Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti basu is DEAD

Jyoti Basu: The pragmatist

Dr.B.R. Ambedkar

Memories of Another Day

Memories of Another Day
While my Parents Pulin Babu and basanti Devi were living

"The Day India Burned"--A Documentary On Partition Part-1/9

Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Thursday, February 12, 2015

#आत्मध्वंसविरुद्धे #आत्महत्यानिषेधे #प्रतिरोधनिमित्ते #मसीहानिषेध #आवाहन मनुष्यता का आम जनता और हम जैसे लोग न गांधी है,न लेनिन और न अंबेडकर,गिन गिनकर मारोगे तो भी कितने मारोगे? बाजू भी बहुतै हैं और सर भी बहुतै हैं। रगों में खून भी बहुतै है। गोडसे कहां क

#आत्मध्वंसविरुद्धे

#आत्महत्यानिषेधे

#प्रतिरोधनिमित्ते

#मसीहानिषेध

#आवाहन मनुष्यता का


आम जनता और हम जैसे लोग न गांधी है,न लेनिन और न अंबेडकर,गिन गिनकर मारोगे तो भी कितने मारोगे?

बाजू भी बहुतै हैं और सर भी बहुतै हैं। रगों में खून भी बहुतै है।

गोडसे कहां कहां से लाओगे?

कितने मंदिर मोदी और गोडसे के बनाओगे?

कितनी नदियां खून की बहाओगे?


तैंतीस करोड़ देव देवियों की विधि विधान के इस मिथ्या जगत के बावजूद हम हक हकूक से बेदखल आवाम मर मर कर जिंदा हैं।


पलाश विश्वास

साभार NDTV

·


In #Gujarat, a Temple Devoted to PM Narendra ModiIncludes His Idol http://goo.gl/uq7Eml

#आत्मध्वंसविरुद्धे

#आत्महत्यानिषेधे

#प्रतिरोधनिमित्ते

#मसीहानिषेध

#आवाहन मनुष्यता का

अब मेरे मेल डीएक्टिव हो रहे हैं।ब्लागिंग भी रुक रही है।जो हमारे साथ हैं इस मुक्त बाजार के खिलाफ,वे हमसे सहमत हैं तो इस हरसंभव तरीके से अधिकतम लोगों के साथ देश के कोने कोने में शायर करें।


आम जनता और हम जैसे लोग न गांधी है,न लेनिन और न अंबेडकर,गिन गिनकर मारोगे तो भी कितने मारोगे?


बाजू भी बहुतै हैं और सर भी बहुतै हैं।


रगों में खून भी बहुतै है।



गोडसे कहां कहां से लाओगे?

कितने मंदिर मोदी और गोडसे के बनाओगे?


तैंतीस करोड़ देव देवियों की विधि विधान के इस मिथ्या जगत के बावजूद हम हक हकूक से बेदखल आवाम मर मर कर जिंदा हैं।

कितनी नदियां खून की बहाओगे?



आत्म ध्वंसे के हजारो कायदे हैं मुक्त बाजार चौकाचौंध मध्ये।


हमें इंतजार है कि हमारे बच्चे बालिग हों,समझदार हों और हमारे साथ खड़े हों,फिर हम जालिमों से ,उनके जुल्मोसितम से निपट लेंगे यकीनन।

कोई तकनीक हमें हरा नहीं सकती के हमउ तकनीक के बाप रहै हैं।

आत्मध्वंस के रास्ते चल रहे सारे युवाजन जाति धर्म अस्मिता लिंग निर्वेशेष जब सड़क पर उतरेंगे आवाम के हक हकूक के लिए,उस दिन का इंतजार है।

जब सारी स्त्रियां गोलबंद होंगी पुरुषतंत्र और उनके स्त्री विरोधी औजार के खिलाफ कि हर ब्लेड की धार पर होगा पुरुष वर्चस्व चाक चाक,उस दिन हम मनुस्मृति अनुशासन का हश्र भी देखेंगे।


