कहा मैं सम्मान के साथ हर किसी से आग्रह करना चाहता हूँ कि यदि आप हमारे बहादुर जवानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े नहीं हो सकते तो मेहरबानी करके उनका अपमान मत कीजिए।
गौरतलब है कि चार अप्रैल को नक्सलियों के गढ़ लालगढ़ के दौरे के दौरान चिदंबरम ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य से कहा था कि राज्य में राजनीतिक हिंसा रोकने की जिम्मेदारी उनकी बनती है।
इस टिप्पणी से क्षुब्ध हुए मुख्यमंत्री ने कहा था कि यह राजनीतिज्ञों की भाषा नहीं है और वे अपना काम करेंगे तथा गृहमंत्री को अपना काम करना चाहिए।
बुद्धदेव भट्टाचार्य ने संवाददाताओं से कहा 'जब भी मैं गृहमंत्री से मिलता हूँ, मैं उन्हें बताता हूँ कि तृणमूल कांग्रेस और माओवादी आपस में मिले हुये हैं। यह एक गंभीर समस्या है।'
चिदंबरम की प्रतिक्रिया के बारे में भट्टाचार्य ने कहा ' जैसा की पहले से है उन्होंने इसे पसंद नहीं किया। गृहमंत्री माओवादियों का समर्थन करने वाले किसी दल, व्यक्ति, गैर सरकारी संगठन या मीडिया को पसंद नहीं करते हैं।'
नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई पर बुद्धदेव ने कहा 'सभी का अपने हिस्से का उत्तरदायित्व है। हमें सामूहिक रूप से मिलकर काम करना चाहिये। यह समय किसी पर आरोप लगाने का नहीं है बल्कि नक्सलियों के खिलाफ मिलकर काम करने का है।'
बुद्धदेव ने कहा कि प्रधानमंत्री की अमेरिका और ब्राजील की यात्रा से लौटने के बाद वह उनसे मुलाकात करेंगे। उन्होंने कहा ' हमें अपनी रणनीति और योजनाओं पर पुर्नविचार करना होगा। मैं इस स्थिति से संतुष्ट नहीं हूँ। हमें और अधिक काम करना होगा।'
पार्टी पदाधिकारियों की गुरुवार को हुई बैठक में चिदंबरम के समर्थन में बाकायदा प्रस्ताव पारित करने के बाद भाजपा प्रवक्ता राजीव प्रताप रूड़ी ने शुक्रवार को कहा कि चिदंबरम अगर खुद को सरकार में असहाय महसूस कर रहे हैं तो वे उस पर चुप्पी साधने की बजाय खुलकर बोलें। रूड़ी ने कहा कि ऐसे आभास मिल रहे हैं कि नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में चिदंबरम को खुली छूट नहीं मिल रही है, इसलिए वह कुंठित महसूस कर रहे हैं।
गडकरी की अध्यक्षता और लालकृष्ण आडवाणी की उपस्थिति में कल हुई बैठक में पारित प्रस्ताव में चिदंबरम का पक्ष लेते हुए कहा गया है, शिवराज पाटिल के पश्चात चिदंबरम के गृहमंत्री बनने के बाद से गृह मंत्रालय के कामकाज में परिवर्तन आया है।
पार्टी ने कहा है कि नक्सलवाद से कड़ाई से निपटने के लिए गृहमंत्री ने पिछले नजरिए को बदलने की कोशिश की है, लेकिन सरकार में इस मुद्दे पर एकमतता नहीं है।
रूड़ी ने आरोप लगाया है कि संप्रग का एक वर्ग नक्सलवादियों के प्रति नरमी का रुख अपनाने की वकालत करते हुए उग्रवादियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने के चिदंबरम के नजरिए का समर्थन नहीं कर रहा है।
भाजपा नेता ने कहा कि भाजपा किसी भी रूप में चिदंबरम के इस्तीफे की माँग नहीं करती है और ना ही वर्तमान परिस्थिति में उन्हें इस्तीफा देना चाहिए, क्योंकि उनके इस्तीफे को सीधे रूप में माओवादियों की जीत माना जाएगा।
उन्होंने कहा कि चिदंबरम के पास देश की सुरक्षा की जिम्मेवारी है और किसी भी हालत में हम उन्हें एक घायल सैनिक की तरह पीठ दिखाकर भागते हुए नहीं देखना चाहते हैं। खुद का समर्थन देने के साथ ही भाजपा ने अन्य राजनीतिक दलों से भी अपील की कि चिदंबरम को सभी दलों के समर्थन की जरूरत है।
रूड़ी ने कहा कि दंतेवाड़ा में नक्सलियों के हाथों सीआरपीएफ के 75 लोगों का मारा जाना निश्चित रूप से सरकार की बड़ी विफलता है, लेकिन भाजपा के लिए देश पहले है, इसलिए वह चिदंबरम के इस्तीफे की माँग नहीं कर रही है। रूडी के पास हालाँकि इन सवालों का कोई जवाब नहीं था कि मुंबईClick here to see more news from this city आतंकी हमले जैसी घटना के समय भाजपा ने 'देश पहले' का रवैया क्यों नहीं अपनाया और तत्कालीन गृहमंत्री के इस्तीफे की माँग क्यों की।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि यह बात अलग है कि चिदंबरम कुछ दिन पहले पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य पर कसे गए अंग्रेजी के एक मुहावरे के शिकार खुद बन गए हैं और उसी के चलते आज उन्होंने कहा है कि 'अंतिम जिम्मेदारी मेरी है'।
उन्होंने कहा कि भाजपा को इस बात से मतलब नहीं है कि चिदंबरम की जिम्मेवारी कहाँ से शुरू होकर कहाँ समाप्त होती है। पार्टी की चिंता केवल यह है कि आज देश किसी भी हालत में माओवादियों के खिलाफ इस जंग को हारने के लिए तैयार नहीं है।
चिदंबरम द्वारा इस्तीफा की पेशकश पर रूड़ी ने कहा कि ऐसी कठिन परिस्थितियों में सत्यवादी बयान देने की जगह वे प्रेरणावादी नेतृत्व दें।
इंडियनलाला डॉटकॉम को पेश करते हुए आज यहाँ कैट के महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि कोई भी इस साइट में मात्र सवा रुपए से अपना पंजीकरण करवाकर कारोबार शुरू कर सकता है।
उन्होंने कहा कि कारोबारियों को अपना कारोबार बढ़ाने के लिए इस प्रकार की तकनीक उपयोग करना आवश्यक हो गया है। इस वेब पोर्टल के माध्यम से कोई भी व्यक्ति या छोटा बड़ा व्यापारी इंटरनेट के माध्यम से अपनी वस्तुओं की खरीद या बिक्री कर सकता है। इसी प्रकार किसी भी वस्तु को खरीदने के लिए उसके समक्ष व्यापक विकल्प मौजूद हो सकेंगे।
इंटरनेट के माध्यम से कारोबारी को वैश्विक प्लेटफार्म मिलेगा, जिससे उसका कारोबार अधिक व्यापक हो जाएगा।
खंडेलवाल ने बताया कि इस साल उन्होंने देश के पाँच लाख लोगों को इस वेब पोर्टल के माध्यम से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
फिलहाल यह पोर्टल अंग्रेजी भाषा में है, लेकिन अपना उपभोक्ता लक्ष्य पूरा होने के बाद इसे हिन्दी में भी शुरू किया जाएगा।
केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने नक्सली हमलों की नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफ़े की पेशकश की थी लेकिन प्रधानमंत्री ने इसे स्वीकार नहीं किया था. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार चिदंबरम ने दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले की नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफ़े की पेशकश की थी.भारत में 3जी मोबाइल सेवाओं के लिए रेडियो स्पेक्ट्रम की नीलामी की प्रक्रिया आज सुबह सुचारु रूप से शुरू हुई। इसमें भारती, वोडाफोन, आरकॉम और टाटा सहित शीर्ष दूरसंचार कंपनियाँ भाग ले रही हैं।मोबाइल फोन से आवाज और लिखित संदेश तथा तस्वीरों को भेजने में समर्थ पहली और दूसरी पीढ़ी की सेवाओं के बाद 3जी या तीसरी पीढ़ी की मोबाइल सेवा के जरिए लोग अपने मोबाइल सेट पर ब्रॉडबैंड इंटरनेट की सुविधाएँ और फिल्म आदि का लुत्फ ले सकेंगे।
