विमान, निरुपम, गौतम और चंदन को घेरने के बाद माकपा के खिलाफ हर मामले को खोल रही हैं दीदी, मरीचझांपी नरसंहार की जांच का ऐलान भी जल्दी!
अब लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और वामदलों के गठबंधन के सिवाय तृणमूल वर्चस्व तोड़ पाना असंभव है। ऐसे में जिन जिलों में जिला परिषद त्रिशंकु बनने के आसार है, वहीं से नये सिरे से कांग्रेस वाम गठबंधन को आजमाने की तैयारी हो रही है।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
आज विधानसभा बजट अधिवेशन में बोलते हुए दीदी ने साफ कर दिया है कि माकपा को वापसी का कोई मौका देने को वह तैयार नहीं हैं और माकपा के खिलाफ हरमामले को खोला जायेगा।बंगाल में पंचायत चुनावों के बाद अब राजनीति सत्ता समीकरण साधने पर केंद्रित हो गयी है। तृणमूल कांग्रेस को भारी जीत का भरोसा है, जबकि माकपा महासचिव प्रकाश कारत ने तृणमूल पर एतरफा धांधली का आरोप लगाते हुए माकपा की असहाय स्थिति अभिव्यक्त कर दी। कांग्रेस को रायगंज, मलदह और मुर्शिदाबाद में अपने गढ़ बचाने के लिए लोहे के चने चबाने पड़े। गनीखान परिवार का करिश्मा टूट ही गया। दीपा दासमुंशी कुछ बोल नहीं रही है। इसके विपरीत मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्ष के खिलाफ बेहद आक्रामक रवैया अपना लिया है।अब लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और वामदलों के गठबंधन के सिवाय तृणमूल वर्चस्व तोड़ पाना असंभव है। ऐसे में जिन जिलों में जिला परिषद त्रिशंकु बनने के ासार है, वहीं से नये सिरे से कांग्रेस वाम गठबंधन को आजमाने की तैयारी हो रही है।
इस बीच दीदी ने पंचायत चुनाव में ही माकपा नेताओं विमान बोस और निरुपम सेन के नाम बैंक खाते में सोलह करोड़ के लेनदेन को मुख्य मुद्दा बना दिया है। गौतम देव और दिवंगत नेता ज्योति बसु के पुत्र चंदन बसु के खिलाफ आवास घोटाल में जांच तेज हो गयी है। अब दीदी ने एक कदम बढ़कर माकपा के राज्य कोषाध्यक्ष सुशील चौधरी की हत्या की जांच का ऐलान भी कर दिया है। वाम जमाने के सबसे सनसनीखेज नरसंहार मरीचझांपी प्रकरण की जांच का ऐलान भी किसी भी दिन अपेक्षित है।इसके अलावा दीदी ने चुनाव के दौरान विवादास्पद वक्तव्य के लिए मीडिया और विपक्ष का लक्ष्य बन गये वीरभूम जिला तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष अनुव्रत मंडल को क्लीन चिट देते हुए उनके आलोचकों को कौआ बता दिया। गौरतलब है कि राज्य चुनाव आयोग की शिकायत पर अनुव्रत के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी हो गये हैं। हालांकि वीरभूम की तृणमूल सांसद शताब्दी राय लगातार अनुव्रत के आचरण की निंदा करती रहीं ौर उन्होंने यह सार्वजनिक दावा भी किया कि उचित समय पर दीदी अनुव्रत के खिलाफ कार्रवाई करेंगी। अब दीदी की क्लीन चिट के बाद अनुव्रत के खिलाप कार्रवाई होने की संबावना कम ही है। मदन मित्र और मुकुल राय शुरु से अनुवर्त की तारीफों के पुल बांधते रह गये है। सवाल यह उठ रहा है कि सांसद शताब्दी भी क्या कौओं की टोली में शामिल कर दी गयी है या नहीं। इसके अलावा इस प्रकरण में खास कुछ बचा नहीं है। दूसरी ओर, कामदुनि बलात्कारकांड दफारफा होने को है। सरकार अभियुक्तों के बचाव में खड़ी हो गयी है। सामूहिक बलात्कार के अभियोग को बलात्कार मामला में तब्दील कर दिया गया है।
