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Thursday, June 27, 2013

'राहुल गांधी के लिए उत्तराखंड में खाली कराए गए थे जवानों के कैंप'

'राहुल गांधी के लिए उत्तराखंड में खाली कराए गए थे जवानों के कैंप'


नई दिल्ली/देहरादून।। उत्तराखंड में फंसे लोगों को निकालने का काम अंतिम चरण में पहुंच गया है। करीब चार हजार लोग अभी भी फंसे हुए हैं और उन्हें निकालने का काम शुरू हो गया है। धरासु, हर्षिल और गौचर इलाके में मौसम साफ है और वायुसेना ने इन इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया है, लेकिन बद्रीनाथ में बचावकर्मी मौसम साफ होने का इंतजार कर रहे हैं। इस बीच आईटीबीपी के डीजी अजय चड्ढा ने माना है कि राहुल गांधी के लिए गोचर में जवानों के कैंप को खाली कराया गया था।

'राहुल गांधी के लिए उत्तराखंड में खाली कराए गए थे जवानों के कैंप'
आईटीबीपी के डीजी अजय चड्ढा ने गुरुवार को माना कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के लिए गोचर में राहत कार्य में लगे जवानों के कैंप को खाली कराया गया था। हालांकि, वह यह भी बोले कि राहुल की एसपीजी सुरक्षा की वजह से कैंप को खाली कराना पड़ा। गौरतलब है कि उत्तराखंड में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी जब हवाई सर्वेक्षण के लिए गए तो उन्हें नीचे उतरने की अनुमति नहीं मिली थी, लेकिन जब राहुल गांधी गए तो सरकार के नियम भी बदल गए। राहुल गांधी न सिर्फ नीचे उतरे बल्कि लोगों से बात भी की। मोदी के दौरे के बाद गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा था कि वीआईपी दौरों से राहत कामों में बाधा आती ही है। इसलिए हालात देखने के लिए उत्तराखंड के अलावा किसी भी और राज्य के मुख्यमंत्री को वहां नहीं जाना चाहिए। सिर्फ पुलिस और सेना को पेशेवर ढंग से राहत काम करने देना चाहिए।

भूकंप के झटकों ने सबको डराया

इस बीच भूकंप के झटकों की खबर ने सबको सकते में डाल दिया है। खबर है कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि आरंभिक सूचनाओं के मुताबिक भूकंप के ये झटके तीव्रता में ज्यादा नहीं थे। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.5 मापी गई है। इसे आम तौर पर भूकंप के मामूली झटका ही कहा जाएगा। लेकिन, उत्तराखंड के मौजूदा हालात को देखते हुए ये झटके भी सबको आतंकित करने के लिए काफी साबित हुए। हालांकि अभी तक इससे जानमाल के नुकासन की कोई खबर नहीं है। सरकारी सूत्रों ने कहा है कि इससे उत्तराखंड में जारी राहत और बचाव अभियान पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

सड़ते शवों से महामारी का खतरा
प्रदेश में सड़ते शवों की वजह से महामारी का खतरा पैदा हो गया है। इससे निपटने के लिए केदारनाथ धाम में बुधवार को 18 शवों का अंतिम संस्कार किया गया। गुरुवार को भी शवों का दाह संस्कार किया जाएगा। केदारनाथ में बरामद हुए शवों का अंतिम संस्कार करने के बाद रामबाड़ा और गौरीकुंड में मिली लाशों का दाह संस्कार किया जाएगा।

उत्तराखंड सरकार ने दावा किया कि अब तक 99 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जा चुका है। मौसम की चुनौतियों के बीच बचाव अभियान में जुटे अपने जांबाजों की शहादत के बावजूद सेना और अर्द्धसैनिक बलों के जवान बुलंद हौसलों के साथ फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाते रहे। केदारघाटी में फंसे यात्रियों को सुरक्षित निकालने के बाद अब अभियान पूरी तरह बदरीनाथ और गंगोत्री के पास हर्षिल पर फोकस किया गया है। अभी भी बदरीनाथ में तीन हजार और गंगोत्री क्षेत्र में पांच सौ लोग घर जाने की राह ताक रहे हैं।