पश्चिमी दिल्ली के एक कबाड़ बाजार में हुए रेडिएशन हादसे की जांच 12 घंटे तक चलने के बाद परमाणु ऊर्जा विभाग के वैज्ञानिकों ने शुक्रवार को दुर्घटना रेडियोधर्मी पदार्थ से होने की पुष्टि कर दी। विशेषज्ञों ने रेडियोधर्मी पदार्थ को कोबाल्ट-60 बताया है। इस दौरान पांच दुकानों की सफाई भी की गई है। परमाणु ऊर्जा विभाग ने राजधानी के मायापुरी इलाके में फैले रेडियोधर्मी प्रदूषित जगह की जांच की।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह यहाँ रविवार को मुलाकात करेंगे, जिस दौरान दोनों नेता असैन्य परमाणु करार और अन्य द्विपक्षीय तथा क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
व्हाइट हाउस के एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि ओबामा और सिंह परमाणु सुरक्षा सम्मेलन से इतर मुलाकात करेंगे। ओबामा के वरिष्ठ सलाहकार गैरी सैमोर ने बताया कि वे द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर व्यापक चर्चा करेंगे।
वॉशिंगटन में 24 नवंबर को हुए राजकीय रात्रिभोज के बाद यह ओबामा और सिंह की पहली बैठक होगी। ओबामा इस सम्मेलन से इतर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी से भी मुलाकात करेंगे।
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव रॉबर्ट गिब्स ने बुधवार को बताया था कि द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों के अलावा दोनों देश के बीच असैन्य परमाणु सहयोग के मुद्दे पर भी ओबामा और सिंह की रविवार की बैठक में चर्चा होने की उम्मीद है।
अमेरिका और भारत ने पुनर्शोधन समझौते पर बातचीत पूरी कर ली है, जो भारत अमेरिका परमाणु करार को लागू करने के लिए महत्वपूर्ण है।
व्हाइट हाउस के बजाय ब्लेयर हाउस में होने वाली यह बैठक द्विपक्षीय संबंधों के मामले में ओबामा की बैठकों की श्रृंखला की पहली बैठक होगी, जिसे वे परमाणु सुरक्षा सम्मेलन से इतर विश्व नेताओं के साथ करेंगे। अमेरिकी रणनीतिक संचार के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बेन रोड्स ने बताया कि राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री सिंह के साथ एक करीबी कार्यकारी संबंध विकसित किया है, जिन्होंने रात्रिभोज के लिए अमेरिका की यात्रा की थी।
उन्होंने बताया कि हमें उम्मीद है कि फिर से भारतीयों के साथ वार्ता कई मुद्दों पर होगी, जिस पर हम दोनों एक साथ काम कर रहे हैं। रोड्स ने बताया कि कई मुद्दों पर अमेरिका और पाकिस्तान के बीच सहयोग मजबूत हो रहा है और राष्ट्रपति पाकिस्तानी प्रधानमंत्री गिलानी के साथ चर्चा के जरिये जारी सहयोग को मजबूत करने के मौके के प्रति आशावादी हैं। ओबामा सोमवार को चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओं से मुलाकात करेंगे।
देश में पेट्रोलियम ईंधन का खुदरा कारोबार करने वाली सबसे बड़ी कंपनी इंडियन ऑइल कारपोरेशन ने कहा कि लागत से कम कीमत पर पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस बेचने के कारण उसे हर दिन 107 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है।
रायपुर/दंतेवाड़ा. चिंतलनार के पास हुई मुठभेड़ के दो दिन बाद पुलिस ने मिलिटरी दलम के आठ सदस्यों समेत 22 से ज्यादा नक्सलियों को मार गिराने का दावा किया है।
पिछले दो दिनों से जगदलपुर में कैंप करके बैठे पुलिस और सीआरपीएफ के आला अफसरों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथ मिलकर ऑपरेशन ग्रीन हंट के प्लान पर नए सिरे से विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। साथ ही साथ मंगलवार के पूरे घटनाक्रम की पड़ताल शुरू हो गई है। वारदात में शहीद 76 सीआरपीएफ जवानों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट का पुलिस इंतजार कर रही है। इससे साफ होगा कि जवानों की मौत कैसे हुई।
डीजीपी विश्वरंजन, डीजी सीआरपीएफ विक्रम श्रीवास्तव और केंद्रीय गृह मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी आंतरिक सुरक्षा कश्मीरा सिंह, बीएसएफ के डीआईजी रामबरण यादव ने गुरुवार को ताड़मेटला का दौरा कर वहां के हालात का जायजा लिया।
अधिकारियों ने कैंप में जाकर सीआरपीएफ के अधिकारियों और जवानों से भी चर्चा कर उनका हौसला बढ़ाया। आला अफसरों की उपस्थिति में ही पुलिस पार्टी ने इलाके की तलाशी ली तो वहां 15 से 20 किलो विस्फोटक वाले छह और प्रेशर बम मिले।
सर्चिग के दौरान स्थल से बड़ी मात्रा में बिजली के तार व अन्य सामग्री भी बरामद की गई। आसपास जिन जगहों पर नक्सलियों ने मोर्चा बना रखा था, वहां मांस के लोथड़े और खून के धब्बे काफी ज्यादा मात्रा में मिले। किसी नक्सली का शव पुलिस को नहीं मिला है, लेकिन निशानों के आधार पर पुलिस को कम से कम 22 नक्सलियों के मारे जाने की उम्मीद है।
एडिशनल डीजी रामनिवास का कहना है कि आंध्रप्रदेश की पुलिस ने एक नक्सली नेता के हवाले से जानकारी दी है कि मिलिटरी दलम के आठ सदस्य मारे गए हैं। कुछ घायलों का आंध्रप्रदेश में इलाज होने की सूचना है, जिसकी जांच की जा रही है।
हमले का नेतृत्व सेंट्रल मिलिटरी कमेटी के के डिप्टी कमांडर कननन्ना ने किया था। आईजी टीजे लांगकुमेर का कहना है कि सेंट्रल कमेटी के सदस्यों के अलावा 12 से 15 जनमिलीशिया या संघम सदस्य मारे गए हैं। घटनास्थल का दौरा करने वाले अधिकारियों का कहना है कि नक्सलियों ने पूरी तैयारी के साथ हमला किया था।
दो दिन पहले दौरे पर निकली सीआरपीएफ की टीम रात में दो बजे ही चिंतलनार के लिए पैदल निकल गई थी। ऐसा जोखिम पार्टी ने क्यों लिया, रात में वापसी की तो कैंप से तीन किमी दूर ही क्यों रुक गए ऐसे ढेर सारे सवाल हैं, जिनका जवाब किसी के पास नहीं है।
पुलिस मुख्यालय घायल जवानों के कुछ ठीक होने का इंतजार कर रहा है। उनकी हालत सुधरते की विस्तार से चर्चा कर पूरे घटनाक्रम का पता लगाया जाएगा। घटनास्थल को देखकर लगता है कि नक्सलियों ने तीन तरफ मोर्चा बंद कर रखी थी, ताकि जवान चौथी दिशा में भागे, जहां खेत था। खेत में फसल कट चुकी थी और उसके आसपास कोई पेड़ नहीं था, जिसकी आड़ से फायरिंग की जाती।
पेड़ों पर नक्सली हथियारों के साथ छिपे बैठे थे। एक पेड़ पर नक्सलियों ने लाइट मशीनगन लगा रखी थी। इसी पेड़ पर सीआरपीएफ के जवानों द्वारा दागी गई गोलियां सबसे ज्यादा लगीं। पुलिस सूत्रों का कहना है कि 200 से ज्यादा नक्सलियों के समूह को आज सुबह उड़ीसा की तरफ जाते हुए देखा गया है। इसी बीच सीमा से लगे मलकानगिरी इलाके में वायुसेना के हेलिकॉप्टर को काफी देर तक उड़ान भरते देखा गया।
