खाद्य सुरक्षा बिल में भारी फेरबदल, रेटिंग एजंसियों का दबाव आर्थिक सुधारों के लिए लगातार बढ़ता जा रहा है और अब फिच की ओर से रेटिंग घटाने की तैयारी !
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
खाद्य सुरक्षा बिल में भारी फेरबदल करके सरकार ने जनमुखी होने की कोशिश की है,पर इस व्यवस्था के लिए संसाधन कैसे जुटाया जाएगा और वित्तीय प्रबंधन क्या होगा, यह तय नहीं है।खाद्य सुरक्षा और आर्थिक सुधारों का यह तालमेल कुछ समझ में नहीं आ रहा। दूसरी ओर,रेटिंग एजंसियों का दबाव आर्थिक सुधारों के लिए लगातार बढ़ता जा रहा है और अब फिच की ओर से रेटिंग घटाने की तैयारी है।फैसले लेने में सरकार की निष्क्रियता नहीं कम हुई तो आगे गंभीर नतीजे देखने को मिल सकते हैं। ग्लोबल रेटिंग एजेंसियों से इसके संकेत बार-बार मिल रहे हैं। हाल में मूडीज की ओर से भारत की आर्थिक विकास दर का अनुमान घटाने के बाद अब फिच ने खतरे की घंटी बजाई है। साख निर्धारण करने वाली संस्था फिच ने कहा है कि भारत की रेटिंग को अगले एक से दो साल के बीच 50 प्रतिशत से अधिक घटाए जाने की संभावना है। संस्था ने इसी वर्ष 15 जून को भारत की रिण रेटिंग को स्थिर से घटाकर नकारात्मक किया था।फिच के एपीएसी टीम के निदेशक आर्ट वू ने आज कहा कि भारत की रेटिंग को अगले 12 से 24 माह के भीतर ट्रिपिल बी माइन्स से घटाकर डबल बी प्लस किया जा सकता है। रेटिंग घटने का सीधा मतलब होता है कि भारत को अंतरराष्ट्रीय कर्ज महंगी दरों पर मिलेगा। साथ ही देश में विदेशी निवेश पर असर पड़ेगा। इससे संकेत मिलता है कि किसी देश की आर्थिक विकास दर में सुधार की संभावनाएं कम हैं। वहां सुधार को लेकर तत्काल उपाय नहीं हुए तो कारोबारी माहौल और निजी निवेश प्रभावित होगा। इस साल 15 जून को फिच ने भारत की कर्ज साख को स्थिर से नकारात्मक कर दिया था।वू ने कहा कि जब हम कहते हैं कि संभावना अधिक है तो इसे समझा जाना चाहिए कि 50 प्रतिशत से अधिक अवसर हैं। संस्था ने कहा है कि ऋण का जो परिदृश्य है वह इस बात का हैं कि देश की मध्य से दीर्घकालिक विकास गति धीरे-धीरे खराब हो रही है। यदि आर्थिक सुधारों को बढ़ाकर कारोबार के अनुकूल माहौल और निजी निवेश बढ़ाने के उपाय नहीं किए गए तो स्थिति और खराब हो सकती है।बीते दिनों में रेटिंग एजेंसियों की तरफ से भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य पर लगातार विपरीत टिप्पणियां हुई हैं। पिछले गुरुवार को मूडीज ने न सिर्फ भारत की संभावित विकास दर को काफी कम कर दिया, बल्कि इसके लिए सीधे तौर पर संप्रग सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। एजेंसी की रिपोर्ट में यहां तक कहा गया कि सरकार और रिजर्व बैंक हालात को देखते हुए कदम नहीं उठा रहे। ऐसा कोई उपाय नहीं किया जा रहा, जिससे अर्थव्यवस्था को लेकर उम्मीद बंधे। इसके उलट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह दावा करते नहीं थक रहे कि अर्थव्यवस्था के आधारभूत तत्व मजबूत हैं और रेटिंग एजेंसियों को बहुत अधिक तवज्जो देने की जरूरत नहीं है।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने बुधवार को 11 भारतीय वित्तीय संस्थानों की बीबीबी लांग टर्म [एलटी] फारेन करेसी [एफसी] इशुअर डिफाल्ट रेटिंग [आईडीआर] के भावी परिदृश्य में संशोधन कर इसे स्थिर से नकारात्मक कर दिया। एजेंसी ने हालांकि रेटिंग को बरकरार रखा।रेटिंग एजेंसी द्वारा जारी बयान के मुताबिक संशोधन से प्रभावित होने वाले संस्थानों में है- भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ बड़ौदा [न्यूजीलैंड] लिमिटेड, कैनरा बैंक, आईडीबीआई बैंक लिमिटेड, आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड, एक्सिस बैंक, एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक ऑफ इंडिया, हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फायनेंस कम्पनी लिमिटेड।रेटिंग एजेंसी ने सोमवार को भारत के एलटी फॉरेन एंड लोकल करेसी आईडीआर के भावी परिदृश्य में संशोधन कर इसे स्थिर से घटाकर नकारात्मक कर दिया था।फिच के मुताबिक हालांकि देश के बिगड़ते आर्थिक और वित्तीय परिदृश्य, सुस्त आर्थिक सुधार और महंगाई के दबाव के कारण इन संस्थानों पर और भी दबाव पड़ रहा है, लेकिन एजेंसी ने बैंकों के पास ग्राहकों की समुचित जमा राशि को लेकर राहत जताई।