कि हर कोई आपकी योजना मुताबिक रोके जाने पर आप न होगा बाप।

आप भी होगा तो बाप को न भूलेगा हर कोई बाप।रोक सको तो रोक लो।

#आत्मध्वंसविरुद्धे

#आत्महत्यानिषेधे

#प्रतिरोधनिमित्ते

#मसीहानिषेध

#आवाहन मनुष्यता का


जो हमें जानते नहीं हैं,वे नहीं जानते कि हनुमान की पूंछ में आग में लगाने का नतीजा भी कुछ होता होगा।


यकीनन,रोबोटिक तकनीक हममें से हर किसीके डिजिटल बायोमेट्रिक डैटा से समृद्ध है।यकीनन किसी भी दिन किसी प्रायोजित दुर्घटना में हमारा अंत तय है।पोलोनियम 210 अचूक रामवाण है।

भोपाल गैस त्रासदियां है।

सिख संहार है।

देश विदेश दंगे हैं।

राजनीतिक घृणा और बेलगाम हिंसा है।

निरंकुश सैन्यतंत्र है।

सलवा जुड़ुम हैं रंगबिरंगे।

आफसा है जहां तहां।

गुजरात नरसंहार का सबक है।

बाबरी विध्वंस बारंबार है।

आपरेशन हैं।

सर्वोपरि माफिया राज है।

कारपोरेट कालाधन केसरिया है।

यकीनन हमारे नाम भी लिखा गया है कोई प्रायोजित बुलेट।


आखेर बै चैतू,फिकर नाट।

नको नको।


खोल दो सारे दरवज्जे कि कयामत चालू आहे।

खोल दो सारी खिड़कियां कि कयामत चालू आहे।


इस कयामत के शबाबो हुश्न की हवा पानियों के खिलाफ खड़े हुए बिना साबूत न बचेगा कोई प्रिय सपना।


कोई गुलाब की पंखुड़ी नहीं होगी सही सलामत कि खिलते कमल की वसंत बहार है।

भूखे रायल बंगाल टाइगरों  के अभयारण्य में नहीं,अपने खेत खलिहान, कल कारखाने,कारोबार और घर दफ्तर में हम भूखे भेड़ियों का निवाला में तब्दील हैं।


अबै चैतू,कथे कथे खनै हो ससुकरे।


आदिगंत डोनरकथा अनंत है।

एकच डीएनए की संतानें कमल कमल हैं।


बाकी सारे फूल,बाकी सारी कायनात पतझड़ है।

बाकी सारी कायनात सुनामी है,जलसुनामी है,डूब है,भूस्खलन है मूसलाधार,भूकंप है या फिर तमाम तमाम रंगबिरंगे आपदाओं का इंद्रधनुष है।


जिंदगी कोई बियांबां नहीं कि जंगल का कानून चलेगा।

जिंदगी कोई बियाबां नहीं कि हमारी दोस्ती भेडियों से होगी।


जिंदगी कोई जंगलबुक नहीं कि हम भेड़ियों के आहार के लिए शिकार करते रहे।


इसीलिए बै चैतू,सुन,अंधियारे के कारोबार के खिलाफ एक मुकम्मल चीख जरुरी है।

इस चीख को हथियार बना बै चैतू।

कोई तकनीक हमें चीखने से रोक नहीं सकती।


बाबुलंद जश्न मध्ये मनुष्यता साठी एकच मस्त चीख अनिवार्य आहे।आहेत।आहे।आहे।आहे।


हम उस चीख के लिए आजीवन इंतजार में बैठे हैं कि बूढ़ी रंडी की महफिल में फिर होगा मुजरा कभी न कभी।


कि हमारे लोग हर अनाज का हिस्सा मांगेगे कभी न कभी।

कि चौराहे में अंधियारा के खुल्ला खेल फर्रऊखाबादी  के मध्य तेजबत्तीवाला अंधियारा बाबा आखेर अकेले है।

कि चैतू चांदी काटेकै चांदी बाटेके धंधा बंद करके चाहि।

कि

#आत्मध्वंसविरुद्धे

#आत्महत्यानिषेधे

#प्रतिरोधनिमित्ते

#मसीहानिषेध

#आवाहन मनुष्यता का


मित्रों ,मेरी औकात बस फिर वही माटी गोबर में गूंथे दिलोदिमाग है और मेरी विरासत मेरी पिता की रीढ़ में बसे लाइलाज कैंसर है।