अधिकारियों के दौरे के समय चिंतलनार और ताड़मेटला इलाके को छावनी में बदल दिया गया था। दंतेवाड़ा जिले के एसपी अमरेश मिश्रा समेत सारे अधिकारी वहां थे। 200 से ज्यादा जवानों के साथ पुलिस ने बुधवार से आसपास के पूरे इलाके में अभियान शुरू कर दिया था, जो आज भी जारी रहा।
नक्सलियों ने सीआरपीएफ के वाहन को उड़ाने के लिए कम से कम 50 किलो के विस्फोटक का इस्तेमाल किया था। इसमें वाहन के परखच्चे उड़ गए। घटनास्थल पर हुए गड्ढे और वाहन का हाल देखकर यह अंदाज लगाया जा रहा है।
3जी नीलामी से सरकार को 35,000 करोड़ रुपए या उससे अधिक की आमदनी हो सकती है। दूरसंचार विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सभी 22 दूरसंचार सर्कलों में नीलामी की प्रक्रिया सहज ढंग से शुरू हो चुकी है।
यह पूछे जाने पर क्या सरकार को 35,000 करोड़ रुपए की आमदनी हो जाएगी तो सरकारी अधिकारी ने कहा कि अभी कुछ कहना मुश्किल है। क्या हासिल होगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि कंपनियों के बीच लाइसेंस के लिए होड़ कितनी है।
इस दौड़ में नौ मोबाइल फोन सेवा कंपनियाँ शामिल हैं, जिसमें छह बड़ी कंपनियाँ भी हैं। प्रत्येक सर्कल में तीन से चार कंपनियों को जगह मिल सकती है। अखिल भारतीय 3जी लाइसेंस के लिए बोली लगा रही कंपनियों में भारती एयरटेल, रिलायंस टेलीकॉम, आइडिया सेल्युलर, वोडाफोन एस्सार, टीटीएसएल और एयरसेल शामिल हैं।
इसके साथ ही ब्रॉडबैंड वायरलेस सेवा (बीडब्ल्यूए) के लिए भी बोली आमंत्रित की जा रही है। सरकार को 3जी और बीडब्ल्यूए स्पेक्ट्रम की नीलामी से न्यूनतम 30,000 करोड़ से 35,000 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है।
नीलामी पूरी करने के लिए कोई अंतिम तिथि निर्धारित नहीं है, पर समझा जाता है कि यह तीन सप्ताह तक चलेगी। हर दिन सुबह नौ बजे से शाम 7.30 बजे तक बोलियाँ दर्ज कराई जा सकती हैं।
इसके लिए एक इलेक्ट्रॉनिक ऑनलाइन प्रणाली स्थापित की गई है, जिसमें दुनिया में कहीं से भी बैठकर नीलामी में भाग लिया जा सकता है।
सरकार ने सभी 22 सर्कलों में 3जी स्पेक्ट्रम के लिए न्यूनतम बोली 3,500 करोड़ रुपए तय कर रखी है। बीडब्ल्यूए के लिए आरक्षित मूल्य 1,750 करोड़ रुपए प्रति सर्कल तय किया गया है।
बीडब्ल्यूए स्पेक्ट्रम के लिए कीमतें 3जी नीलामी पूरी होने के दो दिन बाद आमंत्रित की जाएँगी। यह ई-नीलामी संचालित कर रही फर्म एनएम राथ्सचाइल्ड इंडिया के प्रमुख संजय भंडारकर के अनुसार नीलामी की प्रक्रिया तभी रुकेगी, जबकि सभी सर्कलों के लिए एक साथ उच्चतम बोलियाँ प्राप्त हो चुकी होंगी।
नीलामी में सफल रही कंपनियों को सितंबर तक रेडियो फ्रिक्वैन्सी सुलभ कराने का वायदा सरकार ने किया है। अनुमान है कि कंपनियाँ 2010 के आखिर तक या 2011 की शुरुआत में 3जी सेवाएँ दे सकेंगी।
मानसून की आँखमिचौनी के कारण वर्ष 2009-10 में खरीफ अनाजों के समग्र उत्पादन में वर्ष 2008-09 की तुलना में एक करोड़ 85 लाख दस हजार टन तक की गिरावट होने का अनुमान है।
आर्थिक समीक्षा 2009-10 रिपोर्ट में कहा गया है कि चावल, मोटे अनाज, दलहन, तिलहन, गन्ना और जूट के उत्पादन में पिछले वर्ष की तुलना में गिरावट का अनुमान है।
वर्ष 2009-10 के दौरान खरीफ चावल का उत्पादन सात करोड़ 16 लाख 50 हजार टन होने का अनुमान है, जो 2008-09 के मुकाबले 15 प्रतिशत कम है। वर्ष 2009-10 के दौरान देश में मोटे अनाजों का उत्पादन दो करोड़ 27 लाख 60 हजार टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले वर्ष इसका उत्पादन दो करोड़ 83 लाख 40 हजार टन हुआ था।
रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2009-10 के दौरान कुल दलहन का उत्पादन 44 लाख 20 हजार टन होने का अनुमान है, जो वर्ष 2008-09 के उत्पादन से आठ प्रतिशत कम है। इसी प्रकार वर्ष 2009-10 के दौरान 152.33 लाख टन दलहनों के उत्पादन का अनुमान है, जो 2008-09 के खरीफ उत्पादन से लगभग 15 प्रतिशत कम है।
वर्ष 2009-10 के दौरान 24 करोड़ 94 लाख 80 हजार टन गन्ना उत्पादन का अनुमान है, जो वर्ष 2008-09 के 27 करोड़ 39 लाख 30 हजार टन उत्पादन से कम है। यह गिरावट पिछले वर्ष की तुलना में लगभग नौ प्रतिशत है।
वर्ष 2009-10 के दौरान जूट और मेस्ता उत्पादन 102.43 लाख गाँठ होने की संभावना है, जो पिछले वर्ष उत्पादित 10407 लाख गाँठों की तुलना में कम है।
नई दिल्ली. कर्मचारी भविष्य निधि जमा पर वित्त वर्ष 2010-11 के लिए दिए जाने वाले ब्याज पर फैसला नहीं हो सका। कर्मचारी यूनियनों के ब्याज दर बढ़ाने के दबाव के चलते इसे टाल दिया गया।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के केंद्रीय न्यासी मंडल की शुक्रवार को आयोजित बैठक के बाद केंद्रीय श्रम मंत्री मल्लिकाजरुन खरगे ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, 'हमने भविष्य निधि पर ब्याज दर निर्धारण के लिए कुछ और समय लेने का फैसला किया है और इस बारे में वित्त मंत्रालय से विचार किया जाएगा।' कर्मचारी यूनियनें ब्याज दर को 8.5 फीसदी से बढ़ाकर 9.5 -10.5 फीसदी करने की मांग कर रही हैं।
सरकारी गणना के मुताबिक ईपीएफओ के पास फिलहाल 2.5 लाख करोड़ रुपए का जमा कोष है। पिछले पांच साल से भविष्य निधि जमाओं पर 8.5 फीसदी ब्याज दिया जा रहा है। मौजूदा दर कायम रखने पर इस साल ईपीएफओ के पास 15.26 करोड़ रुपए सरप्लस रहेगा। लेकिन यदि ब्याज दर बढ़ाकर 8.75 फीसदी कर दी जाती है, तो ईपीएफओ को 426.23 करोड़ रुपए का घाटा होगा। खरगे ने कहा कि इस मुद्दे पर मंडल की 3 माह बाद होने वाली बैठक में विचार किया जाएगा। ईपीएफओ के देशभर में 4.7 करोड़ से अधिक सदस्य हैं।
कोबाल्ट-60 से मचा कोहराम
कोबाल्ट-60 था विकिरण का स्रोत
रेडियोधर्मी पदार्थ होने की पुष्टि (लीड-2)
दिल्ली: रेडियोधर्मिता से झुलसे कब़ाड व्यापारी की हालत गंभीर
दिल्ली में रेडिएशन से हड़कंप, पांच झुलसे
दिल्ली में रेडिएशन से दहशत
बार्क विशेषज्ञों ने किया दिल्ली में विकिरण स्थल का निरीक्षण
कोबाल्ट 60 के कारण फैला विकिरण
धातु में विकिरण से पांच लोगों के शरीर बुरी तरह झुलसे
रेडियोएक्टिव पदार्थ की पहचान हुई, एक की हालत गंभीर
दिल्ली: विकिरण से सनसनी, पांच लोग बुरी तरह झुलसे
दिल्लीः मायापुरी के स्क्रैप मार्केट में रेडिएशन से दहशत
दिल्ली में विकिरणों का मामला
रेडिएशन के लिए जिम्मेदार रेडियोएक्टिव कोबाल्ट 60