सरकार अगले 4 हफ्ते के भीतर 5 बड़ी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचने का फैसला ले सकती है। सितंबर के दूसरे हफ्ते से सरकारी कंपनियों के एफपीओ या फिर शेयरों की नीलामी शुरू हो सकती है। वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2013 में 15 सरकारी कंपनियों में विनिवेश की योजना बनाई है। वहीं प्रत्येक 15 दिनों में 1 सरकारी कंपनी के विनिवेश का ऐलान किया जाएगा।सरकार ने सबसे पहले एनएमडीसी, ऑयल इंडिया, एमएमटीसी, हिंदुस्तान कॉपर और नेवली लिग्नाइट जैसी सरकारी कंपनियों में विनिवेश को तरजीह दी है। माना जा रहा है कि इन कंपनियों में हिस्सा बेचने के लिए कैबिनेट से जल्द मंजूरी ली जाएगी।सेल, बीएचईएल और आरआईएनएल में हिस्सेदारी बेचने की मंजूरी पहले से मिली हुई है। सरकार ने वित्त वर्ष 2013 में विनिवेश से 30,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। दिसंबर तक सरकार को 8 कंपनियों के विनिवेश से 15,000 करोड़ रुपये की पूंजी जुटाने की उम्मीद है। हालांकि सरकार की इस वित्त वर्ष में कोल इंडिया और इंडियन ऑयल में विनिवेश की योजना नहीं है।
देश की 67 फीसदी आबादी को मामूली कीमत पर हर महीने 5 किलो अनाज मिलेगा और इसके हकदार तय करने का अधिकार भी राज्यों के पास ही होगा। विरोधी दलों की आपत्तियों के बाद सरकार ने फूड सिक्योरिटी बिल में ये भारी फेरबदल किया है। जानकारी के मुताबिक सरकार ने इस नए मसौदे को संसद की स्थायी समिति को भी सौंप दिया गया है। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, सरकार अपने लोक लुभावन वादे को पूरा करने की कोशिशें तेज करती जा रही हैं। इसी के तहत सरकार हर व्यक्ति को अनाज की गारंटी देने वाले फूड सिक्योरिटी बिल को संसद से पास कराना चाहती है। इस बिल पर विरोधी दलों का समर्थन पाने के लिए सरकार ने पूरे मसौदे को ही बदल डाला है। अब इसके दायरे में देश की 67 फीसदी आबादी को लाने का फैसला लिया है।फूड सिक्योरिटी बिल के नए मसौदे के मुताबिक सस्ता अनाज देते वक्त गरीबी रेखा से नीचे और ऊपर, यानी बीपीएल और एपीएल के बीच कोई भेद नहीं किया जाएगा। हर जरूरतमंद शख्स को हर महीने 5 किलो अनाज मामूली दाम पर दिया जाएगा। वहीं इस अनाज के कौन-कौन हकदार हैं, ये तय करने का अधिकार राज्य सरकारों के पास होगा। वैसे केंद्र सरकार की एक गाइडलाइंस हो सकती है। जिसके मुताबिक यदि गांवों में कोई रोजाना 40 रुपये और शहर में 50 रुपये से कम खर्च करता है तो वो फूड सिक्योरिटी का हकदार होगा।
इसीके मध्य मिले-जुले अंतर्राष्ट्रीय संकेतों की वजह से बाजारों में शांत कारोबार नजर आ रहा है। सेंसेक्स 6 अंक गिरकर 17552 और निफ्टी 4 गिरकर 5316 पर खुले। शुरुआती कारोबार में बाजार में खरीदारी लौटी है। ऑयल एंड गैस शेयर 1 फीसदी उछले हैं। पीएसयू, रियल्टी, हेल्थकेयर शेयर 0.5-0.25 फीसदी मजबूत हैं। मेटल, तकनीकी, एफएमसीजी, पावर शेयरो में सुस्ती है। बैंक, कैपिटल गुड्स, ऑटो और आईटी शेयर 0.2 फीसदी कमजोर हैं।मुनाफे में 50 फीसदी की बढ़त होने की वजह से ओएनजीसी 3 फीसदी चढ़ा है। मानेसर प्लांट में उत्पादन शुरू होने की उम्मीद से मारुति सुजुकी 2 फीसदी तेज है। टैरो के साथ मर्जर पर सहमति बनने से सन फार्मा 1 फीसदी मजबूत है। भारती एयरटेल, डीएलएफ, गेल, केर्न इंडिया, सेसा गोवा, जिंदल स्टील, एशियन पेंट्स, पीएनबी, हिंडाल्को, स्टरलाइट इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक, अंबुजा सीमेंट 2-0.5 फीसदी तेज हैं। पहली तिमाही में मुनाफा घटने के बावजूद रिलायंस कम्यूनिकेशंस के शेयरों में 2 फीसदी की तेजी है। सीमंस, टाटा मोटर्स, जेपी एसोसिएट्स, टाटा स्टील, आईसीआईसीआई बैंक, बीपीसीएल, एक्सिस बैंक, एमएंडएम, टीसीएस, एचयूएल, बीएचईएल, टाटा पावर 2-0.5 फीसदी गिरे हैं।
