कल पहली बार पिता माँ ताऊ ताई बेटा और गाँव के तमाम लोगो के समाधियो के पास रात भर सैकङो लोगॅ के साथ रहा।यादो के साथ।मौका था काली पूजा का और था ऋषिकेश का क्लासिकल भक्ति गायन का ।आगे क्या लिखुँ युँ समझ लिजिऎ अवतार आ रहे है और जा भी रहे है
काली पूजा मे बकरे की बली क्यो देते है और क्यो पँडित बकरा का सिर ले जाता है?
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