दिल्ली में कबाड़ से निकली रेडिएशन, 5 बीमार
दिल्ली में कोबाल्ट-60 से हुआ रेडिएशन
दिल्ली के मायापुरी में रेडिएशन से झुलसे पांच लोग
दिल्लीः मायापुरी इलाके में मिले रेडियोधर्मी पदार्थ की जांच शुरू
दिल्ली में रेडिएशन लीक, पांच बीमार
फरवरी में सभी प्रमुख कार कंपनियों मारुति सुजुकी, हुंदै मोटर और जनरल मोटर्स ने रिकॉर्ड बिक्री हासिल की।
सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने फरवरी में 96,650 कारें बेचीं। यह किसी एक माह में कंपनी की बिक्री का सबसे बड़ा आँकड़ा है। पिछले साल इसी महीने की तुलना में बिक्री का यह आँकड़ा 22. 05 प्रतिशत अधिक है।
देश की सबसे बड़ी वाहन कंपनी टाटा मोटर्स की बिक्री फरवरी माह में 58 फीसद बढ़ी। इसी तरह हुंदै की घरेलू बिक्री 31,001 इकाई रही, जो किसी एक माह में कंपनी की सबसे ज्यादा बिक्री है। कंपनी की घरेलू बिक्री में 46.13 फीसद का इजाफा हुआ। पिछले साल इसी महीने में कंपनी की घरेलू बाजार बिक्री 21,215 इकाई रही थी।
इसी तरह जनरल मोटर्स इंडिया की बिक्री दोगुना से ज्यादा होकर 11,111 इकाई पर पहुँच गई। (भाषा)
सउदी अरब के पेट्रोल एवं खनिज मंत्री अली-अल-नैमी और प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने रियाद में एक बैठक के दौरान यह भरोसा दिलाया। बैठक में विश्व के तेल बाजार और बाजार में स्थिरता के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में भी चर्चा की गई। इसमें दोनों देशों द्वारा संयुक्त निवेश पर भी जोर दिया गया।
अल-नैमी ने दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को अधिक व्यापक बनाने के लिए पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा से भी मुलाकात की।
बैठक में सउदी अरब ने भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ाकर सालाना 4 करोड़ टन करने का आश्वासन दिया है। इससे भारतीय तेल शोधन उद्योग की जरूरत पूरी हो सकेगी। (भाषा)
घरेलू बाजार में कंपनी की यात्री वाहनों की बिक्री 43.7 प्रतिशत बढ़कर 29 हजार 241 यूनिट रही, जो कि किसी एक महीने में उसकी अब तक की सबसे अधिक बिक्री है। एक साल पहले इसी महीने में यह 20 हजार 348 यूनिट रही थी।
वाहन निर्यात दुगुने से भी अधिक बढ़कर तीन हजार 237 यूनिट तक पहुँच गया। इंडिका की बिक्री फरवरी में सर्वाधिक 11 हजार 502 यूनिट तक पहुँच गई, वित्तीय वर्ष में यह सर्वाधिक रही। इंडिगो श्रृंखला की 7373 गाड़ियाँ बेची गईं, जो कि पिछले साल फरवरी की तुलना में 75 प्रतिशत तक अधिक रही।
सुमो और सफारी की बिक्री 14 प्रतिशत बढ़कर 4005 यूनिट रही, जबकि फरवरी में चार हजार 105 नैनो बिकीं।
वाणिज्यिक वाहनों की श्रेणी में घरेलू बिक्री 67 प्रतिशत बढ़कर 39 हजार 205 वाहन रही। हल्के वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री 49 प्रतिशत बढ़कर 21 हजार 764 तक पहुँच गई, जबकि मध्यम और भारी वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री 98 प्रतिशत की जोरदार वृद्धि के साथ 17 हजार 441 यूनिट तक पहुँच गई।
चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 11 महीनों में टाटा मोटर के यात्री वाहनों की कुल बिक्री एक साल पहले की इसी अवधि की तुलना में 25.3 प्रतिशत बढ़कर दो लाख 29 हजार 814 यूनिट रही है। अप्रैल से फरवरी के पिछले ग्यारह महीनों में कंपनी ने कुल एक लाख 83 हजार 403 वाहन बेचे थे। व्यावसायिक वाहनों की कुल बिक्री इस दौरान 40 प्रतिशत बढ़कर तीन लाख 30 हजार 330 तक पहुँच गई। (भाषा)
अध्ययन का नेतृत्व करने वाली टीना कोल्ड जेनसन ने कहा कि यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि बहुत अधिक कोला पीने वाले लोग कई मामलों में भिन्न होते हैं। उन्होंने कहा कि कैफीन से आदमी के प्रजनन स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में चंद अध्ययन ही हुए हैं। दल ने अध्ययन का निर्णय इसलिए किया क्योंकि डेनमार्क के युवकों में कैफीन मिश्रित शीतल पेय की खपत पिछले दशकों में काफी बढ़ी है।
डेनमार्क के कोपेनहेगन विश्वविद्यालय अस्पताल के अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार इस प्रभाव का कारण कैफीन होने की संभावना नहीं है। 'द टेलीग्राफ' में प्रकाशित खबर के अनुसार शीतलपेय के अन्य तत्व या खराब जीवनशैली इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। दल ने 2500 से अधिक युवाओं का अध्ययन किया।
अध्ययन में पाया गया कि जो लोग कोला नहीं पीते उनके शुक्राणुओं की गुणवत्ता बेहतर होती है। बेहतर गुणवत्ता का पैमाना प्रति मिलीलीटर वीर्य में पाँच करोड़ शुक्राणु होते हैं। इसका कारण बेहतर जीवनशैली भी हो सकती है। इसके विपरीत एक लीटर से अधिक कोला पीने वाले पुरुषों के प्रति मिलीलीटर वीर्य में साढ़े तीन करोड़ शुक्राणु पाए गए। ऐसे लोग ज्यादा फास्ट फूड और कम फल एवं सब्जी खाते हैं।
यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि क्या इस स्थिति के लिए कोला या खराब जीवनशैली, दोनों को दोषी ठहराया जाए। रिपोर्ट के अनुसार शुक्राणुओं की संख्या कम होने पर प्रजनन शक्ति गँवाने का जोखिम अधिक होता है। (भाषा)
सूत्रों के अनुसार योजना के अनुरूप नक्सली मौके की तलाश कर रहे थे। दलम लगातार सुरक्षा बलों पर नजर रख रहा था। ताड़मेटला की घटना के दौरान नक्सलियों ने पुलिस के बचाव दल को भ्रमित करने के लिए आईईडी ब्लास्ट किया। इसके महज पाँच मिनट के भीतर ही उन्होंने पोजिशन लेकर फायरिंग शुरू कर दी। इससे जवानों को उनकी संख्या का ज्ञान नहीं हो सका।
मुठभेड़ के दौरान कुछ नक्सली हताहत हुए, लेकिन उन्होंने जवानों की तरफ बढ़ने और हमले का सिलसिला जारी रखा। चिंतलनार क्षेत्र में किसी बड़ी नक्सली वारदात की जानकारी भी आंध्रप्रदेश के इंटेलिजेंस ने पहले ही दे दी थी। माओवादी बड़ी घटना को अंजाम देने की तैयारी कर रहे थे, ताकि इसकी गूँज छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश ही नहीं दिल्लीClick here to see more news from this city तक पहुँचे। इसके लिए उन्होंने पड़ोसी राज्य उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार और झारखंड के साथ पश्चिम बंगाल के नक्सली नेताओं से संपर्क किया और ऐसे लड़ाके तैयार किए, जो मरने-मारने का माद्दा रखते हों।
निर्देशों की अनदेखी का खामियाजा : संख्या और संसाधनों के लिहाज से राज्य पुलिस नक्सलियों से कई गुना ताकतवर है। प्रभावित क्षेत्रों में राज्य पुलिस के करीब 20 हजार जवान और अफसर तैनात हैं। उनकी मदद के लिए केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल की 23 बटालियनें हैं। आमने-सामने की लड़ाई के लिए यह संख्या बल काफी अधिक है।