मेरी जमीन फिर वही बसंतीपुर है।

मेरे घर,खेत,खलिहान में जब तब जहरीले नाग का दर्शन होता रहता है और सर्पदंश से मरा नहीं हूं,बाकायदा महानगरीय जीवन में उंगलियों के मार्फत खेती कर रहा हूं।जनमजात किसान हूं।शरणार्थी भी हूं और अछूत भी।कोई अपमान,कोई उपेक्षा,कोई उत्पीड़न हमें हमारे इरादे से डिगा नहीं सकते।


समझ लें बै चैतू,हम तकनीक के तिलिस्म में कैद न होने वाले हैं।


मुझे कमसकम पचास साल हुए पर्चा निकालते हुए।

मेरे पिता और मेरे गांव के तमाम लोग आंदोलनकारी रहे हैं।

मैंने कविता कहानी आलेख लिखने से पहले अ आ क ख सीखने के साथ पर्चा निकाला है।


तोपखाने हमारे पास नहीं हैं।


हमारे पास प्रक्षेपास्त्र नहीं हैं।

हमारे पास ड्रोन और सैटेलाइट नहीं हैं।


पहाड़ों में पला बढ़ा हूं जंगलों में बचपन बीता है और हर गुरिल्ला तकरीब हमें मालूम है।सीधे अगर लड़ न सकें तो छापामार हल्ले तो कर ही सकते हैं।


चैतू,फिक्र किस बात की है बै,हम पुरखौती से बेदखल हैं और पुरखौती केसरिया है और हमारे सैकड़ों,हज्जारों ,लाखों गांव बेदखल विस्थापित हैं और हम सीमेंट के तिलिस्म में कैद हैं तो का हुआ बै,हम गांव के लोग लोक में रचे बसै हैं।

हम तो जनमजात रंगकर्मी हैं।

हम कुछ न हुआ तो रंग चौपाल के मध्य जोड़ेंगे देश और इस तकनीकी शैतानों का जवाब देंगे यकीनन।


जबसे दिल्ली में आप ने कांग्रेस और भाजपा को साफ कर दिया है,तकनीक के रोबोट हमारी उंगलियां कैद करने लगी है।


दरवज्जा अभी खुला तो अभी बंद।

खिड़कियां अधखुली तो फिर बंद।


हम बादलों के कारिंदे न हैं और इंद्रधनुष के शहसवार अश्वमेध के घोड़े हैं हम।हमसे हमारे सपने बेदखल हो नहीं सकते।


हम किसी ईश्वर या अवतार के बंदे नहीं हैं बै चैतू।

हम मनुष्यों के गुलाम हैं।


वे अपनी कब्र खोद रहे हैं जो भी विरोध में लिख बोल पढ़ रहे हैं,उनके पीछे रोबोट और क्लोन छोड़ रखे हैं कि हर कहीं उन्हें आप नजर आ रहा है।


हम मानते हैं कि मुहब्बत का हर मसीहा आखेर सौदागर है।

हम किसी मसीहा के गुलाम नहीं हैं।


आम जनता जो है,जो बाकी लोग हैं,वे हमारी तरह बदतमीज और जिद्दी जरुर नहीं हैं।


आप को रोकने को लिए उन सबको कदम कदम पर रोकेंगे और अभिव्यक्ति के पैरों में जंजीरें बांधेंगे,तो सारे चेहरे आप नजर आयेंगे।


फिर कोलकाता कारपोरेशन का चुनाव प्रचार करने का दंभ बचा भी होगा दिल्ली दुर्गति के बाद तो भी हर कहीं नये वाटरलू की फसल होगी।


हम मसीहाई में यकीन नहीं करते।

हम जनमजात कार्यकर्ता है और मेरे रिटायर होने में सिर्फ चंद महीने हैं।

सारा जहां हमारा घर है।

सारी जमीन हमरी है।

सारा आसमान हमारा है।

हमारा है समुंदर, पहाड़, रण, रेगिस्तान और तमाम नदियां हमारी,तमाम जंगल हमारे।


लिख भी न सकें तो क्या सड़क पर खड़े अपना घर फूंकने का तमाशा मस्त मलंग कबीरा कर ही सकते हैं अगर गांधी की तरह मार न दिये गये।


