Tuesday, 02 July 2013 09:16 |
पृथा चटर्जी, शीरवानी, पितोरा, देवली। उत्तराखंड में प्रलयंकारी सैलाब से आई तबाही के एक पखवाड़े बाद जहां कई गांव सड़क मार्ग से कट गए हैं, वहीं जहां तक कच्ची राह की पहुंच हैं, उन गांवों से दिल को दहलाने वाली खबरें आ रही है। यहां के कुछ गांव ऐसे हैं, जिनके घरों में दिया जलाने वाला तक नहीं बचा है। देवली और ब्रह्मग्राम के आसपास के गांव के पंडित लोग केदारनाथ में तीर्थयात्रियों से पूजा-पाठ कराते आए हैं। इनमें से कई लोग लापता हैं। दीपक तिवारी (30) की पत्नी सावित्री को सत्रह जून के बाद से उसकी कोई खबर नहीं मिली है। दीपक रामबाड़ा में होटल चलाता था। सावित्री का रो-रोकर बुरा हाल है। वह कहती है कि प्रशासन ने स्थानीय लोगों की उपेक्षा की। बताते हैं कई लोग दलदल में फंस गए थे। लेकिन किसी ने उनकी चीख-पुकार नहीं सुनी। सावित्री के दो छोटी बेटिया हैं। वह कहती है कि अभी तक उनके बारे में कोई खबर नहीं मिली है। जब उनके जाने की कोई सूचना मिल जाएगी, मैं सिंदूर लगाना और चूड़िया पहनना बंद कर दंूगी। उनके लिए पूजा-पाठ भी करूंगी। पितोरा गांव से पांच लोग लापता हैं। 35 साल के हेमंत तिवारी की पत्नी का नाम भी सावित्री है। पंद्रह जून के बाद से उसके पति का कोई पता नहीं है। गुप्तकाशी से दस किलोमीटर दूर कालीमठ में सड़क से पहुंचना मुमकिन नहीं है। यहां के लोगों का कहना है कि मरने वालों की तादाद काफी ज्यादा हो सकती है। http://www.jansatta.com/index.php/component/content/article/1-2009-08-27-03-35-27/48124-2013-07-02-03-48-22 |
Tuesday, July 2, 2013
आपदा के कहर से देवली-ब्रह्मग्राम बन गया ‘विधवाओं का गांव’
आपदा के कहर से देवली-ब्रह्मग्राम बन गया 'विधवाओं का गांव'
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