इसके बावजूद ज्यादातर मौके पर नक्सली ही भारी पड़ते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह निर्देशों की अनदेखी और क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति का सही ज्ञान न होना है। ताड़मेटला कांड की प्रारंभिक जाँच में भी घटना की यही वजह सामने आई है। (नईदुनिया)
मोदी ने कहा कि गरीबी रेखाGet Fabulous Photos of Rekha के नीचे रहने वाले परिवारों की संख्या को लेकर केंद्र और राज्यों में मतभेद हैं और केंद्र सरकार को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए तुरंत फैसला करना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि बीपीएल परिवारों को केवल चावल और गेहूँ देना पर्याप्त नहीं है और उन्हें दाल, चीनी और खाद्य तेल भी दिया जाना चाहिए।
महँगाई के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह की अध्यक्षता में मुख्यमंत्रियों की कोर कमेटी और प्रमुख केंद्रीय मंत्रियों की बैठक के बाद मोदी ने कहा कि ऐसा नहीं लगता है कि भारत सरकार के पास बढ़ती कीमत पर अंकुश लगाने के लिये कोई ठोस समाधान हैं।
दिलचस्प बात यह है कि मोदी को उपभोक्ता मामलों के कार्य समूह का अध्यक्ष बनाया गया है जो खुदरा कीमतों समेत अन्य मुद्दों पर गौर करेगा। यह उन तीन कार्य समूह में शामिल है जिसका गठन आज उच्च स्तरीय बैठक के दौरान किया गया।
यह पूछे जाने पर कि क्या महँगाई के मामले में केंद्र की तरफ से कोई ईमानदार पहल दिखाई देती है, गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी तक वो स्थिति दिखाई नहीं दी है। (भाषा)
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| EPFO करेगा ब्लू चिप बॉन्ड्स में निवेश
सेलफोन के ऐड में नहीं चला धोनी का डबल रोल बगैर धोनी के ऐड देने को मजबूर हुई एयरसेल। एक साथ अलग-अलग कंपनियों के दो हैंडसेट को प्रमोट कर रहे थे महेंद्र सिंह धोनी... अब बैंकों को गच्चा नहीं दे पाएंगे गोताखोर डिफॉल्टर बैंकों को अब ऐसे डिफॉल्टरों का सुराग लगाने में आसानी हो रही है जो या तो लापता हो गए थे या रिकवरी एजेंट के चंगुल से बचने में कामयाब हो गए थे...
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चिदंबरम की इस्तीफ़े की पेशकश अस्वीकार
चिदंबरम की इस्तीफ़े की पेशकश अस्वीकार
केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने नक्सली हमलों की नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफ़े की पेशकश की थी लेकिन प्रधानमंत्री ने इसे स्वीकार नहीं किया था.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार चिदंबरम ने दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले की नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफ़े की पेशकश की थी.
प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता का कहना था,''गृह मंत्री ने परसों इस्तीफ़ा दिया था. प्रधानमंत्री ने इसे अस्वीकार कर दिया है.''
चिदंबरम ने शुक्रवार को एक समारोह में कहा कि वे छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले की 'पूरी ज़िम्मेदारी' लेते हैं.
चिदंबरम ने कहा, "दंतेवाड़ा में जो कुछ हुआ वो मेरी ज़िम्मेदारी है. मैं इसकी पूरी ज़िम्मेदारी लेता हूं."
मंगलवार को नक्सलियों ने दंतेवाड़ा में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ़ के कई दस्तों पर घात लगाकर हमला किया था जिसमें 76 जवान मारे गए थे. यह नक्सलियों का सुरक्षाबलों पर अब तक का सबसे हमला बड़ा हमला माना जाता है.
शुक्रवार को सीआरपीएफ़ के शौर्य दिवस के मौक़े पर आयोजित एक समारोह में चिदंबरम का कहना था, "दंतेवाड़ा में हुई चूक को लेकर मुझसे प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से सवाल किए जा रहे थे. मैं इसकी ज़िम्मेदारी लेता हूँ."
उनका कहना था कि सीआरपीएफ़ के जवानों की हत्या को भूलाया नहीं जा सकता है.
दंतेनाड़ा में हुई चूक को लेकर मुझसे प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से सवाल किए जा रहे थे. मैं इस हमले की ज़िम्मेदारी लेता हूँ.
गृह मंत्री पी चिदंबरम
ख़बरों के अनुसार चिदंबरम ने बुधवार को ही छत्तीसगढ़ से लौटने के बाद प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर भी हमले की ज़िम्मेदारी ली थी और इस्तीफ़े की पेशकश की थी.
उन्होंने कहा कि इस महीने के अंत तक मारे गए सुरक्षकर्मियों के परिजनों को मुआवज़ा दे दिया जाएगा.
हमले के तुरंत बाद पी चिदंबरम ने रणनीतिक चूक को स्वीकार किया था और कहा था कि इसी कारण दंतेवाड़ा में माओवादी हमले में बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी मारे गए.
ग़ौरतलब है कि पिछले साल गृह मंत्री की पहल पर नक्सल प्रभावित राज्यों में नक्सलियों के ख़िलाफ़ व्यापक अभियान की शुरुआत हुई थी जिसे 'ग्रीन हंट' के नाम से भी जाना जाता है, हालांकि गृह मंत्री ग्रीनहंट के नाम से जारी किसी ऑपरेशन का खंडन करते हैं.
माओवादियों का कहना है कि दंतेवाड़ा में सुरक्षाबलों पर किया गया हमला सरकार की ओर से चलाए जा रहे ग्रीनहंट का जवाब है.
एक नज़र इधर
सुर्ख़ियों में
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चिदम्बरम ने की इस्तीफे की पेशकश, प्रधानमंत्री ने ठुकराई
गृहमंत्री चिदम्बरम की इस्तीफ़े की पेशकश, प्रधानमंत्री का इंकार
पी. चिदंबरम ने कहा कि दंतेवाड़ा में जो कुछ भी हुआ उसकी जिम्मेदारी मैं लेता हूं।
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केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने नक्सली हमलों की नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफ़े की पेशकश की थी लेकिन प्रधानमंत्री ने इसे स्वीकार नहीं किया था. समाचार एजेंसी पीटीआई के ...बीबीसी हिन्दी - 42 संबंधित आलेख »
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9 अप्रैल 2010 ... समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा केंद्रीय गृह मंत्री पी.चिदंबरम की इस्तीफे की पेशकश खारिज कर दी गई है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय ...
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9 अप्रैल 2010 ... केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने नक्सली हमलों की नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफ़े की पेशकश की थी लेकिन प्रधानमंत्री ने इसे स्वीकार नहीं किया था. ...
