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Monday, February 8, 2010

Fwd: [Hindi IWP] पानी की कुछ कहानियां / आप इन्हें छाप सकते हैं



---------- Forwarded message ----------
From: Hindi Water portal <hindi@lists.indiawaterportal.org>
Date: 2010/2/8
Subject: [Hindi IWP] पानी की कुछ कहानियां / आप इन्हें छाप सकते हैं
To: hindi@lists.indiawaterportal.org


आसमां में सुराख से कम नहीं यह जीत

Source: 
हरिद्वार, दैनिक जागरण, 7 फरवरी 2010
अनशनकरी स्वामी यजनानंद : को जूस पिलाकर अनशन तुड़वाते अग्नि अखाड़े के महामंडलेश्वर रामकृष्णानंदअनशनकरी स्वामी यजनानंद : को जूस पिलाकर अनशन तुड़वाते अग्नि अखाड़े के महामंडलेश्वर रामकृष्णानंद

गंगा में खनन के कुछ मुद्दों पर मातृसदन के आंदोलन के आगे शासन झुका


मातृसदन का आंदोलन अखिरकार रंग लाया। तमाम सख्ती के बाद शासन को अखिरकार झुकना पड़ा। शासन ने अधिसूचना जारी कर कुंभ क्षेत्र को मातृसदन की मांग के अनुसार जियापोता तक बढ़ाने का ऐलान कर दिया। इसके साथ ही 6 फरवरी को एडीएम ने मातृसदन के प्रमुख स्वामी शिवानंद व उनके शिष्य यजनानंद ब्रह्मचारी का अनशन तो तुड़वा दिया, लेकिन क्षेत्र को खनन मुक्त कराने की मांग लेकर स्वामी दयानंद का अनशन अभी जारी है। ज्ञातव्य है कि सैकड़ों ट्रैक्टर, ट्रक, जेसीबी मशीन के भयंकर खनन से गंगा भयानक रूप से प्रदूषित हो रही है। गंगा के सुन्दर तटों एवं द्वीपों का विनाश हो रहा है। 



प्रयास. . . . .

कहानी लदुना के पानी की...

Author: 
सचिन कुमार जैन, भोपाल
पानी तेरे कितने रंगपूरे देश-प्रदेश की भांति मंदसौर जिले ने भी पानी के गंभीर संकट को भोगा है, परन्तु इस ऐतिहासिक जिले के समाज ने जल संघर्ष की प्रक्रिया में नये-नये मुकाम हासिल करके अपनी विशेषता को सिद्ध कर दिया है। सूखे – अकाल के दौर में मंदसौर में दो सौ से ज्यादा जल संरक्षण की संरचनाओं का जनभागीदारी से निर्माण किया गया। जबकि एक हजार से ज्यादा जल स्रोतों का जीर्णोद्धार हुआ। करोड़ो रुपये का श्रमदान भी हुआ और पानी की कमी ने पानी की अद्भुद कहानी रची है। मूलतः इस गाँव की जलापूर्ति का सबसे बड़ा साधन पास का ही लदुना तालाब रही है। परन्तु यहां जल संकट ने उस वक्त भीषण रूप अख्तियार कर लिया जब य

गांववासियों द्वारा खुद जल आपूर्ति की मिसाल

Author: 
सुश्मिता सेनगुप्त
खुद ही किया प्रबंधखुद ही किया प्रबंध

पानी के अभाव ने उड़ीसा के एक गांव को पानी का प्रबंधन करना सिखाया

 

करीब 30 साल की गुलाब कुंजु उन दिनों को याद करती हैं जब अपनी प्यास बुझाने के लिए दूध पीना पड़ा क्योंकि उनके यहां पानी का अभाव था। उनके गांव धौराड़ा के चार बस्तियों में बसे 120 से ज्यादा परिवारों की जरूतों की पूर्ति के लिए सिर्फ तीन हैंडपंप थे। उनकी बस्ती के बाहरी इलाके में स्थित निकटतम हैंडपंप से पानी लाने के लिए दिन में कई बार चक्कर लगाना पड़ता था।

 

इस खबर के स्रोत का लिंक: 

महिलाओं ने बदला पानपाट

Source: 
पंचायत परिवार (मई-जून 2003)
घूंघट में रहने वाली महिलाओं ने देवास जिले के कन्नौद ब्लाक के गाँव 'पानपाट' की तस्वीर ही बदल दी है। उन्होंने यह सिद्ध कर दिखाया है कि – कमजोर व अबला समझी जाने वाली महिलाएं यदि ठान लें तो कुछ भी कर सकती हैं। उन्हीं के अथक परिश्रम का परिणाम है कि आज पानपाट का मनोवैज्ञानिक, आर्थिक व सामाजिक स्वरुप ही बदल गया है। जो अन्य गाँवो के लिए प्रेरणादायक साबित हो रहा है। 

पानपाट गाँव का 35 वर्षीय युवक ऊदल कभी अपने गांव के पानी संकट को भुला नहीं पाएगा। पानी की कमी के चलते गांव वाले दो-दो, तीन-तीन किमी दूर से बैलगाड़ियों पर ड्रम बांध कर लाते हैं। एक दिन ड्रम उतारते समय पानी से भरा लोहे का (200 लीटर वाला) ड्रम उसके


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