सरकार जल्द ही सिंगल ब्रैंड रिटेल के एफडीआई नियमों में ढील दे सकती है। सिंगल ब्रैंड रिटेल एफडीआई के ब्रैंड ओनरशिप नियमों में ढील मि सकती है। वहीं विदेशी निवेशकों को भारत में अपने ब्रैंड लाने की मंजूरी मिल सकती है।सिंगल ब्रैंड रिटेल में 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी का प्रस्ताव है। सूत्रों का कहना है कि सिंगल ब्रैंड रिटेल एफडीआई के ब्रैंड ओनरशिप नियमों में जल्द ढील संभव है। अब तक ग्लोबल स्ट्रैटेजिक निवेशकों को ब्रैंड लाने की इजाजत नहीं है। इससे पहले एफआईपीबी जारा की मासिमो डुट्टी ब्रैंड की अर्जी खारिज कर चुका है।
वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा का कहना है कि लोकल सोर्सिंग नियमों में फेरबदल पर फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया गया है। साथ ही मल्टीब्रैंड रिटेल में एफडीआई लाने की कोई समयसीमा तय नहीं की गई है। लेकिन सिंगलब्रैंड रिटेल में 51 फीसदी एफडीआई के लिए अब तक 6 प्रस्ताव मिले हैं।आनंद शर्मा के मुताबिक 11 राज्य और सभी केंद्रशासित प्रदेश रिटेल में एफडीआई के पक्ष में हैं। दिल्ली, असम, मणिपुर, महाराष्ट्र, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू एंड कश्मीर एफडीआई के पक्ष में हैं।
उद्योग एवं वाणिज्य राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लोकसभा में बताया कि देश के 10 राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों ने केंद्र सरकार के मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई की अनुमति संबंधी फैसले का समर्थन किया है। हालांकि पिछले दिनों राज्यसभा में इस बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने केवल दिल्ली, मणिपुर, दमण व दीव, दादरा व नागर हवेली द्वारा मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई का समर्थन किए जाने की जानकारी दी थी।
सिंधिया ने लोकसभा में कहा कि छह अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने सार्वजनिक रूप से मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई पर समर्थन व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा, महाराष्ट्र, असम, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के प्रेस को दिए गए अपने बयानों के जरिये एफडीआई का समर्थन करते हुए इसे लागू किए जाने के लिए कहा है।
गौरतलब है कि केंद्रीय कैबिनेट ने 24 नवंबर 2011 को ही मल्टी ब्रांड रिटेल में 51 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दिए जाने का फैसला किया था, पर सरकार के घटक दल तृणमूल कांग्रेस व कई राज्य सरकारों के विरोध के चलते यह मामला फिलहाल लंबित पड़ा है। सिंधिया ने कहा कि इस फैसले को लागू करने की कोई समय सीमा फिलहाल निर्धारित नहीं की जा सकती।
सिंगल ब्रांड रिटेल में एफडीआई के 6 प्रस्ताव
सरकार को सिंगल ब्रांड रिटेल में 51 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के 6 प्रस्ताव मिले हैं। इनमें टॉमी हिलफिगर व प्रोमोड एंड डेमियानी के एफडीआई प्रस्ताव भी शामिल हैं। सरकार की ओर से वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने यह जानकारी लोकसभा में दी।
एक सवाल के लिखित जवाब में शर्मा ने सदन को बताया कि दो प्रस्तावों के अलावा पेवर्स इंग्लैंड और आईकेईए ग्रुप की ओर से सिंगल ब्रांड रिटेल में शत प्रतिशत एफडीआई के प्रस्ताव भी सरकार को प्राप्त हुए हैं। सरकार ने अभी तक इन प्रस्तावों पर कोई फैसला नहीं किया है।
गौरतलब है कि सरकार ने जनवरी में सिंगल ब्रांड रिटेल में एफडीआई की सीमा को 51 फीसदी से बढ़ा कर 100 फीसदी कर दिया है। इसके बाद मई तक सिंगल ब्रांड रिटेल में आने वाले निवेश की रकम 204.07 करोड़ रुपये के स्तर पर रही।
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