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केंद्रीय गृहमंत्री पी.चिदंबरम
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इंडिया टुडे द्वारा आयोजित सम्मेलन में उपस्थित केंद्रीय गृह मंत्री पी.चिदंबरम और पाकिस्तान के उच्चायुक्त शाहिद मलिक के बीच शुक्रवार को तू-तू मैं-मैं की स्थिति पैदा हो गई। ...
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केंद्रीय गृह मंत्री पी.चिदंबरम की 'जवाबदेही मुख्यमंत्री की मेज पर ही खत्म होनी चाहिए' संबंधी टिप्पणी पर पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य ने कहा कि यह ...
www.deshbandhu.co.in/newsdetail/51223/1/20 - संचित प्रति -
गृहमंत्री पी चिदंबरम
'जम्मू-कश्मीर सरकार समर्पण नीति पर कर रही काम'. केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने बुधवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार कश्मीरी आतंकवादियों की वापसी के संबंध में समर्पण नीति. ...
www.24dunia.com/.../गृहमंत्री-पी-चिदंबरम.html - संचित प्रति -
भाजपा, पी चिदंबरम, केन्द्रीय गृह ...
9 अप्रैल 2010 ... भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम के प्रति समर्थन जताते हुए उनसे पीछे न हटने के लिए कहा है। भाजपा का कहना है कि ऐसा करने से ...
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एक सिख पत्रकार केंद्रीय गृह मंत्री ...
This post contains information about "A Sikh Journalist threw his shoes at Union Home Minister P.Chidambaram….". इस पोस्ट के बारे में जानकारी एक सिख पत्रकार केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम पर अपने जूते फेंक दिया होता "....". ...
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इसके लिए अनुवादित अंग्रेज़ी परिणाम देखें:
केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम (Union Home Minister P Chidambaram)
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रायपुर. केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने भले ही रमन सरकार को क्लीनचिट दे दी है, लेकिन प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग को दोहराई है। गुरुवार को कांग्रेस भवन में हुई श्रध्दांजलि सभा में प्रदेशाध्यक्ष धनेंद्र साहू ने कहा कि प्रदेश सरकार की निष्क्रियता और ढुलमुल नीतियों के कारण यह घटना हुई है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि प्रदेश की कानून व्यवस्था संभालने राष्ट्रपति शासन लगाना आवश्यक है।
गौरतलब है कि केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने नक्सल विरोधी संयुक्त आपरेशन में राज्य सरकार की तारीफ की है। उन्होंने इस मसले पर राजनीति नहीं करने की बात भी कही है। इसके बाद भी प्रदेश कांग्रेस अपने रूख पर कायम है।
प्रदेशाध्यक्ष श्री साहू का कहना है कि प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगना ही चाहिए। वे इस मामले में कोई राजनीति नहीं कर रहे, बल्कि समाधान का रास्ता देख रहे हैं। कांग्रेस जनभावनाओं के आधार पर मांग कर रही है। कार्यकारी अध्यक्ष सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि भाजपा सरकार इस समस्या से निपटने में अक्षम साबित हुई है। पिछले छह सालों में नक्सली बस्तर से राजधानी तक पहुंच गए हैं।
सेवादल के प्रदेश संगठक अशोकराज आहूजा ने कहा कि राज्य सरकार का खुफिया तंत्र पूरी तरह फेल है। नक्सली एर्राबोर, मदनवाड़ा और चितलनार जैसे बड़े वारदात कर देते हैं और पुलिस को खबर भी नहीं लग पाती। श्रद्धांजलि सम्मेलन में महामंत्री राजेंद्र तिवारी, रमेश वल्र्यानी,विधायक कुलदीप जुनेजा, शहर जिलाध्यक्ष इंदरचंद धाड़ीवाल, पूर्व मंत्री भूपेश बघेल, डा. निरजंन हरितवाल, हसन खान, सुरेश मिश्रा, मदन तालेड़ा, कल्पना पटेल, सतीश जैन, उषा रज्जन श्रीवास्तव, संजीव शुक्ला सहित कार्यकर्ता मौजूद थे।
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दंतेवाड़ा के जंगल से एक चिट्ठी
♦ संजीव चंदन
वह कौन रोता है यहां इतिहास के अध्याय पर
कटवा किशोरों को आश्वस्त हो यह सोचता
शोणित बहा, पर बच गयी है लाज सारे देश की।
हे चिदंबरम, मनमोहन सिंह, मोंटेक सिंह अहलुवालिया! आपकी आश्वस्ति को भी हम समझते हैं और आपके घड़ियाली आंसुओं को भी। हम यह भी जानते हैं कि आप हमारे आखिरी रुदन को एक सामयिक प्रलाप मात्र मानकर आश्वस्त हैं। इतना आश्वस्त कि जल्दी ही हम सबके कंधों को आपके राष्ट्रवाद की पालकी में जुते होने के आपके स्वप्न और विश्वास आपको यह कहने के लिए प्रेरित करते हैं कि नक्सलवादी कायर हैं। क्या खूब युद्ध-नीति अपनायी है कि आपकी एक ललकार पर दर्जनों राष्ट्रवादी युवा मौत की नींद सुला दिये गये, जो आपके शब्दों में शहीद हो गये, और अब यह शहादत आपकी तैयारियों में चार-चांद लगा जाएगा। अब तो आप वायुसेना को भी अपने पूंजीपति आकाओं की आकांक्षाओं के लिए झोक देंगे – कुछ आपके शब्दों में शहीद होंगे और सैकड़ों निर्दोष नागरिक आपके शब्दों में मौत की नींद सुला दिये जाएंगे। अब तक तो आपकी पीठ भी थपथपा दी गयी होगी – क्या माहौल बनाया है आपने लाल कॉरिडोर पर हमले के बहाने ग्रीन-बेल्ट की अदभुत सौगात थाली में परोस कर – पीठ थपथपाते अपने हृदयहीन आकाओं के ड्रांइगरूम में जल्द ही तशरीफ जो ले जा रहे हैं आप।
आपके साथ खड़े रमन सिंह और उनके राष्ट्रवादी हाहाकार को हम खूब समझते हैं, पर अफसोस है कि ऐसा हमें दशकों पहले समझ लेना चाहिए था, जब राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के आपसी बंटवारे का खेल खेला गया था। क्या कोई फर्क है सास्कृतिक राष्ट्रवादियों के द्वारा फैलाये जा रहे आतंकवाद के खौफ और राष्ट्रवादियों के द्वारा फैलाये जा रहे नक्सलवाद के डर में?
हे चिदंबरम जी, कोई फर्क नहीं होता है एक शहीद जवान और एक मारे गये नक्सली या आतंकवादी के पीछे छूट गयी मां, पत्नी, बहन और प्रेमिका की नजरों में। दोनों ही जगह सूनी आंखों में आंसू पत्थर हो गये होते हैं। दोनों ही घरों में आलू बीस रुपये किलो, दाल अस्सी रुपये किलो और गोली साठ रुपये की एक आती है। दोनों ही घरों में जहर महंगा है और टॉक टाइम सस्ता। दोनों ही घरों को आगामी दस सालों में दांतेवाड़ा, गढ़चिरौली, तेलंगाना और ऐसे ही झारखंड से लेकर उड़ीसा तक में फैले मित्तलों-अंबानियों और इनके सात-समुंदर पार फैले भाई-बंधुओं के साम्राज्य में प्रवेश वर्जित की तख्ती लटकी मिलेगी। क्या खूब बिसात बिछायी है आपने, लगभग पचास करोड़ मध्यमवर्गीय तालियां आपके राष्ट्रवादी बंदूकों, एके 47, एसएलआर और युद्धक विमानों के पीछे करतल ध्वनि करती चलेंगी!