विधानसभा में सुशील चौधरी की हत्या की जांच का ऐैलान करके दीदी ने शरणार्थियों, मतुआ समुदाय और दलित संगठनों की मरीचझांपी नरसंहार की जांच कराने की मांग तेज कर दी है। सत्ता से जुड़े इन समुदायों के नेताओं का दावा है कि दीदी माकपा को इस मामले में भी कोई छूट नहीं देने जा रही है। मरीचझांपी प्रकऱम को दीदी विधानसभा चुनावों से लेकर पंचायत चुनावों तक मुद्दा बनाती रही हैं। समझा जाता है कि इस प्रकरण की जांच से वे नेता भी चपेट में आ जायेंगे, जिन्हें सामने रखकर माकपा वापसी की तैयारी कर रही है। 1979 में हुए इस कांड केद दौरान ज्योति बसु मुख्यमंत्री थे और मरीचझांपी को दखल मुक्त करने में बुद्धदेव भट्टाचार्य की भी बड़ी भूमिका थी। सबसे खास बात है कि वाम नेताओं के न्यौते पर ही दंडकारण्य से शरणार्थी आकर मरीचझांपी में बसे थे। आरोप है कि उन्हें मारकर बाघों का चारा बना दिया गया। घटालों के मामलों का भले ही वोटबैंक पर कोई असर न हो, मरीच झांपी का भयंकर असर होना है, जिसके सबूत पिछले चुनावों में मिल चुके हैं।
विधानसभा में बजट पर बहस में हस्तक्षेप करते हुए दीदी ने कहा, सुशील बाबू की हत्या किन लोगों ने की, अब तक इसकी जांच नहीं हुई है। हम इस मामले की पड़ताल में लगे हैं औरहम इसकी जांच करायेंगे। बैंकखातों को लेकर हमले के बाद माकपा कोषाध्यक्ष की हत्या की जांच के ऐलान से जाहिर है कि माकपा बहुत मुश्किल में है। मरीचझांपी की जांच का ऐलान होने पर वह और मुश्किल में पड़ने वाली है क्योंकि इस मामले में कामरेड ज्योति बसु कटघरे में है और माकपा लोकसभा चुनाव सेपहले अपनी परंपरा तोड़ते हुए जोर शोर से ज्योति बसु की जन्म शताब्दी मना रही है। दीदी ने यह भी कहा कि सुशील चौधरी की मौता की जांच अब तक क्यों नहीं हुई, इसकी जांच भी हो रही है। मालूम हो कि मरीचझांपी नरसंहार के बाद 34 साल गुजर गये हैं ौर अब तक जांच नहीं हुई है।
इसके अलावा दीदी ने कोलकाता विश्वविद्यालय की डिप्टी परीक्षा नियंत्रक मनीषा बंद्योपाध्याय और रंगकर्मी विमान भट्टाचार्य की बहुचर्चित गुमशुदगी मामलो की पड़ता ल होने का भी ऐलान कर दिया है।
1996 मेंसुशील चोधरी की जब हत्या हुई, तब उनकी उम्र 75 साल थी।वे अलीमुद्दीन स्ट्रीट में माकपा कार्यालय का हिसाब किताब देखते थे।लेकिन रात के वक्त घर लौटते ईएम बाईपास पर चिंग्ड़ीघाटा के पास रात में उनकी नृशंस हत्या हो गयी। खाल बराबर उनकी लाश मिली । आरोप है कि हिसाब में घोटाला पकड़े जाने पर उनकी हत्या कर दी गयी। तब भी मुख्यमंत्री ज्योति बसु थे और पुलिस मंत्री थे बुद्धदेव। लेकिन माकपा सरकार ने इस हत्याकांड की जाच नहीं करायी।बुद्धदेव बाबू ने विधानसभा में दो दो बार अभियुक्तों को पकड़ लेने का दावा किया और उन्होंने इस हत्याकांड में विरोधियों का हाथ होने का भी आरोप लगाया। अमूमन ऐसे मामलों में पार्टी की ोर से जो जांच करायी जाती है,माकपा ने इस मामले में वह भी नहीं किया।
उस वक्त प्रेसीडेंसी रेंज के डीआईजी मौजूदा पर्यटन मंत्री रछरपाल सिंह थे। उनका कहना है कि हत्या के बाद वे तफतीश के लिए मौके पर गये तो अगले ही दिन उनका तबादला रेलवे में कर दिया गया।ऐसा क्यों हुआ, माकपा को इसकी कैफियत भी देने है।रछपाल के मुताबिक तबादले से पहले मौके पर जाने के अपराध में पुलिस मंत्री बुद्धदेव ने उन्हें बुलाकर धमकाया भी था।
मनीषा बंद्योपाध्याय को आखिरी बार 21 सितंबर 1996 को देखा गया, ुसके बाद वे लापता हो गयी और तबसे लापता हैं। उनके कई बड़े माकपा नेताओं से मधुर संबंध बताये जाते हैं।दीदी ने कहा, मनीषा की मां अब भी रो रही हैं।मनीषा कहां चली गयी, हमें यह पता करना होगा।हाल में राज्यपाल एम के नारायणने ने कोलकाता विश्वविद्यालय के उपकुलपति सुरंजन दास से मनीषा की फाइल मंगायी है लेकिन जांच अभी शुरु नहीं हुई है।
