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Monday, July 29, 2013

Subhash Chandra Kushwaha आखिरकार सर्वोच्च न्यायालय ने रिलायंस को लाभ पहुंचाने के लिए 4.2 एम.एम.एस.सी.एम.डी. से 8.4 एम.एम.एस.सी.एम.डी गैस के दाम बढ़ाये जाने के निर्णय के खिलाफ पेट्रोलियम मंत्रालय और रिलायंस को नोटिस जारी कर दिया ।

आखिरकार सर्वोच्च न्यायालय ने रिलायंस को लाभ पहुंचाने के लिए 4.2 एम.एम.एस.सी.एम.डी. से 8.4 एम.एम.एस.सी.एम.डी गैस के दाम बढ़ाये जाने के निर्णय के खिलाफ पेट्रोलियम मंत्रालय और रिलायंस को नोटिस जारी कर दिया । रिलायंस गैस के दाम बढ़ाये जाने के लिए लम्बे समय से सरकार पर दबाव बनाये हुए था । इसके लिए उसने के.जी. बेसिन के 18 कुओं में से मात्र 9 कुओं में से, करार का मात्र 18 प्रतिशत गैस उत्पादित किया । ऐसा कर के वह गैस उत्खनन को अलाभप्रद बनाने, दाम बढ़ाने के लिए पृष्ठभूमि तैयार करने और दाम बढ़ने पर बचा कर रखे गये गैस को बेच कर ज्यादा कीमत वसूलने की दोहरी नीति का अनुसरण किया । करार के मुताबिक कम उत्खनन करने के कारण उस पर दंड लगना चाहिए पर सरकार ने गैस कीमतों को दूनी कर उसे और लाभ पहुंचाना जरूरी समझा । रिलायंस की पूरी धन संपदा ऐसी ही नीतियों से बनी है । 07 फरवरी, 1977 को, इमरजेंसी के बाद चुनाव घोषित होने के तीन सप्ताह बाद सरकार ने पीछे की अवधि से, यानी 1 अप्रैल 1976 से पालिस्टर यार्न पर कस्टम ड्यूटी, जो 125 प्रतिशत थी, पूरी तरह समाप्त कर रिलायंस को एक झटके में 375 लाख का फायदा पहुंचाया था । 1959 के आसपास मात्र 350 वर्ग फुट की दुकान में अपना कारोबार चलाने वाले धीरूभाई अंबानी और उनका परिवार आज कहां है, यह किसी से छुपा नहीं है । वहीं गरीब हितैषी सरकारों के होते, देश के 3 लाख किसानों ने खेती-बारी बर्बाद होने के कारण आत्महत्या कर ली है फिर भी कहीं कोई पहाड़ नहीं टूटा ।

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