हे मनमोहन सिंह जी, हमें खेद है – आप पर नहीं, अपनी समझ और अपनी निश्चिंतताओं पर। हम यदि स्ट्रक्चरल एडजस्टमेंट पॉलिसी जैसी बारीकियों को नहीं समझ सकते थे, एलपीजी (लिबरलाइजेशन, प्राइवेटाइजेशन, ग्लोबलाइजेशन) जैसी पदावलियों को नहीं समझ सकते थे, तो इतना तो जरूर समझ लेना चाहिए था कि इकन्नी-दुवन्नी अपना मूल्य खो रहा था। यानी आम आदमी का अस्तित्व निरर्थक बनाया जा रहा था। क्यों नही दिखा हमें नत्थू काका की दुकान से गायब होता तरबूज और दर्जी चाचा की टीवी की बीमारी हमें क्यों नहीं दिखी। हम भविष्य़ के रिलाएंस को नहीं देख रहे थे लेकिन कोलसार से गायब होते गुड़ को क्यो नहीं देख पाये।
खैर हम हार गये हैं। हमें डरा दिया गया है – हम शामिल हो गये हैं – हमारा आखिरी रुदन है।
क्यों विनायक सेन जी, हम सच कह रहे हैं या झूठ। हम नासमझ थे कि हमारी लड़ाई और दिक्कुओं (गैर आदिवासियों) के हितों को कई बार एक समझ बैठे। सरकार उधर राष्ट्रवाद के नाम पर एसएलआर खरीद रही थी और हमारे दड़बे में हमसे सहानुभूति रखकर हमारे सुख-दुख में शामिल दिक्कुओं की एक जमात हमारी भूख और प्यास की लड़ाई के लिए हमारे हाथों में एके 47 दे रही थी। सुनते हैं कि कुछ मीडिया वाले विनायक सेन जी, आपसे, हमारी तय कर दी गयी मौत के बारे में कुछ सवाल पूछना चाह रहे थे। आप चुप क्यों हैं? हमारे हीरो, क्या आप डर गये? या आप एक लंबी जेल यातना के बाद विश्राम कर रहे हैं। या हमारी निश्चित हत्या के बाद हमारी लड़ाई के प्रतीक के तौर पर देश-विदेश के मंचों पर हमारा दुखड़ा व्यक्त करने के लिए आप थोड़ा आराम कर रहे हैं! वैसे हमें लगा था कि जेल के बाद आप देशव्यापी सहमति का माहौल बनाएंगे और हमारे दुखों से सहमत एक बड़े जनसमूह के साथ दिल्ली के शासकवर्ग की नीतियों को चुनौती देंगे। कल हम मारे जाएंगे और हमारी छाती पर एके 47 होगा उधर राष्ट्रवाद के नाम पर हमारे साथ कोई और मारा जाएगा, जिसके हाथ में एसएलआर होगा।
वह कौन रोता है यहां इतिहास के अध्याय पर
कटवा किशोरों को आश्वस्त हो यह सोचता
शोणित बहा पर बच गयी है लाज सारे देश की।
(लेखक टाइम्स आफ इंडिया के पत्रकार और स्त्री-काल पत्रिका के संपादक हैं)
दंतेवाड़ा हमले की पार्श्वकथा सबसे पहले भास्कर ने कही
शिशिर सोनीजिस दिन दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने सरकार के 76 जवान हलाक कर दिये, जाहिर है – उसके अगले दिन अखबारों की लीड खबर यही होनी थी। लेकिन खबर के पीछे सक्रिय तंतुओं में कितने तंतु कौन से अखबार साफ-साफ देख पाते हैं – यह महत्वपूर्ण होता है। दैनिक भास्कर ने पहले ही दिन छाप दिया कि इस हमले के पीछे आंध्रप्रदेश के नक्सली कमांडर कटकम सुदर्शन का हाथ है। मोहल्ला लाइव को मिली जानकारी के मुताबिक यह खबर दिल्ली ब्यूरो के वरिष्ठ संवाददाता शिशिर सोनी ने फाइल की। उनके स्रोत क्या थे, इस बारे में उनसे संपर्क करने पर उन्होंने इस दलील के साथ हमें कुछ भी बताने से इनकार कर दिया कि रिपोर्टर के स्रोत अखबार की प्रोपर्टी होते हैं और इसे दूसरे मंचों से शेयर करना अनैतिक होगा। बहरहाल, हमले के ठीक दो दिन बाद, यानी आज, इंडियन एक्सप्रेस ने दंतेवाड़ा कांड के पीछे की पूरी कहानी हैदराबाद डेटलाइन से छापी है – जिसमें लगभग वही बातें हैं, जो पहले दिन दैनिक भास्कर में छपी। ऐसा कम ही होता है कि इस तरह की एक्सक्लूसिव जानकारी के मामले में कोई हिंदी अखबार इतना अग्रेसन दिखाता है। भास्कर ने पहले दिन जब इसे प्रकाशित किया, तो इसकी प्रामाणिकता को लेकर जो भी उधेड़बुन थी – आज के एक्सप्रेस की खबर ने उसका पटाक्षेप कर दिया। हम दोनों ही खबरों को ऊपर-नीचे चिपका रहे हैं, पाठक कृपया देखें : मॉडरेटर
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चिदंबरम की इस्तीफ़े की पेशकश अस्वीकार
बीबीसी हिन्दी - 1 घंटे पहले
केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने नक्सली हमलों की नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफ़े की ... समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार चिदंबरम ने दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले की नैतिक ...ताड़मेटला की नक्सली घटना जवानों की ... - देशबन्धु
प्रधानमंत्री ने अस्वीकार किया था ... - दैनिक भास्कर
नक्सली हमले में हुई चूक : चिदंबरम - खास खबर
हिन्दुस्तान दैनिक - प्रभात खबर
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यह किसी को दोष देने का समय नहीं ...
याहू! भारत - 1 घंटे पहले
नक्सली हिंसा को लेकर गृह मंत्री पी. चिदंबरम से वाक्युद्ध में उलझे पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ... उन्होंने नक्सली हिंसा के खिलाफ सरकार को पूरा समर्थन देने का ऐलान भी किया। ...तृणमूल कांग्रेस और नक्सलियों में ... - हिन्दुस्तान दैनिक
नक्सल हिंसा पर आरोप प्रत्यारोप का ... - आज तक
समय आरोप-प्रत्यारोप का नहीं मिलकर ... - खास खबर
Patrika.com - याहू! जागरण
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रोहतास में नक्सली हमला, 2 की मौत
दैनिक भास्कर - 14 घंटे पहले
रोहतास के चेनारी प्रखंड के केनार खुर्द गांव में गुरुवार की देर रात नक्सलियों ने हमला कर 2 घरों को विस्फोट से उड़ा दिया और पिता-पुत्र की गोली मार कर हत्या कर दी। ...नक्सलियों ने की पिता-पुत्र की हत्या - खास खबर
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हमले में आठ नक्सली भी मरे थे
वेबदुनिया हिंदी - 20 मिनट पहले
अनुमान लगाया जा रहा था कि इस कार्रवाई में करीब एक हजार नक्सली शामिल थे। दंडाकरण्य विशेष जोनल कमेटी के सदस्य रामन्ना, सचिव कोसा और प्रवक्ता गुड्सा उसेंडी के हस्ताक्षर युक्त ... -
अब अपील और दलील दे रहे नक्सली
याहू! जागरण - 45 मिनट पहले
बीते मंगलवार को सुरक्षा बलों पर सबसे बड़ा हमला करने में कामयाब रहे नक्सलियों को भी नुकसान उठाना पड़ा था। करीब हजार की संख्या में नक्सलियों ने 76 जवानों को मार दिया था। ...दंतेवाड़ा नरसंहार के पीछे पापा राव ... - हिन्दुस्तान दैनिक
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छत्तीसगढ़: ताजा नक्सली हमलों का खतरा
खास खबर - 5 घंटे पहले
पिछले चार दशकों के सबसे ब़डे नक्सली नरसंहार में 76 सुरक्षा बलों और आठ नक्सलियों की मौत के बाद खुफिया विभाग ने अब छत्तीसगढ़ के शहरों में ताजा नक्सली हमलों के खतरे के प्रति आगाह ...'सीआरपीएफ की गलत योजना नरसंहार के ... - That's Hindi
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'कैसे सफल हुआ नक्सली हमला'
दैनिक भास्कर - 1 दिन पहले
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के अब तक के सबसे घातक हमले के बारे में 'कुछ गलती' होने की बात स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार ने गुरुवार को इस घटना की जांच कराने की घोषणा की। ...छत्तीसगढ नक्सली हमले की जांच कराएगी ... - यूनिवार्ता
केन्द्र नक्सली हमले की जांच कराएगीः ... - देशबन्धु
बारूदी सुरंग निरोधी वाहन में सुधार ... - याहू! जागरण
एनडीटीवी खबर - बीबीसी हिन्दी
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शहादत को शहर का सलाम
दैनिक भास्कर - 17 घंटे पहले
नक्सली घटना के विरोध में गुरुवार को शहर के सभी प्रमुख बाजार बंद रहे। ... दंतेवाड़ा में मंगलवार को नक्सली वारदात में बड़ी संख्या में जवानों के शहीद होने और नक्सलियों को रोक पाने ...छत्तीसगढ़ : नक्सलियों के खिलाफ बंद ... - That's Hindi
छत्तीसगढ़ बंद का व्यापक असर,राजधानी ... - देशबन्धु
छत्तीसगढ़ में बंद का ब्यापक असर - याहू! भारत
दैनिक भास्कर - दैनिक भास्कर
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11 नक्सली हुए गिरफ्तार
दैनिक भास्कर - 13 घंटे पहले
कॉम्बिंग ऑपरेशन के दौरान सीतमढ़ी पुलिस ने 11 नक्सलियों को गिरफ्तार किया है, जिसमें एक एरिया कमांडर भी शामिल है। इन लोगों को पुलिस ने सीतामढ़ी के बेलरोड इलाके से गिरफ्तार किया ...