रंगकर्मी विमान भट्टाचार्य केंद्रीय मंत्री दीपा दासमुंशी के मित्र थे। दिवंगत विमानबाबू के परिजनों ने दीदी को पत्र लिखकर इस मामले की जांच कराने की माग की है।इस सिलसिले में दीपा दासमुंशी का कहना है कि विमान भट्टाचार्य और वे नाटक दल बहुरुपी में एकसाथ थे। विमान बसु विश्वविद्यालय में उनसे सालभर सीनियर थे, यह बताते हुए दीपी ने कहा कि विमानबाबू के लापता होने के बाद उन्हें पता चला कि उनके पिता भी चौदह साल तक लापता थे। दीपा का आरोप है कि राजनीति उद्देश्य े दीदी इस मामले की जांच करवा रही हैं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज आरोप लगाया कि उनकी सरकार के उपलब्धियां हासिल करने के बावजूद इसे गिराने के लिए षडयंत्र किया जा रहा है । ममता बनर्जी ने शनिवार को विधानसभा में कहा कि राज्य में उनकी सरकार को अस्थिर करने के लिए केंद्र सरकार की एजेंसियां साजिश कर रही हैं। प्रदेश में इन एजेंसियों का हस्तक्षेप अनावश्यक रूप से बढ़ रहा है।
चालू वित्त वर्ष के अंतरिम बजट को पारित करने के लिए बुलाये गये विधान सभा के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए कहा.. हमारी सरकार को गिराने के लिए किये गये षडयंत्रो मे कयी के न्द्रीय एजेसियो का भी इस्तेमाल किया गया और मै आपको बताना चाहूंगी कि इन षडयंत्रो का परिणाम अच्छा नहीं होगा ।.
उन्होने कहा., .. हमारी सरकार ने जंगलमहल मे शांति और सुरक्षा व्यवस्था स्थापित की है । गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेताओ से बातचीत कर हमने दार्जिलिंग संकट का भी समाधान कर लिया है ।इसके बावजूद कयी नेता हमारी सरकार के खिलाफ षडयंत्रो मे लगे है ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंचायत चुनाव के दौरान मुर्शिदाबाद व मालदा में चुनावी हिंसा हुई। यहां एक केंद्रीय मंत्री की गुंडागर्दी के कारण माहौल बिगड़ा। उन्होंने कहा कि 2003 के पंचायत चुनाव में 40 लोग मारे गए थे। जबकि 2008 के चुनाव में 35 लोग मारे गए थे। अब प्रदेश में लोकतंत्र की बहाली हो रही है तो विपक्ष को हजम नहीं हो रहा। पिछले 34 वषरें सें जिन्होंने बंगाल को पतन के गर्त में धकेला आज उन्हें विरोध करने का अधिकार नहीं है। इस दौरान झारखंड द्वारा बिना सूचित किए बांध से 1.75 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने पर मुख्यमंत्री ने विरोध जताया। उन्होंने कहा कि यह बंगाल की जनता को संकट में डालने वाला कदम है।
आईबीएन7 और सीएसडीएस का सर्वे बताता है कि ममता बनर्जी के नेतृत्व में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस न सिर्फ मजबूत बनी हुई है, बल्कि उसका जनाधार भी बढ़ा है। अगर इस समय लोकसभा चुनाव हों तो वो 23 से 27 सीटें तक जीत सकती है। दूसरी तरफ वामदलों के समर्थन में भारी कमी आई है। वाममोर्चे को 15 फीसदी वोटों का नुकसान हो रहा है। उधर, राज्य में कांग्रेस और बीजेपी के समर्थन में भी अच्छा-खासा इजाफा दिख रहा है।आईबीएन7 और सीएसडीएस के सर्वे के नतीजे बताते हैं कि इस समय लोकसभा चुनाव हों तो राज्य के 22 फीसदी मतदाता कांग्रेस को वोट देंगे। यानी पिछले चुनाव के मुकाबले उसे 8 फीसदी ज्यादा वोट मिलेंगे। वहीं बीजेपी को 12 फीसदी मत मिलेंगे यानी पिछली बार से दोगुने वोट। तृणमूल कांग्रेस के हिस्से आएंगे 32 फीसदी वोट, यानी पिछले चुनाव के मुकाबले एक फीसदी ज्यादा। वहीं वामदलों को सिर्फ 28 फीसदी मतदाताओं का समर्थन हासिल होगा। यानी उसके वोटों में 15 फीसदी की कमी आ सकती है। अन्य के हिस्से छह फीसदी वोट आएंगे। वहीं 15 फीसदी मतदाता ऐसे भी हैं जिन्होंने अभी तक अपनी पसंद तय नहीं की है।
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