हर मौसम में कश्मीर यात्रा को हरी झंडी
पीटीआई ॥ श्रीनगर
अब किसी भी मौसम में कश्मीर घाटी में पहुंचने का रास्ता साफ हो गया है। यह सपना साकार हुआ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी द्वारा बुधवार को जम्मू-कश्मीर में बनिहाल-काजीगुंड रेलमार्ग का उद्घाटन करने के साथ। इन दोनों ने इस मार्ग पर पहली रेल को हरी झंडी दिखाई। नजर डालते हैं इस रूट की खास बातों पर :-
इस रेलमार्ग की लंबाई 18 किलोमीटर है।
रेलमार्ग का 11 किलोमीटर का रास्ता सुरंग से होकर गुजरता है।
इस सुरंग की वजह से बनिहाल और काजीगुंड की 35 किलोमीटर की दूरी घटकर महज 18 किलोमीटर रह गई है।
यह सुरंग चीन के वुशावोलिंग के बाद दुनिया में दूसरी सबसे लंबी सुरंग है।
इस सुरंग की मदद से जवाहर सुरंग के अलावा एक और रास्ता खुल गया है। इससे जम्मू-ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल रूट के जरिए घाटी पहुंचा जा सकेगा।
बनिहाल-काजीगुंड रेलमार्ग पर 27 जून से हर दिन आठ डिब्बों की एक ट्रेन चलेगी।
इस सुरंग के निर्माण में 1300 करोड़ रुपये की लागत आई है।
इस सुरंग का निर्माण ऑस्ट्रेलियाई तरीके से किया गया है। इसमें वेंटिलेशन, सीसीटीवी कैमरे और फायर अलर्ट जैसी हर तरह की सुविधाएं हैं।
अब किसी भी मौसम में कश्मीर घाटी में पहुंचने का रास्ता साफ हो गया है। यह सपना साकार हुआ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी द्वारा बुधवार को जम्मू-कश्मीर में बनिहाल-काजीगुंड रेलमार्ग का उद्घाटन करने के साथ। इन दोनों ने इस मार्ग पर पहली रेल को हरी झंडी दिखाई। नजर डालते हैं इस रूट की खास बातों पर :-
इस रेलमार्ग की लंबाई 18 किलोमीटर है।
रेलमार्ग का 11 किलोमीटर का रास्ता सुरंग से होकर गुजरता है।
इस सुरंग की वजह से बनिहाल और काजीगुंड की 35 किलोमीटर की दूरी घटकर महज 18 किलोमीटर रह गई है।
यह सुरंग चीन के वुशावोलिंग के बाद दुनिया में दूसरी सबसे लंबी सुरंग है।
इस सुरंग की मदद से जवाहर सुरंग के अलावा एक और रास्ता खुल गया है। इससे जम्मू-ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल रूट के जरिए घाटी पहुंचा जा सकेगा।
बनिहाल-काजीगुंड रेलमार्ग पर 27 जून से हर दिन आठ डिब्बों की एक ट्रेन चलेगी।
इस सुरंग के निर्माण में 1300 करोड़ रुपये की लागत आई है।
इस सुरंग का निर्माण ऑस्ट्रेलियाई तरीके से किया गया है। इसमें वेंटिलेशन, सीसीटीवी कैमरे और फायर अलर्ट जैसी हर तरह की सुविधाएं हैं।
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