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बात पते की
भूख से लड़ाई का बेशर्म झूठ
देविंदर शर्मा
दुनिया में कोई और ऐसा देश नहीं है, जहां प्रचुरता की शर्मनाक विडंबना देखने को मिले. भारत में खाद्यान्न खुले में सड़ रहा है और करोड़ों लोग भुखमरी के शिकार हैं. इसके अलावा अगर किसी देश पर भुखमरी और कुपोषण का साया है तो वह प्रमुख उपजों का निर्यात नहीं करता. ऐसा केवल भारत में ही हो सकता है.
अमरीका में, जहां से भारत आर्थिक नुस्खा प्राप्त करता है, खाद्यान्न को तभी निर्यात किया जा सकता है, जब यह सुनिश्चित हो जाए कि वहां की 30.9 करोड़ आबादी और 16.8 करोड़ कुत्ते और बिल्लियों के लिए पर्याप्त खाद्यान्न उपलब्ध है. भारत में खाद्यान्न, जिसमें गेहूं, चावल, मक्का, दालें, फल-सब्जियां शामिल हैं, का निर्यात दस्तूर बना हुआ है और सरकार इस व्यापार से होने वाले घाटे की भरपाई के लिए अकसर अनुदान उपलब्ध कराती है.
अमरीका में, जहां हर छह नागरिकों में से एक आदमी भुखमरी का शिकार है, अमरीका खाद्यान्न अनुदान के रूप में पांच साल में 205 अरब डालर की भारी-भरकम रकम मुहैया कराता है. भारत में, जहां विश्व की सबसे अधिक आबादी भूखी है, खाद्यान्न अनुदान बिल को 56 हजार करोड़ रुपए से कतरकर प्रस्तावित राष्ट्रीय खाद्यान्न सुरक्षा बिल में 28 हजार करोड़ रुपए कर दिया गया है. ऐसा केवल भारत में ही संभव है.
भूख और कुपोषण से लड़ने में सरकारी योजना की विपुलता केवल कागजों पर ही प्रभावी नजर आती है. महिला और बाल विकास मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्रालय और कृषि व खाद्य मंत्रालय भूख व गरीबी के उन्मूलन के लिए 22 योजनाएं चला रहे हैं. पहले से चल रही इन योजनाओं के इतने व्यापक फलक के बावजूद देश में अधिकाधिक गरीब भुखमरी के शिकार हो रहे हैं.
यूनिसेफ के अनुसार कुपोषण से भारत में हर साल पांच हजार बच्चे मौत के मुंह में समा जाते हैं. हर रोज 32 करोड़ से अधिक लोग भूखे सोते हैं. यह देखते हुए भी कि विद्यमान कार्यक्रम और योजनाएं गरीबी और भुखमरी में जरा भी सुधार करने में विफल रही हैं, यह सही समय है कि प्रस्तावित राष्ट्रीय खाद्यान्न सुरक्षा बिल को उचित तरीके से इस्तेमाल किया जाए. अगर हम भूख से लड़ने में विद्यमान तौर-तरीकों में आमूलचूल परिवर्तन नहीं करते तो हम देश को विफल बना देंगे.
सबसे पहले तो भूख से निपटने के संबंध में निर्णायक नौकरशाही और विशेषज्ञों तक सीमित बहस को राष्ट्र के बीच ले जाना चाहिए. इसकी शुरुआत के लिए मेरे पास कुछ सुझाव हैं.
सबसे पहले और सबसे जरूरी तो वास्तविक गरीबी रेखा का निर्धारित होना चाहिए. सुरेश तेंदुलकर समिति ने सुझाया है कि 37 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे रह रही है. इससे पहले, अर्जुन सेनगुप्ता समिति कह चुकी है कि 77 प्रतिशत जनता यानी 83.6 करोड़ लोग, रोजाना 20 रुपये से अधिक खर्च करने में सक्षम नहीं हैं. इससे अलावा, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज डीपी वाधवा समिति ने अनुशंसा की थी कि सौ रुपये प्रतिदिन से कम कमाने वाला व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे माना जाना चाहिए.
यह जानते हुए कि भारत में विश्व के सर्वाधिक गरीब लोग रहते हैं, दोषपूर्ण आकलन से असलियत में भूख को समाप्त नहीं किया जा सकता. भारत गरीबी और भुखमरी पर पर्दा नहीं डाल सकता. इसलिए भारत को भुखमरी और गरीबी में स्पष्ट विभाजक रेखा खींचनी होगी.
सुरेश तेंदुलकर समिति की 37 प्रतिशत आबादी के गरीबी रेखा के नीचे रहने की अनुशंसा वास्तव में नई भुखमरी रेखा के रूप में चिह्निंत की जानी चाहिए, जिसके लिए बेहद कम कीमत पर खाद्यान्न मुहैया कराया जाना चाहिए. इसके अलावा, गरीबी रेखा के नीचे रह रहे लोगों का अर्जुन सेनगुप्ता समिति द्वारा सुझाया गया 77 प्रतिशत का आंकड़ा नई गरीबी रेखा के रूप में स्वीकार किया जा सकता है.
इस वर्ग के लिए कम कीमत पर खाद्यान्न की व्यवस्था की जानी चाहिए. इस प्रकार भुखमरी और गरीबी से निपटने में अलग-अलग तरीका अपनाया जाना चाहिए. ब्राजील की तरह भारत को भी शून्य भूख का लक्ष्य निर्धारित कर योजनाएं तैयार करनी चाहिए. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश को खाद्यान्न उपलब्ध कराने वाले छह लाख गांवों के निवासियों को भूखे सोना पड़े. इन गांवों को भूख-मुक्त बनाने के लिए समुदाय आधारित क्षेत्रीय खाद्यान्न बैंकों की स्थापना होनी चाहिए. इस प्रकार की परंपरागत व्यवस्था देश के अनेक भागों में पहले से जारी है.
शहरी केंद्रों में और खाद्यान्न की कमी वाले इलाकों में लाभार्थियों की संख्या घटाने के बजाय सकल सार्वजनिक वितरण व्यवस्था जरूरी है. विद्यमान सार्वजनिक वितरण व्यवस्था का कायाकल्प होना चाहिए और इसके लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है. इसके अलावा, सामाजिक और धामिक संगठनों को खाद्यान्न वितरण से जोड़ने की भी बेहद आवश्यकता है. इन संगठनों ने बेंगलूर जैसे शहरों में बेहतरीन काम किया है.
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