वे केजरी को भी गोली से उड़ाने की धमकी दे रहे हैं।


मसीहा मारे जाते हैं।गांधी की हत्या हो गयी।


मोदी के मंदिर बनने लगे हैं।

गोडसे का मंदिर भी रामंदिर की तर्ज पर बनकर रहेगा।

हिंदू राष्ट्र पहले से बना हुआ है।


हिंदी हिंदू हिदुस्तान की रघुकुल रीति हजज्जारों सालों से चली आ रही है।

बड़ा मूरख बै तू चैतू कि हजज्जारों साल की गुलामी की जंजीरों को आजादी का गहना मानकर मटक मटक कर चलि रिया हो।


धर्म अधर्म देश में धर्मनिरपेक्षता कुछ नहीं,फरेब है।

हमारी लड़ाई भटकाने का फरेब।

हमें वोट बैंक में तब्दील करके हमारी गर्दन पर तलवार के वार के लिए।

हमारी कन्याओं को वे विष कन्या बना रहे हैं।

द्रोपदी की फसल पैदा कर रहे हैं वे।


हमारी स्त्रियां जो तमाम गुलामो हैं,शूद्र हैं,दासी हैं,हम उनकी अगुवाई में लड़ेंगे साथी।

जो छात्र युवाजन लाखोंलाख वर्गविहीन जाति विहीन धर्म विहीन समाज और देश के लिए हर कुर्बानी को तैयार हैं,हम उन सबको एक एक कर गोलबंद करेंगे।

गोलबंद करेंगे निनानब्वे फीसद आवाम को एख फीसद एफडीआई खोर कालाधन काला चोर मुनाफा करोड़ टकिया पोशाक में विकास प्रवचन ताने मसीहा संप्रदाय की जनसंहारी सत्ता के खिलाफ।

#आत्मध्वंसविरुद्धे

#आत्महत्यानिषेधे

#प्रतिरोधनिमित्ते

#मसीहानिषेध

#आवाहन मनुष्यता का


आम जनता और हम जैसे लोग न गांधी है,न लेनिन और न अंबेडकर,गिन गिनकर मारोगे तो भी कितने मारोगे?


बाजू भी बहुतै हैं और सर भी बहुतै हैं।


रगों में खून भी बहुतै है।



गोडसे कहां कहां से लाओगे?

कितने मंदिर मोदी और गोडसे के बनाओगे?


तैंतीस करोड़ देव देवियों की विधि विधान के इस मिथ्या जगत के बावजूद हम हक हकूक से बेदखल आवाम मर मर कर जिंदा हैं।

कितनी नदियां खून की बहाओगे?

हमें इंतजार है कि हमारे बच्चे बालिग हों,समझदार हों और हमारे साथ खड़े हों,फिर हम जालिमों से ,उनके जुल्मोसितम से निपट लेंगे यकीनन।

कोई तकनीक हमें हरा नहीं सकती के हमउ तकनीक के बाप रहै हैं।

आत्मध्वंस के रास्ते चल रहे सारे युवाजन जाति धर्म अस्मिता लिंग निर्वेशेष जब सड़क पर उतरेंगे आवाम के हक हकूक के लिए,उस दिन का इंतजार है।

जब सारी स्त्रियां गोलबंद होगी पुरुषतंत्र और उनके स्त्री विरोधी औजार के खिलाफ के हर ब्लेड की धार पर होगा पुरुष वर्चस्व चाक चाक,उस दिन हम मनुस्मृति अनुशासन का हश्र भी देखेंगे।

कि हर कोई आपकी योजना मुताबिक रोके जाने पर आप न होगा बाप।आप भी होगा तो बाप को न भूलेगा हर कोई बाप।रोक सको तो रोक लो।

#आत्मध्वंसविरुद्धे

#आत्महत्यानिषेधे

#प्रतिरोधनिमित्ते

#मसीहानिषेध

#आवाहन मनुष्यता का

पुनश्चःअब मेरे मेल डीएक्टिव हो रहे हैं।ब्लागिंग भी रुक रही है।जो हमारे साथ हैं इस मुक्त बाजार के खिलाफ,वे हमसे सहमत हैं तो इस हरसंभव तरीके से अधिकतम लोगों के साथ देश के कोने कोने में शायर करें।


No comments:

Post a Comment