गौचर पहुंचे वायुसेना अध्यक्ष एएनके ब्राउन ने भी साफ किया कि केदारघाटी में फंसे यात्रियों को निकाल लिया गया है। हालांकि, सेना और अर्द्धसैनिक बलों के जवान गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर आसपास के जंगलों में लापता लोगों की तलाश में जुटे हुए हैं। इसके अलावा भूस्खलन से बंद बदरीनाथ और गंगोत्री नैशनल हाई-वे पर ट्रैफिक शुरू हो गया है। चमोली में बदरीनाथ में फंसे करीब 500 यात्रियों को छह हेलिकॉप्टरों की मदद से निकाला गया, जबकि 780 लोगों को पैदल मार्ग से सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया। उत्तरकाशी में हर्षिल से 7 हेलिकाप्टरों के जरिए 600 से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। सेना और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) बदरीनाथ-जोशीमठ पैदल मार्ग पर टूटे पुलों के स्थान पर अस्थायी पुल बनाने में जुट गए हैं।

महामारी की आशंका के बीच पहाड़ पर जलप्रलय में मारे गए सैकड़ों लोगों के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। डीएनए नमूना लेने के बाद बुधवार को केदारनाथ धाम में 18 शवों का सामूहिक रूप से विधि-विधान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। हालांकि, मृतकों के सगे-संबंधियों को केदारनाथ जाने की अनुमति नहीं दी गई। ऐसे में लोग अपनों का अंतिम दर्शन भी नहीं कर पाए। डीएम दिलीप जावलकर ने बताया कि केदारनाथ में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद केदारघाटी के रामबाड़ा और गौरीकुंड में मिले शवों का अंतिम संस्कार किया जाएगा। कुछ और शव केदारधाम में भी हैं। हालांकि, अधिकारी अभी यह नहीं बता पा रहे हैं, अब तक कितने शव बरामद किए जा चुके हैं।

तबाही के बाद पहाड़ों पर अब महामारी का खतरा बढ़ गया है। शवों के सड़ने से महामारी से आशंकित स्वास्थ्य विभाग ने बीमारियों से निपटने की कवायद तेज कर दी है। रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी और हरिद्वार में इंटिग्रेटेड डिजीज सर्विलान्स प्रोग्राम शुरू किया है। आपदाग्रस्त जिलों में अलर्ट जारी किया गया है। पहाड़ पर आई आपदा में इनसानों के साथ बड़ी संख्या में जीव-जंतु भी मरे हैं। इनमें रोडेंट्स (चूहे और गिलहरी) की संख्या अधिक है। इससे डायरिया, वायरल फीवर, निमोनिया, फेफड़ों के संक्रमण के साथ प्लेग के फैलने का खतरा भी है। डॉक्टरों का कहना है कि अक्सर भूकंप, बाढ़, भूस्खलन सरीखी आपदा आने के बाद प्लेग का खतरा बढ़ता है। उत्तरकाशी में सात-आठ साल पहले प्लेग के मरीज मिलने की वजह से माना जा रहा है कि पहाड़ों पर प्लेग फैलाने वाला परजीवी हो सकता है।

हेलिकॉप्टर का ब्लैकबॉक्स मिला
करीब 24 घंटे की मशक्कत के बाद दुर्घटनाग्रस्त वायुसेना के हेलिकॉप्टर में सवार सभी 20 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं। राहत कार्यों में जुटे वायुसेना के पांच, एनडीआरएफ के नौ और आइटीबीपी के छह जांबाजों की मौत हो गई थी। इनमें से चार शव हेलिकॉप्टर से पहले गुप्तकाशी और फिर देहरादून ले जाए गए, बाकी 16 शव आज लाए जाएंगे। घटनास्थल से हेलिकॉप्टर का ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया गया, इसकी जांच के बाद ही दुर्घटना के असल कारणों का पता चल पाएगा।

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